Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )

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Sr No : 1006828
Scripture Name( English ): Pragnapana Translated Scripture Name : प्रज्ञापना उपांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

पद-२२ क्रिया

Translated Chapter :

पद-२२ क्रिया

Section : Translated Section :
Sutra Number : 528 Category : Upang-04
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] जीवे णं भंते! नाणावरणिज्जं कम्मं बंधमाणे कतिकिरिए? गोयमा! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए। एवं नेरइए जाव वेमाणिए। जीवा णं भंते! नाणावरणिज्जं कम्मं बंधमाणा कतिकिरिया? गोयमा! तिकिरिया वि चउकिरिया वि पंचकिरिया वि। एवं नेरइया निरंतरं जाव वेमानिया। एवं दरिसणावरणिज्जं वेयणिज्जं मोहणिज्जं आउयं नामं गोयं अंतराइयं च अट्ठविह-कम्मपगडीओ भाणियव्वाओ। एगत्तपोहत्तिया सोलस दंडगा। जीवे णं भंते! जीवातो कतिकिरिए? गोयमा! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए सिय अकिरिए। जीवे णं भंते! नेरइयाओ कतिकिरिए? गोयमा! सिय तिकिरिए सिय चतुकिरिए सिय अकिरिए। एवं जाव थणियकुमाराओ। पुढविक्काइयाओ आउक्काइयाओ तेउक्काइयाओ वाउक्काइयाओ वणस्सइकाइयाओ बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिंदिय-पंचिंदियतिरिक्खजोणिया मनूसातो जहा जीवातो। वाणमंतर-जोइसिय-वेमानियाओ जहा नेरइयाओ। जीवे णं भंते! जीवेहिंतो कतिकिरिए? गोयमा! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए सिय अकिरिए। जीवे णं भंते! नेरइएहिंतो कतिकिरिए? गोयमा! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय अकिरिए। एवं जहेव पढमो दंडओ तहा एसो वि बितिओ भाणियव्वो। जीवा णं भंते! जीवाओ कतिकिरिया? गोयमा! तिकिरिया वि चउकिरिया वि पंचकिरिया वि अकिरिया वि। जीवा णं भंते! नेरइयाओ कतिकिरिया? गोयमा! जहेव आइल्लदंडओ तहेव भाणियव्वो जाव वेमानिय त्ति। जीवा णं भंते! जीवेहिंतो कतिकिरिया? गोयमा! तिकिरिया वि चउकिरिया वि पंचकिरिया वि अकिरिया वि। जीवा णं भंते! नेरइएहिंतो कतिकिरिया? गोयमा! तिकिरिया वि चउकिरिया वि अकिरिया वि। असुरकुमारेहिंतो वि एवं चेव जाव वेमाणिएहिंतो। ओरालियसरीरेहिंतो जहा जीवेहिंतो। नेरइए णं भंते! जीवातो कतिकिरिए? गोयमा! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए। नेरइए णं भंते! नेरइयाओ कतिकिरिए? गोयमा! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए। एवं जाव थणियकुमाराओ पुढविकाइयाओ जाव मनुस्साओ जहा जीवाओ। वाणमंतर-जोइसिय-वेमानियाओ जहा नेरइयाओ। नेरइए णं भंते! जीवेहिंतो कइकिरिए? गोयमा! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए नेरइए णं भंते! नेरइएहिंतो कइकिरिए? गोयमा! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए। एवं जहेव पढमो दंडओ तहा एसो वि बितिओ भाणियव्वो। एवं जाव वेमाणिएहिंतो, नवरं–नेरइयस्स नेरइएहिंतो देवेहिंतो य पंचमा किरिया नत्थि। नेरइया णं भंते! जीवाओ कतिकिरिया? गोयमा! सिय तिकिरिया सिय चउकिरिया सिय पंचकिरिया। एवं जाव वेमानियाओ, नवरं–नेरइयाओ देवाओ य पंचमा किरिया नत्थि। नेरइया णं भंते! जीवेहिंतो कतिकिरिया? गोयमा! तिकिरिया वि चउकिरिया वि पंचकिरिया वि नेरइया णं भंते! नेरइएहिंतो कतिकिरिया? गोयमा! तिकिरिया वि चउकिरिया वि। एवं जाव वेमाणिएहिंतो, नवरं–ओरालियसरीरेहिंतो जहा जीवेहिंतो। असुरकुमारे णं भंते! जीवातो कतिकिरिए? गोयमा! जहेव नेरइए चत्तारि दंडगा तहेव असुरकुमारे वि चत्तारि दंडगा भाणियव्वा। एवं उवउज्जिऊण भावेयव्वं ति–जीवे मनूसे य अकिरिए वुच्चति, सेसा अकिरिया न वुच्चंति। सव्वजीवा ओरालियसरीरेहिंतो पंचकिरिया, नेरइय-देवेहिंतो य पंचकिरिया न वुच्चंति। एवं एक्केक्कजीवपए चत्तारि चत्तारि दंडगा भाणियव्वा। एवं एयं दंडगसयं। सव्वे वि य जीवादीया दंडगा।
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! एक जीव ज्ञानावरणीय कर्म को बाँधता हुआ कितनी क्रियाओं वाला होता है ? गौतम ! कदाचित्‌ तीन, कदाचित्‌ चार और कदाचित्‌ पाँच। इसी प्रकार एक नैरयिक से एक वैमानिक तक कहना। (अनेक) जीव ज्ञानावरणीय कर्म को बाँधते हुए, कितनी क्रियाओं वाले होते हैं ? गौतम ! पूर्ववत्‌ समस्त कथन कहना। इस प्रकार शेष सर्व कर्मप्रकृतियों को वैमानिक तक समझ लेना। एकत्व और पृथक्त्व के सोलह दण्डक होते हैं। भगवन्‌ ! (एक) जीव, (एक) जीव की अपेक्षा से कितनी क्रियाओं वाला होता है ? गौतम ! कदाचित्‌ तीन, कदाचित्‌ चार, कदाचित्‌ पाँच और कदाचित्‌ अक्रिय। भगवन्‌ ! (एक) जीव, (एक) नारक की अपेक्षा से कितनी क्रियाओं वाला होता है ? गौतम ! कदाचित्‌ तीन, कदाचित चार और कदाचित्‌ अक्रिय। इसी प्रकार एक जीव की, (एक) स्तनितकुमार तक की क्रियाएं कहना। एक जीव का एक पृथ्वीकायिक, यावत्‌ वनस्पतिकायिक, द्वीन्द्रिय यावत्‌ पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक एवं एक मनुष्य की अपेक्षा से कहना। एक वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक की अपेक्षा क्रियासम्बन्धी आलापक नैरयिक के समान कहना। भगवन्‌ ! (एक) जीव, (अनेक) जीवों की अपेक्षा से कितनी क्रियाओंवाला होता है ? गौतम ! एक जीव के समान ही कथन करना। भगवन्‌ ! (एक) जीव, (अनेक) नैरयिकों की अपेक्षा से कितनी क्रियाओं वाला होता है ? गौतम ! एक जीव के समान ही जानना। अनेक जीव का एक जीव के साथ, अनेक जीव का अनेक जीव के साथ भी इसी प्रकार कथन कर लेना। इसी प्रकार अनेक जीवों के अनेक असुरकुमारों से यावत्‌ (अनेक) वैमानिकों की अपेक्षा से क्रियासम्बन्धी आलापक कहना। विशेष यह कि (अनेक) औदारिकशरीरधारकों से जब क्रियासम्बन्धी आलापक कहने हों, तब उक्त अनेक जीवों की अपेक्षा से क्रियासम्बन्धी आलापक के समान कहना। (एक) नैरयिक, (एक) जीव की अपेक्षा से कितनी क्रियावाला होता है ? गौतम ! कदाचित्‌ तीन, कदाचित्‌ चार और कदाचित्‌ पाँच क्रियाओं वाला। भगवन्‌ ! (एक) नैरयिक (एक) नैरयिक की अपेक्षा से कितनी क्रियाओं वाला होता है ? गौतम ! कदाचित्‌ तीन और कदाचित्‌ चार क्रियाओं वाला। इसी प्रकार यावत्‌ एक वैमानिक की अपेक्षा से कहना। विशेष यह कि (एक) औदारिकशरीरधारक जीव की अपेक्षा से कहने हों, तब एक जीव की अपेक्षा के समान कहना। भगवन्‌ ! (एक) नारक, (अनेक) जीवों की अपेक्षा से कितनी क्रियाओं वाला होता है ? गौतम ! कदाचित्‌ तीन, कदाचित्‌ चार और कदाचित् पाँच क्रियाओं वाला। भगवन्‌ ! एक नैरयिक, अनेक नैरयिकों की अपेक्षा से कितनी क्रियाओं वाला होता है ? गौतम ! कदाचित्‌ तीन और कदाचित्‌ चार क्रियाओंवाला। इस प्रकार दण्डक समान यह दण्डक भी कहना। इसी प्रकार यावत्‌ अनेक वैमानिकों की अपेक्षा से कहना। विशेष यह कि (एक) नैरयिक के (अनेक) नैरयिकों की अपेक्षा से पंचम क्रिया नहीं होती। भगवन्‌ ! (अनेक) नैरयिक, (एक) जीव की अपेक्षा से कितनी क्रियाओंवाले होते हैं ? गौतम ! कदाचित्‌ तीन, कदाचित्‌ चार और कदाचित्‌ पाँच क्रियाओं वाले। इसी प्रकार यावत्‌ एक वैमानिक की अपेक्षा से कहना। विशेष यह कि (एक) नैरयिक या (एक) देव की अपेक्षा से पंचम क्रिया नहीं होती। भगवन्‌ ! (अनेक) नारक, (अनेक) जीवों की अपेक्षा से कितनी क्रियाओ वाले होते हैं ? गौतम ! तीन, चार और पाँच क्रियाओं वालें भी होते हैं। भगवन्‌ ! (अनेक) नैरयिक, (अनेक) नैरयिकों की अपेक्षा से कितनी क्रियाओं वाले होते हैं ? गौतम ! तीन अथवा चार। इसी प्रकार अनेक वैमानिकों की अपेक्षा से कहना। विशेष यह कि अनेक औदारिकशरीरधारी जीवों की अपेक्षा से, आलापक में कथित अनेक जीवों के क्रियासम्बन्धी आलापक के समान कहना। भगवन्‌ ! (एक) असुरकुमार, एक जीव की अपेक्षा से कितनी क्रियाओंवाला होता है ? गौतम ! नारक की अपेक्षा से चार दण्डक समान असुरकुमार की अपेक्षा से भी कहना। इस प्रकार का उपयोग लगाकर विचार कर लेना चाहिए कि एक जीव और एक मनुष्य ही अक्रिय कहा जाता है, शेष सभी जीव अक्रिय नहीं कहे जाते। सर्व जीव, औदारिक शरीरधारी अनेक जीवों की अपेक्षा से – पाँच क्रिया वाले होते हैं। नारकों और देवों की अपेक्षा से पाँच क्रियाओंवाले नहीं कहे जाते। इस प्रकार एक – एक जीव के पद में चार – चार दण्डक कहना। यों कुल सौ दण्डक होते हैं। ये सब एक जीव आदि से सम्बन्धित दण्डक हैं।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] jive nam bhamte! Nanavaranijjam kammam bamdhamane katikirie? Goyama! Siya tikirie siya chaukirie siya pamchakirie. Evam neraie java vemanie. Jiva nam bhamte! Nanavaranijjam kammam bamdhamana katikiriya? Goyama! Tikiriya vi chaukiriya vi pamchakiriya vi. Evam neraiya niramtaram java vemaniya. Evam darisanavaranijjam veyanijjam mohanijjam auyam namam goyam amtaraiyam cha atthaviha-kammapagadio bhaniyavvao. Egattapohattiya solasa damdaga. Jive nam bhamte! Jivato katikirie? Goyama! Siya tikirie siya chaukirie siya pamchakirie siya akirie. Jive nam bhamte! Neraiyao katikirie? Goyama! Siya tikirie siya chatukirie siya akirie. Evam java thaniyakumarao. Pudhavikkaiyao aukkaiyao teukkaiyao vaukkaiyao vanassaikaiyao beimdiya-teimdiya-chaurimdiya-pamchimdiyatirikkhajoniya manusato jaha jivato. Vanamamtara-joisiya-vemaniyao jaha neraiyao. Jive nam bhamte! Jivehimto katikirie? Goyama! Siya tikirie siya chaukirie siya pamchakirie siya akirie. Jive nam bhamte! Neraiehimto katikirie? Goyama! Siya tikirie siya chaukirie siya akirie. Evam jaheva padhamo damdao taha eso vi bitio bhaniyavvo. Jiva nam bhamte! Jivao katikiriya? Goyama! Tikiriya vi chaukiriya vi pamchakiriya vi akiriya vi. Jiva nam bhamte! Neraiyao katikiriya? Goyama! Jaheva ailladamdao taheva bhaniyavvo java vemaniya tti. Jiva nam bhamte! Jivehimto katikiriya? Goyama! Tikiriya vi chaukiriya vi pamchakiriya vi akiriya vi. Jiva nam bhamte! Neraiehimto katikiriya? Goyama! Tikiriya vi chaukiriya vi akiriya vi. Asurakumarehimto vi evam cheva java vemaniehimto. Oraliyasarirehimto jaha jivehimto. Neraie nam bhamte! Jivato katikirie? Goyama! Siya tikirie siya chaukirie siya pamchakirie. Neraie nam bhamte! Neraiyao katikirie? Goyama! Siya tikirie siya chaukirie. Evam java thaniyakumarao pudhavikaiyao java manussao jaha jivao. Vanamamtara-joisiya-vemaniyao jaha neraiyao. Neraie nam bhamte! Jivehimto kaikirie? Goyama! Siya tikirie siya chaukirie siya pamchakirie Neraie nam bhamte! Neraiehimto kaikirie? Goyama! Siya tikirie siya chaukirie. Evam jaheva padhamo damdao taha eso vi bitio bhaniyavvo. Evam java vemaniehimto, navaram–neraiyassa neraiehimto devehimto ya pamchama kiriya natthi. Neraiya nam bhamte! Jivao katikiriya? Goyama! Siya tikiriya siya chaukiriya siya pamchakiriya. Evam java vemaniyao, navaram–neraiyao devao ya pamchama kiriya natthi. Neraiya nam bhamte! Jivehimto katikiriya? Goyama! Tikiriya vi chaukiriya vi pamchakiriya vi Neraiya nam bhamte! Neraiehimto katikiriya? Goyama! Tikiriya vi chaukiriya vi. Evam java vemaniehimto, navaram–oraliyasarirehimto jaha jivehimto. Asurakumare nam bhamte! Jivato katikirie? Goyama! Jaheva neraie chattari damdaga taheva asurakumare vi chattari damdaga bhaniyavva. Evam uvaujjiuna bhaveyavvam ti–jive manuse ya akirie vuchchati, sesa akiriya na vuchchamti. Savvajiva oraliyasarirehimto pamchakiriya, neraiya-devehimto ya pamchakiriya na vuchchamti. Evam ekkekkajivapae chattari chattari damdaga bhaniyavva. Evam eyam damdagasayam. Savve vi ya jivadiya damdaga.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Eka jiva jnyanavaraniya karma ko bamdhata hua kitani kriyaom vala hota hai\? Gautama ! Kadachit tina, kadachit chara aura kadachit pamcha. Isi prakara eka nairayika se eka vaimanika taka kahana. (aneka) jiva jnyanavaraniya karma ko bamdhate hue, kitani kriyaom vale hote haim\? Gautama ! Purvavat samasta kathana kahana. Isa prakara shesha sarva karmaprakritiyom ko vaimanika taka samajha lena. Ekatva aura prithaktva ke solaha dandaka hote haim. Bhagavan ! (eka) jiva, (eka) jiva ki apeksha se kitani kriyaom vala hota hai\? Gautama ! Kadachit tina, kadachit chara, kadachit pamcha aura kadachit akriya. Bhagavan ! (eka) jiva, (eka) naraka ki apeksha se kitani kriyaom vala hota hai\? Gautama ! Kadachit tina, kadachita chara aura kadachit akriya. Isi prakara eka jiva ki, (eka) stanitakumara taka ki kriyaem kahana. Eka jiva ka eka prithvikayika, yavat vanaspatikayika, dvindriya yavat pamchendriyatiryamchayonika evam eka manushya ki apeksha se kahana. Eka vanavyantara, jyotishka aura vaimanika ki apeksha kriyasambandhi alapaka nairayika ke samana kahana. Bhagavan ! (eka) jiva, (aneka) jivom ki apeksha se kitani kriyaomvala hota hai\? Gautama ! Eka jiva ke samana hi kathana karana. Bhagavan ! (eka) jiva, (aneka) nairayikom ki apeksha se kitani kriyaom vala hota hai\? Gautama ! Eka jiva ke samana hi janana. Aneka jiva ka eka jiva ke satha, aneka jiva ka aneka jiva ke satha bhi isi prakara kathana kara lena. Isi prakara aneka jivom ke aneka asurakumarom se yavat (aneka) vaimanikom ki apeksha se kriyasambandhi alapaka kahana. Vishesha yaha ki (aneka) audarikashariradharakom se jaba kriyasambandhi alapaka kahane hom, taba ukta aneka jivom ki apeksha se kriyasambandhi alapaka ke samana kahana. (eka) nairayika, (eka) jiva ki apeksha se kitani kriyavala hota hai\? Gautama ! Kadachit tina, kadachit chara aura kadachit pamcha kriyaom vala. Bhagavan ! (eka) nairayika (eka) nairayika ki apeksha se kitani kriyaom vala hota hai\? Gautama ! Kadachit tina aura kadachit chara kriyaom vala. Isi prakara yavat eka vaimanika ki apeksha se kahana. Vishesha yaha ki (eka) audarikashariradharaka jiva ki apeksha se kahane hom, taba eka jiva ki apeksha ke samana kahana. Bhagavan ! (eka) naraka, (aneka) jivom ki apeksha se kitani kriyaom vala hota hai\? Gautama ! Kadachit tina, kadachit chara aura kadachit pamcha kriyaom vala. Bhagavan ! Eka nairayika, aneka nairayikom ki apeksha se kitani kriyaom vala hota hai\? Gautama ! Kadachit tina aura kadachit chara kriyaomvala. Isa prakara dandaka samana yaha dandaka bhi kahana. Isi prakara yavat aneka vaimanikom ki apeksha se kahana. Vishesha yaha ki (eka) nairayika ke (aneka) nairayikom ki apeksha se pamchama kriya nahim hoti. Bhagavan ! (aneka) nairayika, (eka) jiva ki apeksha se kitani kriyaomvale hote haim\? Gautama ! Kadachit tina, kadachit chara aura kadachit pamcha kriyaom vale. Isi prakara yavat eka vaimanika ki apeksha se kahana. Vishesha yaha ki (eka) nairayika ya (eka) deva ki apeksha se pamchama kriya nahim hoti. Bhagavan ! (aneka) naraka, (aneka) jivom ki apeksha se kitani kriyao vale hote haim\? Gautama ! Tina, chara aura pamcha kriyaom valem bhi hote haim. Bhagavan ! (aneka) nairayika, (aneka) nairayikom ki apeksha se kitani kriyaom vale hote haim\? Gautama ! Tina athava chara. Isi prakara aneka vaimanikom ki apeksha se kahana. Vishesha yaha ki aneka audarikashariradhari jivom ki apeksha se, alapaka mem kathita aneka jivom ke kriyasambandhi alapaka ke samana kahana. Bhagavan ! (eka) asurakumara, eka jiva ki apeksha se kitani kriyaomvala hota hai\? Gautama ! Naraka ki apeksha se chara dandaka samana asurakumara ki apeksha se bhi kahana. Isa prakara ka upayoga lagakara vichara kara lena chahie ki eka jiva aura eka manushya hi akriya kaha jata hai, shesha sabhi jiva akriya nahim kahe jate. Sarva jiva, audarika shariradhari aneka jivom ki apeksha se – pamcha kriya vale hote haim. Narakom aura devom ki apeksha se pamcha kriyaomvale nahim kahe jate. Isa prakara eka – eka jiva ke pada mem chara – chara dandaka kahana. Yom kula sau dandaka hote haim. Ye saba eka jiva adi se sambandhita dandaka haim.