Sutra Navigation: Vipakasutra ( विपाकश्रुतांग सूत्र )

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Sr No : 1005523
Scripture Name( English ): Vipakasutra Translated Scripture Name : विपाकश्रुतांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

श्रुतस्कंध-१ दुःख विपाक

अध्ययन-३ अभग्नसेन

Translated Chapter :

श्रुतस्कंध-१ दुःख विपाक

अध्ययन-३ अभग्नसेन

Section : Translated Section :
Sutra Number : 23 Category : Ang-11
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] तए णं से महब्बले राया अन्नया कयाइ पुरिमताले नयरे एगं महं महइमहालियं कूडागारसालं कारेइ–अनेगखंभसयसन्निविट्ठं पासाईयं दरिसणिज्जं अभिरूवं पडिरूवं। तए णं से महब्बले राया अन्नया कयाइ पुरिमताले नयरे उस्सुक्कं उक्करं अभडप्पवेसं अदंडिमकुदंडिमं अधरिमं अधारणिज्जं अणुद्धयमुइंगं अमिलायमल्लदामं गणियावरनाडइज्ज-कलियं अनेगतालाचराणुचरियं पमुइयपक्कीलियाभिरामं जहारिहं दसरत्तं पमोयं उग्घोसावेइ, उग्घोसावेत्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी– गच्छह णं तुब्भे देवानुप्पिया! सालाडवीए चोरपल्लीए। तत्थ णं तुब्भे अभग्गसेणं चोरसेनावइं करयल परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं वयह–एवं खलु देवानुप्पिया! पुरिमताले नयरे महब्बलस्स रन्नो उस्सुक्के जाव दसरते पमोए उग्घोसिए। तं किं णं देवानुप्पिया! विउलं असनं पानं खाइमं साइमं पुप्फ वत्थ गंध मल्लालंकारे य इहं हव्वमाणिज्जउ उदाहु सयमेव गच्छित्था? तए णं ते कोडुंबियपुरिसा महब्बलस्स रन्नो करयल परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं सामि! त्ति आणाए विनएणं वयणं पडिसुणेंति, पडिसुणेत्ता पुरिमतालाओ नयराओ पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता नाइविकिट्ठेहिं अद्धाणेहिं सुहेहिं वसहिपायरासेहिं जेणेव सालाडवी चोरपल्ली तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता अभग्गसेण चोरसेनावइं करयल परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं वयासी–एवं खलु देवानुप्पिया! पुरिमताले नयरे महब्बलस्स रन्नो उस्सुक्के जाव दसरत्ते पमोए उग्घोसिए। तं किं णं देवानुप्पिया! विउलं असनं पानं खाइमं साइमं पुप्फ वत्थ गंध मल्लालंकारे य इहं हव्वमाणिज्जउ उदाहु सयमेव गच्छित्था? तए णं से अभग्गसेने चोरसेनावई ते कोडुंबियपुरिसे एवं वयासी–अहं णं देवानुप्पिया! पुरिमतालं नयरं सयमेव गच्छामि। ते कोडुंबियपुरिसे सक्कारेइ सम्माणेइ पडिविसज्जेइ। तए णं से अभग्गसेने चोरसेनावई बहूहिं मित्त नाइ नियग सयण संबंधि परियणेहिं सद्धिं परिवुडे ण्हाए कयबलिकम्मे कयकोउ मंगल पायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिए सालाडवीओ चोरपल्लीओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव पुरिमताले नयरे, जेणेव महब्बले राया, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु महब्बलं रायं जएणं विजएणं बद्धावेइ, बद्धावेत्ता महत्थं महग्घं महरिहं रायारिहं पाहुडं उवनेइ। तए णं से महब्बले राया अभग्गसेनस्स चोरसेनावइस्स तं महत्थं महग्घं महरिहं रायारिहं पाहुडं पडिच्छइ, अभग्गसेनं चोरसेनावइं सक्कारेइ सम्माणेइ विसज्जेइ, कूडागारसालं च से आवसहिं दलयइ। तए णं से अभग्गसेने चोरसेनावई महब्बलेणं रन्नाविसज्जिए समाणे जेणेव कूडागारसाला तेणेव उवागच्छइ। तए णं से महब्बले राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी–गच्छह णं तुब्भे देवानुप्पिया! विउलं असनं पानं खाइमं साइमं उवक्खडावेह, उवक्खडावेत्ता तं विउलं असनं पानं खाइमं साइमं सुरं च महुं च मेरगं च जाइं च सीधुं च पसन्नं च सुबहुं पुप्फ वत्थ गंध मल्लालंकारं च अभग्गसेनस्स चोरसेनावइस्स कूडागारसालाए उवनेह। तए णं ते कोडुंबियपुरिसा करयल परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु जाव उवनेंति। तए णं से अभग्गसेने चोरसेनावई बहूहिं मित्त नाइ नियग सयण संबंधि परियणेहिं सद्धिं संपरिवुडे ण्हाए जाव सव्वालंकारविभूसिए तं विउलं असनं पानं खाइमं साइमं सुरं च महुं च मेरगं च जाइं च सीधुं च पसन्नं च आसाएमाणे वीसाएमाणे परिभुंजेमाणे पमत्ते विहरइ। तए णं से महब्बले राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी–गच्छह णं तुब्भे देवानुप्पिया! पुरिमतालस्स नयरस्स दुवाराइं पिहेइ, पिहेत्ता अभग्गसेणं चोरसेनावइं जीवग्गाहं गिण्हह, गिण्हित्ता ममं उवणेह। तए णं ते कोडुंबियपुरिसा करयल परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं सामि! त्ति आणाए विनएणं वयणं पडिसुणेंति, पडिसुणेत्ता पुरिमतालस्स नयरस्स दुवाराइं पिहेंति, अभग्गसेनं चोरसेनावइं जीवग्गाहं गिण्हंति, गिण्हित्ता महब्बलस्स रन्नो उवणेंति। तए णं से महब्बले राया अभग्गसेणं चोरसेनावइं एएणं विहाणेणं वज्झं आणवेइ। एवं खलु गोयमा! अभग्गसेने चोरसेनावई पुरा पोराणाणं दुच्चिण्णाणं दुप्पडिकंताणं असुभाणं पावाणं कडाणं कम्माणं पावगं फलवित्तिविसेसं पच्चणुभवमाणे विहरइ। अभग्गसेने णं भंते! चोरसेनावई कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिइ? कहिं उववज्जिहिइ? गोयमा! अभग्गसेने चोरसेनावई सत्ततीसं वासाइं परमाउं पालइत्ता अज्जेव तिभागावसेसे दिवसे सूलभिण्णे कए समाणे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोस सागरोवमट्ठिइएसु नेरइएसु नेरइयत्ताए उववज्जिहिइ। से णं तओ अनंतरं उव्वट्टित्ता, एवं संसारो जहा पढमे जाव वाउ तेउ आउ पुढवीसु अनेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव भुज्जो भुज्जो पच्चायाइस्सइ। तओ उव्वट्टित्ता वाणारसीए नयरीए सूयरत्ताए पच्चायाहिइ। से णं तत्थ सोयरिएहिं जीवियाओ ववरोविए समाणे तत्थेव वाणारसीए नयरीए सेट्ठिकुलंसि पत्तत्ताए पच्चायाहिइ। से णं तत्थ उम्मुक्कबालभावो, एवं जहा पढमे जाव अंतं काहिइ। एवं खलु जंबू! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं दुहविवागाणं तइयस्स अज्झयणस्स अयमट्ठे पन्नत्ते।
Sutra Meaning : तदनन्तर किसी अन्य समय महाबल राजा ने पुरिमताल नगर में महती सुन्दर व अत्यन्त विशाल, मन में हर्ष उत्पन्न करने वाली, दर्शनीय, जिसे देखने पर भी आँखें न थकें ऐसी सैकड़ों स्तम्भों वाली कूटाकारशाला बनवायी। उसके बाद महाबल नरेश ने किसी समय उस षड्‌यन्त्र के लिए बनवाई कूटाकारशाला के निमित्त उच्छुल्क यावत्‌ दश दिन के प्रमोद उत्सव की उद्‌घोषणा कराई। कौटुम्बिक पुरुषों को बुलाकर कहा कि – हे भद्रपुरुषों ! तुम शालाटवी चोरपल्ली में जाओ और वहाँ अभग्नसेन चोर सेनापति से दोनों हाथ जोड़कर मस्तक पर दस नखों वाली अञ्जलि करके, इस प्रकार निवेदन करो – हे देवानुप्रिय ! पुरिमताल नगर में महाबल नरेश ने उच्छुल्क यावत्‌ दश दिन पर्यन्त प्रमोद – उत्सव की घोषणा कराई है, तो क्या आप के लिए विपुल अशन, पान, खादिम और स्वादिम तथा पुष्प वस्त्र माला अलङ्कार यहीं पर लाकर उपस्थित किए जाएं अथवा आप स्वयं वहाँ इस प्रसंग पर उपस्थित होंगे? तदनन्तर वे कौटुम्बिक पुरुष महाबल नरेश की इस आज्ञा को दोनों हाथ जोड़कर यावत्‌ अञ्जलि करके ‘जी हाँ स्वामी’ कहकर विनयपूर्वक सूनते हैं, सूनकर पुरिमताल नगर से नीकलते हैं। छोटी – छोटी यात्राएं करते हुए, तथा सुखजनक विश्राम – स्थानों पर प्रातःकालीन भोजन आदि करते हुए जहाँ शालाटवी नामक चोर – पल्ली थी वहाँ पहुँचे। वहाँ पर अभग्नसेन चोर सेनापति से दोनों हाथ जोड़कर मस्तक पर दसों नखोंवाली अञ्जलि करके इस प्रकार निवेदन करने लगे – देवानुप्रिय ! पुरिमताल नगरमें महाबल नरेश ने उच्छुल्क यावत्‌ दस दिनों का प्रमोद उत्सव घोषित किया है, तो आपके लिए अशन, पान, खादिम, स्वादिम, पुष्पमाला, अलंकार यहाँ पर ही उपस्थित किये जाएं अथवा आप स्वयं वहाँ पधारते हैं ? तब अभग्नसेन सेनापति ने कहा – ‘हे पुरुषों ! मैं स्वयं ही प्रमोद – उत्सवमें पुरिमताल नगर आऊंगा।’ तत्पश्चात्‌ अभग्नसेन ने उनका उचित सत्कार – सम्मान करके उन्हें बिदा किया। तदनन्तर मित्र, ज्ञाति व स्वजन – परिजनों से घिरा हुआ वह अभग्नसेन चोर सेनापति स्नानादि से निवृत्त हो यावत्‌ अशुभ स्वप्न का फल विनष्ट करने के लिए प्रायश्चित्त के रूप में मस्तक पर तिलक आदि माङ्गलिक अनुष्ठान करके समस्त आभूषणों से अलंकृत हो शालाटवी चोरपल्ली से नीकलकर जहाँ पुरिमताल नगर था और महाबल नरेश थे, वहाँ पर आता है। आकर दोनों हाथ जोड़कर मस्तक पर दश नखों वाली अञ्जलि करके महाबल राजा को ‘जय – विजय शब्द से बधाई देकर महार्थ यावत्‌ राजा के योग्य प्राभृत – भेंट अर्पण करता है। तदनन्तर महाबल राजा उस अभग्नसेन चोर सेनापति द्वारा अर्पित किए गए उपहार को स्वीकार करके उसे सत्कार – सम्मानपूर्वक – अपने पास से बिदा करता हुआ कूटाकारशाला में उसे रहने के लिए स्थान देता है। तदनन्तर अभग्नसेन चोर सेनापति महाबल राजा के द्वारा सत्कारपूर्वक विसर्जित होकर कूटाकारशाला में आता है और वहाँ पर ठहरता है। इसके बाद महाबल राजा ने कौटुम्बिक पुरुषों को बुलाकर कहा – तुम लोग विपुल अशन, पान, खादिम, स्वादिम, पुष्प, वस्त्र, गंधमाला, अलंकार एवं सूरादि मदिराओं तैयार कराओ और कूटाकार – शालामें चोर सेनापति अभग्नसेन की सेवामें पहुँचा दो। कौटुम्बिक पुरुषों ने हाथ जोड़कर यावत्‌ अञ्जलि करके राजा की आज्ञा स्वीकार की और तदनुसार विपुल अशनादिक सामग्री वहाँ पहुँचा दी। तदनन्तर अभग्नसेन चोर सेनापति स्नानादि से निवृत्त हो, समस्त आभूषणों को पहनकर अपने बहुत से मित्रों व ज्ञातिजनों आदि के साथ उस विपुल अशनादिक तथा पंचविध मदिराओं का सम्यक्‌ आस्वादन विस्वादन करता हुआ प्रमत्त – बेखबर होकर विहरण करने लगा। पश्चात्‌ महाबल राजा ने कौटुम्बिक पुरुषों को इस प्रकार कहा – ‘हे देवानुप्रियो ! तुम लोग जाओ और जाकर पुरिमताल नगर के दरवाजों को बन्द कर दो और अभग्नसेन चोर सेनापति को जीवित स्थिति में ही पकड़ लो और पकड़कर मेरे सामने उपस्थित करो।’ तदनन्तर कौटुम्बिक पुरुषों ने राजा की यह आज्ञा हाथ जोड़कर यावत्‌ दश नखों वाली अञ्जलि करके शिरोधार्य की और पुरिमताल नगर के द्वारों को बन्द करके चोर सेनापति अभग्नसेन को जीवित पकड़कर महाबल नरेश के समक्ष उपस्थित किया। तत्पश्चात्‌ महाबल नरेश ने अभग्नसेन चोर सेनापति को इस विधि से वध करने की आज्ञा प्रदान कर दी। हे गौतम ! इस प्रकार निश्चित रूप से वह चोर सेनापति अभग्नसेन पूर्वोपार्जित पापकर्मों के नरक तुल्य विपाकोदय के रूपमें घोर वेदना का अनुभव कर रहा है। अहो भगवन्‌ ! वह अभग्नसेन चोर सेनापति कालावसर में काल करके कहाँ जाएगा ? तथा कहाँ उत्पन्न होगा ? हे गौतम ! अभग्नसेन चोर सेनापति ३७ वर्ष की परम आयु को भोगकर आज ही त्रिभागावशेष दिनमें सूली पर चढ़ाये जाने से काल करके रत्नप्रभा नामक प्रथम नरकमें उत्कृष्ट एक सागरोपम स्थितिक नारकी रूप से उत्पन्न होगा। फिर प्रथम नरक से नीकलकर प्रथम अध्ययन में प्रतिपादित मृगापुत्र के संसार – भ्रमण की तरह इसका भी परिभ्रमण होगा, यावत्‌ पृथ्वीकाय, अप्काय, वायुकाय, तेजस्काय आदि में लाखों बार उत्पन्न होगा। वहाँ से नीकलकर बनारस नगरीमें शूकर के रूप में उत्पन्न होगा। वहाँ शूकर के शिकारियों द्वारा उसका घात किया जाएगा। तत्पश्चात्‌ उसी बनारस नगरी के श्रेष्ठिकुलमें पुत्र रूप से उत्पन्न होगा। वहाँ बालभाव पार कर युवावस्था को प्राप्त होता हुआ, प्रव्रजित होकर, संयमपालन करके यावत्‌ निर्वाण पद प्राप्त करेगा – निक्षेप पूर्ववत्‌।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] tae nam se mahabbale raya annaya kayai purimatale nayare egam maham mahaimahaliyam kudagarasalam karei–anegakhambhasayasannivittham pasaiyam darisanijjam abhiruvam padiruvam. Tae nam se mahabbale raya annaya kayai purimatale nayare ussukkam ukkaram abhadappavesam adamdimakudamdimam adharimam adharanijjam anuddhayamuimgam amilayamalladamam ganiyavaranadaijja-kaliyam anegatalacharanuchariyam pamuiyapakkiliyabhiramam jahariham dasarattam pamoyam ugghosavei, ugghosavetta kodumbiyapurise saddavei, saddavetta evam vayasi– Gachchhaha nam tubbhe devanuppiya! Saladavie chorapallie. Tattha nam tubbhe abhaggasenam chorasenavaim karayala pariggahiyam sirasavattam matthae amjalim kattu evam vayaha–evam khalu devanuppiya! Purimatale nayare mahabbalassa ranno ussukke java dasarate pamoe ugghosie. Tam kim nam devanuppiya! Viulam asanam panam khaimam saimam puppha vattha gamdha mallalamkare ya iham havvamanijjau udahu sayameva gachchhittha? Tae nam te kodumbiyapurisa mahabbalassa ranno karayala pariggahiyam sirasavattam matthae amjalim kattu evam sami! Tti anae vinaenam vayanam padisunemti, padisunetta purimatalao nayarao padinikkhamamti, padinikkhamitta naivikitthehim addhanehim suhehim vasahipayarasehim jeneva saladavi chorapalli teneva uvagachchhamti, uvagachchhitta abhaggasena chorasenavaim karayala pariggahiyam sirasavattam matthae amjalim kattu evam vayasi–evam khalu devanuppiya! Purimatale nayare mahabbalassa ranno ussukke java dasaratte pamoe ugghosie. Tam kim nam devanuppiya! Viulam asanam panam khaimam saimam puppha vattha gamdha mallalamkare ya iham havvamanijjau udahu sayameva gachchhittha? Tae nam se abhaggasene chorasenavai te kodumbiyapurise evam vayasi–aham nam devanuppiya! Purimatalam nayaram sayameva gachchhami. Te kodumbiyapurise sakkarei sammanei padivisajjei. Tae nam se abhaggasene chorasenavai bahuhim mitta nai niyaga sayana sambamdhi pariyanehim saddhim parivude nhae kayabalikamme kayakou mamgala payachchhitte savvalamkaravibhusie saladavio chorapallio padinikkhamai, padinikkhamitta jeneva purimatale nayare, jeneva mahabbale raya, teneva uvagachchhai, uvagachchhitta karayala pariggahiyam sirasavattam matthae amjalim kattu mahabbalam rayam jaenam vijaenam baddhavei, baddhavetta mahattham mahaggham mahariham rayariham pahudam uvanei. Tae nam se mahabbale raya abhaggasenassa chorasenavaissa tam mahattham mahaggham mahariham rayariham pahudam padichchhai, abhaggasenam chorasenavaim sakkarei sammanei visajjei, kudagarasalam cha se avasahim dalayai. Tae nam se abhaggasene chorasenavai mahabbalenam rannavisajjie samane jeneva kudagarasala teneva uvagachchhai. Tae nam se mahabbale raya kodumbiyapurise saddavei, saddavetta evam vayasi–gachchhaha nam tubbhe devanuppiya! Viulam asanam panam khaimam saimam uvakkhadaveha, uvakkhadavetta tam viulam asanam panam khaimam saimam suram cha mahum cha meragam cha jaim cha sidhum cha pasannam cha subahum puppha vattha gamdha mallalamkaram cha abhaggasenassa chorasenavaissa kudagarasalae uvaneha. Tae nam te kodumbiyapurisa karayala pariggahiyam sirasavattam matthae amjalim kattu java uvanemti. Tae nam se abhaggasene chorasenavai bahuhim mitta nai niyaga sayana sambamdhi pariyanehim saddhim samparivude nhae java savvalamkaravibhusie tam viulam asanam panam khaimam saimam suram cha mahum cha meragam cha jaim cha sidhum cha pasannam cha asaemane visaemane paribhumjemane pamatte viharai. Tae nam se mahabbale raya kodumbiyapurise saddavei, saddavetta evam vayasi–gachchhaha nam tubbhe devanuppiya! Purimatalassa nayarassa duvaraim pihei, pihetta abhaggasenam chorasenavaim jivaggaham ginhaha, ginhitta mamam uvaneha. Tae nam te kodumbiyapurisa karayala pariggahiyam sirasavattam matthae amjalim kattu evam sami! Tti anae vinaenam vayanam padisunemti, padisunetta purimatalassa nayarassa duvaraim pihemti, abhaggasenam chorasenavaim jivaggaham ginhamti, ginhitta mahabbalassa ranno uvanemti. Tae nam se mahabbale raya abhaggasenam chorasenavaim eenam vihanenam vajjham anavei. Evam khalu goyama! Abhaggasene chorasenavai pura porananam duchchinnanam duppadikamtanam asubhanam pavanam kadanam kammanam pavagam phalavittivisesam pachchanubhavamane viharai. Abhaggasene nam bhamte! Chorasenavai kalamase kalam kichcha kahim gachchhihii? Kahim uvavajjihii? Goyama! Abhaggasene chorasenavai sattatisam vasaim paramaum palaitta ajjeva tibhagavasese divase sulabhinne kae samane kalamase kalam kichcha imise rayanappabhae pudhavie ukkosa sagarovamatthiiesu neraiesu neraiyattae uvavajjihii. Se nam tao anamtaram uvvattitta, evam samsaro jaha padhame java vau teu au pudhavisu anegasayasahassakhutto uddaitta-uddaitta tattheva bhujjo bhujjo pachchayaissai. Tao uvvattitta vanarasie nayarie suyarattae pachchayahii. Se nam tattha soyariehim jiviyao vavarovie samane tattheva vanarasie nayarie setthikulamsi pattattae pachchayahii. Se nam tattha ummukkabalabhavo, evam jaha padhame java amtam kahii. Evam khalu jambu! Samanenam bhagavaya mahavirenam java sampattenam duhavivaganam taiyassa ajjhayanassa ayamatthe pannatte.
Sutra Meaning Transliteration : Tadanantara kisi anya samaya mahabala raja ne purimatala nagara mem mahati sundara va atyanta vishala, mana mem harsha utpanna karane vali, darshaniya, jise dekhane para bhi amkhem na thakem aisi saikarom stambhom vali kutakarashala banavayi. Usake bada mahabala naresha ne kisi samaya usa shadyantra ke lie banavai kutakarashala ke nimitta uchchhulka yavat dasha dina ke pramoda utsava ki udghoshana karai. Kautumbika purushom ko bulakara kaha ki – he bhadrapurushom ! Tuma shalatavi chorapalli mem jao aura vaham abhagnasena chora senapati se donom hatha jorakara mastaka para dasa nakhom vali anjali karake, isa prakara nivedana karo – he devanupriya ! Purimatala nagara mem mahabala naresha ne uchchhulka yavat dasha dina paryanta pramoda – utsava ki ghoshana karai hai, to kya apa ke lie vipula ashana, pana, khadima aura svadima tatha pushpa vastra mala alankara yahim para lakara upasthita kie jaem athava apa svayam vaham isa prasamga para upasthita homge? Tadanantara ve kautumbika purusha mahabala naresha ki isa ajnya ko donom hatha jorakara yavat anjali karake ‘ji ham svami’ kahakara vinayapurvaka sunate haim, sunakara purimatala nagara se nikalate haim. Chhoti – chhoti yatraem karate hue, tatha sukhajanaka vishrama – sthanom para pratahkalina bhojana adi karate hue jaham shalatavi namaka chora – palli thi vaham pahumche. Vaham para abhagnasena chora senapati se donom hatha jorakara mastaka para dasom nakhomvali anjali karake isa prakara nivedana karane lage – devanupriya ! Purimatala nagaramem mahabala naresha ne uchchhulka yavat dasa dinom ka pramoda utsava ghoshita kiya hai, to apake lie ashana, pana, khadima, svadima, pushpamala, alamkara yaham para hi upasthita kiye jaem athava apa svayam vaham padharate haim\? Taba abhagnasena senapati ne kaha – ‘he purushom ! Maim svayam hi pramoda – utsavamem purimatala nagara aumga.’ tatpashchat abhagnasena ne unaka uchita satkara – sammana karake unhem bida kiya. Tadanantara mitra, jnyati va svajana – parijanom se ghira hua vaha abhagnasena chora senapati snanadi se nivritta ho yavat ashubha svapna ka phala vinashta karane ke lie prayashchitta ke rupa mem mastaka para tilaka adi mangalika anushthana karake samasta abhushanom se alamkrita ho shalatavi chorapalli se nikalakara jaham purimatala nagara tha aura mahabala naresha the, vaham para ata hai. Akara donom hatha jorakara mastaka para dasha nakhom vali anjali karake mahabala raja ko ‘jaya – vijaya shabda se badhai dekara mahartha yavat raja ke yogya prabhrita – bhemta arpana karata hai. Tadanantara mahabala raja usa abhagnasena chora senapati dvara arpita kie gae upahara ko svikara karake use satkara – sammanapurvaka – apane pasa se bida karata hua kutakarashala mem use rahane ke lie sthana deta hai. Tadanantara abhagnasena chora senapati mahabala raja ke dvara satkarapurvaka visarjita hokara kutakarashala mem ata hai aura vaham para thaharata hai. Isake bada mahabala raja ne kautumbika purushom ko bulakara kaha – tuma loga vipula ashana, pana, khadima, svadima, pushpa, vastra, gamdhamala, alamkara evam suradi madiraom taiyara karao aura kutakara – shalamem chora senapati abhagnasena ki sevamem pahumcha do. Kautumbika purushom ne hatha jorakara yavat anjali karake raja ki ajnya svikara ki aura tadanusara vipula ashanadika samagri vaham pahumcha di. Tadanantara abhagnasena chora senapati snanadi se nivritta ho, samasta abhushanom ko pahanakara apane bahuta se mitrom va jnyatijanom adi ke satha usa vipula ashanadika tatha pamchavidha madiraom ka samyak asvadana visvadana karata hua pramatta – bekhabara hokara viharana karane laga. Pashchat mahabala raja ne kautumbika purushom ko isa prakara kaha – ‘he devanupriyo ! Tuma loga jao aura jakara purimatala nagara ke daravajom ko banda kara do aura abhagnasena chora senapati ko jivita sthiti mem hi pakara lo aura pakarakara mere samane upasthita karo.’ tadanantara kautumbika purushom ne raja ki yaha ajnya hatha jorakara yavat dasha nakhom vali anjali karake shirodharya ki aura purimatala nagara ke dvarom ko banda karake chora senapati abhagnasena ko jivita pakarakara mahabala naresha ke samaksha upasthita kiya. Tatpashchat mahabala naresha ne abhagnasena chora senapati ko isa vidhi se vadha karane ki ajnya pradana kara di. He gautama ! Isa prakara nishchita rupa se vaha chora senapati abhagnasena purvoparjita papakarmom ke naraka tulya vipakodaya ke rupamem ghora vedana ka anubhava kara raha hai. Aho bhagavan ! Vaha abhagnasena chora senapati kalavasara mem kala karake kaham jaega\? Tatha kaham utpanna hoga\? He gautama ! Abhagnasena chora senapati 37 varsha ki parama ayu ko bhogakara aja hi tribhagavashesha dinamem suli para charhaye jane se kala karake ratnaprabha namaka prathama narakamem utkrishta eka sagaropama sthitika naraki rupa se utpanna hoga. Phira prathama naraka se nikalakara prathama adhyayana mem pratipadita mrigaputra ke samsara – bhramana ki taraha isaka bhi paribhramana hoga, yavat prithvikaya, apkaya, vayukaya, tejaskaya adi mem lakhom bara utpanna hoga. Vaham se nikalakara banarasa nagarimem shukara ke rupa mem utpanna hoga. Vaham shukara ke shikariyom dvara usaka ghata kiya jaega. Tatpashchat usi banarasa nagari ke shreshthikulamem putra rupa se utpanna hoga. Vaham balabhava para kara yuvavastha ko prapta hota hua, pravrajita hokara, samyamapalana karake yavat nirvana pada prapta karega – nikshepa purvavat.