Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )

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Sr No : 1007677
Scripture Name( English ): Jambudwippragnapati Translated Scripture Name : जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

वक्षस्कार ३ भरतचक्री

Translated Chapter :

वक्षस्कार ३ भरतचक्री

Section : Translated Section :
Sutra Number : 77 Category : Upang-07
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] तए णं से भरहे राया अन्नया कयाइ सुसेणं सेनावइं सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी– गच्छ णं खिप्पामेव भो देवानुप्पिया! तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडे विहाडेहि, विहाडेत्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहि। तए णं से सुसेने सेनावई भरहेणं रन्ना एवं वुत्ते समाणे हट्ठतुट्ठ-चित्तमानंदिए नंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं सामी! तहत्ति आणाए विनएणं वयणं पडिसुनेइ, पडिसुणेत्ता भरहस्स रन्नो अंतियाओ पडिनि-क्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव सए आवासे जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता दब्भसंथारगं संथरइ, संथरित्ता दब्भसंथारगं दुरुहइ, दुरुहित्ता कयमालस्स देवस्स अट्ठमभत्तं पगिण्हइ, पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी उम्मुकमणिसुवण्णे ववगयमालावन्नगविलेवने निक्खित्त-सत्थमुसले दब्भसंथारोवगए एगे अबीए अट्ठमभत्तं पडिजागरमाणे-पडिजागरमाणे विहरइ। तए णं से सुसेने सेनावई अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि पोसहसालाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव मज्जनघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ण्हाए कयबलिकम्मे कयकोउय मंगल पायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाइं मंगल्लाइं वत्थाइं पवर परिहिए अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे धूवपुप्फगंधमल्लहत्थगए मज्जनघराओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडा तेणेव पहारेत्थ गमणाए। तए णं तस्स सुसेनस्स सेनावइस्स बहवे राईसर तलवर माडंबिय कोडुंबिय इब्भ सेट्ठि सेनावई सत्थवाहप्पभियओ अप्पेगइया उप्पलहत्थगया जाव अप्पेगइया सहस्सपत्तहत्थगया सुसेणं सेनावइं पिट्ठओ-पिट्ठओ अनुगच्छंति। तए णं तस्स सुसेनस्स सेनावइस्स बहूओ खुज्जाओ चिलाइयाओ जाव इंगिय चिंतिय पत्थिय विआणियाओ निउणकुसलाओ विनीयाओ अप्पेगइयाओ वंदणकलसहत्थगयाओ जाव सुसेणं सेनावइं पिट्ठओ-पिट्ठओ अनुगच्छंति। तए णं से सुसेने सेनावई सव्विड्ढीए सव्वजुईए जाव निग्घोसणाइएणं जेणेव तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता आलोए पणामं करेइ, करेत्ता लोम-हत्थगं परामुसइ, परामुसित्ता तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडे लोमहत्थेणं पमज्जइ, पमज्जित्ता दिव्वाए उदगधाराए अब्भुक्खेइ, अब्भुक्खेत्ता सरसेणं गोसीसचंदनेणं पंचंगुलितले चच्चए य दलयति, दलयित्ता अग्गेहिं वरेहिं गंधेहि य मल्लेहि य अच्चिनेइ, अच्चिणेत्ता पुप्फारुहणं मल्ल गंध वण्ण चुण्ण वत्थारुहणं करेइ, करेत्ता आसत्तोसत्तविपुलवट्ट वग्घारियमल्लदामकलावं पंचवण्णसरससुरभिमुक्कपुप्फपुंजोवयारकलियं कालागरु पवरकुंदुरुक्क तुरुक्क धूवमघमघेंत गंधुद्धूयाभिरामं सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूयं करेइ, करेत्ता अच्छेहिं सण्हेहिं सेतेहिं रययामएहिं अच्छरसातंडुलेहिं तिमिस्सगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडाणं पुरओ अट्ठट्ठ मंगलए आलिहइ, [तं जहा–सोत्थिय सिरिवच्छ नंदियावत्त वद्धमाणग भद्दासण मच्छ कलस दप्पण अट्ठमंगलए] ... ...आलिहित्ता काऊणं करेइ उवयारं, किं ते? पाडल मल्लिय चंपग असोग पुण्णाग, चूयमंजरि नवमालिय बकुल तिलग कणवीर कुंद कोज्जय कोरंटय पत्त दमणय वरसुरहिसुगंधगंधियस्स कयग्गहगहिय करयलपब्भट्ठं विप्पमुक्कस्स दसद्धवण्णस्स कुसुमणिगरस्स तत्थ चित्तं जण्णुस्सेह-प्पमाणमेत्तं ओहिनिगरं करेत्ता चंदप्पभवइरवेरुलियविमलदंडं कंचनमणिरयणभत्तिचित्तं कालागरु पवरकुंदुरुक्क तुरुक्क धूवगंधुत्तमाणुविद्धं च धूमवट्टिं विनिम्मुयंतं वेरुलियमयं कडुच्छुयं पग्गहेत्तु पयते धूवं दलयइ, दलयित्ता वामं जाणुं अंचेइ, अंचेत्ता करयल परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु कवाडाणं पणामं करेइ, करेत्ता दंडरयणं परामुसइ, तए णं तं दंडरयणं पंचलइयं वइरसारमइयं, विणासणं सव्वसत्तुसेन्नाणं, खंधावारे नरवइस्स गड्ड दरि विसम पब्भार गिरीवर पवायाणं समीकरणं, संतिकरं सुभकरं हितकरं रन्नो हियइच्छियमणोरहपूरगं दिव्वमप्पडिहयं दंडरयणं गहाय सत्तट्ठ पयाइं पच्चोसक्कइ, पच्चोसक्कित्ता तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडे दंडरयणेणं महया-महया सद्देणं तिक्खुत्तो आउडेइ। तए णं तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडा सुसेनसेनावइणा दंडरयणेणं महया-महया सद्देणं तिक्खुत्तो आउडिया समाणा महया-महया सद्देणं कोंचारवं करेमाणा सरसरस्स सगाइं-सगाइं ठाणाइं पच्चोसक्कित्था। तए णं से सुसेने सेनावई तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडे विहाडेइ, विहाडेत्ता जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भरहं रायं करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु जएणं विजएणं वद्धावेइ, वद्धावेत्ता एवं वयासी– विहाडिया णं देवानुप्पिया! तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडा, एयण्णं देवानुप्पियाणं पियं निवेदेमो, पियं भे भवउ। तए णं से भरहे राया सुसेनस्स सेनावइस्स अंतिए एयमट्ठं सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठचित्तमानंदिए नंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए सुसेनं सेनावइं सक्कारेइ सम्मानेइ, सक्का-रेत्ता सम्मानेत्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी– खिप्पामेव भो देवानुप्पिया! आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेह, हय गय रह पवरजोहकलियं चाउरंगिणिं सेन्नं सन्नाहेह तहेव जाव अंजनगिरिकूडसन्निभं गयवरं नरवई दुरुढे।
Sutra Meaning : राजा भरत ने सेनापति सुषेण को बुलाकर कहा – जाओ, शीघ्र ही तमिस्र गुफा के दक्षिणी द्वार के दोनों कपाट उद्‌घाटित करो। राजा भरत द्वारा यों कहे जाने पर सेनापति सुषेण अपने चित्त में हर्षित, परितुष्ट तथा आनन्दित हुआ। उसने अपने दोनों हाथ जोड़े। विनयपूर्वक राजा का वचन स्वीकार किया। पौषधशाला में आया। डाभ का बिछौना बिछाया। कृतमाल देव को उद्दिष्ट कर तेला किया, पौषध लिया। ब्रह्मचर्य स्वीकार किया। तेले के पूर्ण हो जाने पर वह पौषधशाला से बाहर निकला। स्नान किया, नित्यनैमित्तिक कृत्य किये। अंजन आंजा, तिलक लगाया, मंगल – विधान किया। उत्तम, प्रवेश्य, मांगलिक वस्त्र पहने। थोड़े पर बहुमूल्य आभूषणों से शरीर को अलंकृत किया। धूप, पुष्प, सुगन्धित पदार्थ एवं मालाएं हाथ में लीं। तमिस्रा गुफा के दक्षिणी द्वार के कपाट थे, उधर चला। माण्डलिक अधिपति, ऐश्वर्यशाली, प्रभावशाली पुरुष, राजसम्मानित विशिष्ट जन, जागीरदार तथा सार्थवाह आदि सेनापति सुषेण के पीछे – पीछे चले, बहुत सी दासियाँ पीछे – पीछे चलती थीं। वे चिन्तित तथा अभिलषित भाव को संकेत या चेष्टा मात्र से समझ लेने में विज्ञ थीं, प्रत्येक कार्य में निपुण थीं, कुशल थीं तथा स्वभावतः विनयशील थीं। सब प्रकार की समृद्धि तथा द्युति से युक्त सेनापति सुषेण वाद्य – ध्वनि के साथ जहाँ तमिस्रा गुफा के दक्षिणी द्वार के कपाट थे, वहाँ आया। प्रणाम किया। मयूरपिच्छ की प्रमार्जनिका उठाई। कपाटों को प्रमार्जित किया – । उन पर दिव्य जलधारा छोड़ी। आर्द्र गोशीर्ष चन्दन से हथेली के थापे लगाये। अभिनव, उत्तम सुगन्धित पदार्थों से तथा मालाओं से अर्चना की। उन पर पुष्प, वस्त्र चढ़ाये। ऐसा कर इन सबके ऊपर से नीचे तक फैला, विस्तीर्ण, गोल चँदवा ताना। स्वच्छ बारीक चाँदी के चावलों से, तमिस्रा गुफा के कपाटों के आगे स्वस्तिक, श्रीवत्स आदि आठ मांगलिक अंकित किये। कचग्रह ज्यों पाँचों अंगुलियों से ग्रहीत पंचरंगे फूल उसने अपने करतल से उन पर छोड़े। वैडूर्य रत्नों से बना धूपपात्र हाथ में लिया। धूपपात्र का हत्था चन्द्रमा की ज्यों उज्ज्वल था, वज्ररत्न एवं वैडूर्यरत्न से बना था। धूप – पात्र पर स्वर्ण, मणि तथा रत्नों द्वारा चित्रांकन किया हुआ था। काले अगर, उत्तम कुन्दरुक, लोबान एवं धूप की गमगमाती महक उससे उठ रही थी। उसने उस धूपपात्र में धूप दिया – । फिर अपने बाएं घुटने को जमीन से ऊंचा रखा। दोनों हाथ मस्तक से लगाया। कपाटों को प्रणाम किया। दण्डरत्न को उठाया वह दण्ड रत्नमय तिरछे अवयव – युक्त था, वज्रसार से बना था, समग्र शत्रु – सेना का विनाशक था, राजा के सैन्य – सन्निवेश में गड्ढो, कन्दराओं, ऊबड़ – खाबड़ स्थलों, पहाड़ियों, चलते हुए मनुष्यों के लिए कष्टकर पथरीले टीलों को समतल बना देने वाला था। वह राजा के लिए शांतिकर, शुभकर, हितकर तथा उसके ईच्छित मनोरथों का पूरक था, दिव्य था, अप्रतिहत था। वेग – अपवादन हेतु वह सात आठ कदम पीछे हटा, तमिस्रा गुफा के दक्षिणी द्वार के किवाड़ों पर तीन बार प्रहार किया, जिससे भारी शब्द हुआ। इस प्रकार क्रौञ्च पक्षी की ज्यों जोर से आवाज कर अपने स्थान से कपाट सरके। यों सेनापति सुषेण ने तमिस्रा गुफा के दक्षिणी द्वार के कपाट खोले। राजा को ‘जय, विजय’ शब्दों द्वारा वर्धापित कर कहा – तमिस्रा गुफा के दक्षिणी द्वार के कपाट खोल दिये हैं। राजा भरत यह संवाद सुनकर अपने मन में हर्षित, परितुष्ट तथा आनन्दित हुआ। राजा ने सेनापति सुषेण का सत्कार किया, सम्मान किया। अपने कौटुम्बिक पुरुषों को बुलाकर कहा – आभिषेक्य हस्तिरत्न को शीघ्र तैयार करो। तब घोड़े, हाथी, रथ तथा श्रेष्ठ योद्धाओं से परिगठित चातुरंगिणी सेना से संपरिवृत्त, अनेकानेक सुभटों के विस्तार से युक्त राजा उच्च स्वर में समुद्र के गर्जन के सदृश सिंहनाद करता हुआ अंजनगिरि के शिखर के समान गजराज पर आरूढ हुआ।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] tae nam se bharahe raya annaya kayai susenam senavaim saddavei, saddavetta evam vayasi– gachchha nam khippameva bho devanuppiya! Timisaguhae dahinillassa duvarassa kavade vihadehi, vihadetta mama eyamanattiyam pachchappinahi. Tae nam se susene senavai bharahenam ranna evam vutte samane hatthatuttha-chittamanamdie namdie piimane paramasomanassie harisavasavisappamanahiyae karayalapariggahiyam sirasavattam matthae amjalim kattu evam sami! Tahatti anae vinaenam vayanam padisunei, padisunetta bharahassa ranno amtiyao padini-kkhamai, padinikkhamitta jeneva sae avase jeneva posahasala teneva uvagachchhai, uvagachchhitta dabbhasamtharagam samtharai, samtharitta dabbhasamtharagam duruhai, duruhitta kayamalassa devassa atthamabhattam paginhai, posahasalae posahie bambhayari ummukamanisuvanne vavagayamalavannagavilevane nikkhitta-satthamusale dabbhasamtharovagae ege abie atthamabhattam padijagaramane-padijagaramane viharai. Tae nam se susene senavai atthamabhattamsi parinamamanamsi posahasalao padinikkhamai, padinikkhamitta jeneva majjanaghare teneva uvagachchhai, uvagachchhitta nhae kayabalikamme kayakouya mamgala payachchhitte suddhappavesaim mamgallaim vatthaim pavara parihie appamahagghabharanalamkiyasarire dhuvapupphagamdhamallahatthagae majjanagharao padinikkhamai, padinikkhamitta jeneva timisaguhae dahinillassa duvarassa kavada teneva paharettha gamanae. Tae nam tassa susenassa senavaissa bahave raisara talavara madambiya kodumbiya ibbha setthi senavai satthavahappabhiyao appegaiya uppalahatthagaya java appegaiya sahassapattahatthagaya susenam senavaim pitthao-pitthao anugachchhamti. Tae nam tassa susenassa senavaissa bahuo khujjao chilaiyao java imgiya chimtiya patthiya vianiyao niunakusalao viniyao appegaiyao vamdanakalasahatthagayao java susenam senavaim pitthao-pitthao anugachchhamti. Tae nam se susene senavai savviddhie savvajuie java nigghosanaienam jeneva timisaguhae dahinillassa duvarassa kavada teneva uvagachchhai, uvagachchhitta aloe panamam karei, karetta loma-hatthagam paramusai, paramusitta timisaguhae dahinillassa duvarassa kavade lomahatthenam pamajjai, pamajjitta divvae udagadharae abbhukkhei, abbhukkhetta sarasenam gosisachamdanenam pamchamgulitale chachchae ya dalayati, dalayitta aggehim varehim gamdhehi ya mallehi ya achchinei, achchinetta puppharuhanam malla gamdha vanna chunna vattharuhanam karei, karetta asattosattavipulavatta vagghariyamalladamakalavam pamchavannasarasasurabhimukkapupphapumjovayarakaliyam kalagaru pavarakumdurukka turukka dhuvamaghamaghemta gamdhuddhuyabhiramam sugamdhavaragamdhiyam gamdhavattibhuyam karei, karetta achchhehim sanhehim setehim rayayamaehim achchharasatamdulehim timissaguhae dahinillassa duvarassa kavadanam purao atthattha mamgalae alihai, [tam jaha–sotthiya sirivachchha namdiyavatta vaddhamanaga bhaddasana machchha kalasa dappana atthamamgalae].. ..Alihitta kaunam karei uvayaram, kim te? Padala malliya champaga asoga punnaga, chuyamamjari navamaliya bakula tilaga kanavira kumda kojjaya koramtaya patta damanaya varasurahisugamdhagamdhiyassa kayaggahagahiya karayalapabbhattham vippamukkassa dasaddhavannassa kusumanigarassa tattha chittam jannusseha-ppamanamettam ohinigaram karetta chamdappabhavairaveruliyavimaladamdam kamchanamanirayanabhattichittam kalagaru pavarakumdurukka turukka dhuvagamdhuttamanuviddham cha dhumavattim vinimmuyamtam veruliyamayam kaduchchhuyam paggahettu payate dhuvam dalayai, dalayitta vamam janum amchei, amchetta karayala pariggahiyam sirasavattam matthae amjalim kattu kavadanam panamam karei, karetta damdarayanam paramusai, tae nam tam damdarayanam pamchalaiyam vairasaramaiyam, vinasanam savvasattusennanam, khamdhavare naravaissa gadda dari visama pabbhara girivara pavayanam samikaranam, samtikaram subhakaram hitakaram ranno hiyaichchhiyamanorahapuragam divvamappadihayam damdarayanam gahaya sattattha payaim pachchosakkai, pachchosakkitta timisaguhae dahinillassa duvarassa kavade damdarayanenam mahaya-mahaya saddenam tikkhutto audei. Tae nam timisaguhae dahinillassa duvarassa kavada susenasenavaina damdarayanenam mahaya-mahaya saddenam tikkhutto audiya samana mahaya-mahaya saddenam komcharavam karemana sarasarassa sagaim-sagaim thanaim pachchosakkittha. Tae nam se susene senavai timisaguhae dahinillassa duvarassa kavade vihadei, vihadetta jeneva bharahe raya teneva uvagachchhai, uvagachchhitta bharaham rayam karayalapariggahiyam sirasavattam matthae amjalim kattu jaenam vijaenam vaddhavei, vaddhavetta evam vayasi– vihadiya nam devanuppiya! Timisaguhae dahinillassa duvarassa kavada, eyannam devanuppiyanam piyam nivedemo, piyam bhe bhavau. Tae nam se bharahe raya susenassa senavaissa amtie eyamattham sochcha nisamma hatthatutthachittamanamdie namdie piimane paramasomanassie harisavasavisappamanahiyae susenam senavaim sakkarei sammanei, sakka-retta sammanetta kodumbiyapurise saddavei, saddavetta evam vayasi– khippameva bho devanuppiya! Abhisekkam hatthirayanam padikappeha, haya gaya raha pavarajohakaliyam chauramginim sennam sannaheha taheva java amjanagirikudasannibham gayavaram naravai durudhe.
Sutra Meaning Transliteration : Raja bharata ne senapati sushena ko bulakara kaha – jao, shighra hi tamisra gupha ke dakshini dvara ke donom kapata udghatita karo. Raja bharata dvara yom kahe jane para senapati sushena apane chitta mem harshita, paritushta tatha anandita hua. Usane apane donom hatha jore. Vinayapurvaka raja ka vachana svikara kiya. Paushadhashala mem aya. Dabha ka bichhauna bichhaya. Kritamala deva ko uddishta kara tela kiya, paushadha liya. Brahmacharya svikara kiya. Tele ke purna ho jane para vaha paushadhashala se bahara nikala. Snana kiya, nityanaimittika kritya kiye. Amjana amja, tilaka lagaya, mamgala – vidhana kiya. Uttama, praveshya, mamgalika vastra pahane. Thore para bahumulya abhushanom se sharira ko alamkrita kiya. Dhupa, pushpa, sugandhita padartha evam malaem hatha mem lim. Tamisra gupha ke dakshini dvara ke kapata the, udhara chala. Mandalika adhipati, aishvaryashali, prabhavashali purusha, rajasammanita vishishta jana, jagiradara tatha sarthavaha adi senapati sushena ke pichhe – pichhe chale, bahuta si dasiyam pichhe – pichhe chalati thim. Ve chintita tatha abhilashita bhava ko samketa ya cheshta matra se samajha lene mem vijnya thim, pratyeka karya mem nipuna thim, kushala thim tatha svabhavatah vinayashila thim. Saba prakara ki samriddhi tatha dyuti se yukta senapati sushena vadya – dhvani ke satha jaham tamisra gupha ke dakshini dvara ke kapata the, vaham aya. Pranama kiya. Mayurapichchha ki pramarjanika uthai. Kapatom ko pramarjita kiya –\. Una para divya jaladhara chhori. Ardra goshirsha chandana se hatheli ke thape lagaye. Abhinava, uttama sugandhita padarthom se tatha malaom se archana ki. Una para pushpa, vastra charhaye. Aisa kara ina sabake upara se niche taka phaila, vistirna, gola chamdava tana. Svachchha barika chamdi ke chavalom se, tamisra gupha ke kapatom ke age svastika, shrivatsa adi atha mamgalika amkita kiye. Kachagraha jyom pamchom amguliyom se grahita pamcharamge phula usane apane karatala se una para chhore. Vaidurya ratnom se bana dhupapatra hatha mem liya. Dhupapatra ka hattha chandrama ki jyom ujjvala tha, vajraratna evam vaiduryaratna se bana tha. Dhupa – patra para svarna, mani tatha ratnom dvara chitramkana kiya hua tha. Kale agara, uttama kundaruka, lobana evam dhupa ki gamagamati mahaka usase utha rahi thi. Usane usa dhupapatra mem dhupa diya –\. Phira apane baem ghutane ko jamina se umcha rakha. Donom hatha mastaka se lagaya. Kapatom ko pranama kiya. Dandaratna ko uthaya Vaha danda ratnamaya tirachhe avayava – yukta tha, vajrasara se bana tha, samagra shatru – sena ka vinashaka tha, raja ke sainya – sannivesha mem gaddho, kandaraom, ubara – khabara sthalom, pahariyom, chalate hue manushyom ke lie kashtakara patharile tilom ko samatala bana dene vala tha. Vaha raja ke lie shamtikara, shubhakara, hitakara tatha usake ichchhita manorathom ka puraka tha, divya tha, apratihata tha. Vega – apavadana hetu vaha sata atha kadama pichhe hata, tamisra gupha ke dakshini dvara ke kivarom para tina bara prahara kiya, jisase bhari shabda hua. Isa prakara krauncha pakshi ki jyom jora se avaja kara apane sthana se kapata sarake. Yom senapati sushena ne tamisra gupha ke dakshini dvara ke kapata khole. Raja ko ‘jaya, vijaya’ shabdom dvara vardhapita kara kaha – tamisra gupha ke dakshini dvara ke kapata khola diye haim. Raja bharata yaha samvada sunakara apane mana mem harshita, paritushta tatha anandita hua. Raja ne senapati sushena ka satkara kiya, sammana kiya. Apane kautumbika purushom ko bulakara kaha – abhishekya hastiratna ko shighra taiyara karo. Taba ghore, hathi, ratha tatha shreshtha yoddhaom se parigathita chaturamgini sena se samparivritta, anekaneka subhatom ke vistara se yukta raja uchcha svara mem samudra ke garjana ke sadrisha simhanada karata hua amjanagiri ke shikhara ke samana gajaraja para arudha hua.