[सूत्र] भिक्खू य गणाओ अवक्कम्म इच्छेज्जा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, नो से कप्पइ अनापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंप-ज्जित्ताणं विहरित्तए;
कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। ते य से वियरेज्जा, एवं से कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए,
ते य से नो वियरेज्जा, एवं से नो कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। जत्थुत्तरियं धम्मविनयं लभेज्जा,
एवं से कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; जत्थुत्तरियं धम्मविनयं नो लभेज्जा,
एवं से नो कप्पइ अन्नं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए।
Sutra Meaning :
यदि कोई साधु – गणावच्छेदक, आचार्य या उपाध्याय अपने गण से नीकलकर दूसरे गण के साथ मांड़ली व्यवहार करना चाहे तो यदि पद पर हो तो अपने पद का त्याग करना और सभी आचार्य यावत् गणावच्छेदक की आज्ञा लिए बिना न कल्पे। यदि आज्ञा माँगे और आचार्य आदि से उन्हें आज्ञा मिले तो अन्य गण के साथ मांड़ली व्यवहार कल्पे, यदि आज्ञा न मिले तो न कल्पे – अन्य गण में उत्कृष्ट धार्मिक शिक्षा आदि प्राप्त होने से न कल्पे।
सूत्र – १२८–१३०
Mool Sutra Transliteration :
[sutra] bhikkhu ya ganao avakkamma ichchhejja annam ganam sambhogapadiyae uvasampajjittanam viharittae, no se kappai anapuchchhitta ayariyam va java ganavachchheiyam va annam ganam sambhogapadiyae uvasampa-jjittanam viharittae;
Kappai se apuchchhitta ayariyam va java ganavachchheiyam va annam ganam sambhogapadiyae uvasampajjittanam viharittae. Te ya se viyarejja, evam se kappai annam ganam sambhogapadiyae uvasampajjittanam viharittae,
Te ya se no viyarejja, evam se no kappai annam ganam sambhogapadiyae uvasampajjittanam viharittae. Jatthuttariyam dhammavinayam labhejja,
Evam se kappai annam ganam sambhogapadiyae uvasampajjittanam viharittae; jatthuttariyam dhammavinayam no labhejja,
Evam se no kappai annam ganam sambhogapadiyae uvasampajjittanam viharittae.
Sutra Meaning Transliteration :
Yadi koi sadhu – ganavachchhedaka, acharya ya upadhyaya apane gana se nikalakara dusare gana ke satha mamrali vyavahara karana chahe to yadi pada para ho to apane pada ka tyaga karana aura sabhi acharya yavat ganavachchhedaka ki ajnya lie bina na kalpe. Yadi ajnya mamge aura acharya adi se unhem ajnya mile to anya gana ke satha mamrali vyavahara kalpe, yadi ajnya na mile to na kalpe – anya gana mem utkrishta dharmika shiksha adi prapta hone se na kalpe.
Sutra – 128–130