Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006866 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-२८ आहार |
Translated Chapter : |
पद-२८ आहार |
Section : | उद्देशक-२ | Translated Section : | उद्देशक-२ |
Sutra Number : | 566 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] नाणी जहा सम्मद्दिट्ठी। आभिनिबोहियनाणिसुतनाणिसु बेइंदिय-तेइंदिय चउरिंदिएसु छब्भंगा। अवसेसेसु जीवा-दीओ तियभंगो जेसिं अत्थि। ओहिनाणी पंचेंदियतिरिक्खजोणिया आहारगा नो अनाहारगा। अवसेसेसु जीवादीओ तियभंगो जेसिं अत्थि ओहिनाणं। मनपज्जवनाणी जीवा मनूसा य एगत्तेण वि पुहत्तेण वि आहारगा, नो अनाहारगा। केवलनाणी जहा नोसण्णी-नोअसण्णी। अन्नाणी मइअन्नाणी सुयअन्नाणी जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो। विभंगनाणी पंचेंदियतिरिक्ख-जोणिया मनूसा य आहारगा, नो अनाहारगा। अवसेसेसु जीवादीओ तियभंगो। | ||
Sutra Meaning : | ज्ञानी को सम्यग्दृष्टि के समान समझना। आभिनिबोधिकज्ञानी और श्रुतज्ञानी द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतु – रिन्द्रिय जीवों में छह भंग समझना। शेष जीव आदि में जिनमें ज्ञान होता है, उनमें तीन भंग हैं। अवधिज्ञानी पंचे – न्द्रियतिर्यंच आहारक होते हैं। शेष जीव आदि में, जिनमें अवधिज्ञान पाया जाता है, उनमें तीन भंग हैं। मनःपर्यव ज्ञानी समुच्चय जीव और मनुष्य आहारक होते हैं। केवलज्ञानी को नोसंज्ञी – नोअसंज्ञी के समान जानना। अज्ञानी, मति – अज्ञानी और श्रुत – अज्ञानी में समुच्चय जीव और एकेन्द्रिय को छोड़कर तीन भंग हैं। विभंगज्ञानी पंचेन्द्रिय – तिर्यंच और मनुष्य आहारक होते हैं। अवशिष्ट जीव आदि में तीन भंग पाये जाते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] nani jaha sammadditthi. Abhinibohiyananisutananisu beimdiya-teimdiya chaurimdiesu chhabbhamga. Avasesesu jiva-dio tiyabhamgo jesim atthi. Ohinani pamchemdiyatirikkhajoniya aharaga no anaharaga. Avasesesu jivadio tiyabhamgo jesim atthi ohinanam. Manapajjavanani jiva manusa ya egattena vi puhattena vi aharaga, no anaharaga. Kevalanani jaha nosanni-noasanni. Annani maiannani suyaannani jivegimdiyavajjo tiyabhamgo. Vibhamganani pamchemdiyatirikkha-joniya manusa ya aharaga, no anaharaga. Avasesesu jivadio tiyabhamgo. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jnyani ko samyagdrishti ke samana samajhana. Abhinibodhikajnyani aura shrutajnyani dvindriya, trindriya aura chatu – rindriya jivom mem chhaha bhamga samajhana. Shesha jiva adi mem jinamem jnyana hota hai, unamem tina bhamga haim. Avadhijnyani pamche – ndriyatiryamcha aharaka hote haim. Shesha jiva adi mem, jinamem avadhijnyana paya jata hai, unamem tina bhamga haim. Manahparyava jnyani samuchchaya jiva aura manushya aharaka hote haim. Kevalajnyani ko nosamjnyi – noasamjnyi ke samana janana. Ajnyani, mati – ajnyani aura shruta – ajnyani mem samuchchaya jiva aura ekendriya ko chhorakara tina bhamga haim. Vibhamgajnyani pamchendriya – tiryamcha aura manushya aharaka hote haim. Avashishta jiva adi mem tina bhamga paye jate haim. |