Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1007932 | ||
Scripture Name( English ): | Jambudwippragnapati | Translated Scripture Name : | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
वक्षस्कार ७ ज्योतिष्क |
Translated Chapter : |
वक्षस्कार ७ ज्योतिष्क |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 332 | Category : | Upang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] वासाणं भंते! पढमं मासं कइ नक्खत्ता नेंति? गोयमा! चत्तारि नक्खत्ता नेंति, तं जहा–उत्तरासाढा अभिई सवणो धणिट्ठा। उत्तरासाढा चउद्दस अहोरत्ते नेइ। अभिई सत्त अहोरत्ते नेई। सवणो अट्ठ अहोरत्ते णेई। धनिट्ठा एगं अहोरत्तं नेइ। तंसि च णं मासंसि चउरंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अनुपरियट्टइ। तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे दो पया चत्तारि य अंगुला पोरिसी भवइ। वासाणं भंते! दोच्चं मासं कइ नक्खत्ता नेंति? गोयमा! चत्तारि, तं जहा–धनिट्ठा सयभिसया पुव्वाभद्दवया उत्तराभद्दवया। धनिट्ठा णं चउद्दस अहोरत्ते नेइ। सयभिसया सत्त। पुव्वाभद्दवया अट्ठ। उत्तराभद्दवया एगं। तंसि च णं मासंसि अट्ठंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अनुपरियट्टइ। तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे दो पया अट्ठ य अंगुला पोरिसी भवइ। वासाणं भंते! तइयं मासं कइ नक्खत्ता नेंति? गोयमा! तिन्नि नक्खत्ता नेंति, तं जहा–उत्तराभद्दवया रेवई अस्सिणी। उत्तराभद्दवया चउद्दस राइंदिए नेइ। रेवई पन्नरस। अस्सिणी एगं। तंसि च णं मासंसि दुवालसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अनुपरियट्टइ। तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे लेहट्ठाइं तिन्नि पयाइं पोरिसी भवइ। वासाणं भंते! चउत्थं मासं कइ नक्खत्ता नेंति? गोयमा! तिन्नि, तं जहा– अस्सिणी भरणी कत्तिया। अस्सिणी चउद्दस। भरणी पन्नरस। कत्तिया एगं। तंसि च णं मासंसि सोलसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अनुपरियट्टइ। तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे तिन्नि पयाइं चत्तारि य अंगुलाइं पोरिसी भवइ। हेमंताणं भंते! पढमं मासं कइ नक्खत्ता नेंति? गोयमा! तिन्नि, तं जहा–कत्तिया रोहिणी मिगसिरं। कत्तिया चउद्दस। रोहिणी पन्नरस। मिगसिरं एगं अहोरत्तं नेइ। तंसि च णं मासंसि वीसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अनुपरिवट्टइ। तस्स णं मासस्स जेसे चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि तिन्नि पयाइं अट्ठ य अंगुलाइं पोरिसी भवइ। हेमंताणं भंते! दोच्चं मासं कइ नक्खत्ता नेंति? गोयमा! चत्तारि नक्खत्ता नेंति, तं जहा–मिगसिरं अद्दा पुण-व्वसू पुस्सो। मिगसिरं चउद्दस राइंदियाइं नेइ। अद्दा अट्ठ नेइ। पुनव्वसू सत्त राइंदियाइं। पुस्सो एगं राइंदियं नेइ। तया णं चउव्वीसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अनुपरियट्टइ। तस्स णं मासस्स जेसे चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि लेहट्ठाइं चत्तारि पयाइं पोरिसी भवइ। हेमंताणं भंते! तच्चं मासं कइ नक्खत्ता नेंति? गोयमा! तिन्नि, तं जहा–पुस्सो असिलेसा महा। पुस्सो चोद्दस राइंदियाइं नेइ। असिलेसा पन्नरस। महा एक्कं। तया णं वीसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अनुपरियट्टइ। तस्स णं मासस्स जेसे चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि तिन्नि पयाइं अट्ठंगुलाइं पोरिसी भवइ। हेमंताणं भंते! चउत्थं मासं कइ नक्खत्ता नेंति? गोयमा! तिन्नि नक्खत्ता, तं जहा–महा पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी। महा चउद्दस राइंदियाइं नेइ। पुव्वाफग्गुणी पन्नरस राइंदियाइं नेइ। उत्तराफग्गुणी एगं राइंदियं नेइ। तया णं सोल-संगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अनुपरियट्टइ। तस्स णं मासस्स जेसे चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि तिन्नि पयाइं चत्तारि य अंगुलाइं पोरिसी भवइ। गिम्हाणं भंते! पढमं मासं कइ नक्खत्ता नेंति? गोयमा! तिन्नि नक्खत्ता नेंति, तं जहा–उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता। उत्तराफग्गुणी चउद्दस राइंदियाइं नेइ। हत्थो पन्नरस राइंदियाइं नेइ। चित्ता एगं राइंदियं नेइ। तया णं दुवालसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अनुपरियट्टइ। तस्स णं मासस्स जेसे चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि लेहट्ठाइं तिन्नि पयाइं पोरिसी भवइ। गिम्हाणं भंते! दोच्चं मासं कइ नक्खत्ता नेंति? गोयमा! तिन्नि नक्खत्ता नेंति, तं जहा–चित्ता साई विसाहा। चित्ता चउद्दस राइंदियाइं नेइ। साई पन्नरस राइंदियाइं नेइ। विसाहा एगं राइंदियं नेइ। तया णं अट्ठंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अनुपरियट्टइ। तस्स णं मासस्स जेसे चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि दो पयाइं अट्ठंगुलाइं पोरिसी भवइ। गिम्हाणं भंते! तच्चं मासं कइ नक्खत्ता नेंति? गोयमा! चत्तारि नक्खत्ता नेंति, तं जहा–विसाहा अणुराहा जेट्ठा मूलो। विसाहा चउद्दस राइंदियाइं नेइ। अणुराहा अट्ठ राइंदियाइं नेइ। जेट्ठा सत्त राइंदियाइं नेइ। मूलो एक्कं राइंदियं नेइ। तया णं चउरंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अनुपरियट्टइ। तस्स णं मासस्स जेसे चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि दो पयाइं चत्तारि य अंगुलाइं पोरिसी भवइ। गिम्हाणं भंते! चउत्थं मासं कइ नक्खत्ता नेंति? गोयमा! तिन्नि नक्खत्ता नेंति, तं जहा–मूलो पुव्वासाढा उत्तरासाढा। मूलो चउद्दस राइंदियाइं नेइ। पुव्वासाढा पन्नरस राइंदियाइं नेइ। उत्तरासाढा एगं राइंदियं नेइ। तया णं वट्टाए समचउरंससंठाणसंठिए णग्गोहपरिमंडलाए सकायमणुरंगियाए छायाए सूरिए अनुपरियट्टइ। तस्स णं मासस्स जेसे चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि लेहट्ठाइं दो पयाइं पोरिसी भवइ। एएसि णं पुव्ववण्णियाणं पयाणं इमा संगहणी, तं जहा– | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! चातुर्मासिक वर्षाकाल के श्रावण मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? गौतम ! चार – उत्तराषाढा, अभिजित, श्रवण तथा धनिष्ठा। उत्तराषाढा नक्षत्र श्रावण मास के १४ अहोरात्र, अभिजित नक्षत्र ७ अहोरात्र, श्रवण नक्षत्र ८ अहोरात्र तथा धनिष्ठा नक्षत्र १ अहोरात्र परिसमाप्त करता है। उस मास में सूर्य चार अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण परिभ्रमण करता है। उस मास के अन्तिम दिन चार अंगुल अधिक दो पद पुरुषछाया – प्रमाण पौरुषी होती है। भगवन् ! वर्षाकाल के भाद्रपद मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? गौतम ! चार – धनिष्ठा, शतभिषक्, पूर्वभाद्रपदा तथा उत्तरभाद्रपदा। धनिष्ठ नक्षत्र १४ अहोरात्र, शतभिषक् नक्षत्र ७ अहोरात्र, पूर्वभाद्रपदा नक्षत्र ८ अहोरात्र तथा उत्तरभाद्रपदा नक्षत्र १ अहोरात्र परिसमाप्त करता है। उस महीने में सूर्य आठ अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। वर्षाकाल के आश्विन मास को तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं – उत्तराभाद्र – पदा, रेवती तथा अश्विनी। उत्तराभाद्रपदा १४ रातदिन, रेवती नक्षत्र १५ रातदिन तथा अश्विनी नक्षत्र एक रातदिन परिसमाप्त करता है। उस मास में सूर्य १२ अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। उस समय के अन्तिम दिन परिपूर्ण तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। वर्षाकाल के कार्तिक मास को तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं – अश्विनी, भरणी तथा कृत्तिका। अश्विनी नक्षत्र १४ रातदिन, भरणी नक्षत्र १५ रातदिन, तथा कृत्तिका नक्षत्र १ रातदिन में परिसमाप्त करता है। उस महीने में सूर्य १६ अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनु – पर्यटन करता है। उस महीने के अंतिम दिन ४ अंगुल अधिक तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। चातुर्मास हेमन्तकाल के मार्गशीर्ष मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? गौतम ! तीन – कृतिका, रोहिणी तथा मृगशिर। कृत्तिका १४ अहोरात्र, रोहिणी १५ अहोरात्र तथा मृगशिर नक्षत्र १ अहोरात्र में परिसमाप्त करता है। उस महीने में सूर्य २० अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। उस महीने के अन्तिम दिन ८ अंगुल अधिक तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। हेमन्तकाल के पौष मास को चार नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं – मृगशिर, आर्द्रा, पुनर्वसु तथा पुष्य। मृगशिर १४ रातदिन, आर्द्रा ८ रातदिन, पुनर्वसु ७ रातदिन तथा पुष्य १ रातदिन परिसमाप्त करता है। तब सूर्य २४ अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। उस महीने के अन्तिम दिन परिपूर्ण चार पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। हेमन्तकाल के माघ मास को तीन नक्षत्र परि – समाप्त करते हैं – पुष्य, अश्लेषा तथा मघा। पुष्य १४ रातदिन, अश्लेषा १५ रातदिन तथा मघा १ रातदिन में परि – समाप्त करता है। तब सूर्य २० अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। उस महीने के अंतिम दिन आठ अंगुल अधिक तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। हेमन्तकाल के – फाल्गुन मास को तीन नक्षत्र परि – समाप्त करते हैं – मघा, पूर्वाफाल्गुनी तथा उत्तराफाल्गुनी। मघा १४ रातदिन, पूर्वाफाल्गुनी १५ रातदिन तथा उत्तरा फाल्गुनी १ रातदिन में परिसमाप्त करता है। तब सूर्य सोलह अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। उस महीने के अन्तिम दिन चार अंगुल अधिक तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। भगवन् ! चातुर्मासिक ग्रीष्मकाल के – चैत्र मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? तीन – उत्तरा – फाल्गुनी, हस्त तथा चित्रा। उत्तराफाल्गुनी १४ रातदिन, हस्त १५ रातदिन तथा चित्रा १ रातदिन में परिसमाप्त करता है। तब सूर्य १२ अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। उस महीने के अन्तिम दिन परिपूर्ण तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। ग्रीष्मकाल के वैशाख मास को तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं – चित्रा, स्वाति तथा विशाखा। चित्रा १४ रातदिन, स्वाति १५ रातदिन तथा विशाखा १ रातदिन में परिसमाप्त करता है। तब सूर्य आठ अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। उस महीने के अन्तिम दिन आठ अंगुल अधिक दो पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। ग्रीष्मकाल के ज्येष्ठ मास को चार नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं – विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा तथा मूल। विशाखा १४ रातदिन, अनुराधा ८ रातदिन, ज्येष्ठा ७ रातदिन तथा मूल १ रातदिन में परिसमाप्त करता है। तब सूर्य चार अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। उस महीने के अन्तिम दिन चार अंगुल अधिक दो पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। ग्रीष्मकाल के आषाढ मास को तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं – मूल, पूर्वाषाढा तथा उत्तराषाढा। मूल १४ रातदिन, पूर्वाषाढा १५ रातदिन तथा उत्तराषाढा १ रातदिन में परिसमाप्त करता है। सूर्य तब वृत्त, समचौरस, संस्थानयुक्त, न्यग्रोधपरिमण्डल – नीचे से संकीर्ण, प्रकाश्य वस्तु के कलेवर के सदृश आकृतिमय छाया से युक्त अनुपर्यटन करता है। उस महीने के अन्तिम दिन परिपूर्ण दो पद पुरुषछायायुक्त पोरीसी होती है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] vasanam bhamte! Padhamam masam kai nakkhatta nemti? Goyama! Chattari nakkhatta nemti, tam jaha–uttarasadha abhii savano dhanittha. Uttarasadha chauddasa ahoratte nei. Abhii satta ahoratte nei. Savano attha ahoratte nei. Dhanittha egam ahorattam nei. Tamsi cha nam masamsi chauramgulaporisie chhayae surie anupariyattai. Tassa nam masassa charime divase do paya chattari ya amgula porisi bhavai. Vasanam bhamte! Dochcham masam kai nakkhatta nemti? Goyama! Chattari, tam jaha–dhanittha sayabhisaya puvvabhaddavaya uttarabhaddavaya. Dhanittha nam chauddasa ahoratte nei. Sayabhisaya satta. Puvvabhaddavaya attha. Uttarabhaddavaya egam. Tamsi cha nam masamsi atthamgulaporisie chhayae surie anupariyattai. Tassa nam masassa charime divase do paya attha ya amgula porisi bhavai. Vasanam bhamte! Taiyam masam kai nakkhatta nemti? Goyama! Tinni nakkhatta nemti, tam jaha–uttarabhaddavaya revai assini. Uttarabhaddavaya chauddasa raimdie nei. Revai pannarasa. Assini egam. Tamsi cha nam masamsi duvalasamgulaporisie chhayae surie anupariyattai. Tassa nam masassa charime divase lehatthaim tinni payaim porisi bhavai. Vasanam bhamte! Chauttham masam kai nakkhatta nemti? Goyama! Tinni, tam jaha– assini bharani kattiya. Assini chauddasa. Bharani pannarasa. Kattiya egam. Tamsi cha nam masamsi solasamgulaporisie chhayae surie anupariyattai. Tassa nam masassa charime divase tinni payaim chattari ya amgulaim porisi bhavai. Hemamtanam bhamte! Padhamam masam kai nakkhatta nemti? Goyama! Tinni, tam jaha–kattiya rohini migasiram. Kattiya chauddasa. Rohini pannarasa. Migasiram egam ahorattam nei. Tamsi cha nam masamsi visamgulaporisie chhayae surie anuparivattai. Tassa nam masassa jese charime divase tamsi cha nam divasamsi tinni payaim attha ya amgulaim porisi bhavai. Hemamtanam bhamte! Dochcham masam kai nakkhatta nemti? Goyama! Chattari nakkhatta nemti, tam jaha–migasiram adda puna-vvasu pusso. Migasiram chauddasa raimdiyaim nei. Adda attha nei. Punavvasu satta raimdiyaim. Pusso egam raimdiyam nei. Taya nam chauvvisamgulaporisie chhayae surie anupariyattai. Tassa nam masassa jese charime divase tamsi cha nam divasamsi lehatthaim chattari payaim porisi bhavai. Hemamtanam bhamte! Tachcham masam kai nakkhatta nemti? Goyama! Tinni, tam jaha–pusso asilesa maha. Pusso choddasa raimdiyaim nei. Asilesa pannarasa. Maha ekkam. Taya nam visamgulaporisie chhayae surie anupariyattai. Tassa nam masassa jese charime divase tamsi cha nam divasamsi tinni payaim atthamgulaim porisi bhavai. Hemamtanam bhamte! Chauttham masam kai nakkhatta nemti? Goyama! Tinni nakkhatta, tam jaha–maha puvvaphagguni uttaraphagguni. Maha chauddasa raimdiyaim nei. Puvvaphagguni pannarasa raimdiyaim nei. Uttaraphagguni egam raimdiyam nei. Taya nam sola-samgulaporisie chhayae surie anupariyattai. Tassa nam masassa jese charime divase tamsi cha nam divasamsi tinni payaim chattari ya amgulaim porisi bhavai. Gimhanam bhamte! Padhamam masam kai nakkhatta nemti? Goyama! Tinni nakkhatta nemti, tam jaha–uttaraphagguni hattho chitta. Uttaraphagguni chauddasa raimdiyaim nei. Hattho pannarasa raimdiyaim nei. Chitta egam raimdiyam nei. Taya nam duvalasamgulaporisie chhayae surie anupariyattai. Tassa nam masassa jese charime divase tamsi cha nam divasamsi lehatthaim tinni payaim porisi bhavai. Gimhanam bhamte! Dochcham masam kai nakkhatta nemti? Goyama! Tinni nakkhatta nemti, tam jaha–chitta sai visaha. Chitta chauddasa raimdiyaim nei. Sai pannarasa raimdiyaim nei. Visaha egam raimdiyam nei. Taya nam atthamgulaporisie chhayae surie anupariyattai. Tassa nam masassa jese charime divase tamsi cha nam divasamsi do payaim atthamgulaim porisi bhavai. Gimhanam bhamte! Tachcham masam kai nakkhatta nemti? Goyama! Chattari nakkhatta nemti, tam jaha–visaha anuraha jettha mulo. Visaha chauddasa raimdiyaim nei. Anuraha attha raimdiyaim nei. Jettha satta raimdiyaim nei. Mulo ekkam raimdiyam nei. Taya nam chauramgulaporisie chhayae surie anupariyattai. Tassa nam masassa jese charime divase tamsi cha nam divasamsi do payaim chattari ya amgulaim porisi bhavai. Gimhanam bhamte! Chauttham masam kai nakkhatta nemti? Goyama! Tinni nakkhatta nemti, tam jaha–mulo puvvasadha uttarasadha. Mulo chauddasa raimdiyaim nei. Puvvasadha pannarasa raimdiyaim nei. Uttarasadha egam raimdiyam nei. Taya nam vattae samachauramsasamthanasamthie naggohaparimamdalae sakayamanuramgiyae chhayae surie anupariyattai. Tassa nam masassa jese charime divase tamsi cha nam divasamsi lehatthaim do payaim porisi bhavai. Eesi nam puvvavanniyanam payanam ima samgahani, tam jaha– | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Chaturmasika varshakala ke shravana masa ko kitane nakshatra parisamapta karate haim\? Gautama ! Chara – uttarashadha, abhijita, shravana tatha dhanishtha. Uttarashadha nakshatra shravana masa ke 14 ahoratra, abhijita nakshatra 7 ahoratra, shravana nakshatra 8 ahoratra tatha dhanishtha nakshatra 1 ahoratra parisamapta karata hai. Usa masa mem surya chara amgula adhika purushachhayapramana paribhramana karata hai. Usa masa ke antima dina chara amgula adhika do pada purushachhaya – pramana paurushi hoti hai. Bhagavan ! Varshakala ke bhadrapada masa ko kitane nakshatra parisamapta karate haim\? Gautama ! Chara – dhanishtha, shatabhishak, purvabhadrapada tatha uttarabhadrapada. Dhanishtha nakshatra 14 ahoratra, shatabhishak nakshatra 7 ahoratra, purvabhadrapada nakshatra 8 ahoratra tatha uttarabhadrapada nakshatra 1 ahoratra parisamapta karata hai. Usa mahine mem surya atha amgula adhika purushachhayapramana anuparyatana karata hai. Varshakala ke ashvina masa ko tina nakshatra parisamapta karate haim – uttarabhadra – pada, revati tatha ashvini. Uttarabhadrapada 14 ratadina, revati nakshatra 15 ratadina tatha ashvini nakshatra eka ratadina parisamapta karata hai. Usa masa mem surya 12 amgula adhika purushachhayapramana anuparyatana karata hai. Usa samaya ke antima dina paripurna tina pada purushachhayapramana porasi hoti hai. Varshakala ke kartika masa ko tina nakshatra parisamapta karate haim – ashvini, bharani tatha krittika. Ashvini nakshatra 14 ratadina, bharani nakshatra 15 ratadina, tatha krittika nakshatra 1 ratadina mem parisamapta karata hai. Usa mahine mem surya 16 amgula adhika purushachhayapramana anu – paryatana karata hai. Usa mahine ke amtima dina 4 amgula adhika tina pada purushachhayapramana porasi hoti hai. Chaturmasa hemantakala ke margashirsha masa ko kitane nakshatra parisamapta karate haim\? Gautama ! Tina – kritika, rohini tatha mrigashira. Krittika 14 ahoratra, rohini 15 ahoratra tatha mrigashira nakshatra 1 ahoratra mem parisamapta karata hai. Usa mahine mem surya 20 amgula adhika purushachhayapramana anuparyatana karata hai. Usa mahine ke antima dina 8 amgula adhika tina pada purushachhayapramana porasi hoti hai. Hemantakala ke pausha masa ko chara nakshatra parisamapta karate haim – mrigashira, ardra, punarvasu tatha pushya. Mrigashira 14 ratadina, ardra 8 ratadina, punarvasu 7 ratadina tatha pushya 1 ratadina parisamapta karata hai. Taba surya 24 amgula adhika purushachhayapramana anuparyatana karata hai. Usa mahine ke antima dina paripurna chara pada purushachhayapramana porasi hoti hai. Hemantakala ke magha masa ko tina nakshatra pari – samapta karate haim – pushya, ashlesha tatha magha. Pushya 14 ratadina, ashlesha 15 ratadina tatha magha 1 ratadina mem pari – samapta karata hai. Taba surya 20 amgula adhika purushachhayapramana anuparyatana karata hai. Usa mahine ke amtima dina atha amgula adhika tina pada purushachhayapramana porasi hoti hai. Hemantakala ke – phalguna masa ko tina nakshatra pari – samapta karate haim – magha, purvaphalguni tatha uttaraphalguni. Magha 14 ratadina, purvaphalguni 15 ratadina tatha uttara phalguni 1 ratadina mem parisamapta karata hai. Taba surya solaha amgula adhika purushachhayapramana anuparyatana karata hai. Usa mahine ke antima dina chara amgula adhika tina pada purushachhayapramana porasi hoti hai. Bhagavan ! Chaturmasika grishmakala ke – chaitra masa ko kitane nakshatra parisamapta karate haim\? Tina – uttara – phalguni, hasta tatha chitra. Uttaraphalguni 14 ratadina, hasta 15 ratadina tatha chitra 1 ratadina mem parisamapta karata hai. Taba surya 12 amgula adhika purushachhayapramana anuparyatana karata hai. Usa mahine ke antima dina paripurna tina pada purushachhayapramana porasi hoti hai. Grishmakala ke vaishakha masa ko tina nakshatra parisamapta karate haim – chitra, svati tatha vishakha. Chitra 14 ratadina, svati 15 ratadina tatha vishakha 1 ratadina mem parisamapta karata hai. Taba surya atha amgula adhika purushachhayapramana anuparyatana karata hai. Usa mahine ke antima dina atha amgula adhika do pada purushachhayapramana porasi hoti hai. Grishmakala ke jyeshtha masa ko chara nakshatra parisamapta karate haim – vishakha, anuradha, jyeshtha tatha mula. Vishakha 14 ratadina, anuradha 8 ratadina, jyeshtha 7 ratadina tatha mula 1 ratadina mem parisamapta karata hai. Taba surya chara amgula adhika purushachhayapramana anuparyatana karata hai. Usa mahine ke antima dina chara amgula adhika do pada purushachhayapramana porasi hoti hai. Grishmakala ke ashadha masa ko tina nakshatra parisamapta karate haim – mula, purvashadha tatha uttarashadha. Mula 14 ratadina, purvashadha 15 ratadina tatha uttarashadha 1 ratadina mem parisamapta karata hai. Surya taba vritta, samachaurasa, samsthanayukta, nyagrodhaparimandala – niche se samkirna, prakashya vastu ke kalevara ke sadrisha akritimaya chhaya se yukta anuparyatana karata hai. Usa mahine ke antima dina paripurna do pada purushachhayayukta porisi hoti hai. |