Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )

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Sr No : 1007675
Scripture Name( English ): Jambudwippragnapati Translated Scripture Name : जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

वक्षस्कार ३ भरतचक्री

Translated Chapter :

वक्षस्कार ३ भरतचक्री

Section : Translated Section :
Sutra Number : 75 Category : Upang-07
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] तए णं से दिव्वे चक्करयणे सिंधूए देवीए अट्ठाहियाए महामहिमाए निव्वत्ताए समाणीए आउहघरसालाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता अंतलिक्खपडिवण्णे जक्खसहस्ससंपरिवुडे दिव्वतुडियसद्दसन्निनादेणं पूरेंतं चेव अंबरतलं० उत्तरपुरत्थिमं दिसिं वेयड्ढपव्वयभिमुहे पयाए यावि होत्था। तए णं से भरहे राया तं दिव्वं चक्करयणं उत्तरपुरत्थिमंदिसिं वेयड्ढपव्वयाभिमुहं पयातं चावि पासइ, पासित्ता हट्ठतुट्ठचित्तमानंदिए जाव जेणेव वेयड्ढपव्वए जेणेव वेयड्ढस्स पव्वयस्स दाहिणिल्ले नितंबे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता वेयड्ढस्स पव्वयस्स दाहिणिल्ले नितंबे दुवालसजोयणायामं नवजोयणविच्छिण्णं वरनगरसरिच्छं विजयखंधावारनिवेसं करेइ, करेत्ता वड्ढइरयणं सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी– खिप्पामेव भो देवानुप्पिया! मम आवासं पोसहसालं च करेहि, करेत्ता ममेयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहि। तए णं से वड्ढइरयणे भरहेणं रन्ना एवं वुत्ते समाणे हट्ठतुट्ठ-चित्तमानंदिए नंदिए पीइमाणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं सामी! तहत्ति आणाए विनएणं वयणं पडिसुनेइ, पडि सुणेत्ता भरहस्स रन्नो आवसहं पोसहसालं च करेइ, करेत्ता एयमाणत्तियं खिप्पामेव पच्चप्पिणति। तए णं से भरहे राया आभिसेक्काओ हत्थिरयणाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोसहसालं अनुपविसइ, अनुपविसित्ता पोसहसालं पमज्जइ, पमज्जित्ता दब्भसंथारगं संथरइ, संथरित्ता दब्भसंथारगं दुरुहइ, दुरुहित्ता वेयड्ढगिरि-कुमारस्स देवस्स अट्ठमभत्तं पगिण्हइ, पगिण्हित्ता पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी उम्मुक्कमणि-सुवण्णे ववगयमालावण्णगविलेवने निक्खित्तसत्थमुसले दब्भसंथारोवगए अट्ठमभत्तिए वेयड्ढगिरि-कुमारं देवं मनसीकरेमाणे-मनसीकरेमाणे चिट्ठइ। तए णं तस्स भरहस्स रन्नो अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि वेयड्ढगिरिकुमारस्स देवस्स आसनंचलइ। एवं सिंधुगमो नेयव्वो। पीइदानं–आभिसेक्कं रयणालंकारं कडगाणि य तुडियाणि य वत्थाणि य आभरणाणि य गेण्हइ, गेण्हित्ता ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए जइणाए सीहाए सिग्घाए उद्धुयाए दिव्वाए देवगईए वीईवयमाणे-वीईवयमाणे जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अंतलिक्खपडिवण्णे सखिंखिणीयाइं पंचवण्णाइं वत्थाइं पवर परिहिए करयल-परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु भरहं रायं जएणं विजएणं वद्धावेइ, वद्धावेत्ता एवं वयासी–अभिजिए णं देवानुप्पिएहिं केवलकप्पे भरहे वासे, अहन्नं देवानुप्पियाणं विसयवासी, अहन्नं देवानुप्पियाणं आणत्ति-किंकरे, तं पडिच्छंतु णं देवानुप्पिया! मम इमं एयारूवं पीइदानं तिकट्टु आभिसेक्कं रयणालंकारं कडगाणि य तुडियाणि य वत्थाणि य आभरणाणि य उवनेइ। तए णं से भरहे राया वेयड्ढगिरिकुमारस्स देवस्स इमेयारूवं पीइदानं पडिच्छइ, पडिच्छित्ता वेयड्ढगिरिकुमारं देवं सक्कारेइ सम्मानेइ, सक्कारेत्ता सम्मानेत्ता पडिविसज्जेइ। तए णं से भरहे राया पोसहसालाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव मज्जनघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ण्हाए कयबलिकम्मे जाव जेणेव भोयणमंडवे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भोयणमंडवंसि सुहासनवरगए अट्ठमभत्तं पारेइ, पारेत्ता भोयणमंडवाओ पडि-निक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव सीहासने तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सीहासनवरगए पुरत्थाभिमुहे निसीयइ, निसीइत्ता अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी– खिप्पामेव भो देवानुप्पिया! उस्सुक्कं उक्करं उक्किट्ठं अदिज्जं अमिज्जं अभडप्पवेसं अदंडकोदंडिमं अधरिमं गणियावरणाडइज्जकलियं अनेगतालायराणुचरियं अणुद्धुयमुइंगं अमिलायमल्लदामं पमुइय पक्कीलिय सपुरजनजानवयं विजयवेजइयं वेयड्ढगिरिकुमारस्स देवस्स अट्ठाहियं महामहिमं करेह, करेत्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह। तए णं ताओ अट्ठारस सेणि-प्पसेणीओ भरहेणं रन्ना एवं वुत्ताओ समाणीओ हट्ठतुट्ठाओ जाव अट्ठाहियं महामहिमं करेंति, करेत्ता तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति। तए णं से दिव्वे चक्करयणे वेयड्ढगिरिकुमारस्स देवस्स अट्ठाहियाए महामहिमाए निव्वत्ताए समाणीए आउहघरसालाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता अंतलिक्खपडिवण्णे जक्खसहस्स-संपरिवुडे दिव्वतुडियसद्दसन्निनादेणं पूरेंते चेव अंबरतलं पच्चत्थिमं दिसिं तिमिसगुहाभिमुहे पयाए यावि होत्था। तए णं से भरहे राया तं दिव्वं चक्करयणं पच्चत्थिमं दिसिं तिमिसगुहाभिमुहं पयातं यावि पासइ, पासित्ता हट्ठतुट्ठचित्तमानंदिए जाव तिमिसगुहाए अदूरसामंते दुवालसजोयणायामं नवजोयण-विच्छिण्णं वरनगरसरिच्छं विजयखंधावारनिवेसं करेइ, करेत्ता वड्ढइरयणं सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी– खिप्पामेव भो देवानुप्पिया! मम आवासं पोसहसालं च करेहि, करेत्ता ममेयमा-णत्तियं पच्चप्पिणाहि। तए णं से वड्ढइरयणे भरहेणं रन्ना एवं वुत्ते समाणे हट्ठतुट्ठ-चित्तमानंदिए नंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं सामी! तहत्ति आणाए विनएणं वयणं पडिसुनेइ, पडि सुणेत्ता भरहस्स रन्नो आवसहं पोसहसालं च करेइ, करेत्ता एयमाणत्तियं खिप्पामेव पच्चप्पिणति। तए णं से भरहे राया आभिसेक्काओ हत्थिरयणाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोसहसालं अनुपविसइ, अनुपविसित्ता पोसहसालं पमज्जइ, पमज्जित्ता दब्भसंथारगं संथरइ, संथरित्ता दब्भसंथारगं दुरुहइ, दुरुहित्ता कयमालस्स देवस्स अट्ठमभत्तं पगिण्हइ, पगिण्हित्ता पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी उम्मुक्कमणिसुवण्णे ववगय-मालावण्णगविलेवने निक्खित्तसत्थमुसले दब्भसंथारोवगए अट्ठमभतिए कयमालगं देवं मनसीकरेमाणे-मनसीकरेमाणे चिट्ठइ। तए णं तस्स भरहस्स रन्नो अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि कयमालस्स देवस्स आसनं चलइ तहेव जाव वेयड्ढगिरिकुमारस्स, नवरं–पीइदानं–इत्थीरयणस्स तिलगचोद्दसं भंडालंकारं कडगाणि य तुडियाणि य वत्थाणि य आभरणाणि य गेण्हइ, गेण्हित्ता ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए जइणाए सीहाए सिग्घाए उद्धुयाए दिव्वाए देवगईए वीईवयमाणे-वीईवयमाणे जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अंतलिक्खपडिवण्णे सखिंखिणीयाइं पंचवण्णाइं वत्थाइं पवर परिहिए करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु भरहं रायं जएणं विजएणं वद्धावेइ, वद्धावेत्ता एवं वयासी– अभिजिए णं देवानुप्पिएहिं केवलकप्पे भरहे वासे अहन्नं देवानुप्पियाणं विसयवासी, अहन्नं देवानुप्पियाणं आणत्तिकिंकरे तं पडिच्छंतु णं देवानुप्पिया! मम इमं एयारूवं पीइदानंतिकट्टु इत्थीरयणस्स तिलगचोद्दसं भंडालंकारं कडगाणि य तुडियाणि य वत्थाणि य आभरणाणि य उवनेइ। तए णं से भरहे राया कयमालस्स देवस्स इमेयारूवं पीइदानं पडिच्छइ, पडिच्छित्ता कयमालं देवं सक्कारेइ सम्मानेइ, सक्कारेत्ता सम्मानेत्ता पडिविसज्जेइ। तए णं से भरहे राया पोसहसालाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव मज्जनघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता णहाए कयबलिकम्मे जाव जेणेव भोयणमंडवे तेणेव उवागच्छइ, उवाग-च्छित्ता भोयणमंडवंसि सुहासनवरगए अट्ठमभत्तं पारेइ, पारेत्ता भोयणमंडवाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव सीहासने तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सीहासनवरगए पुरत्थाभिमुहे निसीयइ, निसीइत्ता अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी– खिप्पामेव भो देवानुप्पिया! उसुक्कं उक्करं उक्किट्ठं अदिज्जं अमिज्जं अभडप्पवेसं अदंडकोदंडिमं अधरिमं गणियावरणाडइज्जकलियं अनेगतालायराणुचरियं अणुद्धुयमुइंगं अमिलायमल्लदामं पमुइयपक्कीलिय-सपुरजणजानवयं विजयवेजइयं कयमालं देवं अट्ठाहियं महा-महिमं करेह, करेत्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह। तए णं ताओ अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ भरहेणं रन्ना एवं वुत्ताओ समाणीओ हट्ठतुट्ठाओ जाव अट्ठाहियं महामहिमं करेंति, करेत्ता तमाणत्तियं० पच्चप्पिणंति।
Sutra Meaning : सिन्धुदेवी के विजयोपलक्ष्य में अष्टदिवसीय महोत्सव सम्पन्न हो जाने पर वह दिव्य चक्ररत्न पूर्ववत्‌ शास्त्रागार से बाहर निकला। ईशानकोण में वैताढ्य पर्वत की ओर प्रयाण किया। राजा भरत वैताढ्य पर्वत की दाहिनी ओर की तलहटी थी, वहाँ आया। वहाँ बारह योजन लम्बा तथा नौ योजन चौड़ा सैन्य – शिबिर स्थापित किया। वैताढ्यकुमार देव को उद्दिष्ट कर तेला किया। पौषध लिया, वैताढ्य गिरिकुमार का ध्यान करता हुआ अवस्थित हुआ। वैताढ्य गिरिकुमार का आसन डोला। आगे सिन्धुदेवी के समान समझना। राजा की आज्ञा से अष्टदिवसीय महोत्सव आयोजित कर आयोजकों ने राजा को सूचित किया। अष्टदिवसीय महोत्सव के सम्पन्न हो जाने पर वह दिव्य चक्ररत्न पश्चिम दिशा में तमिस्रा गुफा की ओर आगे बढ़ा। राजा भरत ने तमिस्रा गुफा से थोड़ी ही दूरी पर बारह योजन लम्बा और नौ योजन चौड़ा सैन्य शिबिर स्थापित किया। कृतमाल देव को उद्दिष्ट कर उसने तेला किया यावत्‌ कृतमाल देव का आसन चलित हुआ। शेष वर्णन वैताढ्य गिरिकुमार समान है। कृतमाल देव ने राजा भरत को प्रीतिदान देते हुए राजा के स्त्री – रत्न के लिए रत्न – निर्मित चौदह तिलक – सहित आभूषणों की पेटी, कटक आदि लिये। राजा को ये उपहार भेंट किये। राजा ने उसका सत्कार किया, सम्मान किया, विदा किया। यावत्‌ अष्टदिवसीय महोत्सव आयोजित हुआ।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] tae nam se divve chakkarayane simdhue devie atthahiyae mahamahimae nivvattae samanie auhagharasalao padinikkhamai, padinikkhamitta amtalikkhapadivanne jakkhasahassasamparivude divvatudiyasaddasanninadenam puremtam cheva ambaratalam0 uttarapuratthimam disim veyaddhapavvayabhimuhe payae yavi hottha. Tae nam se bharahe raya tam divvam chakkarayanam uttarapuratthimamdisim veyaddhapavvayabhimuham payatam chavi pasai, pasitta hatthatutthachittamanamdie java jeneva veyaddhapavvae jeneva veyaddhassa pavvayassa dahinille nitambe teneva uvagachchhai, uvagachchhitta veyaddhassa pavvayassa dahinille nitambe duvalasajoyanayamam navajoyanavichchhinnam varanagarasarichchham vijayakhamdhavaranivesam karei, karetta vaddhairayanam saddavei, saddavetta evam vayasi– khippameva bho devanuppiya! Mama avasam posahasalam cha karehi, karetta mameyamanattiyam pachchappinahi. Tae nam se vaddhairayane bharahenam ranna evam vutte samane hatthatuttha-chittamanamdie namdie piimane paramasomanassie harisavasavisappamanahiyae karayalapariggahiyam sirasavattam matthae amjalim kattu evam sami! Tahatti anae vinaenam vayanam padisunei, padi sunetta bharahassa ranno avasaham posahasalam cha karei, karetta eyamanattiyam khippameva pachchappinati. Tae nam se bharahe raya abhisekkao hatthirayanao pachchoruhai, pachchoruhitta jeneva posahasala teneva uvagachchhai, uvagachchhitta posahasalam anupavisai, anupavisitta posahasalam pamajjai, pamajjitta dabbhasamtharagam samtharai, samtharitta dabbhasamtharagam duruhai, duruhitta veyaddhagiri-kumarassa devassa atthamabhattam paginhai, paginhitta posahasalae posahie bambhayari ummukkamani-suvanne vavagayamalavannagavilevane nikkhittasatthamusale dabbhasamtharovagae atthamabhattie veyaddhagiri-kumaram devam manasikaremane-manasikaremane chitthai. Tae nam tassa bharahassa ranno atthamabhattamsi parinamamanamsi veyaddhagirikumarassa devassa asanamchalai. Evam simdhugamo neyavvo. Piidanam–abhisekkam rayanalamkaram kadagani ya tudiyani ya vatthani ya abharanani ya genhai, genhitta tae ukkitthae turiyae chavalae jainae sihae sigghae uddhuyae divvae devagaie viivayamane-viivayamane jeneva bharahe raya teneva uvagachchhai, uvagachchhitta amtalikkhapadivanne sakhimkhiniyaim pamchavannaim vatthaim pavara parihie karayala-pariggahiyam dasanaham sirasavattam matthae amjalim kattu bharaham rayam jaenam vijaenam vaddhavei, vaddhavetta evam vayasi–abhijie nam devanuppiehim kevalakappe bharahe vase, ahannam devanuppiyanam visayavasi, ahannam devanuppiyanam anatti-kimkare, tam padichchhamtu nam devanuppiya! Mama imam eyaruvam piidanam tikattu abhisekkam rayanalamkaram kadagani ya tudiyani ya vatthani ya abharanani ya uvanei. Tae nam se bharahe raya veyaddhagirikumarassa devassa imeyaruvam piidanam padichchhai, padichchhitta veyaddhagirikumaram devam sakkarei sammanei, sakkaretta sammanetta padivisajjei. Tae nam se bharahe raya posahasalao padinikkhamai, padinikkhamitta jeneva majjanaghare teneva uvagachchhai, uvagachchhitta nhae kayabalikamme java jeneva bhoyanamamdave teneva uvagachchhai, uvagachchhitta bhoyanamamdavamsi suhasanavaragae atthamabhattam parei, paretta bhoyanamamdavao padi-nikkhamai, padinikkhamitta jeneva bahiriya uvatthanasala jeneva sihasane teneva uvagachchhai, uvagachchhitta sihasanavaragae puratthabhimuhe nisiyai, nisiitta attharasa senippasenio saddavei, saddavetta evam vayasi– Khippameva bho devanuppiya! Ussukkam ukkaram ukkittham adijjam amijjam abhadappavesam adamdakodamdimam adharimam ganiyavaranadaijjakaliyam anegatalayaranuchariyam anuddhuyamuimgam amilayamalladamam pamuiya pakkiliya sapurajanajanavayam vijayavejaiyam veyaddhagirikumarassa devassa atthahiyam mahamahimam kareha, karetta mama eyamanattiyam pachchappinaha. Tae nam tao attharasa seni-ppasenio bharahenam ranna evam vuttao samanio hatthatutthao java atthahiyam mahamahimam karemti, karetta tamanattiyam pachchappinamti. Tae nam se divve chakkarayane veyaddhagirikumarassa devassa atthahiyae mahamahimae nivvattae samanie auhagharasalao padinikkhamai, padinikkhamitta amtalikkhapadivanne jakkhasahassa-samparivude divvatudiyasaddasanninadenam puremte cheva ambaratalam pachchatthimam disim timisaguhabhimuhe payae yavi hottha. Tae nam se bharahe raya tam divvam chakkarayanam pachchatthimam disim timisaguhabhimuham payatam yavi pasai, pasitta hatthatutthachittamanamdie java timisaguhae adurasamamte duvalasajoyanayamam navajoyana-vichchhinnam varanagarasarichchham vijayakhamdhavaranivesam karei, karetta vaddhairayanam saddavei, saddavetta evam vayasi– khippameva bho devanuppiya! Mama avasam posahasalam cha karehi, karetta mameyama-nattiyam pachchappinahi. Tae nam se vaddhairayane bharahenam ranna evam vutte samane hatthatuttha-chittamanamdie namdie piimane paramasomanassie harisavasavisappamanahiyae karayalapariggahiyam sirasavattam matthae amjalim kattu evam sami! Tahatti anae vinaenam vayanam padisunei, padi sunetta bharahassa ranno avasaham posahasalam cha karei, karetta eyamanattiyam khippameva pachchappinati. Tae nam se bharahe raya abhisekkao hatthirayanao pachchoruhai, pachchoruhitta jeneva posahasala teneva uvagachchhai, uvagachchhitta posahasalam anupavisai, anupavisitta posahasalam pamajjai, pamajjitta dabbhasamtharagam samtharai, samtharitta dabbhasamtharagam duruhai, duruhitta kayamalassa devassa atthamabhattam paginhai, paginhitta posahasalae posahie bambhayari ummukkamanisuvanne vavagaya-malavannagavilevane nikkhittasatthamusale dabbhasamtharovagae atthamabhatie kayamalagam devam manasikaremane-manasikaremane chitthai. Tae nam tassa bharahassa ranno atthamabhattamsi parinamamanamsi kayamalassa devassa asanam chalai taheva java veyaddhagirikumarassa, navaram–piidanam–itthirayanassa tilagachoddasam bhamdalamkaram kadagani ya tudiyani ya vatthani ya abharanani ya genhai, genhitta tae ukkitthae turiyae chavalae jainae sihae sigghae uddhuyae divvae devagaie viivayamane-viivayamane jeneva bharahe raya teneva uvagachchhai, uvagachchhitta amtalikkhapadivanne sakhimkhiniyaim pamchavannaim vatthaim pavara parihie karayalapariggahiyam dasanaham sirasavattam matthae amjalim kattu bharaham rayam jaenam vijaenam vaddhavei, vaddhavetta evam vayasi– Abhijie nam devanuppiehim kevalakappe bharahe vase ahannam devanuppiyanam visayavasi, ahannam devanuppiyanam anattikimkare tam padichchhamtu nam devanuppiya! Mama imam eyaruvam piidanamtikattu itthirayanassa tilagachoddasam bhamdalamkaram kadagani ya tudiyani ya vatthani ya abharanani ya uvanei. Tae nam se bharahe raya kayamalassa devassa imeyaruvam piidanam padichchhai, padichchhitta kayamalam devam sakkarei sammanei, sakkaretta sammanetta padivisajjei. Tae nam se bharahe raya posahasalao padinikkhamai, padinikkhamitta jeneva majjanaghare teneva uvagachchhai, uvagachchhitta nahae kayabalikamme java jeneva bhoyanamamdave teneva uvagachchhai, uvaga-chchhitta bhoyanamamdavamsi suhasanavaragae atthamabhattam parei, paretta bhoyanamamdavao padinikkhamai, padinikkhamitta jeneva bahiriya uvatthanasala jeneva sihasane teneva uvagachchhai, uvagachchhitta sihasanavaragae puratthabhimuhe nisiyai, nisiitta attharasa senippasenio saddavei, saddavetta evam vayasi– khippameva bho devanuppiya! Usukkam ukkaram ukkittham adijjam amijjam abhadappavesam adamdakodamdimam adharimam ganiyavaranadaijjakaliyam anegatalayaranuchariyam anuddhuyamuimgam amilayamalladamam pamuiyapakkiliya-sapurajanajanavayam vijayavejaiyam kayamalam devam atthahiyam maha-mahimam kareha, karetta mama eyamanattiyam pachchappinaha. Tae nam tao attharasa senippasenio bharahenam ranna evam vuttao samanio hatthatutthao java atthahiyam mahamahimam karemti, karetta tamanattiyam0 pachchappinamti.
Sutra Meaning Transliteration : Sindhudevi ke vijayopalakshya mem ashtadivasiya mahotsava sampanna ho jane para vaha divya chakraratna purvavat shastragara se bahara nikala. Ishanakona mem vaitadhya parvata ki ora prayana kiya. Raja bharata vaitadhya parvata ki dahini ora ki talahati thi, vaham aya. Vaham baraha yojana lamba tatha nau yojana chaura sainya – shibira sthapita kiya. Vaitadhyakumara deva ko uddishta kara tela kiya. Paushadha liya, vaitadhya girikumara ka dhyana karata hua avasthita hua. Vaitadhya girikumara ka asana dola. Age sindhudevi ke samana samajhana. Raja ki ajnya se ashtadivasiya mahotsava ayojita kara ayojakom ne raja ko suchita kiya. Ashtadivasiya mahotsava ke sampanna ho jane para vaha divya chakraratna pashchima disha mem tamisra gupha ki ora age barha. Raja bharata ne tamisra gupha se thori hi duri para baraha yojana lamba aura nau yojana chaura sainya shibira sthapita kiya. Kritamala deva ko uddishta kara usane tela kiya yavat kritamala deva ka asana chalita hua. Shesha varnana vaitadhya girikumara samana hai. Kritamala deva ne raja bharata ko pritidana dete hue raja ke stri – ratna ke lie ratna – nirmita chaudaha tilaka – sahita abhushanom ki peti, kataka adi liye. Raja ko ye upahara bhemta kiye. Raja ne usaka satkara kiya, sammana kiya, vida kiya. Yavat ashtadivasiya mahotsava ayojita hua.