Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1007728 | ||
Scripture Name( English ): | Jambudwippragnapati | Translated Scripture Name : | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत |
Translated Chapter : |
वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 128 | Category : | Upang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं एक्के महं पउमद्दहे नामं दहे पन्नत्ते–पाईणपडीणायए उदीणदाहिणविच्छिन्नेएक्कं जोयणसहस्सं आयामेणं, पंच जोयणसयाइं विक्खंभेणं, दस जोयणाइं उव्वेहेणं, अच्छे सण्हे रययामयकूले वइरामयपासाणे सुहोतारे सुउत्तारे णाणामणितित्थ बद्धे वइरतले सुवण्ण सुज्झ रययवालुयाए वेरुलियमणिफालियपडल पच्चोयडे वट्टे समतीरे अनुपुव्वसुजायवप्प गंभीरसीयलजले संछन्नपत्तभिसमुणाले बहुउप्पल कुमुय नलिन सुभग सोगंधिय पोंडरीय महापोंडरीय सयपत्त सहस्सपत्तपप्फुल्लकेसरोवचिए अच्छविमलपत्थसलिल-पुण्णे परिहत्थभमंतमच्छकच्छभ अनेगसउणगणमिहुणपविचरिय सद्दुण्णइयमहुरसरणाइए पासाईए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे। से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वनसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, वेइया वनसंड वण्णओ भाणियव्वो। तस्स णं पउमद्दहस्स चउद्दिसिं चत्तारि तिसोवानपडिरूवगा पन्नत्ता, वण्णावासो भाणियव्वो। तेसि णं तिसोवानपडिरूवगाणं पुरओ पत्तेयं-पत्तेयं तोरणे पन्नत्ते। ते णं तोरणा नानामणिमया तस्स णं पउमद्दहस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महं एगे पउमे पन्नत्ते–जोयणं आयाम विक्खंभेणं, अद्धजोयणं बाहल्लेणं, दस जोयणाइं उव्वेहेणं दो कोसे ऊसिए जलंताओ साइरेगाइं दसजोयणाइं सव्वग्गेणं पन्नत्ते। से णं एगाए जगईए सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, जंबुद्दीवजगइ-प्पमाणा गवक्खकडएवि तह चेव पमाणेणं। तस्स णं पउमस्स अयमेयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, तं जहा–वइरामया मूला रिट्ठामए कंदे वेरुलियामए नाले वेरुलियामया बाहिरपत्ता जंबूणयामया अब्भिंतरपत्ता तवणिज्जमया केसरा नानामणिमया पोक्खरत्थिभया कनगामई कण्णिगा, सा णं अद्धजोयणं आयामविक्खंभेणं, कोसं बाहल्लेणं, सव्वकनगामई अच्छा। तीसे णं कण्णियाए उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पन्नत्ते, से जहानामए आलिंगपुक्खरेइ वा। तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महं एगे भवने पन्नत्ते–कोसं आयामेणं, अद्धकोसं विक्खंभेणं, देसूणगं कोसं उड्ढं उच्चत्तेणं, अनेगखंभसयसन्निविट्ठे पासाईए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे। तस्स णं भवनस्स तिदिसिं तओ दारा पन्नत्ता। ते णं दारा पंचधनुसयाइं उढ्ढं उच्चत्तेणं, अड्ढाइज्जाइं धनुसयाइं विक्खंभेणं, तावतियं चेव पवेसेणं, सेया वरकनगथूभियागा जाव वनमालाओ नेयव्वाओ। तस्स णं भवनस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पन्नत्ते, से जहानामए आलिंगपुक्खरेइ वा तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स, बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महं एगा मणिपेढिया पन्नत्ता। सा णं मणिपेढिया पंचधनुसयाइं आयामविक्खंभेणं, अड्ढाइजाइं धनुसयाइं बाहल्लेणं, सव्वमणिमई अच्छा। तीसे णं मणिपेढियाए उप्पिं, एत्थ णं महं एगे सयणिज्जे पन्नत्ते, तं जहा–नानामणिमया पडिपादा, सोवण्णिया पादा, नानामणिमया पायसीसा, जंबूनयमयाइं गत्ताइं, वइरामया संधी, नानामणिमए वेच्चे, रइयामई तूली, लोहयक्खमया बिब्बोयणा, तवणिज्जमई गंडोवहाणिया। से णं देवसयणिज्जे सालिंगणवट्टीए उभओ बिब्बोयणे दुहओ उण्णए मज्झे नय-गंभीरे गंगापुलिनवालुया उद्दालसालिसए ओयविय खोमदुग्गुलपट्ट पडिच्छयणे आइणग रूत बूर नवनीय तूलफासे सुविरइय रयत्ताणे रत्तंसुयसंवुते सुरम्मे पासाईए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे। से णं पउमे अन्नेणं अट्ठसएणं पउमाणं तदद्धुच्चत्तप्पमाणमेत्ताणं सव्वओ समंता संपरि-क्खित्ते। ते णं पउमा अद्धजोयणं आयामविक्खंभेणं, कोसं बाहल्लेणं, दस जोयणाइं उव्वेहेणं, कोसं ऊसिया जलंताओ, साइरेगाइं दसजोयणाइं सव्वग्गेणं पन्नत्ते। तेसि णं पउमाणं अयमेयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, तं जहा–वइरामया मूला जाव कणगामई कण्णिया। सा णं कण्णिया कोसं आयामेणं, अद्धकोसं बाहल्लेणं सव्वकनगामई अच्छा। तीसे णं कण्णियाए उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पन्नत्ते जाव मणीहिं उवसोभिए। तस्स णं पउमस्स अवरुत्तरेणं उत्तरेणं उत्तरपुरत्थिमेणं, एत्थ णं सिरीए देवीए चउण्हं सामानियसाहस्सीणं चत्तारि पउमसाहस्सीओ पन्नत्ताओ। तस्स णं पउमस्स पुरत्थिमेणं, एत्थ णं सिरीए देवीए चउण्हं महत्तरियाणं चत्तारि पउमा पन्नत्ता तस्स णं पउमस्स दाहिणपुरत्थिमेणं, एत्थ णं सिरीए देवीए अब्भिंतरियाए परिसाए अट्ठण्हं देवसाहस्सीणं अट्ठ पउमसाहस्सीओ पन्नत्ताओ। दाहिणेणं मज्झिमपरिसाए दसण्हं देवसाहस्सीणं दस पउमसाहस्सीओ पन्नत्ताओ दाहिणपच्चत्थिमेणं बाहिरियाए परिसाए बारहसण्हं देवसाहस्सीणं बारस पउमसाहस्सीओ पन्नत्ताओ। पच्चत्थिमेणं सत्तण्हं अनियाहिवईणं सत्त पउमा पन्नत्ता। तस्स णं पउमस्स चउद्दिसिं सव्वओ समंता, एत्थ णं सिरीए देवीए सोलसण्हं आयरक्खदेव-साहस्सीणं सोलस पउमसाहस्सीओ पन्नत्ताओ। से णं पउमे तिहिं पउमपरिक्खेवेहिं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, तं जहा–अब्भिंतरएणं मज्झिमएणं बाहिरएणं। अब्भिंतरए पउमपरिक्खेवे बत्तीसं पउमसयसाहस्सीओ पन्नत्ताओ। मज्झि-मए पउमपरिक्खेवे चत्तालीसं पउमसयसाहस्सीओ पन्नत्ताओ। बाहिरए पउमपरिक्खेवे अडयालीसं पउमसयसाहस्सीओ पन्नत्ताओ। एवामेव सपुव्वावरेणं तिहिं पउमपरिक्खेवेहिं एगा पउमकोडी वीसं च पउमसयसाहस्सीओ भवंतीति अक्खायं। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–पउमद्दहे-पउमद्दहे? गोयमा! पउमद्दहे णं तत्थ-तत्थ देसे तहिं-तहिं बहवे उप्पलाइं जाव सहस्सपत्ताइं पउमद्दहप्पभाइं पउमद्दहागाराइं पउमद्दहवण्णाइं पउमद्दह-वण्णाभाइं, सिरी यत्थ देवी महिड्ढीया जाव पलिओवमट्ठिईया परिवसइ। से एएणट्ठेणं। अदुत्तरं च णं गोयमा! पउमद्दहस्स सासए नामधेज्जे पन्नत्ते–जं न कयाइ नासि न कयाइ नत्थि न कयाइ न भविस्सइ, भुविं च भवइ य भविस्सइ य धुवे नियए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए निच्चे | ||
Sutra Meaning : | उस अति समतल भूमिभाग के ठीक बीच में पद्मद्रह है। वह पूर्व – पश्चिम लम्बा तथा उत्तर – दक्षिण चौड़ा है। उसकी लम्बाई १००० योजन तथा चौड़ाई ५०० योजन है। उसकी गहराई दश योजन है। वह स्वच्छ, सुकोमल, रजतमय, तटयुक्त, सुन्दर एवं प्रतिरूप – है। वह द्रह एक पद्मवरवेदिका द्वारा तथा एक वनखण्ड द्वारा परिवेष्टित है। उस पद्मद्रह की चारों दिशाओं में तीन – तीन सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। उन सीढ़ि से प्रत्येक के आगे तोरणद्वार बने हैं। वे नाना प्रकार की मणियों से सुसज्जित है। उस पद्मद्रह के बीचों बीच एक विशाल पद्म है। वह एक योजन लम्बा, एक योजन चौड़ा है, आधा योजन मोटा है। दश योजन जल के भीतर गहरा है। दो कोश जल ऊंचा उठा हुआ है। इस प्रकार उस का कुछ विस्तार दश योजन से कुछ अधिक है। वह एक जगती – द्वारा सब ओर से घिरा है। उस प्रकार का प्रमाण जम्बूद्वीप के प्राकार तुल्य है। उस का गवाक्षसमूह – भी प्रमाणमें जम्बूद्वीप के गवाक्ष सदृश है। वह पद्म के मूल वज्ररत्नमय है। कन्द – रिष्टरत्नमय है। नाल वैडूर्यरत्नमय है। बाह्य पत्र – वैडूर्यरत्न हैं। आभ्यन्तर पत्र – जम्बूनद स्वर्णमय हैं केसर – किञ्चल्क तपनीय रक्त स्वर्णमय हैं। पुष्करास्थिभाग विविध मणिमय हैं। कर्णिका स्वर्णमय है। यह कर्णिका आधा योजन लम्बी – चौड़ी है, सर्वथा स्वर्णमय है। स्वच्छ – उज्ज्वल है। उस कर्णिका के ऊपर अत्यन्त समतल एवं सुन्दर भूमिभाग है। वह ढोलक पर मढ़े हुए चर्मपुट की ज्यों समतल है। उस भूमिभाग के ठीक बीच में विशाल भवन है। वह एक कोश लम्बा, आधा कोश चौड़ा तथा कुछ कम एक कोश ऊंचा है, सैकड़ों खंभों से युक्त है, सुन्दर एवं दर्शनीय है। भवन के तीन दिशाओं में तीन द्वार हैं। वे ५०० धनुष ऊंचे हैं, २५० धनुष चौड़े हैं तथा उनके प्रवेशमार्ग भी उतने ही चौड़े हैं। उन पर उत्तम स्वर्णमय छोटे – छोटे शिखर हैं। वे पुष्पमालाओं से सजे हैं। उस भवन का भीतरी भूमिभाग बहुत समतल तथा रमणीय है। वह ढोलक पर मढ़े चमड़े की ज्यों समतल है। उस के ठीक बीचमें विशाल मणिपीठिका है। वह मणिपीठिका पाँच सौ धनुष लम्बी – चौड़ी तथा अढ़ाई सौ धनुष मोटी है, सर्वथा स्वर्णमय है, स्वच्छ है। उस मणिपीठिका के ऊपर एक विशाल शय्या है। वह पद्म दूसरे एक सौ आठ पद्मों से, जो ऊंचाई में, प्रमाण में – आधे हैं, सब ओर से घिरा हुआ है। वे पद्म आधा योजन लम्बे – चौड़े, एक कोश मोटे, दश योजन जलगत – तथा एक कोश जल से ऊपर ऊंचे उठे हुए हैं। यों जल के भीतर से लेकर ऊंचाई तक वे दश योजन कुछ अधिक है। उन पद्मों के मूल वज्ररत्नमय यावत् तथा कर्णिका कनकमय है। वह कर्णिका एक कोश लम्बी, आधा कोश मोटी, सर्वणा स्वर्णमय तथा स्वच्छ है। उस कर्णिका के ऊपर एक बहुत समतल, रमणीय, भूमिभाग है। जो नाना प्रकार की मणियों से सुशोभित हैं। उन मूल पद्म के वायव्यकोण में, उत्तर में तथा ईशानकोण में श्री देवी के सामानिक देवों के चार हजार पद्म हैं। उस के पूर्व में श्री देवी की चार महत्तरिकाओं के चार पद्म हैं। उनके आग्नेयकोण में भी देवी का आभ्यन्तर परिषद् के आठ हजार देवों के आठ हजार पद्म हैं। दक्षिण में श्री देवी की मध्यम परिषद् के १०००० देवों के १०००० पद्म हैं। नैर्ऋत्यकोण में श्री देवी की बाह्य परिषद् के १२००० देवों के १२००० पद्म हैं। पश्चिम में सात अनीका – धिपति के सात पद्म हैं। उस पद्म की चारों दिशाओं में सब ओर श्री देवी के सोलह हजार आत्मरक्षक देवों के १६००० पद्म हैं वह मूल पद्म आभ्यन्तर, मध्यम तथा बाह्य तीन पद्म – परिक्षेपों – प्राचीरों द्वारा सब ओर से घिरा हुआ है। आभ्यन्तर पद्म – परिक्षेप में बत्तीस लाख पद्म हैं, मध्यम पद्म – परिक्षेप में चालीस लाख पद्म हैं, तथा बाह्य पद्मपरिक्षेप में अड़तालीस लाख पद्म हैं। इस प्रकार तीनों पद्म – परिक्षेपों में एक करोड़ बीस लाख पद्म हैं। भगवन् ! यह द्रह पद्मद्रह किस कारण कहलाता है ? गौतम ! पद्मद्रह में स्थान – स्थान पर बहुत से उत्पल यावत् शतसहस्रपत्र प्रभृति अनेकविध पद्म हैं। वे पद्म – कमल पद्मद्रह के सदृश आकारयुक्त, वर्णयुक्त एवं आभायुक्त हैं। इस कारण वह पद्मद्रह कहा जाता है। वहाँ परम ऋद्धिशालिनी पल्योपम – स्थितियुक्त श्री नामक देवी निवास करती है। अथवा गौतम ! पद्मद्रह नाम शाश्वत कहा गया है। वह कभी नष्ट नहीं होता। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tassa nam bahusamaramanijjassa bhumibhagassa bahumajjhadesabhae, ettha nam ekke maham paumaddahe namam dahe pannatte–painapadinayae udinadahinavichchhinneekkam joyanasahassam ayamenam, pamcha joyanasayaim vikkhambhenam, dasa joyanaim uvvehenam, achchhe sanhe rayayamayakule vairamayapasane suhotare suuttare nanamanitittha baddhe vairatale suvanna sujjha rayayavaluyae veruliyamaniphaliyapadala pachchoyade vatte samatire anupuvvasujayavappa gambhirasiyalajale samchhannapattabhisamunale bahuuppala kumuya nalina subhaga sogamdhiya pomdariya mahapomdariya sayapatta sahassapattapapphullakesarovachie achchhavimalapatthasalila-punne parihatthabhamamtamachchhakachchhabha anegasaunaganamihunapavichariya saddunnaiyamahurasaranaie pasaie darisanijje abhiruve padiruve. Se nam egae paumavaraveiyae egena ya vanasamdenam savvao samamta samparikkhitte, veiya vanasamda vannao bhaniyavvo. Tassa nam paumaddahassa chauddisim chattari tisovanapadiruvaga pannatta, vannavaso bhaniyavvo. Tesi nam tisovanapadiruvaganam purao patteyam-patteyam torane pannatte. Te nam torana nanamanimaya Tassa nam paumaddahassa bahumajjhadesabhae, ettha nam maham ege paume pannatte–joyanam ayama vikkhambhenam, addhajoyanam bahallenam, dasa joyanaim uvvehenam do kose usie jalamtao sairegaim dasajoyanaim savvaggenam pannatte. Se nam egae jagaie savvao samamta samparikkhitte, jambuddivajagai-ppamana gavakkhakadaevi taha cheva pamanenam. Tassa nam paumassa ayameyaruve vannavase pannatte, tam jaha–vairamaya mula ritthamae kamde veruliyamae nale veruliyamaya bahirapatta jambunayamaya abbhimtarapatta tavanijjamaya kesara nanamanimaya pokkharatthibhaya kanagamai kanniga, sa nam addhajoyanam ayamavikkhambhenam, kosam bahallenam, savvakanagamai achchha. Tise nam kanniyae uppim bahusamaramanijje bhumibhage pannatte, se jahanamae alimgapukkharei va. Tassa nam bahusamaramanijjassa bhumibhagassa bahumajjhadesabhae, ettha nam maham ege bhavane pannatte–kosam ayamenam, addhakosam vikkhambhenam, desunagam kosam uddham uchchattenam, anegakhambhasayasannivitthe pasaie darisanijje abhiruve padiruve. Tassa nam bhavanassa tidisim tao dara pannatta. Te nam dara pamchadhanusayaim udhdham uchchattenam, addhaijjaim dhanusayaim vikkhambhenam, tavatiyam cheva pavesenam, seya varakanagathubhiyaga java vanamalao neyavvao. Tassa nam bhavanassa amto bahusamaramanijje bhumibhage pannatte, se jahanamae alimgapukkharei va Tassa nam bahusamaramanijjassa bhumibhagassa, bahumajjhadesabhae, ettha nam maham ega manipedhiya pannatta. Sa nam manipedhiya pamchadhanusayaim ayamavikkhambhenam, addhaijaim dhanusayaim bahallenam, savvamanimai achchha. Tise nam manipedhiyae uppim, ettha nam maham ege sayanijje pannatte, tam jaha–nanamanimaya padipada, sovanniya pada, nanamanimaya payasisa, jambunayamayaim gattaim, vairamaya samdhi, nanamanimae vechche, raiyamai tuli, lohayakkhamaya bibboyana, tavanijjamai gamdovahaniya. Se nam devasayanijje salimganavattie ubhao bibboyane duhao unnae majjhe naya-gambhire gamgapulinavaluya uddalasalisae oyaviya khomaduggulapatta padichchhayane ainaga ruta bura navaniya tulaphase suviraiya rayattane rattamsuyasamvute suramme pasaie darisanijje abhiruve padiruve. Se nam paume annenam atthasaenam paumanam tadaddhuchchattappamanamettanam savvao samamta sampari-kkhitte. Te nam pauma addhajoyanam ayamavikkhambhenam, kosam bahallenam, dasa joyanaim uvvehenam, kosam usiya jalamtao, sairegaim dasajoyanaim savvaggenam pannatte. Tesi nam paumanam ayameyaruve vannavase pannatte, tam jaha–vairamaya mula java kanagamai kanniya. Sa nam kanniya kosam ayamenam, addhakosam bahallenam savvakanagamai achchha. Tise nam kanniyae uppim bahusamaramanijje bhumibhage pannatte java manihim uvasobhie. Tassa nam paumassa avaruttarenam uttarenam uttarapuratthimenam, ettha nam sirie devie chaunham samaniyasahassinam chattari paumasahassio pannattao. Tassa nam paumassa puratthimenam, ettha nam sirie devie chaunham mahattariyanam chattari pauma pannatta Tassa nam paumassa dahinapuratthimenam, ettha nam sirie devie abbhimtariyae parisae atthanham devasahassinam attha paumasahassio pannattao. Dahinenam majjhimaparisae dasanham devasahassinam dasa paumasahassio pannattao dahinapachchatthimenam bahiriyae parisae barahasanham devasahassinam barasa paumasahassio pannattao. Pachchatthimenam sattanham aniyahivainam satta pauma pannatta. Tassa nam paumassa chauddisim savvao samamta, ettha nam sirie devie solasanham ayarakkhadeva-sahassinam solasa paumasahassio pannattao. Se nam paume tihim paumaparikkhevehim savvao samamta samparikkhitte, tam jaha–abbhimtaraenam majjhimaenam bahiraenam. Abbhimtarae paumaparikkheve battisam paumasayasahassio pannattao. Majjhi-mae paumaparikkheve chattalisam paumasayasahassio pannattao. Bahirae paumaparikkheve adayalisam paumasayasahassio pannattao. Evameva sapuvvavarenam tihim paumaparikkhevehim ega paumakodi visam cha paumasayasahassio bhavamtiti akkhayam. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–paumaddahe-paumaddahe? Goyama! Paumaddahe nam tattha-tattha dese tahim-tahim bahave uppalaim java sahassapattaim paumaddahappabhaim paumaddahagaraim paumaddahavannaim paumaddaha-vannabhaim, siri yattha devi mahiddhiya java paliovamatthiiya parivasai. Se eenatthenam. Aduttaram cha nam goyama! Paumaddahassa sasae namadhejje pannatte–jam na kayai nasi na kayai natthi na kayai na bhavissai, bhuvim cha bhavai ya bhavissai ya dhuve niyae sasae akkhae avvae avatthie nichche | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Usa ati samatala bhumibhaga ke thika bicha mem padmadraha hai. Vaha purva – pashchima lamba tatha uttara – dakshina chaura hai. Usaki lambai 1000 yojana tatha chaurai 500 yojana hai. Usaki gaharai dasha yojana hai. Vaha svachchha, sukomala, rajatamaya, tatayukta, sundara evam pratirupa – hai. Vaha draha eka padmavaravedika dvara tatha eka vanakhanda dvara pariveshtita hai. Usa padmadraha ki charom dishaom mem tina – tina sirhiyam bani hui haim. Una sirhi se pratyeka ke age toranadvara bane haim. Ve nana prakara ki maniyom se susajjita hai. Usa padmadraha ke bichom bicha eka vishala padma hai. Vaha eka yojana lamba, eka yojana chaura hai, adha yojana mota hai. Dasha yojana jala ke bhitara gahara hai. Do kosha jala umcha utha hua hai. Isa prakara usa ka kuchha vistara dasha yojana se kuchha adhika hai. Vaha eka jagati – dvara saba ora se ghira hai. Usa prakara ka pramana jambudvipa ke prakara tulya hai. Usa ka gavakshasamuha – bhi pramanamem jambudvipa ke gavaksha sadrisha hai. Vaha padma ke mula vajraratnamaya hai. Kanda – rishtaratnamaya hai. Nala vaiduryaratnamaya hai. Bahya patra – vaiduryaratna haim. Abhyantara patra – jambunada svarnamaya haim kesara – kinchalka tapaniya rakta svarnamaya haim. Pushkarasthibhaga vividha manimaya haim. Karnika svarnamaya hai. Yaha karnika adha yojana lambi – chauri hai, sarvatha svarnamaya hai. Svachchha – ujjvala hai. Usa karnika ke upara atyanta samatala evam sundara bhumibhaga hai. Vaha dholaka para marhe hue charmaputa ki jyom samatala hai. Usa bhumibhaga ke thika bicha mem vishala bhavana hai. Vaha eka kosha lamba, adha kosha chaura tatha kuchha kama eka kosha umcha hai, saikarom khambhom se yukta hai, sundara evam darshaniya hai. Bhavana ke tina dishaom mem tina dvara haim. Ve 500 dhanusha umche haim, 250 dhanusha chaure haim tatha unake praveshamarga bhi utane hi chaure haim. Una para uttama svarnamaya chhote – chhote shikhara haim. Ve pushpamalaom se saje haim. Usa bhavana ka bhitari bhumibhaga bahuta samatala tatha ramaniya hai. Vaha dholaka para marhe chamare ki jyom samatala hai. Usa ke thika bichamem vishala manipithika hai. Vaha manipithika pamcha sau dhanusha lambi – chauri tatha arhai sau dhanusha moti hai, sarvatha svarnamaya hai, svachchha hai. Usa manipithika ke upara eka vishala shayya hai. Vaha padma dusare eka sau atha padmom se, jo umchai mem, pramana mem – adhe haim, saba ora se ghira hua hai. Ve padma adha yojana lambe – chaure, eka kosha mote, dasha yojana jalagata – tatha eka kosha jala se upara umche uthe hue haim. Yom jala ke bhitara se lekara umchai taka ve dasha yojana kuchha adhika hai. Una padmom ke mula vajraratnamaya yavat tatha karnika kanakamaya hai. Vaha karnika eka kosha lambi, adha kosha moti, sarvana svarnamaya tatha svachchha hai. Usa karnika ke upara eka bahuta samatala, ramaniya, bhumibhaga hai. Jo nana prakara ki maniyom se sushobhita haim. Una mula padma ke vayavyakona mem, uttara mem tatha ishanakona mem shri devi ke samanika devom ke chara hajara padma haim. Usa ke purva mem shri devi ki chara mahattarikaom ke chara padma haim. Unake agneyakona mem bhi devi ka abhyantara parishad ke atha hajara devom ke atha hajara padma haim. Dakshina mem shri devi ki madhyama parishad ke 10000 devom ke 10000 padma haim. Nairrityakona mem shri devi ki bahya parishad ke 12000 devom ke 12000 padma haim. Pashchima mem sata anika – dhipati ke sata padma haim. Usa padma ki charom dishaom mem saba ora shri devi ke solaha hajara atmarakshaka devom ke 16000 padma haim Vaha mula padma abhyantara, madhyama tatha bahya tina padma – parikshepom – prachirom dvara saba ora se ghira hua hai. Abhyantara padma – parikshepa mem battisa lakha padma haim, madhyama padma – parikshepa mem chalisa lakha padma haim, tatha bahya padmaparikshepa mem aratalisa lakha padma haim. Isa prakara tinom padma – parikshepom mem eka karora bisa lakha padma haim. Bhagavan ! Yaha draha padmadraha kisa karana kahalata hai\? Gautama ! Padmadraha mem sthana – sthana para bahuta se utpala yavat shatasahasrapatra prabhriti anekavidha padma haim. Ve padma – kamala padmadraha ke sadrisha akarayukta, varnayukta evam abhayukta haim. Isa karana vaha padmadraha kaha jata hai. Vaham parama riddhishalini palyopama – sthitiyukta shri namaka devi nivasa karati hai. Athava gautama ! Padmadraha nama shashvata kaha gaya hai. Vaha kabhi nashta nahim hota. |