Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1007735 | ||
Scripture Name( English ): | Jambudwippragnapati | Translated Scripture Name : | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत |
Translated Chapter : |
वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 135 | Category : | Upang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] महाहिमवंतस्स णं बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं एगे महापउमद्दहे नामं दहे पन्नत्ते–दो जोयणसहस्साइं आयामेणं, एगं जोयणसहस्सं विक्खंभेणं, दस जोयणाइं उव्वेहेणं, अच्छे रययामयकूले एवं आयाम-विक्खंभविहूणा जा चेव पउमद्दहस्स वत्तव्वया सा चेव नेयव्वा। पउमप्पमाणं दो जोयणाइं अट्ठो जाव महापउमद्दहवण्णाभाइं। हिरी य एत्थ देवी महिड्ढीया जाव पलिओवमट्ठिईया परिवसइ। से एएणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ– महापउमद्दहे-महापउमद्दहे। अदुत्तरं च णं गोयमा! महापउमद्दहस्स सासए नामधेज्जे पन्नत्ते–जं न कयाइ नासी य कयाइ नत्थि न कयाइ न भविस्सइ भुविं च भवइ य भविस्सइ य धुवे नियए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए निच्चे। तस्स णं महापउमद्दहस्स दक्खिणिल्लेणं तोरणेणं रोहिया महानई पवूढा समाणी सोलस पंचुत्तरे जोयणसए पंच य एगूनवीसइभाए जोयणस्स दाहिनाभिमुही पव्वएणं गंता महया घडमुह-पवत्तिएणं मुत्तावलिहारसंठिएणं साइरेगदोजोयणसइएणं पवाएणं पवडइ। रोहिया णं महानई जओ पवडइ, एत्थ णं महं एगा जिब्भिया पन्नत्ता। सा णं जिब्भिया जोयणं आयामेणं, अद्धतेरसजोयणाइं विक्खंभेणं, कोसं बाहल्लेणं, मगरमुहविउट्टसंठाणसंठिया सव्व-वइरामई अच्छा। रोहिया णं महानई जहिं पवडइ, एत्थ णं महं एगे रोहियप्पवायकुंडे नामं कुंडे पन्नत्ते–सवीसं जोयणसयं आयाम विक्खंभेणं, तिन्नि असीए जोयणसए किंचिविसेसूने परिक्खेवेणं, दस जोयणाइं उव्वेहेणं, अच्छे सण्हे सो चेव वण्णओ, वइरतले वट्टे समतीरे जाव तोरणा। तस्स णं रोहियप्पवायकुंडस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महं एगे रोहियदीवे नामं दीवे पन्नत्ते–सोलस जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, साइरेगाइं पन्नासं जोयणाइं परिक्खेवेणं, दो कोसे ऊसिए जलंताओ, सव्ववइरामए अच्छे। से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वनसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते। रोहियदीवस्स णं दीवस्स उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पन्नत्ते। तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महं एगे भवने पन्नत्ते–कोसं आयामेणं, सेसं तं चेव पमाणं च अट्ठो य भाणियव्वो। तस्स णं रोहियप्पवायकुंडस्स दक्खिणिल्लेणं तोरणेणं रोहिया महानई पवूढा समाणी हेमवयं वासं एज्जेमाणी एज्जेमाणी सद्दावइं वट्टवेयड्ढपव्वयं अद्धजोयणेणं असंपत्ता पुरत्थाभिमुही आवत्ता समाणी हेमवयं वासं दुहा विभयमाणी-विभयमाणी अट्ठावीसाए सलिलासहस्सेहिं समग्गा अहे जगइं दालइत्ता पुरत्थिमेणं लवणसमुद्दं समप्पेइ। रोहिया णं पवहे अद्धतेरसजोयणाइं विक्खंभेणं, कोसं उव्वेहेणं, तयनंतरं च णं मायाए-मायाए परिवड्ढमाणी-परिवड्ढमाणी मुहमूले पणवीसं जोयणसयं विक्खंभेणं, अड्ढाइज्जाइं जोयणाइं उव्वेहेणं, उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइयाहिं दोहि य वनसंडेहिं संपरिक्खित्ता। तस्स णं महापउमद्दहस्स उत्तरिल्लेणं तोरणेणं हरिकंता महानई पवूढा समाणी सोलस पंचुत्तरे जोयणसए पंच य एगूनवीसइभाए जोयणस्स उत्तराभिमुही पव्वएणं गंता महया घडमुहपवत्तिएणं मुत्तावलिहारसंठिएणं साइरेगदुजोयणसइएणं पवाएणं पवडइ। हरिकंता महानई जओ पवडइ, एत्थ णं महं एगा जिब्भिया पन्नत्ता–दो जोयणाइं आयामेणं, पणवीसं जोयणाइं विक्खंभेणं, अद्धजोयणं बाहल्लेणं, मगरमुहविउट्टसंठाणसंठिया सव्वरयणामई अच्छा। हरिकंता णं महानई जहिं पवडइ, एत्थ णं महं एगे हरिकंतप्पवायकुंडे नामं कुंडे पन्नत्ते–दोन्नि य चत्ताले जोयणसए आयामविक्खंभेणं, सत्तअउणट्ठे जोयणसए परिक्खेवेणं, अच्छे, एवं कुंडवत्तव्वया सव्वा नेयव्वा जाव तोरणा। तस्स णं हरिकंतप्पवायकुंडस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महं एगे हरिकंतदीवे नामं दीवे पन्नत्ते–बत्तीसं जोयणाइं आयामविक्खंभेणं एगुत्तरं जोयणसयं परिक्खेवेणं, दो कोसे ऊसिए जलंताओ, सव्वरयणामए अच्छे। से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वनसंडेण सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, वण्णओ भाणियव्वो, पमाणं च सयणिज्जं च अट्ठो य भाणियव्वो। तस्स णं हरिकंतप्पवायकुंडस्स उत्तरिल्लेणं तोरणेणं हरिकंता महानई पवूढा समाणी हरिवासं वासं एज्जेमाणी-एज्जेमाणी वियडावइं वट्टवेयड्ढं जोयणेणं असंपत्ता पच्चत्थाभिमुही आवत्ता समाणी हरिवासं दुहा विभयमाणी-विभयमाणी छप्पन्नाए सलिलासहस्सेहिं समग्गा अहे जगइं दालइत्ता पच्चत्थिमेणं लवणसमुद्दं समप्पेइ। हरिकंता णं महानई पवहे पणवीसं जोयणाइं विक्खंभेणं, अद्धजोयणं उव्वेहेणं, तयनंतरं च णं मायाए-मायाए परिवड्ढमाणी-परिवड्ढमाणी मुहमूले अड्ढाइज्जाइं जोयणसयाइं विक्खंभेणं, पंच जोयणाइं उव्वेहेणं उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइयाहिं दोहि य वनसंडेहिं संपरिक्खित्ता। | ||
Sutra Meaning : | महाहिमवान् पर्वत के बीचोंबीच महापद्मद्रह है। वह २००० योजन लम्बा तथा १००० योजन चौड़ा है। वह दश योजन जमीन में गहरा है। वह स्वच्छ है, रजतमय तटयुक्त है। शेष वर्णन पद्मद्रह के सदृश है। उसके मध्य में जो पद्म है, वह दो योजन का है। शेष वर्णन पद्मद्रह के पद्म के सदृश है। वहाँ एक पल्योपमस्थितिक ह्री देवी निवास करती है। अथवा गौतम ! महाद्मद्रह नाम शाश्वत बतलाया गया है। उस महापद्मद्रह के दक्षिणी तोरण से रोहिता महानदी निकलती है। वह हिमवान् पर्वत पर दक्षिणाभिमुख होती हुई १६०५ – ५/१९ योजन बहती है। घड़े के मुँह से निकलते हुए जल की ज्यों जोर से शब्द करती हुई वेगपूर्वक मोतियों से निर्मित हार के – से आकार में वह प्रपात में गिरती है। तब उसका प्रवाह साधिक २०० योजन होता है। रोहिता महानदी जहाँ गिरती है, वहाँ एक विशाल जिह्विका है। उसकी लम्बाई एक योजन और विस्तार १२११ योजन है। मोटाई एक कोश है। आकार मगरमच्छ के खुले मुँह जैसा है। वह सर्वथा स्वर्णमय है, स्वच्छ है। रोहिता महानदी जहाँ गिरती है, उस प्रपात का नाम रोहिताप्रपातकुण्ड है। वह १२० योजन लम्बा – चौड़ा है। परिधि कुछ कम ३८० योजन है। दश योजन गहरा है, स्वच्छ एवं सुकोमल है। उसका पेंदा हीरों से बना है। वह गोलाकार है। उसका तट समतल है। रोहिताप्रपातकुण्ड के बीचोंबीच रोहित द्वीप है। यह १६ योजन लम्बा – चौड़ा है। परिधि कुछ अधिक ५० योजन है। जल से दो कोश ऊपर ऊंचा उठा हुआ है। वह संपूर्णतः हीरकमय है, उज्ज्वल है। चारों ओर एक पद्मवरवेदिका द्वारा तथा एक वनखण्ड द्वारा घिरा हुआ है। रोहितद्वीप पर बहुत समतल तथा रमणीय भूमिभाग है। उस के ठीक बीच में एक विशाल भवन है। वह एक कोश लम्बा है। उस रोहितप्रपातकुण्ड के दक्षिणी तोरण से रोहिता महानदी निकलती है। वह हैमवत क्षेत्र की ओर आगे बढ़ती है। शब्दापाती वृत्तवैताढ्य पर्वत जब आधा योजन दूर रह जाता है, तब वह पूर्व की ओर मुड़ती है और हैमवत क्षेत्र को दो भागों में बाँटती है। उसमें २८००० नदियाँ मिलती हैं। वह उनसे आपूर्ण होकर नीचे जम्बूद्वीप की जगती को चीरती हुई – पूर्वी लवणसमुद्र में मिल जाती है। शेष वर्णन रोहितांशा महानदी जैसा है। उस महापद्मद्रह के उत्तरी तोरण से हरिकान्ता महानदी निकलती है। वह उत्तराभिमुख होती हुई १६०५ – ५/१९ योजन पर्वत पर बहती है। फिर घड़े के मुँह से निकलते हुए जल की ज्यों जोर से शब्द करती हुई, वेगपूर्वक मोतियों से बने हार के आकार में प्रपात में गिरती है। उस समय ऊपर पर्वत – शिखर से नीचे प्रपात तक उसका प्रवाह कुछ अधिक २०० योजन का होता है। हरिकान्ता महानदी जहाँ गिरती हे, वहाँ एक विशाल जिह्विका है। वह दो योजन लम्बी तथा पच्चीस योजन चौड़ी है। आधा योजन मोटी है। उसका आकार मगरमच्छ के खुले हुए मुख के आकार जैसा है। वह सर्वरत्नमय है, स्वच्छ है। हरिकान्ता महानदी जिसमें गिरती हे, उसका नाम हरि – कान्ताप्रपातकुण्ड है। २४० योजन लम्बा – चौड़ा है। परिधि ७५९ योजन की है। वह निर्मल है। शेष पूर्ववत्। हरिकान्ताप्रपातकुण्ड के बीचों – बीच हरिकान्ताद्वीप है। वह ३२ योजन लम्बा – चौड़ा है। उसकी परिधि १०१ योजन है, वह जल से ऊपर दो कोश ऊंचा उठा हुआ है। वह सर्वरत्नमय है, स्वच्छ है। चारों ओर एक पद्म – वरवेदिका तथा एक वनखण्ड द्वारा घिरा हुआ है। शेष वर्णन पूर्ववत् जानना। हरिकान्ताप्रपातकुण्ड के उत्तरी तोरण से हरिकान्ता महानदी निकलती है। हरिवर्षक्षेत्र में बहती है, विकटापाती वृत्तवैताढ्य पर्वत के एक योजन दूर रहने पर वह पश्चिम की ओर मुड़ती है। हरिवर्षक्षेत्र को दो भागों में बाँटती है। उसमें ५६००० नदियाँ मिलती है। वह उनसे आपूर्ण होकर नीचे की ओर जम्बूद्वीप की जगती को चीरती हुई पश्चिमी लवणसमुद्र में मिल जाती है। हरिकान्ता महानदी जिस स्थान से उद्गत होती है, वहाँ उसकी चौड़ाई पच्चीस योजन तथा गहराई आधा योजन है। तदनन्तर क्रमशः उसकी मात्रा – बढ़ती है। जब वह समुद्र में मिलती है, तब उसकी चौड़ाई २५० योजन तथा गहराई पाँच योजन होती है। वह दोनों ओर दो पद्मवरवेदिकाओं से तथा दो वनखण्डों से घिरी हुई है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] mahahimavamtassa nam bahumajjhadesabhae, ettha nam ege mahapaumaddahe namam dahe pannatte–do joyanasahassaim ayamenam, egam joyanasahassam vikkhambhenam, dasa joyanaim uvvehenam, achchhe rayayamayakule evam ayama-vikkhambhavihuna ja cheva paumaddahassa vattavvaya sa cheva neyavva. Paumappamanam do joyanaim attho java mahapaumaddahavannabhaim. Hiri ya ettha devi mahiddhiya java paliovamatthiiya parivasai. Se eenatthenam goyama! Evam vuchchai– mahapaumaddahe-mahapaumaddahe. Aduttaram cha nam goyama! Mahapaumaddahassa sasae namadhejje pannatte–jam na kayai nasi ya kayai natthi na kayai na bhavissai bhuvim cha bhavai ya bhavissai ya dhuve niyae sasae akkhae avvae avatthie nichche. Tassa nam mahapaumaddahassa dakkhinillenam toranenam rohiya mahanai pavudha samani solasa pamchuttare joyanasae pamcha ya egunavisaibhae joyanassa dahinabhimuhi pavvaenam gamta mahaya ghadamuha-pavattienam muttavaliharasamthienam sairegadojoyanasaienam pavaenam pavadai. Rohiya nam mahanai jao pavadai, ettha nam maham ega jibbhiya pannatta. Sa nam jibbhiya joyanam ayamenam, addhaterasajoyanaim vikkhambhenam, kosam bahallenam, magaramuhaviuttasamthanasamthiya savva-vairamai achchha. Rohiya nam mahanai jahim pavadai, ettha nam maham ege rohiyappavayakumde namam kumde pannatte–savisam joyanasayam ayama vikkhambhenam, tinni asie joyanasae kimchivisesune parikkhevenam, dasa joyanaim uvvehenam, achchhe sanhe so cheva vannao, vairatale vatte samatire java torana. Tassa nam rohiyappavayakumdassa bahumajjhadesabhae, ettha nam maham ege rohiyadive namam dive pannatte–solasa joyanaim ayamavikkhambhenam, sairegaim pannasam joyanaim parikkhevenam, do kose usie jalamtao, savvavairamae achchhe. Se nam egae paumavaraveiyae egena ya vanasamdenam savvao samamta samparikkhitte. Rohiyadivassa nam divassa uppim bahusamaramanijje bhumibhage pannatte. Tassa nam bahusamaramanijjassa bhumibhagassa bahumajjhadesabhae, ettha nam maham ege bhavane pannatte–kosam ayamenam, sesam tam cheva pamanam cha attho ya bhaniyavvo. Tassa nam rohiyappavayakumdassa dakkhinillenam toranenam rohiya mahanai pavudha samani hemavayam vasam ejjemani ejjemani saddavaim vattaveyaddhapavvayam addhajoyanenam asampatta puratthabhimuhi avatta samani hemavayam vasam duha vibhayamani-vibhayamani atthavisae salilasahassehim samagga ahe jagaim dalaitta puratthimenam lavanasamuddam samappei. Rohiya nam pavahe addhaterasajoyanaim vikkhambhenam, kosam uvvehenam, tayanamtaram cha nam mayae-mayae parivaddhamani-parivaddhamani muhamule panavisam joyanasayam vikkhambhenam, addhaijjaim joyanaim uvvehenam, ubhao pasim dohim paumavaraveiyahim dohi ya vanasamdehim samparikkhitta. Tassa nam mahapaumaddahassa uttarillenam toranenam harikamta mahanai pavudha samani solasa pamchuttare joyanasae pamcha ya egunavisaibhae joyanassa uttarabhimuhi pavvaenam gamta mahaya ghadamuhapavattienam muttavaliharasamthienam sairegadujoyanasaienam pavaenam pavadai. Harikamta mahanai jao pavadai, ettha nam maham ega jibbhiya pannatta–do joyanaim ayamenam, panavisam joyanaim vikkhambhenam, addhajoyanam bahallenam, magaramuhaviuttasamthanasamthiya savvarayanamai achchha. Harikamta nam mahanai jahim pavadai, ettha nam maham ege harikamtappavayakumde namam kumde pannatte–donni ya chattale joyanasae ayamavikkhambhenam, sattaaunatthe joyanasae parikkhevenam, achchhe, evam kumdavattavvaya savva neyavva java torana. Tassa nam harikamtappavayakumdassa bahumajjhadesabhae, ettha nam maham ege harikamtadive namam dive pannatte–battisam joyanaim ayamavikkhambhenam eguttaram joyanasayam parikkhevenam, do kose usie jalamtao, savvarayanamae achchhe. Se nam egae paumavaraveiyae egena ya vanasamdena savvao samamta samparikkhitte, vannao bhaniyavvo, pamanam cha sayanijjam cha attho ya bhaniyavvo. Tassa nam harikamtappavayakumdassa uttarillenam toranenam harikamta mahanai pavudha samani harivasam vasam ejjemani-ejjemani viyadavaim vattaveyaddham joyanenam asampatta pachchatthabhimuhi avatta samani harivasam duha vibhayamani-vibhayamani chhappannae salilasahassehim samagga ahe jagaim dalaitta pachchatthimenam lavanasamuddam samappei. Harikamta nam mahanai pavahe panavisam joyanaim vikkhambhenam, addhajoyanam uvvehenam, tayanamtaram cha nam mayae-mayae parivaddhamani-parivaddhamani muhamule addhaijjaim joyanasayaim vikkhambhenam, pamcha joyanaim uvvehenam ubhao pasim dohim paumavaraveiyahim dohi ya vanasamdehim samparikkhitta. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Mahahimavan parvata ke bichombicha mahapadmadraha hai. Vaha 2000 yojana lamba tatha 1000 yojana chaura hai. Vaha dasha yojana jamina mem gahara hai. Vaha svachchha hai, rajatamaya tatayukta hai. Shesha varnana padmadraha ke sadrisha hai. Usake madhya mem jo padma hai, vaha do yojana ka hai. Shesha varnana padmadraha ke padma ke sadrisha hai. Vaham eka palyopamasthitika hri devi nivasa karati hai. Athava gautama ! Mahadmadraha nama shashvata batalaya gaya hai. Usa mahapadmadraha ke dakshini torana se rohita mahanadi nikalati hai. Vaha himavan parvata para dakshinabhimukha hoti hui 1605 – 5/19 yojana bahati hai. Ghare ke mumha se nikalate hue jala ki jyom jora se shabda karati hui vegapurvaka motiyom se nirmita hara ke – se akara mem vaha prapata mem girati hai. Taba usaka pravaha sadhika 200 yojana hota hai. Rohita mahanadi jaham girati hai, vaham eka vishala jihvika hai. Usaki lambai eka yojana aura vistara 1211 yojana hai. Motai eka kosha hai. Akara magaramachchha ke khule mumha jaisa hai. Vaha sarvatha svarnamaya hai, svachchha hai. Rohita mahanadi jaham girati hai, usa prapata ka nama rohitaprapatakunda hai. Vaha 120 yojana lamba – chaura hai. Paridhi kuchha kama 380 yojana hai. Dasha yojana gahara hai, svachchha evam sukomala hai. Usaka pemda hirom se bana hai. Vaha golakara hai. Usaka tata samatala hai. Rohitaprapatakunda ke bichombicha rohita dvipa hai. Yaha 16 yojana lamba – chaura hai. Paridhi kuchha adhika 50 yojana hai. Jala se do kosha upara umcha utha hua hai. Vaha sampurnatah hirakamaya hai, ujjvala hai. Charom ora eka padmavaravedika dvara tatha eka vanakhanda dvara ghira hua hai. Rohitadvipa para bahuta samatala tatha ramaniya bhumibhaga hai. Usa ke thika bicha mem eka vishala bhavana hai. Vaha eka kosha lamba hai. Usa rohitaprapatakunda ke dakshini torana se rohita mahanadi nikalati hai. Vaha haimavata kshetra ki ora age barhati hai. Shabdapati vrittavaitadhya parvata jaba adha yojana dura raha jata hai, taba vaha purva ki ora murati hai aura haimavata kshetra ko do bhagom mem bamtati hai. Usamem 28000 nadiyam milati haim. Vaha unase apurna hokara niche jambudvipa ki jagati ko chirati hui – purvi lavanasamudra mem mila jati hai. Shesha varnana rohitamsha mahanadi jaisa hai. Usa mahapadmadraha ke uttari torana se harikanta mahanadi nikalati hai. Vaha uttarabhimukha hoti hui 1605 – 5/19 yojana parvata para bahati hai. Phira ghare ke mumha se nikalate hue jala ki jyom jora se shabda karati hui, vegapurvaka motiyom se bane hara ke akara mem prapata mem girati hai. Usa samaya upara parvata – shikhara se niche prapata taka usaka pravaha kuchha adhika 200 yojana ka hota hai. Harikanta mahanadi jaham girati he, vaham eka vishala jihvika hai. Vaha do yojana lambi tatha pachchisa yojana chauri hai. Adha yojana moti hai. Usaka akara magaramachchha ke khule hue mukha ke akara jaisa hai. Vaha sarvaratnamaya hai, svachchha hai. Harikanta mahanadi jisamem girati he, usaka nama hari – kantaprapatakunda hai. 240 yojana lamba – chaura hai. Paridhi 759 yojana ki hai. Vaha nirmala hai. Shesha purvavat. Harikantaprapatakunda ke bichom – bicha harikantadvipa hai. Vaha 32 yojana lamba – chaura hai. Usaki paridhi 101 yojana hai, vaha jala se upara do kosha umcha utha hua hai. Vaha sarvaratnamaya hai, svachchha hai. Charom ora eka padma – varavedika tatha eka vanakhanda dvara ghira hua hai. Shesha varnana purvavat janana. Harikantaprapatakunda ke uttari torana se harikanta mahanadi nikalati hai. Harivarshakshetra mem bahati hai, vikatapati vrittavaitadhya parvata ke eka yojana dura rahane para vaha pashchima ki ora murati hai. Harivarshakshetra ko do bhagom mem bamtati hai. Usamem 56000 nadiyam milati hai. Vaha unase apurna hokara niche ki ora jambudvipa ki jagati ko chirati hui pashchimi lavanasamudra mem mila jati hai. Harikanta mahanadi jisa sthana se udgata hoti hai, vaham usaki chaurai pachchisa yojana tatha gaharai adha yojana hai. Tadanantara kramashah usaki matra – barhati hai. Jaba vaha samudra mem milati hai, taba usaki chaurai 250 yojana tatha gaharai pamcha yojana hoti hai. Vaha donom ora do padmavaravedikaom se tatha do vanakhandom se ghiri hui hai. |