Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006869 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-२८ आहार |
Translated Chapter : |
पद-२८ आहार |
Section : | उद्देशक-२ | Translated Section : | उद्देशक-२ |
Sutra Number : | 569 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] सवेदे जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो। इत्थिवेद-पुरिसवेदेसु जीवादीओ तियभंगो। नपुंगसगवेदए जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो। अवेदए जहा केवलनाणी। | ||
Sutra Meaning : | समुच्चय जीवों और एकेन्द्रियों को छोड़कर अन्य सब सवेदी जीवों के, स्त्रीवेदी और पुरुषवेदी में, नपुंसक – वेदी में समुच्चय जीव और एकेन्द्रिय को छोड़कर तीन भंग होते हैं। अवेदी जीवों को केवलज्ञानी के समान कहना। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] savede jivegimdiyavajjo tiyabhamgo. Itthiveda-purisavedesu jivadio tiyabhamgo. Napumgasagavedae jivegimdiyavajjo tiyabhamgo. Avedae jaha kevalanani. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Samuchchaya jivom aura ekendriyom ko chhorakara anya saba savedi jivom ke, strivedi aura purushavedi mem, napumsaka – vedi mem samuchchaya jiva aura ekendriya ko chhorakara tina bhamga hote haim. Avedi jivom ko kevalajnyani ke samana kahana. |