Sutra Navigation: Mahanishith ( महानिशीय श्रुतस्कंध सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1018214 | ||
Scripture Name( English ): | Mahanishith | Translated Scripture Name : | महानिशीय श्रुतस्कंध सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अध्ययन-८ चूलिका-२ सुषाढ अनगारकथा |
Translated Chapter : |
अध्ययन-८ चूलिका-२ सुषाढ अनगारकथा |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 1514 | Category : | Chheda-06 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] से भयवं किं तीए मयहरीए तेहिं से तंदुलमल्लगे पयच्छिए किं वा णं सा वि य मयहरी तत्थेव तेसिं समं असेस कम्मक्खयं काऊणं परिणिव्वुडा हवेज्ज त्ति। गोयमा तीए मयहरिए तस्स णं तंदुल मल्लगस्सट्ठाए तीए माहणीए धूय त्ति काऊणं गच्छमाणी अवंतराले चेव अवहरिया सा सुज्जसिरी, जहा णं मज्झं गोरसं परिभोत्तूणं कहिं गच्छसि संपयं त्ति। आह वच्चामो गोउलं। अन्नं च–जइ तुमं मज्झं विनीया हवेज्जा, ता अहयं तुज्झं जहिच्छाए ते कालियं बहु गुल घएणं अणुदियहं पायसं पयच्छिहामि। जाव णं एयं भणिया ताव णं गया सा सुज्जसिरि तीए मयहरीए सद्धिं ति। तेहिं पि परलोगाणुट्ठाणेक्क सुहज्झवसायाखित्तमाणसेहिं न संभरिया ता गोविंद माहणाईहिं। एवं तु जहा भणियं मयहरीए तहा चेव तस्स घय गुल पायसं पयच्छे। अहन्नया कालक्कमेणं गोयमा वोच्छिन्ने णं दुवालस संवच्छरिए महारोरवे दारुणे दुब्भिक्खे जाए णं रिद्धित्थि-मिय समिद्धे सव्वे वि जनवए। अहन्नया पणुवीसं अणग्घेयाणं पवर ससि सूरकंताईणं मणि रयणाणं घेत्तूण सदेस गमण-निमित्तेणं दीहद्धाण परिखिन्न अंगयट्ठी पह पडिवन्नेणं तत्थेव गोउले, भवियव्वयानियोगेणं आगए अणुच्चरीय नामधेज्जे पावमती सुज्जसिवे। दिट्ठा य तेणं सा कन्नगा। जाव णं परितुलिय सलय तिहुयण नर नारी रूव कंति लावण्णा तं सुज्जसिरिं पासिय चवलत्ताए इंदियाणं, रम्मयाए किंपागफलोवमाणं, अनंत दुक्ख दायगाणं विसयाणं, विणिज्जिया-सेसतिहुयणस्स णं गोयर गएणं मयर केउणो भणियाणं गोयमा सा सुज्जसिरी ते णं महापावकम्मेणं सुज्जसिवेणं जहा णं हे हे कन्नगे जइ णं इमे तुज्झ संतिए जननी जणगे समनुमन्नंति। ता णं तु अहयं ते परिणेमि। अन्नं च करेमि सव्वं पि ते बंधुवग्गमदरिद्दं ति। तुज्झमवि घडावेमि पलसयमणूणगं सुवन्नस्स। ता गच्छ, अइरेणेव साहेसु मायापित्ताणं। तओ य गोयमा जाव णं पहट्ठ तुट्ठा सा सुज्जसिरी तीए मयहरीए एवं वइयरं पकहेइ ताव णं तक्खणमागंतूण भणिओ सो मयहरीए जहा–भो भो पयंसेहि णं जं ते मज्झ धूयाए सुवन्न पलसए सुंकिए। ताहे गोयमा पयंसिए तेण पवरमणी। तओ भणियं मयहरीए जहा–तं सुवन्नसयं दाएहि किमेएहिं डिंभरमणगेहिं पंचिट्ठगेहिं ताहे भणियं सुज्जसिवेणं जहा णं–एहि वच्चामो णगरं दंसेमि णं अहं तुज्झमिमाणं पंचिट्ठगाणं माहप्पं। तओ पभाए गंतूण नगरं पयंसियं ससि सूर कंत पवर मणि जुवलणं तेणं नरवइणो। नरवइणा वि सद्दाविऊणं भणिए पारि-क्खी जहा–इमाणं परममणीणं करेह मुल्लं। तोल्लंतेहिं तु न सक्किरं तेसिं मुल्लं काऊणं। ताहे भणियं नरवइणा जहा णं भो भो माणिक्कखंडिया नत्थि केइ एत्थ जेणं एएसिं मुल्लं करेज्जा, तो गिण्हसु णं दसकोडिओ दविणजायस्स। सुज्जसिवेणं भणियं–जं महाराओ पसायं करेति। नवरं इणमो आसन्न पव्वयसण्णिहिए अम्हाणं गोउले। तत्थ एगं च जोयणं जाव गोणीणं गोयरभूमी, तं अकरभरं विमुंचसु त्ति। तओ नरवइणा भणियं जहा एवं भवउ त्ति। एवं च गोयमा सव्वं अदरिद्दमकरभरे गोउले काऊणं तेणं अणुच्चरिय नामधिज्जेण परिणीया सा निययधूया सुज्जसिरि-सुज्जसिवेणं। जाया परोप्परं तेसिं पीई। जाव णं नेहाणुराग रंजिय माणसे गमेंति कालं किंचि। ताव णं दट्ठूण गिहागए साहूणो पडिनियत्ते हा हा कंदं करेमाणी पुट्ठा सुज्जसिवेणं सुज्जसिरी जहा– पिए एयं अदिट्ठपुव्वं भिक्खायर जुयलयं दट्ठूणं किमेयावत्थं गयासि। तओ तीए भणियं णणु मज्झं सामिणी एएसिं महया भक्खन्न पाणेणं पत्त भरणं किरियं। तओ पहट्ठ तुट्ठ माणसा उत्त मंगेणं चलणग्गे पणमयंती ता मए अज्ज एएसिं परिदंसणेणं सा संभारिय त्ति। ताहे पुणो वि पुट्ठा सा पावा तेणं। जहा णं पिए का उ तुज्झं सामिणी अहेसि तओ गोयमा णं दढं ऊसुरु सुंभंतीए समण्णुग्घरविसंठुल्लं-सुगगिराए साहियं सव्वं पि निययवुत्तत्तं तस्सेति। ताहे विण्णायं तेण महापावकम्मेणं जहा णं निच्छयं एसा सा ममंगया सुज्जसिरी। न अन्नाए महिलाए एरिसा रूव-कंती-दित्ती-लावन्न-सोहग्ग-समुदयसिरी भवेज्ज त्ति। चिंतिऊण भणिउमाढत्तो, तं जहा | ||
Sutra Meaning : | हे भगवंत ! वो महियारी – गोकुलपति बीबी को उन्होंने डांग से भरा भाजन दिया कि न दिया ? या तो वो महियारी उन के साथ समग्र कर्म का क्षय करके निर्वाण पाई थी ? हे गौतम ! उस महियारी को तांदुल भाजन देने के लिए ढूँढ़ने जा रही थी तब यह ब्राह्मण की बेटी है ऐसा समझकर जा रही थी, तब बीच में ही सुज्ञश्री का अपहरण किया। फिर मधु, दूध खाकर सुज्ञश्रीने पूछा कि कहाँ जाओगे ? गोकुल में दूसरी बात उसे यह बताई कि यदि तुम मेरे साथ विनय से व्यवहार करोगे तो तुम्हें तुम्हारी ईच्छा के अनुसार तीन बार गुड़ और घी से भरे हररोज दूध और भोजन दूँगी। जब ऐसा कहा तब सुज्ञश्री उस महियारी के साथ गई। परलोक अनुष्ठान करने में बेचैन और शुभ – स्थान में पिरोए मानसवाले उस गोविंद ब्राह्मण आदि ने इस सुज्ञश्री को याद भी न किया। उसके बाद जिस प्रकार उस महियारी ने कहा था ऐसी घी – शक्कर से भरी ऐसी खीर आदि का खाना देती थी। अब किसी तरह से कालक्रम बारह साल का भयानक अकाल का समय पूरा हुआ। सारा देश ऋद्धि – समृद्धि से स्थिर हुआ अब किसी समय अनमोल श्रेष्ठ सूर्यकान्त चन्द्रकान्त आदि उत्तम जाति के बीस मणिरत्न खरीदकर सुज्ञशिव अपने देश में वापस जाने के लिए नीकला है। लम्बा सफर करने से खेद पाए हुए देहवाला जिस रास्ते से जा रहा था उस रास्ते में ही भवितव्यता योग से उस महियारी का गोकुल आते ही जिसका नाम लेने में भी पाप है ऐसा वो पापमतिवाला सुज्ञशिव काकतालीय न्याय से आ पहुँचा। समग्र तीन भुवन में जो स्त्री है उसके रूप लावण्य और कान्ति से बढ़िया रूप कान्ति लावण्यवाली सुज्ञश्री को देखकर इन्द्रिय की चपलता से अनन्त दुःख – दायक किंपाक फल की उपमावाले विषय की रम्यता होने से, जिसने समग्र तीनों भुवन को जीता है ऐसे कामदेव के विषय में आए महापापकर्म करनेवाले सुज्ञशिवने उस सुज्ञश्री को कहा कि – हे बालिका ! यदि तुम तुम्हारे माता – पिता अनुमति दे तो में तुमसे शादी करूँ। तुम्हारे बन्धुवर्ग को भी दारिद्र रहित करूँ। फिर तुम्हारे लिए पूरे सों पलप्रमाण सुवर्ण के अलंकार बनवाऊं। जल्द यह बात तुम्हारे माँ – बाप को बताओ, उसके बाद हर्ष और संताप पानेवाली सुज्ञश्रीने महियारी को यह हकीकत बताई। महियारी तुरन्त सुज्ञशिव के पास आकर कहने लगी कि – अरे ! तुम कहते थे ऐसे मेरी बेटी के लिए सो – पल प्रमाण सुवर्ण बताओ, उसने श्रेष्ठ मणि दिखाए। महियारी ने कहा कि सो सोनैया दो, बच्चे को खेलने के लिए पाँचिका का प्रयोजन नहीं है सुज्ञशिव ने कहा – चलो, नगरमें जाकर इस पाँचिका का प्रभाव कैसा है उसकी वहाँ के व्यापारी के पास जाँच करे। उस के बाद प्रभात के समय नगर में जाकर चन्द्रकान्त और सूर्यकान्त मणि के श्रेष्ठ जोड़ला राजा को दिखाया। राजाने मणिरत्न परीक्षक को बुलाकर कहा कि – इस श्रेष्ठ मणि का मूल्य दिखाओ। यदि मूल्य की तुलना – परीक्षा की जाए तो उसका मूल्य बताने के लिए समर्थ नहीं है। तब राजाने कहा अरे माणिक्य के शिष्य ! यहाँ कोई ऐसा पुरुष नहीं कि जो इस मणि का मूल्य जाँच कर सके ? तो अब किंमत करवाए बिना उपर के दश करोड़ द्रव्य ले जा। तब सुज्ञशिव ने कहा कि महाराज की जैसी कृपा हो वो सही है। दूसरी एक विनती यह है कि यह नजदीकी पर्वत के समीप में हमारा एक गोकुल है, उसमें एक योजन तक गोचरभूमि है, उसका राज्य की ओर से लेनेवाला कर मुक्त करवाना। राजाने कहा कि भले, वैसा होगा। इस प्रकार सबको अदरिद्र और करमुक्त गोकुल करके वो उच्चार न करने के लायक नामवाले सुज्ञशिवने अपनी लड़की सुज्ञश्री के साथ शादी की। उन दोनों के बीच आपस में प्रीति पैदा हुई। स्नेहानुराग से रंगे हुए मानस वाले अपना समय बीता रहे हैं। उतने में घर आए हुए साधु को उनको वहोराए बिना वापस जाते देखकर हा हा पूर्वक आक्रंदन करती सुज्ञश्री को सुज्ञशिव ने पूछा कि हे प्रिये ! पहले किसी दिन न देखे हुए भिक्षाचर युगल देखकर क्यों इस तरह उदासीन अवस्था पाई ? तब उसने कहा मेरी मालकीन थी तब इस साधुओं को बहुत भक्ष्य अन्न – पानी देकर उनके पात्र भर देते थे। उस के बाद हर्ष पाई हुई खुश मालकीन मस्तक नीचा कर के उसके चरणाग्रमें प्रणाम करती थी। उन्हें देखते ही मुझे मालकीन याद आ गई। तब फिर उस पापिणी को पूछा कि – तुम्हारी स्वामिनी कौन थी ? तब हे गौतम ! गला बैठ जाए ऐसा रुदन करनेवाली दुःख न समझे ऐसे शब्द बोलते हुए व्याकुल अश्रु गिरानेवाली सुज्ञश्रीने आज दिन तक की सारी बाते बताई। तब महापापकर्मी ऐसे सुज्ञशिव को मालूम हुआ कि – यह तो सुज्ञश्री मेरी ही बेटी है। ऐसी स्त्री को ऐसे रूप कान्ति शोभा लावण्य सौभाग्य शोभा न हो, ऐसा चिन्तवन करके विलाप करने लगा | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] se bhayavam kim tie mayaharie tehim se tamdulamallage payachchhie kim va nam sa vi ya mayahari tattheva tesim samam asesa kammakkhayam kaunam parinivvuda havejja tti. Goyama tie mayaharie tassa nam tamdula mallagassatthae tie mahanie dhuya tti kaunam gachchhamani avamtarale cheva avahariya sa sujjasiri, jaha nam majjham gorasam paribhottunam kahim gachchhasi sampayam tti. Aha vachchamo goulam. Annam cha–jai tumam majjham viniya havejja, ta ahayam tujjham jahichchhae te kaliyam bahu gula ghaenam anudiyaham payasam payachchhihami. Java nam eyam bhaniya tava nam gaya sa sujjasiri tie mayaharie saddhim ti. Tehim pi paraloganutthanekka suhajjhavasayakhittamanasehim na sambhariya ta govimda mahanaihim. Evam tu jaha bhaniyam mayaharie taha cheva tassa ghaya gula payasam payachchhe. Ahannaya kalakkamenam goyama vochchhinne nam duvalasa samvachchharie maharorave darune dubbhikkhe jae nam riddhitthi-miya samiddhe savve vi janavae. Ahannaya panuvisam anaggheyanam pavara sasi surakamtainam mani rayananam ghettuna sadesa gamana-nimittenam dihaddhana parikhinna amgayatthi paha padivannenam tattheva goule, bhaviyavvayaniyogenam agae anuchchariya namadhejje pavamati sujjasive. Dittha ya tenam sa kannaga. Java nam parituliya salaya tihuyana nara nari ruva kamti lavanna tam sujjasirim pasiya chavalattae imdiyanam, rammayae kimpagaphalovamanam, anamta dukkha dayaganam visayanam, vinijjiya-sesatihuyanassa nam goyara gaenam mayara keuno bhaniyanam goyama sa sujjasiri te nam mahapavakammenam sujjasivenam jaha nam he he kannage jai nam ime tujjha samtie janani janage samanumannamti. Ta nam tu ahayam te parinemi. Annam cha karemi savvam pi te bamdhuvaggamadariddam ti. Tujjhamavi ghadavemi palasayamanunagam suvannassa. Ta gachchha, aireneva sahesu mayapittanam. Tao ya goyama java nam pahattha tuttha sa sujjasiri tie mayaharie evam vaiyaram pakahei tava nam takkhanamagamtuna bhanio so mayaharie jaha–bho bho payamsehi nam jam te majjha dhuyae suvanna palasae sumkie. Tahe goyama payamsie tena pavaramani. Tao bhaniyam mayaharie jaha–tam suvannasayam daehi kimeehim dimbharamanagehim pamchitthagehim tahe bhaniyam sujjasivenam jaha nam–ehi vachchamo nagaram damsemi nam aham tujjhamimanam pamchitthaganam mahappam. Tao pabhae gamtuna nagaram payamsiyam sasi sura kamta pavara mani juvalanam tenam naravaino. Naravaina vi saddaviunam bhanie pari-kkhi jaha–imanam paramamaninam kareha mullam. Tollamtehim tu na sakkiram tesim mullam kaunam. Tahe bhaniyam naravaina jaha nam bho bho manikkakhamdiya natthi kei ettha jenam eesim mullam karejja, to ginhasu nam dasakodio davinajayassa. Sujjasivenam bhaniyam–jam maharao pasayam kareti. Navaram inamo asanna pavvayasannihie amhanam goule. Tattha egam cha joyanam java goninam goyarabhumi, tam akarabharam vimumchasu tti. Tao naravaina bhaniyam jaha evam bhavau tti. Evam cha goyama savvam adariddamakarabhare goule kaunam tenam anuchchariya namadhijjena pariniya sa niyayadhuya sujjasiri-sujjasivenam. Jaya paropparam tesim pii. Java nam nehanuraga ramjiya manase gamemti kalam kimchi. Tava nam datthuna gihagae sahuno padiniyatte ha ha kamdam karemani puttha sujjasivenam sujjasiri jaha– pie eyam aditthapuvvam bhikkhayara juyalayam datthunam kimeyavattham gayasi. Tao tie bhaniyam nanu majjham samini eesim mahaya bhakkhanna panenam patta bharanam kiriyam. Tao pahattha tuttha manasa utta mamgenam chalanagge panamayamti ta mae ajja eesim paridamsanenam sa sambhariya tti. Tahe puno vi puttha sa pava tenam. Jaha nam pie ka u tujjham samini ahesi tao goyama nam dadham usuru sumbhamtie samannuggharavisamthullam-sugagirae sahiyam savvam pi niyayavuttattam tasseti. Tahe vinnayam tena mahapavakammenam jaha nam nichchhayam esa sa mamamgaya sujjasiri. Na annae mahilae erisa ruva-kamti-ditti-lavanna-sohagga-samudayasiri bhavejja tti. Chimtiuna bhaniumadhatto, tam jaha | ||
Sutra Meaning Transliteration : | He bhagavamta ! Vo mahiyari – gokulapati bibi ko unhomne damga se bhara bhajana diya ki na diya\? Ya to vo mahiyari una ke satha samagra karma ka kshaya karake nirvana pai thi\? He gautama ! Usa mahiyari ko tamdula bhajana dene ke lie dhumrhane ja rahi thi taba yaha brahmana ki beti hai aisa samajhakara ja rahi thi, taba bicha mem hi sujnyashri ka apaharana kiya. Phira madhu, dudha khakara sujnyashrine puchha ki kaham jaoge\? Gokula mem dusari bata use yaha batai ki yadi tuma mere satha vinaya se vyavahara karoge to tumhem tumhari ichchha ke anusara tina bara gura aura ghi se bhare hararoja dudha aura bhojana dumgi. Jaba aisa kaha taba sujnyashri usa mahiyari ke satha gai. Paraloka anushthana karane mem bechaina aura shubha – sthana mem piroe manasavale usa govimda brahmana adi ne isa sujnyashri ko yada bhi na kiya. Usake bada jisa prakara usa mahiyari ne kaha tha aisi ghi – shakkara se bhari aisi khira adi ka khana deti thi. Aba kisi taraha se kalakrama baraha sala ka bhayanaka akala ka samaya pura hua. Sara desha riddhi – samriddhi se sthira hua aba kisi samaya anamola shreshtha suryakanta chandrakanta adi uttama jati ke bisa maniratna kharidakara sujnyashiva apane desha mem vapasa jane ke lie nikala hai. Lamba saphara karane se kheda pae hue dehavala jisa raste se ja raha tha usa raste mem hi bhavitavyata yoga se usa mahiyari ka gokula ate hi jisaka nama lene mem bhi papa hai aisa vo papamativala sujnyashiva kakataliya nyaya se a pahumcha. Samagra tina bhuvana mem jo stri hai usake rupa lavanya aura kanti se barhiya rupa kanti lavanyavali sujnyashri ko dekhakara indriya ki chapalata se ananta duhkha – dayaka kimpaka phala ki upamavale vishaya ki ramyata hone se, jisane samagra tinom bhuvana ko jita hai aise kamadeva ke vishaya mem ae mahapapakarma karanevale sujnyashivane usa sujnyashri ko kaha ki – He balika ! Yadi tuma tumhare mata – pita anumati de to mem tumase shadi karum. Tumhare bandhuvarga ko bhi daridra rahita karum. Phira tumhare lie pure som palapramana suvarna ke alamkara banavaum. Jalda yaha bata tumhare mam – bapa ko batao, usake bada harsha aura samtapa panevali sujnyashrine mahiyari ko yaha hakikata batai. Mahiyari turanta sujnyashiva ke pasa akara kahane lagi ki – are ! Tuma kahate the aise meri beti ke lie so – pala pramana suvarna batao, usane shreshtha mani dikhae. Mahiyari ne kaha ki so sonaiya do, bachche ko khelane ke lie pamchika ka prayojana nahim hai sujnyashiva ne kaha – chalo, nagaramem jakara isa pamchika ka prabhava kaisa hai usaki vaham ke vyapari ke pasa jamcha kare. Usa ke bada prabhata ke samaya nagara mem jakara chandrakanta aura suryakanta mani ke shreshtha jorala raja ko dikhaya. Rajane maniratna parikshaka ko bulakara kaha ki – isa shreshtha mani ka mulya dikhao. Yadi mulya ki tulana – pariksha ki jae to usaka mulya batane ke lie samartha nahim hai. Taba rajane kaha are manikya ke shishya ! Yaham koi aisa purusha nahim ki jo isa mani ka mulya jamcha kara sake\? To aba kimmata karavae bina upara ke dasha karora dravya le ja. Taba sujnyashiva ne kaha ki maharaja ki jaisi kripa ho vo sahi hai. Dusari eka vinati yaha hai ki yaha najadiki parvata ke samipa mem hamara eka gokula hai, usamem eka yojana taka gocharabhumi hai, usaka rajya ki ora se lenevala kara mukta karavana. Rajane kaha ki bhale, vaisa hoga. Isa prakara sabako adaridra aura karamukta gokula karake vo uchchara na karane ke layaka namavale sujnyashivane apani laraki sujnyashri ke satha shadi ki. Una donom ke bicha apasa mem priti paida hui. Snehanuraga se ramge hue manasa vale apana samaya bita rahe haim. Utane mem ghara ae hue sadhu ko unako vahorae bina vapasa jate dekhakara ha ha purvaka akramdana karati sujnyashri ko sujnyashiva ne puchha ki he priye ! Pahale kisi dina na dekhe hue bhikshachara yugala dekhakara kyom isa taraha udasina avastha pai\? Taba usane kaha meri malakina thi taba isa sadhuom ko bahuta bhakshya anna – pani dekara unake patra bhara dete the. Usa ke bada harsha pai hui khusha malakina mastaka nicha kara ke usake charanagramem pranama karati thi. Unhem dekhate hi mujhe malakina yada a gai. Taba phira usa papini ko puchha ki – tumhari svamini kauna thi\? Taba he gautama ! Gala baitha jae aisa rudana karanevali duhkha na samajhe aise shabda bolate hue vyakula ashru giranevali sujnyashrine aja dina taka ki sari bate batai. Taba mahapapakarmi aise sujnyashiva ko maluma hua ki – yaha to sujnyashri meri hi beti hai. Aisi stri ko aise rupa kanti shobha lavanya saubhagya shobha na ho, aisa chintavana karake vilapa karane laga |