Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1007931 | ||
Scripture Name( English ): | Jambudwippragnapati | Translated Scripture Name : | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
वक्षस्कार ७ ज्योतिष्क |
Translated Chapter : |
वक्षस्कार ७ ज्योतिष्क |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 331 | Category : | Upang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] बारस उवकुला, तं जहा–सवणो उवकुलं पुव्वभद्दवया उवकुलं रेवई उवकुलं भरणी उवकुलं रोहिणी उवकुलं पुन्नव्वसू उवकुलं अस्सेसा उवकुलं पुव्वफग्गुणी उवकुलं हत्थो उवकुलं साई उवकुलं जेट्ठा उवकुलं पुव्वासाढा उवकुलं। चत्तारि कुलोवकुला तं जहा–अभिई कुलोवकुला सयभिसया कुलोवकुला अद्दा कुलोवकुला अनुराहा कुलोवकुला। कइ णं भंते! पुण्णिमाओ, कइ अमावसाओ पन्नत्ताओ? गोयमा! बारस पुण्णिमाओ, बारस अमावसाओ पन्नत्ताओ, तं जहा–साविट्ठी पोट्ठवई आसोई कत्तिगी मग्गसिरी पोसी माही फग्गुणी चेत्ती वइसाही जेट्ठामूली आसाढी। साविट्ठिण्णं भंते! पुण्णिमासिं कइ नक्खत्ता जोगं जोएंति? गोयमा! तिन्नि नक्खत्ता जोगं जोएंति, तं जहा–अभिई सवणो धनिट्ठा। पोट्ठवइण्णं भंते! पुण्णिमं कइ नक्खत्ता जोगं जोएंति? गोयमा! तिन्नि नक्खत्ता जोगं जोएंति, तं जहा–सयभिसया पुव्वभद्दवया उत्तरभद्दवया। अस्सोइण्णं भंते! पुण्णिमं कइ नक्खत्ता जोगं जोएंति? गोयमा! दो नक्खत्ता जोगं जोएंति, तं जहा–रेवई अस्सिणी य। कत्तिइण्णं दो–भरणी कत्तिया। मग्गसिरिण्णं दो–रोहिणी मग्गसिरं च। पोसिण्णं तिन्नि–अद्दा पुनव्वसू पुस्सो। माघिण्णं दो–अस्सेसा मघा य। फग्गुणिण्णं दो–पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी य। चेत्तिण्णं दो–हत्थो चित्ता य। विसाहिण्णं दो–साई विसाहा य। जेट्ठामूलिण्णं तिन्नि–अणुराहा जेट्ठा मूलो। आसाढिण्णं दो–पुव्वासाढा उत्तरासाढा। साविट्ठिण्णं भंते! पुण्णिमं किं कुलं जोएइ? उवकुलं जोएइ? कुलोवकुलं जोएइ? गोयमा! कुलं वा जोएइ, उवकुलं वा जोएइ, कुलोवकुलं वा जोएइ। कुलं जोएमाणे धणिट्ठा नक्खत्ते जोएइ, उवकुलं जोएमाणे सवणे नक्खत्ते जोएइ, कुलोकुलं जोएमाणे अभिई नक्खत्ते जोएइ। साविट्ठिण्णं पुण्णिमासिं कुलं वा जोएइ उवकुलं वा जोएइ, कुलोवकुलं वा जोएइ। कुलेण वा जुत्ता उवकुलेण वा जुत्ता कुलोवकुलेण वा जुत्ता साविट्ठी पुण्णिमा जुत्तत्ति वत्तव्वं सिया। पोट्ठवइण्णं भंते! पुण्णिमं किं कुलं जोएइ पुच्छा। गोयमा! कुलं वा उवकुलं वा कुलोवकुलं वा जोएइ। कुलं जोएमाणे उत्तरभद्दवया नक्खत्ते जोएइ, उवकुलं जोएमाणे पुव्वभद्दवया नक्खत्ते जोएइ, कुलोवकुलं जोएमाणे सयभिसया नक्खत्ते जोएइ। पोट्ठवइण्णं पुण्णिमं कुलं वा जोएइ जाव कुलोवकुलं वा जोएइ। कुलेण वा जुत्ता जाव कुलोवकुलेण वा जुत्ता पोट्ठवई पुण्णमासी जुत्तत्ति वत्तव्वं सिया। अस्सोइण्णं भंते! पुच्छा। गोयमा! कुलं वा जोएइ, उवकुलं वा जोएइ, नो लब्भइ कुलोवकुलं। कुलं जोएमाणे अस्सिणी नक्खत्ते जोएइ, उवकुलं जोएमाणे रेवई नक्खत्ते जोएइ। अस्सोइण्णं पुण्णिमं कुलं वा जोएइ, उवकुलं वा जोएइ। कुलेण वा जुत्ता उवकुलेण वा जुत्ता अस्सोई पुण्णिमा जुत्तत्ति वत्तव्वं सिया। कत्तिइण्णं भंते! पुण्णियं किं कुलं पुच्छा। गोयमा! कुलं वा जोएइ, उवकुलं वा जोएइ, नो कुलोवकुलं जोएइ। कुलं जोएमाणे कत्तिया नक्खत्ते जोएइ, उवकुलं जोएमाणे भरणी नक्खत्ते जोएइ। कत्तिइण्णं पुण्णिमं कुलं वा जोएइ, उवकुलं वा जोएइ। कुलेणं वा जुत्ता उवकुलेण वा जुत्ता कत्तिई पुण्णिमा जुत्तत्ति वत्तव्वं सिया। मग्गसिरिण्णं भंते! पुण्णिमं किं कुलं तं चेव दो जोएइ, नो भवइ कुलोवकुलं। कुलं जोएमाणे मग्गसिर नक्खत्ते जोएइ, उवकुलं जोएमाणे रोहिणी नक्खत्ते जोएइ। मग्गसिरिण्णं पुण्णिमं जाव वत्तव्वं सिया। एवं सेसियाओवि जाव आसाढिं पोसिं जेट्ठामूलिं च कुलं वा उवकुलं वा कुलोवकुलं वा। सेसियाणं कुलं वा उवकुलं वा, कुलोवकुलं ण भण्णइ। साविट्ठिण्णं भंते! अमावसं कइ नक्खत्ता जोएंति? गोयमा! दो नक्खत्ता जोएंति, तं जहा–अस्सेसा य महा य पोट्ठवइण्णं भंते! अमावसं कइ नक्खत्ता जोएंति? गोयमा! दो नक्खत्ता जोएंति, तं जहा–पुव्वाफग्गुणी, उत्तराफग्गुणी य। अस्सोइण्णं भंते! दो–हत्थे चित्ता य। कत्तिइण्णं दो–साई विसाहा य। मग्गसिरिण्णं तिन्नि–अनुराहा जेट्ठा मूलो य। पोसिण्णं दो–पुव्वासाढा उत्तरासाढा। माहिण्णं तिन्नि–अभिई सवणो धनिट्ठा। फग्गुणिण्णं तिन्नि– सयभिसया पुव्वाभद्दवया उत्तराभद्दवया। चेत्तिण्णं दो–रेवई अस्सिणी य। वइसाहिण्णं दो– भरणी कत्तिया य। जेट्ठामूलिण्णं दो–रोहिणी मग्गसिरं च। आसाढिण्णं तिन्नि–अद्दा पुणव्वसू पुस्सो। साविट्ठिण्णं भंते! अमावसं किं कुलं जोएइ? उवकुलं जोएइ? कुलोवकुलं जोएइ? गोयमा! कुलं वा जोएइ, उवकुलं वा जोएइ, नो लब्भइ कुलोवकुलं। कुलं जोएमाणे महा नक्खत्ते जोएइ, उवकुलं जोएमाणे अस्सेसा नक्खत्ते जोएइ। साविट्ठिण्णं अमावसं कुलं वा जोएइ, उवकुलं वा जोएइ। कुलेण वा जुत्ता उवकुलेण वा जुत्ता साविट्ठी अमावसा जुत्तत्ति वत्तव्वं सिया। पोट्ठवइण्णं भंते! अमावसं तं चेव दो जोएइ, नो लब्भइ कुलोवकुलं। कुलं जोएमाणे उत्तराफग्गुणी नक्खत्ते जोएइ, उवकुलं जोएमाणे पुव्वाफग्गुणी नक्खत्ते जोएइ। पोट्ठवइण्णं अमावसं जाव जुत्तत्ति वत्तव्वं सिया। मग्गसिरिण्णं तं चेव कुलं मूले नक्खत्ते जोएइ, उवकुलं जेट्ठा नक्खत्ते जोएइ, कुलोवकुलं अणुराहा जाव जुत्तत्ति वत्तव्वं सिया। एवं माहीए फग्गुणीए आसाढीए कुलं वा उवकुलं वा कुलोवकुलं वा। अवसेसियाणं कुलं वा उवकुलं वा जोएइ जया णं भंते! साविट्ठी पुण्णिमा भवइ, तया णं माही अमावसा भवइ? जया णं माही पुण्णिमा भवइ, तया णं साविट्ठी अमावसा भवइ? हंता गोयमा! जया णं साविट्ठी तं चेव वत्तव्वं। जया णं भंते! पोट्ठवई पुण्णिमा भवइ, तया णं फग्गुणी अमावसा भवइ? जया णं फग्गुणी पुण्णिमा भवइ, तया णं पोट्ठवई अमावसा भवइ? हंता गोयमा! तं चेव। एवं एएणं अभिलावेणं इमाओ पुण्णिमाओ अमावसाओ नेयव्वाओ– अस्सिणी पुण्णिमा चेत्ती अमावसा, कत्तिगी पुण्णिमा वइसाही अमावसा, मग्गसिरी पुण्णिमा जेट्ठामूली अमावसा, पोसी पुण्णिमा आसाढी अमावसा। | ||
Sutra Meaning : | बारह उपकुल – श्रवण, पूर्वभाद्रपदा, रेवती, भरणी, रोहिणी, पुनर्वसु, अश्लेषा, पूर्वफाल्गुनी, हस्त, स्वाति, ज्येष्ठा तथा पूर्वाषाढा उपकुल। चार कुलोपकुल – अभिजित, शतभिषक्, आर्द्रा तथा अनुराधा कुलोपकुल। भगवन् ! पूर्णिमाएं तथा अमावस्याएं कितनी हैं ? गौतम ! बारह पूर्णिमाएं तथा बारह अमावस्याएं हैं, जैसे – श्राविष्ठी, प्रौष्ठपदी, आश्वयुजी, कार्तिकी, मार्गशीर्षी, पौषी, माघी, फाल्गुनी, चैत्री, वैशाखी, ज्येष्ठामूली तथा आषाढी। भगवन् ! श्रावणी पूर्णमाणी के साथ कितने नक्षत्रों का योग होता है ? गौतम ! अभिजित, श्रवण तथा धनिष्ठा का। भाद्रपदी पूर्णिमा के साथ शतभिषक्, पूर्वभाद्रपदा तथा उत्तरभाद्रपदा – नक्षत्रों का योग होता है। आसौजी पूर्णिमा के साथ रेवती तथा अश्विनी – नक्षत्रों का, कार्तिक पूर्णिमा के साथ भरणी तथा कृत्तिका का, मार्गशीर्षी के साथ रोहिणी तथा मृगशिर का, पौषी पूर्णिमा के साथ आर्द्रा, पुनर्वसु तथा पुष्य का, माघी पूर्णिमा के साथ अश्लेषा और मघा का, फाल्गुनी पूर्णिमा के साथ पूर्वाफाल्गुनी तथा उत्तराफाल्गुनी का, चैत्री पूर्णिमा के साथ हस्त एवं चित्रा का, वैशाखी पूर्णिमा के साथ स्वाति और विशाखा का, ज्येष्ठामूली पूर्णिमा के साथ अनुराधा, ज्येष्ठा एवं मूल का तथा आषाढी पूर्णिमा के साथ पूर्वाषाढा और उत्तराषाढा – नक्षत्रों का योग होता है। भगवन् ! श्रावणी पूर्णिमा के साथ क्या कुल का, उपकुल का या कुलोपकुल नक्षत्रों का योग होता है ? गौतम ! तीनों का योग होता है। कुलयोग में धनिष्ठा, उपकुलयोग में श्रवण तथा कुलोपकुलयोग में अभिजित नक्षत्र का योग होता है। भाद्रपदी पूर्णिमा के साथ कुल, उपकुल तथा कुलोपकुल का योग होता है। कुलयोग में उत्तर – भाद्रपदा, उपकुलयोग में पूर्वभाद्रपदा तथा कुलोपकुलयोग में शतभिषक् नक्षत्र का योग होता है। आसौजी पूर्णिमा के साथ कुल का और उपकुल का योग होता है। कुलयोग में अश्विनी और उपकुलयोग में रेवती नक्षत्र का योग होता है। कार्तिकी पूर्णिमा के साथ कुल और उपकुल का योग होता है, कुलयोग में कृत्तिका और उपकुलयोग में भरणी नक्षत्र का योग होता है। मार्गशीर्षी पूर्णिमा के साथ कुलयोग में मृगशिर और उपकुलयोग में रोहिणी नक्षत्र का योग होता है। आषाढी पूर्णिमा तक का वर्णन वैसा ही है। इतना अन्तर है – पौषी तथा ज्येष्ठामूली पूर्णिमा के साथ कुल, उपकुल तथा कुलोपकुल का योग होता है। बाकी की पूर्णिमाओं के साथ कुल एवं उपकुल का योग होता है। श्रावणी अमावस्या के साथ कितने नक्षत्रों का योग होता है ? गौतम ! अश्लेषा तथा मघा – का योग होता है। भाद्रपदी अमावस्या के साथ पूर्वाफाल्गुनी तथा उत्तराफाल्गुनी – का, आसौजी अमावस्या के साथ हस्त एवं चित्रा – का, कार्तिकी अमावस्या के साथ स्वाति और विशाखा का, मार्गशीर्षी अमावस्या के साथ अनुराधा, ज्येष्ठा तथा मूल का, पौषी अमावस्या के साथ पूर्वाषाढा तथा उत्तराषाढा – का, माघी अमावस्या के साथ अभिजित, श्रवण और धनिष्ठा – का, फाल्गुनी अमावस्या के साथ शतभिषक् पूर्वभाद्रपदा एवं उत्तरभाद्रपदा – का, चैत्री अमावस्या के साथ रेवती और अश्विनी – का, वैशाखी अमावस्या के साथ भरणी तथा कृत्तिका – का, ज्येष्ठामूली अमावस्या के साथ रोहिणी एवं मृगशिर का और आषाढी अमावस्या के साथ आर्द्रा, पुनर्वसु तथा पुष्य – नक्षत्रों का योग होता है। भगवन् ! श्रावणी अमावस्या के साथ क्या कुल का, उपकुल का या कुलोपकुल का योग होता है ? गौतम! कुल और उपकुल का योग होता है, कुलयोग में मघा और उत्तराफाल्गुनी और उपकुलयोग में पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र का योग होता है। मार्गशीर्षी अमावस्या के साथ कुलयोग में मूल, उपकुलयोग में ज्येष्ठा तथा कुलोपकुलयोग में अनुराधा नक्षत्र का योग होता है। माघी, फाल्गुनी तथा आषाढी अमावस्या के साथ कुल, उपकुल एवं कुलोपकुल का योग होता है, बाकी की अमावस्याओं के साथ कुल एवं उपकुल का योग होता है। भगवन् ! क्या जब श्रवण नक्षत्र से युक्त पूर्णिमा होती है, तब क्या तत्पूर्ववर्तिनी अमावस्या मघा नक्षत्रयुक्त होती है ? और जब पूर्णिमा मघा नक्षत्रयुक्त होती है तब क्या तत्पश्चाद् भाविनी अमावस्या श्रवण नक्षत्रयुक्त होती है? गौतम ! ऐसा ही होता है। जब पूर्णिमा उत्तरभाद्रपदा नक्षत्रयुक्त होती है, तब तत्पश्चात् भाविनी अमावस्या उत्तरफाल्गुनी नक्षत्रयुक्त होती है। जब पूर्णिमा उत्तरफाल्गुनी नक्षत्रयुक्त होती है, तब अमावस्या उत्तरभाद्रपदा नक्षत्र युक्त होती है। जब पूर्णिमा अश्विनी नक्षत्रयुक्त होती है, तब पश्चाद्वर्तिनी अमावस्या चित्रा नक्षत्रयुक्त होती है। जब पूर्णिमा चित्रा नक्षत्रयुक्त होती है, तो अमावस्या अश्विनी नक्षत्रयुक्त होती है। जब पूर्णिमा कृत्तिका नक्षत्रयुक्त होती है, तब अमावस्या विशाखा नक्षत्रयुक्त होती है। जब पूर्णिमा विशाखा नक्षत्रयुक्त होती है, तब अमावस्या कृत्तिका नक्षत्रयुक्त होती है। जब पूर्णिमा मृगशिर नक्षत्रयुक्त होती है, तब अमावस्या ज्येष्ठामूल नक्षत्रयुक्त होती है। जब पूर्णिमा पुष्य नक्षत्रयुक्त होती है, तब अमावस्या पूर्वाषाढा नक्षत्रयुक्त होती है। जब पूर्णिमा पूर्वाषाढा नक्षत्र – युक्त होती है, तो अमावस्या पुष्य नक्षत्रयुक्त होती है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] barasa uvakula, tam jaha–savano uvakulam puvvabhaddavaya uvakulam revai uvakulam bharani uvakulam rohini uvakulam punnavvasu uvakulam assesa uvakulam puvvaphagguni uvakulam hattho uvakulam sai uvakulam jettha uvakulam puvvasadha uvakulam. Chattari kulovakula tam jaha–abhii kulovakula sayabhisaya kulovakula adda kulovakula anuraha kulovakula. Kai nam bhamte! Punnimao, kai amavasao pannattao? Goyama! Barasa punnimao, barasa amavasao pannattao, tam jaha–savitthi potthavai asoi kattigi maggasiri posi mahi phagguni chetti vaisahi jetthamuli asadhi. Savitthinnam bhamte! Punnimasim kai nakkhatta jogam joemti? Goyama! Tinni nakkhatta jogam joemti, tam jaha–abhii savano dhanittha. Potthavainnam bhamte! Punnimam kai nakkhatta jogam joemti? Goyama! Tinni nakkhatta jogam joemti, tam jaha–sayabhisaya puvvabhaddavaya uttarabhaddavaya. Assoinnam bhamte! Punnimam kai nakkhatta jogam joemti? Goyama! Do nakkhatta jogam joemti, tam jaha–revai assini ya. Kattiinnam do–bharani kattiya. Maggasirinnam do–rohini maggasiram cha. Posinnam tinni–adda punavvasu pusso. Maghinnam do–assesa magha ya. Phagguninnam do–puvvaphagguni uttaraphagguni ya. Chettinnam do–hattho chitta ya. Visahinnam do–sai visaha ya. Jetthamulinnam tinni–anuraha jettha mulo. Asadhinnam do–puvvasadha uttarasadha. Savitthinnam bhamte! Punnimam kim kulam joei? Uvakulam joei? Kulovakulam joei? Goyama! Kulam va joei, uvakulam va joei, kulovakulam va joei. Kulam joemane dhanittha nakkhatte joei, uvakulam joemane savane nakkhatte joei, kulokulam joemane abhii nakkhatte joei. Savitthinnam punnimasim kulam va joei uvakulam va joei, kulovakulam va joei. Kulena va jutta uvakulena va jutta kulovakulena va jutta savitthi punnima juttatti vattavvam siya. Potthavainnam bhamte! Punnimam kim kulam joei puchchha. Goyama! Kulam va uvakulam va kulovakulam va joei. Kulam joemane uttarabhaddavaya nakkhatte joei, uvakulam joemane puvvabhaddavaya nakkhatte joei, kulovakulam joemane sayabhisaya nakkhatte joei. Potthavainnam punnimam kulam va joei java kulovakulam va joei. Kulena va jutta java kulovakulena va jutta potthavai punnamasi juttatti vattavvam siya. Assoinnam bhamte! Puchchha. Goyama! Kulam va joei, uvakulam va joei, no labbhai kulovakulam. Kulam joemane assini nakkhatte joei, uvakulam joemane revai nakkhatte joei. Assoinnam punnimam kulam va joei, uvakulam va joei. Kulena va jutta uvakulena va jutta assoi punnima juttatti vattavvam siya. Kattiinnam bhamte! Punniyam kim kulam puchchha. Goyama! Kulam va joei, uvakulam va joei, no kulovakulam joei. Kulam joemane kattiya nakkhatte joei, uvakulam joemane bharani nakkhatte joei. Kattiinnam punnimam kulam va joei, uvakulam va joei. Kulenam va jutta uvakulena va jutta kattii punnima juttatti vattavvam siya. Maggasirinnam bhamte! Punnimam kim kulam tam cheva do joei, no bhavai kulovakulam. Kulam joemane maggasira nakkhatte joei, uvakulam joemane rohini nakkhatte joei. Maggasirinnam punnimam java vattavvam siya. Evam sesiyaovi java asadhim posim jetthamulim cha kulam va uvakulam va kulovakulam va. Sesiyanam kulam va uvakulam va, kulovakulam na bhannai. Savitthinnam bhamte! Amavasam kai nakkhatta joemti? Goyama! Do nakkhatta joemti, tam jaha–assesa ya maha ya Potthavainnam bhamte! Amavasam kai nakkhatta joemti? Goyama! Do nakkhatta joemti, tam jaha–puvvaphagguni, uttaraphagguni ya. Assoinnam bhamte! Do–hatthe chitta ya. Kattiinnam do–sai visaha ya. Maggasirinnam tinni–anuraha jettha mulo ya. Posinnam do–puvvasadha uttarasadha. Mahinnam tinni–abhii savano dhanittha. Phagguninnam tinni– sayabhisaya puvvabhaddavaya uttarabhaddavaya. Chettinnam do–revai assini ya. Vaisahinnam do– bharani kattiya ya. Jetthamulinnam do–rohini maggasiram cha. Asadhinnam tinni–adda punavvasu pusso. Savitthinnam bhamte! Amavasam kim kulam joei? Uvakulam joei? Kulovakulam joei? Goyama! Kulam va joei, uvakulam va joei, no labbhai kulovakulam. Kulam joemane maha nakkhatte joei, uvakulam joemane assesa nakkhatte joei. Savitthinnam amavasam kulam va joei, uvakulam va joei. Kulena va jutta uvakulena va jutta savitthi amavasa juttatti vattavvam siya. Potthavainnam bhamte! Amavasam tam cheva do joei, no labbhai kulovakulam. Kulam joemane uttaraphagguni nakkhatte joei, uvakulam joemane puvvaphagguni nakkhatte joei. Potthavainnam amavasam java juttatti vattavvam siya. Maggasirinnam tam cheva kulam mule nakkhatte joei, uvakulam jettha nakkhatte joei, kulovakulam anuraha java juttatti vattavvam siya. Evam mahie phaggunie asadhie kulam va uvakulam va kulovakulam va. Avasesiyanam kulam va uvakulam va joei Jaya nam bhamte! Savitthi punnima bhavai, taya nam mahi amavasa bhavai? Jaya nam mahi punnima bhavai, taya nam savitthi amavasa bhavai? Hamta goyama! Jaya nam savitthi tam cheva vattavvam. Jaya nam bhamte! Potthavai punnima bhavai, taya nam phagguni amavasa bhavai? Jaya nam phagguni punnima bhavai, taya nam potthavai amavasa bhavai? Hamta goyama! Tam cheva. Evam eenam abhilavenam imao punnimao amavasao neyavvao– assini punnima chetti amavasa, kattigi punnima vaisahi amavasa, maggasiri punnima jetthamuli amavasa, posi punnima asadhi amavasa. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Baraha upakula – shravana, purvabhadrapada, revati, bharani, rohini, punarvasu, ashlesha, purvaphalguni, hasta, svati, jyeshtha tatha purvashadha upakula. Chara kulopakula – abhijita, shatabhishak, ardra tatha anuradha kulopakula. Bhagavan ! Purnimaem tatha amavasyaem kitani haim\? Gautama ! Baraha purnimaem tatha baraha amavasyaem haim, jaise – shravishthi, praushthapadi, ashvayuji, kartiki, margashirshi, paushi, maghi, phalguni, chaitri, vaishakhi, jyeshthamuli tatha ashadhi. Bhagavan ! Shravani purnamani ke satha kitane nakshatrom ka yoga hota hai\? Gautama ! Abhijita, shravana tatha dhanishtha ka. Bhadrapadi purnima ke satha shatabhishak, purvabhadrapada tatha uttarabhadrapada – nakshatrom ka yoga hota hai. Asauji purnima ke satha revati tatha ashvini – nakshatrom ka, kartika purnima ke satha bharani tatha krittika ka, margashirshi ke satha rohini tatha mrigashira ka, paushi purnima ke satha ardra, punarvasu tatha pushya ka, maghi purnima ke satha ashlesha aura magha ka, phalguni purnima ke satha purvaphalguni tatha uttaraphalguni ka, chaitri purnima ke satha hasta evam chitra ka, vaishakhi purnima ke satha svati aura vishakha ka, jyeshthamuli purnima ke satha anuradha, jyeshtha evam mula ka tatha ashadhi purnima ke satha purvashadha aura uttarashadha – nakshatrom ka yoga hota hai. Bhagavan ! Shravani purnima ke satha kya kula ka, upakula ka ya kulopakula nakshatrom ka yoga hota hai\? Gautama ! Tinom ka yoga hota hai. Kulayoga mem dhanishtha, upakulayoga mem shravana tatha kulopakulayoga mem abhijita nakshatra ka yoga hota hai. Bhadrapadi purnima ke satha kula, upakula tatha kulopakula ka yoga hota hai. Kulayoga mem uttara – bhadrapada, upakulayoga mem purvabhadrapada tatha kulopakulayoga mem shatabhishak nakshatra ka yoga hota hai. Asauji purnima ke satha kula ka aura upakula ka yoga hota hai. Kulayoga mem ashvini aura upakulayoga mem revati nakshatra ka yoga hota hai. Kartiki purnima ke satha kula aura upakula ka yoga hota hai, kulayoga mem krittika aura upakulayoga mem bharani nakshatra ka yoga hota hai. Margashirshi purnima ke satha kulayoga mem mrigashira aura upakulayoga mem rohini nakshatra ka yoga hota hai. Ashadhi purnima taka ka varnana vaisa hi hai. Itana antara hai – paushi tatha jyeshthamuli purnima ke satha kula, upakula tatha kulopakula ka yoga hota hai. Baki ki purnimaom ke satha kula evam upakula ka yoga hota hai. Shravani amavasya ke satha kitane nakshatrom ka yoga hota hai\? Gautama ! Ashlesha tatha magha – ka yoga hota hai. Bhadrapadi amavasya ke satha purvaphalguni tatha uttaraphalguni – ka, asauji amavasya ke satha hasta evam chitra – ka, kartiki amavasya ke satha svati aura vishakha ka, margashirshi amavasya ke satha anuradha, jyeshtha tatha mula ka, paushi amavasya ke satha purvashadha tatha uttarashadha – ka, maghi amavasya ke satha abhijita, shravana aura dhanishtha – ka, phalguni amavasya ke satha shatabhishak purvabhadrapada evam uttarabhadrapada – ka, chaitri amavasya ke satha revati aura ashvini – ka, vaishakhi amavasya ke satha bharani tatha krittika – ka, jyeshthamuli amavasya ke satha rohini evam mrigashira ka aura ashadhi amavasya ke satha ardra, punarvasu tatha pushya – nakshatrom ka yoga hota hai. Bhagavan ! Shravani amavasya ke satha kya kula ka, upakula ka ya kulopakula ka yoga hota hai\? Gautama! Kula aura upakula ka yoga hota hai, kulayoga mem magha aura uttaraphalguni aura upakulayoga mem purvaphalguni nakshatra ka yoga hota hai. Margashirshi amavasya ke satha kulayoga mem mula, upakulayoga mem jyeshtha tatha kulopakulayoga mem anuradha nakshatra ka yoga hota hai. Maghi, phalguni tatha ashadhi amavasya ke satha kula, upakula evam kulopakula ka yoga hota hai, baki ki amavasyaom ke satha kula evam upakula ka yoga hota hai. Bhagavan ! Kya jaba shravana nakshatra se yukta purnima hoti hai, taba kya tatpurvavartini amavasya magha nakshatrayukta hoti hai\? Aura jaba purnima magha nakshatrayukta hoti hai taba kya tatpashchad bhavini amavasya shravana nakshatrayukta hoti hai? Gautama ! Aisa hi hota hai. Jaba purnima uttarabhadrapada nakshatrayukta hoti hai, taba tatpashchat bhavini amavasya uttaraphalguni nakshatrayukta hoti hai. Jaba purnima uttaraphalguni nakshatrayukta hoti hai, taba amavasya uttarabhadrapada nakshatra yukta hoti hai. Jaba purnima ashvini nakshatrayukta hoti hai, taba pashchadvartini amavasya chitra nakshatrayukta hoti hai. Jaba purnima chitra nakshatrayukta hoti hai, to amavasya ashvini nakshatrayukta hoti hai. Jaba purnima krittika nakshatrayukta hoti hai, taba amavasya vishakha nakshatrayukta hoti hai. Jaba purnima vishakha nakshatrayukta hoti hai, taba amavasya krittika nakshatrayukta hoti hai. Jaba purnima mrigashira nakshatrayukta hoti hai, taba amavasya jyeshthamula nakshatrayukta hoti hai. Jaba purnima pushya nakshatrayukta hoti hai, taba amavasya purvashadha nakshatrayukta hoti hai. Jaba purnima purvashadha nakshatra – yukta hoti hai, to amavasya pushya nakshatrayukta hoti hai. |