Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1007771 | ||
Scripture Name( English ): | Jambudwippragnapati | Translated Scripture Name : | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत |
Translated Chapter : |
वक्षस्कार ४ क्षुद्र हिमवंत |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 171 | Category : | Upang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कहि णं भंते! जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे सुकच्छे नामं विजए पन्नत्ते? गोयमा! सीयाए महानईए उत्तरेणं, निलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं, गाहावईए महानईए पच्चत्थिमेणं, चित्तकूडस्स वक्खारपव्वयस्स पुरत्थिमेणं, एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे सुकच्छे नामं विजए पन्नत्ते–उत्तरदाहिणायए जहेव कच्छे विजए तहेव सुकच्छे विजए, नवरं–खेमपुरा रायहानी, सुकच्छे राया समुप्पज्जइ, तहेव सव्वं। कहि णं भंते! जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे गाहावइकुंडे नामं कुंडे पन्नत्ते? गोयमा! सुकच्छस्स विजयस्स पुरत्थिमेणं, महाकच्छस्स विजयस्स पच्चत्थिमेणं, निलवंतस्स वासहर-पव्वयस्स दाहिणिल्ले नितंबे, एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे गाहावइकुंडे नामं कुंडे पन्नत्ते, जहेव रोहियंसा कुंडे तहेव जाव गाहावइदीवे भवने। तस्स णं गाहावइस्स कुंडस्स दाहिणिल्लेणं तोरणेणं गाहावई महानई पवूढा समाणी सुकच्छ-महाकच्छविजए दुहा विभयमाणी-विभयमाणी अट्ठावीसाए सलिलासहस्सेहिं समग्गा दाहिणेणं सीयं महाणइं समप्पेइ। गाहावई णं महानई पवहे य मुहे य सव्वत्थ समा पणवीसं जोयणसयं विक्खंभेणं, अड्ढाइज्जाइं जोयणाइं उव्वेहेणं, उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइयाहिं दोहि य वनसंडेहिं संपरिक्खित्ता, दुण्हवि वण्णओ। कहि णं भंते! महाविदेहे वासे महाकच्छे नामं विजए पन्नत्ते? गोयमा! निलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं, सीयाए महानईए उत्तरेणं, पम्हकूडस्स वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं, गाहावईए महानईए पुरत्थिमेणं, एत्थ णं महाविदेहे वासे महाकच्छे नामं विजए पन्नत्ते, सेसं जहा कच्छस्स विजयस्स जाव महाकच्छे इत्थ देवे महिड्ढीए, अट्ठो य भाणियव्वो। कहि णं भंते! महाविदेहे वासे पम्हकूडे नामं वक्खारपव्वए पन्नत्ते? गोयमा! निलवंतस्स दक्खिणेणं सीयाए महानईए उत्तरेणं महाकच्छस्स पुरत्थिमेणं, कच्छगावईए पच्चत्थिमेणं, एत्थ णं महाविदेहे वासे पम्हकूडे नामं वक्खारपव्वए पन्नत्ते–उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिण्णे, सेसं जहा चित्तकूडस्स जाव आसयंति। पम्हकूडे चत्तारि कूडा पन्नत्ता, तं जहा–सिद्धाययनकूडे पम्हकूडे महाकच्छकूडे कच्छगावईकूडे एवं जाव अट्ठो। पम्हकूडे इत्थ देवे महिड्ढीए पलिओवमट्ठिईए परिवसइ। से तेणट्ठेणं। कहि णं भंते! महाविदेहे वासे कच्छगावती नामं विजए पन्नत्ते? गोयमा! निलवंतस्स दाहिणेणं, सीयाए महानईए उत्तरेणं, दहावतीए महानईए पच्चत्थिमेणं, पम्हकूडस्स पुरत्थिमेणं, एत्थ णं महाविदेहे वासे कच्छगावती नामं विजए पन्नत्ते–उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिण्णे, सेसं जहा कच्छस्स विजयस्स जाव कच्छगावई य इत्थ देवे। कहि णं भंते! महाविदेहे वासे दहावई कुंडे नामं कुंडे पन्नत्ते? गोयमा! आवत्तस्स विजयस्स पच्चत्थिमेणं कच्छगावईए विजयस्स पुरत्थिमेणं, निलवंतस्स दाहिणिल्ले नितंबे, एत्थ णं महाविदेहे वासे दहावईकुंडे नामं कुंडे पन्नत्ते, सेसं जहा गाहावईकुंडस्स जाव अट्ठो। तस्स णं दहावईकुंडस्स दाहिणेणं तोरणेणं दहावई महानई पवूढा समाणी कच्छगावई-आवत्ते विजए दुहा विभयमाणी-विभयमाणी दाहिणेणं सीयं महाणइं समप्पेइ, सेसं जहा गाहावईए। कहि णं भंते! महाविदेहे वासे आवत्ते नामं विजए पन्नत्ते? गोयमा! निलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं, सीयाए महानईए उत्तरेणं, नलिनकूडस्स वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं, दहावतीए महानईए पुरत्थिमेणं, एत्थ णं महाविदेहे वासे आवत्ते नामं विजए पन्नत्ते, सेसं जहा कच्छस्स विजयस्स। कहि णं भंते! महाविदेहे वासे नलिनकूडे नामं वक्खारपव्वए पन्नत्ते? गोयमा! निलवंतस्स दाहिणेणं, सीयाए उत्तरेणं, मंगलावइस्स विजयस्स पच्चत्थिमेणं, आवत्तस्स विजयस्स पुरत्थिमेणं, एत्थ णं महाविदेहे वासे नलिनकूडे नामं वक्खारपव्वए पन्नत्ते–उत्तरदाहिणायए पाईण-पडीणविच्छिण्णे, सेसं जहा चित्तकूडस्स जाव आसयंति। नलिनकूडे णं भंते! कति कूडा पन्नत्ता? गोयमा! चत्तारि कूडा पन्नत्ता, तं जहा–सिद्धायतनकूडे नलिनकूडे आवत्तकूडे मंगलावत्तकूडे। एए कूडा पंचसइया, रायहानीओ उत्तरेणं। कहि णं भंते! महाविदेहे वासे मंगलावत्ते नामं विजए पन्नत्ते? गोयमा! निलवंतस्स दक्खिणेणं, सीयाए उत्तरेणं, नलिनकूडस्स पुरत्थिमेणं, पंकावईए पच्चत्थिमेणं, एत्थ णं मंगलावत्ते नामं विजए पन्नत्ते। जहा कच्छविजए तहा एसो वि भाणियव्वो जाव मंगलावत्ते य इत्थ देवे परिवसइ। से एएणट्ठेणं। कहि णं भंते! महाविदेहे वासे पंकावईकुंडे नामं कुंडे पन्नत्ते? गोयमा! मंगलावत्तस्स पुरत्थिमेणं, पुक्खलवि-जयस्स पच्चत्थिमेणं, निलवंतस्स दाहिणे नितंबे, एत्थ णं पंकावइकुंडे नामं कुंडे पन्नत्ते, तं चेव गाहावइकुंडप्पमाणं। तस्स णं पंकावइकुंडस्स दाहिणिल्लेणं तोरणेणं पंकावती महानदी पवूढा समाणी मंगलावत्त-पुक्खलविजए दुहा विभयमाणी-विभयमाणी अवसेसं तं चेव गाहावईए। कहि णं भंते! महाविदेहे वासे पुक्खले नामं विजए पन्नत्ते? गोयमा! निलवंतस्स दाहिणेणं, सीयाए उत्तरेणं, पंकावईए पुरत्थिमेणं, एगसेलस्स वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं, एत्थ णं पुक्खले नामं विजए पन्नत्ते। जहा कच्छविजए तहा भाणियव्वं जाव पुक्खले य इत्थ देवे महिड्ढीए पलिओवम ट्ठिईए परिवसइ। से एएणट्ठेणं। कहि णं भंते! महाविदेहे वासे एगसेले नामं वक्खारपव्वए पन्नत्ते? गोयमा! पुक्खलचक्कवट्टि-विजयस्स पुरत्थिमेणं, पोक्खलावतीचक्कवट्टिविजयस्स पच्चत्थिमेणं, निलवंतस्स दक्खिणेणं, सीयाए उत्तरेणं, एत्थ णं एगसेले नामं वक्खारप-व्वए पन्नत्ते, चित्तकूडगमेणं नेयव्वो जाव देवा आसयंति। चत्तारि कूडा, तं जहा–सिद्धाययनकूडे एगसेलकूडे पुक्खलकूडे पुक्खलावईकूडे। कूडाणं तं चेव पंचसइयं परिमाणं जाव एगसेले य देवे महिड्ढीए। कहि णं भंते! महाविदेहे वासे पुक्खलावई नामं चक्कवट्टिविजए पन्नत्ते? गोयमा! निलवंतस्स दक्खिणेणं, सीयाए उत्तरेणं, उत्तरिल्लस्स सीयामुहवणस्स पच्चत्थिमेणं, एगसेलस्स वक्खार-पव्वयस्स पुरत्थिमेणं, एत्थ णं महाविदेहे वासे पुक्खलावई नामं विजए पन्नत्ते–उत्तरदाहिणायए, एवं जहा कच्छविजयस्स जाव पुक्खलावई य इत्थ देवे परिवसइ। से एएणट्ठेणं। कहि णं भंते! महाविदेहे वासे सीयाए महानईए उत्तरिल्ले सीयामुहवने नामं वने पन्नत्ते? गोयमा! निलवंतस्स दक्खिणेणं, सीयाए उत्तरेणं, पुरत्थिमलवणसमुद्दस्स पच्चत्थिमेणं, पुक्खलावइ-चक्कवट्टिविजयस्स पुरत्थिमेणं, एत्थ णं सीयामुहवने नामं वने पन्नत्ते–उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणविच्छिन्नेसोलसजोयणसहस्साइं पंच य बाणउए जोयणसए दोन्नि य एगूनवीसइभाए जोयणस्स आयामेणं, सीयामहानइंतेणं दो जोयणसहस्साइं नव य बावीसे जोयणसए विक्खंभेणं, तयनंतरं च णं मायाए-मायाए परिहायमाणे-परिहायमाणे निलवंतवासहरपव्वयंतेणं एगं एगूनवीसइ-भागं जोयणस्स विक्खंभेणं, से णं एगाए पउ-मवरवेइयाए एगेण य वनसंडेणं संपरिक्खित्तं, वण्णओ सीयामुहवणस्स जाव देवा आसयंति। एवं उत्तरिल्लं पासं समत्तं। विजया भणिया। रायहानीओ इमाओ– | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! जम्बूद्वीप के महाविदेह क्षेत्र में सुकच्छ विजय कहाँ है ? गौतम ! शीता महानदी के उत्तर में, नीलवान वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, ग्राहावती महानदी के पश्चिम में तथा चित्रकूट वक्षस्कार पर्वत के पूर्व में है। वह उत्तर – दक्षिण लम्बा है। क्षेमपुरा उसकी राजधानी है। वहाँ सुकच्छ नामक राजा समुत्पन्न होता है। बाकी कच्छ विजय की ज्यों हैं। भगवन् ! जम्बूद्वीप के महाविदेह क्षेत्र में ग्राहावतीकुण्ड कहाँ है ? गौतम ! सुकच्छविजय के पूर्व में, महाकच्छ विजय के पश्चिम में नीलवान वर्षधर पर्वत के दक्षिणी ढलान में है। उस के दक्षिणी तोरण – द्वार से ग्राहावती महानदी निकलती है। वह सुकच्छ महाकच्छ विजय को दो भागों में विभक्त है। उसमें २८००० नदियाँ मिलती हैं। वह उनसे आपूर्ण होकर दक्षिण में शीता महानदी से मिल जाती है। ग्राहावती महानदी उद्गम – स्थान पर, संगम – स्थान पर – सर्वत्र एक समान है। वह १२५ योजन चौड़ी है, अढ़ाई योजन जमीन में गहरी है। वह दोनों ओर दो पद्मवरवेदिकाओं द्वारा, दो वन – खण्डों द्वारा घिरी हैं। भगवन् ! महाविदेह क्षेत्र में महाकच्छ विजय कहाँ है ? गौतम ! नीलवान वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, शीता महानदी के उत्तर में पद्मकूट वक्षस्कार पर्वत के पश्चिम में, ग्राहावती महानदी के पूर्व में है। यहाँ महाकच्छ नामक देव रहता है। महाविदेह क्षेत्र के अन्तर्गत पद्मकूट वक्षस्कार पर्वत कहाँ है ? गौतम ! नीलवान वक्षस्कार पर्वत के दक्षिण में शीता महानदी के उत्तर में, महाकच्छ विजय के पूर्व में, कच्छावती विजय के पश्चिम में है। वह उत्तर – दक्षिण लम्बा है, पूर्व – पश्चिम चौड़ा है। पद्मकूट के चार कूट हैं – सिद्धायतनकूट, पद्मकूट, महाकच्छकूट, कच्छावती कूट। यहाँ परम ऋद्धिशाली, एक पल्योपम आयुष्ययुक्त पद्मकूट देव निवास करता है। गौतम ! इस कारण यह पद्मकूट कहलाता है। भगवन् ! महाविदेह क्षेत्र में कच्छकावती विजय कहाँ है ? गौतम ! नीलवान वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, शीता महानदी के उत्तर में, द्रहावती महानदी के पश्चिम में, पद्मकूट के पूर्व में है। वह उत्तर – दक्षिण लम्बा तथा पूर्व – पश्चिम चौड़ा है। यहाँ कच्छकावती नामक देव निवास करता है। महाविदेह क्षेत्र में द्रहावतीकुण्ड कहाँ है? गौतम ! आवर्त विजय के पश्चिम में, कच्छकावती विजय के पूर्व में, नीलवान वर्षधर पर्वत के दक्षिणी ढलान में है। उस द्रहावतीकुण्ड के दक्षिणी तोरण – द्वार से द्रहावती महानदी निकलती है। वह कच्छावती तथा आवर्त विजय को दो भागों में बाँटती है। दक्षिण में शीतोदा महानदी में मिल जाती है। भगवन् ! महाविदेह क्षेत्र में आवर्त विजय कहाँ है ? गौतम ! नीलवान वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, शीता महानदी के उत्तर में, नलिनकूट वक्षस्कार पर्वत के पश्चिम में तथा द्रहावती महानदी के पूर्व में है। महाविदेह क्षेत्र में नलिनकूट वक्षस्कार पर्वत कहाँ है ? गौतम ! नीलवान वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, शीता महानदी के उत्तर में, मंगलावती विजय के पश्चिम में तथा आवर्त विजय के पूर्व में है। वह उत्तर – दक्षिण लम्बा एवं पूर्व – पश्चिम चौड़ा है। भगवन् ! नलिनकूट के कितने कूट हैं ? गौतम ! चार – सिद्धायतनकूट, नलिनकूट, आवर्तकूट तथा मंगलावर्तकूट। ये कूट पाँच सो योजन ऊंचे हैं। राजधानियाँ उत्तर में हैं। भगवन् ! महाविदेह क्षेत्र में मंगलावर्त विजय कहाँ है ? गौतम ! नीलवान वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, शीता महानदी के उत्तर में, नलिनकूट के पूर्व में, पंकावती के पश्चिम में है। वहाँ मंगलावर्त नामक देव निवास करता है। इस कारण वह मंगलावर्त कहा जाता है। महाविदेह क्षेत्र में पंकावतीकुण्ड कुण्ड कहाँ है ? गौतम ! मंगलावर्त विजय के पूर्व में, पुष्कल विजय के पश्चिम में, नीलवान वर्षधर पर्वत के दक्षिणी ढलान में है। उससे पंकावती नदी निकलती है, जो मंगलावर्त विजय तथा पुष्कलावर्त विजय को दो भागों में विभक्त करती है। महाविदेह क्षेत्र में पुष्कलावर्त विजय कहाँ है ? गौतम ! नीलवान वर्षधर पर्वत के दक्षिण में शीता महानदी के उत्तर में, पंकावती के पूर्व में एकशैल वक्षस्कार पर्वत के पश्चिम में है। यहाँ एक पल्योपम आयुष्य युक्त पुष्कल देव निवास करता है। भगवन् ! महाविदेह क्षेत्र में एकशैल वक्षस्कार पर्वत कहाँ है ? गौतम ! पुष्कलावर्त – चक्रवर्ती – विजय के पूर्व में, पुष्कलावती – चक्रवर्ती – विजय के पश्चिम में, नीलवान वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, शीता महानदी के उत्तर में है। उसके चार कूट हैं – सिद्धायतनकूट, एकशैलकूट, पुष्कलावर्तकूट तथा पुष्कलावतीकूट। ये पाँच सौ योजन ऊंचे हैं। उस पर एकशैल नामक देव निवास करता है। महाविदेह क्षेत्र में पुष्कलावती चक्रवर्ती – विजय कहाँ है ? गौतम ! नीलवान वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, शीता महानदी के उत्तर में, उत्तरवर्ती शीतामुखवन के पश्चिम में, एकशैल वक्षस्कारपर्वत के पूर्व में है। उसमें पुष्कलावती नामक देव निवास करता है। भगवन् ! महाविदेह क्षेत्र में शीता महानदी के उत्तर में शीतामुख वन कहाँ है ? गौतम ! नीलवान वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, शीता महानदी के उत्तर में, पूर्वी लवणसमुद्र के पश्चिम में, पुष्कलावती चक्रवर्ती – विजय के पूर्व में है। वह १६५९२ – २/१९ योजन लम्बा है। शीता महानदी के पास २९२२ योजन चौड़ा है। तत्पश्चात् विस्तार क्रमशः घटता जाता है। नीलवान वर्षधर पर्वत के पास यह केवल १/१९ योजन चौड़ा रह जाता है। यह वन एक पद्मवरवेदिका तथा एक वन – खण्ड द्वारा संपरिवृत्त है। विभिन्न विजयों की राजधानियाँ इस प्रकार हैं – | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kahi nam bhamte! Jambuddive dive mahavidehe vase sukachchhe namam vijae pannatte? Goyama! Siyae mahanaie uttarenam, nilavamtassa vasaharapavvayassa dahinenam, gahavaie mahanaie pachchatthimenam, chittakudassa vakkharapavvayassa puratthimenam, ettha nam jambuddive dive mahavidehe vase sukachchhe namam vijae pannatte–uttaradahinayae jaheva kachchhe vijae taheva sukachchhe vijae, navaram–khemapura rayahani, sukachchhe raya samuppajjai, taheva savvam. Kahi nam bhamte! Jambuddive dive mahavidehe vase gahavaikumde namam kumde pannatte? Goyama! Sukachchhassa vijayassa puratthimenam, mahakachchhassa vijayassa pachchatthimenam, nilavamtassa vasahara-pavvayassa dahinille nitambe, ettha nam jambuddive dive mahavidehe vase gahavaikumde namam kumde pannatte, jaheva rohiyamsa kumde taheva java gahavaidive bhavane. Tassa nam gahavaissa kumdassa dahinillenam toranenam gahavai mahanai pavudha samani sukachchha-mahakachchhavijae duha vibhayamani-vibhayamani atthavisae salilasahassehim samagga dahinenam siyam mahanaim samappei. Gahavai nam mahanai pavahe ya muhe ya savvattha sama panavisam joyanasayam vikkhambhenam, addhaijjaim joyanaim uvvehenam, ubhao pasim dohim paumavaraveiyahim dohi ya vanasamdehim samparikkhitta, dunhavi vannao. Kahi nam bhamte! Mahavidehe vase mahakachchhe namam vijae pannatte? Goyama! Nilavamtassa vasaharapavvayassa dahinenam, siyae mahanaie uttarenam, pamhakudassa vakkharapavvayassa pachchatthimenam, gahavaie mahanaie puratthimenam, ettha nam mahavidehe vase mahakachchhe namam vijae pannatte, sesam jaha kachchhassa vijayassa java mahakachchhe ittha deve mahiddhie, attho ya bhaniyavvo. Kahi nam bhamte! Mahavidehe vase pamhakude namam vakkharapavvae pannatte? Goyama! Nilavamtassa dakkhinenam siyae mahanaie uttarenam mahakachchhassa puratthimenam, kachchhagavaie pachchatthimenam, ettha nam mahavidehe vase pamhakude namam vakkharapavvae pannatte–uttaradahinayae painapadinavichchhinne, sesam jaha chittakudassa java asayamti. Pamhakude chattari kuda pannatta, tam jaha–siddhayayanakude pamhakude mahakachchhakude kachchhagavaikude evam java attho. Pamhakude ittha deve mahiddhie paliovamatthiie parivasai. Se tenatthenam. Kahi nam bhamte! Mahavidehe vase kachchhagavati namam vijae pannatte? Goyama! Nilavamtassa dahinenam, siyae mahanaie uttarenam, dahavatie mahanaie pachchatthimenam, pamhakudassa puratthimenam, ettha nam mahavidehe vase kachchhagavati namam vijae pannatte–uttaradahinayae painapadinavichchhinne, sesam jaha kachchhassa vijayassa java kachchhagavai ya ittha deve. Kahi nam bhamte! Mahavidehe vase dahavai kumde namam kumde pannatte? Goyama! Avattassa vijayassa pachchatthimenam kachchhagavaie vijayassa puratthimenam, nilavamtassa dahinille nitambe, ettha nam mahavidehe vase dahavaikumde namam kumde pannatte, sesam jaha gahavaikumdassa java attho. Tassa nam dahavaikumdassa dahinenam toranenam dahavai mahanai pavudha samani kachchhagavai-avatte vijae duha vibhayamani-vibhayamani dahinenam siyam mahanaim samappei, sesam jaha gahavaie. Kahi nam bhamte! Mahavidehe vase avatte namam vijae pannatte? Goyama! Nilavamtassa vasaharapavvayassa dahinenam, siyae mahanaie uttarenam, nalinakudassa vakkharapavvayassa pachchatthimenam, dahavatie mahanaie puratthimenam, ettha nam mahavidehe vase avatte namam vijae pannatte, sesam jaha kachchhassa vijayassa. Kahi nam bhamte! Mahavidehe vase nalinakude namam vakkharapavvae pannatte? Goyama! Nilavamtassa dahinenam, siyae uttarenam, mamgalavaissa vijayassa pachchatthimenam, avattassa vijayassa puratthimenam, ettha nam mahavidehe vase nalinakude namam vakkharapavvae pannatte–uttaradahinayae paina-padinavichchhinne, sesam jaha chittakudassa java asayamti. Nalinakude nam bhamte! Kati kuda pannatta? Goyama! Chattari kuda pannatta, tam jaha–siddhayatanakude nalinakude avattakude mamgalavattakude. Ee kuda pamchasaiya, rayahanio uttarenam. Kahi nam bhamte! Mahavidehe vase mamgalavatte namam vijae pannatte? Goyama! Nilavamtassa dakkhinenam, siyae uttarenam, nalinakudassa puratthimenam, pamkavaie pachchatthimenam, ettha nam mamgalavatte namam vijae pannatte. Jaha kachchhavijae taha eso vi bhaniyavvo java mamgalavatte ya ittha deve parivasai. Se eenatthenam. Kahi nam bhamte! Mahavidehe vase pamkavaikumde namam kumde pannatte? Goyama! Mamgalavattassa puratthimenam, pukkhalavi-jayassa pachchatthimenam, nilavamtassa dahine nitambe, ettha nam pamkavaikumde namam kumde pannatte, tam cheva gahavaikumdappamanam. Tassa nam pamkavaikumdassa dahinillenam toranenam pamkavati mahanadi pavudha samani mamgalavatta-pukkhalavijae duha vibhayamani-vibhayamani avasesam tam cheva gahavaie. Kahi nam bhamte! Mahavidehe vase pukkhale namam vijae pannatte? Goyama! Nilavamtassa dahinenam, siyae uttarenam, pamkavaie puratthimenam, egaselassa vakkharapavvayassa pachchatthimenam, ettha nam pukkhale namam vijae pannatte. Jaha kachchhavijae taha bhaniyavvam java pukkhale ya ittha deve mahiddhie paliovama tthiie parivasai. Se eenatthenam. Kahi nam bhamte! Mahavidehe vase egasele namam vakkharapavvae pannatte? Goyama! Pukkhalachakkavatti-vijayassa puratthimenam, pokkhalavatichakkavattivijayassa pachchatthimenam, nilavamtassa dakkhinenam, siyae uttarenam, ettha nam egasele namam vakkharapa-vvae pannatte, chittakudagamenam neyavvo java deva asayamti. Chattari kuda, tam jaha–siddhayayanakude egaselakude pukkhalakude pukkhalavaikude. Kudanam tam cheva pamchasaiyam parimanam java egasele ya deve mahiddhie. Kahi nam bhamte! Mahavidehe vase pukkhalavai namam chakkavattivijae pannatte? Goyama! Nilavamtassa dakkhinenam, siyae uttarenam, uttarillassa siyamuhavanassa pachchatthimenam, egaselassa vakkhara-pavvayassa puratthimenam, ettha nam mahavidehe vase pukkhalavai namam vijae pannatte–uttaradahinayae, evam jaha kachchhavijayassa java pukkhalavai ya ittha deve parivasai. Se eenatthenam. Kahi nam bhamte! Mahavidehe vase siyae mahanaie uttarille siyamuhavane namam vane pannatte? Goyama! Nilavamtassa dakkhinenam, siyae uttarenam, puratthimalavanasamuddassa pachchatthimenam, pukkhalavai-chakkavattivijayassa puratthimenam, ettha nam siyamuhavane namam vane pannatte–uttaradahinayae painapadinavichchhinnesolasajoyanasahassaim pamcha ya banaue joyanasae donni ya egunavisaibhae joyanassa ayamenam, siyamahanaimtenam do joyanasahassaim nava ya bavise joyanasae vikkhambhenam, tayanamtaram cha nam mayae-mayae parihayamane-parihayamane nilavamtavasaharapavvayamtenam egam egunavisai-bhagam joyanassa vikkhambhenam, se nam egae pau-mavaraveiyae egena ya vanasamdenam samparikkhittam, vannao siyamuhavanassa java deva asayamti. Evam uttarillam pasam samattam. Vijaya bhaniya. Rayahanio imao– | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Jambudvipa ke mahavideha kshetra mem sukachchha vijaya kaham hai\? Gautama ! Shita mahanadi ke uttara mem, nilavana varshadhara parvata ke dakshina mem, grahavati mahanadi ke pashchima mem tatha chitrakuta vakshaskara parvata ke purva mem hai. Vaha uttara – dakshina lamba hai. Kshemapura usaki rajadhani hai. Vaham sukachchha namaka raja samutpanna hota hai. Baki kachchha vijaya ki jyom haim. Bhagavan ! Jambudvipa ke mahavideha kshetra mem grahavatikunda kaham hai\? Gautama ! Sukachchhavijaya ke purva mem, mahakachchha vijaya ke pashchima mem nilavana varshadhara parvata ke dakshini dhalana mem hai. Usa ke dakshini torana – dvara se grahavati mahanadi nikalati hai. Vaha sukachchha mahakachchha vijaya ko do bhagom mem vibhakta hai. Usamem 28000 nadiyam milati haim. Vaha unase apurna hokara dakshina mem shita mahanadi se mila jati hai. Grahavati mahanadi udgama – sthana para, samgama – sthana para – sarvatra eka samana hai. Vaha 125 yojana chauri hai, arhai yojana jamina mem gahari hai. Vaha donom ora do padmavaravedikaom dvara, do vana – khandom dvara ghiri haim. Bhagavan ! Mahavideha kshetra mem mahakachchha vijaya kaham hai\? Gautama ! Nilavana varshadhara parvata ke dakshina mem, shita mahanadi ke uttara mem padmakuta vakshaskara parvata ke pashchima mem, grahavati mahanadi ke purva mem hai. Yaham mahakachchha namaka deva rahata hai. Mahavideha kshetra ke antargata padmakuta vakshaskara parvata kaham hai\? Gautama ! Nilavana vakshaskara parvata ke dakshina mem shita mahanadi ke uttara mem, mahakachchha vijaya ke purva mem, kachchhavati vijaya ke pashchima mem hai. Vaha uttara – dakshina lamba hai, purva – pashchima chaura hai. Padmakuta ke chara kuta haim – siddhayatanakuta, padmakuta, mahakachchhakuta, kachchhavati kuta. Yaham parama riddhishali, eka palyopama ayushyayukta padmakuta deva nivasa karata hai. Gautama ! Isa karana yaha padmakuta kahalata hai. Bhagavan ! Mahavideha kshetra mem kachchhakavati vijaya kaham hai\? Gautama ! Nilavana varshadhara parvata ke dakshina mem, shita mahanadi ke uttara mem, drahavati mahanadi ke pashchima mem, padmakuta ke purva mem hai. Vaha uttara – dakshina lamba tatha purva – pashchima chaura hai. Yaham kachchhakavati namaka deva nivasa karata hai. Mahavideha kshetra mem drahavatikunda kaham hai? Gautama ! Avarta vijaya ke pashchima mem, kachchhakavati vijaya ke purva mem, nilavana varshadhara parvata ke dakshini dhalana mem hai. Usa drahavatikunda ke dakshini torana – dvara se drahavati mahanadi nikalati hai. Vaha kachchhavati tatha avarta vijaya ko do bhagom mem bamtati hai. Dakshina mem shitoda mahanadi mem mila jati hai. Bhagavan ! Mahavideha kshetra mem avarta vijaya kaham hai\? Gautama ! Nilavana varshadhara parvata ke dakshina mem, shita mahanadi ke uttara mem, nalinakuta vakshaskara parvata ke pashchima mem tatha drahavati mahanadi ke purva mem hai. Mahavideha kshetra mem nalinakuta vakshaskara parvata kaham hai\? Gautama ! Nilavana varshadhara parvata ke dakshina mem, shita mahanadi ke uttara mem, mamgalavati vijaya ke pashchima mem tatha avarta vijaya ke purva mem hai. Vaha uttara – dakshina lamba evam purva – pashchima chaura hai. Bhagavan ! Nalinakuta ke kitane kuta haim\? Gautama ! Chara – siddhayatanakuta, nalinakuta, avartakuta tatha mamgalavartakuta. Ye kuta pamcha so yojana umche haim. Rajadhaniyam uttara mem haim. Bhagavan ! Mahavideha kshetra mem mamgalavarta vijaya kaham hai\? Gautama ! Nilavana varshadhara parvata ke dakshina mem, shita mahanadi ke uttara mem, nalinakuta ke purva mem, pamkavati ke pashchima mem hai. Vaham mamgalavarta namaka deva nivasa karata hai. Isa karana vaha mamgalavarta kaha jata hai. Mahavideha kshetra mem pamkavatikunda kunda kaham hai\? Gautama ! Mamgalavarta vijaya ke purva mem, pushkala vijaya ke pashchima mem, nilavana varshadhara parvata ke dakshini dhalana mem hai. Usase pamkavati nadi nikalati hai, jo mamgalavarta vijaya tatha pushkalavarta vijaya ko do bhagom mem vibhakta karati hai. Mahavideha kshetra mem pushkalavarta vijaya kaham hai\? Gautama ! Nilavana varshadhara parvata ke dakshina mem shita mahanadi ke uttara mem, pamkavati ke purva mem ekashaila vakshaskara parvata ke pashchima mem hai. Yaham eka palyopama ayushya yukta pushkala deva nivasa karata hai. Bhagavan ! Mahavideha kshetra mem ekashaila vakshaskara parvata kaham hai\? Gautama ! Pushkalavarta – chakravarti – vijaya ke purva mem, pushkalavati – chakravarti – vijaya ke pashchima mem, nilavana varshadhara parvata ke dakshina mem, shita mahanadi ke uttara mem hai. Usake chara kuta haim – siddhayatanakuta, ekashailakuta, pushkalavartakuta tatha pushkalavatikuta. Ye pamcha sau yojana umche haim. Usa para ekashaila namaka deva nivasa karata hai. Mahavideha kshetra mem pushkalavati chakravarti – vijaya kaham hai\? Gautama ! Nilavana varshadhara parvata ke dakshina mem, shita mahanadi ke uttara mem, uttaravarti shitamukhavana ke pashchima mem, ekashaila vakshaskaraparvata ke purva mem hai. Usamem pushkalavati namaka deva nivasa karata hai. Bhagavan ! Mahavideha kshetra mem shita mahanadi ke uttara mem shitamukha vana kaham hai\? Gautama ! Nilavana varshadhara parvata ke dakshina mem, shita mahanadi ke uttara mem, purvi lavanasamudra ke pashchima mem, pushkalavati chakravarti – vijaya ke purva mem hai. Vaha 16592 – 2/19 yojana lamba hai. Shita mahanadi ke pasa 2922 yojana chaura hai. Tatpashchat vistara kramashah ghatata jata hai. Nilavana varshadhara parvata ke pasa yaha kevala 1/19 yojana chaura raha jata hai. Yaha vana eka padmavaravedika tatha eka vana – khanda dvara samparivritta hai. Vibhinna vijayom ki rajadhaniyam isa prakara haim – |