Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1007634 | ||
Scripture Name( English ): | Jambudwippragnapati | Translated Scripture Name : | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
वक्षस्कार २ काळ |
Translated Chapter : |
वक्षस्कार २ काळ |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 34 | Category : | Upang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तीसे णं भंते! समाए भरहे वासे मनुयाणं केरिसए आगारभावपडोयारे पन्नत्ते? गोयमा! तेणं मनुया सुपइट्ठियकुम्मचारुचलणा जाव लक्खण-वंजण-गुणोववेया सुजाय-सुविभत्त-संगयंगा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा। तीसे णं भंते! समाए भरहे वासे मणुईणं केरिसए आगारभावपडोयारे पन्नत्ते? गोयमा! ताओ णं मणुईओ सुजायसव्वंगसुंदरीओ पहाणमहिलागुणेहिं जुत्ताओ अइकंत-विसप्पमाणमउय-सुकुमाल-कुम्मसंठिय-विसिट्ठचलणाओ उज्जु-मउय पीवर-सुसाहयंगुलीओ अब्भुन्नय-रइय-तलिण-तंब सुइ निद्धनक्खा रोमरहिय-वट्ट-लट्टसंठिय-अजहण्ण-पसत्थलक्खण-अक्कोप्प-जंघजुयला सुनिम्मिय-सुगूढसुजाणू मंसलसुबद्धसंधीओ कयलीखंभाइरेकसंठिय-निव्वण-सुकुमाल-मउय-मंसलअविरल-समसंहियसुजायवट्टपीवरनिरंतरोरू अट्ठावयवीचिपट्ठसंठिय पसत्थ विच्छिण्ण पिहुल सोणी वयणायामप्पमाण-दुगुणिय-विसाल-मंसल-सुबद्धजहणवरधारिणीओ वज्जविराइय-पसत्थ लक्खणनिरोदरा तिवलियवलिय तणुणमियमज्झियाओ उज्जुय-सम-सहिय-जच्चतणु-कसिण-निद्ध-आदेज्ज-लडह-सुजाय-सुविभत्त-कंत-सोभंत-रुइल-रमणिज्जरोमराई गंगावत्त-पयाहिणावत्त -तरंगभंगुर-रविकिरण-तरुणबोहिय आकोसायंतपउम-गंभीरवियडणाभा अनुब्भड-पसत्थ-पीण कुच्छी सण्णयपासा संगयपासा सुजायपासा मियमाइयपीणरइयपासा अकरंडुय-कनगरुयगणिम्मल सुजाय णिरुवहयगायलट्ठी कंचनकलसप्पमाण सम सहित लट्ठ चूचुयआमेलग जमलजुयल वट्टिय अब्भुन्नयपीणरइयपीवरपयोहराओ भुजंगअनुपुव्वतणुय-गोपुच्छवट्टसम-संहिय नमिय... ... आदेज्ज ललियबाहा तंबनहा मंसलग्गहत्था पीवरकोमलबरंगुलीया निद्धपाणिलेहा रवि ससि संख चक्क सोत्थिय विभत्तसुविरइयपाणिलेहा पीणुण्णयकक्ख वक्ख वत्थिप्पएसा पडिपुण्ण-गलकवोला चउरंगुलसुप्पमाण-कंबुबरसरिसगोवा मंसल संठिय पसत्थहणुगा दाडिमपुप्फप्पगास पीवरपलंब कुंचियवराधरा सुंदरुत्तरोट्ठा दहिदगरयचंदकुंदवासंति-मउलधवल-अच्छिद्दविमलदसना रत्तुप्पलपत्त- मउयसुकुमालतालुजीहा कणवीरमउलअकुडि-लअब्भुग्गय-उज्जुतुंगनासा सारदनव कमलकुमुय-कुवलयविमलदलणियर-सरिसलक्खणपसत्थ-अजिम्हकंत-नयना पत्तल-चवलायंत-तंबलोयणाओ आणामियचावरुइल किण्हब्भराइ-संगय-सुजाय-भुमगा अल्लीण-पमाणजुत्तसवणा सुसवणा पीण मट्ठ गंडलेहा चउरंस पसत्थ समनिडाला कोमुईरयणियर विमलपडिपुण्णसोमवयणा छत्तुण्णयउत्तिमंगा अकविल सुसिणिद्ध सुगंधदीहसिरया... ...छत्त ज्झय जूय थूभ दामिणि कमंडलु कलस वावि सोत्थिय पडाग जव मच्छ कुम्म रहवर मगरज्झय अंक थाल अंकुस अट्ठावय सुपइट्ठग मयूर सिरियाभिसेय तोरण मेइणि उदहि वरभवन गिरि वरआयंस सलीलगय उसभ सीह चामर उत्तमपसत्थबत्तीसलक्खणधरीओ हंससरिसगईओ कोइलमहुरगिरसुस्सराओ कंता सव्वस्स अणुमयाओ ववगयवलिपलिय वंग दुव्वण्ण वाहि दोहग्ग सोगमुक्का उच्चत्तेण य णराण थोवूणमुस्सिआओ सभावसिंगारचारुवेसा संगयगय हसिय भणिय चिट्ठिय विलास संलाव निउणजुत्तोवयारकुसला सुंदरथण जहण वयण कर चलण नयन लावण्ण रूव जोव्वण विलासकलिया नंदनवनविवरचारिणीउव्व अच्छराओ भरहवासमाणुसच्छराओ अच्छेरग-पेच्छणिज्जाओ पासाईयाओ दरिसणिज्जाओ अभिरूवाओ पडिरूवाओ। ते णं मनुया ओहस्सरा हंसस्सरा कोंचस्सरा नंदिस्सरा नंदिघोसा सीहस्सरा सीहघोसा सूसरा सूसरनिग्घोसा छायाउज्जोवियंगमंगा वज्जरिसहनारायसंघयणा समचउरंससंठाणसंठिया छविनिरा- तंका अनुलोमवाउवेगा कंकग्गहणी कवोयपरिणामा सउणिपोस पिट्ठंतरोरुपरिणया छद्धणुसहस्स- मूसिया। तेसि णं मनुयाणं बे छप्पन्ना पिट्ठिकरंडकसया पन्नत्ता समणाउसो! पउमुप्पलगंध- सरिस-नीसाससुरभिवयणा। ते णं मनुया पगइउवसंता पगइपयणुकोहमानमायालोभा मिउमद्दव-संपन्ना अल्लीणा भद्दगा विनीया अप्पिच्छा असन्निहिसंचया विडिमंतरपरिवसना जहिच्छियकामकामिणो। | ||
Sutra Meaning : | उस समय भरतक्षेत्र में मनुष्यों का आकार – स्वरूप कैसा था ? गौतम ! उस समय वहाँ के मनुष्य बड़े सुन्दर, दर्शनीय, अभिरूप एवं प्रतिरूप थे। उनके चरण – सुन्दर रचना युक्त तथा कछुए की तरह उठे हुए होने से मनोज्ञ प्रतीत होते थे इत्यादि वर्णन पूर्ववत्। भगवन् ! उस समय भरतक्षेत्र में स्त्रियों का आकार – स्वरूप कैसा था ? गौतम ! वे स्त्रियाँ – उस काल की स्त्रियाँ श्रेष्ठ तथा सर्वांगसुन्दरियाँ थीं। वे उत्तम महिलोचित गुणों से युक्त थीं। उन के पैर अत्यन्त सुन्दर, विशिष्ट प्रमाणोपेत, मृदुल, सुकुमार तथा कच्छपसंस्थान – संस्थित थे। पैरों की अंगुलियाँ सरल, कोमल, परिपुष्ट – एवं सुसंगत थीं। अंगुलियों के नख समुन्नत, रतिद, पतले, ताम्र वर्ण के हलके लाल, शुचि, स्निग्ध थे। उन के जंघा – युगल रोमरहित, वृत्त, रम्य – संस्थान युक्त, उत्कृष्ट, प्रशस्त लक्षण युक्त, अद्वेष्य थे। उन के जानु – मंडल सुनिर्मित, सुगूढ तथा अनुपलक्ष्य थे, सुदृढ स्नायु – बंधनों से युक्त थे। उन के ऊरु केले के स्तंभ जैसे आकार से भी अधिक सुन्दर, घावों के चिह्नों से रहित, सुकुमार, सुकोमल, मांसल, अविरल, सम, सदृश – परिमाण युक्त, सुगठित, सुजात, वृत्त, गोल, पीवर, निरंतर थे। उनके श्रोणिप्रदेश अखंडित द्यूत – फलक जैसे आकार युक्त प्रशस्त, विस्तीर्ण तथा भारी थे। विशाल, मांसल, सुगठित और अत्यन्त सुन्दर थे। उन के देह के मध्यभाग वज्ररत्न जैसे सुहावने, उत्तम लक्षण युक्त, विकृत उदर रहित, त्रिवली युक्त, गोलाकार एवं पतले थे। उन की रोमराजियाँ सरल, सम, संहित, उत्तम, पतली, कृष्ण वर्णयुक्त, चिकनी, आदेय, लालित्यपूर्ण, तथा सुरचित, सुविभक्त, कान्त, शोभित और रुचिकर थीं। नाभि गंगा के भंवर की तरह गोल, घुमावदार, सुन्दर, विकसित होते कमलों के समान विकट थीं। उन के कुक्षिप्रदेश, अस्पष्ट, प्रशस्त थे। पसवाडे सन्नत, संगत, सुनिष्पन्न, मनोहर थे। देहयष्टियाँ मांसलता लिए थीं, वे देदीप्यमान, निर्मल, सुनिर्मित, निरुपहत थीं। उनके स्तन स्वर्ण – घट सदृश थे, परस्पर समान, संहित से, सुन्दर अग्रभाग युक्त, सम श्रेणिक, गोलाकार, अभ्युन्नत, कठोर तथा स्थूल थे। भुजाएं सर्प की ज्यों क्रमशः नीचे की ओर पतली, गाय की पूँछ की ज्यों गोल, परस्पर समान, नमित आदेय तथा सुललित थीं। नख तांबे की ज्यों कुछ – कुछ लाल थे। यावत् वे सुन्दर, दर्शनीया, अभिरूपा एवं प्रतिरूपा थी। भरतक्षेत्र के मनुष्य ओघस्वर, मधुर स्वर युक्त, क्रौंच स्वर से युक्त तथा नन्दी स्वर युक्त थे। उनका स्वर एवं घोष या गर्जना सिंह जैसी जोशीली थी। स्वर तथा घोष में निराली शोभा थी। देह में अंग – अंग प्रभा से उद्योतित थे। वे वज्रऋषभनाराच संहनन, समचौरस संस्थानवाले थे। चमड़ी में किसी प्रकार का आतंक नहीं था। वे देह के अन्तर्वर्ती पवन के उचित वेग, कंक पक्षी की तरह निर्दोष गुदाशय से युक्त एवं कबूतर की तरह प्रबल पाचनशक्ति वाले थे। उनके आपान – स्थान पक्षी की ज्यों निर्लेप थे। उन के पृष्ठभाग तथा ऊरु सुदृढ़ थे। वे छह हजार धनुष ऊंचे होते थे। मनुष्यों की पसलियों की दो सौ छप्पन हड्डियाँ होती थीं। उनकी साँस पद्म एवं उत्पल की – सी अथवा पद्म तथा कुष्ठ नामक गन्ध – द्रव्यों की – सी सुगन्ध लिए होती थी, जिससे उन के मुँह सदा सुवासित रहते थे। वे मनुष्य शान्त प्रकृति के थे। उन के जीवन में क्रोध, मान, माया और लोभ की मात्रा मन्द थी। उन का व्यवहार मृदु, सुखावह था। वे आलीन, गुप्त, चेष्टारत थे। वे भद्र, विनीत, अल्पेच्छ, संग्रह नहीं रखनेवाले, भवनों की आकृति के वृक्षों के भीतर बसनेवाले और ईच्छानुसार काम भोग भोगनेवाले थे। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tise nam bhamte! Samae bharahe vase manuyanam kerisae agarabhavapadoyare pannatte? Goyama! Tenam manuya supaitthiyakummacharuchalana java lakkhana-vamjana-gunovaveya sujaya-suvibhatta-samgayamga pasadiya darisanijja abhiruva padiruva. Tise nam bhamte! Samae bharahe vase manuinam kerisae agarabhavapadoyare pannatte? Goyama! Tao nam manuio sujayasavvamgasumdario pahanamahilagunehim juttao aikamta-visappamanamauya-sukumala-kummasamthiya-visitthachalanao ujju-mauya pivara-susahayamgulio abbhunnaya-raiya-talina-tamba sui niddhanakkha romarahiya-vatta-lattasamthiya-ajahanna-pasatthalakkhana-akkoppa-jamghajuyala sunimmiya-sugudhasujanu mamsalasubaddhasamdhio kayalikhambhairekasamthiya-nivvana-sukumala-mauya-mamsalaavirala-samasamhiyasujayavattapivaraniramtaroru atthavayavichipatthasamthiya pasattha vichchhinna pihula soni vayanayamappamana-duguniya-visala-mamsala-subaddhajahanavaradharinio vajjaviraiya-pasattha lakkhananirodara tivaliyavaliya tanunamiyamajjhiyao ujjuya-sama-sahiya-jachchatanu-kasina-niddha-adejja-ladaha-sujaya-suvibhatta-kamta-sobhamta-ruila-ramanijjaromarai gamgavatta-payahinavatta -taramgabhamgura-ravikirana-tarunabohiya akosayamtapauma-gambhiraviyadanabha anubbhada-pasattha-pina kuchchhi sannayapasa samgayapasa sujayapasa miyamaiyapinaraiyapasa akaramduya-kanagaruyaganimmala sujaya niruvahayagayalatthi kamchanakalasappamana sama sahita lattha chuchuyaamelaga jamalajuyala vattiya abbhunnayapinaraiyapivarapayoharao bhujamgaanupuvvatanuya-gopuchchhavattasama-samhiya namiya.. .. Adejja laliyabaha tambanaha mamsalaggahattha pivarakomalabaramguliya niddhapanileha ravi sasi samkha chakka sotthiya vibhattasuviraiyapanileha pinunnayakakkha vakkha vatthippaesa padipunna-galakavola chauramgulasuppamana-kambubarasarisagova mamsala samthiya pasatthahanuga dadimapupphappagasa pivarapalamba kumchiyavaradhara sumdaruttarottha dahidagarayachamdakumdavasamti-mauladhavala-achchhiddavimaladasana rattuppalapatta- mauyasukumalatalujiha kanaviramaulaakudi-laabbhuggaya-ujjutumganasa saradanava kamalakumuya-kuvalayavimaladalaniyara-sarisalakkhanapasattha-ajimhakamta-nayana pattala-chavalayamta-tambaloyanao anamiyachavaruila kinhabbharai-samgaya-sujaya-bhumaga allina-pamanajuttasavana susavana pina mattha gamdaleha chauramsa pasattha samanidala komuirayaniyara vimalapadipunnasomavayana chhattunnayauttimamga akavila susiniddha sugamdhadihasiraya.. ..Chhatta jjhaya juya thubha damini kamamdalu kalasa vavi sotthiya padaga java machchha kumma rahavara magarajjhaya amka thala amkusa atthavaya supaitthaga mayura siriyabhiseya torana meini udahi varabhavana giri varaayamsa salilagaya usabha siha chamara uttamapasatthabattisalakkhanadhario hamsasarisagaio koilamahuragirasussarao kamta savvassa anumayao vavagayavalipaliya vamga duvvanna vahi dohagga sogamukka uchchattena ya narana thovunamussiao sabhavasimgaracharuvesa samgayagaya hasiya bhaniya chitthiya vilasa samlava niunajuttovayarakusala sumdarathana jahana vayana kara chalana nayana lavanna ruva jovvana vilasakaliya namdanavanavivarachariniuvva achchharao bharahavasamanusachchharao achchheraga-pechchhanijjao pasaiyao darisanijjao abhiruvao padiruvao. Te nam manuya ohassara hamsassara komchassara namdissara namdighosa sihassara sihaghosa susara susaranigghosa chhayaujjoviyamgamamga vajjarisahanarayasamghayana samachauramsasamthanasamthiya chhavinira- tamka anulomavauvega kamkaggahani kavoyaparinama sauniposa pitthamtaroruparinaya chhaddhanusahassa- musiya. Tesi nam manuyanam be chhappanna pitthikaramdakasaya pannatta samanauso! Paumuppalagamdha- sarisa-nisasasurabhivayana. Te nam manuya pagaiuvasamta pagaipayanukohamanamayalobha miumaddava-sampanna allina bhaddaga viniya appichchha asannihisamchaya vidimamtaraparivasana jahichchhiyakamakamino. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Usa samaya bharatakshetra mem manushyom ka akara – svarupa kaisa tha\? Gautama ! Usa samaya vaham ke manushya bare sundara, darshaniya, abhirupa evam pratirupa the. Unake charana – sundara rachana yukta tatha kachhue ki taraha uthe hue hone se manojnya pratita hote the ityadi varnana purvavat. Bhagavan ! Usa samaya bharatakshetra mem striyom ka akara – svarupa kaisa tha\? Gautama ! Ve striyam – usa kala ki striyam shreshtha tatha sarvamgasundariyam thim. Ve uttama mahilochita gunom se yukta thim. Una ke paira atyanta sundara, vishishta pramanopeta, mridula, sukumara tatha kachchhapasamsthana – samsthita the. Pairom ki amguliyam sarala, komala, paripushta – evam susamgata thim. Amguliyom ke nakha samunnata, ratida, patale, tamra varna ke halake lala, shuchi, snigdha the. Una ke jamgha – yugala romarahita, vritta, ramya – samsthana yukta, utkrishta, prashasta lakshana yukta, adveshya the. Una ke janu – mamdala sunirmita, sugudha tatha anupalakshya the, sudridha snayu – bamdhanom se yukta the. Una ke uru kele ke stambha jaise akara se bhi adhika sundara, ghavom ke chihnom se rahita, sukumara, sukomala, mamsala, avirala, sama, sadrisha – parimana yukta, sugathita, sujata, vritta, gola, pivara, niramtara the. Unake shronipradesha akhamdita dyuta – phalaka jaise akara yukta prashasta, vistirna tatha bhari the. Vishala, mamsala, sugathita aura atyanta sundara the. Una ke deha ke madhyabhaga vajraratna jaise suhavane, uttama lakshana yukta, vikrita udara rahita, trivali yukta, golakara evam patale the. Una ki romarajiyam sarala, sama, samhita, uttama, patali, krishna varnayukta, chikani, adeya, lalityapurna, tatha surachita, suvibhakta, kanta, shobhita aura ruchikara thim. Nabhi gamga ke bhamvara ki taraha gola, ghumavadara, sundara, vikasita hote kamalom ke samana vikata thim. Una ke kukshipradesha, aspashta, prashasta the. Pasavade sannata, samgata, sunishpanna, manohara the. Dehayashtiyam mamsalata lie thim, ve dedipyamana, nirmala, sunirmita, nirupahata thim. Unake stana svarna – ghata sadrisha the, paraspara samana, samhita se, sundara agrabhaga yukta, sama shrenika, golakara, abhyunnata, kathora tatha sthula the. Bhujaem sarpa ki jyom kramashah niche ki ora patali, gaya ki pumchha ki jyom gola, paraspara samana, namita adeya tatha sulalita thim. Nakha tambe ki jyom kuchha – kuchha lala the. Yavat ve sundara, darshaniya, abhirupa evam pratirupa thi. Bharatakshetra ke manushya oghasvara, madhura svara yukta, kraumcha svara se yukta tatha nandi svara yukta the. Unaka svara evam ghosha ya garjana simha jaisi joshili thi. Svara tatha ghosha mem nirali shobha thi. Deha mem amga – amga prabha se udyotita the. Ve vajrarishabhanaracha samhanana, samachaurasa samsthanavale the. Chamari mem kisi prakara ka atamka nahim tha. Ve deha ke antarvarti pavana ke uchita vega, kamka pakshi ki taraha nirdosha gudashaya se yukta evam kabutara ki taraha prabala pachanashakti vale the. Unake apana – sthana pakshi ki jyom nirlepa the. Una ke prishthabhaga tatha uru sudrirha the. Ve chhaha hajara dhanusha umche hote the. Manushyom ki pasaliyom ki do sau chhappana haddiyam hoti thim. Unaki samsa padma evam utpala ki – si athava padma tatha kushtha namaka gandha – dravyom ki – si sugandha lie hoti thi, jisase una ke mumha sada suvasita rahate the. Ve manushya shanta prakriti ke the. Una ke jivana mem krodha, mana, maya aura lobha ki matra manda thi. Una ka vyavahara mridu, sukhavaha tha. Ve alina, gupta, cheshtarata the. Ve bhadra, vinita, alpechchha, samgraha nahim rakhanevale, bhavanom ki akriti ke vrikshom ke bhitara basanevale aura ichchhanusara kama bhoga bhoganevale the. |