Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1007858 | ||
Scripture Name( English ): | Jambudwippragnapati | Translated Scripture Name : | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
वक्षस्कार ७ ज्योतिष्क |
Translated Chapter : |
वक्षस्कार ७ ज्योतिष्क |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 258 | Category : | Upang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] जया णं भंते! सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तदा णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ? गोयमा! पंच-पंच जोयणसहस्साइं दोन्नि य एगावण्णे जोयणसए एगूनतीसं च सट्ठिभाए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ। तदा णं इह-गयस्स मणूसस्स सीयालीसाए जोयणसहस्सेहिं दोहि य तेवट्ठेहिं जोयणसएहिं एगवीसाए य जोयणस्स सट्ठिभाएहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ। से निक्खममाणे सूरिए नवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अब्भंतरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ। जया णं भंते! सूरिए अब्भंतरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ? गोयमा! पंच-पंच जोयणसहस्साइं दोन्नि य एगावण्णे जोयणसए सीयालीसं च सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ। तया णं इहगयस्स मणूसस्स सीयालीसाए जोयणसहस्सेहिं एगूणासीए जोयणसए सत्तावण्णाए य सट्ठिभाएहिं जोयणस्स सट्ठिभागं च एग-सट्ठिहा छेत्ता एगूनवीसाए चुण्णियाभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ। से निक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि अब्भंतरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ। जया णं भंते! सूरिए अब्भंतरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ गोयमा! पंच-पंच जोयणसहस्साइं दोन्नि य बावण्णे जोयणसए पंच य सट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ। तया णं इहगयस्स मनूसस्स सीयालीसाए जोयणसहस्सेहिं छण्णउईए जोयणेहिं तेत्तीसाए सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सट्ठिभागं च एगसट्ठिहा छेत्ता दोहिं चुण्णिया-भागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ। एवं खलु एएणं उवाएणं निक्खममाणे सूरिए तयनंतराओ मंडलाओ तयनंतरं मंडलं संकममाणे-संकममाणे अट्ठारस-अट्ठारस सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले मुहुत्तगइं अभिवड्ढेमाणे-अभिवड्ढेमाणे चुलसीइं-चुलसीइं सीयाइं जोयणाइं पुरिसच्छायं निवड्ढेमाणे-निवड्ढेमाणे सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ। जया णं भंते! सूरिए सव्वबाहिरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ? गोयमा! पंच-पंच जोयणसहस्साइं तिन्नि य पंचुत्तरे जोयणसए पन्नरस य सट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ। तया णं इहगयस्स मणूसस्स एगतीसाए जोयणसहस्सेहिं अट्ठहिं य एगत्तीसेहिं जोयणसएहिं तीसाए य सट्ठिभाएहिं जोयणस्स सूरिए चक्खु-प्फासं हव्वमागच्छइ। एस णं पढमे छम्मासे, एस णं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे। से पविसमाणे सूरिए दोच्चे छम्मासे अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ। जया णं भंते! सूरिए बाहिरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ? गोयमा! पंच-पंच जोयणसहस्साइं तिन्नि य चउरुत्तरे जोयणसए सत्तावण्णं च सट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ। तया णं इहगयस्स मनूसस्स एगत्तीसाए जोयण-सहस्सेहिं नवहिं य सोलसुत्तरेहिं जोयणसएहिं इगुणालीसाए य सट्ठिभाएहिं जोयणस्स सट्ठिभागं च एगसट्ठिहा छेत्ता सट्ठीए चुण्णियाभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ। से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ। जया णं भंते! सूरिए बाहिरतच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ, तया णं एगमेगेणं मुहुत्तेणं केवइयं खेत्तं गच्छइ? गोयमा! पंच-पंच जोयणसहस्साइं तिन्नि य चउरुत्तरे जोयणसए इगुणालीसं च सट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छइ। तया णं इहगयस्स मनूसस्स एगाहिएहिं बत्तीसाए जोयणसहस्सेहिं एगूनपन्नाए य सट्ठिभाएहिं जोयणस्स सट्ठिभागं च एगसट्ठिहा छेत्ता तेवीसाए चुण्णियाभाएहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छइ। एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयणंतराओ मंडलाओ तयनंतरं मंडलं संकम-माणे-संकममाणे अट्ठारस-अट्ठारस सट्ठिभाए जोयणस्स एगमेगे मंडले मुहुत्तगइं निवड्ढेमाणे-निवड्ढेमाणे साइरेगाइं पंचासीइं-पंचासीइं जोयणाइं पुरिसच्छायं अभिवड्ढेमाणे-अभिवड्ढेमाणे सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ। एस णं दोच्चे छम्मासे,एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे,एस णं आइच्चे संवच्छरे,एस णं आइच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे पन्नत्ते। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! जब सूर्य सर्वाभ्यन्तर – मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तो वह एक – एक मुहूर्त्त में कितने क्षेत्र को गमन करता है ? गौतम ! वह एक – एक मुहूर्त्त में ५२५१ – २९/६० योजन पार करता है। उस समय सूर्य यहाँ भरतक्षेत्र – स्थित मनुष्यों को ४७२६३ – २१/६० योजन की दूरी से दृष्टिगोचर होता है। वहाँ से निकलता हुआ सूर्य नव संवत्सर का प्रथम अयन बनाता हुआ प्रथम अहोरात्र में सर्वाभ्यन्तर मण्डल से दूसरे मण्डल पर उप – संक्रान्त होकर गति करता है। दूसरे मण्डल पर उपसंक्रान्त होकर गति करता है, तब वह एक – एक मुहूर्त्त में ५२५१ – ४७/६० योजन क्षेत्र पार करता है। तब यहाँ स्थित मनुष्यों को ४७१७९ – ५७/६० योजन तथा ६० भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के ६१ भागों में से १९ भाग योजनांश की दूरी से सूर्य दृष्टिगोचर होता है। इस क्रम से निष्क्रमण करता हुआ सूर्य पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल को संक्रान्त करता हुआ १८/६० योजन मुहूर्त्त – गति बढ़ाता हुआ, ८४ योजन न्यून पुरुषछायापरिमित कम करता हुआ सर्वबाह्य मण्डल को उपसंक्रान्त कर गति करता है। भगवन् ! जब सूर्य सर्वबाह्य मण्डल को उपसंक्रान्त कर गति करता है, तब वह प्रति मुहूर्त्त कितना क्षेत्र गमन करता है ? गौतम ! वह प्रति मुहूर्त्त ५३०५ – १५/६० योजन गमन करता है – । तब वहाँ स्थित मनुष्यों को वह ३१८३१ – ३०/६० योजन की दूरी से दृष्टिगोचर होता है। ये प्रथम छह मास हैं। सूर्य दूसरे छह मास के प्रथम अहोरात्र में सर्वबाह्य मण्डल से दूसरे बाह्य मण्डल पर उपसंक्रान्त होकर गति करता है। जब सूर्य दूसरे बाह्य मण्डल पर उपसंक्रान्त होकर गति करता है तो वह ५३०४ – ३९/६० योजन प्रति मुहूर्त्त गमन करता है। तब यहाँ स्थित मनुष्यों को वह ३१९१६ – ३९/६० योजन तथा ६० भोगों में विभक्त एक योजन के एक भाग के ६१ भागों में से ६० भाग योजनांश की दूरी से दृष्टिगोचर होता है। यों पूर्वोक्त क्रम से प्रवेश करता हुआ सूर्य पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल पर संक्रमण करता हुआ, प्रतिमण्डल पर निष्क्रमण क्रम से गति करता है। ये दूसरा छह मास है। यह आदित्य – संवत्सर है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] jaya nam bhamte! Surie savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai, tada nam egamegenam muhuttenam kevaiyam khettam gachchhai? Goyama! Pamcha-pamcha joyanasahassaim donni ya egavanne joyanasae egunatisam cha satthibhae egamegenam muhuttenam gachchhai. Tada nam iha-gayassa manusassa siyalisae joyanasahassehim dohi ya tevatthehim joyanasaehim egavisae ya joyanassa satthibhaehim surie chakkhupphasam havvamagachchhai. Se nikkhamamane surie navam samvachchharam ayamane padhamamsi ahorattamsi abbhamtaranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai. Jaya nam bhamte! Surie abbhamtaranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai, taya nam egamegenam muhuttenam kevaiyam khettam gachchhai? Goyama! Pamcha-pamcha joyanasahassaim donni ya egavanne joyanasae siyalisam cha satthibhage joyanassa egamegenam muhuttenam gachchhai. Taya nam ihagayassa manusassa siyalisae joyanasahassehim egunasie joyanasae sattavannae ya satthibhaehim joyanassa satthibhagam cha ega-satthiha chhetta egunavisae chunniyabhagehim surie chakkhupphasam havvamagachchhai. Se nikkhamamane surie dochchamsi ahorattamsi abbhamtaratachcham mamdalam uvasamkamitta charam charai. Jaya nam bhamte! Surie abbhamtaratachcham mamdalam uvasamkamitta charam charai, taya nam egamegenam muhuttenam kevaiyam khettam gachchhai goyama! Pamcha-pamcha joyanasahassaim donni ya bavanne joyanasae pamcha ya satthibhae joyanassa egamegenam muhuttenam gachchhai. Taya nam ihagayassa manusassa siyalisae joyanasahassehim chhannauie joyanehim tettisae satthibhagehim joyanassa satthibhagam cha egasatthiha chhetta dohim chunniya-bhagehim surie chakkhupphasam havvamagachchhai. Evam khalu eenam uvaenam nikkhamamane surie tayanamtarao mamdalao tayanamtaram mamdalam samkamamane-samkamamane attharasa-attharasa satthibhage joyanassa egamege mamdale muhuttagaim abhivaddhemane-abhivaddhemane chulasiim-chulasiim siyaim joyanaim purisachchhayam nivaddhemane-nivaddhemane savvabahiram mamdalam uvasamkamitta charam charai. Jaya nam bhamte! Surie savvabahiramamdalam uvasamkamitta charam charai, taya nam egamegenam muhuttenam kevaiyam khettam gachchhai? Goyama! Pamcha-pamcha joyanasahassaim tinni ya pamchuttare joyanasae pannarasa ya satthibhae joyanassa egamegenam muhuttenam gachchhai. Taya nam ihagayassa manusassa egatisae joyanasahassehim atthahim ya egattisehim joyanasaehim tisae ya satthibhaehim joyanassa surie chakkhu-pphasam havvamagachchhai. Esa nam padhame chhammase, esa nam padhamassa chhammasassa pajjavasane. Se pavisamane surie dochche chhammase ayamane padhamamsi ahorattamsi bahiranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai. Jaya nam bhamte! Surie bahiranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai, taya nam egamegenam muhuttenam kevaiyam khettam gachchhai? Goyama! Pamcha-pamcha joyanasahassaim tinni ya chauruttare joyanasae sattavannam cha satthibhae joyanassa egamegenam muhuttenam gachchhai. Taya nam ihagayassa manusassa egattisae joyana-sahassehim navahim ya solasuttarehim joyanasaehim igunalisae ya satthibhaehim joyanassa satthibhagam cha egasatthiha chhetta satthie chunniyabhagehim surie chakkhupphasam havvamagachchhai. Se pavisamane surie dochchamsi ahorattamsi bahiratachcham mamdalam uvasamkamitta charam charai. Jaya nam bhamte! Surie bahiratachcham mamdalam uvasamkamitta charam charai, taya nam egamegenam muhuttenam kevaiyam khettam gachchhai? Goyama! Pamcha-pamcha joyanasahassaim tinni ya chauruttare joyanasae igunalisam cha satthibhae joyanassa egamegenam muhuttenam gachchhai. Taya nam ihagayassa manusassa egahiehim battisae joyanasahassehim egunapannae ya satthibhaehim joyanassa satthibhagam cha egasatthiha chhetta tevisae chunniyabhaehim surie chakkhupphasam havvamagachchhai. Evam khalu eenam uvaenam pavisamane surie tayanamtarao mamdalao tayanamtaram mamdalam samkama-mane-samkamamane attharasa-attharasa satthibhae joyanassa egamege mamdale muhuttagaim nivaddhemane-nivaddhemane sairegaim pamchasiim-pamchasiim joyanaim purisachchhayam abhivaddhemane-abhivaddhemane savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai. Esa nam dochche chhammase,esa nam dochchassa chhammasassa pajjavasane,esa nam aichche samvachchhare,esa nam aichchassa samvachchharassa pajjavasane pannatte. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Jaba surya sarvabhyantara – mandala ka upasamkramana kara gati karata hai, to vaha eka – eka muhurtta mem kitane kshetra ko gamana karata hai\? Gautama ! Vaha eka – eka muhurtta mem 5251 – 29/60 yojana para karata hai. Usa samaya surya yaham bharatakshetra – sthita manushyom ko 47263 – 21/60 yojana ki duri se drishtigochara hota hai. Vaham se nikalata hua surya nava samvatsara ka prathama ayana banata hua prathama ahoratra mem sarvabhyantara mandala se dusare mandala para upa – samkranta hokara gati karata hai. Dusare mandala para upasamkranta hokara gati karata hai, taba vaha eka – eka muhurtta mem 5251 – 47/60 yojana kshetra para karata hai. Taba yaham sthita manushyom ko 47179 – 57/60 yojana tatha 60 bhagom mem vibhakta eka yojana ke eka bhaga ke 61 bhagom mem se 19 bhaga yojanamsha ki duri se surya drishtigochara hota hai. Isa krama se nishkramana karata hua surya purva mandala se uttara mandala ko samkranta karata hua 18/60 yojana muhurtta – gati barhata hua, 84 yojana nyuna purushachhayaparimita kama karata hua sarvabahya mandala ko upasamkranta kara gati karata hai. Bhagavan ! Jaba surya sarvabahya mandala ko upasamkranta kara gati karata hai, taba vaha prati muhurtta kitana kshetra gamana karata hai\? Gautama ! Vaha prati muhurtta 5305 – 15/60 yojana gamana karata hai –\. Taba vaham sthita manushyom ko vaha 31831 – 30/60 yojana ki duri se drishtigochara hota hai. Ye prathama chhaha masa haim. Surya dusare chhaha masa ke prathama ahoratra mem sarvabahya mandala se dusare bahya mandala para upasamkranta hokara gati karata hai. Jaba surya dusare bahya mandala para upasamkranta hokara gati karata hai to vaha 5304 – 39/60 yojana prati muhurtta gamana karata hai. Taba yaham sthita manushyom ko vaha 31916 – 39/60 yojana tatha 60 bhogom mem vibhakta eka yojana ke eka bhaga ke 61 bhagom mem se 60 bhaga yojanamsha ki duri se drishtigochara hota hai. Yom purvokta krama se pravesha karata hua surya purva mandala se uttara mandala para samkramana karata hua, pratimandala para nishkramana krama se gati karata hai. Ye dusara chhaha masa hai. Yaha aditya – samvatsara hai. |