Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1007684 | ||
Scripture Name( English ): | Jambudwippragnapati | Translated Scripture Name : | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
वक्षस्कार ३ भरतचक्री |
Translated Chapter : |
वक्षस्कार ३ भरतचक्री |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 84 | Category : | Upang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तए णं ते आवाडचिलाया सुसेनसेनावइणा हयमहिय पवरवीरघाइय विवडियचिंधद्धयपडागा किच्छ- प्पाणोवगया दिसोदिसिं पडिसेहिया समाणा भीया तत्था वहिया उव्विग्गा संजायभया अत्थामा अबला अवीरिया अपुरिसक्कारपरक्कमा अधारणिज्जमितिकट्टु अनेगाइं जोयणाइं अवक्कमंति, अवक्कमित्ता एगयओ मिलायंति, मिलायित्ता जेणेव सिंधू महानई तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता वालुयासंथारए संथरेंति, संथरेत्ता वालुयासंथारए दुरुहंति, दुरुहित्ता अट्ठमभत्ताइं पगिण्हंति, पगिण्हित्ता वालुयासंथारोवगया उत्ताणगा अवसणा अट्ठमभत्तिया जे तेसिं कुलदेवया मेहमुहा नामं नागकुमारा देवा ते मनसीकरेमाणा-मनसीकरेमाणा चिट्ठंति। तए णं तेसिमावाडचिलायाणं अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि मेहमुहाणं नागकुमाराणं आसनाइं चलंति। तए णं ते मेहमुहा नागकुमारा देवा आसणाइं चलियाइं पासंति, पासित्ता ओहिं पउंजंति, पउंजित्ता आवाडचिलाए ओहिणा आभोएंति, आभोएत्ता अन्नमन्नं सद्दावेंति, सद्दावेत्ता एवं वयासी–एवं खलु देवानुप्पिया! जंबुद्दीवे दीवे उत्तरड्ढभरहे वासे आवाडचिलाया सिंधूए महानईए वालुया-संथारोवगया उत्ताणगा अवसणा अट्ठमभत्तिया अम्हे कुलदेवए मेहमुहे नागकुमारे देवे मनसीकरे-माणा-मनसीकरेमाणा चिट्ठंति, तं सेयं खलु देवानुप्पिया! अम्हं आवाडचिलायाणं अंतिए पाउब्भ-वित्तएत्तिकट्टु अन्नमन्नस्स अंतिए एयमट्ठं पडिसुनेंति, पडिसुणेत्ता ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए जइणाए सीहाए सिग्घाए उद्धुयाए दिव्वाए देवगईए वीतिवयमाणा-वीतिवयमाणा जेणेव जंबुद्दीवे दीवे उत्तरड्ढभरहे वासे जेणेव सिंधू महानई जेणेव आवाडचिलाया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता अंतलिक्खपडिवण्णा सखिंखिणियाइं पंचवण्णाइं वत्थाइं पवर परिहिया ते आवाडचिलाए एवं वयासी– हं भो आवाडचिलाया! जण्णं तुब्भे देवानुप्पिया! वालुयासंथारोवगया उत्ताणगा अवसणा अट्ठमभत्तिया अम्हे कुलदेवए मेहमुहे नागकुमारे देवे मनसीकरेमाणा-मनसीकरेमाणा चिट्ठह, तए णं अम्हे मेहमुहा नागकुमारा देवा तुब्भं कुलदेवया तुम्हं अंतियण्णं पाउब्भूया, तं वदह णं देवानुप्पिया! किं करेमो? किं आचिट्ठामो? के व भे मणसाइए? । तए णं ते आवाडचिलाया मेहमुहाणं नागकुमाराणं देवाणं अंतिए एयमट्ठं सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठ-चित्तमानंदिया नंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाणहियया उट्ठाए उट्ठेंति, उट्ठेत्ता जेणेव मेहमुहा नागकुमारा देवा तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु मेहमुहे नागकुमारे देवे जएणं विजएणं वद्धावेंति, वद्धावेत्ता एवं वयासी–एस णं देवानुप्पिया! केइ अपत्थियपत्थए दुरंतपंतलक्खणे हीनपुण्णचाउद्दसे हिरिसिरिपरिवज्जिए, जे णं अम्हं विसयस्स उवरिं विरिएणं हव्वमागच्छइ, तं तहा णं छत्तेह देवानुप्पिया! जहा णं एस अम्हं विसयस्स उवरिं विरिएणं नो हव्वमागच्छइ। तए णं ते मेहमुहा नागकुमारा देवा ते आवाडचिलाए एवं वयासी–एस णं भो देवानुप्पिया! भरहे नामं राया चाउरंतचक्कवट्टी महिड्ढीए महज्जुईए महाबले महायसे महासोक्खे महानुभागे नो खलु एस सक्को केणइ देवेण वा दानवेन वा किन्नरेण वा किंपुरिसेण वा महोरगेण वा गंधव्वेण वा सत्थप्पओगेण वा अग्गिप्पओगेण वा मंतप्पओगेण वा उद्दवित्तए वा पडिसेहित्तए वा तहावि य णं तुब्भं पियट्ठयाए भरहस्स रन्नो उवसग्गं करेमो त्तिकट्टु तेसिं आवाडचिलायाणं अंतियाओ अवक्कमंति, अवक्कमित्ता वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहण्णंति, समोहणित्ता मेहाणीयं विउव्वंति, विउव्वित्ता जेणेव भरहस्स रन्नो विजयखंधावार-निवेसे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता उप्पिं विजय खंधावारणिवेसस्स खिप्पामेव पतणतणायंति, पतणतणायित्ता खिप्पामेव पविज्जुयायंति, पविज्जु-यायित्ता खिप्पामेव जुगमुसलमुट्ठिप्पमाणमेत्ताहिं धाराहिं ओघमेघं सत्तरत्तं वासं वासिउं पवत्ता यावि होत्था। | ||
Sutra Meaning : | सेनापति सुषेण द्वारा हत – मथित किये जाने पर, मेदान छोड़कर भागे हुए आपात किरात बड़े भीत, त्रस्त, व्यथित, पीड़ायुक्त, उद्विग्न होकर घबरा गये। वे अपने को निर्बल, निर्वीर्य तथा पौरुष – पराक्रम रहित अनुभव करने लगे। शत्रु – सेना का सामना करना शक्य नहीं है, यह सोचकर वे वहाँ से अनेक योजन दूर भाग गये। यों दूर जाकर वे एक स्थान पर आपस में मिले, सिन्धु महानदी आये। बालू के बिछौने तैयार किये। तेले की तपस्या की। वे अपने मुख ऊंचे किये, निर्वस्त्र हो घोर आतापना सहते हुए मेघमुख नामक नागकुमारों का, जो उनके कुल – देवता थे, मन में ध्यान करते हुए अभिरत हो गए। मेघमुख नागकुमार देवों के आसन चलित हुए। मेघमुख नागकुमार देवों ने अवधिज्ञान द्वारा आपात किरातों को देखा। उन्हें देखकर कहने लगे – जम्बूद्वीप के उत्तरार्ध भरतक्षेत्र में सिन्धु महानदी पर आपात किरात हमारा ध्यान करते हुए विद्यमान हैं। देवानुप्रियों ! यह उचित है कि हम उन आपात किरातों के समक्ष प्रकट हों। इस प्रकार परस्पर विचार कर उन्होंने वैसा करने का निश्चय किया। वे उत्कृष्ट, तीव्र गति से, आपात किरात थे, वहाँ आये। उन्होंने छोटी – छोटी घण्टिओं सहित पंचरंगे उत्तम वस्त्र पहन रखे थे। आकाश में अधर अवस्थित होते हुए वे आपात किरातों से बोले – तुम बालू के संस्तारकों पर अवस्थित हो, यावत् हमारा – ध्यान कर रहे हो। यह देखकर हम तुम्हारे कुलदेव मेघमुख नागकुमार तुम्हारे समक्ष प्रकट हुए हैं। तुम क्या चाहते हो ? हम तुम्हारे लिए क्या करें ? मेघमुख नागकुमार देवों का यह कथन सुनकर आपात किरात अपने चित्त में हर्षित, परितुष्ट तथा आनन्दित हुए, मेघमुख नागकुमार देव को हाथ जोड़े, मेघमुख नागकुमार देवों को जय – विजय शब्दों द्वारा वर्धापित किया और बोले – देवानुप्रियों ! अप्रार्थित मृत्यु का प्रार्थी यावत् लज्जा, शोभा से परिवर्जित कोई पुरुष है, जो बलपूर्वक जल्दी – जल्दी हमारे देश पर चढ़ा आ रहा है। आप उसे वहाँ से हटा दीजिए, जिससे वह हमारे देश पर आक्रमण नहीं कर सके। तब मेघमुख नागकुमार देवों ने कहा – तुम्हारे देश पर आक्रमण करनेवाला महाऋद्धिशाली, परम द्युतिमान्, परम सौख्ययुक्त, चातुरत्न चक्रवर्ती भरत राजा है। उसे न कोई देव, न कोई किंपुरुष, न कोई महोरग तथा न कोई गन्धर्व ही रोक सकता है, न बाधा उत्पन्न कर सकता है। न उसे शस्त्र, अग्नि तथा मन्त्र प्रयोग द्वारा ही उपद्रुत किया जा सकता है। फिर भी तुम्हारे अभीष्ट हेतु उपसर्ग करेंगे। उन्होंने वैक्रिय समुद्घात द्वारा आत्मप्रदेशों को देह से बाहर निकाला। गृहीत पुद्गलों के सहारे बादलों की विकुर्वणा की। जहाँ राजा भरत की छावनी थी, वहाँ आये। बादल शीघ्र ही धीमे – धीमे गरजने लगे। बिजलियाँ चमकने लगीं। पानी बरसाने लगे। सात दिन – रात तक युग, मूसल एवं मुष्टिका के सदृश मोटी धाराओं से पानी बरसता रहा। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tae nam te avadachilaya susenasenavaina hayamahiya pavaraviraghaiya vivadiyachimdhaddhayapadaga kichchha- ppanovagaya disodisim padisehiya samana bhiya tattha vahiya uvvigga samjayabhaya atthama abala aviriya apurisakkaraparakkama adharanijjamitikattu anegaim joyanaim avakkamamti, avakkamitta egayao milayamti, milayitta jeneva simdhu mahanai teneva uvagachchhamti, uvagachchhitta valuyasamtharae samtharemti, samtharetta valuyasamtharae duruhamti, duruhitta atthamabhattaim paginhamti, paginhitta valuyasamtharovagaya uttanaga avasana atthamabhattiya je tesim kuladevaya mehamuha namam nagakumara deva te manasikaremana-manasikaremana chitthamti. Tae nam tesimavadachilayanam atthamabhattamsi parinamamanamsi mehamuhanam nagakumaranam asanaim chalamti. Tae nam te mehamuha nagakumara deva asanaim chaliyaim pasamti, pasitta ohim paumjamti, paumjitta avadachilae ohina abhoemti, abhoetta annamannam saddavemti, saddavetta evam vayasi–evam khalu devanuppiya! Jambuddive dive uttaraddhabharahe vase avadachilaya simdhue mahanaie valuya-samtharovagaya uttanaga avasana atthamabhattiya amhe kuladevae mehamuhe nagakumare deve manasikare-mana-manasikaremana chitthamti, tam seyam khalu devanuppiya! Amham avadachilayanam amtie paubbha-vittaettikattu annamannassa amtie eyamattham padisunemti, padisunetta tae ukkitthae turiyae chavalae jainae sihae sigghae uddhuyae divvae devagaie vitivayamana-vitivayamana jeneva jambuddive dive uttaraddhabharahe vase jeneva simdhu mahanai jeneva avadachilaya teneva uvagachchhamti, uvagachchhitta amtalikkhapadivanna sakhimkhiniyaim pamchavannaim vatthaim pavara parihiya te avadachilae evam vayasi– Ham bho avadachilaya! Jannam tubbhe devanuppiya! Valuyasamtharovagaya uttanaga avasana atthamabhattiya amhe kuladevae mehamuhe nagakumare deve manasikaremana-manasikaremana chitthaha, tae nam amhe mehamuha nagakumara deva tubbham kuladevaya tumham amtiyannam paubbhuya, tam vadaha nam devanuppiya! Kim karemo? Kim achitthamo? Ke va bhe manasaie?. Tae nam te avadachilaya mehamuhanam nagakumaranam devanam amtie eyamattham sochcha nisamma hatthatuttha-chittamanamdiya namdiya piimana paramasomanassiya harisavasavisappamanahiyaya utthae utthemti, utthetta jeneva mehamuha nagakumara deva teneva uvagachchhamti, uvagachchhitta karayalapariggahiyam sirasavattam matthae amjalim kattu mehamuhe nagakumare deve jaenam vijaenam vaddhavemti, vaddhavetta evam vayasi–esa nam devanuppiya! Kei apatthiyapatthae duramtapamtalakkhane hinapunnachauddase hirisiriparivajjie, je nam amham visayassa uvarim virienam havvamagachchhai, tam taha nam chhatteha devanuppiya! Jaha nam esa amham visayassa uvarim virienam no havvamagachchhai. Tae nam te mehamuha nagakumara deva te avadachilae evam vayasi–esa nam bho devanuppiya! Bharahe namam raya chauramtachakkavatti mahiddhie mahajjuie mahabale mahayase mahasokkhe mahanubhage no khalu esa sakko kenai devena va danavena va kinnarena va kimpurisena va mahoragena va gamdhavvena va satthappaogena va aggippaogena va mamtappaogena va uddavittae va padisehittae va tahavi ya nam tubbham piyatthayae bharahassa ranno uvasaggam karemo ttikattu tesim avadachilayanam amtiyao avakkamamti, avakkamitta veuvviyasamugghaenam samohannamti, samohanitta mehaniyam viuvvamti, viuvvitta jeneva bharahassa ranno vijayakhamdhavara-nivese teneva uvagachchhamti, uvagachchhitta uppim vijaya khamdhavaranivesassa khippameva patanatanayamti, patanatanayitta khippameva pavijjuyayamti, pavijju-yayitta khippameva jugamusalamutthippamanamettahim dharahim oghamegham sattarattam vasam vasium pavatta yavi hottha. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Senapati sushena dvara hata – mathita kiye jane para, medana chhorakara bhage hue apata kirata bare bhita, trasta, vyathita, pirayukta, udvigna hokara ghabara gaye. Ve apane ko nirbala, nirvirya tatha paurusha – parakrama rahita anubhava karane lage. Shatru – sena ka samana karana shakya nahim hai, yaha sochakara ve vaham se aneka yojana dura bhaga gaye. Yom dura jakara ve eka sthana para apasa mem mile, sindhu mahanadi aye. Balu ke bichhaune taiyara kiye. Tele ki tapasya ki. Ve apane mukha umche kiye, nirvastra ho ghora atapana sahate hue meghamukha namaka nagakumarom ka, jo unake kula – devata the, mana mem dhyana karate hue abhirata ho gae. Meghamukha nagakumara devom ke asana chalita hue. Meghamukha nagakumara devom ne avadhijnyana dvara apata kiratom ko dekha. Unhem dekhakara kahane lage – jambudvipa ke uttarardha bharatakshetra mem sindhu mahanadi para apata kirata hamara dhyana karate hue vidyamana haim. Devanupriyom ! Yaha uchita hai ki hama una apata kiratom ke samaksha prakata hom. Isa prakara paraspara vichara kara unhomne vaisa karane ka nishchaya kiya. Ve utkrishta, tivra gati se, apata kirata the, vaham aye. Unhomne chhoti – chhoti ghantiom sahita pamcharamge uttama vastra pahana rakhe the. Akasha mem adhara avasthita hote hue ve apata kiratom se bole – tuma balu ke samstarakom para avasthita ho, yavat hamara – dhyana kara rahe ho. Yaha dekhakara hama tumhare kuladeva meghamukha nagakumara tumhare samaksha prakata hue haim. Tuma kya chahate ho\? Hama tumhare lie kya karem\? Meghamukha nagakumara devom ka yaha kathana sunakara apata kirata apane chitta mem harshita, paritushta tatha anandita hue, meghamukha nagakumara deva ko hatha jore, meghamukha nagakumara devom ko jaya – vijaya shabdom dvara vardhapita kiya aura bole – Devanupriyom ! Aprarthita mrityu ka prarthi yavat lajja, shobha se parivarjita koi purusha hai, jo balapurvaka jaldi – jaldi hamare desha para charha a raha hai. Apa use vaham se hata dijie, jisase vaha hamare desha para akramana nahim kara sake. Taba meghamukha nagakumara devom ne kaha – tumhare desha para akramana karanevala mahariddhishali, parama dyutiman, parama saukhyayukta, chaturatna chakravarti bharata raja hai. Use na koi deva, na koi kimpurusha, na koi mahoraga tatha na koi gandharva hi roka sakata hai, na badha utpanna kara sakata hai. Na use shastra, agni tatha mantra prayoga dvara hi upadruta kiya ja sakata hai. Phira bhi tumhare abhishta hetu upasarga karemge. Unhomne vaikriya samudghata dvara atmapradeshom ko deha se bahara nikala. Grihita pudgalom ke sahare badalom ki vikurvana ki. Jaham raja bharata ki chhavani thi, vaham aye. Badala shighra hi dhime – dhime garajane lage. Bijaliyam chamakane lagim. Pani barasane lage. Sata dina – rata taka yuga, musala evam mushtika ke sadrisha moti dharaom se pani barasata raha. |