Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )

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Sr No : 1006872
Scripture Name( English ): Pragnapana Translated Scripture Name : प्रज्ञापना उपांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

पद-२९ उपयोग

Translated Chapter :

पद-२९ उपयोग

Section : Translated Section :
Sutra Number : 572 Category : Upang-04
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] कतिविहे णं भंते! उवओगे पन्नत्ते? गोयमा! दुविहे उवओगे पन्नत्ते, तं जहा–सागारोवओगे य अनागारोवओगे य। सागारोवओगे णं भंते! कतिविहे पन्नत्ते? गोयमा! अट्ठविहे पन्नत्ते, तं० आभिनिबोहियनाण-सागारोवओगे सुयनाणसागारोवओगे ओहिनाणसागारोवओगे मनपज्जवनाणसागारोवओगे केवल-नाणसागारोवओगे मतिअन्नाणसागारोवओगे सुयअन्नाणसागारोवओगे विभंगनाणसागारोवओगे अनागारोवओगे णं भंते! कतिविहे पन्नत्ते? गोयमा! चउव्विहे पन्नत्ते, तं० चक्खुदंसणअनागा-रोवओगे अचक्खुदंसणअनागारोवओगे ओहिदंसणअनागारोवओगे केवलदंसणअनागारोवओगे। एवं जीवाणं पि। नेरइयाणं भंते! कतिविहे उवओगे पन्नत्ते? गोयमा! दुविहे उवओगे पन्नत्ते, तं जहा–सागारोवओगे य अनागारोवओगे य। नेरइयाणं भंते! सागारोवओगे कतिविहे पन्नत्ते? गोयमा! छव्विहे पन्नत्ते, तं जहा–मतिनाणसागारोवओगे सुयनाणसागारोवओगे ओहिनाणसागारोवओगे मतिअन्नाणसागारोवओगे सुयअन्नाणसागारोवओगे विभंगनाणसागारोवओगे। नेरइयाणं भंते! अनागारोवओगे कतिविहे पन्नत्ते? गोयमा! तिविहे पन्नत्ते, तं जहा–चक्खुदंसणअनागारोवओगे अचक्खुदंसणअनागारोवओगे ओहिदंसणअनागारोवओगे। एवं जाव थणियकुमाराणं। पुढविक्काइयाणं पुच्छा। गोयमा! दुविहे उवओगे पन्नत्ते, तं जहा–सागारोवओगे य अनागारोवओगे य। पुढविक्काइयाणं भंते! सागारोवओगे कतिविहे पन्नत्ते? गोयमा! दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–मतिअण्णाणे सुतअण्णाणे। पुढविक्काइयाणं भंते! अनागारोवओगे कतिविहे पन्नत्ते? गोयमा! एगे अचक्खुदंसण अनागारोवओगे पन्नत्ते। एवं जाव वणप्फइकाइयाणं। बेइंदियाणं पुच्छा। गोयमा! दुविहे उवओगे पन्नत्ते, तं जहा–सागारे अनागारे य। बेइंदियाणं भंते! सागारोवओगे कतिविहे पन्नत्ते? गोयमा! चउव्विहे पन्नत्ते, तं जहा–आभिनिबोहियनाणसागारोवओगे सुयनाणसागारोवओगे मतिअन्नाणसागारोवओगे सुतअन्नाण-सागारोवओगे। बेइंदियाणं भंते! अनागारोवओगे कतिविहे पन्नत्ते? गोयमा! एगे अचक्खुदंसणअनागा-रोवओगे। एवं तेइंदियाण वि। चउरिंदियाण वि एवं चेव, नवरं–अनागारोवओगे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–चक्खुदंसण-अनागारोवओगे य अचक्खु-दंसणअनागारोवओगे य। पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जहा नेरइयाणं मनुस्साणं जहा ओहिए उवओगे भणियं तहेव भाणियव्वं। वाणमंतर-जोइसिय-वेमानियाणं जहा नेरइयाणं। जीवा णं भंते! किं सागारोवउत्ता? अनागारोवउत्ता? गोयमा! सागारोवउत्ता वि अनागारोवउत्ता वि। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चति–जीवा सागारोवउत्ता वि अनागारोवउत्ता वि? गोयमा! जे णं जीवा आभिनिबोहियनाण-सुतनाण-ओहिनाण-मनपज्जवनाण-केवलनाण-मतिअन्नाण-सुतअन्नाण -विभंगनाणोवउत्ता ते णं जीवा सागारोवउत्ता, जे णं जीवा चक्खुदंसण-अचक्खुदंसण-ओहिदंसण-केवलदंसणोवउत्ता ते णं जीवा अनागारोवउत्ता। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चति–जीवा सागारोवउत्ता वि अनागारोवउत्ता वि। नेरइया णं भंते! किं सागारोवउत्ता? अनागारोवउत्ता? गोयमा! नेरइया सागारोवउत्ता वि अनागारोवउत्ता वि। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चति–गोयमा! जे णं नेरइया आभिनिबोहियनाण-सुत-ओहिनाण-मतिअन्नाण-सुतअन्नाण-विभंगनाणोवउत्ता ते णं नेरइया सागारोवउत्ता, जे णं नेरइया चक्खुदंसण-अचक्खुदंसण-ओहिदंसणोवउत्ता ते णं नेरइया अनागारोवउत्ता, से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चति–नेरइया सागारोवउत्ता वि अनागारोवउत्ता वि। एवं जाव थणियकुमारा। पुढविक्काइयाणं पुच्छा। गोयमा! तहेव जाव जे णं पुढविकाइया मतिअन्नाण-सुतअन्नाणोवउत्ता ते णं पुढविकाइया सागारोवउत्ता, जे णं पुढविकाइया अचक्खुदंसणोवउत्ता ते णं पुढविक्काइया अनागारोवउत्ता। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चति जाव वणप्फइकाइया। बेइंदियाणं अट्ठसहिया तहेव पुच्छा। गोयमा! जाव जे णं बेइंदिया आभिनिबोहियनाण-सुतनाण-मतिअन्नाण-सुयअन्नाणोवउत्ता ते णं बेइंदिया सागारोवउत्ता, जे णं बेइंदिया अचक्खुदंसणो-वउत्ता ते णं बेइंदिया अनागारोवउत्ता। से तेणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चति। एवं जाव चउरिंदिया, नवरं–चक्खुदंसणं अब्भहियं चउरिंदियाणं। पंचेंदियतिरिक्खजोणिया जहा नेरइया। मनूसा जहा जीवा। वाणमंतर-जोतिसिय-वेमानिया जहा नेरइया।
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! उपयोग कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का – साकारोपयोग और अनाकारोपयोग। साकारोपयोग कितने प्रकार का कहा गया है ? गौतम ! आठ प्रकार का, आभिनिबोधिक – ज्ञानसाकारोपयोग, श्रुतज्ञान०, अवधिज्ञान०, मनःपर्यवज्ञान० और केवलज्ञान – साकारोपयोग, मति – अज्ञान०, श्रुत – अज्ञान और विभंग – ज्ञान – साकारोपयोग। अनाकारोपयोग कितने प्रकार का है ? गौतम ! चार प्रकार का – चक्षुर्दर्शन – अनाकारोपयोग, अचक्षुदर्शन०, अवधिदर्शन० और केवलदर्शन – अनाकारोपयोग। इसी प्रकार समुच्चय जीवों का भी जानना। भगवन्‌ ! नैरयिकों का उपयोग कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का – साकारोपयोग और अनका – रोपयोग। नैरयिकों का साकारोपयोग छह प्रकार का है। – मतिज्ञान – साकारोपयोग, श्रुतज्ञान०, अवधिज्ञान०, मति – अज्ञान०, श्रुत – अज्ञान० और विभंगज्ञान – साकारोपयोग। नैरयिकों का अनाकारोपयोग तीन प्रकार का है। चक्षुद – र्शनअनाकारोपयोग, अचक्षुदर्शन और अवधिदर्शन – अनाकारोपयोग। इसी प्रकार स्तनितकुमारों तक कहना। पृथ्वीकायिक जीवों के उपयोग – सम्बन्धी प्रश्न। गौतम ! उनका उपयोग दो प्रकार का है – साकारोपयोग और अनाकारोपयोग। पृथ्वीकायिक जीवों का साकारोपयोग दो प्रकार का है – मति – अज्ञान और श्रुतअज्ञान। पृथ्वीकायिक जीवों का अनाकारोपयोग एकमात्र अचक्षुदर्शन है। इसी प्रकार यावत्‌ वनस्पतिकायिक जीवों तक जानना। द्वीन्द्रिय जीवों का उपयोग ? दो प्रकार का है – साकारोपयोग और अनाकारोपयोग। द्वीन्द्रिय जीवों का साकारोपयोग चार प्रकार का है। – आभिनिबोधिकज्ञान – साकारोपयोग, श्रुतज्ञान०, मति – अज्ञान० और श्रुत – अज्ञान – साकारोपयोग। द्वीन्द्रिय जीवों का अनाकारोपयोग एक अचक्षुदर्शन ही है। इसी प्रकार त्रीन्द्रिय को कहना। चतु – रिन्द्रिय में भी इसी प्रकार कहना। किन्तु उनका अनाकारोपयोग दो प्रकार का है, चक्षुदर्शन० और अचक्षुदर्शन – अनाकारोपयोग। पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीवों को नैरयिकों के समान कहना। मनुष्यों के उपयोग समुच्चय उपयोग के समान कहना। वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिकों को नैरयिकों के समान कहना। भगवन्‌ ! जीव साकारोपयुक्त होते हैं या अनाकारोपयुक्त ? गौतम ! दोनों होते हैं। क्योंकि – गौतम ! जो जीव आभिनिबोधिकज्ञान यावत्‌ केवलज्ञान तथा मति – अज्ञान, श्रुत – अज्ञान एवं विभंगज्ञान उपयोगवाले होते हैं, वे साकारोपयुक्त कहे जाते हैं और जो जीव चक्षुदर्शन यावत्‌ केवलदर्शन के उपयोग से युक्त होत हैं, वे अनाकारो – पयुक्त कहे जाते हैं। भगवन्‌ ! नैरयिक साकारोपयुक्त होते हैं या अनाकारोपयुक्त ? गौतम ! दोनों होते हैं, क्योंकि – गौतम ! जो नैरयिक आभिनिबोधिकज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान तथा मति – अज्ञान, श्रुत – अज्ञान और विभंगज्ञान के उपयोग से युक्त होते हैं, वे साकारोपयुक्त होते हैं और जो नैरयिक चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन और अवधिदर्शन के उपयोग से युक्त होते हैं, वे अनाकारोपयुक्त होते हैं। इसी प्रकार स्तनितकुमारों तक कहना। पृथ्वीकायिकों के विषय में पृच्छा। गौतम ! पूर्ववत्‌, जो पृथ्वीकायिक जीव मत्यज्ञान और श्रुत – अज्ञान के उपयोगवाले हैं, वे साकारोपयुक्त होते हैं तथा जो पृथ्वीकायिक जीव अचक्षुदर्शन के उपयोगवाले होते हैं, वे अना – कारोपयुक्त होते हैं। इसी प्रकार अप्कायिक यावत्‌ वनस्पतिकायिक साकारोपयुक्त भी होते हैं और अनाकारोपयुक्त भी। जो द्वीन्द्रिय आभिनिबोधिकज्ञान, श्रुतज्ञान, मत्यज्ञान और श्रुत – अज्ञान के उपयोगवाले होते हैं, वे साकारोप – युक्त होते हैं और जो द्वीन्द्रिय अचक्षुदर्शन के उपयोग से युक्त होते हैं, वे अनाकारोपयुक्त होते हैं। इसी प्रकार यावत्‌ चतुरिन्द्रिय जीवों में समझना, विशेष यह कि चतुरिन्द्रिय जीवों में चक्षुदर्शन अधिक कहना। पंचेन्द्रियतिर्यग्योनिकों को नैरयिकों के समान जानना। मनुष्यों में समुच्चय जीवों के समान जानना चाहिए। वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवों में नैरयिकों के समान कहना।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] kativihe nam bhamte! Uvaoge pannatte? Goyama! Duvihe uvaoge pannatte, tam jaha–sagarovaoge ya anagarovaoge ya. Sagarovaoge nam bhamte! Kativihe pannatte? Goyama! Atthavihe pannatte, tam0 abhinibohiyanana-sagarovaoge suyananasagarovaoge ohinanasagarovaoge manapajjavananasagarovaoge kevala-nanasagarovaoge matiannanasagarovaoge suyaannanasagarovaoge vibhamgananasagarovaoge Anagarovaoge nam bhamte! Kativihe pannatte? Goyama! Chauvvihe pannatte, tam0 chakkhudamsanaanaga-rovaoge achakkhudamsanaanagarovaoge ohidamsanaanagarovaoge kevaladamsanaanagarovaoge. Evam jivanam pi. Neraiyanam bhamte! Kativihe uvaoge pannatte? Goyama! Duvihe uvaoge pannatte, tam jaha–sagarovaoge ya anagarovaoge ya. Neraiyanam bhamte! Sagarovaoge kativihe pannatte? Goyama! Chhavvihe pannatte, tam jaha–matinanasagarovaoge suyananasagarovaoge ohinanasagarovaoge matiannanasagarovaoge suyaannanasagarovaoge vibhamgananasagarovaoge. Neraiyanam bhamte! Anagarovaoge kativihe pannatte? Goyama! Tivihe pannatte, tam jaha–chakkhudamsanaanagarovaoge achakkhudamsanaanagarovaoge ohidamsanaanagarovaoge. Evam java thaniyakumaranam. Pudhavikkaiyanam puchchha. Goyama! Duvihe uvaoge pannatte, tam jaha–sagarovaoge ya anagarovaoge ya. Pudhavikkaiyanam bhamte! Sagarovaoge kativihe pannatte? Goyama! Duvihe pannatte, tam jaha–matiannane sutaannane. Pudhavikkaiyanam bhamte! Anagarovaoge kativihe pannatte? Goyama! Ege achakkhudamsana anagarovaoge pannatte. Evam java vanapphaikaiyanam. Beimdiyanam puchchha. Goyama! Duvihe uvaoge pannatte, tam jaha–sagare anagare ya. Beimdiyanam bhamte! Sagarovaoge kativihe pannatte? Goyama! Chauvvihe pannatte, tam jaha–abhinibohiyananasagarovaoge suyananasagarovaoge matiannanasagarovaoge sutaannana-sagarovaoge. Beimdiyanam bhamte! Anagarovaoge kativihe pannatte? Goyama! Ege achakkhudamsanaanaga-rovaoge. Evam teimdiyana vi. Chaurimdiyana vi evam cheva, navaram–anagarovaoge duvihe pannatte, tam jaha–chakkhudamsana-anagarovaoge ya achakkhu-damsanaanagarovaoge ya. Pamchemdiyatirikkhajoniyanam jaha neraiyanam manussanam jaha ohie uvaoge bhaniyam taheva bhaniyavvam. Vanamamtara-joisiya-vemaniyanam jaha neraiyanam. Jiva nam bhamte! Kim sagarovautta? Anagarovautta? Goyama! Sagarovautta vi anagarovautta vi. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchati–jiva sagarovautta vi anagarovautta vi? Goyama! Je nam jiva abhinibohiyanana-sutanana-ohinana-manapajjavanana-kevalanana-matiannana-sutaannana -vibhamgananovautta te nam jiva sagarovautta, je nam jiva chakkhudamsana-achakkhudamsana-ohidamsana-kevaladamsanovautta te nam jiva anagarovautta. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchati–jiva sagarovautta vi anagarovautta vi. Neraiya nam bhamte! Kim sagarovautta? Anagarovautta? Goyama! Neraiya sagarovautta vi anagarovautta vi. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchati–goyama! Je nam neraiya abhinibohiyanana-suta-ohinana-matiannana-sutaannana-vibhamgananovautta te nam neraiya sagarovautta, je nam neraiya chakkhudamsana-achakkhudamsana-ohidamsanovautta te nam neraiya anagarovautta, se tenatthenam goyama! Evam vuchchati–neraiya sagarovautta vi anagarovautta vi. Evam java thaniyakumara. Pudhavikkaiyanam puchchha. Goyama! Taheva java je nam pudhavikaiya matiannana-sutaannanovautta te nam pudhavikaiya sagarovautta, je nam pudhavikaiya achakkhudamsanovautta te nam pudhavikkaiya anagarovautta. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchati java vanapphaikaiya. Beimdiyanam atthasahiya taheva puchchha. Goyama! Java je nam beimdiya abhinibohiyanana-sutanana-matiannana-suyaannanovautta te nam beimdiya sagarovautta, je nam beimdiya achakkhudamsano-vautta te nam beimdiya anagarovautta. Se tenatthenam goyama! Evam vuchchati. Evam java chaurimdiya, navaram–chakkhudamsanam abbhahiyam chaurimdiyanam. Pamchemdiyatirikkhajoniya jaha neraiya. Manusa jaha jiva. Vanamamtara-jotisiya-vemaniya jaha neraiya.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Upayoga kitane prakara ka hai\? Gautama ! Do prakara ka – sakaropayoga aura anakaropayoga. Sakaropayoga kitane prakara ka kaha gaya hai\? Gautama ! Atha prakara ka, abhinibodhika – jnyanasakaropayoga, shrutajnyana0, avadhijnyana0, manahparyavajnyana0 aura kevalajnyana – sakaropayoga, mati – ajnyana0, shruta – ajnyana aura vibhamga – jnyana – sakaropayoga. Anakaropayoga kitane prakara ka hai\? Gautama ! Chara prakara ka – chakshurdarshana – anakaropayoga, achakshudarshana0, avadhidarshana0 aura kevaladarshana – anakaropayoga. Isi prakara samuchchaya jivom ka bhi janana. Bhagavan ! Nairayikom ka upayoga kitane prakara ka hai\? Gautama ! Do prakara ka – sakaropayoga aura anaka – ropayoga. Nairayikom ka sakaropayoga chhaha prakara ka hai. – matijnyana – sakaropayoga, shrutajnyana0, avadhijnyana0, mati – ajnyana0, shruta – ajnyana0 aura vibhamgajnyana – sakaropayoga. Nairayikom ka anakaropayoga tina prakara ka hai. Chakshuda – rshanaanakaropayoga, achakshudarshana aura avadhidarshana – anakaropayoga. Isi prakara stanitakumarom taka kahana. Prithvikayika jivom ke upayoga – sambandhi prashna. Gautama ! Unaka upayoga do prakara ka hai – sakaropayoga aura anakaropayoga. Prithvikayika jivom ka sakaropayoga do prakara ka hai – mati – ajnyana aura shrutaajnyana. Prithvikayika jivom ka anakaropayoga ekamatra achakshudarshana hai. Isi prakara yavat vanaspatikayika jivom taka janana. Dvindriya jivom ka upayoga\? Do prakara ka hai – sakaropayoga aura anakaropayoga. Dvindriya jivom ka sakaropayoga chara prakara ka hai. – abhinibodhikajnyana – sakaropayoga, shrutajnyana0, mati – ajnyana0 aura shruta – ajnyana – sakaropayoga. Dvindriya jivom ka anakaropayoga eka achakshudarshana hi hai. Isi prakara trindriya ko kahana. Chatu – rindriya mem bhi isi prakara kahana. Kintu unaka anakaropayoga do prakara ka hai, chakshudarshana0 aura achakshudarshana – anakaropayoga. Pamchendriyatiryamchayonika jivom ko nairayikom ke samana kahana. Manushyom ke upayoga samuchchaya upayoga ke samana kahana. Vanavyantara, jyotishka aura vaimanikom ko nairayikom ke samana kahana. Bhagavan ! Jiva sakaropayukta hote haim ya anakaropayukta\? Gautama ! Donom hote haim. Kyomki – gautama ! Jo jiva abhinibodhikajnyana yavat kevalajnyana tatha mati – ajnyana, shruta – ajnyana evam vibhamgajnyana upayogavale hote haim, ve sakaropayukta kahe jate haim aura jo jiva chakshudarshana yavat kevaladarshana ke upayoga se yukta hota haim, ve anakaro – payukta kahe jate haim. Bhagavan ! Nairayika sakaropayukta hote haim ya anakaropayukta\? Gautama ! Donom hote haim, kyomki – gautama ! Jo nairayika abhinibodhikajnyana, shrutajnyana, avadhijnyana tatha mati – ajnyana, shruta – ajnyana aura vibhamgajnyana ke upayoga se yukta hote haim, ve sakaropayukta hote haim aura jo nairayika chakshudarshana, achakshudarshana aura avadhidarshana ke upayoga se yukta hote haim, ve anakaropayukta hote haim. Isi prakara stanitakumarom taka kahana. Prithvikayikom ke vishaya mem prichchha. Gautama ! Purvavat, jo prithvikayika jiva matyajnyana aura shruta – ajnyana ke upayogavale haim, ve sakaropayukta hote haim tatha jo prithvikayika jiva achakshudarshana ke upayogavale hote haim, ve ana – karopayukta hote haim. Isi prakara apkayika yavat vanaspatikayika sakaropayukta bhi hote haim aura anakaropayukta bhi. Jo dvindriya abhinibodhikajnyana, shrutajnyana, matyajnyana aura shruta – ajnyana ke upayogavale hote haim, ve sakaropa – yukta hote haim aura jo dvindriya achakshudarshana ke upayoga se yukta hote haim, ve anakaropayukta hote haim. Isi prakara yavat chaturindriya jivom mem samajhana, vishesha yaha ki chaturindriya jivom mem chakshudarshana adhika kahana. Pamchendriyatiryagyonikom ko nairayikom ke samana janana. Manushyom mem samuchchaya jivom ke samana janana chahie. Vanavyantara, jyotishka aura vaimanika devom mem nairayikom ke samana kahana.