Sutra Navigation: Prashnavyakaran ( प्रश्नव्यापकरणांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005442 | ||
Scripture Name( English ): | Prashnavyakaran | Translated Scripture Name : | प्रश्नव्यापकरणांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
संवर द्वार श्रुतस्कंध-२ अध्ययन-४ ब्रह्मचर्य |
Translated Chapter : |
संवर द्वार श्रुतस्कंध-२ अध्ययन-४ ब्रह्मचर्य |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 42 | Category : | Ang-10 |
Gatha or Sutra : | Gatha | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [गाथा] देवनरिंदनमंसियपूयं, सव्वजगुत्तममंगलमग्गं । दुद्धरिसं गुणनायगमेक्कं, मोक्खपहस्स वडिंसकभूयं ॥ | ||
Sutra Meaning : | देवेन्द्रों और नरेन्द्रों के द्वारा जो नमस्कृत हैं, उन महापुरुषों के लिए भी ब्रह्मचर्य पूजनीय है। यह जगत के सब मंगलों का मार्ग है। यह दुर्द्धर्ष है, यह गुणों का अद्वितीय नायक है। मोक्ष मार्ग का द्वार उद्घाटक है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [gatha] devanarimdanamamsiyapuyam, savvajaguttamamamgalamaggam. Duddharisam gunanayagamekkam, mokkhapahassa vadimsakabhuyam. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Devendrom aura narendrom ke dvara jo namaskrita haim, una mahapurushom ke lie bhi brahmacharya pujaniya hai. Yaha jagata ke saba mamgalom ka marga hai. Yaha durddharsha hai, yaha gunom ka advitiya nayaka hai. Moksha marga ka dvara udghataka hai. |