Sr No : |
1013635
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Scripture Name( English ): |
BruhatKalpa
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Translated Scripture Name : |
बृहत्कल्पसूत्र
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Mool Language : |
Ardha-Magadhi
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Translated Language : |
Hindi
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Chapter : |
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Translated Chapter : |
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Section : |
उद्देशक-४
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Translated Section : |
उद्देशक-४
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Sutra Number : |
135
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Category : |
Chheda-02
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Gatha or Sutra : |
Sutra
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Sutra Anuyog : |
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Author : |
Deepratnasagar
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Original Author : |
Gandhar
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Century : |
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Sect : |
Svetambara1
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Source : |
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Mool Sutra : |
[सूत्र] भिक्खू य अहिगरणं कट्टु तं अहिगरणं अविओसवेत्ता नो से कप्पइ गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, बहिया वियारभूमिं वा विहारभूमिं वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, गामानुगामं वा दूइज्जित्तए, गणाओ वा गणं संकमित्तए, वासावासं वा वत्थए।
जत्थेव अप्पणो आयरिय-उवज्झायं पासेज्जा बहुस्सुयं बब्भागमं, तस्संतिए आलोएज्जा पडिक्कमेज्जा निंदेज्जा गरहेज्जा विउट्टेज्जा विसोहेज्जा अकरणयाए अब्भुट्ठेज्जा अहारिहं तवोकम्मं पायच्छित्तं पडिवज्जेज्जा।
से य सुएण पट्ठविए आइयव्वे सिया, से य सुएण नो पट्ठविए नो आइयव्वे सिया। से य सुएण पट्ठविज्जमाणे नो आइयइ, से निज्जूहियव्वे सिया।
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Sutra Meaning : |
यदि कोई साधु कलह करके उस कलह को उपशान्त न करे तो उसे गृहस्थ के घर में भक्त – पान के लिए प्रदेश – निष्क्रमण करना, स्वाध्याय भूमि या मल – मूत्र त्याग भूमि में प्रवेश करना, एक गाँव से दूसरे गाँव जाना, एक गण से दूसरे गण में जाना, वर्षावास रहना न कल्पे। जहाँ वो अपने बहुश्रुत या बहु आगमज्ञ आचार्य या उपाध्याय को देखे वहाँ उनके पास आलोचना – प्रतिक्रमण, निंदा – गर्हा करे, पाप से निवृत्त हो, पाप फल से शुद्ध हो, पुनः पापकर्म न करने के लिए प्रतिज्ञाबद्ध हो, यथायोग्य तपकर्म प्रायश्चित्त स्वीकार करे, लेकिन वो प्रायश्चित्त श्रुतानुसार दिया गया हो तो उसे ग्रहण करना लेकिन श्रुतानुसार न दिया हो तो ग्रहण न करना। यदि वो कलह करनेवाला श्रुतानुसार प्रस्थापित प्रायश्चित्त स्वीकार न करे तो उसे गण से बाहर नीकाल देना।
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Mool Sutra Transliteration : |
[sutra] bhikkhu ya ahigaranam kattu tam ahigaranam aviosavetta no se kappai gahavaikulam bhattae va panae va nikkhamittae va pavisittae va, bahiya viyarabhumim va viharabhumim va nikkhamittae va pavisittae va, gamanugamam va duijjittae, ganao va ganam samkamittae, vasavasam va vatthae.
Jattheva appano ayariya-uvajjhayam pasejja bahussuyam babbhagamam, tassamtie aloejja padikkamejja nimdejja garahejja viuttejja visohejja akaranayae abbhutthejja ahariham tavokammam payachchhittam padivajjejja.
Se ya suena patthavie aiyavve siya, se ya suena no patthavie no aiyavve siya. Se ya suena patthavijjamane no aiyai, se nijjuhiyavve siya.
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Sutra Meaning Transliteration : |
Yadi koi sadhu kalaha karake usa kalaha ko upashanta na kare to use grihastha ke ghara mem bhakta – pana ke lie pradesha – nishkramana karana, svadhyaya bhumi ya mala – mutra tyaga bhumi mem pravesha karana, eka gamva se dusare gamva jana, eka gana se dusare gana mem jana, varshavasa rahana na kalpe. Jaham vo apane bahushruta ya bahu agamajnya acharya ya upadhyaya ko dekhe vaham unake pasa alochana – pratikramana, nimda – garha kare, papa se nivritta ho, papa phala se shuddha ho, punah papakarma na karane ke lie pratijnyabaddha ho, yathayogya tapakarma prayashchitta svikara kare, lekina vo prayashchitta shrutanusara diya gaya ho to use grahana karana lekina shrutanusara na diya ho to grahana na karana. Yadi vo kalaha karanevala shrutanusara prasthapita prayashchitta svikara na kare to use gana se bahara nikala dena.
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