Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1007729 | ||
Scripture Name( English ): | Jambudwippragnapati | Translated Scripture Name : | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत |
Translated Chapter : |
वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 129 | Category : | Upang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तस्स णं पउमद्दहस्स पुरत्थिमिल्लेणं तोरणेणं गंगा महानई पवूढा समाणी पुरत्थाभिमुही पंच जोयणसयाइं पव्वएणं गंता गंगावत्तणकूडे आवत्ता समाणी पंच तेवीसे जोयणसए तिन्नि य एगून-वीसइभाए जोयणस्स दाहिनाभिमुही पव्वएणं गंता महया घडमुहपवत्तिएणं मुत्तावलिहारसंठिएणं साइरेगजोयणसइएणं पवाएणं पवडइ। गंगा महानई जओ पवडइ, एत्थ णं महं एगा जिब्भिया पन्नत्ता। सा णं जिब्भिया अद्धजोयणं आयामेणं, छस्सकोसाइं जोयणाइं विक्खंभेणं, अद्धकोसं बाहल्लेणं, मगरमुहविउट्टसंठाणसंठिया सव्ववइरामई अच्छा सण्हा। गंगा महानई जत्थ पवडइ, एत्थ णं महं एगे गंगप्पवायकुंडे नामं कुंडे पन्नत्ते–सट्ठिं जोयणाइं आयाम विक्खंभेणं, णउयं जोयणसयं किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं दस जोयणाइं उव्वेहेणं अच्छे सण्हे रययामयकूले वइरामयपासाणे सुहोतारे सुउत्तारे नानामणितित्थबद्धे वइरतले सुवण्णसुज्झ-रययमणिवालुयाए वेरुलियमणिफालियपडलपच्चोयडे वट्टे समतीरे अनुपुव्वसुजायवप्पगंभीरसीयल जले संछण्णपत्तभिसमुणाले बहुउप्पल कुमुय नलिन सुभग सोगंधिय पोंडरीय महापोंडरीय सयपत्त सहस्सपत्त पप्फुल्ल केसरोवचिए अच्छविमलपत्थसलिलपुण्णे पडिहत्थभमंतमच्छकच्छभ अनेग-सउणगण मिहुणपवियरिय सद्दुन्नइयमहुरसर-णाइए पासाईए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे। से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वनसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, वेइया वनसंडपमाणं वण्णओ भाणियव्वो। तस्स णं गंगप्पवायकुंडस्स तिदिसिं तओ तिसोवानपडिरूवगा पन्नत्ता, तं जहा–पुरत्थिमेणं दाहिणेणं पच्चत्थिमेणं। तेसि णं तिसोवानपडिरूवगाणं अयमेयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, तं जहा–वइरामया नेम्मा रिट्ठामया पइट्ठाणा वेरुलियामया खंभा सुवण्णरुप्पमया फलया लोहियक्खमईओ सूईओ वइरामया संधी नानामणिमया आलंबणा आलंबणबाहाओ। तेसि णं तिसोवानपडिरूवगाणं पुरओ पत्तेयं-पत्तेयं तोरणे पन्नत्ते। ते णं तोरणा नानामणिमया नानामणिमएसु खंभेसु उवणिविट्ठसंनिविट्ठा विविहतारारूवोवचिया विविहमुत्तंतरोवइया ईहामिय उसह तुरग नर मगर विहग वालग किन्नर रुरु सरभ चमर कुंजर वनलय पउमलयभत्तिचित्ता खंभुग्गय वइरवेइयापरिगयाभिरामा विज्जाहरजमलजुयलजंतजुत्ताविव अच्चीसहस्समालणीया रूवगसहस्स-कलिया भिसमाणा भिब्भिसमाणा चक्खुल्लोयणलेसा सुहफासा सस्सिरीयरूवा पासादीया दरिस-णिज्जा अभिरूवा पडिरूवा। तेसि णं तोरणाणं उवरिं बहवे अट्ठट्ठमंगलगा पन्नत्ता, तं जहा–सोत्थिय सिरिवच्छ नंदियावत्त वद्धमाणग भद्दासण कलस मच्छ दप्पणा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसि णं तोरणाणं उवरिं बहवे किण्हचामरज्झया नीलचामरज्झया लोहियचामरज्झया हालिद्दचामरज्झया सुक्किलचामरज्झया अच्छा सण्हा रुप्पपट्टा वइरामयदंडा जलयामलगंधिया सुरूवा पासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा। तेसि णं तोरणाणं उप्पिं बहवे छत्ताइच्छत्ता पडागाइपडागा घंटाजुयला चामरजुयला उप्पलहत्थगा पउमहत्थगा जाव सहस्सपत्तहत्थगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तस्स णं गंगप्पवायकुंडस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महं एगे गंगादीवे नामं दीवे पन्नत्ते–अट्ठ जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, साइरेगाइं पणवीसं जोयणाइं परिक्खेवेणं, दो कोसे ऊसिए जलंताओ, सव्ववइरामए अच्छे। से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वनसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, वण्णओ भाणियव्वो। गंगादीवस्स णं दीवस्स उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पन्नत्ते। तस्स णं बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महं गंगाए देवीए एगे भवने पन्नत्ते–कोसं आयामेणं, अद्धकोसं विक्खंभेणं, देसूणगं च कोसं उड्ढं उच्चत्तेणं, अनेगखंभसयसन्निविट्ठे पासाईए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे जाव बहुमज्झदेसभाए मणिपेढिया सयणिज्जे। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–गंगादीवे नामं दीवे? गोयमा! गंगादीवे तत्थ-तत्थ देसे तहिं-तहिं बहूइं उप्पलाइं जाव सहस्सपत्ताइं गंगादीवप्पभाइं गंगादीवागाराइं गंगादीववण्णाइं, गंगादीववण्णा-भाइं गंगा यत्थ देवी महिड्ढीया जाव पलिओवमट्ठिईया परिवसइ। से तेणट्ठेणं। अदुत्तरं च णं जाव सासए नामधेज्जे पन्नत्ते। तस्स णं गंगप्पवायकुंडस्स दक्खिणिल्लेणं तोरणेणं गंगा महानई पवूढा समाणी उत्तरड्ढभरह- वासं एज्जेमाणी-एज्जेमाणी सत्तहिं सलिलासहस्सेहिं आपूरेमाणी-आपूरेमाणी अहे खंडप्पवाय-गुहाए वेयड्ढपव्वयं दालइत्ता दाहिणड्ढभरहवासं एज्जेमाणी-एज्जेमाणी दाहिणड्ढभरहवासस्स बहुमज्झदेसभागं गंता पुरत्थाभिमुही आवत्ता समाणी चोद्दसहिं सलिलासहस्सेहिं समग्गा अहे जगइं दालइत्ता पुरत्थिमेणं लवणसमुद्दं समप्पेइ। गंगा णं महानई पवहे छस्सकोसाइं जोयणाइं विक्खंभेणं, अद्धकोसं उव्वेहेणं, तयनंतरं च णं मायाए-मायाए परिवड्ढमाणी-परिवड्ढमाणी मुहे बावट्ठिं जोयणाइं अद्धजोयणं च विक्खंभेणं, सकोसं जोयणं उव्वेहेणं, उभओ पासिं दोहि य पउमवरवेइयाहिं दोहिं य वनसंडेहिं संपरिक्खित्ता, वेइयावनसंडवण्णओ भाणियव्वो। एवं सिंधूएवि नेयव्वं जाव तस्स णं पउमद्दहस्स पच्चत्थिमिल्लेणं तोरणेणं सिंधुआवत्तणकूडे दाहिणभिमुही, सिंधुप्पवायकुंडं, सिंधुद्दीवो, अट्ठो सो चेव जाव अहे तिमिसगुहाए वेयड्ढपव्वयं दालइत्ता पच्चत्थिमाभिमुही आवत्ता समाणी चोद्दसेहिं सलिलासहस्सेहिं समग्गा अहे जगइं दालइत्ता पच्चत्थिमेणं लवणसमुद्दं समप्पेइ, सेसं तं चेव। तस्स णं पउमद्दहस्स उत्तरिल्लेणं तोरणेणं रोहियंसा महानई पवूढा समाणी दोन्नि छावत्तरे जोयणसए छच्च एगूनववीसइभाए जोयणस्स उत्तराभिमुही पव्वएणं गंता महया घडमुहपवत्तिएणं मुत्तावलिहारसंठिएणं साइरेगजोयणसइएणं पवाएणं पवडइ। रोहियंसा महानई जओ पवडइ, एत्थ णं महं एगा जिब्भिया पन्नत्ता। सा णं जिब्भिया जोयणं आयामेणं, अद्धतेरसजोयणाइं विक्खंभेणं, कोसं बाहल्लेणं, मगरमुहविउट्टसंठाणसंठिया सव्व-वइरामई अच्छा। रोहियंसा महानई जहिं पवडइ, एत्थ णं महं एगे रोहियंसप्पवायकुंडे णाम कुंडे पन्नत्ते–सवीसं जोयणसयं आयाम विक्खंभेणं, तिन्नि असीए जोयणसए किंचिविसेसूने परिक्खेवेणं, दसजोयणाइं उव्वेहेणं, अच्छे कुंडवण्णओ जाव तोरणा। तस्स णं रोहियंसप्पवायकुंडस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महं एगे रोहियंसदीवे नामं दीवे पन्नत्ते–सोलस जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, साइरेगाइं पन्नासं जोयणाइं परिक्खेवेणं, दो कोसे ऊसिए जलंताओ, सव्वरयणामए अच्छे, सेसं तं चेव जाव भवनं अट्ठो य भाणियव्वो। तस्स णं रोहियंसप्पवायकुंडस्स उत्तरिल्लेणं तोरणेणं रोहियंसा महानई पवूढा समाणी हेमवयं वासं एज्जेमाणी-एज्जेमाणी चउद्दसहिं सलिलासहस्सेहिं आपूरेमाणी-आपूरेमाणी सद्दावइ वट्टवेयड्ढ-पव्वयं अद्धजोयणेणं असंपत्ता समाणी पच्चत्थाभिमुही आवत्ता समाणी हेमवयं वासं दुहा विभय-माणी-विभयमाणी अट्ठावीसाए सलिलासहस्सेहिं समग्गा अहे जगइं दालइत्ता पच्चत्थिमेणं लवण-समुद्दं समप्पेइ। रोहियंसा णं पवहे अद्धतेरसजोयणाइं विक्खंभेणं, कोसं उव्वेहेणं तयनंतरं च णं मायाए-मायाए परिवड्ढमाणी-परिवड्ढमाणी मुहमूले पणवीसं जोयणसयं विक्खंभेणं, अड्ढाइज्जाइं जोयणाइं उव्वेहेणं, उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइयाहिं दोहि य वनसंडेहिं संपरिक्खित्ता। | ||
Sutra Meaning : | उस पद्मद्रह के पूर्वी तोरण – द्वार से गंगा महानदी निकलती है। वह पर्वत पर पाँच ५०० बहती है, गंगावर्त कूट के पास से वापस मुड़ती है, ५२३ – ३/१९ योजन दक्षिण की ओर बहती है। घड़े के मुँह से निकलते हुए पानी की ज्यों जोर से शब्द करती हुई वेगपूर्वक, मोतियों के बने हार के सदृश आकार में वह प्रपात – कुण्ड में गिरती है। उस समय उसका प्रवाह चुल्ल हिमवान् पर्वत के शिखर से प्रपात – कुण्ड तक कुछ अधिक सौ योजन होता है। जहाँ गंगा महानदी गिरती है, वहाँ एक जिह्विका है। वह आधा योजन लम्बी तथा छह योजन एवं एक कोस चौड़ी है। वह आधा कोस मोटी है। उसका आकार मगरमच्छ के खुले मुँह जैसा है। वह सम्पूर्णतः हीरकमय है, स्वच्छ एवं सुकोमल है। गंगा महानदी जिसमें गिरती है, उस कुण्ड का नाम गंगाप्रपातकुण्ड है। वह बहुत बड़ा है। उसकी लम्बाई – चौड़ाई साठ योजन है। परिधि १९०० योजन से कुछ अधिक है। वह दस योजन गहरा है, स्वच्छ एवं सुकोमल है, रजतमय कूलयुक्त है, समतल तटयुक्त है, हीरकमय पाषाणयुक्त है – पैदें में हीरे हैं। बालू स्वर्ण तथा शुभ्र रजतमय है। तट के निकटवर्ती उन्नत प्रदेश वैडूर्यमणि – बिल्लौर की पट्टियों से बने हैं। उसमें प्रवेश करने एवं बाहर निकलने के मार्ग सुखावह हैं। उसके घाट अनेक प्रकार की मणियों से बँधे हैं। वह गोलाकार है। उसमें विद्यमान जल उत्तरोत्तर गहरा और शीतल होता गया है। वह कमलों के पत्तों, कन्दों तथा नालों से परिव्याप्त है। अनेक उत्पल यावत् शत – सहस्र – पत्र – कमलों के प्रफुल्लित किञ्जल्क से सुशोभित है। वहाँ भौंरे कमलों का परिभोग करते हैं। उसका जल स्वच्छ, निर्मल और पथ्य है। वह कुण्ड जल से आपूर्ण है। इधर – उधर घूमती हुई मछलियों, कछुओं तथा पक्षियों के समुन्नत – गुंजित रहता है, सुन्दर प्रतीत होता है। वह एक पद्मवरवेदिका एवं वनखण्ड द्वारा सब ओर से घिरा हुआ है। उस गंगाप्रपातकुण्ड की तीन दिशाओं में – तीन – तीन सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। उन सीढ़ियों के नेम – वज्ररत्नमय हैं। प्रतिष्ठान – रिष्टरत्नमय हैं। खंभे वैडूर्यरत्नमय हैं। फलक – सोने – चाँदी से बने हैं। सूचियाँ – लोहिताक्ष रत्न – निर्मित है। सन्धियाँ – वज्ररत्नमय हैं। आलम्बन – विविध प्रकार की मणियों से बने हैं। तीनों दिशाओं में विद्यमान उन तीन – तीन सीढ़ियों के आगे तोरण – द्वार बने हैं। वे अनेकविध रत्नों से सज्जित हैं, मणिमय खंभो पर टिके हैं, सीढ़ियों के सन्निकटवर्ती हैं। उनमें बीच – बीच में विविध तारों के आकार में बहुत प्रकार के मोती जड़े हैं। वे ईहामृग, वृषभ, अश्व, मनुष्य, मकर, खग, सर्प, किन्नर, रुरुसंज्ञक मृग, शरभ, चमर, हाथी, वनलता, पद्मलता आदि के चित्रांकनों से सुशोभित है। उनके खंभों पर उत्कीर्ण वज्ररत्नमयी वेदिकाएं हैं। उन पर चित्रित विद्याधर – युगल, एक आकारयुक्त कठपुतलियों की ज्यों संचरणशील से प्रतीत होते हैं। हजारों रत्नों की प्रभा से वे सुशोभित हैं। सहस्रों चित्रों से वे देदीप्यमान हैं, देखने मात्र से नेत्रों में समा जाते हैं। वे सुखमय स्पर्शयुक्त एवं शोभामय रूपयुक्त हैं। उन पर जो घंटियाँ लगी हैं, वे पवन से आन्दोलित होने पर बड़ा मधुर शब्द करती हैं, मनोरम प्रतीत होती हैं। उन तोरण – द्वारों पर स्वस्तिक, श्रीवत्स आदि आठ – आठ मंगल – द्रव्य स्थापित हैं। काले चँवरों की ध्वजाएं यावत् तथा शत – सहस्रपत्रों – कमलों के ढेर के ढेर लगे हैं, जो सर्वरत्नमय हैं, स्वच्छ एवं सुन्दर हैं। उस गंगाप्रपातकुण्ड के ठीक बीच में गंगाद्वीप द्वीप है। आठ योजन लम्बा – चौड़ा है, उसकी परिधि कुछ अधिक पच्चीस योजन है। जल से ऊपर दो कोस ऊंचा उठा हुआ है। वह सर्वरत्नमय है, स्वच्छ एवं सुकोमल है। वह एक पद्मवरवेदिका तथा एक वनखण्ड द्वारा सब ओर से घिरा हुआ है। गंगाद्वीप पर बहुत समतल, सुन्दर भूमिभाग है। उसके ठीक बीच में गंगादेवी का विशाल भवन है। वह एक कोस लम्बा, आधा कोस चौड़ा तथा कम एक कोस ऊंचा है। वह सैकड़ों खंभों पर अवस्थित है। उसके ठीक बीच में एक मणिपीठिका है। उस पर शय्या है परम ऋद्धिशालिनी गंगादेवी का आवास – स्थान होने से वह द्वीप गंगाद्वीप कहा जाता है, अथवा यह शाश्वत नाम है – उस गंगाप्रपातकुण्ड के दक्षिणी तोरण से गंगा महानदी आगे निकलती है। वह उत्तरार्ध भरतक्षेत्र की ओर आगे बढ़ती है तब ७००० नदियाँ उसमें आ मिलती हैं। वह उनसे आपूर्ण होकर खण्डप्रपात गुफा होती हुई, वैताढ्य पर्वत को चीरती – दक्षिणार्ध भरतक्षेत्र की ओर जाती है। दक्षिणार्ध भरत के ठीक बीचमें बहती हुई पूर्व की ओर मुड़ती है। फिर १४००० नदियाँ के परिवार से युक्त जम्बूद्वीप जगती को विदीर्ण कर – पूर्वीलवणसमुद्र में मिलती है गंगा महानदी का प्रवाह – एक कोस अधिक छः योजन का विस्तार – लिये हुए है। वह आधा कोस गहरा है। तत्पश्चात् वह महानदी क्रमशः मात्रा में – विस्तार में बढ़ती जाती है। जब समुद्र में मिलती है, उस समय उसकी चौड़ाई साढ़े बासठ योजन होती है, गहराई एक योजन एक कोस – होती है। वह दोनों ओर दो पद्मवरवेदिकाओं तथा वनखण्डों द्वारा संपरिवृत्त है। गंगा महानदी के अनुरूप ही सिन्धु महानदी का आयाम – विस्तार है। इतना अन्तर है – सिन्धु महानदी उस पद्मद्रह के पश्चिम दिग्वर्ती तोरण से निकलती है, पश्चिम दिशा की ओर बहती है, सिन्ध्वावर्त कूट से मुड़कर दक्षिणाभिमुख होती हुई बहती है। फिर नीचे तिमिस्रा गुफा से होती हुई वह वैताढ्य पर्वत को चीरकर पश्चिम की ओर मुड़ती है। उसमें वहाँ १४००० नदियाँ मिलती हैं। फिर वह जगती को विदीर्ण करती हुई पश्चिमी लवणसमुद्र में मिलती है। उस पद्मद्रह के उत्तरी तोरण से रोहितांशा महानदी निकलती है। वह पर्वत पर उत्तर में २७६ – ६/१९ योजन बहती है। घड़े के मुँह से निकलते हुए पानी की ज्यों और से शब्द करती हुई वेगपूर्वक मोतियों के हार के सदृश आकार में पर्वत – शिखर से प्रपात तक कुछ अधिक एक सौ योजन परिमित प्रवाह के रूप में प्रपात में गिरती है। रोहितांशा महानदी जहाँ गिरती है, वहाँ एक जिह्वाका है। उसका आयाम एक योजन है, विस्तार साढ़े बारह योजन है। उसका मोटापन एक कोस है। उसका आकार मगरमच्छ के खुले मुख के आकार जैसा है। वह सर्वरत्नमय है, स्वच्छ है। रोहितांशा महानदी जहाँ गिरती है, वह रोहितांशाप्रपातकुण्ड है। उसकी लम्बाई – चौड़ाई १२० योजन है। उसकी परिधि कुछ कम १८३ योजन है। उसकी गहराई दस योजन है। उस रोहितांशाप्रपात कुण्ड के ठीक बीच में रोहितांशद्वीप है। उसकी लम्बाई – चौड़ाई सोलह योजन है। उसकी परिधि कुछ अधिक पचास योजन है। वह जल से ऊपर दो कोश ऊंचा उठा हुआ है। वह सर्वरत्नमय है, स्वच्छ एवं सुकोमल है। उस रोहितांशाप्रपातकुण्ड के उत्तरी तोरण से रोहितांशा महानदी आगे निकलती है, हैमवत क्षेत्र की ओर बढ़ती है। १४००० नदियाँ उसमें मिलती है। उनसे आपूर्ण होती हुई वह शब्दापाती वृत्तवैताढ्य पर्वत के आधा योजन दूर रहने पर पश्चिम की ओर मुड़ती है। वह हैमवत क्षेत्र को दो भागों में विभक्त करती हुई आगे बढ़ती है। तत्पश्चात् २८००० नदियों के परिवार सहित – नीचे की ओर जगती को विदीर्ण करती हुई – पश्चिम – दिग्वर्ती लवणसमुद्र में मिल जाती है। रोहितांशा महानदी जहाँ से निकलती है, वहाँ उसका विस्तार साढ़े बारह योजन है। उसकी गहराई एक कोश है। तत्पश्चात् वह क्रमशः बढ़ती जाती है। मुख – मूल में – उसका विस्तार १२५ योजन होता है, गहराई अढ़ाई योजन होती है। वह अपने दोनों ओर दो पद्मवरवेदिकाओं तथा दो वनखण्डों से संपरिवृत्त है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tassa nam paumaddahassa puratthimillenam toranenam gamga mahanai pavudha samani puratthabhimuhi pamcha joyanasayaim pavvaenam gamta gamgavattanakude avatta samani pamcha tevise joyanasae tinni ya eguna-visaibhae joyanassa dahinabhimuhi pavvaenam gamta mahaya ghadamuhapavattienam muttavaliharasamthienam sairegajoyanasaienam pavaenam pavadai. Gamga mahanai jao pavadai, ettha nam maham ega jibbhiya pannatta. Sa nam jibbhiya addhajoyanam ayamenam, chhassakosaim joyanaim vikkhambhenam, addhakosam bahallenam, magaramuhaviuttasamthanasamthiya savvavairamai achchha sanha. Gamga mahanai jattha pavadai, ettha nam maham ege gamgappavayakumde namam kumde pannatte–satthim joyanaim ayama vikkhambhenam, nauyam joyanasayam kimchivisesahiyam parikkhevenam dasa joyanaim uvvehenam achchhe sanhe rayayamayakule vairamayapasane suhotare suuttare nanamanititthabaddhe vairatale suvannasujjha-rayayamanivaluyae veruliyamaniphaliyapadalapachchoyade vatte samatire anupuvvasujayavappagambhirasiyala jale samchhannapattabhisamunale bahuuppala kumuya nalina subhaga sogamdhiya pomdariya mahapomdariya sayapatta sahassapatta papphulla kesarovachie achchhavimalapatthasalilapunne padihatthabhamamtamachchhakachchhabha anega-saunagana mihunapaviyariya saddunnaiyamahurasara-naie pasaie darisanijje abhiruve padiruve. Se nam egae paumavaraveiyae egena ya vanasamdenam savvao samamta samparikkhitte, veiya vanasamdapamanam vannao bhaniyavvo. Tassa nam gamgappavayakumdassa tidisim tao tisovanapadiruvaga pannatta, tam jaha–puratthimenam dahinenam pachchatthimenam. Tesi nam tisovanapadiruvaganam ayameyaruve vannavase pannatte, tam jaha–vairamaya nemma ritthamaya paitthana veruliyamaya khambha suvannaruppamaya phalaya lohiyakkhamaio suio vairamaya samdhi nanamanimaya alambana alambanabahao. Tesi nam tisovanapadiruvaganam purao patteyam-patteyam torane pannatte. Te nam torana nanamanimaya nanamanimaesu khambhesu uvanivitthasamnivittha vivihatararuvovachiya vivihamuttamtarovaiya ihamiya usaha turaga nara magara vihaga valaga kinnara ruru sarabha chamara kumjara vanalaya paumalayabhattichitta khambhuggaya vairaveiyaparigayabhirama vijjaharajamalajuyalajamtajuttaviva achchisahassamalaniya ruvagasahassa-kaliya bhisamana bhibbhisamana chakkhulloyanalesa suhaphasa sassiriyaruva pasadiya darisa-nijja abhiruva padiruva. Tesi nam torananam uvarim bahave atthatthamamgalaga pannatta, tam jaha–sotthiya sirivachchha namdiyavatta vaddhamanaga bhaddasana kalasa machchha dappana savvarayanamaya achchha java padiruva. Tesi nam torananam uvarim bahave kinhachamarajjhaya nilachamarajjhaya lohiyachamarajjhaya haliddachamarajjhaya sukkilachamarajjhaya achchha sanha ruppapatta vairamayadamda jalayamalagamdhiya suruva pasaiya darisanijja abhiruva padiruva. Tesi nam torananam uppim bahave chhattaichchhatta padagaipadaga ghamtajuyala chamarajuyala uppalahatthaga paumahatthaga java sahassapattahatthaga savvarayanamaya achchha java padiruva. Tassa nam gamgappavayakumdassa bahumajjhadesabhae, ettha nam maham ege gamgadive namam dive pannatte–attha joyanaim ayamavikkhambhenam, sairegaim panavisam joyanaim parikkhevenam, do kose usie jalamtao, savvavairamae achchhe. Se nam egae paumavaraveiyae egena ya vanasamdenam savvao samamta samparikkhitte, vannao bhaniyavvo. Gamgadivassa nam divassa uppim bahusamaramanijje bhumibhage pannatte. Tassa nam bahumajjhadesabhae, ettha nam maham gamgae devie ege bhavane pannatte–kosam ayamenam, addhakosam vikkhambhenam, desunagam cha kosam uddham uchchattenam, anegakhambhasayasannivitthe pasaie darisanijje abhiruve padiruve java bahumajjhadesabhae manipedhiya sayanijje. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–gamgadive namam dive? Goyama! Gamgadive tattha-tattha dese tahim-tahim bahuim uppalaim java sahassapattaim gamgadivappabhaim gamgadivagaraim gamgadivavannaim, gamgadivavanna-bhaim gamga yattha devi mahiddhiya java paliovamatthiiya parivasai. Se tenatthenam. Aduttaram cha nam java sasae namadhejje pannatte. Tassa nam gamgappavayakumdassa dakkhinillenam toranenam gamga mahanai pavudha samani uttaraddhabharaha- vasam ejjemani-ejjemani sattahim salilasahassehim apuremani-apuremani ahe khamdappavaya-guhae veyaddhapavvayam dalaitta dahinaddhabharahavasam ejjemani-ejjemani dahinaddhabharahavasassa bahumajjhadesabhagam gamta puratthabhimuhi avatta samani choddasahim salilasahassehim samagga ahe jagaim dalaitta puratthimenam lavanasamuddam samappei. Gamga nam mahanai pavahe chhassakosaim joyanaim vikkhambhenam, addhakosam uvvehenam, tayanamtaram cha nam mayae-mayae parivaddhamani-parivaddhamani muhe bavatthim joyanaim addhajoyanam cha vikkhambhenam, sakosam joyanam uvvehenam, ubhao pasim dohi ya paumavaraveiyahim dohim ya vanasamdehim samparikkhitta, veiyavanasamdavannao bhaniyavvo. Evam simdhuevi neyavvam java tassa nam paumaddahassa pachchatthimillenam toranenam simdhuavattanakude dahinabhimuhi, simdhuppavayakumdam, simdhuddivo, attho so cheva java ahe timisaguhae veyaddhapavvayam dalaitta pachchatthimabhimuhi avatta samani choddasehim salilasahassehim samagga ahe jagaim dalaitta pachchatthimenam lavanasamuddam samappei, sesam tam cheva. Tassa nam paumaddahassa uttarillenam toranenam rohiyamsa mahanai pavudha samani donni chhavattare joyanasae chhachcha egunavavisaibhae joyanassa uttarabhimuhi pavvaenam gamta mahaya ghadamuhapavattienam muttavaliharasamthienam sairegajoyanasaienam pavaenam pavadai. Rohiyamsa mahanai jao pavadai, ettha nam maham ega jibbhiya pannatta. Sa nam jibbhiya joyanam ayamenam, addhaterasajoyanaim vikkhambhenam, kosam bahallenam, magaramuhaviuttasamthanasamthiya savva-vairamai achchha. Rohiyamsa mahanai jahim pavadai, ettha nam maham ege rohiyamsappavayakumde nama kumde pannatte–savisam joyanasayam ayama vikkhambhenam, tinni asie joyanasae kimchivisesune parikkhevenam, dasajoyanaim uvvehenam, achchhe kumdavannao java torana. Tassa nam rohiyamsappavayakumdassa bahumajjhadesabhae, ettha nam maham ege rohiyamsadive namam dive pannatte–solasa joyanaim ayamavikkhambhenam, sairegaim pannasam joyanaim parikkhevenam, do kose usie jalamtao, savvarayanamae achchhe, sesam tam cheva java bhavanam attho ya bhaniyavvo. Tassa nam rohiyamsappavayakumdassa uttarillenam toranenam rohiyamsa mahanai pavudha samani hemavayam vasam ejjemani-ejjemani chauddasahim salilasahassehim apuremani-apuremani saddavai vattaveyaddha-pavvayam addhajoyanenam asampatta samani pachchatthabhimuhi avatta samani hemavayam vasam duha vibhaya-mani-vibhayamani atthavisae salilasahassehim samagga ahe jagaim dalaitta pachchatthimenam lavana-samuddam samappei. Rohiyamsa nam pavahe addhaterasajoyanaim vikkhambhenam, kosam uvvehenam tayanamtaram cha nam mayae-mayae parivaddhamani-parivaddhamani muhamule panavisam joyanasayam vikkhambhenam, addhaijjaim joyanaim uvvehenam, ubhao pasim dohim paumavaraveiyahim dohi ya vanasamdehim samparikkhitta. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Usa padmadraha ke purvi torana – dvara se gamga mahanadi nikalati hai. Vaha parvata para pamcha 500 bahati hai, gamgavarta kuta ke pasa se vapasa murati hai, 523 – 3/19 yojana dakshina ki ora bahati hai. Ghare ke mumha se nikalate hue pani ki jyom jora se shabda karati hui vegapurvaka, motiyom ke bane hara ke sadrisha akara mem vaha prapata – kunda mem girati hai. Usa samaya usaka pravaha chulla himavan parvata ke shikhara se prapata – kunda taka kuchha adhika sau yojana hota hai. Jaham gamga mahanadi girati hai, vaham eka jihvika hai. Vaha adha yojana lambi tatha chhaha yojana evam eka kosa chauri hai. Vaha adha kosa moti hai. Usaka akara magaramachchha ke khule mumha jaisa hai. Vaha sampurnatah hirakamaya hai, svachchha evam sukomala hai. Gamga mahanadi jisamem girati hai, usa kunda ka nama gamgaprapatakunda hai. Vaha bahuta bara hai. Usaki lambai – chaurai satha yojana hai. Paridhi 1900 yojana se kuchha adhika hai. Vaha dasa yojana gahara hai, svachchha evam sukomala hai, rajatamaya kulayukta hai, samatala tatayukta hai, hirakamaya pashanayukta hai – paidem mem hire haim. Balu svarna tatha shubhra rajatamaya hai. Tata ke nikatavarti unnata pradesha vaiduryamani – billaura ki pattiyom se bane haim. Usamem pravesha karane evam bahara nikalane ke marga sukhavaha haim. Usake ghata aneka prakara ki maniyom se bamdhe haim. Vaha golakara hai. Usamem vidyamana jala uttarottara gahara aura shitala hota gaya hai. Vaha kamalom ke pattom, kandom tatha nalom se parivyapta hai. Aneka utpala yavat shata – sahasra – patra – kamalom ke praphullita kinjalka se sushobhita hai. Vaham bhaumre kamalom ka paribhoga karate haim. Usaka jala svachchha, nirmala aura pathya hai. Vaha kunda jala se apurna hai. Idhara – udhara ghumati hui machhaliyom, kachhuom tatha pakshiyom ke samunnata – gumjita rahata hai, sundara pratita hota hai. Vaha eka padmavaravedika evam vanakhanda dvara saba ora se ghira hua hai. Usa gamgaprapatakunda ki tina dishaom mem – tina – tina sirhiyam bani hui haim. Una sirhiyom ke nema – vajraratnamaya haim. Pratishthana – rishtaratnamaya haim. Khambhe vaiduryaratnamaya haim. Phalaka – sone – chamdi se bane haim. Suchiyam – lohitaksha ratna – nirmita hai. Sandhiyam – vajraratnamaya haim. Alambana – vividha prakara ki maniyom se bane haim. Tinom dishaom mem vidyamana una tina – tina sirhiyom ke age torana – dvara bane haim. Ve anekavidha ratnom se sajjita haim, manimaya khambho para tike haim, sirhiyom ke sannikatavarti haim. Unamem bicha – bicha mem vividha tarom ke akara mem bahuta prakara ke moti jare haim. Ve ihamriga, vrishabha, ashva, manushya, makara, khaga, sarpa, kinnara, rurusamjnyaka mriga, sharabha, chamara, hathi, vanalata, padmalata adi ke chitramkanom se sushobhita hai. Unake khambhom para utkirna vajraratnamayi vedikaem haim. Una para chitrita vidyadhara – yugala, eka akarayukta kathaputaliyom ki jyom samcharanashila se pratita hote haim. Hajarom ratnom ki prabha se ve sushobhita haim. Sahasrom chitrom se ve dedipyamana haim, dekhane matra se netrom mem sama jate haim. Ve sukhamaya sparshayukta evam shobhamaya rupayukta haim. Una para jo ghamtiyam lagi haim, ve pavana se andolita hone para bara madhura shabda karati haim, manorama pratita hoti haim. Una torana – dvarom para svastika, shrivatsa adi atha – atha mamgala – dravya sthapita haim. Kale chamvarom ki dhvajaem yavat tatha shata – sahasrapatrom – kamalom ke dhera ke dhera lage haim, jo sarvaratnamaya haim, svachchha evam sundara haim. Usa gamgaprapatakunda ke thika bicha mem gamgadvipa dvipa hai. Atha yojana lamba – chaura hai, usaki paridhi kuchha adhika pachchisa yojana hai. Jala se upara do kosa umcha utha hua hai. Vaha sarvaratnamaya hai, svachchha evam sukomala hai. Vaha eka padmavaravedika tatha eka vanakhanda dvara saba ora se ghira hua hai. Gamgadvipa para bahuta samatala, sundara bhumibhaga hai. Usake thika bicha mem gamgadevi ka vishala bhavana hai. Vaha eka kosa lamba, adha kosa chaura tatha kama eka kosa umcha hai. Vaha saikarom khambhom para avasthita hai. Usake thika bicha mem eka manipithika hai. Usa para shayya hai parama riddhishalini gamgadevi ka avasa – sthana hone se vaha dvipa gamgadvipa kaha jata hai, athava yaha shashvata nama hai – usa gamgaprapatakunda ke dakshini torana se gamga mahanadi age nikalati hai. Vaha uttarardha bharatakshetra ki ora age barhati hai taba 7000 nadiyam usamem a milati haim. Vaha unase apurna hokara khandaprapata gupha hoti hui, vaitadhya parvata ko chirati – dakshinardha bharatakshetra ki ora jati hai. Dakshinardha bharata ke thika bichamem bahati hui purva ki ora murati hai. Phira 14000 nadiyam ke parivara se yukta jambudvipa jagati ko vidirna kara – purvilavanasamudra mem milati hai Gamga mahanadi ka pravaha – eka kosa adhika chhah yojana ka vistara – liye hue hai. Vaha adha kosa gahara hai. Tatpashchat vaha mahanadi kramashah matra mem – vistara mem barhati jati hai. Jaba samudra mem milati hai, usa samaya usaki chaurai sarhe basatha yojana hoti hai, gaharai eka yojana eka kosa – hoti hai. Vaha donom ora do padmavaravedikaom tatha vanakhandom dvara samparivritta hai. Gamga mahanadi ke anurupa hi sindhu mahanadi ka ayama – vistara hai. Itana antara hai – sindhu mahanadi usa padmadraha ke pashchima digvarti torana se nikalati hai, pashchima disha ki ora bahati hai, sindhvavarta kuta se murakara dakshinabhimukha hoti hui bahati hai. Phira niche timisra gupha se hoti hui vaha vaitadhya parvata ko chirakara pashchima ki ora murati hai. Usamem vaham 14000 nadiyam milati haim. Phira vaha jagati ko vidirna karati hui pashchimi lavanasamudra mem milati hai. Usa padmadraha ke uttari torana se rohitamsha mahanadi nikalati hai. Vaha parvata para uttara mem 276 – 6/19 yojana bahati hai. Ghare ke mumha se nikalate hue pani ki jyom aura se shabda karati hui vegapurvaka motiyom ke hara ke sadrisha akara mem parvata – shikhara se prapata taka kuchha adhika eka sau yojana parimita pravaha ke rupa mem prapata mem girati hai. Rohitamsha mahanadi jaham girati hai, vaham eka jihvaka hai. Usaka ayama eka yojana hai, vistara sarhe baraha yojana hai. Usaka motapana eka kosa hai. Usaka akara magaramachchha ke khule mukha ke akara jaisa hai. Vaha sarvaratnamaya hai, svachchha hai. Rohitamsha mahanadi jaham girati hai, vaha rohitamshaprapatakunda hai. Usaki lambai – chaurai 120 yojana hai. Usaki paridhi kuchha kama 183 yojana hai. Usaki gaharai dasa yojana hai. Usa rohitamshaprapata kunda ke thika bicha mem rohitamshadvipa hai. Usaki lambai – chaurai solaha yojana hai. Usaki paridhi kuchha adhika pachasa yojana hai. Vaha jala se upara do kosha umcha utha hua hai. Vaha sarvaratnamaya hai, svachchha evam sukomala hai. Usa rohitamshaprapatakunda ke uttari torana se rohitamsha mahanadi age nikalati hai, haimavata kshetra ki ora barhati hai. 14000 nadiyam usamem milati hai. Unase apurna hoti hui vaha shabdapati vrittavaitadhya parvata ke adha yojana dura rahane para pashchima ki ora murati hai. Vaha haimavata kshetra ko do bhagom mem vibhakta karati hui age barhati hai. Tatpashchat 28000 nadiyom ke parivara sahita – niche ki ora jagati ko vidirna karati hui – pashchima – digvarti lavanasamudra mem mila jati hai. Rohitamsha mahanadi jaham se nikalati hai, vaham usaka vistara sarhe baraha yojana hai. Usaki gaharai eka kosha hai. Tatpashchat vaha kramashah barhati jati hai. Mukha – mula mem – usaka vistara 125 yojana hota hai, gaharai arhai yojana hoti hai. Vaha apane donom ora do padmavaravedikaom tatha do vanakhandom se samparivritta hai. |