Sutra Navigation: Prashnavyakaran ( प्रश्नव्यापकरणांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005419 | ||
Scripture Name( English ): | Prashnavyakaran | Translated Scripture Name : | प्रश्नव्यापकरणांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
आस्रवद्वार श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-४ अब्रह्म |
Translated Chapter : |
आस्रवद्वार श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-४ अब्रह्म |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 19 | Category : | Ang-10 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तं च पुण निसेवंति सुरगणा सअच्छरा मोह मोहिय मती, असुर भयग गरुल विज्जु जलण दीव उदहि दिस पवण थणिया। अणवण्णिय पणवण्णिय इसिवादिय भूयवादियकंदिय महाकंदिय कूहंड पतगदेवा, पिसाय भूय जक्ख रक्खस किन्नर किंपुरिस महोरग गंधव्व तिरिय जोइस विमाणवासि मणुयगणा, जलयर थलयर खहयराय मोहपडिबद्धचित्ता अवितण्हा कामभोग-तिसिया, तण्हाए बलवईए महईए समभिभूया गढिया य अतिमुच्छिया य, अबंभे ओसण्णा, तामसेन भावेण अणुम्मुक्का, दंसण-चरित्तमोहस्स पंजरं पिव करेंतिअन्नोन्नं सेवमाणा। भुज्जो असुर सुर तिरिय मणुय भोगरत्ति विहार संपउत्ता य चक्कवट्टी सुरनरवतिसक्कया सुरवरव्व देवलोए भरह नग नगर नियम जणवय पुरवर दोणमुह खेड कब्बड मडंब संबाह पट्टण सहस्समंडियं थिमिय मेयणियं एगच्छत्तं ससागरं भुंजिऊण वसुहं नरसीहा नरवई नरिंदा नरवसभा मरुय वसभकप्पा, अब्भहियं रायतेयलच्छीए दिप्पमाणा सोमा रायवंसतिलगा। रवि ससि संख वरचक्क सोत्थिय पडाग जव मच्छ कुम्म रहवर भग भवण विमाण तुरय तोरण गोपुर मणि रयण नंदियावत्त मुसल णंगल सुरइयवरकप्प रुक्ख मिगवति भद्दासन सुरुचि थूभ वरमउड सरिय कुंडल कुंजर वरवसभदीव मंदिर गरुलद्धय इंदकेउ दप्पण अट्ठावय चाव बाण नक्खत्त मेह मेहलवीणा जुग छत्त दाम दामिणि कमंडलु कमल घंटा वरपोत सुइ सागर कुमुदगार मगर हार गागर नेउर णग णगर वइर किन्नर मयूर वररायहंस सारस चकोर चक्कवागमिहुण चामर खेडग पव्वीसग विपंचि वरता-लियंट सिरियाभिसेय मेइणिखग्ग अंकुसं विमलकलस भिंगार वद्धमाणग पसत्थ उत्तमविभत्तवर पुरिसलक्खणधरा। बत्तीसं रायवरसहस्साणुजायमग्गा चउसट्ठिसहस्सपवरजुवतीण नयनकंता रत्ताभा पउमपम्ह कोरंगटदाम चंपक सुतवितवरकनकनिहसवण्णा सुजाय सव्वंगसुंदरंगा महग्घ वरपट्टणुग्गय विचित्तराग एणि पेणि णिम्मिय दुगुल्ल वरचीणपट्ट कोसेज्ज सोणीसुत्तक विभूसियंगा वरसुरभिगंध वरचुण्णवास वरकुसुमभरिय सिरया कप्पिय छेयायरियसुकय रइतमाल कडगंगय तुडिय पवरभूसण पिणद्धदेहा एकावलिकंठसुरइयवच्छा पालंबपलंबमाणसुकयपड उत्तरिज्जमुद्दियापिंगलंगुलिया उज्जल नेवत्थ रइय चिल्लग विरायमाणा तेएण दिवाकरोव्व दित्ता सारय नवथणिय महुर गंभीर निद्धघोसा उप्पन्नसमत्तरयण चक्करयणप्पहाणा नवनिहिवइणो समिद्धकोसा चाउरंता चाउराहिं सेणाहिं समणुजाइज्जमाणमग्गा तुरगवती गयवती रहवती नरवती विपुलकुलविस्सुयजसा सारयससिसकल सोमवयणा सूरा तेलोक्क निग्गय पभावलद्धसद्दा समत्तभरहाहिवा नरिंदा, ससेलवण काणणं च हिमवंत सागरंतं धीरा भुत्तूण भरहवासं, जियसत्तू पवररायसीहा पुव्वकडतवप्पभावा निविट्ठ संचियसुहा अनेगवाससयमायुवंतो भज्जाहि य जणवयप्पहाणाहिं लालियंता अतुल सद्द फरिस रस रूव गंधे य अणुभवित्ता तेवि उवणमंति मरणधम्म,अवितित्ता कामाणं। भुज्जो बलदेव वासुदेवा य पवरपुरिसा महाबलपरकम्मा महाधनुवियड्ढका महासत्तसागरा दुद्धरा धणुद्धरा नरवसभा रामकेसवा भायरो सपरिसा वसुदेव समुद्दविजयमादियदसाराणं, पज्जुन्न पयिव संब अनिरुद्ध निसह उम्मुय सारण गय सुमुह दुम्मुहादीणं जायवाणं अद्धट्ठणावि कुमारकोडीणं हिययदयिया, देवीए रोहिणीए देवीए देवकीए य आनंदहिययभावनंदनकरा सोलस रायवर-सहस्साणुजातमग्गा सोलसदेवीसहस्स वरणयण हिययदयिया नानामणि कनग रयण मोत्तिय पवाल धण धन्नसंचय रिद्धि समिद्धकोसा, हय गय रह सहस्ससामी गामागर णगर खेड कब्बड मडंब दोणमुह पट्टणासम संबाह सहस्सथिमियनिव्वुयपमुदित-जण विविहसस्सनिप्फज्जमाणमेइणि सर सरिय तलाग सेल काणण आरामुज्जान मणाभिरामपरिमंडियस्स दाहिणड्ढवेयड्ढगिरिविभत्तस्स लवणजलहिपरिगयस्स छव्विहकालगुणकमजुत्तस्स अद्धभरहस्स सामिका, धीरकित्तिपुरिसा ओहबला अइबला अनिहया अपराजियसत्तुमद्दणा रिपुसहस्समाणमहणा साणुक्कोसा अमच्छरी अचवला अचंडा मित्तमंजुलपलावाहसिय-गंभीर-महुरभणिया अब्भु वगयवच्छलासरण्णालक्खण वंजण गुणोववेया माणुम्माण पमाण पडिपुण्ण सुजाय सव्वंगसुंदरंगा ससि सोमागार कंतपियदंसणा अमरिसणा पयंडडंडप्पयार गंभीर दरिसणिज्जा तालद्धय उव्विद्धगरुलकेऊ बलवग गज्जंत दरित दप्पित मुट्ठियचाणूरमूरगा रिट्ठवसभघाती केसरिमुह विप्फाडगा दरित्तनागदप्पमहणा जमलज्जुण-भंजगा महासउणि पूतणरिऊ कंसमउडमोडगा जरासंघ माणमहणा। तेहि यअविरल सम सहिय चंदमंडलसमप्पभेहिं सूरमिरीयिकवयं विणिम्मुयंतेहिं सपतिदंडेहिं आयवत्तेहिं धरिज्जंतेहिं विरायंता। ताहि य पवरगिरिगुहरविहरणसमुद्धियाहिं निरुवहयचमर पच्छिमसरीर संजाताहिं अमइल सियकमल विमुकुलुज्जलित रयतगिरिसिहर विमलससिकिरणसरिस कलहोय निम्मलाहिं पवणाहयचवल-चलियसललिय पणच्चिय वीइपसरिय खीरोदगपवरसागरुप्पूरचंचलाहि मानससरपसर परिचियावास विसदवेसाहिं कनगगिरिसिहर संसिताहिं ओवायुप्पायं चवलजयिणसिग्घवेगाहिं हंसवधूयाहिं चेव कलिया, नानामणिकणग महरिहतवणिज्जुज्जलविचित्तडंडाहिं सललियाहिं नरवतिसिरिसमुदय-प्पकासणकरीहिं वरपट्टणु ग्गयाहिं समिद्धरायकुल सेवियाहिं कालागुरुपवर कुंदुरुक्क तुरुक्क धूववसवास विसद गंधुद्धुयाभिरामाहिं चिल्लिकाहिं उभयोपासंपि चामराहिं उक्खिप्पमाणाहिं सुहसीतलवातवीतियंगा। अजिता अजितरहा हल मुसल कनगपाणी संख चक्क गय सत्ति नंदगधरा पवरुज्जलसुकय विमलकोत्थुभ तिरीडधारी कुंडलउज्जोवियाणणा पुंडरीय नयना एगावलीकंठरइयवच्छा सिरिवच्छ-सुलंछणा वरजसा सव्वोउय सुरभि कुसुम सुरइयपलंब सोहंत वियसंत चित्तवनमालरइयवच्छा, अट्ठसयविभत्त लक्खण पसत्थसुंदरविराइयंगमंगा मत्तगयवरिंद ललियविक्कम विलसियगती कडि-सुत्तगनील पीत कोसेज्जवाससा पवरदित्ततेया सारयनवथणिय महुरगंभीर निद्धघोसा नरसीहा सीहविक्कमगई अत्थमिय पवररायसीहा सोमा बारवइ पुण्णचंदा पुव्वकडतवप्पभावा निविट्ठसंचिय-सुहा अनेगवाससयमायुवंतो भज्जाहि य जणवयप्पहाणाहिं लालियंता अतुलसद्द फरिस रस रूव गंधे अनुभवेत्ता ते वि उवणमंति मरणधम्मं, अवितित्ता कामाणं। भुज्जो मंडलिय नरवरेंदा सबला सअंतेउरा सपरिसा सपुरोहिय अमच्च दंडनायक सेणावति मंतनीतिकुसला नानामणिरयण विपुलधण धन्न संचयनिही समिद्धकोसा रज्जसिरिं विपुलमनुभवित्ता विक्कोसंता बलेण मत्ता ते वि उवणमंति मरणधम्मं, अवितित्ता कामाणं। भुज्जो उत्तरकुरु देवकुरु वनविवर पायचारिणो नरगणा भोगुत्तमा भोगलक्खणधरा भोगसस्सिरीया पसत्थसोम्मपडिपुण्णरूवदरिसणिज्जा सुजात सव्वंग सुंदरंगा रत्तुप्पलपत्तकंत कर चरण कोमलतला सुपइट्ठिय कुम्मचारुचलणा अणुपुव्वसुसंहयंगुलीया उन्नततणुतंबनिद्धनक्खा संठियसुसिलिट्ठगूढगोंफा एणी कुरुविद वत्त वट्टाणुपुव्वजंघा समुग्ग निसग्गगूढजाणू वरवारण मत्त तुल्लविक्कम विलासितगती वरतुरग सुजायगुज्झदेसा आइण्णहयव्व निरुवलेवा पमुइयवरतुरग सीह अतिरेगवट्टियकडी साहतसोणंद मुसल दप्पण निगरियवरकणगच्छरुसरिस वरवइरवलियमज्झा उज्जुग सम सहिय जच्चतणु कसिण निद्ध आदेज्ज लडह सूमालं मउयरोमराई ज्झस विहग सुजातपीण कुच्छी ज्झसोदरा पम्हविगडनाभा सन्नतपासा संगयपासा सुंदरपासा सुजातपासा मितमाइय-पीणरइयपासा अकरंडुय कणगरुयगनिम्मल सुजाय निरुवहयदेहधारी... ... कनगसिलातल पसत्थ समतल उवइय विच्छिन्नपिहुलवच्छा जुयसन्निभपीणरइय पीवरपउट्ठ संठियसुसिलिट्ठविसिट्ठसुनिचितघणथिर-सुबंद्धसंधी पुरवरफलिह वट्टियभुया भुयईसर-विपुलभोग-आयाणफलिह उच्छूढदीहबाहू रत्ततलोवइय मउय मंसल सुजायलक्खण पसत्थ अच्छिद्दजालपाणी पीवरसुजायकोमलवरंगुली तंबतलिणसुइरुइलनिद्धनक्खा निद्धपाणिलेहा चंदपाणिलेहा सूरपाणिलेहा संखपाणिलेहा चक्कपाणिलेहा दिसासोवत्थियपाणिलेहारवि-ससि-संख वरचक्क दिसासोवत्थिय विभत्त सुविरइय पाणिलेहा वरमहिस वराह सीह सद्दूल रिसह नागवर पडिपुण्णविउलखंधा चउरंगुलसुप्पमाण कंबुवरसरिसगीवा अवट्ठिय सुविभत्त चित्तमंसू उवचिय मंसल पसत्थ सद्दूलविपुलहणुया ओयविय सिल प्पवाल बिंबफलसन्निभाधरोट्ठा पंडुरससिसकल विमलसंख गोखीर फेण कुंद दगरय मुणालिया धवलदंतसेढी अखंडदंता अप्फुडियदंता अविरलदंता सुणिद्धदंता सुजायदंता एगदंतसेढिव्व अनेगदंता हयवहनिद्धंतघोयतत्ततवणिज्जरत्ततलतालुजीहा गरुलायत उज्जुतुंग-नासा अवदालियपोंडरीयनयणा कोकासिय धवलपत्तलच्छा आणामिय-चावरुइल किण्हब्भराजिसंठिय संगयायय सुजायभुमगा अल्लीणपमाणजुत्तसवणा सुसवणा पीण-मंसलकवोलदेसभागा अचिरुग्गयबालचंदसंठियमहानिडाला उडुवतिरिव पडिपुण्णसोमवयणा छत्तागारुत्तमंगदेसा घननिचियसुबद्धलक्खणुण्णयकूडागारनिभ-पिंडियग्गसिरा... ... हुयवहनिद्धंतधोयतत्ततवणिज्ज रत्तकेसंतकेसभूमी सामलीपोंडघणनिचियछोडिय मिउ विसद पसत्थ सुहुम लक्खण सुगंध सुंदर भुयमोयग भिंग नील कज्जल पहट्ठभमरगण निद्ध निगुरुंब निचिय कुंचिय पयाहिणावत्त मुद्धसरया सुजात सुविभत्त संगयंगा लक्खणवंजणगुणोववेया पसत्थबत्तीसलक्खणधरा हंसस्सरा कुंचस्सरा दुंदुभिस्सरा सीहस्सराओघस्सरा मेघस्सरा सुस्सरा सुस्सरनिग्घोसा वज्जरिसहनारायसंघयणा समचउरंससंठाणसंठिया छायाउज्जोवियंगमंगा छवी निरातंका कंकग्गहणी कवोतपरिणामा सउणिपोस पिट्ठंतरोरुपरिणया पउमुप्पलसरिस गंधसास-सुरभिवयणा अणुलोमवाउवेगा अवदाय निद्ध कालाविग्गहिय उण्णय कुच्छी अमयरसफलाहारा तिगाउय समूसिया तिपलिओवमट्ठितीका तिन्नि य पलिओवमाइं परमाउं पालयित्ता ते वि उवणमंति मरणधम्मं, अवितित्ता कामाणं। पमया वि य तेसिं होंति–सोम्मा सुजाय सव्वंग सुंदरीओ पहाणमहिलागुणेहिं जुत्ता अतिकंत विसप्पमाण मउय सुकुमाल कुम्मसंठिय सिलिट्ठचरणा उज्जुमउय पीवरसुसंहतंगुलीओ अब्भुण्णत रतिद तलिण तंब सुइ णिद्धनक्खा रोम रहिय वट्ट-संठिअ अजहण्ण पसत्थ लक्खण अकोप्प जंघजुयलासुणिम्मित सुनिगूढजण्णू मंसल पसत्थ सुबद्ध संधी कयलीखंभातिरेकसंठिय-निव्वणसुकुमाल मउय कोमल अविरल सम सहित वट्ट पीवर निरंतरोरू अट्ठावयवीचिपट्ठसंठिय पसत्थविच्छिण्णपिहुलसोणी वयणायामप्पमाणदुगुणिय विसालमंसलसुबद्धजहणवरधारिणीओ वज्जविराइय पसत्थलक्खणनिरोदरीओ तिवलिवलित तणु नमियमज्झियाओ उज्जुय सम सहिय जच्च तणु कसिण निद्ध आदेज्ज लडह सुकुमाल मउय सुविभत्तरोमराई गंगावत्तग पदाहिणावत्त तरंग-भंग रविकिरण तरुण बोधितअकोसायंतपउम गंभीरविगडनाभी अणुब्भडपसत्थजातपीण-कुच्छी सन्नतपासा संगतपासा सुंदरपासा सुजातपासा मियमायिय पीणरइतपासा अकरंडुय कनगरुयगनिम्मल सुजाय निरुवहयगायलट्ठी... कंचनकलसपमाण सम सहिय लट्ठ चूचुयआमेलग जमल जुयल वट्टियपओहराआ भुयंग अनुपुव्वतणुय गोपुच्छवट्ट सम सहिय नमिय आदेज्ज लडहबाहा तंबनहा मंसलग्गहत्था कोमलपीवरवरंगुलीया निद्धपाणिलेहा ससि सूर संख चक्क वरसोत्थिय विभत्त सुविरइय पाणिलेहा पीणुण्णयकक्खवत्थिप्पदेस पडिपुण्णगलकवोला चउरंगुल सुप्पमाण कंबुवरसरिसगीवा मंसल-संठियपसत्थहणुया दालिमपुप्फप्पगास पीवर पलंबकुंचितवराधरा सुंदरोत्तरोट्ठा दवि दगरयकुंद चंद वासंतिमउल अच्छिद्दविमलदसणा रत्तुप्पल रत्तपउमपत्त सुकुमालतालुजीहा कणवी-रमउल-अकुडिलऽब्भुण्णय-उज्जुतुंगनासा सारदनवकमल कुमुत कुवलयदलनिगरसरिसलक्खण पसत्थ अजिम्हकंतनयणा आनामिय-चावरुइल किण्हब्भराइसंगय सुजाय तणु कसिण निद्धभुमगा अल्लीणपमाणजुत्तसवणा सुस्सवणा पीणमट्ठ गंडलेहा चउरंगुलविसाल समनिडाला कोमुदिरयणि-करविमलपडिपुण्णसोमवदणा छत्तुन्नय उत्तिमंगा अकविल सुसिणिद्ध दीहसिरया छत्त ज्झय जूव थूभ दामिणि कमंडलु कलस वावि सोत्थिय पडाग जव मच्छ कुम्म रहवर मकरज्झय अंक थाल अंकुस अट्ठावय सुपइट्ठ अमर सिरिया-भिसेय तोरण मेइणि उदधिवर पवर भवण गिरिवर वरायंस सुललियगय उसभ सीह चामर पसत्थबत्तीसलक्खणधरीओ हंससरि-च्छगतीओ कोइल महुयरि गिराओ कंता सव्वस्स अणुमयाओ ववगयवलिपलितवंग दुव्वन्न वाधि दोहग्ग सोयमुक्काओ, उच्चत्तेण य नराण थोवूणमूसियाओ, सिंगारागारचारुवेसा सुंदर थण जहण वयण कर चरण नयना लावण्णरूवजोव्वणगुणोववेगा नंदनवनविवरचारिणीओ व्व अच्छराओ उत्तरकुरुमानुसच्छराओ अच्छेरगपेच्छनिज्जियाओ तिण्णि य पलिओवमाइं परमाउं पालयित्ता ताऽवि उवणमंति मरणधम्मं, अवितित्ता कामाणं। | ||
Sutra Meaning : | उस अब्रह्म नामक पापास्रव को अप्सराओं के साथ सुरगण सेवन करते हैं। कौन – से देव सेवन करते हैं ? जिनकी मति मोह के उदय से मूढ़ बन गई है तथा असुरकुमार, भुजगकुमार, गरुड़कुमार, विद्युत्कुमार, अग्निकुमार, द्वीपकुमार, उदधिकुमार, दिशाकुमार, पवनकुमार तथा स्तनितकुमार, ये भवनवासी, अणपन्निक, पणपण्णिक, ऋषिवादिक, भूतवादिक, क्रन्दित, महाक्रन्दित, कूष्माण्ड और पतंग देव, पिशाच, भूत, यक्ष, राक्षस, किन्नर, किम्पुरुष, महोरग और गन्धर्व। ये व्यन्तर देव, इनके अतिरिक्त तीर्छे – लोक में ज्योतिष्क देव, मनुष्यगण तथा जलचर, स्थलचर एवं खेचर अब्रह्म का सेवन करते हैं। जिनका चत्त मोहग्रस्त है, जिनकी प्राप्त कायभोग संबंधी तृष्णा अतृप्त है, जो अप्राप्त कामभोगों के लिए तृष्णातुर है, जो महती तृष्णा से बूरी तरह अभिभूत है, जो विषयों में गृद्ध एवं मूर्च्छित है, उससे होने वाले दुष्परिणामों का भान नहीं है, जो अब्रह्म के कीचड़ में फँसे हुए हैं और जो तामसभाव से मुक्त नहीं हुए हैं, ऐसे अन्योन्य नरनारी के रूप में अब्रह्म का सेवन करते हुए अपनी आत्मा को दर्शन मोहनीय और चारित्रमोहनीय कर्म के पींजरे में डालते हैं। पुनः असुरों, सुरों, तिर्यंचों और मनुष्यों सम्बन्धी भोगों में रतिपूर्वक विहार में प्रवृत्त, सुरेन्द्रों और नरेन्द्रों द्वारा सत्कृत, देवलोक में देवेन्द्र सरीखे, भरतक्षेत्र में सहस्रों पर्वतों, नगरों, निगमों, जनपदों, पुरवरों, द्रोणमुखों, खेटों, कर्बटों, छावनियों, पत्तनों से सुशोभित, सुरक्षित, स्थिर लोगों के निवास वाली, एकच्छत्र, एवं समुद्र पर्यन्त पृथ्वी का उपभोग करके चक्रवर्ती – नरसिंह हैं, नरपति हैं, नरेन्द्र हैं, नर – वृषभ हैं – स्वीकार किये उत्तरदायित्व को निभाने में समर्थ हैं, जो मरुभूमि के वृषभ के समान, अत्यधिक राज – तेज रूपी लक्ष्मी से देदीप्यमान हैं, जो सौम्य एवं निरोग हैं, राजवंशों में तिलक के समान हैं, जो सूर्य, चन्द्रमा, शंख, चक्र, स्वस्तिक, पताका, यव, मत्स्य, कच्छप, उत्तम, रथ, भग, भवन, विमान, अश्व, तोरण, नगरद्वार, मणि, रत्न, नंद्यावर्त्त, मूसल, हल, सुन्दर कल्पवृक्ष, सिंह, भद्रासन, सुरुचि, स्तूप, सुन्दर मुकुट, मुक्तावली हार, कुंडल, हाथी, उत्तम बैल, द्वीप, मेरुपर्वत, गरुड़, ध्वजा, इन्द्रकेतु, अष्टापद, धनुष, बाण, नक्षत्र, मेघ, मेखला, वीणा, गाड़ी का जुआ, छत्र, माला, दामिनी, कमण्डलु, कमल, घंटा, जहाज, सूई, सागर, कुमुदवन, मगर, हार, गागर, नूपुर, पर्वत, नगर, वज्र, किन्नर, मयूर, उत्तम राजहंस, सारस, चकोर, चक्रवाक – युगल, चंवर, ढाल, पव्वीसक, विपंची, श्रेष्ठ पंखा, लक्ष्मी का अभिषेक, पृथ्वी, तलवार, अंकुश, निर्मल कलश, भृंगार और वर्धमानक, (चक्रवर्ती इन सब) मांगलिक एवं विभिन्न लक्षणों के धारक होते हैं। बत्तीस हजार श्रेष्ठ मुकुटबद्ध राजा मार्ग में उनके पीछे – पीछे चलते हैं। वे चौंसठ हजार श्रेष्ठ युवतियों के नेत्रों के कान्त होते हैं। उनके शरीर की कान्ति रक्तवर्ण होती है। वे कमल के गर्भ, चम्पा के फूलों, कोरंट की माला और तप्त सुवर्ण की कसौटी पर खींची हुई रेखा के समान गौर वर्ण वाले होते हैं। उनके सभी अंगोपांग अत्यन्त सुन्दर और सुडौल होते हैं। बड़े – बड़े पत्तनों में बने हुए विविध रंगों के हिरनी के चर्म के समान कोमल एवं बहुमूल्य वल्कल से तथा चीनी वस्त्रों, रेशमी वस्त्रों से तथा कटिसूत्र से उनका शरीर सुशोभित होता है। उनके मस्तिष्क उत्तम सुगन्ध से सुंदर चूर्ण के गंध से और उत्तम कुसुमों से युक्त होते हैं। कुशल कलाचार्यों द्वारा निपुणतापूर्वक बनाई हुई सुखकर माला, कड़े, अंगद, तुटिक तथा अन्य उत्तम आभूषणों को वे शरीर पर धारण किए रहते हैं। एकावली हार से उनका कण्ठ सुशोभित रहता है। वे लम्बी लटकती धोती एवं उत्तरीय वस्त्र पहनते हैं। उनकी उंगलियाँ अंगूठियों से पीली रहती हैं। अपने उज्ज्वल एवं सुखप्रद वेष से अत्यन्त शोभायमान होते हैं। अपनी तेजस्विता से वे सूर्य के समान दमकते हैं। उनका आघोष शरद् ऋतु के नये मेघ की ध्वनि के समान मधुर गम्भीर एवं स्निग्ध होता है। उनके यहाँ चौदह रत्न – उत्पन्न हो जाते हैं और वे नौ निधियों के अधिपति होते हैं। उनका कोश, खूब भरपूर होता है। उनके राज्य की सीमा चातुरन्त होती है, चतुरंगिणी सेना उनके मार्ग का अनुगमन करती है। वे अश्वों, हाथियों, रथों, एवं नरों के अधिपति होते हैं। वे बड़े ऊंचे कुलों वाले तथा विश्रुत होते हैं। उनका मुख शरद् – ऋतु के पूर्ण चन्द्रमा के समान होता है। शूरवीर होते हैं। उनका प्रभाव तीनों लोकों में फैला होता है एवं सर्वत्र उनकी जय – जयकार होती है। वे सम्पूर्ण भरतक्षेत्र के अधिपति, धीर, समस्त शत्रुओं के विजेता, बड़े – बड़े राजाओं में सिंह के समान, पूर्वकाल में किए तप के प्रभाव से सम्पन्न, संचित पुष्ट सुख को भोगने वाले, अनेक वर्षशत के आयुष्य वाले एवं नरों में इन्द्र होते हैं। उत्तर दिशा में हिमवान् वर्षधर पर्वत और शेष तीन दिशाओं में लवणसमुद्र पर्यन्त समग्र भरतक्षेत्र का भोग उनके जनपदों में प्रधान एवं अतुल्य शब्द, स्पर्श, रस, रूप और गन्ध सम्बन्धी काम – भोगों का अनुभव करते हैं। फिर भी वे काम – भोगों से तृप्त हुए बिना ही मरणधर्म को प्राप्त हो जाते हैं। बलदेव और वासुदेव पुरुषों में अत्यन्त श्रेष्ठ होते हैं, महान् बलशाली और महान् पराक्रमी होते हैं। बड़े – बड़े धनुषों को चढ़ाने वाले, महान् सत्त्व के सागर, शत्रुओं द्वारा अपराजेय, धनुषधारी, मनुष्यों में वृषभ समान, बलराम और श्रीकृष्ण – दोनों भाई – भाई विशाल परिवार समेत होते हैं। वे वसुदेव तथा समुद्रविजय आदि दशार्ह के तथा प्रद्युम्न, प्रतिव, शम्ब, अनिरुद्ध, निषध, उल्मुक, सारण, गज, सुमुख, दुर्मुख आदि यादवों और साढ़े तीन करोड़ कुमारों के हृदयों को प्रिय होते हैं। वे देवी रोहिणी तथा देवकी के हृदय में आनन्द उत्पन्न करने वाले होते हैं। सोलह हजार मुकुट – बद्ध राजा उनके मार्ग का अनुगमन करते हैं। वे सोलह हजार सुनयना महारानियों के हृदय के वल्लभ होते हैं। उनके भाण्डार विविध प्रकार की मणियों, स्वर्ण, रत्न, मोती, मूँगा, धन और धान्य के संचय रूप ऋद्धि से सदा भरपूर रहते हैं। वे सहस्रों हाथियों, घोड़ों एवं रथों के अधिपति होते हैं। सहस्रों ग्रामों, आकरों, नगरों, खेटों, कर्बटों, मडम्बों, द्रोणमुखों, पट्टनों, आश्रमों, संवाहों में स्वस्थ, स्थिर, शान्त और प्रमुदित जन निवास करते हैं, जहाँ विविध प्रकार के धान्य उपजाने वाली भूमि होती है, बड़े – बड़े सरोवर हैं, नदियाँ हैं, छोटे – छोटे तालाब हैं, पर्वत हैं, वन हैं, आराम हैं, उद्यान हैं, वे अर्धभरत क्षेत्र के अधिपति होते हैं, क्योंकि भरतक्षेत्र का दक्षिण दिशा की ओर का आधा भाग वैताढ्य नामक पर्वत के कारण विभक्त हो जाता है और वह तीन तरफ लवणसमुद्र से घिरा है। उन तीनों खण्डों के शासक वासुदेव होते हैं। वह अर्धभरत छहों प्रकार के कालों में होने वाले अत्यन्त सुख से युक्त होता है। बलदेव और वासुदेव धैर्यवान् और कीर्तिमान होते हैं। वे ओघबली होते हैं। अतिबल होते हैं। उन्हें कोई आहत नहीं कर सकता। वे कभी शत्रुओं द्वारा पराजित नहीं होते। वे दयालु, मत्सरता से रहित, चपलता से रहित, बिना कारण कोप न करने वाले, परिमित और मंजु भाषण करने वाले, मुस्कान के साथ गंभीर और मधुर वाणी का प्रयोग करने वाले, अभ्युगत के प्रति वत्सलता रखने वाले तथा शरणागत की रक्षा करने वाले होते हैं। उनका समस्त शरीर लक्षणों से, व्यंजनों से तथा गुणों से सम्पन्न होता है। मान और उन्मान से प्रमाणोपेत तथा इन्द्रियों एवं अवयवों से प्रतिपूर्ण होने के कारण उनके शरीर के सभी अंगोपांग सुडौल – सुन्दर होते हैं। चन्द्रमा के समान सौम्य होता है और वे देखने में अत्यन्त प्रिय और मनोहर होते हैं। वे अपराध को सहन नहीं करते। प्रचण्ड एवं देखने में गंभीर मुद्रा वाले होते हैं। बलदेव की ऊंची ध्वजा ताड़ वृक्ष के चिह्न से और वासुदेव की ध्वजा गरुड़ के चिह्न से अंकित होती है। गर्जते हुए अभिमानियों में भी अभिमानी मौष्टिक और चाणूर नामक पहलवानों के दर्प को (उन्होंने) चूर – चूर कर दिया था। रिष्ट नामक सांड का घात करने वाले, केसरी सिंह के मुख को फाड़ने वाले, अभिमानी नाग के अभिमान का मथन करने वाले, यमल अर्जुन को नष्ट करने वाले, महाशकुनि और पूतना नामक विद्याधारियों के शत्रु, कंस के मुकुट को मोड़ देने वाले और जरासंघ का मान – मर्दन करने वाले थे। वे सघन, एक – सरीखी एवं ऊंची शलाकाओं से निर्मित तथा चन्द्रमण्डल के समान प्रभा वाले, सूर्य की किरणों के समान, अनेक प्रतिदण्डों से युक्त छत्रों को धारण करने से अतीव शोभायमान थे। उनके दोनों पार्श्वभागों में ढोले जाते हुए चामरों से सुखद एवं शीतल पवन किया जाता है। उन चामरों की विशेषता इस प्रकार है – पार्वत्य प्रदेशों में विचरण करने वाली चमरी गायों से प्राप्त किये जाने वाले, नीरोग चमरी गायों के पूछ में उत्पन्न हुए, अम्लान, उज्ज्वल – स्वच्छ रजतगिरि के शिखर एवं निर्मल चन्द्रमा की किरणों के सदृश वर्ण वाले तथा चाँदी के समान निर्मल होते हैं। पवन से प्रताडित, चपलता से चलने वाले, लीलापूर्वक नाचते हुए एवं लहरों के प्रसार तथा सुन्दर क्षीर – सागर के सलिलप्रवाह के समान चंचल होते हैं। साथ ही वे मानसरोवर के विस्तार में परिचित आवास वाली, श्वेत वर्ण वाली, स्वर्णगिरि पर स्थित तथा ऊपर – नीचे गमन करने में अन्य चंचल वस्तुओं को मात कर देने वाले वेग से युक्त हंसनियों के समान होते हैं। विविध प्रकार की मणियों के तथा तपनीय स्वर्ण के बने विचित्र दंडों वाले होते हैं। वे लालित्य से युक्त और नरपतियों की लक्ष्मी के अभ्युदय को प्रकाशित करते हैं। वे बड़े – बड़े पत्तनों – में निर्मित होते हैं और समृद्धिशाली राजकुलों में उनका उपयोग किया जाता है। वे चामर, काले अगर, उत्तम कुंदरुक्क एवं तुरुष्क की धूप के कारण उत्पन्न होने वाली सुगंध के समूह से सुगंधित होते हैं। (वे बलदेव और वासुदेव) अपराजेय होते हैं। उनके रथ अपराजित होते हैं। बलदेव हाथों में हल, मूसल और बाण धारण करते हैं और वासुदेव पाञ्चजन्य शंख, सुदर्शन चक्र, कौमुदी गदा, शक्ति और नन्दक नामक खड्ग धारण करते हैं। अतीव उज्ज्वल एवं सुनिर्मित कौस्तुभ मणि और मुकुट को धारण करते हैं। कुंडलों से उनका मुखमण्डल प्रकाशित होता रहता है। उनके नेत्र पुण्डरीक समान विकसित होता है। उनके कण्ठ और वक्षःस्थल पर एकावली हार शोभित रहता है। उनके वक्षःस्थल में श्रीवत्स का सुन्दर चिह्न बना होता है। वे उत्तम यशस्वी होते हैं। सर्व ऋतुओं के सौरभमय सुमनों से ग्रथित लम्बी शोभायुक्त एवं विकसित वनमाला से उनका वक्षःस्थल शोभायमान रहता है। उनके अंग उपांग एक सौ आठ मांगलिक तथा सुन्दर लक्षणों से सुशोभित होते हैं। उनकी गति मदोन्मत्त उत्तम गजराज की गति के समान ललित और विलासमय होती है। उनकी कमर कटिसूत्र से शोभित होती है और वे नीले तथा पीले वस्त्रों को धारण करते हैं। वे देदीप्यमान तेज से विराजमान होते हैं। उनका घोष शरत्काल के नवीन मेघ की गर्जना के समान मधुर, गंभीर और स्निग्ध होता है। वे नरों में सिंह के समान होते हैं। उनकी गति सिंह के समान पराक्रमपूर्ण होती है। वे बड़े – बड़े राज – सिंहों के समाप्त कर देने वाले हैं। फिर (भी प्रकृति से) सौम्य होते हैं। वे द्वारवती के पूर्ण चन्द्रमा थे। वे पूर्वजन्म में किये तपश्चरण के प्रभाव वाले होते हैं। वे पूर्वसंचित इन्द्रियसुखों के उपभोक्ता और अनेक सौ वर्षों की आयु वाले होते हैं। ऐसे बलदेव और वासुदेव अनुपम शब्द, स्पर्श, रस, रूप और गन्धरूप इन्द्रियविषयों का अनुभव करते हैं। परन्तु वे भी कामभोगों से तृप्त हुए बिना ही कालधर्म को प्राप्त होते हैं। और माण्डलिक राजा भी होते हैं। वे भी सबल होते हैं। उनका अन्तःपुर विशाल होता है। वे सपरिषद् होते हैं। शान्तिकर्म करने वाले पुरोहितों से, अमात्यों से, दंडनायकों से, सेनापतियों से जो गुप्त मंत्रणा करने एवं नीति में निपुण होते हैं, इन सब से सहित होते हैं। उनके भण्डार अनेक प्रकार की मणियों से, रत्नों से, विपुल धन और धान्य से समृद्ध होते हैं। वे अपनी विपुल राज्य – लक्ष्मी का अनुभव करके, अपने शत्रुओं का पराभव करके बल में उन्मत्त रहते हैं – ऐसे माण्डलिक राजा भी कामभोगों से तृप्त नहीं हुए। वे भी अतृप्त रह कर ही कालधर्म को प्राप्त हो गए। इसी प्रकार देवकुरु और उत्तरकुरु क्षेत्रों के वनों में और गुफाओं में पैदल विचरण करने वाले युगल मनुष्य होते हैं। वे उत्तम भोगों से सम्पन्न होते हैं। प्रशस्त लक्षणों के धारक होते हैं। भोग – लक्ष्मी से युक्त होते हैं। वे प्रशस्त मंगलमय सौम्य एवं रूपसम्पन्न होने के कारण दर्शनीय होते हैं। सर्वांग सुन्दर शरीर के धारक होते हैं। उनकी हथेलियाँ और पैरों के तलभाग – लाल कमल के पत्तों की भाँति लालिमायुक्त और कोमल होते हैं। उनके पैर कछुए के समान सुप्रतिष्ठित होते हैं। उनकी अंगुलियाँ अनुक्रम से बड़ी – छोटी, सुसंहत होती हैं। उनके नख उन्नत – पतले, रक्तवर्ण और चिकने होते हैं। उनके पैरों के गुल्फ सुस्थित, सुघड़ और मांसल होने के कारण दिखाई नहीं देते हैं। उनकी जंघाएं हिरणी की जंघा, कुरुविन्द नामक तृण और वृत्त समान क्रमशः वर्तुल एवं स्थूल होती हैं। उनके घुटने डिब्बे एवं उसके ढक्कन की संधि के समान गूढ़ होते हैं, उनकी गति मदोन्मत्त उत्तम हस्ती के समान विक्रम और विकास से युक्त होती है, उनका गुह्यदेश उत्तम जाति के घोड़े के गुप्तांग के समान सुनिर्मित एवं गुप्त होता है। उत्तम जाति के अश्व के समान उन यौगलिक पुरुषों का गुदाभाग भी मल के लेप से रहित होता है। उनका कटिभाग हृष्ट – पृष्ट एवं श्रेष्ठ और सिंह की कमर से भी अधिक गोलाकार होता है। उनकी नाभि गंगा नदी के आवर्त्त के समान चक्कर – दार तथा सूर्य की किरणों से विकसित कमल की तरह गंभीर और विकट होती है। उनके शरीर का मध्यभाग समेटी हुई त्रिकाष्ठिका – मूसल, दर्पण और शुद्ध किए हुए उत्तम स्वर्ण से निर्मित खड्ग की मूठ एवं श्रेष्ठ वज्र के समान कृश होता है। उनकी रोमराजि सीधी, समान, परस्पर सटी हुई, स्वभावतः बारीक, कृष्णवर्ण, चिकनी, प्रशस्त पुरुषों के योग्य सुकुमार और सुकोमल होती है। वे मत्स्य और विहग के समान उत्तम रचना से युक्त कुक्षि वाले होने से झषोदर होते हैं। उनकी नाभि कमल के समान गंभीर होती है। पार्श्वभाग नीचे की ओर झुके हुए होते हैं, अत एव संगत, सुन्दर और सुजात होते हैं। वे पार्श्व प्रमाणोपेत एवं परिपुष्ट होते हैं। वे ऐसे देह के धारक होते हैं, जिसकी पीठ और बगल की हड्डियाँ माँसयुक्त होती हैं तथा जो स्वर्ण के आभूषण के समान निर्मल कान्तियुक्त, सुन्दर बनावट वाली और निरुपहत होती है। उनके वक्षःस्थल सोने की शिला के तल के समान प्रशस्त, समतल, उपचित और विशाल होते हैं। उनकी कलाइयाँ गाड़ी के जुए के समान पुष्ट, मोटी एवं रमणीय होती हैं। तथा अस्थिसन्धियाँ अत्यन्त सुडौल, सुगठित, सुन्दर, माँसल और नसों से दृढ़ बनी होती हैं। उनकी भुजाएं नगर के द्वार की आगल के समान लम्बी और गोलाकार होती हैं। उनके बाहु भुजगेश्वर के विशाल शरीर के समान और अपने स्थान से पृथक् की हुई आगल के समान लम्बे होते हैं। उनके हाथ लाल – लाल हथेलियों वाले, परिपुष्ट, कोमल, मांसल, सुन्दर बनावट वाले, शुभ लक्षणों से युक्त और निश्छिद्र उंगलियों वाले होते हैं। उनके हाथों की उंगलियाँ पुष्ट, सुरचित, कोमल और श्रेष्ठ होती हैं। उनके नख ताम्रवर्ण के, पतले, स्वच्छ, रुचिर, चिकने होते हैं। तथा चन्द्रमा की तरह, सूर्य के समान, शंख के समान या चक्र के समान, दक्षिणावर्त्त स्वस्तिक के चिह्न से अंकित, हस्त – रेखाओं वाले होते हैं। उनके कंधे उत्तम महिष, शूकर, सिंह, व्याघ्र, सांड़ और गजराज के कंधे के समान परिपूर्ण होते हैं। उनकी ग्रीवा चार अंगुल परिमित एवं शंख जैसी होती है। उनक दाढ़ी – मूँछें अवस्थित हैं तथा सुविभक्त एवं सुशोभन होती हैं। वे पुष्ट, मांसयुक्त, सुन्दर तथा व्याघ्र के समान विस्तीर्ण हनुवाले होते हैं। उनके अधरोष्ठ संशुद्ध मूँगे और बिम्बफल के सदृश लालिमायुक्त होते हैं। उनके दाँतों की पंक्ति चन्द्रमा के टुकड़े, निर्मल शंख, गाय के दूध के फेन, कुन्दपुष्प, जलकण तथा कमल की नाल के समान धवल – श्वेत होती है। उनके दाँत अखण्ड, अविरल, अतीव स्निग्ध और सुरचित होते हैं। वे एक दन्तपंक्ति के समान अनेक दाँतों वाले होते हैं। उनका तालु और जिह्वा अग्नि में तपाये हुए और फिर धोये हुए स्वच्छ स्वर्ण के सदृश लाल तल वाली होती है। उनकी नासिका गरुड़ के समान लम्बी, सीधी और ऊंची होती है। उनके नेत्र विकसित पुण्डरीक के समान एवं धवल होते हैं। उनकी भ्रू किंचित् नीचे झुकाए धनुष के समान मनोरम, कृष्ण मेघों की रेखा के समान काली, उचित मात्रा में लम्बी एवं सुन्दर होती हैं। कान आलीन और उचित प्रमाण वाले होते हैं। उनके कपोलभाग परिपुष्ट तथा मांसल होते हैं। उनका ललाट अचिर उद्गत, ऐसे बाल – चन्द्रमा के आकार का तथा विशाल होता है। उनका मुखमण्डल पूर्ण चन्द्र के सदृश सौम्य होता है। मस्तक छत्र के आकार का उभरा हुआ होता है। उनके सिर का अग्रभाग मुद्गर के समान सुदृढ नसों से आबद्ध, प्रशस्त लक्षणों – चिह्नों से सुशोभित, उन्नत, शिखर – युक्त भवन के समान और गोलाकार पिण्ड जैसा होता है। उनके मस्तक की चमड़ी अग्नि में तपाये और फिर धोये हुए सोने के समान लालिमायुक्त एवं केशों वाली होती है। उनके मस्तक के केश शामल्मली वृक्ष के फल के समान सघन, छांटे हुए – बारीक, सुस्पष्ट, मांगलिक, स्निग्ध, उत्तम लक्षणों से युक्त, सुवासित, सुन्दर, भुजमोचक रत्न जैसे काले वर्ण वाले, नीलमणि और काजल के सदृश तथा हर्षित भ्रमरों में झुंड की तरह काली कान्ति वाले, गुच्छ रूप, घुंघराले, दक्षिणावर्त्त हैं। उनके अंग सुडौल, सुविभक्त और सुन्दर होते हैं। वे यौगलिक उत्तम लक्षणों, व्यंजनों तथा गुणों से सम्पन्न होते हैं। वे प्रशस्त बत्तीस लक्षणों के धारक होते हैं। वे हंस के, क्रौंच पक्षी के, दुन्दुभि के एवं सिंह के समान स्वर वाले होते हैं। उनका स्वर ओघ होता है। उनकी ध्वनि मेघ की गर्जना जैसी होती है, अत एव कानों को प्रिय लगती है। उनका स्वर और निर्घोष सुन्दर होते हैं। वे वज्रऋषभनाराच संहनन और समचतुरस्र संस्थान के धारक होते हैं। उनके अंग – प्रत्यंग कान्ति से देदीप्यमान रहते हैं। उनके शरीर की त्वचा प्रशस्त होती है। वे नीरोग होते हैं और कंक नामक पक्षी के समान अल्प आहार करते हैं। उनकी आहार को पचाने की शक्ति कबूतर जैसी होती है। उनका मल – द्वार पक्षी जैसा होता है, जिसके कारण वह मल – लिप्त नहीं होता। उनकी पीठ, पार्श्वभाग और जंघाएं सुन्दर, सुपरिमित होती हैं। पद्म नीलकमल की सुगन्ध के सदृश मनोहर गन्ध से उनका श्वास एवं मुख सुगन्धित रहता है। उनके शरीर की वायु का वेग सदा अनुकूल रहता है। वे गौर – वर्ण, स्निग्ध तथा श्याम होते हैं। उनका उदर शरीर के अनुरूप उन्नत होता है। वे अमृत के समान रस वाले फलों का आहार करते हैं। उनके शरीर की ऊंचाई तीन गव्यूति की और वायु तीन पल्योपम की होती है। पूरी आयु को भोग कर वे अकर्मभूमि के मनुष्य कामभोगों से अतृप्त रहकर ही मृत्यु को प्राप्त होते हैं। उनकी स्त्रियाँ भी सौम्य एवं सात्त्विक स्वभाव वाली होती हैं। उत्तम सर्वांगों से सुन्दर होती हैं। महिलाओं के सब श्रेष्ठ गुणों से युक्त होती हैं। उनके पैर अत्यन्त रमणीय, शरीर के अनुपात में उचित प्रमाण वाले कच्छप के समान और मनोज्ञ होते हैं। उनकी उंगलियाँ सीधी, कोमल, पुष्ट और निश्छिद्र होती हैं। उनके नाखून उन्नत, प्रसन्न – ताजनक, पतले, निर्मल और चमकदार होते हैं। उनकी दोनों जंघाएं रोमों से रहित, गोलाकार श्रेष्ठ मांगलिक लक्षणों से सम्पन्न और रमणीय होती हैं। उनके घुटने सुन्दर रूप से निर्मित तथा मांसयुक्त होने के कारण निगूढ होते हैं। उनकी सन्धियाँ मांसल, प्रशस्त तथा नसों से सुबद्ध होती हैं। उनकी सांथल कदली – स्तम्भ से भी अधिक सुन्दर आकार की, घाव आदि से रहित, सुकुमार, कोमल, अन्तररहित, समान प्रमाण वाली, सुन्दर लक्षणों से युक्त, सुजात, गोलाकार और पुष्ट होती है। उनकी कटि अष्टापद समान आकारवाली, श्रेष्ठ और विस्तीर्ण होती है। वे मुख की लम्बाई के प्रमाण, विशाल, मांसल, गढे हुए श्रेष्ठ जघन को धारण करनेवाली होती हैं। उदर वज्र के समान शोभायमान, शुभ लक्षणों से सम्पन्न एवं कृश होता है। शरीर का मध्यभाग त्रिवलि से युक्त, कृश और नमित होता है। रोमराजि सीधी, एक – सी, परस्पर मिली हुई, स्वाभाविक, बारीक, काली, मुलायम, प्रशस्त, ललित, सुकुमार, कोमल और सुविभक्त होती है। नाभि गंगा नदी के भंवरों के समान, दक्षिणावर्त चक्कर वाली तरंगमाला जैसी, सूर्य की किरणों से ताजा खिले हुए और नहीं कुम्हलाए हुए कमल के समान गंभीर एवं विशाल होती हैं। उनकी कुक्षि अनुद्भट प्रशस्त, सुन्दर और पुष्ट होती है। उनका पार्श्वभाग सन्नत, सुगठित और संगत होता है तथा प्रमाणोपेत, उचित मात्रा में रचित, पुष्ट और रतिद होता है। उनकी गात्रयष्टि अस्थि से रहित, शुद्ध स्वर्ण से निर्मित रुचक नामक आभूषण के समान निर्मल या स्वर्ण की कान्ति के समान सुगठित तथा नीरोग होती है। उनके दोनों पयोधर स्वर्ण के दो कलशों के सदृश, प्रमाणयुक्त, उन्नत, कठोर तथा मनोहर चूची वाले तथा गोलाकार होते हैं। उनकी भुजाएं सर्प की आकृति सरीखी क्रमशः पतली गाय की पूँछ के समान गोलाकार, एक – सी, शिथिलता से रहित, सुनमित, सुभग एवं ललित होती हैं। उनके नाखून ताम्रवर्ण होते हैं। उनके अग्रहस्त मांसल होती है। उनकी अंगुलियाँ कोमल और पुष्ट होती हैं। उनकी हस्तरेखाएं स्निग्ध होती हैं तथा चन्द्रमा, सूर्य, शंख, चक्र एवं स्वस्तिक के चिह्नों से अंकित एवं सुनिर्मित होती हैं। उनकी कांख और मलोत्सर्गस्थान पुष्ट तथा उन्नत होते हैं एवं कपोल परिपूर्ण तथा गोलाकार होते हैं। उनकी ग्रीवा चार अंगुल प्रमाण वाली एवं उत्तम शंख जैसी होती है। उनकी ठुड्डी मांस से पुष्ट, सुस्थिर तथा प्रशस्त होती है। उनके अधरोष्ठ अनार के खिले फूल जैसे लाल, कान्तिमय, पुष्ट, कुछ लम्बे, कुंचित और उत्तम होते हैं। उनके उत्तरोष्ठ भी सुन्दर होते हैं। उनके दाँत दहीं, पत्ते पर पड़ी बूँद, कुन्द के फूल, चन्द्रमा एवं चमेली की कली के समान श्वेत वर्ण, अन्तररहित और उज्ज्वल होते हैं। वे रक्तोत्पल के समान लाल तथा कमलपत्र के सदृश कोमल तालु और जिह्वा वाली होती हैं। उनकी नासिका कनेर की कली के समान, वक्रता से रहित, आगे से ऊपर उठी, सीधी और ऊंची होती है। उनके नेत्र सूर्यविकासी कमल, चन्द्रविकासी कुमुद तथा कुवलय के पत्तों के समूह के समान, शुभ लक्षणों से प्रशस्त, कुटिलता से रहित और कमनीय होते हैं। भौंहें किंचित् नमाये हुए धनुष के समान मनोहर, कृष्णवर्ण मेघमाला के समान सुन्दर, पतली, काली और चिकनी होती हैं। कपोलरेखा पुष्ट, साफ और चिकनी होती हैं। ललाट चार अंगुल विस्तीर्ण और सम होता है। मुख चन्द्रिकायुक्त निर्मल एवं परिपूर्ण चन्द्र समान गोलाकार एवं सौम्य होता है। मस्तक छत्र के सदृश उन्नत होता है। और मस्तक के केश काले, चिकने और लम्बे – लम्बे होते हैं। वे उत्तम बत्तीस लक्षणों से सम्पन्न होती हैं – यथा छत्र, ध्वजा, यज्ञस्तम्भ, स्तूप, दामिनी, कमण्डलु, कलश, वापी, स्वस्तिक, पताका, यव, मत्स्य, कच्छप, प्रधान रथ, मकरध्वज, वज्र, थाल, अंकुश, अष्टापद, स्थापनिका, देव, लक्ष्मी का अभिषेक, तोरण, पृथ्वी, समुद्र, श्रेष्ठ भवन, श्रेष्ठ पर्वत, उत्तम दर्पण, क्रीड़ा करता हुआ हाथी, वृषभ, सिंह और चमर। उनकी चाल हंस जैसी और वाणी कोकिला के स्वर की तरह मधुर होती है। वे कमनीय कान्ति से युक्त और सभी को प्रिय लगती हैं। उनके शरीर पर न झुरियाँ पड़ती हैं, न उनके बाल सफेद होते हैं, न उनमें अंगहीनता होती है, न कुरूपता होती है। वे व्याधि, दुर्भाग्य एवं शोक – चिन्ता से मुक्त रहती हैं। ऊंचाई में पुरुषों से कुछ कम ऊंची होती हैं। शृंगार के आगार के समान और सुन्दर वेश – भूषा से सुशोभित होती हैं। उनके स्तन, जघन, मुख, हाथ, पाँव और नेत्र – सभी कुछ अत्यन्त सुन्दर होते हैं। सौन्दर्य, रूप और यौवन के गुणों से सम्पन्न होती हैं। वे नन्दन वन में विहार करने वाली अप्सराओं सरीखी उत्तरकुरु क्षेत्र की मानवी अप्सराएं होती हैं। वे आश्चर्यपूर्वक दर्शनीय होती हैं, वे तीन पल्योपम की उत्कृष्ट मनुष्यायु को भोग कर भी कामभोगों से तृप्त नहीं हो पाती और अतृप्त रहकर ही कालधर्म को प्राप्त होती हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tam cha puna nisevamti suragana saachchhara moha mohiya mati, asura bhayaga garula vijju jalana diva udahi disa pavana thaniya. Anavanniya panavanniya isivadiya bhuyavadiyakamdiya mahakamdiya kuhamda patagadeva, pisaya bhuya jakkha rakkhasa kinnara kimpurisa mahoraga gamdhavva tiriya joisa vimanavasi manuyagana, jalayara thalayara khahayaraya mohapadibaddhachitta avitanha kamabhoga-tisiya, tanhae balavaie mahaie samabhibhuya gadhiya ya atimuchchhiya ya, abambhe osanna, tamasena bhavena anummukka, damsana-charittamohassa pamjaram piva karemtiannonnam sevamana. Bhujjo asura sura tiriya manuya bhogaratti vihara sampautta ya chakkavatti suranaravatisakkaya suravaravva devaloe bharaha naga nagara niyama janavaya puravara donamuha kheda kabbada madamba sambaha pattana sahassamamdiyam thimiya meyaniyam egachchhattam sasagaram bhumjiuna vasuham narasiha naravai narimda naravasabha maruya vasabhakappa, abbhahiyam rayateyalachchhie dippamana soma rayavamsatilaga. Ravi sasi samkha varachakka sotthiya padaga java machchha kumma rahavara bhaga bhavana vimana turaya torana gopura mani rayana namdiyavatta musala namgala suraiyavarakappa rukkha migavati bhaddasana suruchi thubha varamauda sariya kumdala kumjara varavasabhadiva mamdira garuladdhaya imdakeu dappana atthavaya chava bana nakkhatta meha mehalavina juga chhatta dama damini kamamdalu kamala ghamta varapota sui sagara kumudagara magara hara gagara neura naga nagara vaira kinnara mayura vararayahamsa sarasa chakora chakkavagamihuna chamara khedaga pavvisaga vipamchi varata-liyamta siriyabhiseya meinikhagga amkusam vimalakalasa bhimgara vaddhamanaga pasattha uttamavibhattavara purisalakkhanadhara. Battisam rayavarasahassanujayamagga chausatthisahassapavarajuvatina nayanakamta rattabha paumapamha koramgatadama champaka sutavitavarakanakanihasavanna sujaya savvamgasumdaramga mahaggha varapattanuggaya vichittaraga eni peni nimmiya dugulla varachinapatta kosejja sonisuttaka vibhusiyamga varasurabhigamdha varachunnavasa varakusumabhariya siraya kappiya chheyayariyasukaya raitamala kadagamgaya tudiya pavarabhusana pinaddhadeha ekavalikamthasuraiyavachchha palambapalambamanasukayapada uttarijjamuddiyapimgalamguliya ujjala nevattha raiya chillaga virayamana teena divakarovva ditta saraya navathaniya mahura gambhira niddhaghosa uppannasamattarayana chakkarayanappahana navanihivaino samiddhakosa chauramta chaurahim senahim samanujaijjamanamagga turagavati gayavati rahavati naravati vipulakulavissuyajasa sarayasasisakala somavayana sura telokka niggaya pabhavaladdhasadda samattabharahahiva narimda, saselavana kananam cha himavamta sagaramtam dhira bhuttuna bharahavasam, jiyasattu pavararayasiha puvvakadatavappabhava nivittha samchiyasuha anegavasasayamayuvamto bhajjahi ya janavayappahanahim laliyamta atula sadda pharisa rasa ruva gamdhe ya anubhavitta tevi uvanamamti maranadhamma,avititta kamanam. Bhujjo baladeva vasudeva ya pavarapurisa mahabalaparakamma mahadhanuviyaddhaka mahasattasagara duddhara dhanuddhara naravasabha ramakesava bhayaro saparisa vasudeva samuddavijayamadiyadasaranam, pajjunna payiva samba aniruddha nisaha ummuya sarana gaya sumuha dummuhadinam jayavanam addhatthanavi kumarakodinam hiyayadayiya, devie rohinie devie devakie ya anamdahiyayabhavanamdanakara solasa rayavara-sahassanujatamagga solasadevisahassa varanayana hiyayadayiya nanamani kanaga rayana mottiya pavala dhana dhannasamchaya riddhi samiddhakosa, haya gaya raha sahassasami gamagara nagara kheda kabbada madamba donamuha pattanasama sambaha sahassathimiyanivvuyapamudita-jana vivihasassanipphajjamanameini sara sariya talaga sela kanana aramujjana manabhiramaparimamdiyassa dahinaddhaveyaddhagirivibhattassa lavanajalahiparigayassa chhavvihakalagunakamajuttassa addhabharahassa samika, dhirakittipurisa ohabala aibala anihaya aparajiyasattumaddana ripusahassamanamahana sanukkosa amachchhari achavala achamda mittamamjulapalavahasiya-gambhira-mahurabhaniya abbhu vagayavachchhalasarannalakkhana vamjana gunovaveya manummana pamana padipunna sujaya savvamgasumdaramga sasi somagara kamtapiyadamsana amarisana payamdadamdappayara gambhira darisanijja taladdhaya uvviddhagarulakeu balavaga gajjamta darita dappita mutthiyachanuramuraga ritthavasabhaghati kesarimuha vipphadaga darittanagadappamahana jamalajjuna-bhamjaga mahasauni putanariu kamsamaudamodaga jarasamgha manamahana. Tehi yaavirala sama sahiya chamdamamdalasamappabhehim suramiriyikavayam vinimmuyamtehim sapatidamdehim ayavattehim dharijjamtehim virayamta. Tahi ya pavaragiriguharaviharanasamuddhiyahim niruvahayachamara pachchhimasarira samjatahim amaila siyakamala vimukulujjalita rayatagirisihara vimalasasikiranasarisa kalahoya nimmalahim pavanahayachavala-chaliyasalaliya panachchiya viipasariya khirodagapavarasagaruppurachamchalahi manasasarapasara parichiyavasa visadavesahim kanagagirisihara samsitahim ovayuppayam chavalajayinasigghavegahim hamsavadhuyahim cheva kaliya, nanamanikanaga maharihatavanijjujjalavichittadamdahim salaliyahim naravatisirisamudaya-ppakasanakarihim varapattanu ggayahim samiddharayakula seviyahim kalagurupavara kumdurukka turukka dhuvavasavasa visada gamdhuddhuyabhiramahim chillikahim ubhayopasampi chamarahim ukkhippamanahim suhasitalavatavitiyamga. Ajita ajitaraha hala musala kanagapani samkha chakka gaya satti namdagadhara pavarujjalasukaya vimalakotthubha tiridadhari kumdalaujjoviyanana pumdariya nayana egavalikamtharaiyavachchha sirivachchha-sulamchhana varajasa savvouya surabhi kusuma suraiyapalamba sohamta viyasamta chittavanamalaraiyavachchha, atthasayavibhatta lakkhana pasatthasumdaraviraiyamgamamga mattagayavarimda laliyavikkama vilasiyagati kadi-suttaganila pita kosejjavasasa pavaradittateya sarayanavathaniya mahuragambhira niddhaghosa narasiha sihavikkamagai atthamiya pavararayasiha soma baravai punnachamda puvvakadatavappabhava nivitthasamchiya-suha anegavasasayamayuvamto bhajjahi ya janavayappahanahim laliyamta atulasadda pharisa rasa ruva gamdhe anubhavetta te vi uvanamamti maranadhammam, avititta kamanam. Bhujjo mamdaliya naravaremda sabala saamteura saparisa sapurohiya amachcha damdanayaka senavati mamtanitikusala nanamanirayana vipuladhana dhanna samchayanihi samiddhakosa rajjasirim vipulamanubhavitta vikkosamta balena matta te vi uvanamamti maranadhammam, avititta kamanam. Bhujjo uttarakuru devakuru vanavivara payacharino naragana bhoguttama bhogalakkhanadhara bhogasassiriya pasatthasommapadipunnaruvadarisanijja sujata savvamga sumdaramga rattuppalapattakamta kara charana komalatala supaitthiya kummacharuchalana anupuvvasusamhayamguliya unnatatanutambaniddhanakkha samthiyasusilitthagudhagompha eni kuruvida vatta vattanupuvvajamgha samugga nisaggagudhajanu varavarana matta tullavikkama vilasitagati varaturaga sujayagujjhadesa ainnahayavva niruvaleva pamuiyavaraturaga siha atiregavattiyakadi sahatasonamda musala dappana nigariyavarakanagachchharusarisa varavairavaliyamajjha ujjuga sama sahiya jachchatanu kasina niddha adejja ladaha sumalam mauyaromarai jjhasa vihaga sujatapina kuchchhi jjhasodara pamhavigadanabha sannatapasa samgayapasa sumdarapasa sujatapasa mitamaiya-pinaraiyapasa akaramduya kanagaruyaganimmala sujaya niruvahayadehadhari.. .. Kanagasilatala pasattha samatala uvaiya vichchhinnapihulavachchha juyasannibhapinaraiya pivarapauttha samthiyasusilitthavisitthasunichitaghanathira-subamddhasamdhi puravaraphaliha vattiyabhuya bhuyaisara-vipulabhoga-ayanaphaliha uchchhudhadihabahu rattatalovaiya mauya mamsala sujayalakkhana pasattha achchhiddajalapani pivarasujayakomalavaramguli tambatalinasuiruilaniddhanakkha niddhapanileha chamdapanileha surapanileha samkhapanileha chakkapanileha disasovatthiyapanileharavi-sasi-samkha varachakka disasovatthiya vibhatta suviraiya panileha varamahisa varaha siha saddula risaha nagavara padipunnaviulakhamdha chauramgulasuppamana kambuvarasarisagiva avatthiya suvibhatta chittamamsu uvachiya mamsala pasattha saddulavipulahanuya oyaviya sila ppavala bimbaphalasannibhadharottha pamdurasasisakala vimalasamkha gokhira phena kumda dagaraya munaliya dhavaladamtasedhi akhamdadamta apphudiyadamta aviraladamta suniddhadamta sujayadamta egadamtasedhivva anegadamta hayavahaniddhamtaghoyatattatavanijjarattatalatalujiha garulayata ujjutumga-nasa avadaliyapomdariyanayana kokasiya dhavalapattalachchha anamiya-chavaruila kinhabbharajisamthiya samgayayaya sujayabhumaga allinapamanajuttasavana susavana pina-mamsalakavoladesabhaga achiruggayabalachamdasamthiyamahanidala uduvatiriva padipunnasomavayana chhattagaruttamamgadesa ghananichiyasubaddhalakkhanunnayakudagaranibha-pimdiyaggasira.. .. Huyavahaniddhamtadhoyatattatavanijja rattakesamtakesabhumi samalipomdaghananichiyachhodiya miu visada pasattha suhuma lakkhana sugamdha sumdara bhuyamoyaga bhimga nila kajjala pahatthabhamaragana niddha nigurumba nichiya kumchiya payahinavatta muddhasaraya sujata suvibhatta samgayamga lakkhanavamjanagunovaveya pasatthabattisalakkhanadhara hamsassara kumchassara dumdubhissara sihassaraoghassara meghassara sussara sussaranigghosa vajjarisahanarayasamghayana samachauramsasamthanasamthiya chhayaujjoviyamgamamga chhavi niratamka kamkaggahani kavotaparinama sauniposa pitthamtaroruparinaya paumuppalasarisa gamdhasasa-surabhivayana anulomavauvega avadaya niddha kalaviggahiya unnaya kuchchhi amayarasaphalahara tigauya samusiya tipaliovamatthitika tinni ya paliovamaim paramaum palayitta te vi uvanamamti maranadhammam, avititta kamanam. Pamaya vi ya tesim homti–somma sujaya savvamga sumdario pahanamahilagunehim jutta atikamta visappamana mauya sukumala kummasamthiya silitthacharana ujjumauya pivarasusamhatamgulio abbhunnata ratida talina tamba sui niddhanakkha roma rahiya vatta-samthia ajahanna pasattha lakkhana akoppa jamghajuyalasunimmita sunigudhajannu mamsala pasattha subaddha samdhi kayalikhambhatirekasamthiya-nivvanasukumala mauya komala avirala sama sahita vatta pivara niramtaroru atthavayavichipatthasamthiya pasatthavichchhinnapihulasoni vayanayamappamanaduguniya visalamamsalasubaddhajahanavaradharinio vajjaviraiya pasatthalakkhananirodario tivalivalita tanu namiyamajjhiyao ujjuya sama sahiya jachcha tanu kasina niddha adejja ladaha sukumala mauya suvibhattaromarai gamgavattaga padahinavatta taramga-bhamga ravikirana taruna bodhitaakosayamtapauma gambhiravigadanabhi anubbhadapasatthajatapina-kuchchhi sannatapasa samgatapasa sumdarapasa sujatapasa miyamayiya pinaraitapasa akaramduya kanagaruyaganimmala sujaya niruvahayagayalatthi.. Kamchanakalasapamana sama sahiya lattha chuchuyaamelaga jamala juyala vattiyapaoharaa bhuyamga anupuvvatanuya gopuchchhavatta sama sahiya namiya adejja ladahabaha tambanaha mamsalaggahattha komalapivaravaramguliya niddhapanileha sasi sura samkha chakka varasotthiya vibhatta suviraiya panileha pinunnayakakkhavatthippadesa padipunnagalakavola chauramgula suppamana kambuvarasarisagiva mamsala-samthiyapasatthahanuya dalimapupphappagasa pivara palambakumchitavaradhara sumdarottarottha davi dagarayakumda chamda vasamtimaula achchhiddavimaladasana rattuppala rattapaumapatta sukumalatalujiha kanavi-ramaula-akudilabbhunnaya-ujjutumganasa saradanavakamala kumuta kuvalayadalanigarasarisalakkhana pasattha ajimhakamtanayana anamiya-chavaruila kinhabbharaisamgaya sujaya tanu kasina niddhabhumaga allinapamanajuttasavana sussavana pinamattha gamdaleha chauramgulavisala samanidala komudirayani-karavimalapadipunnasomavadana chhattunnaya uttimamga akavila susiniddha dihasiraya chhatta jjhaya juva thubha damini kamamdalu kalasa vavi sotthiya padaga java machchha kumma rahavara makarajjhaya amka thala amkusa atthavaya supaittha amara siriya-bhiseya torana meini udadhivara pavara bhavana girivara varayamsa sulaliyagaya usabha siha chamara pasatthabattisalakkhanadhario hamsasari-chchhagatio koila mahuyari girao kamta savvassa anumayao vavagayavalipalitavamga duvvanna vadhi dohagga soyamukkao, uchchattena ya narana thovunamusiyao, simgaragaracharuvesa sumdara thana jahana vayana kara charana nayana lavannaruvajovvanagunovavega namdanavanavivaracharinio vva achchharao uttarakurumanusachchharao achchheragapechchhanijjiyao tinni ya paliovamaim paramaum palayitta tavi uvanamamti maranadhammam, avititta kamanam. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Usa abrahma namaka papasrava ko apsaraom ke satha suragana sevana karate haim. Kauna – se deva sevana karate haim\? Jinaki mati moha ke udaya se murha bana gai hai tatha asurakumara, bhujagakumara, garurakumara, vidyutkumara, agnikumara, dvipakumara, udadhikumara, dishakumara, pavanakumara tatha stanitakumara, ye bhavanavasi, anapannika, panapannika, rishivadika, bhutavadika, krandita, mahakrandita, kushmanda aura patamga deva, pishacha, bhuta, yaksha, rakshasa, kinnara, kimpurusha, mahoraga aura gandharva. Ye vyantara deva, inake atirikta tirchhe – loka mem jyotishka deva, manushyagana tatha jalachara, sthalachara evam khechara abrahma ka sevana karate haim. Jinaka chatta mohagrasta hai, jinaki prapta kayabhoga sambamdhi trishna atripta hai, jo aprapta kamabhogom ke lie trishnatura hai, jo mahati trishna se buri taraha abhibhuta hai, jo vishayom mem griddha evam murchchhita hai, usase hone vale dushparinamom ka bhana nahim hai, jo abrahma ke kichara mem phamse hue haim aura jo tamasabhava se mukta nahim hue haim, aise anyonya naranari ke rupa mem abrahma ka sevana karate hue apani atma ko darshana mohaniya aura charitramohaniya karma ke pimjare mem dalate haim. Punah asurom, surom, tiryamchom aura manushyom sambandhi bhogom mem ratipurvaka vihara mem pravritta, surendrom aura narendrom dvara satkrita, devaloka mem devendra sarikhe, bharatakshetra mem sahasrom parvatom, nagarom, nigamom, janapadom, puravarom, dronamukhom, khetom, karbatom, chhavaniyom, pattanom se sushobhita, surakshita, sthira logom ke nivasa vali, ekachchhatra, evam samudra paryanta prithvi ka upabhoga karake chakravarti – narasimha haim, narapati haim, narendra haim, nara – vrishabha haim – svikara kiye uttaradayitva ko nibhane mem samartha haim, jo marubhumi ke vrishabha ke samana, atyadhika raja – teja rupi lakshmi se dedipyamana haim, jo saumya evam niroga haim, rajavamshom mem tilaka ke samana haim, jo surya, chandrama, shamkha, chakra, svastika, pataka, yava, matsya, kachchhapa, uttama, ratha, bhaga, bhavana, vimana, ashva, torana, nagaradvara, mani, ratna, namdyavartta, musala, hala, sundara kalpavriksha, simha, bhadrasana, suruchi, stupa, sundara mukuta, muktavali hara, kumdala, hathi, uttama baila, dvipa, meruparvata, garura, dhvaja, indraketu, ashtapada, dhanusha, bana, nakshatra, megha, mekhala, vina, gari ka jua, chhatra, mala, damini, kamandalu, kamala, ghamta, jahaja, sui, sagara, kumudavana, magara, hara, gagara, nupura, parvata, nagara, vajra, kinnara, mayura, uttama rajahamsa, sarasa, chakora, chakravaka – yugala, chamvara, dhala, pavvisaka, vipamchi, shreshtha pamkha, lakshmi ka abhisheka, prithvi, talavara, amkusha, nirmala kalasha, bhrimgara aura vardhamanaka, (chakravarti ina saba) mamgalika evam vibhinna lakshanom ke dharaka hote haim. Battisa hajara shreshtha mukutabaddha raja marga mem unake pichhe – pichhe chalate haim. Ve chaumsatha hajara shreshtha yuvatiyom ke netrom ke kanta hote haim. Unake sharira ki kanti raktavarna hoti hai. Ve kamala ke garbha, champa ke phulom, koramta ki mala aura tapta suvarna ki kasauti para khimchi hui rekha ke samana gaura varna vale hote haim. Unake sabhi amgopamga atyanta sundara aura sudaula hote haim. Bare – bare pattanom mem bane hue vividha ramgom ke hirani ke charma ke samana komala evam bahumulya valkala se tatha chini vastrom, reshami vastrom se tatha katisutra se unaka sharira sushobhita hota hai. Unake mastishka uttama sugandha se sumdara churna ke gamdha se aura uttama kusumom se yukta hote haim. Kushala kalacharyom dvara nipunatapurvaka banai hui sukhakara mala, kare, amgada, tutika tatha anya uttama abhushanom ko ve sharira para dharana kie rahate haim. Ekavali hara se unaka kantha sushobhita rahata hai. Ve lambi latakati dhoti evam uttariya vastra pahanate haim. Unaki umgaliyam amguthiyom se pili rahati haim. Apane ujjvala evam sukhaprada vesha se atyanta shobhayamana hote haim. Apani tejasvita se ve surya ke samana damakate haim. Unaka aghosha sharad ritu ke naye megha ki dhvani ke samana madhura gambhira evam snigdha hota hai. Unake yaham chaudaha ratna – utpanna ho jate haim aura ve nau nidhiyom ke adhipati hote haim. Unaka kosha, khuba bharapura hota hai. Unake rajya ki sima chaturanta hoti hai, chaturamgini sena unake marga ka anugamana karati hai. Ve ashvom, hathiyom, rathom, evam narom ke adhipati hote haim. Ve bare umche kulom vale tatha vishruta hote haim. Unaka mukha sharad – ritu ke purna chandrama ke samana hota hai. Shuravira hote haim. Unaka prabhava tinom lokom mem phaila hota hai evam sarvatra unaki jaya – jayakara hoti hai. Ve sampurna bharatakshetra ke adhipati, dhira, samasta shatruom ke vijeta, bare – bare rajaom mem simha ke samana, purvakala mem kie tapa ke prabhava se sampanna, samchita pushta sukha ko bhogane vale, aneka varshashata ke ayushya vale evam narom mem indra hote haim. Uttara disha mem himavan varshadhara parvata aura shesha tina dishaom mem lavanasamudra paryanta samagra bharatakshetra ka bhoga unake janapadom mem pradhana evam atulya shabda, sparsha, rasa, rupa aura gandha sambandhi kama – bhogom ka anubhava karate haim. Phira bhi ve kama – bhogom se tripta hue bina hi maranadharma ko prapta ho jate haim. Baladeva aura vasudeva purushom mem atyanta shreshtha hote haim, mahan balashali aura mahan parakrami hote haim. Bare – bare dhanushom ko charhane vale, mahan sattva ke sagara, shatruom dvara aparajeya, dhanushadhari, manushyom mem vrishabha samana, balarama aura shrikrishna – donom bhai – bhai vishala parivara sameta hote haim. Ve vasudeva tatha samudravijaya adi dasharha ke tatha pradyumna, prativa, shamba, aniruddha, nishadha, ulmuka, sarana, gaja, sumukha, durmukha adi yadavom aura sarhe tina karora kumarom ke hridayom ko priya hote haim. Ve devi rohini tatha devaki ke hridaya mem ananda utpanna karane vale hote haim. Solaha hajara mukuta – baddha raja unake marga ka anugamana karate haim. Ve solaha hajara sunayana maharaniyom ke hridaya ke vallabha hote haim. Unake bhandara vividha prakara ki maniyom, svarna, ratna, moti, mumga, dhana aura dhanya ke samchaya rupa riddhi se sada bharapura rahate haim. Ve sahasrom hathiyom, ghorom evam rathom ke adhipati hote haim. Sahasrom gramom, akarom, nagarom, khetom, karbatom, madambom, dronamukhom, pattanom, ashramom, samvahom mem svastha, sthira, shanta aura pramudita jana nivasa karate haim, jaham vividha prakara ke dhanya upajane vali bhumi hoti hai, bare – bare sarovara haim, nadiyam haim, chhote – chhote talaba haim, parvata haim, vana haim, arama haim, udyana haim, ve ardhabharata kshetra ke adhipati hote haim, kyomki bharatakshetra ka dakshina disha ki ora ka adha bhaga vaitadhya namaka parvata ke karana vibhakta ho jata hai aura vaha tina tarapha lavanasamudra se ghira hai. Una tinom khandom ke shasaka vasudeva hote haim. Vaha ardhabharata chhahom prakara ke kalom mem hone vale atyanta sukha se yukta hota hai. Baladeva aura vasudeva dhairyavan aura kirtimana hote haim. Ve oghabali hote haim. Atibala hote haim. Unhem koi ahata nahim kara sakata. Ve kabhi shatruom dvara parajita nahim hote. Ve dayalu, matsarata se rahita, chapalata se rahita, bina karana kopa na karane vale, parimita aura mamju bhashana karane vale, muskana ke satha gambhira aura madhura vani ka prayoga karane vale, abhyugata ke prati vatsalata rakhane vale tatha sharanagata ki raksha karane vale hote haim. Unaka samasta sharira lakshanom se, vyamjanom se tatha gunom se sampanna hota hai. Mana aura unmana se pramanopeta tatha indriyom evam avayavom se pratipurna hone ke karana unake sharira ke sabhi amgopamga sudaula – sundara hote haim. Chandrama ke samana saumya hota hai aura ve dekhane mem atyanta priya aura manohara hote haim. Ve aparadha ko sahana nahim karate. Prachanda evam dekhane mem gambhira mudra vale hote haim. Baladeva ki umchi dhvaja tara vriksha ke chihna se aura vasudeva ki dhvaja garura ke chihna se amkita hoti hai. Garjate hue abhimaniyom mem bhi abhimani maushtika aura chanura namaka pahalavanom ke darpa ko (unhomne) chura – chura kara diya tha. Rishta namaka samda ka ghata karane vale, kesari simha ke mukha ko pharane vale, abhimani naga ke abhimana ka mathana karane vale, yamala arjuna ko nashta karane vale, mahashakuni aura putana namaka vidyadhariyom ke shatru, kamsa ke mukuta ko mora dene vale aura jarasamgha ka mana – mardana karane vale the. Ve saghana, eka – sarikhi evam umchi shalakaom se nirmita tatha chandramandala ke samana prabha vale, surya ki kiranom ke samana, aneka pratidandom se yukta chhatrom ko dharana karane se ativa shobhayamana the. Unake donom parshvabhagom mem dhole jate hue chamarom se sukhada evam shitala pavana kiya jata hai. Una chamarom ki visheshata isa prakara hai – parvatya pradeshom mem vicharana karane vali chamari gayom se prapta kiye jane vale, niroga chamari gayom ke puchha mem utpanna hue, amlana, ujjvala – svachchha rajatagiri ke shikhara evam nirmala chandrama ki kiranom ke sadrisha varna vale tatha chamdi ke samana nirmala hote haim. Pavana se pratadita, chapalata se chalane vale, lilapurvaka nachate hue evam laharom ke prasara tatha sundara kshira – sagara ke salilapravaha ke samana chamchala hote haim. Satha hi ve manasarovara ke vistara mem parichita avasa vali, shveta varna vali, svarnagiri para sthita tatha upara – niche gamana karane mem anya chamchala vastuom ko mata kara dene vale vega se yukta hamsaniyom ke samana hote haim. Vividha prakara ki maniyom ke tatha tapaniya svarna ke bane vichitra damdom vale hote haim. Ve lalitya se yukta aura narapatiyom ki lakshmi ke abhyudaya ko prakashita karate haim. Ve bare – bare pattanom – mem nirmita hote haim aura samriddhishali rajakulom mem unaka upayoga kiya jata hai. Ve chamara, kale agara, uttama kumdarukka evam turushka ki dhupa ke karana utpanna hone vali sugamdha ke samuha se sugamdhita hote haim. (ve baladeva aura vasudeva) aparajeya hote haim. Unake ratha aparajita hote haim. Baladeva hathom mem hala, musala aura bana dharana karate haim aura vasudeva panchajanya shamkha, sudarshana chakra, kaumudi gada, shakti aura nandaka namaka khadga dharana karate haim. Ativa ujjvala evam sunirmita kaustubha mani aura mukuta ko dharana karate haim. Kumdalom se unaka mukhamandala prakashita hota rahata hai. Unake netra pundarika samana vikasita hota hai. Unake kantha aura vakshahsthala para ekavali hara shobhita rahata hai. Unake vakshahsthala mem shrivatsa ka sundara chihna bana hota hai. Ve uttama yashasvi hote haim. Sarva rituom ke saurabhamaya sumanom se grathita lambi shobhayukta evam vikasita vanamala se unaka vakshahsthala shobhayamana rahata hai. Unake amga upamga eka sau atha mamgalika tatha sundara lakshanom se sushobhita hote haim. Unaki gati madonmatta uttama gajaraja ki gati ke samana lalita aura vilasamaya hoti hai. Unaki kamara katisutra se shobhita hoti hai aura ve nile tatha pile vastrom ko dharana karate haim. Ve dedipyamana teja se virajamana hote haim. Unaka ghosha sharatkala ke navina megha ki garjana ke samana madhura, gambhira aura snigdha hota hai. Ve narom mem simha ke samana hote haim. Unaki gati simha ke samana parakramapurna hoti hai. Ve bare – bare raja – simhom ke samapta kara dene vale haim. Phira (bhi prakriti se) saumya hote haim. Ve dvaravati ke purna chandrama the. Ve purvajanma mem kiye tapashcharana ke prabhava vale hote haim. Ve purvasamchita indriyasukhom ke upabhokta aura aneka sau varshom ki ayu vale hote haim. Aise baladeva aura vasudeva anupama shabda, sparsha, rasa, rupa aura gandharupa indriyavishayom ka anubhava karate haim. Parantu ve bhi kamabhogom se tripta hue bina hi kaladharma ko prapta hote haim. Aura mandalika raja bhi hote haim. Ve bhi sabala hote haim. Unaka antahpura vishala hota hai. Ve saparishad hote haim. Shantikarma karane vale purohitom se, amatyom se, damdanayakom se, senapatiyom se jo gupta mamtrana karane evam niti mem nipuna hote haim, ina saba se sahita hote haim. Unake bhandara aneka prakara ki maniyom se, ratnom se, vipula dhana aura dhanya se samriddha hote haim. Ve apani vipula rajya – lakshmi ka anubhava karake, apane shatruom ka parabhava karake bala mem unmatta rahate haim – aise mandalika raja bhi kamabhogom se tripta nahim hue. Ve bhi atripta raha kara hi kaladharma ko prapta ho gae. Isi prakara devakuru aura uttarakuru kshetrom ke vanom mem aura guphaom mem paidala vicharana karane vale yugala manushya hote haim. Ve uttama bhogom se sampanna hote haim. Prashasta lakshanom ke dharaka hote haim. Bhoga – lakshmi se yukta hote haim. Ve prashasta mamgalamaya saumya evam rupasampanna hone ke karana darshaniya hote haim. Sarvamga sundara sharira ke dharaka hote haim. Unaki hatheliyam aura pairom ke talabhaga – lala kamala ke pattom ki bhamti lalimayukta aura komala hote haim. Unake paira kachhue ke samana supratishthita hote haim. Unaki amguliyam anukrama se bari – chhoti, susamhata hoti haim. Unake nakha unnata – patale, raktavarna aura chikane hote haim. Unake pairom ke gulpha susthita, sughara aura mamsala hone ke karana dikhai nahim dete haim. Unaki jamghaem hirani ki jamgha, kuruvinda namaka trina aura vritta samana kramashah vartula evam sthula hoti haim. Unake ghutane dibbe evam usake dhakkana ki samdhi ke samana gurha hote haim, unaki gati madonmatta uttama hasti ke samana vikrama aura vikasa se yukta hoti hai, unaka guhyadesha uttama jati ke ghore ke guptamga ke samana sunirmita evam gupta hota hai. Uttama jati ke ashva ke samana una yaugalika purushom ka gudabhaga bhi mala ke lepa se rahita hota hai. Unaka katibhaga hrishta – prishta evam shreshtha aura simha ki kamara se bhi adhika golakara hota hai. Unaki nabhi gamga nadi ke avartta ke samana chakkara – dara tatha surya ki kiranom se vikasita kamala ki taraha gambhira aura vikata hoti hai. Unake sharira ka madhyabhaga sameti hui trikashthika – musala, darpana aura shuddha kie hue uttama svarna se nirmita khadga ki mutha evam shreshtha vajra ke samana krisha hota hai. Unaki romaraji sidhi, samana, paraspara sati hui, svabhavatah barika, krishnavarna, chikani, prashasta purushom ke yogya sukumara aura sukomala hoti hai. Ve matsya aura vihaga ke samana uttama rachana se yukta kukshi vale hone se jhashodara hote haim. Unaki nabhi kamala ke samana gambhira hoti hai. Parshvabhaga niche ki ora jhuke hue hote haim, ata eva samgata, sundara aura sujata hote haim. Ve parshva pramanopeta evam paripushta hote haim. Ve aise deha ke dharaka hote haim, jisaki pitha aura bagala ki haddiyam mamsayukta hoti haim tatha jo svarna ke abhushana ke samana nirmala kantiyukta, sundara banavata vali aura nirupahata hoti hai. Unake vakshahsthala sone ki shila ke tala ke samana prashasta, samatala, upachita aura vishala hote haim. Unaki kalaiyam gari ke jue ke samana pushta, moti evam ramaniya hoti haim. Tatha asthisandhiyam atyanta sudaula, sugathita, sundara, mamsala aura nasom se drirha bani hoti haim. Unaki bhujaem nagara ke dvara ki agala ke samana lambi aura golakara hoti haim. Unake bahu bhujageshvara ke vishala sharira ke samana aura apane sthana se prithak ki hui agala ke samana lambe hote haim. Unake hatha lala – lala hatheliyom vale, paripushta, komala, mamsala, sundara banavata vale, shubha lakshanom se yukta aura nishchhidra umgaliyom vale hote haim. Unake hathom ki umgaliyam pushta, surachita, komala aura shreshtha hoti haim. Unake nakha tamravarna ke, patale, svachchha, ruchira, chikane hote haim. Tatha chandrama ki taraha, surya ke samana, shamkha ke samana ya chakra ke samana, dakshinavartta svastika ke chihna se amkita, hasta – rekhaom vale hote haim. Unake kamdhe uttama mahisha, shukara, simha, vyaghra, samra aura gajaraja ke kamdhe ke samana paripurna hote haim. Unaki griva chara amgula parimita evam shamkha jaisi hoti hai. Unaka darhi – mumchhem avasthita haim tatha suvibhakta evam sushobhana hoti haim. Ve pushta, mamsayukta, sundara tatha vyaghra ke samana vistirna hanuvale hote haim. Unake adharoshtha samshuddha mumge aura bimbaphala ke sadrisha lalimayukta hote haim. Unake damtom ki pamkti chandrama ke tukare, nirmala shamkha, gaya ke dudha ke phena, kundapushpa, jalakana tatha kamala ki nala ke samana dhavala – shveta hoti hai. Unake damta akhanda, avirala, ativa snigdha aura surachita hote haim. Ve eka dantapamkti ke samana aneka damtom vale hote haim. Unaka talu aura jihva agni mem tapaye hue aura phira dhoye hue svachchha svarna ke sadrisha lala tala vali hoti hai. Unaki nasika garura ke samana lambi, sidhi aura umchi hoti hai. Unake netra vikasita pundarika ke samana evam dhavala hote haim. Unaki bhru kimchit niche jhukae dhanusha ke samana manorama, krishna meghom ki rekha ke samana kali, uchita matra mem lambi evam sundara hoti haim. Kana alina aura uchita pramana vale hote haim. Unake kapolabhaga paripushta tatha mamsala hote haim. Unaka lalata achira udgata, aise bala – chandrama ke akara ka tatha vishala hota hai. Unaka mukhamandala purna chandra ke sadrisha saumya hota hai. Mastaka chhatra ke akara ka ubhara hua hota hai. Unake sira ka agrabhaga mudgara ke samana sudridha nasom se abaddha, prashasta lakshanom – chihnom se sushobhita, unnata, shikhara – yukta bhavana ke samana aura golakara pinda jaisa hota hai. Unake mastaka ki chamari agni mem tapaye aura phira dhoye hue sone ke samana lalimayukta evam keshom vali hoti hai. Unake mastaka ke kesha shamalmali vriksha ke phala ke samana saghana, chhamte hue – barika, suspashta, mamgalika, snigdha, uttama lakshanom se yukta, suvasita, sundara, bhujamochaka ratna jaise kale varna vale, nilamani aura kajala ke sadrisha tatha harshita bhramarom mem jhumda ki taraha kali kanti vale, guchchha rupa, ghumgharale, dakshinavartta haim. Unake amga sudaula, suvibhakta aura sundara hote haim. Ve yaugalika uttama lakshanom, vyamjanom tatha gunom se sampanna hote haim. Ve prashasta battisa lakshanom ke dharaka hote haim. Ve hamsa ke, kraumcha pakshi ke, dundubhi ke evam simha ke samana svara vale hote haim. Unaka svara ogha hota hai. Unaki dhvani megha ki garjana jaisi hoti hai, ata eva kanom ko priya lagati hai. Unaka svara aura nirghosha sundara hote haim. Ve vajrarishabhanaracha samhanana aura samachaturasra samsthana ke dharaka hote haim. Unake amga – pratyamga kanti se dedipyamana rahate haim. Unake sharira ki tvacha prashasta hoti hai. Ve niroga hote haim aura kamka namaka pakshi ke samana alpa ahara karate haim. Unaki ahara ko pachane ki shakti kabutara jaisi hoti hai. Unaka mala – dvara pakshi jaisa hota hai, jisake karana vaha mala – lipta nahim hota. Unaki pitha, parshvabhaga aura jamghaem sundara, suparimita hoti haim. Padma nilakamala ki sugandha ke sadrisha manohara gandha se unaka shvasa evam mukha sugandhita rahata hai. Unake sharira ki vayu ka vega sada anukula rahata hai. Ve gaura – varna, snigdha tatha shyama hote haim. Unaka udara sharira ke anurupa unnata hota hai. Ve amrita ke samana rasa vale phalom ka ahara karate haim. Unake sharira ki umchai tina gavyuti ki aura vayu tina palyopama ki hoti hai. Puri ayu ko bhoga kara ve akarmabhumi ke manushya kamabhogom se atripta rahakara hi mrityu ko prapta hote haim. Unaki striyam bhi saumya evam sattvika svabhava vali hoti haim. Uttama sarvamgom se sundara hoti haim. Mahilaom ke saba shreshtha gunom se yukta hoti haim. Unake paira atyanta ramaniya, sharira ke anupata mem uchita pramana vale kachchhapa ke samana aura manojnya hote haim. Unaki umgaliyam sidhi, komala, pushta aura nishchhidra hoti haim. Unake nakhuna unnata, prasanna – tajanaka, patale, nirmala aura chamakadara hote haim. Unaki donom jamghaem romom se rahita, golakara shreshtha mamgalika lakshanom se sampanna aura ramaniya hoti haim. Unake ghutane sundara rupa se nirmita tatha mamsayukta hone ke karana nigudha hote haim. Unaki sandhiyam mamsala, prashasta tatha nasom se subaddha hoti haim. Unaki samthala kadali – stambha se bhi adhika sundara akara ki, ghava adi se rahita, sukumara, komala, antararahita, samana pramana vali, sundara lakshanom se yukta, sujata, golakara aura pushta hoti hai. Unaki kati ashtapada samana akaravali, shreshtha aura vistirna hoti hai. Ve mukha ki lambai ke pramana, vishala, mamsala, gadhe hue shreshtha jaghana ko dharana karanevali hoti haim. Udara vajra ke samana shobhayamana, shubha lakshanom se sampanna evam krisha hota hai. Sharira ka madhyabhaga trivali se yukta, krisha aura namita hota hai. Romaraji sidhi, eka – si, paraspara mili hui, svabhavika, barika, kali, mulayama, prashasta, lalita, sukumara, komala aura suvibhakta hoti hai. Nabhi gamga nadi ke bhamvarom ke samana, dakshinavarta chakkara vali taramgamala jaisi, surya ki kiranom se taja khile hue aura nahim kumhalae hue kamala ke samana gambhira evam vishala hoti haim. Unaki kukshi anudbhata prashasta, sundara aura pushta hoti hai. Unaka parshvabhaga sannata, sugathita aura samgata hota hai tatha pramanopeta, uchita matra mem rachita, pushta aura ratida hota hai. Unaki gatrayashti asthi se rahita, shuddha svarna se nirmita ruchaka namaka abhushana ke samana nirmala ya svarna ki kanti ke samana sugathita tatha niroga hoti hai. Unake donom payodhara svarna ke do kalashom ke sadrisha, pramanayukta, unnata, kathora tatha manohara chuchi vale tatha golakara hote haim. Unaki bhujaem sarpa ki akriti sarikhi kramashah patali gaya ki pumchha ke samana golakara, eka – si, shithilata se rahita, sunamita, subhaga evam lalita hoti haim. Unake nakhuna tamravarna hote haim. Unake agrahasta mamsala hoti hai. Unaki amguliyam komala aura pushta hoti haim. Unaki hastarekhaem snigdha hoti haim tatha chandrama, surya, shamkha, chakra evam svastika ke chihnom se amkita evam sunirmita hoti haim. Unaki kamkha aura malotsargasthana pushta tatha unnata hote haim evam kapola paripurna tatha golakara hote haim. Unaki griva chara amgula pramana vali evam uttama shamkha jaisi hoti hai. Unaki thuddi mamsa se pushta, susthira tatha prashasta hoti hai. Unake adharoshtha anara ke khile phula jaise lala, kantimaya, pushta, kuchha lambe, kumchita aura uttama hote haim. Unake uttaroshtha bhi sundara hote haim. Unake damta dahim, patte para pari bumda, kunda ke phula, chandrama evam chameli ki kali ke samana shveta varna, antararahita aura ujjvala hote haim. Ve raktotpala ke samana lala tatha kamalapatra ke sadrisha komala talu aura jihva vali hoti haim. Unaki nasika kanera ki kali ke samana, vakrata se rahita, age se upara uthi, sidhi aura umchi hoti hai. Unake netra suryavikasi kamala, chandravikasi kumuda tatha kuvalaya ke pattom ke samuha ke samana, shubha lakshanom se prashasta, kutilata se rahita aura kamaniya hote haim. Bhaumhem kimchit namaye hue dhanusha ke samana manohara, krishnavarna meghamala ke samana sundara, patali, kali aura chikani hoti haim. Kapolarekha pushta, sapha aura chikani hoti haim. Lalata chara amgula vistirna aura sama hota hai. Mukha chandrikayukta nirmala evam paripurna chandra samana golakara evam saumya hota hai. Mastaka chhatra ke sadrisha unnata hota hai. Aura mastaka ke kesha kale, chikane aura lambe – lambe hote haim. Ve uttama battisa lakshanom se sampanna hoti haim – yatha chhatra, dhvaja, yajnyastambha, stupa, damini, kamandalu, kalasha, vapi, svastika, pataka, yava, matsya, kachchhapa, pradhana ratha, makaradhvaja, vajra, thala, amkusha, ashtapada, sthapanika, deva, lakshmi ka abhisheka, torana, prithvi, samudra, shreshtha bhavana, shreshtha parvata, uttama darpana, krira karata hua hathi, vrishabha, simha aura chamara. Unaki chala hamsa jaisi aura vani kokila ke svara ki taraha madhura hoti hai. Ve kamaniya kanti se yukta aura sabhi ko priya lagati haim. Unake sharira para na jhuriyam parati haim, na unake bala sapheda hote haim, na unamem amgahinata hoti hai, na kurupata hoti hai. Ve vyadhi, durbhagya evam shoka – chinta se mukta rahati haim. Umchai mem purushom se kuchha kama umchi hoti haim. Shrimgara ke agara ke samana aura sundara vesha – bhusha se sushobhita hoti haim. Unake stana, jaghana, mukha, hatha, pamva aura netra – sabhi kuchha atyanta sundara hote haim. Saundarya, rupa aura yauvana ke gunom se sampanna hoti haim. Ve nandana vana mem vihara karane vali apsaraom sarikhi uttarakuru kshetra ki manavi apsaraem hoti haim. Ve ashcharyapurvaka darshaniya hoti haim, ve tina palyopama ki utkrishta manushyayu ko bhoga kara bhi kamabhogom se tripta nahim ho pati aura atripta rahakara hi kaladharma ko prapta hoti haim. |