Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )

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Sr No : 1007653
Scripture Name( English ): Jambudwippragnapati Translated Scripture Name : जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

वक्षस्कार २ काळ

Translated Chapter :

वक्षस्कार २ काळ

Section : Translated Section :
Sutra Number : 53 Category : Upang-07
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] तीसे णं भंते! समाए भरहस्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सइ? गोयमा! बहुसम-रमणिज्जे भूमिभागे भविस्सइ, से जहानामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव नानाविहपंचवण्णेहिं मणीहिं तणेहि य उवसोभिए, तं जहा–कित्तिमेहिं चेव अकित्तिमेहिं चेव। तीसे णं भंते! समाए मनुयाणं केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सइ? गोयमा! तेसिं णं मनुयाणं छव्विहे संघयणे, छव्विहे संठाणे, बहूईओ रयणीओ उड्ढं उच्चत्तेणं, जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं साइरेगं वाससयं आउयं पालेहिंति, पालेत्ता अप्पेगइया निरयगामी, अप्पेगइया तिरिय-गामी, अप्पेगइया मनुयगामी, अप्पेगइया देवगामी, न सिज्झंति। तीसे णं समाए एक्कवीसाए वाससहस्सेहिं काले वीइक्कंते अनंतेहिं वण्णपज्जवेहिं अनंतेहिं गंधपज्जवेहिं अनंतेहिं रसपज्जवेहिं अनंतेहिं फासपज्जवेहिं अनंतेहिं संघयणपज्जवेहिं अनंतेहिं संठाणपज्जवेहिं अनंतेहिं उच्चत्तपज्जवेहिं अनंतेहिं आउपज्जवेहिं अनंतेहिं गरुयलहुयपज्जवेहिं अनंतेहिं अगरुयलहुयपज्जवेहिं अनंतेहिं उट्ठाण कम्म बल वीरिय पुरिसक्कार परक्कमपज्जवेहिं अनंतगुणपरिवड्ढीए परिवड्ढेमाणे-परिवड्ढेमाणे, एत्थ णं दुसमसूसमाणामं समा काले पडिवज्जिस्सइ समणाउसो! । तीसे णं भंते! समाए भरहस्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सइ? गोयमा! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे भविस्सइ, से जहानामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव नानाविहपंचवण्णेहिं मणीहिं तणेहि य उवसोभिए, तं जहा–कित्तिमेहिं चेव अकित्तिमेहिं चेव। तेसि णं भंते! मनुयाणं केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सइ? गोयमा! तेसि णं मनुयाणं छव्विहे संघयणे, छव्विहे संठाणे, बहूइं धणूइं उड्ढं उच्चत्तेणं, जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडिं आउयं पालेहिंति, पालेत्ता अप्पेगइया निरयगामी, अप्पेगइया तिरियगामी, अप्पेगइया मनुयगामी, अप्पेगइया देवगामी, अप्पेगइया सिज्जिहिंति बुज्झिहिंति मुच्चिहिंति परिनिव्वाहिंति सव्वदुक्खाणं अंतं करेहिंति। तीसे णं समाए तओ वंसा समुप्पज्जिस्संति, तं जहा–तित्थगरवंसे चक्कवट्टिवंसे दसारवंसे। तीसे णं समाए तेवीसं तित्थगरा, एक्कारस चक्कवट्टी, नव बलदेवा, नव वासुदेवा समुप्पज्जिस्संति। तीसे णं समाए सागरोवमकोडाकोडीए बायलीसाए वाससहस्सेहिं ऊणियाए काले वीइक्कंते अनंतेहिं वण्णपज्जवेहिं अनंतेहिं गंधपज्जवेहिं अनंतेहिं रसपज्जवेहिं अनंतेहिं फासपज्जवेहिं अनंतेहिं संघयणपज्जवेहिं अनंतेहिं संठाणपज्जवेहिं अनंतेहिं उच्चत्तपज्जवेहिं अनंतेहिं आउ-पज्जवेहिं अनंतेहिं गरुयलहुयपज्जवेहिं अनंतेहिं अगरुयलहुयपज्जवेहिं अनंतेहिं उट्ठाण कम्म बल वीरिय पुरिसक्कार परक्कमपज्जवेहिं अनंतगुण परिवड्ढीए परिवड्ढेमाणे-परिवड्ढेमाणे, एत्थ णं सुसमदूसमाणामं समा काले पडिवज्जिस्सइ समणाउसो! । सा णं समा तिहा विभजिस्सइ, तं जहा–पढमे तिभागे मज्झिमे तिभागे पच्छिमे तिभागे। तीसे णं भंते! समाए पढमे तिभाए भरहस्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सइ? गोयमा! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे भविस्सइ, से जहानामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव नानाविहपंचवण्णेहिं मणीहिं तणेहि य उवसोमिए, तं जहा –कित्तिमेहिं चेव अकित्तिमेहिं चेव। तीसे णं भंते! समाए पढमे तिभागे भरहे वासे मनुयाणं केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सइ? गोयमा! तेसिं मनुयाणं छव्विहे संघयणे, छव्विहे संठाणे, बहुणि धनुसयाणि उद्धं उच्चत्तेणं, जहन्नेणं संखेज्जाणि वासाणि, उक्कोसेणं असंखेज्जाणि वासाणि आउयं पालेहिंति, पालेत्ता अप्पेगइया निरयगामी, अप्पेगइया तिरियगामी, अप्पेगइया मणुस्सगामी, अप्पेगइया देव-गामी, अप्पेगइया सिज्झिहिंति बुज्झिहिंति मुच्चिहिंति परिनिव्वाहिंति सव्वदुक्खाणमंतं करेहिंति। तीसे णं समाए पढमे तिभाए रायधम्मे जायतेए० धम्मचरणे य वोच्छिज्जिस्सइ। तीसे णं समाए मज्झिम-पच्छिमेसु तिभागेसु भरहस्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सइ? गोयमा! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे भविस्सइ, सो चेव गमो नेयव्वो, नाणत्तं–दो धनुसहस्साइं उड्ढं उच्चत्तेणं, तेसिं च मनुयाणं चउसट्ठिं पिट्ठिकरंडगा, चउत्थभत्तस्स आहारत्थे समुप्पज्जिस्सइ, ठिई पलिओवमं, एगूणासीइं राइंदियाइं सारक्खिस्संति संगोवेस्संति जाव देव लोगपरिग्गहिया णं ते मनुया पन्नत्ता समणाउसो! । तीसे णं समाए दोहिं सागरोवमकोडाकोडीहिं काले वीइक्कंते अनंतेहिं वण्णपज्जवेहिं अनंतेहिं गंधपज्जवेहिं अनंतेहिं रसपज्जवेहिं अनंतेहिं फासपज्जवेहिं अनंतेहिं संघयणपज्जवेहिं अनंतेहिं संठाणपज्जवेहिं अनंतेहिं उच्चत्तपज्जवेहिं अनंतेहिं आउपज्जवेहिं अनंतेहिं गरुयलहुय-पज्जवेहिं अनंतेहिं अगरुयलहुयपज्जवेहिं अनंतेहिं उट्ठाण कम्म बल वीरिय पुरिसक्कार परक्कमप-ज्जवेहिं अनंतगुणपरिवड्ढीए परिवड्ढेमाणे-परिवड्डेमाणे, एत्थ णं सुसमाणामं समा काले पडि-वज्जिस्सइ समणाउसो! । जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे आगमेस्साए उस्सप्पिणीए सुसमाए समाए उत्तमकट्ठपत्ताए भरहस्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सइ? गोयमा! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे भविस्सइ, से जहानामए आलिंगपुक्खरेइ वा, तं चेव जं सुसमसुसमाए पुव्ववण्णियं, नवरं– नाणत्तं चउधनुसहस्स-मूसिया एगे अट्ठाबीसे पिट्ठिकरंडुकसए छट्ठभत्तस्स आहारट्ठे, चउसट्ठिं राइंदियाइं सारक्खिस्संति, दो पलिओवमाइं आऊ, सेसं तं चेव। तीसे णं समाए चउव्विहा मनुस्सा अणुसज्जिस्संति, तं जहा–एका पउरजंघा कुसुमा सुसमणा। तीसे णं समाए तिहिं सागरोवमकोडाकोडिहिं काले वीइक्कंते अनंतेहिं वण्णपज्जवेहिं अनंतेहिं गंधपज्जवेहिं अनंतेहिं रसपज्जवेहिं अनंतेहिं फासपज्जवेहिं अनंतेहिं संघयणपज्जवेहिं अनंतेहिं संठाणपज्जवेहिं अनंतेहिं उच्चत्तपज्जवेहिं अनंतेहिं आउपज्जवेहिं अनंतेहिं गरुयलहुय पज्जवेहिं अनंतेहिं अगरुयलहुयपज्जवेहिं अनंतेहिं उट्ठाण कम्म बल वीरिय पुरिसक्कार परक्कम पज्जवेहिं अनंतगुणपरिवड्ढीए परिवड्ढेमाणे-परिवड्ढेमाणे, एत्थ णं सुसमसुसमाणामं समा काले पडिवज्जिस्सइ समणाउसो! । जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे भरहे वासे इमीसे उस्सप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए उत्तमकट्ठपत्ताए भरहस्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सइ? गोयमा! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे भविस्सइ, से जहानामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव नानाविहपंचवण्णेहिं मणीहिं तणेहि य उवसोभिए, तं जहा– किण्हेहिं जाव सुक्किलेहिं तहेव जाव छव्विहा मनुस्सा अनुसज्जिस्संति तं जहा–पम्हगंधा मियगंधा अममा तेतली सहा सनिचारी।
Sutra Meaning : उत्सर्पिणी काल के दुःषमा नामक द्वितीय आरक में भरतक्षेत्र का आकार – स्वरूप कैसा होगा ? गौतम ! उनका भूमिभाग बहुत समतल तथा रमणीय होगा। उस समय मनुष्यों का आकार – प्रकार कैसा होगा ? गौतम ! उस मनुष्यों के छह प्रकार के संहनन एवं संस्थान होंगे। उनकी ऊंचाई सात हाथ की होगी। उनका जघन्य अन्त – मुहूर्त्त का तथा उत्कृष्ट कुछ अधिक सौ वर्ष का आयुष्य होगा। आयुष्य को भोगकर उन में से कईं नरक – गतिमें, यावत्‌ कईं देव – गति में जायेंगे, किन्तु सिद्ध नहीं होंगे। गौतम ! उस आरक के २१००० वर्ष व्यतीत हो जाने पर उत्सर्पिणी काल का दुःषम – सुषमा नामक तृतीय आरक आरम्भ होगा। उसमें अनन्त वर्णपर्याय आदि क्रमशः परिवर्द्धित होते जायेंगे। उस काल में भरतक्षेत्र का आकार – स्वरूप कैसा होगा ? गौतम ! उनका भूमिभाग बड़ा समतल एवं रमणीय होगा। उन मनुष्यों का आकार – स्वरूप कैसा होगा ? गौतम ! उन मनुष्यों के छह प्रकार के संहनन तथा संस्थान होंगे। शरीर की ऊंचाई अनेक धनुष – परिमाण होगी। जघन्य अन्तमुहूर्त्त तथा उत्कृष्ट एक पूर्व कोटि तक आयुष्य होगा। कईं नरक – गति में जाएंगे यावत्‌ कईं समस्त दुःखों का अन्त करेंगे। उस काल में तीन वंश उत्पन्न होंगे – १. तीर्थंकर – वंश, २. चक्रवर्ती – वंश तथा ३. दशारवंश – बलदेव – वासुदेव वंश। उस काल में तेईस तीर्थंकर, ग्यारह चक्रवर्ती तथा नौ वासुदेव उत्पन्न होंगे। गौतम ! उस आरक का ४२००० वर्ष कम एक सागरोपम कोड़ा – कोड़ी काल व्यतीत हो जाने पर उत्सर्पिणी – काल का सुषम – दुःषमा नामक आरक प्रारम्भ होगा। उसमें अनन्त वर्णपर्याय आदि अनन्तगुण परिवृद्धि क्रम से परिवर्द्धित होंगे। वह काल तीन भागों में विभक्त होगा – प्रथम तृतीय भाग, मध्यम तृतीय भाग तथा अन्तिम तृतीय भाग। उस काल के प्रथम त्रिभाग में भरतक्षेत्र का आकार – स्वरूप कैसा होगा ? गौतम ! उसका भूमिभाग बहुत समतल तथा रमणीय होगा। अवसर्पिणी – काल के सुषम – दुःषमा आरक के अन्तिम तृतीयांश के समान में मनुष्य होंगे। केवल इतना अन्तर होगा, इसमें कुलकर नहीं होंगे, भगवान्‌ ऋषभ नहीं होंगे। इस संदर्भ में अन्य प्राचार्यों का कथन है – उस काल के प्रथम त्रिभाग में पन्द्रह कुलकर होंगे – सुमति यावत्‌ ऋषभ। शेष उसी प्रकार है। दण्ड – नीतियाँ विपरीत क्रम से होंगी। उस काल के प्रथम त्रिभाग में राज – धर्म यावत्‌ चारित्र – धर्म विच्छिन्न हो जायेगा। मध्यम तथा अन्तिम त्रिभाग की वक्तव्यता अवसर्पिणी के प्रथम – मध्यम त्रिभाग की ज्यों समझना। सुषमा और सुषम – सुषमा काल भी उसी जैसे हैं। छह प्रकार के मनुष्यों आदि का वर्णन उसी के सदृश है।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] tise nam bhamte! Samae bharahassa vasassa kerisae agarabhavapadoyare bhavissai? Goyama! Bahusama-ramanijje bhumibhage bhavissai, se jahanamae alimgapukkharei va java nanavihapamchavannehim manihim tanehi ya uvasobhie, tam jaha–kittimehim cheva akittimehim cheva. Tise nam bhamte! Samae manuyanam kerisae agarabhavapadoyare bhavissai? Goyama! Tesim nam manuyanam chhavvihe samghayane, chhavvihe samthane, bahuio rayanio uddham uchchattenam, jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam sairegam vasasayam auyam palehimti, paletta appegaiya nirayagami, appegaiya tiriya-gami, appegaiya manuyagami, appegaiya devagami, na sijjhamti. Tise nam samae ekkavisae vasasahassehim kale viikkamte anamtehim vannapajjavehim anamtehim gamdhapajjavehim anamtehim rasapajjavehim anamtehim phasapajjavehim anamtehim samghayanapajjavehim anamtehim samthanapajjavehim anamtehim uchchattapajjavehim anamtehim aupajjavehim anamtehim garuyalahuyapajjavehim anamtehim agaruyalahuyapajjavehim anamtehim utthana kamma bala viriya purisakkara parakkamapajjavehim anamtagunaparivaddhie parivaddhemane-parivaddhemane, ettha nam dusamasusamanamam sama kale padivajjissai samanauso!. Tise nam bhamte! Samae bharahassa vasassa kerisae agarabhavapadoyare bhavissai? Goyama! Bahusamaramanijje bhumibhage bhavissai, se jahanamae alimgapukkharei va java nanavihapamchavannehim manihim tanehi ya uvasobhie, tam jaha–kittimehim cheva akittimehim cheva. Tesi nam bhamte! Manuyanam kerisae agarabhavapadoyare bhavissai? Goyama! Tesi nam manuyanam chhavvihe samghayane, chhavvihe samthane, bahuim dhanuim uddham uchchattenam, jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam puvvakodim auyam palehimti, paletta appegaiya nirayagami, appegaiya tiriyagami, appegaiya manuyagami, appegaiya devagami, appegaiya sijjihimti bujjhihimti muchchihimti parinivvahimti savvadukkhanam amtam karehimti. Tise nam samae tao vamsa samuppajjissamti, tam jaha–titthagaravamse chakkavattivamse dasaravamse. Tise nam samae tevisam titthagara, ekkarasa chakkavatti, nava baladeva, nava vasudeva samuppajjissamti. Tise nam samae sagarovamakodakodie bayalisae vasasahassehim uniyae kale viikkamte anamtehim vannapajjavehim anamtehim gamdhapajjavehim anamtehim rasapajjavehim anamtehim phasapajjavehim anamtehim samghayanapajjavehim anamtehim samthanapajjavehim anamtehim uchchattapajjavehim anamtehim au-pajjavehim anamtehim garuyalahuyapajjavehim anamtehim agaruyalahuyapajjavehim anamtehim utthana kamma bala viriya purisakkara parakkamapajjavehim anamtaguna parivaddhie parivaddhemane-parivaddhemane, ettha nam susamadusamanamam sama kale padivajjissai samanauso!. Sa nam sama tiha vibhajissai, tam jaha–padhame tibhage majjhime tibhage pachchhime tibhage. Tise nam bhamte! Samae padhame tibhae bharahassa vasassa kerisae agarabhavapadoyare bhavissai? Goyama! Bahusamaramanijje bhumibhage bhavissai, se jahanamae alimgapukkharei va java nanavihapamchavannehim manihim tanehi ya uvasomie, tam jaha –kittimehim cheva akittimehim cheva. Tise nam bhamte! Samae padhame tibhage bharahe vase manuyanam kerisae agarabhavapadoyare bhavissai? Goyama! Tesim manuyanam chhavvihe samghayane, chhavvihe samthane, bahuni dhanusayani uddham uchchattenam, jahannenam samkhejjani vasani, ukkosenam asamkhejjani vasani auyam palehimti, paletta appegaiya nirayagami, appegaiya tiriyagami, appegaiya manussagami, appegaiya deva-gami, appegaiya sijjhihimti bujjhihimti muchchihimti parinivvahimti savvadukkhanamamtam karehimti. Tise nam samae padhame tibhae rayadhamme jayatee0 dhammacharane ya vochchhijjissai. Tise nam samae majjhima-pachchhimesu tibhagesu bharahassa vasassa kerisae agarabhavapadoyare bhavissai? Goyama! Bahusamaramanijje bhumibhage bhavissai, so cheva gamo neyavvo, nanattam–do dhanusahassaim uddham uchchattenam, tesim cha manuyanam chausatthim pitthikaramdaga, chautthabhattassa aharatthe samuppajjissai, thii paliovamam, egunasiim raimdiyaim sarakkhissamti samgovessamti java deva logapariggahiya nam te manuya pannatta samanauso!. Tise nam samae dohim sagarovamakodakodihim kale viikkamte anamtehim vannapajjavehim anamtehim gamdhapajjavehim anamtehim rasapajjavehim anamtehim phasapajjavehim anamtehim samghayanapajjavehim anamtehim samthanapajjavehim anamtehim uchchattapajjavehim anamtehim aupajjavehim anamtehim garuyalahuya-pajjavehim anamtehim agaruyalahuyapajjavehim anamtehim utthana kamma bala viriya purisakkara parakkamapa-jjavehim anamtagunaparivaddhie parivaddhemane-parivaddemane, ettha nam susamanamam sama kale padi-vajjissai samanauso!. Jambuddive nam bhamte! Dive agamessae ussappinie susamae samae uttamakatthapattae bharahassa vasassa kerisae agarabhavapadoyare bhavissai? Goyama! Bahusamaramanijje bhumibhage bhavissai, se jahanamae alimgapukkharei va, tam cheva jam susamasusamae puvvavanniyam, navaram– nanattam chaudhanusahassa-musiya ege atthabise pitthikaramdukasae chhatthabhattassa aharatthe, chausatthim raimdiyaim sarakkhissamti, do paliovamaim au, sesam tam cheva. Tise nam samae chauvviha manussa anusajjissamti, tam jaha–eka paurajamgha kusuma susamana. Tise nam samae tihim sagarovamakodakodihim kale viikkamte anamtehim vannapajjavehim anamtehim gamdhapajjavehim anamtehim rasapajjavehim anamtehim phasapajjavehim anamtehim samghayanapajjavehim anamtehim samthanapajjavehim anamtehim uchchattapajjavehim anamtehim aupajjavehim anamtehim garuyalahuya pajjavehim anamtehim agaruyalahuyapajjavehim anamtehim utthana kamma bala viriya purisakkara parakkama pajjavehim anamtagunaparivaddhie parivaddhemane-parivaddhemane, ettha nam susamasusamanamam sama kale padivajjissai samanauso!. Jambuddive nam bhamte! Dive bharahe vase imise ussappinie susamasusamae samae uttamakatthapattae bharahassa vasassa kerisae agarabhavapadoyare bhavissai? Goyama! Bahusamaramanijje bhumibhage bhavissai, se jahanamae alimgapukkharei va java nanavihapamchavannehim manihim tanehi ya uvasobhie, tam jaha– kinhehim java sukkilehim taheva java chhavviha manussa anusajjissamti tam jaha–pamhagamdha miyagamdha amama tetali saha sanichari.
Sutra Meaning Transliteration : Utsarpini kala ke duhshama namaka dvitiya araka mem bharatakshetra ka akara – svarupa kaisa hoga\? Gautama ! Unaka bhumibhaga bahuta samatala tatha ramaniya hoga. Usa samaya manushyom ka akara – prakara kaisa hoga\? Gautama ! Usa manushyom ke chhaha prakara ke samhanana evam samsthana homge. Unaki umchai sata hatha ki hogi. Unaka jaghanya anta – muhurtta ka tatha utkrishta kuchha adhika sau varsha ka ayushya hoga. Ayushya ko bhogakara una mem se kaim naraka – gatimem, yavat kaim deva – gati mem jayemge, kintu siddha nahim homge. Gautama ! Usa araka ke 21000 varsha vyatita ho jane para utsarpini kala ka duhshama – sushama namaka tritiya araka arambha hoga. Usamem ananta varnaparyaya adi kramashah parivarddhita hote jayemge. Usa kala mem bharatakshetra ka akara – svarupa kaisa hoga\? Gautama ! Unaka bhumibhaga bara samatala evam ramaniya hoga. Una manushyom ka akara – svarupa kaisa hoga\? Gautama ! Una manushyom ke chhaha prakara ke samhanana tatha samsthana homge. Sharira ki umchai aneka dhanusha – parimana hogi. Jaghanya antamuhurtta tatha utkrishta eka purva koti taka ayushya hoga. Kaim naraka – gati mem jaemge yavat kaim samasta duhkhom ka anta karemge. Usa kala mem tina vamsha utpanna homge – 1. Tirthamkara – vamsha, 2. Chakravarti – vamsha tatha 3. Dasharavamsha – baladeva – vasudeva vamsha. Usa kala mem teisa tirthamkara, gyaraha chakravarti tatha nau vasudeva utpanna homge. Gautama ! Usa araka ka 42000 varsha kama eka sagaropama kora – kori kala vyatita ho jane para utsarpini – kala ka sushama – duhshama namaka araka prarambha hoga. Usamem ananta varnaparyaya adi anantaguna parivriddhi krama se parivarddhita homge. Vaha kala tina bhagom mem vibhakta hoga – prathama tritiya bhaga, madhyama tritiya bhaga tatha antima tritiya bhaga. Usa kala ke prathama tribhaga mem bharatakshetra ka akara – svarupa kaisa hoga\? Gautama ! Usaka bhumibhaga bahuta samatala tatha ramaniya hoga. Avasarpini – kala ke sushama – duhshama araka ke antima tritiyamsha ke samana mem manushya homge. Kevala itana antara hoga, isamem kulakara nahim homge, bhagavan rishabha nahim homge. Isa samdarbha mem anya pracharyom ka kathana hai – usa kala ke prathama tribhaga mem pandraha kulakara homge – sumati yavat rishabha. Shesha usi prakara hai. Danda – nitiyam viparita krama se homgi. Usa kala ke prathama tribhaga mem raja – dharma yavat charitra – dharma vichchhinna ho jayega. Madhyama tatha antima tribhaga ki vaktavyata avasarpini ke prathama – madhyama tribhaga ki jyom samajhana. Sushama aura sushama – sushama kala bhi usi jaise haim. Chhaha prakara ke manushyom adi ka varnana usi ke sadrisha hai.