Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1007859 | ||
Scripture Name( English ): | Jambudwippragnapati | Translated Scripture Name : | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
वक्षस्कार ७ ज्योतिष्क |
Translated Chapter : |
वक्षस्कार ७ ज्योतिष्क |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 259 | Category : | Upang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] जया णं भंते! सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं केमहालए दिवसे, केमहालया राई भवइ? गोयमा! तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ। से निक्खममाणे सूरिए नवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अब्भंतरा मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ। जया णं भंते! सूरिए अब्भंतरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं केमहालए दिवसे, केमहालया राई भवइ? गोयमा! तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ दोहि य एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया। से निक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि अब्भंतरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं केमहालए दिवसे, केमहालया राई भवइ? गोयमा! तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राई भवइ चउहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया। एवं खलु एएणं उवाएणं निक्खममाणे सूरिए तयणंतराओ मंडलाओ तयनंतरं मंडलं संकम-माणे-संकममाणे दो-दो एगसट्ठिभागमुहुत्ते मंडले दिवसखेत्तस्स निवड्ढेमाणे-निवड्ढेमाणे रयणि-खेत्तस्स अभिवड्ढेमाणे-अभिवड्ढेमाणे सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ। जया णं सूरिए सव्वब्भंतराओ मंडलाओ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं सव्वब्भंतरमंडलं पणिहाय एगेणं तेसीएणं राइंदियसएणं तिन्नि छावट्ठे एगसट्ठिभागमुहुत्तसए दिवसखेत्तस्स निवड्ढेत्ता रयणिखेत्तस्स अभिवड्ढेत्ता चारं चरइ। जया णं भंते! सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं केमहालए दिवसे, केमहालया राई भवई? गोयमा! तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवई, जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ। एस णं पढमे छम्मासे, एस णं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे। से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ। जया णं भंते! सूरिए बाहिरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं केमहालए दिवसे, केमहालया राई भवइ? गोयमा! अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ दोहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए। से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ। जया णं भंते! सूरिए बाहिरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं केमहालए दिवसे, केमहालया राई भवई? गोयमा! तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ चउहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालस मुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगसट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए। एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयणंतराओ मंडलाओ तयनंतरं मंडलं संकममाणे-संकममाणे दो-दो एगसट्ठिभागमुहुत्ते एगमेगे मंडले रयणिखेत्तस्स निवड्ढेमाणे-निवड्ढेमाणे दिवसखेत्तस्स अभिवड्ढेमाणे-अभिवड्ढेमाणे सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ। जया णं सूरिए सव्वबाहिराओ मंडलाओ सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं सव्वबाहिरं मंडलं पणिहाय एगेणं तेसीएणं राइंदियसएणं तिन्नि छावट्ठे एगसट्ठिभागमुहुत्तसए रयणिखेत्तस्स निवड्ढेत्ता दिवसखेत्तस्स अभिवड्ढेत्ता चारं चरइ। एस णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे, एस णं आइच्चे संवच्छरे, एस णं आइच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे पन्नत्ते। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! जब सूर्य सर्वाभ्यन्तर मण्डल को उपसंक्रान्त कर गति करता है, तब – उस समय दिन कितना बड़ा होता है, रात कितनी बड़ी होती है ? गौतम ! उत्तमावस्थाप्राप्त, उत्कृष्ट – १८ मुहूर्त्त का दिन होता है, जघन्य १२ मुहुर्त्त की रात होती है। वहाँ से निष्क्रमण करता हुआ सूर्य नये संवत्सर में प्रथम अहोरात्र में दूसरे आभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है। जब सूर्य दूसरे मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब २/६१ मुहूर्तांश कम १८ मुहूर्त्त का दिन होता है, २/६१ मुहूर्तांश अधिक १२ मुहूर्त की रात होती है। इस क्रम से निष्क्रमण करता हुआ, पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल का संक्रमण करता हुआ सूर्य प्रत्येक मण्डल में दिवस – क्षेत्र – दिवस – परिमाण को २/६१ मुहूर्तांश कम करता हुआ तथा रात्रि – परिमाण को २/६१ मुहूर्तांश बढ़ाता हुआ सर्वबाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है। जब सूर्य सर्वाभ्यन्तर मण्डल से सर्वबाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब सर्वाभ्यन्तर मण्डल का परित्याग कर १८३ अहोरात्र में दिवस – क्षेत्र में ३६६ संख्या – परिमित १/६१ मुहूर्तांश कम कर तथा रात्रि – क्षेत्र में इतने ही मुहूर्तांश बढ़ाकर गति करता है। भगवन् ! जब सूर्य सर्वबाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब दिन कितना बड़ा होता है, रात कितनी बड़ी होती है ? गौतम ! तब रात उत्तमावस्थाप्राप्त, उत्कृष्ट – १८ मुहूर्त्त की होती है, दिन जघन्य – १२ मुहूर्त्त का होता है। ये प्रथम छः मास हैं। वहाँ से प्रवेश करता हुआ सूर्य दूसरे छः मास के प्रथम अहोरात्र में दूसरे बाह्य मण्डल को उपसंक्रान्त कर गति करता है। जब सूर्य दूसरे बाह्य मण्डल को उपसंक्रान्त कर गति करता है, तब २/६१ मुहूर्तांश कम १८ मुहूर्त्त की रात होती है, २/६१ मुहूर्तांश अधिक १२ मुहूर्त्त का दिन होता है। ऐसे पूर्वोक्त क्रम से प्रवेश करता हुआ सूर्य पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल का संक्रमण करता हुआ रात्रि – क्षेत्रमें एक – एक मण्डलमें २/६१ मुहूर्तांश कम करता हुआ तथा दिवस – क्षेत्रमें २/६१ मुहूर्तांश बढ़ाता हुआ सर्वाभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है। जब सूर्य सर्वबाह्य मण्डल से सर्वाभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब वह सर्वबाह्य मण्डल का परित्याग कर १८३ अहोरात्र में रात्रि – क्षेत्र में ३६६ संख्या – परिमित १/६१ मुहूर्तांश कम कर तथा दिवस – क्षेत्र में उतने ही मुहूर्तांश अधिक कर गति करता है। ये द्वितीय छह मास हैं। यह आदित्य – संवत्सर हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] jaya nam bhamte! Surie savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai, taya nam kemahalae divase, kemahalaya rai bhavai? Goyama! Taya nam uttamakatthapatte ukkosae attharasamuhutte divase bhavai, jahanniya duvalasamuhutta rai bhavai. Se nikkhamamane surie navam samvachchharam ayamane padhamamsi ahorattamsi abbhamtara mamdalam uvasamkamitta charam charai. Jaya nam bhamte! Surie abbhamtaranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai, taya nam kemahalae divase, kemahalaya rai bhavai? Goyama! Taya nam attharasamuhutte divase bhavai dohim egasatthibhagamuhuttehim une, duvalasamuhutta rai bhavai dohi ya egasatthibhagamuhuttehim ahiya. Se nikkhamamane surie dochchamsi ahorattamsi abbhamtaratachcham mamdalam uvasamkamitta charam charai, taya nam kemahalae divase, kemahalaya rai bhavai? Goyama! Taya nam attharasamuhutte divase bhavai chauhim egasatthibhagamuhuttehim une, duvalasamuhutta rai bhavai chauhim egasatthibhagamuhuttehim ahiya. Evam khalu eenam uvaenam nikkhamamane surie tayanamtarao mamdalao tayanamtaram mamdalam samkama-mane-samkamamane do-do egasatthibhagamuhutte mamdale divasakhettassa nivaddhemane-nivaddhemane rayani-khettassa abhivaddhemane-abhivaddhemane savvabahiram mamdalam uvasamkamitta charam charai. Jaya nam surie savvabbhamtarao mamdalao savvabahiram mamdalam uvasamkamitta charam charai, taya nam savvabbhamtaramamdalam panihaya egenam tesienam raimdiyasaenam tinni chhavatthe egasatthibhagamuhuttasae divasakhettassa nivaddhetta rayanikhettassa abhivaddhetta charam charai. Jaya nam bhamte! Surie savvabahiram mamdalam uvasamkamitta charam charai, taya nam kemahalae divase, kemahalaya rai bhavai? Goyama! Taya nam uttamakatthapatta ukkosiya attharasamuhutta rai bhavai, jahannae duvalasamuhutte divase bhavai. Esa nam padhame chhammase, esa nam padhamassa chhammasassa pajjavasane. Se pavisamane surie dochcham chhammasam ayamane padhamamsi ahorattamsi bahiranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai. Jaya nam bhamte! Surie bahiranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai, taya nam kemahalae divase, kemahalaya rai bhavai? Goyama! Attharasamuhutta rai bhavai dohim egasatthibhagamuhuttehim una, duvalasamuhutte divase bhavai dohim egasatthibhagamuhuttehim ahie. Se pavisamane surie dochchamsi ahorattamsi bahiratachcham mamdalam uvasamkamitta charam charai. Jaya nam bhamte! Surie bahiratachcham mamdalam uvasamkamitta charam charai, taya nam kemahalae divase, kemahalaya rai bhavai? Goyama! Taya nam attharasamuhutta rai bhavai chauhim egasatthibhagamuhuttehim una, duvalasa muhutte divase bhavai chauhim egasatthibhagamuhuttehim ahie. Evam khalu eenam uvaenam pavisamane surie tayanamtarao mamdalao tayanamtaram mamdalam samkamamane-samkamamane do-do egasatthibhagamuhutte egamege mamdale rayanikhettassa nivaddhemane-nivaddhemane divasakhettassa abhivaddhemane-abhivaddhemane savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai. Jaya nam surie savvabahirao mamdalao savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai, taya nam savvabahiram mamdalam panihaya egenam tesienam raimdiyasaenam tinni chhavatthe egasatthibhagamuhuttasae rayanikhettassa nivaddhetta divasakhettassa abhivaddhetta charam charai. Esa nam dochche chhammase, esa nam dochchassa chhammasassa pajjavasane, esa nam aichche samvachchhare, esa nam aichchassa samvachchharassa pajjavasane pannatte. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Jaba surya sarvabhyantara mandala ko upasamkranta kara gati karata hai, taba – usa samaya dina kitana bara hota hai, rata kitani bari hoti hai\? Gautama ! Uttamavasthaprapta, utkrishta – 18 muhurtta ka dina hota hai, jaghanya 12 muhurtta ki rata hoti hai. Vaham se nishkramana karata hua surya naye samvatsara mem prathama ahoratra mem dusare abhyantara mandala ka upasamkramana kara gati karata hai. Jaba surya dusare mandala ka upasamkramana kara gati karata hai, taba 2/61 muhurtamsha kama 18 muhurtta ka dina hota hai, 2/61 muhurtamsha adhika 12 muhurta ki rata hoti hai. Isa krama se nishkramana karata hua, purva mandala se uttara mandala ka samkramana karata hua surya pratyeka mandala mem divasa – kshetra – divasa – parimana ko 2/61 muhurtamsha kama karata hua tatha ratri – parimana ko 2/61 muhurtamsha barhata hua sarvabahya mandala ka upasamkramana kara gati karata hai. Jaba surya sarvabhyantara mandala se sarvabahya mandala ka upasamkramana kara gati karata hai, taba sarvabhyantara mandala ka parityaga kara 183 ahoratra mem divasa – kshetra mem 366 samkhya – parimita 1/61 muhurtamsha kama kara tatha ratri – kshetra mem itane hi muhurtamsha barhakara gati karata hai. Bhagavan ! Jaba surya sarvabahya mandala ka upasamkramana kara gati karata hai, taba dina kitana bara hota hai, rata kitani bari hoti hai\? Gautama ! Taba rata uttamavasthaprapta, utkrishta – 18 muhurtta ki hoti hai, dina jaghanya – 12 muhurtta ka hota hai. Ye prathama chhah masa haim. Vaham se pravesha karata hua surya dusare chhah masa ke prathama ahoratra mem dusare bahya mandala ko upasamkranta kara gati karata hai. Jaba surya dusare bahya mandala ko upasamkranta kara gati karata hai, taba 2/61 muhurtamsha kama 18 muhurtta ki rata hoti hai, 2/61 muhurtamsha adhika 12 muhurtta ka dina hota hai. Aise purvokta krama se pravesha karata hua surya purva mandala se uttara mandala ka samkramana karata hua ratri – kshetramem eka – eka mandalamem 2/61 muhurtamsha kama karata hua tatha divasa – kshetramem 2/61 muhurtamsha barhata hua sarvabhyantara mandala ka upasamkramana kara gati karata hai. Jaba surya sarvabahya mandala se sarvabhyantara mandala ka upasamkramana kara gati karata hai, taba vaha sarvabahya mandala ka parityaga kara 183 ahoratra mem ratri – kshetra mem 366 samkhya – parimita 1/61 muhurtamsha kama kara tatha divasa – kshetra mem utane hi muhurtamsha adhika kara gati karata hai. Ye dvitiya chhaha masa haim. Yaha aditya – samvatsara haim. |