Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )

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Sr No : 1007704
Scripture Name( English ): Jambudwippragnapati Translated Scripture Name : जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

वक्षस्कार ३ भरतचक्री

Translated Chapter :

वक्षस्कार ३ भरतचक्री

Section : Translated Section :
Sutra Number : 104 Category : Upang-07
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] तए णं से दिव्वे चक्करयणे गंगाए देवीए अट्ठाहियाए महामहिमाए निव्वत्ताए समाणीए आउहघर- सालाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता अंतलिक्खपडिवण्णे जक्खसहस्ससंपरिवुडे दिव्वतुडिय सद्दसन्निनादेणं पूरेंते चेव अंबरतलं गंगाए महानईए पच्चत्थिमिल्लेणं कूलेणं दाहिणदिसिं खंडप्पवाय गुहाभिमुहे पयाए यावि होत्था। तते णं से भरहे राया तं दिव्वं चक्करयणं गंगाए महानईए पच्चत्थिमिल्लेणं कूलेणं दाहिणदिसिं खंडप्पवायगुहाभिमुहं पयातं चावि पासइ, पासित्ता हट्ठतुट्ठ-चित्तमानंदिए जाव जेणेव खंडप्पवायगुहा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सव्वा कय-मालकवत्तव्वया नेयव्वा, नवरि–नट्ट-मालगे देवे, पीतिदाणं से आलंकारियभंडं कडगाणि य, सेसं सव्वं तहेव जाव अट्ठाहिया महामहिमा। तए णं से भरहे राया नट्टमालगस्स देवस्स अट्ठाहियाए महामहिमाए निव्वत्ताए समाणीए सुसेणं सेनावइं सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी– गच्छाहि णं भो देवानुप्पिया! गंगाए महानईए पुरत्थिमिल्लं निक्खुडं सगंगासागरगिरिमेरागं समविसमणिक्खुडाणि य ओयवेहिं, ओयवेत्ता अग्गाइं वराइं रयणाइं पडिच्छाहि, पडिच्छित्ता ममेयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहि जाव सिंधुगमो नेयव्वो जाव तओ महाणइमुत्तरित्तु गंगं अप्पडिहयसासणे य सेनावई गंगाए महानईए पुरत्थिमिल्लं निक्खडं सगंगासागरगिरिमेरागं समविसमणिक्खुडाणि य ओयवेइ, ओयवेत्ता अग्गाणि वराणि रयणाणि पडिच्छइ, पडिच्छित्ता जेणेव गंगा महानई तेणेव उवा गच्छइ, उवागच्छित्ता दोच्चं पि सखंधावारबले गंगामहानइं विमलजलतुंगवीइं नावाभूएणं चम्मरयणेणं उत्तरइ, उत्तरित्ता जेणेव भरहस्स रन्नो विजय-खंधावारनिवेसे जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता आभिसेक्काओ हत्थिरयणाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता अग्गाइं वराइं रयणाइं गहाय जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु भरहं रायं जएणं विजएणं वद्धावेइ, वद्धावेत्ता अग्गाइं वराइं रयणाइं उवनेइ। तए णं से भरहे राया सुसेणस्स सेनावइस्स अग्गाइं वराइं रयणाइं पडिच्छइ, पडिच्छित्ता सुसेणं सेनावइं सक्कारेइ सम्मानेइ, सक्कारेत्ता सम्मानेत्ता पडिविसज्जेइ। तए णं से सुसेने सेनावई भरहस्स रन्नो अंतियाओ पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव सए आवासे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मज्जनघरमणुपविसति अनुपवसित्ता ण्हाए, सेसंपि तहेव जाव विहरइ। तए णं से भरहे राया अन्नया कयाइ सुसेणं सेनावइरयणं सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी–गच्छण्णं भो देवानुप्पिया! खंडगप्पवायगुहाए उत्तरिल्लस्स दुवारस्स कवाडे विहाडेहि, विहाडेत्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहि। तए णं से सुसेने सेनावई जहा तिमिसगुहाए तहा भाणियव्वं जाव दंडरयणं गहाय सत्तट्ठपयाइं पच्चोसक्कइ, पच्चोसक्कित्ता खंडप्पवायगुहाए उत्तरिल्लस्स दुवारस्स कवाडे दंडरयणेणं महया-महया सद्देणं तिक्खुत्तो आउडेइ। तए णं खंडप्पवायगुहाए उत्तरिल्लस्स दुवारस्स कवाडा सुसेणसेनावइणा दंडरयणेणं महया-महया सद्देणं तिक्खुत्तो आउडिया समाणा महया-महया सद्देणं कोंचारवं करेमाणा सरसरस्स सगाइं-सगाइं ठाणाइं पच्चोसक्कित्था। तए णं से सुसेने सेनावई खंडप्पवाहगुहाए उत्तरिल्लस्स दुवारस्स कवाडे विहाडेइ, विहाडेत्ता जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भरहं रायं करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु जएणं विजएणं वद्धावेइ, वद्धावेत्ता एवं वयासी– विहाडिया णं देवानुप्पिया! खंडप्पवायगुहाए उत्तरिल्लस्स दुवारस्स कवाडा, एयण्णं देवानुप्पियाणं पियं निवदेमो, पियं भे भवउ, सेसं तहेव जाव भरहो उत्तरिल्लेणं दुवारेणं अईइ ससिव्व मेहंधकारनिवहं। तए णं से भरहे राया छत्तलं दुवालसंसियं अट्ठकण्णियं अहिगरणिसंठियं अट्ठसोवण्णियं कागनिरयणं परामुसइ। तए णं तं चउरंगुलप्पमाणमित्तं अट्ठसुवण्णं च विसहरणं अउलं चउरंससंठाणसंठियं समतलं, माणुम्माणजोगा जतो लोगे चरंति सव्वजणपन्नवगा, नवि चंदो नवि तत्थ सूरो नवि अग्गी नवि तत्थ मणिणो तिमिरं नासेंति अंधकारे, जत्थ तकं दिव्वप्पभावजुत्तं दुवालसजोयणाइं तस्स लेसाओ विवड्ढंति तिमिरणिगरपडिसेहियाओ, रत्तिं च सव्वकालं खंधावारे करेइ आलोयं दिवसभूयं जस्स पभावेण चक्कवट्टी, खंडप्पवायगुहमतीति सेन्नसहिए रायपवरे कागणिं गहाय खंडप्पवायगुहाए पच्चत्थिमिल्ल-पुरत्थिमिल्लेसु कडएसुं जोयणंतरियाइं पंचधनुसयायामविक्खंभाइं जोयणुज्जोय कराइं चक्कणेमीसंठियाइं चंदमंडलपडिनिकासाइं एगूणपन्नं मंडलाइं आलिहमाणे-आलिहमाणे अनुप्पविसइ। तए णं सा खंडप्पवायगुहा भरहेणं रन्ना तेहिं जोयणंतरिएहिं पंचधनुसयायामविक्खंभेहिं जोयणुज्जोयकरेहिं एगूनपन्नाए मंडलेहिं आलिहिज्जमाणेहिं-आलिहिज्जमाणेहिं खिप्पामेव आलोगभूया उज्जोयभूया दिवसभूया जाया यावि होत्था। तीसे णं खंडगप्पवायगुहाए बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं उम्मुग्ग-निमुग्गजलाओ नामं दुवे महा-नईओ पन्नत्ताओ, जाओ णं खंडप्पवायगुहाए पच्चत्थिमिल्लाओ कडगाओ पवूढाओ समाणीओ पुरत्थिमेणं गंगं महाणइं समप्पेंति, सेसं तहेव नवरिं –पच्चत्थिमिल्लेणं कूलेणं गंगाए संकमवत्तव्वया तहेव। तए णं तीसे खंडगप्पवायगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडा सयमेव महया-महया कोंचारवं करेमाणा-करेमाणा सरसरस्स सगाइं-सगाइं ठाणाइं पच्चोसक्कित्था। तए णं से भरहे राया चक्करयणदेसियमग्गे अनेगरायवरसहस्साणुयायमग्गे महयाउक्किट्ठि-सीहनायबोलकलकलरवेणं पक्खुभियमहासमुद्दरवभूयंपिव करेमाणे-करेमाणे खंडगप्पवायगुहाओ दक्खिणिल्लेणं दारेणं नीनेइ ससिव्व मेहंधकारनिवहाओ।
Sutra Meaning : तत्पश्चात्‌ वह दिव्य चक्ररत्न शस्त्रागार से बाहर निकला। उसने गंगा महानदी के पश्चिमी किनारे दक्षिण दिशा के खण्डप्रपात गुफा की ओर प्रयाण किया। तब राजा भरत खण्डप्रपात गुफा आया। शेष कथन तमिस्रा गुफा के अधिपति कृतमाल देव समान है। केवल इतना सा अन्तर है, खण्डप्रपात गुफा के अधिपति नृत्तमालक देव ने प्रीतिदान के रूप में राजा भरत को आभूषणों से भरा हुआ पात्र, कटक – भेंट किये। नृत्तमालक देव को विजय करने के उपलक्ष्य में आयोजित अष्टदिवसीय महोत्सव के सम्पन्न हो जाने पर राजा भरत ने सेनापति सुषेण को बुलाया। शेष कथन सिन्धुदेवी समान है। सेनापति सुषेण ने गंगा महानदी के पूर्वभागवर्ती कोण – प्रदेश को, जो पश्चिम में महानदी से, पूर्व में समुद्र से, दक्षिण में वैताढ्य पर्वत से एवं उत्तर में लघु हिमवान्‌ पर्वत से मर्यादित था, तथा सम – विषम अवान्तरक्षेत्रीय कोणवर्ती भागों को साधा। श्रेष्ठ, उत्तम रत्न भेंट में प्राप्त किये। वैसा कर सेनापति सुषेण गंगा महानदी आया। उसने निर्मल जल की ऊंची उछलती लहरों से युक्त गंगा महानदी को नौका के रूप में परिणत चर्मरत्न द्वारा सेना सहित पार किया। जहाँ राजा भरत था, वहाँ आकर आभिषेक्य हस्तिरत्न से नीचे ऊतरा। उत्तम, श्रेष्ठ रत्न लिये, जहाँ दोनों हाथ जोड़े अंजलि बाँधे राजा भरत को जय – विजय समर्पित किए। राजा भरत ने सेनापति सुषेण द्वारा समर्पित रत्न स्वीकार कर सेनापति सुषेण का सत्कार किया, सम्मान किया। विदा किया। शेष कथन पूर्ववत्‌ जानना। तत्पश्चात्‌ एक समय राजा भरत ने सेनापतिरत्न सुषेण को बुलाकर कहा – जाओ, खण्डप्रपात गुफा के उत्तरी द्वार के कपाट उद्‌घाटित करो। शेष कथन तमिस्रा गुफा के समान है। फिर राजा भरत उत्तरी द्वार से गया। सघन अन्धकार को चीर कर जैसे चन्द्रमा आगे बढ़ता है, उसी तरह खण्डप्रपात गुफा में प्रविष्ट हुआ, मण्डलों का आलेखन किया। खण्डप्रपात गुफा के ठीक बीच के भाग में उन्मग्न जला तथा निमग्नजला नामक दो बड़ी नदियाँ नीकलती हैं। इनका वर्णन पूर्ववत्‌ है। केवल इतना अन्तर है, ये नदियाँ खण्डप्रपात गुफा के पश्चिमी भाग से निकलती हुई, आगे बढ़ती हुई पूर्वी भाग में गंगा महानदी में मिल जाती हैं। शेष वर्णन पूर्ववत्‌। केवल इतना अन्तर है, पुल गंगा के पश्चिमी किनारे पर बनाया। तत्पश्चात्‌ खण्डप्रपात गुफा के दक्षिणी द्वार के कपाट क्रौञ्चपक्षी की ज्यों जोर से आवाज करते हुए सरसराहट के साथ स्वयमेव अपने स्थान से सरक गये, चक्ररत्न द्वारा निर्देशित मार्ग का अनुसरण करता हुआ, राजा भरत निबिड अन्धकार को चीर कर आगे बढ़ते हुए चन्द्रमा की ज्यों खण्डप्रपात गुफा के दक्षिणी द्वार से निकला।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] tae nam se divve chakkarayane gamgae devie atthahiyae mahamahimae nivvattae samanie auhaghara- salao padinikkhamai, padinikkhamitta amtalikkhapadivanne jakkhasahassasamparivude divvatudiya saddasanninadenam puremte cheva ambaratalam gamgae mahanaie pachchatthimillenam kulenam dahinadisim khamdappavaya guhabhimuhe payae yavi hottha. Tate nam se bharahe raya tam divvam chakkarayanam gamgae mahanaie pachchatthimillenam kulenam dahinadisim khamdappavayaguhabhimuham payatam chavi pasai, pasitta hatthatuttha-chittamanamdie java jeneva khamdappavayaguha teneva uvagachchhai, uvagachchhitta savva kaya-malakavattavvaya neyavva, navari–natta-malage deve, pitidanam se alamkariyabhamdam kadagani ya, sesam savvam taheva java atthahiya mahamahima. Tae nam se bharahe raya nattamalagassa devassa atthahiyae mahamahimae nivvattae samanie susenam senavaim saddavei, saddavetta evam vayasi– gachchhahi nam bho devanuppiya! Gamgae mahanaie puratthimillam nikkhudam sagamgasagaragirimeragam samavisamanikkhudani ya oyavehim, oyavetta aggaim varaim rayanaim padichchhahi, padichchhitta mameyamanattiyam pachchappinahi java simdhugamo neyavvo java tao mahanaimuttarittu gamgam appadihayasasane ya senavai gamgae mahanaie puratthimillam nikkhadam sagamgasagaragirimeragam samavisamanikkhudani ya oyavei, oyavetta aggani varani rayanani padichchhai, padichchhitta jeneva gamga mahanai teneva uva gachchhai, uvagachchhitta dochcham pi sakhamdhavarabale gamgamahanaim vimalajalatumgaviim navabhuenam chammarayanenam uttarai, uttaritta jeneva bharahassa ranno vijaya-khamdhavaranivese jeneva bahiriya uvatthanasala teneva uvagachchhai, uvagachchhitta abhisekkao hatthirayanao pachchoruhai, pachchoruhitta aggaim varaim rayanaim gahaya jeneva bharahe raya teneva uvagachchhai, uvagachchhitta karayalapariggahiyam sirasavattam matthae amjalim kattu bharaham rayam jaenam vijaenam vaddhavei, vaddhavetta aggaim varaim rayanaim uvanei. Tae nam se bharahe raya susenassa senavaissa aggaim varaim rayanaim padichchhai, padichchhitta susenam senavaim sakkarei sammanei, sakkaretta sammanetta padivisajjei. Tae nam se susene senavai bharahassa ranno amtiyao padinikkhamati, padinikkhamitta jeneva sae avase teneva uvagachchhai, uvagachchhitta majjanagharamanupavisati anupavasitta nhae, sesampi taheva java viharai. Tae nam se bharahe raya annaya kayai susenam senavairayanam saddavei, saddavetta evam vayasi–gachchhannam bho devanuppiya! Khamdagappavayaguhae uttarillassa duvarassa kavade vihadehi, vihadetta mama eyamanattiyam pachchappinahi. Tae nam se susene senavai jaha timisaguhae taha bhaniyavvam java damdarayanam gahaya sattatthapayaim pachchosakkai, pachchosakkitta khamdappavayaguhae uttarillassa duvarassa kavade damdarayanenam mahaya-mahaya saddenam tikkhutto audei. Tae nam khamdappavayaguhae uttarillassa duvarassa kavada susenasenavaina damdarayanenam mahaya-mahaya saddenam tikkhutto audiya samana mahaya-mahaya saddenam komcharavam karemana sarasarassa sagaim-sagaim thanaim pachchosakkittha. Tae nam se susene senavai khamdappavahaguhae uttarillassa duvarassa kavade vihadei, vihadetta jeneva bharahe raya teneva uvagachchhai, uvagachchhitta bharaham rayam karayalapariggahiyam sirasavattam matthae amjalim kattu jaenam vijaenam vaddhavei, vaddhavetta evam vayasi– Vihadiya nam devanuppiya! Khamdappavayaguhae uttarillassa duvarassa kavada, eyannam devanuppiyanam piyam nivademo, piyam bhe bhavau, sesam taheva java bharaho uttarillenam duvarenam aii sasivva mehamdhakaranivaham. Tae nam se bharahe raya chhattalam duvalasamsiyam atthakanniyam ahigaranisamthiyam atthasovanniyam kaganirayanam paramusai. Tae nam tam chauramgulappamanamittam atthasuvannam cha visaharanam aulam chauramsasamthanasamthiyam samatalam, manummanajoga jato loge charamti savvajanapannavaga, navi chamdo navi tattha suro navi aggi navi tattha manino timiram nasemti amdhakare, jattha takam divvappabhavajuttam duvalasajoyanaim tassa lesao vivaddhamti timiranigarapadisehiyao, rattim cha savvakalam khamdhavare karei aloyam divasabhuyam jassa pabhavena chakkavatti, khamdappavayaguhamatiti sennasahie rayapavare kaganim gahaya khamdappavayaguhae pachchatthimilla-puratthimillesu kadaesum joyanamtariyaim pamchadhanusayayamavikkhambhaim joyanujjoya karaim chakkanemisamthiyaim chamdamamdalapadinikasaim egunapannam mamdalaim alihamane-alihamane anuppavisai. Tae nam sa khamdappavayaguha bharahenam ranna tehim joyanamtariehim pamchadhanusayayamavikkhambhehim joyanujjoyakarehim egunapannae mamdalehim alihijjamanehim-alihijjamanehim khippameva alogabhuya ujjoyabhuya divasabhuya jaya yavi hottha. Tise nam khamdagappavayaguhae bahumajjhadesabhae ettha nam ummugga-nimuggajalao namam duve maha-naio pannattao, jao nam khamdappavayaguhae pachchatthimillao kadagao pavudhao samanio puratthimenam gamgam mahanaim samappemti, sesam taheva navarim –pachchatthimillenam kulenam gamgae samkamavattavvaya taheva. Tae nam tise khamdagappavayaguhae dahinillassa duvarassa kavada sayameva mahaya-mahaya komcharavam karemana-karemana sarasarassa sagaim-sagaim thanaim pachchosakkittha. Tae nam se bharahe raya chakkarayanadesiyamagge anegarayavarasahassanuyayamagge mahayaukkitthi-sihanayabolakalakalaravenam pakkhubhiyamahasamuddaravabhuyampiva karemane-karemane khamdagappavayaguhao dakkhinillenam darenam ninei sasivva mehamdhakaranivahao.
Sutra Meaning Transliteration : Tatpashchat vaha divya chakraratna shastragara se bahara nikala. Usane gamga mahanadi ke pashchimi kinare dakshina disha ke khandaprapata gupha ki ora prayana kiya. Taba raja bharata khandaprapata gupha aya. Shesha kathana tamisra gupha ke adhipati kritamala deva samana hai. Kevala itana sa antara hai, khandaprapata gupha ke adhipati nrittamalaka deva ne pritidana ke rupa mem raja bharata ko abhushanom se bhara hua patra, kataka – bhemta kiye. Nrittamalaka deva ko vijaya karane ke upalakshya mem ayojita ashtadivasiya mahotsava ke sampanna ho jane para raja bharata ne senapati sushena ko bulaya. Shesha kathana sindhudevi samana hai. Senapati sushena ne gamga mahanadi ke purvabhagavarti kona – pradesha ko, jo pashchima mem mahanadi se, purva mem samudra se, dakshina mem vaitadhya parvata se evam uttara mem laghu himavan parvata se maryadita tha, tatha sama – vishama avantarakshetriya konavarti bhagom ko sadha. Shreshtha, uttama ratna bhemta mem prapta kiye. Vaisa kara senapati sushena gamga mahanadi aya. Usane nirmala jala ki umchi uchhalati laharom se yukta gamga mahanadi ko nauka ke rupa mem parinata charmaratna dvara sena sahita para kiya. Jaham raja bharata tha, vaham akara abhishekya hastiratna se niche utara. Uttama, shreshtha ratna liye, jaham donom hatha jore amjali bamdhe raja bharata ko jaya – vijaya samarpita kie. Raja bharata ne senapati sushena dvara samarpita ratna svikara kara senapati sushena ka satkara kiya, sammana kiya. Vida kiya. Shesha kathana purvavat janana. Tatpashchat eka samaya raja bharata ne senapatiratna sushena ko bulakara kaha – jao, khandaprapata gupha ke uttari dvara ke kapata udghatita karo. Shesha kathana tamisra gupha ke samana hai. Phira raja bharata uttari dvara se gaya. Saghana andhakara ko chira kara jaise chandrama age barhata hai, usi taraha khandaprapata gupha mem pravishta hua, mandalom ka alekhana kiya. Khandaprapata gupha ke thika bicha ke bhaga mem unmagna jala tatha nimagnajala namaka do bari nadiyam nikalati haim. Inaka varnana purvavat hai. Kevala itana antara hai, ye nadiyam khandaprapata gupha ke pashchimi bhaga se nikalati hui, age barhati hui purvi bhaga mem gamga mahanadi mem mila jati haim. Shesha varnana purvavat. Kevala itana antara hai, pula gamga ke pashchimi kinare para banaya. Tatpashchat khandaprapata gupha ke dakshini dvara ke kapata kraunchapakshi ki jyom jora se avaja karate hue sarasarahata ke satha svayameva apane sthana se saraka gaye, chakraratna dvara nirdeshita marga ka anusarana karata hua, raja bharata nibida andhakara ko chira kara age barhate hue chandrama ki jyom khandaprapata gupha ke dakshini dvara se nikala.