Sutra Navigation: Vipakasutra ( विपाकश्रुतांग सूत्र )

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Sr No : 1005519
Scripture Name( English ): Vipakasutra Translated Scripture Name : विपाकश्रुतांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

श्रुतस्कंध-१ दुःख विपाक

अध्ययन-३ अभग्नसेन

Translated Chapter :

श्रुतस्कंध-१ दुःख विपाक

अध्ययन-३ अभग्नसेन

Section : Translated Section :
Sutra Number : 19 Category : Ang-11
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] तए णं से विजए चोरसेनावई बहूणं चोराण य पारदारियाण य गंठिभेयगाण य संधिच्छेयगाण य खंडपट्टाण य, अन्नेसिं च बहूणं छिण्ण भिण्ण बाहिराहियाणं कुडंगे यावि होत्था। तए णं से विजए चोरसेनावई पुरिमतालस्स नयरस्स उत्तरपुरत्थिमिल्लं जणवयं बहूहिं गामघाएहिं य नगरघाएहिं य गोग्गहणेहि य बंदिग्गहणेहि य पंथकोट्टेहि य खत्तखणणेहि य ओवीलेमाणे-ओवीलेमाणे विहम्मेमाणे-विहम्मेमाणे तज्जेमाणे-तज्जेमाणे तालेमाणे-तालेमाणे नित्थाणे निद्धणे निक्कणे करेमाणे विहरइ, महब्बलस्स रन्नो अभिक्खणं-अभिक्खणं कप्पायं गेण्हइ। तस्स णं विजयस्स चोरसेनावइस्स खंदसिरी नामं भारिया होत्था–अहीनपडिपुण्ण-पंचिंदिय-सरीरा। तस्स णं विजयस्स चोरसेणावइस्स पुत्ते खंदसिरीए भारियाए अत्तए अभग्गसेने नामं दारए होत्था–अहीनपडिपुण्ण-पंचिंदियसरीरे। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे पुरिमताले नयरे समोसढे। परिसा निग्गया। राया निग्गओ। धम्मो कहिओ। परिसा राया य गओ। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्ठे अंतेवासी गोयमे जाव रायमग्गंसि ओगाढे, तत्थ णं बहवे हत्थी पासइ, अन्ने य तत्थ बहवे आसे पासइ, अन्ने य तत्थ बहवे पुरिसे पासइ–सन्नद्ध बद्धवम्मियकवए। तेसिं च णं पुरिसाणं मज्झगयं एगं पुरिसं पासइ–अवओडय बंधणं उक्खित्त कण्णनासं नेहतुप्पियगत्तं वज्झकरकडि-जुयनियच्छं कंठेगुणरत्त-मल्लदामं चुण्णगुंडियगातं चुण्णयं वज्झपाणपीयं तिलं-तिलं चेव छिज्जमाणं कागणिमंसाइं खावियंतं पावं खक्खरसएहिं हम्ममाणं अनेगनर नारी संपरिवुडं चच्चरे-चच्चरे खंडपडहएणं उग्घोसिज्जमाणं इमं च णं एयारूवं उग्घोसणं सुणेइ– नो खलु देवानुप्पिया! अभग्गसेनस्स चोरसेनावइस्स केइ राया वा रायपुत्तो वा अवरज्झइ, अप्पणो से सयाइं कम्माइं अवरज्झंति। तए णं तं पुरिसं रायपुरिसा पढमंसि चच्चरंसि निसियावेंति, निसियावेत्ता अट्ठ चुलप्पिउए अग्गओ घाएंति, घाएत्ता कसप्पहारेहिं तासेमाणा-तासेमाणा कलुणं काकणिमंसाइं खावेंति, रुहिरपाणं च पाएंति। तयानंतरं च णं दोच्चंसि चच्चरंसि अट्ठ चुल्लमाउयाओ अग्गओ घाएंति, घाएत्ता कसप्पहारेहिं तासेमाणा-तासेमाणा कलुणं काकणिमंसाइं खावेंति, रुहिरपाणं च पाएंति। एवं तच्चे चच्चरे अट्ठ महापिउए, चउत्थे अट्ठ महामाउयाओ, पंचमे पुत्ते, छट्ठे सुण्हाओ, सत्तमे जामाउया, अट्ठमे धूयाओ, नवमे नत्तुया, दसमे नत्तुईओ, एक्कारसमे नत्तुयावई, बारसमे नत्तुइणीओ, तेरसमे पिउस्सियपइया, चोद्दसमे पिउस्सियाओ, पन्नरसमे माउस्सियापइया, सोलसमे माउस्सियाओ, सत्तरसमे मामियाओ, अट्ठारसमे अवसेसंस्स मित्त नाइ नियग सयणसंबंधि परियणस्स अग्गओ घाएंति, घाएत्ता कसप्पहारेहिं तासेमाणा तासेमाणा कलुणं काकणिमंसाइं खावेंति, रुहिरपाणं च पाएंति।
Sutra Meaning : तदनन्तर वह विजय नामक चोर सेनापति अनेक चोर, पारदारिक, ग्रन्थिभेदक, सन्धिच्छेदक, धूर्त वगैरह लोग तथा अन्य बहुत से छिन्न, भिन्न तथा शिष्टमण्डली से बहिष्कृत व्यक्तियों के लिए बाँस के वन के समान गोपक या संरक्षक था। वह विजय चोर सेनापति पुरिमताल नगर के ईशान कोणगत जनपद को अनेक ग्रामों को नष्ट करने से, अनेक नगरों का नाश करने से, गाय आदि पशुओं के अपहरण से, कैदियों को चुराने से, पथिकों को लूटने से, खात – सेंध लगाकर चोरी करने से, पीड़ित करता हुआ, विध्वस्त करता हुआ, तर्जित, ताडित, स्थान – धन तथा धान्यादि से रहित करता हुआ तथा महाबल राजा के राजदेयकर – महसूल को भी बारंबार स्वयं ग्रहण करता हुआ समय व्यतीत करता था। उस विजय नामक चोर सेनापति की स्कन्दश्री नामकी परिपूर्ण पाँच इन्द्रियों से युक्त सर्वांगसुन्दरी पत्नी थी। उस विजय चोर सेनापति का पुत्र एवं स्कन्दश्री का आत्मज अभग्नसेन नाम का एक बालक था, जो अन्यून पाँच इन्द्रियों वाला तथा विशेष ज्ञान रखने वाला और बुद्धि की परिपक्वता से युक्त यौवनावस्था को प्राप्त किये हुए था। उस काल तथा उस समय में पुरिमताल नगर में श्रमण भगवान महावीर स्वामी पधारे। परिषद्‌ नीकली। राजा भी गया। भगवान ने धर्मोपदेश दिया। राजा तथा जनता वापिस लौट आये। उस काल उस समय में श्रमण भगवान महावीर के प्रधान शिष्य गौतम स्वामी राजमार्ग में पधारे। उन्होंने बहुत से हाथियों, घोड़ों तथा सैनिकों की तरह शस्त्रों से सुसज्जित और कवच पहने हुए अनेक पुरुषों को देखा। उन सब के बीच अवकोटक बन्धन से युक्त उद्‌घोषित एक पुरुष को भी देखा। राजपुरुष उस पुरुष को चत्वर पर बैठाकर उसके आगे आठ लघुपिताओं को मारते हैं। तथा कशादि प्रहारों से ताड़ित करते हुए दयनीय स्थिति को प्राप्त हुए उस पुरुष को उसके ही शरीर में से काटे गए माँस के छोटे – छोटे टुकड़ों को खिलाते हैं और रुधिर का पान कराते हैं। द्वितीय चत्वर पर उसकी आठ लघुमाताओं को उसके समक्ष ताड़ित करते हैं और माँस खिलाते तथा रुधिरपान कराते हैं। तीसरे चत्वर पर आठ महापिताओं को, चौथे चत्वर पर आठ महामाताओं को, पाँचवें पर पुत्रों को, छट्ठे पर पुत्रवधूओं को, सातवें पर जामाताओं को, आठवें पर लड़कियों को, नवमें पर नप्ताओं को, दसवें पर लड़के और लड़कियों की लड़कियों को, ग्यारहवे पर नप्तृकापतियों को, तेरहवें पर पिता की बहिनों के पतियों को, चौदहवें पर पिता की बहिनों को, पन्द्रहवें पर माता की बहिनों के पतियों को, सोलहवें पर माता की बहिनों को, सत्रहवें पर मामा की स्त्रियों को, अठारहवें पर शेष मित्र, ज्ञाति, स्वजन सम्बन्धी और परिजनों को उस पुरुष के आगे मारते हैं तथा चाबुक के प्रहारों से ताड़ित करते हुए वे राजपुरुष करुणाजनक उस पुरुष को उसके शरीर से नीकाले हुए माँस के टुकड़े खिलाते और रुधिर का पान कराते हैं।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] tae nam se vijae chorasenavai bahunam chorana ya paradariyana ya gamthibheyagana ya samdhichchheyagana ya khamdapattana ya, annesim cha bahunam chhinna bhinna bahirahiyanam kudamge yavi hottha. Tae nam se vijae chorasenavai purimatalassa nayarassa uttarapuratthimillam janavayam bahuhim gamaghaehim ya nagaraghaehim ya goggahanehi ya bamdiggahanehi ya pamthakottehi ya khattakhananehi ya ovilemane-ovilemane vihammemane-vihammemane tajjemane-tajjemane talemane-talemane nitthane niddhane nikkane karemane viharai, mahabbalassa ranno abhikkhanam-abhikkhanam kappayam genhai. Tassa nam vijayassa chorasenavaissa khamdasiri namam bhariya hottha–ahinapadipunna-pamchimdiya-sarira. Tassa nam vijayassa chorasenavaissa putte khamdasirie bhariyae attae abhaggasene namam darae hottha–ahinapadipunna-pamchimdiyasarire. Tenam kalenam tenam samaenam samane bhagavam mahavire purimatale nayare samosadhe. Parisa niggaya. Raya niggao. Dhammo kahio. Parisa raya ya gao. Tenam kalenam tenam samaenam samanassa bhagavao mahavirassa jetthe amtevasi goyame java rayamaggamsi ogadhe, tattha nam bahave hatthi pasai, anne ya tattha bahave ase pasai, anne ya tattha bahave purise pasai–sannaddha baddhavammiyakavae. Tesim cha nam purisanam majjhagayam egam purisam pasai–avaodaya bamdhanam ukkhitta kannanasam nehatuppiyagattam vajjhakarakadi-juyaniyachchham kamthegunaratta-malladamam chunnagumdiyagatam chunnayam vajjhapanapiyam tilam-tilam cheva chhijjamanam kaganimamsaim khaviyamtam pavam khakkharasaehim hammamanam aneganara nari samparivudam chachchare-chachchare khamdapadahaenam ugghosijjamanam imam cha nam eyaruvam ugghosanam sunei– no khalu devanuppiya! Abhaggasenassa chorasenavaissa kei raya va rayaputto va avarajjhai, appano se sayaim kammaim avarajjhamti. Tae nam tam purisam rayapurisa padhamamsi chachcharamsi nisiyavemti, nisiyavetta attha chulappiue aggao ghaemti, ghaetta kasappaharehim tasemana-tasemana kalunam kakanimamsaim khavemti, ruhirapanam cha paemti. Tayanamtaram cha nam dochchamsi chachcharamsi attha chullamauyao aggao ghaemti, ghaetta kasappaharehim tasemana-tasemana kalunam kakanimamsaim khavemti, ruhirapanam cha paemti. Evam tachche chachchare attha mahapiue, chautthe attha mahamauyao, pamchame putte, chhatthe sunhao, sattame jamauya, atthame dhuyao, navame nattuya, dasame nattuio, ekkarasame nattuyavai, barasame nattuinio, terasame piussiyapaiya, choddasame piussiyao, pannarasame maussiyapaiya, solasame maussiyao, sattarasame mamiyao, attharasame avasesamssa mitta nai niyaga sayanasambamdhi pariyanassa aggao ghaemti, ghaetta kasappaharehim tasemana tasemana kalunam kakanimamsaim khavemti, ruhirapanam cha paemti.
Sutra Meaning Transliteration : Tadanantara vaha vijaya namaka chora senapati aneka chora, paradarika, granthibhedaka, sandhichchhedaka, dhurta vagairaha loga tatha anya bahuta se chhinna, bhinna tatha shishtamandali se bahishkrita vyaktiyom ke lie bamsa ke vana ke samana gopaka ya samrakshaka tha. Vaha vijaya chora senapati purimatala nagara ke ishana konagata janapada ko aneka gramom ko nashta karane se, aneka nagarom ka nasha karane se, gaya adi pashuom ke apaharana se, kaidiyom ko churane se, pathikom ko lutane se, khata – semdha lagakara chori karane se, pirita karata hua, vidhvasta karata hua, tarjita, tadita, sthana – dhana tatha dhanyadi se rahita karata hua tatha mahabala raja ke rajadeyakara – mahasula ko bhi barambara svayam grahana karata hua samaya vyatita karata tha. Usa vijaya namaka chora senapati ki skandashri namaki paripurna pamcha indriyom se yukta sarvamgasundari patni thi. Usa vijaya chora senapati ka putra evam skandashri ka atmaja abhagnasena nama ka eka balaka tha, jo anyuna pamcha indriyom vala tatha vishesha jnyana rakhane vala aura buddhi ki paripakvata se yukta yauvanavastha ko prapta kiye hue tha. Usa kala tatha usa samaya mem purimatala nagara mem shramana bhagavana mahavira svami padhare. Parishad nikali. Raja bhi gaya. Bhagavana ne dharmopadesha diya. Raja tatha janata vapisa lauta aye. Usa kala usa samaya mem shramana bhagavana mahavira ke pradhana shishya gautama svami rajamarga mem padhare. Unhomne bahuta se hathiyom, ghorom tatha sainikom ki taraha shastrom se susajjita aura kavacha pahane hue aneka purushom ko dekha. Una saba ke bicha avakotaka bandhana se yukta udghoshita eka purusha ko bhi dekha. Rajapurusha usa purusha ko chatvara para baithakara usake age atha laghupitaom ko marate haim. Tatha kashadi praharom se tarita karate hue dayaniya sthiti ko prapta hue usa purusha ko usake hi sharira mem se kate gae mamsa ke chhote – chhote tukarom ko khilate haim aura rudhira ka pana karate haim. Dvitiya chatvara para usaki atha laghumataom ko usake samaksha tarita karate haim aura mamsa khilate tatha rudhirapana karate haim. Tisare chatvara para atha mahapitaom ko, chauthe chatvara para atha mahamataom ko, pamchavem para putrom ko, chhatthe para putravadhuom ko, satavem para jamataom ko, athavem para larakiyom ko, navamem para naptaom ko, dasavem para larake aura larakiyom ki larakiyom ko, gyarahave para naptrikapatiyom ko, terahavem para pita ki bahinom ke patiyom ko, chaudahavem para pita ki bahinom ko, pandrahavem para mata ki bahinom ke patiyom ko, solahavem para mata ki bahinom ko, satrahavem para mama ki striyom ko, atharahavem para shesha mitra, jnyati, svajana sambandhi aura parijanom ko usa purusha ke age marate haim tatha chabuka ke praharom se tarita karate hue ve rajapurusha karunajanaka usa purusha ko usake sharira se nikale hue mamsa ke tukare khilate aura rudhira ka pana karate haim.