Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Sr No : | 1007649 | ||
Scripture Name( English ): | Jambudwippragnapati | Translated Scripture Name : | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
वक्षस्कार २ काळ |
Translated Chapter : |
वक्षस्कार २ काळ |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 49 | Category : | Upang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तीसे णं समाए एक्कवीसाए वाससहस्सेहिं काले विइक्कंते अनंतेहिं वण्णपज्जवेहिं, अनंतेहिं गंधपज्जवेहिं अनंतेहिं रसपज्जवेहिं अनंतेहिं फासपज्जवेहिं अनंतेहिं संघयणपज्जवेहिं अनंतेहिं संठाणपज्जवेहिं अनंतेहिं उच्चत्तपज्जवेहिं अनंतेहिं आउपज्जवेहिं अनंतेहिं गरुयलहुयपज्जवेहिं अनंतेहिं अगरुयलहुयपज्जवेहिं अनंतेहिं उट्ठाण-कम्म-बल-वीरिय-पुरिसक्कार-परक्कमपज्जवेहिं अनंतगुणपरिहाणीए परिहायमाणे-परिहायमाणे, एत्थ णं दूसमदूसमणामं समा काले पडिवज्जिस्सइ समणाउसो! । तीसे णं भंते! समाए उत्तमकट्ठपत्ताए भरहस्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सइ? गोयमा! काले भविस्सई हाहाभूए भंभाभूए कोलाहलभूए समानुभावेण य णं खरफरुस-धूलिमइला दुव्विसहा वाउला भयंकरा य वाया संवट्टगा य वाहिंति। इह अभिक्खं धूमाहिंति य दिसा समंता रउस्सला रेणुकलुस तमपडल निरालोया। समयलुक्खयाए य णं अहियं चंदा सीयं मोच्छिहिंति, अहियं सूरिया तविस्संति। अदुत्तरं च णं गोयमा! अभिक्खणं अरसमेहा विरसमेहा खारमेहा खत्तमेहा अग्गिमेहा विज्जुमेहा विसमेहा असनिमेहा अजवणिज्जोदगा बाहिरोगवेदणोदीरण-परिणामसलिला अमणुन्न-पाणियगा चंडानिलपहत तिक्ख धारा निवातपउरं वासं वासिहिंति, जेणं भरहे वासे गामागर नगर खेड कब्बड मडंब दोणमुह पट्टणासमगयं जनवयं, चउप्पयगवेलए, खहयरे पक्खिसंघे गामारण्णप्प-यारणिरए तसे य पाने बहुप्पयारे रुक्ख गुच्छ गुम्म लय वल्लि पवालंकुरमादीए तणवणस्सइकाइए ओसहीओ य विद्धंसेहिंति, पव्वय गिरि डोंगरुत्थलभट्ठिमादीए य वेयड्ढगिरिवज्जे विरावेहिंति, सलिल बिल विसम-गड्ड-निन्नुन्नयाणि य गंगासिंधुवज्जाइं समीकरेहिंति। तीसे णं भंते! समाए भरहस्स वासस्स भूमीए केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सइ? गोयमा! भूमी भविस्सइ इंगालभूया मुम्मूरभूया छारियभूया तत्तकवेल्लुयभूया तत्तसमजोइभूया धूलिबहुला रेणुबहुला पंकबहुला पणयबहुला चलणिबहुला बहूणं धरणिगोयराणं सत्ताणं दुन्निकम्मा यावि भविस्सई। तीसे णं भंते! समाए भरहे वासे मनुयाणं केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सइ? गोयमा! मनुया भविस्संति दुरूवा दुवण्णा दुग्गंधा दुरसा दुफासा अनिट्ठा अकंता अप्पिया असुभा अमणुन्ना अमणामा हीनस्सरा दीनस्सरा अनिट्ठस्सरा अकंतस्सरा अपियस्सरा अमणुन्नस्सरा अमणामस्सरा अनादेज्जवयणपच्चायाता निल्लज्जा कूड कवड कलह वह बंध वेरनिरया मज्जायातिक्क- मप्पहाणा अकज्जणिच्चुज्जया गुरुनिओग विनयरहिया य विकलरूवा परूढनह केस मंसु रोमा काला खर फरुस सामवण्णा फुट्टसिरा कविलपलियकेसा बहुण्हारुणिसंपिणद्ध दुद्दंसणिज्जरूवा संकुडियवलीतरंग परिवेढिअंगमंगा जरापरिणयव्व थेरग नरा पविरल परिसडिय दंतसेढी उब्भड-घडामुहा विसमनयनवंकणासा वंक वलीविगय भेसणमुहा दद्दु किटिभ सिब्भ फुडियफरुसच्छवी चित्तलंगमंगा कच्छूखसराभिभूया खरतिक्खणक्ख कंडूइय विक्खयतणू टोलाकिति विसम-संधिबंधण उक्कुडुयट्ठियविभत्त दुब्बल कुसंघयण कुप्पमाणकुसंठिया कुरूवा कुट्ठाणासन कुसेज्ज कुभोइणो असुइणो अनेगवाहिपरिपीलिअंगमंगा खलंत विब्भलगई निरुच्छाहा सत्तपरिवज्जिता विगयचेट्ठा नट्ठतेया अभिक्खणं सीउण्ह खरफरुसवायविज्झडिय मलिणपंसुरओगुंडिअंगमंगा बहुकोहमानमायालोभा बहुमोहा असुभदुक्खभागी ओसन्नं धम्मसण्ण सम्मत्तपरिभट्ठा उक्कोसेणं रयणिप्पमाणमेत्ता सोलस वीसइवास परमाउसो बहुपुत्तणत्तुपरियाल पणयबहुला गंगासिंधूओ महानईओ वेयड्ढं च पव्वयं नीसाए बावत्तरिं निगोया बीयं बीयमेत्ता बिलवासिणो मनुया भविस्संति। ते णं भंते! मनुया किमाहारिस्संति? गोयमा! तेणं कालेणं तेणं समएणं गंगासिंधूओ महानईओ रहपहमित्तवित्थराओ अक्खसोयप्पमाणमेत्तं जलं वोज्झिहिंति, सेवि य णं जले बहुमच्छ-कच्छभाइण्णे, नो चेव णं आउबहुले भविस्सइ। तए णं ते मनुया सुरुग्गमणमुहुत्तंसि य सूरत्थमणमुहुत्तंसि य बिलेहिंतो निद्धाइस्संति, निद्धाइत्ता मच्छकच्छभे थलाइं गाहेहिंति, गाहेत्ता सीयातवतत्तेहिं मच्छकच्छभेहिं इक्कवीसं वाससहस्साइं बित्तिं कप्पेमाणा विहरिस्संति। ते णं भंते! मनुया निस्सीला निव्वया निग्गुणा निम्मेरा निप्पच्चक्खाणपोसहोववासा ओसन्नं मंसाहारा मच्छाहारा खोद्दाहारा कुणिमाहारा कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिंति? कहिं उववज्जिहिंति? गोयमा! ओसन्नं नरगतिरिक्खजोणिएसु उववज्जिहिंति। ते णं भंते! सीहा वग्घा वगा दीविया अच्छा तरच्छा परस्सरा सियाल विराल सुनगा कोलसुनगा ससगा चित्तलगा चिल्ललगा ओसन्नं मंसाहारा मच्छाहारा खोद्दाहारा कुणिमाहारा काल-मासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिंति? कहिं उववज्जिहिंति? गोयमा! ओसन्नं नरगतिरिक्खजोणिएसु उववज्जिहिंति। ते णं भंते! ढंका कंका पिलगा मद्दुगा सिही ओसन्नं मंसाहारा मच्छाहारा खोद्दाहारा कुणिमाहारा कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिंति? कहिं उववज्जिहिंति? गोयमा! ओसन्नं नरगतिरिक्खजोणिएसु उववज्जिहिंति। | ||
Sutra Meaning : | गौतम ! पंचम आरक के २१००० वर्ष व्यतीत हो जाने पर अवसर्पिणी काल का दुःषम – दुःषमा नामक छठ्ठा आरक प्रारंभ होगा। उसमें अनन्त वर्णपर्याय, गन्धपर्याय, समपर्याय तथा स्पर्शपर्याय आदि का क्रमशः ह्रास होता जायेगा। भगवन् ! जब वह आरक उत्कर्ष की पराकाष्ठा पर पहुँचा होगा, तो भरतक्षेत्र का आकार – स्वरूप कैसा होगा ? गौतम ! उस समय दुःखार्त्ततावश लोगों में हाहाकार मच जायेगा, अत्यन्त दुःखोद्विग्नता से चीत्कार फैल जायेगा और विपुल जन – क्षय के कारण जन – शून्य हो जायेगा। तब अत्यन्त कठोर, धूल से मलिन, दुस्सह, व्याकुल, भयंकर वायु चलेंगे, संवर्तक वायु चलेंगे। दिशाएं अभीक्ष्ण धुंआ छोड़ती रहेंगी। वे सर्वथा रज से भरी, धूल से मलिन तथा घोर अंधकार के कारण प्रकाशशून्य हो जाएंगी। चन्द्र अधिक अपथ्य शीत छोड़ेंगे। सूर्य अधिक असह्य रूप में तपेंगे। गौतम ! उसके अनन्तर अरसमेघ, विरसमेघ, क्षारमेघ, खात्रमेघ, अग्निमेघ, विद्युन्मेघ, विषमेघ, व्याधि, रोग, वेदनोत्पादक जलयुक्त, अप्रिय जलयुक्त मेघ, तूफानजनित तीव्र मधुर जलधारा छोड़नेवाले मेघ निरंतर वर्षा करेंगे। भरतक्षेत्र में ग्राम, आकार, नगर, खेट कर्वट, मडम्ब, द्रोणमुख, पट्टन, आश्रमगत जनपद, चौपाये प्राणी, खेचर, पक्षियों के समूह, त्रस जीव, बहुत प्रकार के वृक्ष, गुच्छ, गुल्म, लताएं, बेलें, पत्ते, अंकुर इत्यादि बादर वानस्पतिक जीव, वनस्पतियाँ, औषधियाँ – इन सबका वे विध्वंस कर देंगे। वैताढ्य आदि शाश्वत पर्वतों के अतिरिक्त अन्य पर्वत, गिरि, डूंगर, उन्नत स्थल, टींबे, भ्राष्ट्र, पठार, इन सब को तहस – नहस कर डालेंगे। गंगा और सिन्धु महानदी के अतिरिक्त जल के स्रोतों, झरनों, विषमगर्त, नीचे – ऊंचे जलीय स्थानों को समान कर देंगे। भगवन्! उस काल में भरतक्षेत्र की भूमि का आकार – स्वरूप कैसा होगा ? गौतम ! भूमि अंगारभूत, मुर्मुरभूत, क्षारिकभूत, तप्तकवेल्लुकभूत, ज्वालामय होगी। उसमें धूलि, रेणु, पंक और प्रचुर कीचड़ की बहुलता होगी। प्राणियों का उस पर चलना बड़ा कठिन होगा। उस काल में भरतक्षेत्र में मनुष्यों का आकार – स्वरूप कैसा होगा ? गौतम ! उस समय मनुष्यों का रूप, रंग, गंध, रस तथा स्पर्श अनिष्ट, अकान्त, अप्रिय, अमनोज्ञ तथा अमनोऽम होगा। उनका स्वर हीन, दीन, अनिष्ट, अकान्त, अप्रिय, अमनोगम्य और अमनोज्ञ होगा। उनका वचन अनादेय – होगा। वे निर्लज्ज, कूट, कपट, कलह, बन्ध तथा वैर में निरत होंगे। मर्यादाएं लाँघने, तोड़ने में प्रधान, अकार्य करने में सदा उद्यत एवं गुरुजन के आज्ञापालन और विनय से रहित होंगे। वे विकलरूप, काने, लंगड़े, चतुरंगुलिक आदि, बढ़े हुए नख, केश तथा दाढ़ी – मूँछ युक्त, काले, कठोर स्पर्शयुक्त, सलवटों के कारण फूटे हुए से मस्तक युक्त, धूएं के से वर्ण वाले तथा सफेद केशों से युक्त, अत्यधिक स्नायुओं परिबद्ध, झुर्रियों से परिव्याप्त अंग युक्त, जरा – र्जर बूढ़ों के सदृश, प्रविल तथा परिशटित दन्तश्रेणी युक्त, घड़े के विकृत मुख सदृश, असमान नेत्रयुक्त, वक्र – टेढ़ी नासिकायुक्त, भीषण मुखयुक्त, दाद, खाज, सेहुआ आदि से विकृत, कठोर धर्मयुक्त, चित्रल अवयवमय देहयुक्त, चर्मरोग से पीड़ित, कठोर, खरोंची हुई देहयुकत्टोलगति, विषम, सन्धि बन्धनयुक्त, अयथावत् स्थित अस्थियुक्त, पौष्टिक भोजनरहित, शक्तिहीन, कुत्सित ऐसे संहनन, परिमाण, संस्थान रूप, आश्रय, आसन, शय्या तथा कुत्सित भोजनसेवी, अशुचि, व्याधियों से पीड़ित, विह्वल गतियुक्त, उत्साह – रहित, सत्त्वहीन, निश्चेष्ट, नष्टतेज, निरन्तर शीत, उष्ण, तीक्ष्ण, कठोर वायु से व्याप्त शरीरयुक्त, मलिन धूलि से आवृत्त देहयुक्त, बहुत क्रोधी, अहंकारी, मायावी, लोभी तथा मोहमय, अत्यधिक दुःखी, प्रायः धर्मसंज्ञा – तथा सम्यक्त्व से परिभ्रष्ट होंगे। उत्कृष्टतः उनका देह – परिमाण – एक हाथ होगा। उनका अधिकतम आयुष्य – स्त्रियों का सोलह वर्ष का तथा पुरुषों का बीस वर्ष का होगा। अपने बहुपुत्र – पौत्रमय परिवार में उनका बड़ा प्रणय रहेगा। वे गंगा, सिन्धु के तट तथा वैताढ्य पर्वत के आश्रय में बिलों में रहेंगे। भगवन् ! वे मनुष्य क्या आहार लेंगे ? गौतम ! उस काल में गंगा और सिन्धु दो नदियाँ रहेंगी। रथ चलने के लिए अपेक्षित पथ जितना विस्तार होगा। रथचक्र के छेद जितना गहरा जल रहेगा। उसमें अनेक मत्स्य तथा कच्छप रहेंगे। उस जल में सजातीय अप्काय के जीव नहीं होंगे। वे मनुष्य सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय अपने बिलों से तेजी से दौड़ कर निकलेंगे। मछलियों और कछुओं को पकड़ेंगे, जमीन पर लायेंगे। रात में शीत द्वारा तथा दिन में आतप द्वारा उनको रसरहित बनायेंगे। वे अपनी जठराग्नि के अनुरूप उन्हें आहारयोग्य बना लेंगे। इस आहार – वृत्ति द्वारा वे २१००० वर्ष पर्यन्त अपना निर्वाह करेंगे। वे मनुष्य, जो निःशील, आचाररहित, निर्वृत्त, निर्मर्याद, प्रत्याख्यान, पौषध व उपवासरहित होंगे, प्रायः मांस – भोजी, मत्स्य – भोजी, यत्र – तत्र अवशिष्ट क्षुद्र धान्यादिक – भोजी, कुणिपभोजी आदि दुर्गन्धित पदार्थ – भोजी होंगे। अपना आयुष्य समाप्त होने पर मरकर वे प्रायः नरकगति और तिर्यंचगति में उत्पन्न होंगे। तत्कालवर्ती सिंह, बाघ, भेड़िए, चीत्ते, रींछ, तरक्ष, गेंड़े, शरभ, शृगाल, बिलाव, कुत्ते, जंगली कुत्ते या सूअर, खरगोश, चीतल तथा चिल्ललक, जो प्रायः मांसाहारी, मत्स्याहारी, क्षुद्राहारी तथा कुणपाहारी होते हैं, मरकर प्रायः नरकगति और तिर्यंचगति में उत्पन्न होंगे। भगवन् ! ढ़ंक, कंक, पीलक, मद्गुक, शिखी, जो प्रायः मांसाहारी हैं, मरकर प्रायः नरकगति और तिर्यंचगति में जायेंगे। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tise nam samae ekkavisae vasasahassehim kale viikkamte anamtehim vannapajjavehim, anamtehim gamdhapajjavehim anamtehim rasapajjavehim anamtehim phasapajjavehim anamtehim samghayanapajjavehim anamtehim samthanapajjavehim anamtehim uchchattapajjavehim anamtehim aupajjavehim anamtehim garuyalahuyapajjavehim anamtehim agaruyalahuyapajjavehim anamtehim utthana-kamma-bala-viriya-purisakkara-parakkamapajjavehim anamtagunaparihanie parihayamane-parihayamane, ettha nam dusamadusamanamam sama kale padivajjissai samanauso!. Tise nam bhamte! Samae uttamakatthapattae bharahassa vasassa kerisae agarabhavapadoyare bhavissai? Goyama! Kale bhavissai hahabhue bhambhabhue kolahalabhue samanubhavena ya nam kharapharusa-dhulimaila duvvisaha vaula bhayamkara ya vaya samvattaga ya vahimti. Iha abhikkham dhumahimti ya disa samamta raussala renukalusa tamapadala niraloya. Samayalukkhayae ya nam ahiyam chamda siyam mochchhihimti, ahiyam suriya tavissamti. Aduttaram cha nam goyama! Abhikkhanam arasameha virasameha kharameha khattameha aggimeha vijjumeha visameha asanimeha ajavanijjodaga bahirogavedanodirana-parinamasalila amanunna-paniyaga chamdanilapahata tikkha dhara nivatapauram vasam vasihimti, jenam bharahe vase gamagara nagara kheda kabbada madamba donamuha pattanasamagayam janavayam, chauppayagavelae, khahayare pakkhisamghe gamarannappa-yaranirae tase ya pane bahuppayare rukkha guchchha gumma laya valli pavalamkuramadie tanavanassaikaie osahio ya viddhamsehimti, pavvaya giri domgarutthalabhatthimadie ya veyaddhagirivajje viravehimti, salila bila visama-gadda-ninnunnayani ya gamgasimdhuvajjaim samikarehimti. Tise nam bhamte! Samae bharahassa vasassa bhumie kerisae agarabhavapadoyare bhavissai? Goyama! Bhumi bhavissai imgalabhuya mummurabhuya chhariyabhuya tattakavelluyabhuya tattasamajoibhuya dhulibahula renubahula pamkabahula panayabahula chalanibahula bahunam dharanigoyaranam sattanam dunnikamma yavi bhavissai. Tise nam bhamte! Samae bharahe vase manuyanam kerisae agarabhavapadoyare bhavissai? Goyama! Manuya bhavissamti duruva duvanna duggamdha durasa duphasa anittha akamta appiya asubha amanunna amanama hinassara dinassara anitthassara akamtassara apiyassara amanunnassara amanamassara anadejjavayanapachchayata nillajja kuda kavada kalaha vaha bamdha veraniraya majjayatikka- mappahana akajjanichchujjaya gurunioga vinayarahiya ya vikalaruva parudhanaha kesa mamsu roma kala khara pharusa samavanna phuttasira kavilapaliyakesa bahunharunisampinaddha duddamsanijjaruva samkudiyavalitaramga parivedhiamgamamga jaraparinayavva theraga nara pavirala parisadiya damtasedhi ubbhada-ghadamuha visamanayanavamkanasa vamka valivigaya bhesanamuha daddu kitibha sibbha phudiyapharusachchhavi chittalamgamamga kachchhukhasarabhibhuya kharatikkhanakkha kamduiya vikkhayatanu tolakiti visama-samdhibamdhana ukkuduyatthiyavibhatta dubbala kusamghayana kuppamanakusamthiya kuruva kutthanasana kusejja kubhoino asuino anegavahiparipiliamgamamga khalamta vibbhalagai niruchchhaha sattaparivajjita vigayachettha natthateya abhikkhanam siunha kharapharusavayavijjhadiya malinapamsuraogumdiamgamamga bahukohamanamayalobha bahumoha asubhadukkhabhagi osannam dhammasanna sammattaparibhattha ukkosenam rayanippamanametta solasa visaivasa paramauso bahuputtanattupariyala panayabahula gamgasimdhuo mahanaio veyaddham cha pavvayam nisae bavattarim nigoya biyam biyametta bilavasino manuya bhavissamti. Te nam bhamte! Manuya kimaharissamti? Goyama! Tenam kalenam tenam samaenam gamgasimdhuo mahanaio rahapahamittavittharao akkhasoyappamanamettam jalam vojjhihimti, sevi ya nam jale bahumachchha-kachchhabhainne, no cheva nam aubahule bhavissai. Tae nam te manuya suruggamanamuhuttamsi ya suratthamanamuhuttamsi ya bilehimto niddhaissamti, niddhaitta machchhakachchhabhe thalaim gahehimti, gahetta siyatavatattehim machchhakachchhabhehim ikkavisam vasasahassaim bittim kappemana viharissamti. Te nam bhamte! Manuya nissila nivvaya nigguna nimmera nippachchakkhanaposahovavasa osannam mamsahara machchhahara khoddahara kunimahara kalamase kalam kichcha kahim gachchhihimti? Kahim uvavajjihimti? Goyama! Osannam naragatirikkhajoniesu uvavajjihimti. Te nam bhamte! Siha vaggha vaga diviya achchha tarachchha parassara siyala virala sunaga kolasunaga sasaga chittalaga chillalaga osannam mamsahara machchhahara khoddahara kunimahara kala-mase kalam kichcha kahim gachchhihimti? Kahim uvavajjihimti? Goyama! Osannam naragatirikkhajoniesu uvavajjihimti. Te nam bhamte! Dhamka kamka pilaga madduga sihi osannam mamsahara machchhahara khoddahara kunimahara kalamase kalam kichcha kahim gachchhihimti? Kahim uvavajjihimti? Goyama! Osannam naragatirikkhajoniesu uvavajjihimti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Gautama ! Pamchama araka ke 21000 varsha vyatita ho jane para avasarpini kala ka duhshama – duhshama namaka chhaththa araka prarambha hoga. Usamem ananta varnaparyaya, gandhaparyaya, samaparyaya tatha sparshaparyaya adi ka kramashah hrasa hota jayega. Bhagavan ! Jaba vaha araka utkarsha ki parakashtha para pahumcha hoga, to bharatakshetra ka akara – svarupa kaisa hoga\? Gautama ! Usa samaya duhkharttatavasha logom mem hahakara macha jayega, atyanta duhkhodvignata se chitkara phaila jayega aura vipula jana – kshaya ke karana jana – shunya ho jayega. Taba atyanta kathora, dhula se malina, dussaha, vyakula, bhayamkara vayu chalemge, samvartaka vayu chalemge. Dishaem abhikshna dhuma chhorati rahemgi. Ve sarvatha raja se bhari, dhula se malina tatha ghora amdhakara ke karana prakashashunya ho jaemgi. Chandra adhika apathya shita chhoremge. Surya adhika asahya rupa mem tapemge. Gautama ! Usake anantara arasamegha, virasamegha, ksharamegha, khatramegha, agnimegha, vidyunmegha, vishamegha, vyadhi, roga, vedanotpadaka jalayukta, apriya jalayukta megha, tuphanajanita tivra madhura jaladhara chhoranevale megha niramtara varsha karemge. Bharatakshetra mem grama, akara, nagara, kheta karvata, madamba, dronamukha, pattana, ashramagata janapada, chaupaye prani, khechara, pakshiyom ke samuha, trasa jiva, bahuta prakara ke vriksha, guchchha, gulma, lataem, belem, patte, amkura ityadi badara vanaspatika jiva, vanaspatiyam, aushadhiyam – ina sabaka ve vidhvamsa kara demge. Vaitadhya adi shashvata parvatom ke atirikta anya parvata, giri, dumgara, unnata sthala, timbe, bhrashtra, pathara, ina saba ko tahasa – nahasa kara dalemge. Gamga aura sindhu mahanadi ke atirikta jala ke srotom, jharanom, vishamagarta, niche – umche jaliya sthanom ko samana kara demge. Bhagavan! Usa kala mem bharatakshetra ki bhumi ka akara – svarupa kaisa hoga\? Gautama ! Bhumi amgarabhuta, murmurabhuta, ksharikabhuta, taptakavellukabhuta, jvalamaya hogi. Usamem dhuli, renu, pamka aura prachura kichara ki bahulata hogi. Praniyom ka usa para chalana bara kathina hoga. Usa kala mem bharatakshetra mem manushyom ka akara – svarupa kaisa hoga\? Gautama ! Usa samaya manushyom ka rupa, ramga, gamdha, rasa tatha sparsha anishta, akanta, apriya, amanojnya tatha amanoma hoga. Unaka svara hina, dina, anishta, akanta, apriya, amanogamya aura amanojnya hoga. Unaka vachana anadeya – hoga. Ve nirlajja, kuta, kapata, kalaha, bandha tatha vaira mem nirata homge. Maryadaem lamghane, torane mem pradhana, akarya karane mem sada udyata evam gurujana ke ajnyapalana aura vinaya se rahita homge. Ve vikalarupa, kane, lamgare, chaturamgulika adi, barhe hue nakha, kesha tatha darhi – mumchha yukta, kale, kathora sparshayukta, salavatom ke karana phute hue se mastaka yukta, dhuem ke se varna vale tatha sapheda keshom se yukta, atyadhika snayuom paribaddha, jhurriyom se parivyapta amga yukta, jara – rjara burhom ke sadrisha, pravila tatha parishatita dantashreni yukta, ghare ke vikrita mukha sadrisha, asamana netrayukta, vakra – terhi nasikayukta, bhishana mukhayukta, dada, khaja, sehua adi se vikrita, kathora dharmayukta, chitrala avayavamaya dehayukta, charmaroga se pirita, kathora, kharomchi hui dehayukattolagati, vishama, sandhi bandhanayukta, ayathavat sthita asthiyukta, paushtika bhojanarahita, shaktihina, kutsita aise samhanana, parimana, samsthana rupa, ashraya, asana, shayya tatha kutsita bhojanasevi, ashuchi, vyadhiyom se pirita, vihvala gatiyukta, utsaha – rahita, sattvahina, nishcheshta, nashtateja, nirantara shita, ushna, tikshna, kathora vayu se vyapta sharirayukta, malina dhuli se avritta dehayukta, bahuta krodhi, ahamkari, mayavi, lobhi tatha mohamaya, atyadhika duhkhi, prayah dharmasamjnya – tatha samyaktva se paribhrashta homge. Utkrishtatah unaka deha – parimana – eka hatha hoga. Unaka adhikatama ayushya – striyom ka solaha varsha ka tatha purushom ka bisa varsha ka hoga. Apane bahuputra – pautramaya parivara mem unaka bara pranaya rahega. Ve gamga, sindhu ke tata tatha vaitadhya parvata ke ashraya mem bilom mem rahemge. Bhagavan ! Ve manushya kya ahara lemge\? Gautama ! Usa kala mem gamga aura sindhu do nadiyam rahemgi. Ratha chalane ke lie apekshita patha jitana vistara hoga. Rathachakra ke chheda jitana gahara jala rahega. Usamem aneka matsya tatha kachchhapa rahemge. Usa jala mem sajatiya apkaya ke jiva nahim homge. Ve manushya suryodaya tatha suryasta ke samaya apane bilom se teji se daura kara nikalemge. Machhaliyom aura kachhuom ko pakaremge, jamina para layemge. Rata mem shita dvara tatha dina mem atapa dvara unako rasarahita banayemge. Ve apani jatharagni ke anurupa unhem aharayogya bana lemge. Isa ahara – vritti dvara ve 21000 varsha paryanta apana nirvaha karemge. Ve manushya, jo nihshila, achararahita, nirvritta, nirmaryada, pratyakhyana, paushadha va upavasarahita homge, prayah mamsa – bhoji, matsya – bhoji, yatra – tatra avashishta kshudra dhanyadika – bhoji, kunipabhoji adi durgandhita padartha – bhoji homge. Apana ayushya samapta hone para marakara ve prayah narakagati aura tiryamchagati mem utpanna homge. Tatkalavarti simha, bagha, bherie, chitte, rimchha, taraksha, gemre, sharabha, shrigala, bilava, kutte, jamgali kutte ya suara, kharagosha, chitala tatha chillalaka, jo prayah mamsahari, matsyahari, kshudrahari tatha kunapahari hote haim, marakara prayah narakagati aura tiryamchagati mem utpanna homge. Bhagavan ! Rhamka, kamka, pilaka, madguka, shikhi, jo prayah mamsahari haim, marakara prayah narakagati aura tiryamchagati mem jayemge. |