Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )

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Sr No : 1006830
Scripture Name( English ): Pragnapana Translated Scripture Name : प्रज्ञापना उपांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

पद-२२ क्रिया

Translated Chapter :

पद-२२ क्रिया

Section : Translated Section :
Sutra Number : 530 Category : Upang-04
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] कइ णं भंते! किरियाओ पन्नत्ताओ? गोयमा! पंच किरियाओ पन्नत्ताओ, तं जहा–आरंभिया परिग्गहिया माया वत्तिया अपच्चक्खाणकिरिया मिच्छादंसणवत्तिया। आरंभिया णं भंते! किरिया कस्स कज्जति? गोयमा! अन्नयरस्सावि पमत्तसंजयस्स। परिग्गहिया णं भंते! किरिया कस्स कज्जति? गोयमा! अन्नयरस्सावि संजयासंजयस्स। मायावत्तिया णं भंते! किरिया कस्स कज्जति? गोयमा! अन्नयरस्सावि अपमत्तसंजयस्स। अपच्चक्खाणकिरिया णं भंते! कस्स कज्जति? गोयमा! अन्नयरस्सावि अपच्चक्खाणिस्स। मिच्छादंसणवत्तिया णं भंते! किरिया कस्स कज्जति? गोयमा! अन्नयरस्सावि मिच्छ-दंसणिस्स। नेरइयाणं भंते! कति किरियाओ पन्नत्ताओ? गोयमा! पंच किरियाओ पन्नत्ताओ, तं जहा–आरंभिया जाव मिच्छादंसणवत्तिया। एवं जाव वेमानियाणं। जस्स णं भंते! जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जति तस्स परिग्गहिया किरिया कज्जति? जस्स परिग्गहिया किरिया कज्जइ तस्स आरंभिया किरिया कज्जति? गोयमा! जस्स णं जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जति तस्स परिग्गहिया किरिया सिय कज्जति सिय नो कज्जइ, जस्स पुण परिग्गहिया किरिया कज्जइ तस्स आरंभिया किरिया नियमा कज्जति। जस्स णं भंते! जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जति तस्स मायावत्तिया किरिया कज्जइ पुच्छा। गोयमा! जस्स णं जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जइ तस्स मायावत्तिया किरिया नियमा कज्जइ, जस्स पुन मायावत्तिया किरिया कज्जइ तस्स आरंभिया किरिया सिय कज्जइ सिय नो कज्जइ। जस्स णं भंते! जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जइ तस्स अप्पच्चक्खाणकिरिया कज्जइ पुच्छा। गोयमा! जस्स णं जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जइ तस्स अप्पच्चक्खाणकिरिया सिय कज्जइ सिय नो कज्जइ, जस्स पुण अप्पच्चक्खाणकिरिया कज्जति तस्स आरंभिया किरिया नियमा कज्जति। एवं मिच्छादंसणवत्तियाए वि समं। एवं परिग्गहिया वि तिहिं उवरिल्लाहिं समं चारेयव्वा। जस्स मायावत्तिया किरिया कज्जति तस्स उवरिल्लाओ दो वि सिय कज्जंति सिय नो कज्जंति, जस्स उवरिल्लाओ दो कज्जंति तस्स मायावत्तिया नियमा कज्जति। जस्स अपच्चक्खाणकिरिया कज्जति तस्स मिच्छादंसणवत्तिया किरिया सिय कज्जइ सिय नो कज्जइ, जस्स पुन मिच्छादंसणवत्तिया किरिया कज्जति तस्स अपच्चक्खाणकिरिया नियमा कज्जति। नेरइयस्स आइल्लियाओ चत्तारि परोप्परं नियमा कज्जंति, जस्स एताओ चत्तारि कज्जंति तस्स मिच्छादंसणवत्तिया किरिया भइज्जति, जस्स पुण मिच्छादंसणवत्तिया किरिया कज्जति तस्स एयाओ चत्तारि नियमा कज्जंति। एवं जाव थणियकुमारस्स पुढविकाइयस्स जाव चउरिंदियस्स पंच वि परोप्परं नियमा कज्जंति। पंचेंदियतिरिक्खजोणियस्स आइल्लियाओ तिन्नि वि परोप्परं नियमा कज्जंति, जस्स एयाओ कज्जंति तस्स उवरिल्लाओ दो भइज्जंति, जस्स उवरिल्लाओ दोन्नि कज्जंति तस्स एताओ तिन्नि वि नियमा कज्जंति; जस्स अपच्चक्खाणकिरिया तस्स मिच्छादंसणवत्तिया सिय कज्जति सिय नो कज्जति, जस्स पुन मिच्छादंसणवत्तिया किरिया कज्जति तस्स अप्पच्चक्खाणकिरिया नियमा कज्जति। मनूसस्स जहा जीवस्स। वाणमंतर-जोतिसिय-वेमानियस्स जहा नेरइयस्स। जं समयं णं भंते! जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जति तं समयं परिग्गहिया किरिया कज्जति? एवं एते– जस्स, जं समयं, जं देसं, जं पदेसं णं–चत्तारि दंडगा नेयव्वा। जहा नेरइयाणं तहा सव्वदेवाणं नेयव्वं जाव वेमानियाणं।
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! क्रियाएं कितनी हैं ? गौतम ! पाँच – आरम्भिकी, पारिग्रहिकी, मायाप्रत्यया, अप्रत्याख्यानक्रिया और मिथ्यादर्शनप्रत्यया। भगवन्‌ ! आरम्भिकीक्रिया किसके होती है ? गौतम ! किसी प्रमत्तसंयत को होती है। पारिग्रहिकीक्रिया ? गौतम ! किसी संयतासंयत के होती है। मायाप्रत्ययाक्रिया ? गौतम ! किसी अप्रमत्तसंयत के होती है। अप्रत्याख्यानक्रिया ? गौतम ! किसी अप्रत्याख्यानी के होती है। मिथ्यादर्शनप्रत्ययाक्रिया ? गौतम ! किसी मिथ्यादर्शनी के होती है। भगवन्‌ ! नैरयिकों को कितनी क्रियाएं हैं ? गौतम ! पाँच – आरम्भिकी यावत्‌ मिथ्यादर्शनप्रत्यया। इसी प्रकार वैमानिकों तक जानना। जिस जीव के आरम्भिकीक्रिया होती है उस के पारिग्रहिकीक्रिया तथा जिस के पारिग्रहिकी क्रिया होती है, क्या उस के आरम्भिकीक्रिया होती है ? गौतम ! जिस जीव के आरम्भिकीक्रिया होती है, उस के पारिग्रहिकी क्रिया कदाचित्‌ होती है, कदाचित्‌ नहीं, जिसके पारिग्रहिकी क्रिया होती है, उस के आरम्भिकी क्रिया नियम से होती है। जिस जीव को आरम्भिकीक्रिया होती है, उसको मायाप्रत्ययाक्रिया तथा जिसके माया – प्रत्ययाक्रिया होती है उसके आरम्भिकीक्रिया होती है ? गौतम ! जिस जीव के आरम्भिकीक्रिया होती है, उसको नियम से माया – प्रत्ययाक्रिया होती है, जिसको मायाप्रत्ययाक्रिया होती है, उसके आरम्भिकीक्रिया कदाचित्‌ होती है, कदाचित्‌ नहीं। जिस जीव को आरम्भिकीक्रिया होती है, उसको अप्रत्याख्यानक्रिया तथा जिसको अप्रत्याख्यानकीक्रिया होती है, उसको आरम्भिकीक्रिया होती है ? गौतम ! जिस जीव को आरम्भिकीक्रिया होती है, उसको अप्रत्याख्या – निकीक्रिया कदाचित्‌ होती है, कदाचित्‌ नहीं; जिस जीव को अप्रत्याख्यानिकीक्रिया होती है, उसके आरम्भिकी – क्रिया नियम से होती है। इसी प्रकार मिथ्यादर्शनप्रत्यया भी जानना। इसी प्रकार पारिग्रहिकी का आगे की तीन क्रियाओं के साथ सहभाव समझ लेना। जिसके मायाप्रत्ययाक्रिया होती है, उसके आगे की दो क्रियाएं कदाचित्‌ होती है, कदाचित्‌ नहीं, जिसके आगे की दो क्रियाएं होती हैं, उसके मायाप्रत्ययाक्रिया नियम से होती है। जिसको अप्रत्याख्यानक्रिया होती है, उसको मिथ्यादर्शनप्रत्ययाक्रिया कदाचित्‌ होती है, कदाचित्‌ नहीं, जिसको मिथ्या – दर्शनप्रत्ययाक्रिया होती है, उसके अप्रत्याख्यानक्रिया नियम से होती है। नारक को प्रारम्भ की चार क्रियाएं नियम से होती है। जिसके ये चार क्रियाएं होती हैं, उसको मिथ्यादर्शन – प्रत्ययाक्रिया भजना से होती है, जिसके मिथ्यादर्शनप्रत्ययाक्रिया होती है, उसको ये चारों क्रियाएं नियम से होती हैं। इसी प्रकार स्तनितकुमार तक में भी समझना। पृथ्वीकायिक से चतुरिन्द्रिय तक पाँचों ही क्रियाएं परस्पर नियम से होती हैं। पंचेन्द्रिय – तिर्यंचयोनिक को प्रारम्भ की तीन क्रियाएं परस्पर नियम से होती हैं। जिसको ये तीनों होती हैं, उसको आगे की दो विकल्प से होती हैं। जिसको, आगे की दोनों क्रियाएं होती हैं, उसको ये तीनों नियम से होती हैं। जिसको अप्रत्याख्यानक्रिया होती है, उसको मिथ्यादर्शनप्रत्ययाक्रिया विकल्प से होती है, जिसमो मिथ्यादर्शन – प्रत्ययाक्रिया होती है, उसको अप्रत्याख्यानक्रिया अवश्यमेव होती है। मनुष्य में भी सामान्य जीव के समान समझना। वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देव में नैरयिक के समान समझना। जिस समय जीव के आर – म्भिकीक्रिया होती है, उस समय पारिग्रहिकीक्रिया होती है ? क्रियाओं के परस्पर सहभाव के इस प्रकार – जिस जीव के, जिस समय में, जिस देश में और जिस प्रदेश में – यों चार दण्डकों के आलापक कहना। नैरयिकों के समान वैमानिकों तक समस्त देवों के विषय में कहना।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] kai nam bhamte! Kiriyao pannattao? Goyama! Pamcha kiriyao pannattao, tam jaha–arambhiya pariggahiya maya vattiya apachchakkhanakiriya michchhadamsanavattiya. Arambhiya nam bhamte! Kiriya kassa kajjati? Goyama! Annayarassavi pamattasamjayassa. Pariggahiya nam bhamte! Kiriya kassa kajjati? Goyama! Annayarassavi samjayasamjayassa. Mayavattiya nam bhamte! Kiriya kassa kajjati? Goyama! Annayarassavi apamattasamjayassa. Apachchakkhanakiriya nam bhamte! Kassa kajjati? Goyama! Annayarassavi apachchakkhanissa. Michchhadamsanavattiya nam bhamte! Kiriya kassa kajjati? Goyama! Annayarassavi michchha-damsanissa. Neraiyanam bhamte! Kati kiriyao pannattao? Goyama! Pamcha kiriyao pannattao, tam jaha–arambhiya java michchhadamsanavattiya. Evam java vemaniyanam. Jassa nam bhamte! Jivassa arambhiya kiriya kajjati tassa pariggahiya kiriya kajjati? Jassa pariggahiya kiriya kajjai tassa arambhiya kiriya kajjati? Goyama! Jassa nam jivassa arambhiya kiriya kajjati tassa pariggahiya kiriya siya kajjati siya no kajjai, jassa puna pariggahiya kiriya kajjai tassa arambhiya kiriya niyama kajjati. Jassa nam bhamte! Jivassa arambhiya kiriya kajjati tassa mayavattiya kiriya kajjai puchchha. Goyama! Jassa nam jivassa arambhiya kiriya kajjai tassa mayavattiya kiriya niyama kajjai, jassa puna mayavattiya kiriya kajjai tassa arambhiya kiriya siya kajjai siya no kajjai. Jassa nam bhamte! Jivassa arambhiya kiriya kajjai tassa appachchakkhanakiriya kajjai puchchha. Goyama! Jassa nam jivassa arambhiya kiriya kajjai tassa appachchakkhanakiriya siya kajjai siya no kajjai, jassa puna appachchakkhanakiriya kajjati tassa arambhiya kiriya niyama kajjati. Evam michchhadamsanavattiyae vi samam. Evam pariggahiya vi tihim uvarillahim samam chareyavva. Jassa mayavattiya kiriya kajjati tassa uvarillao do vi siya kajjamti siya no kajjamti, jassa uvarillao do kajjamti tassa mayavattiya niyama kajjati. Jassa apachchakkhanakiriya kajjati tassa michchhadamsanavattiya kiriya siya kajjai siya no kajjai, jassa puna michchhadamsanavattiya kiriya kajjati tassa apachchakkhanakiriya niyama kajjati. Neraiyassa ailliyao chattari paropparam niyama kajjamti, jassa etao chattari kajjamti tassa michchhadamsanavattiya kiriya bhaijjati, jassa puna michchhadamsanavattiya kiriya kajjati tassa eyao chattari niyama kajjamti. Evam java thaniyakumarassa pudhavikaiyassa java chaurimdiyassa pamcha vi paropparam niyama kajjamti. Pamchemdiyatirikkhajoniyassa ailliyao tinni vi paropparam niyama kajjamti, jassa eyao kajjamti tassa uvarillao do bhaijjamti, jassa uvarillao donni kajjamti tassa etao tinni vi niyama kajjamti; jassa apachchakkhanakiriya tassa michchhadamsanavattiya siya kajjati siya no kajjati, jassa puna michchhadamsanavattiya kiriya kajjati tassa appachchakkhanakiriya niyama kajjati. Manusassa jaha jivassa. Vanamamtara-jotisiya-vemaniyassa jaha neraiyassa. Jam samayam nam bhamte! Jivassa arambhiya kiriya kajjati tam samayam pariggahiya kiriya kajjati? Evam ete– jassa, jam samayam, jam desam, jam padesam nam–chattari damdaga neyavva. Jaha neraiyanam taha savvadevanam neyavvam java vemaniyanam.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Kriyaem kitani haim\? Gautama ! Pamcha – arambhiki, parigrahiki, mayapratyaya, apratyakhyanakriya aura mithyadarshanapratyaya. Bhagavan ! Arambhikikriya kisake hoti hai\? Gautama ! Kisi pramattasamyata ko hoti hai. Parigrahikikriya\? Gautama ! Kisi samyatasamyata ke hoti hai. Mayapratyayakriya\? Gautama ! Kisi apramattasamyata ke hoti hai. Apratyakhyanakriya\? Gautama ! Kisi apratyakhyani ke hoti hai. Mithyadarshanapratyayakriya\? Gautama ! Kisi mithyadarshani ke hoti hai. Bhagavan ! Nairayikom ko kitani kriyaem haim\? Gautama ! Pamcha – arambhiki yavat mithyadarshanapratyaya. Isi prakara vaimanikom taka janana. Jisa jiva ke arambhikikriya hoti hai usa ke parigrahikikriya tatha jisa ke parigrahiki kriya hoti hai, kya usa ke arambhikikriya hoti hai\? Gautama ! Jisa jiva ke arambhikikriya hoti hai, usa ke parigrahiki kriya kadachit hoti hai, kadachit nahim, jisake parigrahiki kriya hoti hai, usa ke arambhiki kriya niyama se hoti hai. Jisa jiva ko arambhikikriya hoti hai, usako mayapratyayakriya tatha jisake maya – pratyayakriya hoti hai usake arambhikikriya hoti hai\? Gautama ! Jisa jiva ke arambhikikriya hoti hai, usako niyama se maya – pratyayakriya hoti hai, jisako mayapratyayakriya hoti hai, usake arambhikikriya kadachit hoti hai, kadachit nahim. Jisa jiva ko arambhikikriya hoti hai, usako apratyakhyanakriya tatha jisako apratyakhyanakikriya hoti hai, usako arambhikikriya hoti hai\? Gautama ! Jisa jiva ko arambhikikriya hoti hai, usako apratyakhya – nikikriya kadachit hoti hai, kadachit nahim; jisa jiva ko apratyakhyanikikriya hoti hai, usake arambhiki – kriya niyama se hoti hai. Isi prakara mithyadarshanapratyaya bhi janana. Isi prakara parigrahiki ka age ki tina kriyaom ke satha sahabhava samajha lena. Jisake mayapratyayakriya hoti hai, usake age ki do kriyaem kadachit hoti hai, kadachit nahim, jisake age ki do kriyaem hoti haim, usake mayapratyayakriya niyama se hoti hai. Jisako apratyakhyanakriya hoti hai, usako mithyadarshanapratyayakriya kadachit hoti hai, kadachit nahim, jisako mithya – darshanapratyayakriya hoti hai, usake apratyakhyanakriya niyama se hoti hai. Naraka ko prarambha ki chara kriyaem niyama se hoti hai. Jisake ye chara kriyaem hoti haim, usako mithyadarshana – pratyayakriya bhajana se hoti hai, jisake mithyadarshanapratyayakriya hoti hai, usako ye charom kriyaem niyama se hoti haim. Isi prakara stanitakumara taka mem bhi samajhana. Prithvikayika se chaturindriya taka pamchom hi kriyaem paraspara niyama se hoti haim. Pamchendriya – tiryamchayonika ko prarambha ki tina kriyaem paraspara niyama se hoti haim. Jisako ye tinom hoti haim, usako age ki do vikalpa se hoti haim. Jisako, age ki donom kriyaem hoti haim, usako ye tinom niyama se hoti haim. Jisako apratyakhyanakriya hoti hai, usako mithyadarshanapratyayakriya vikalpa se hoti hai, jisamo mithyadarshana – pratyayakriya hoti hai, usako apratyakhyanakriya avashyameva hoti hai. Manushya mem bhi samanya jiva ke samana samajhana. Vanavyantara, jyotishka aura vaimanika deva mem nairayika ke samana samajhana. Jisa samaya jiva ke ara – mbhikikriya hoti hai, usa samaya parigrahikikriya hoti hai\? Kriyaom ke paraspara sahabhava ke isa prakara – jisa jiva ke, jisa samaya mem, jisa desha mem aura jisa pradesha mem – yom chara dandakom ke alapaka kahana. Nairayikom ke samana vaimanikom taka samasta devom ke vishaya mem kahana.