Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )

Search Details

Mool File Details

Anuvad File Details

Sr No : 1006829
Scripture Name( English ): Pragnapana Translated Scripture Name : प्रज्ञापना उपांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

पद-२२ क्रिया

Translated Chapter :

पद-२२ क्रिया

Section : Translated Section :
Sutra Number : 529 Category : Upang-04
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] कति णं भंते! किरियाओ पन्नत्ताओ? गोयमा! पंच किरियाओ पन्नत्ताओ, तं जहा–काइया जाव पाणाइवायकिरिया। नेरइयाणं भंते! कति किरियाओ पन्नत्ताओ? गोयमा! पंच किरियाओ पन्नत्ताओ, तं जहा–काइया जाव पाणाइवायकिरिया। एवं जाव वेमानियाणं। जस्स णं भंते! जीवस्स काइया किरिया कज्जइ तस्स अहिगरणिया किरिया कज्जति? जस्स अहिगरणिया किरिया कज्जति तस्स काइया किरिया कज्जति? गोयमा! जस्स णं जीवस्स काइया किरिया कज्जति तस्स अहिगरणी नियमा कज्जति, जस्स अहिगरणी किरिया कज्जति तस्स वि काइया किरिया नियमा कज्जति। जस्स णं भंते! जीवस्स काइया किरिया कज्जति तस्स पाओसिया किरिया कज्जति? जस्स पाओसिया किरिया कज्जति तस्स काइया किरिया कज्जति? गोयमा! एवं चेव। जस्स णं भंते! जीवस्स काइया किरिया कज्जइ तस्स पारियावणिया किरिया कज्जइ? जस्स पारियावणिया किरिया कज्जइ तस्स काइया किरिया कज्जति? गोयमा! जस्स णं जीवस्स काइया किरिया कज्जइ तस्स पारियावणिया किरिया सिय कज्जति सिय नो कज्जति, जस्स पुण पारियावणिया किरिया कज्जति तस्स काइया नियमा कज्जति। एवं पाणाइवायकिरिया वि। एवं आदिल्लाओ परोप्परं नियमा तिन्नि कज्जंति। जस्स आदिल्लाओ तिन्नि कज्जंति तस्स उवरिल्लाओ दोन्नि सिय कज्जंति सिय नो कज्जंति। जस्स उवरिल्लाओ दोन्नि कज्जंति तस्स आइल्लाओ तिन्नि नियमा कज्जंति। जस्स णं भंते! जीवस्स पारियावणिया किरिया कज्जइ तस्स पाणाइवायकिरिया कज्जति? जस्स पाणाइवायकिरिया कज्जति तस्स पारियावणिया किरिया कज्जति? गोयमा! जस्स णं जीवस्स पारियावणिया कज्जति तस्स पाणाइवायकिरिया सिय कज्जति सिय नो कज्जति, जस्स पुण पाणाइवायकिरिया कज्जति तस्स पारियावणिया किरिया नियमा कज्जति। जस्स णं भंते! नेरइयस्स काइया किरिया कज्जति तस्स अहिगरणिया किरिया कज्जति? गोयमा! जहेव जीवस्स तहेव नेरइयस्स वि। एवं निरंतरं जाव वेमानियस्स। जं समयं णं भंते! जीवस्स काइया किरिया कज्जति तं समयं अहिगरणिया किरिया कज्जति? जं समयं अहिगरणिया किरिया कज्जति तं समयं काइया किरिया कज्जति? एवं जहेव आइल्लओ दंडओ भणिओ तहेव भाणियव्वो जाव वेमानियस्स। जं देसं णं भंते! जीवस्स काइया किरिया कज्जति तं देसं णं अहिगरणिया किरिया कज्जति? तहेव जाव वेमानियस्स। जं पएसं णं भंते! जीवस्स काइया किरिया कज्जति तं पएसं अहिगरणिया किरिया कज्जति? एवं तहेव जाव वेमानियस्स। एवं एते–जस्स, जं समयं, जं देसं, जं पएसं णं–चत्तारि दंडगा होंति। कति णं भंते! आओजिताओ किरियाओ पन्नत्ताओ? गोयमा! पंच आओजिताओ किरियाओ पन्नत्ताओ, तं जहा–काइया जाव पाणाइवायकिरिया। एवं नेरइयाणं जाव वेमानियाणं। जस्स णं भंते! जीवस्स काइया आओजिया किरिया अत्थि तस्स अहिकरणिया आओजिया किरिया अत्थि? जस्स अहिगरणिया आओजिया किरिया अत्थि तस्स काइया आओजिया किरिया अत्थि? एवं एतेणं अभिलावेणं ते चेव चत्तारि दंडगा भाणियव्वा–जस्स, जं समयं, जं देसं, जं पदेसं जाव वेमानियाणं। जीवे णं भंते! जं समयं काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए किरियाए पुट्ठे तं समयं पारियावणियाए किरियाए पुट्ठे? पाणाइवायकिरियाए पुट्ठे? गोयमा! अत्थेगइए जीवे एगइयाओ जीवाओ जं समयं काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए किरियाए पुट्ठे तं समयं पारियावणियाए किरियाए पुट्ठे पाणाइवाय किरियाए पुट्ठे। अत्थेगइए जीवे एगइओ जीवाओ जं समयं काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए किरियाए पुट्ठे तं समयं पारियावणियाए किरियाए पुट्ठे पाणाइवाय-किरियाए अपुट्ठे, अत्थेगइए जीवे एगइयाओ जीवाओ जं समयं काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए किरियाए पुट्ठे तं समयं पारियावणियाए किरियाए अपुट्ठे पाणाइवायकिरियाए अपुट्ठे। अत्थेगइए जीवे एगइयाओ जीवाओ जं समयं काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए किरियाए अपुट्ठे तं समयं पारियावणियाए किरियाए अपुट्ठे पाणाइवायकिरियाए अपुट्ठे।
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! क्रियाएं कितनी हैं ? गौतम ! पाँच हैं। कायिकी यावत्‌ प्राणातिपातक्रिया। भगवन्‌ ! नारकों के कितनी क्रियाएं हैं ? गौतम ! पाँच, पूर्ववत्‌ ! इसी प्रकार वैमानिकों में भी जानना। जिस जीव के कायकीक्रिया होती है, उसको आधिकरणिकीक्रिया तथा जिस जीव के आधिकरणिकीक्रिया होती है, उसके कायिकीक्रिया होती है ? गौतम ! वे दोनों होती हैं। जिस जीव के कायिकीक्रिया होती है उसके प्राद्वेषिकीक्रिया और जिसके प्राद्वेषि – कीक्रिया होती है, उसके कायिकीक्रिया होती है ? गौतम ! दोनों होती हैं। जिस जीव के कायिकीक्रिया होती है, उसके पारितापनिकी तथा जिसके पारितापनिकी क्रिया होती है, उसके कायिकीक्रिया होती है ? गौतम ! जिस जीव के कायिकीक्रिया होती है, उसके पारितापनिकीक्रिया कदाचित्‌ होती है, कदाचित्‌ नहीं, किन्तु जिसके पारि – तापनिकीक्रिया होती है, उसके कायिकीक्रिया नियम से होती है। इसी प्रकार प्राणातिपातक्रिया भी जानना। इस प्रकार प्रारम्भ की तीन क्रियाओं का परस्पर सहभाव नियम से है। जिसके प्रारम्भ की तीन क्रियाएं होती हैं, उसके आगे की दो क्रियाएं कदाचित्‌ होती हैं, कदाचित्‌ नहीं; जिसके आगे की दो क्रियाएं होती हैं, उसके प्रारम्भ की तीन क्रियाएं नियम से होती हैं। जिसके पारितापनिकीक्रिया होती है, उसके प्राणातिपातक्रिया तथा जिसके प्राणाति – पातक्रिया होती है, उसके पारितापनिकीक्रिया होती है ? गौतम ! जिसको पारितापनिकीक्रिया होती है, उसको प्राणातिपातक्रिया कदाचित्‌ होती है, कदाचित्‌ नहीं, किन्तु जिस जीव के प्राणातिपातक्रिया होती है, उसके पारिता – पनिकीक्रिया नियम से होती है। जिस नैरयिक के कायिकीक्रिया होती है उसके आधिकरणिकीक्रिया होती है ? गौतम ! सामान्य जीव के समान समझ लेना। इसी प्रकार वैमानिक तक कहना। भगवन्‌ ! जिस समय जीव के कायिकीक्रिया होती है, क्या उस समय आधिकरणिकीक्रिया तथा जिस समय आधिकरणिकीक्रिया होती है, उस समय कायिकीक्रिया होती है ? क्रियाओं के परस्पर सहभाव के समान यहाँ भी वैमानिक तक कहना। जिस देश में जीव के कायिकीक्रिया होती है, उस देश में आधिकरणिकीक्रिया होती है ? पूर्ववत्‌ वैमानिक तक कहना। जिस प्रदेश में जीव के कायिकीक्रिया होती है, उस प्रदेश में आधिकरणिकीक्रिया होती है ? पूर्ववत्‌ जानना। इस प्रकार जिस जीव के, जिस समय में, जिस देश में और जिस प्रदेश में ये चार दण्डक हैं। भगवन्‌ ! आयोजिता क्रियाएं कितनी हैं ? गौतम ! पाँच – कायिकी यावत्‌ प्राणातिपात क्रिया। नैरयिकों से लेकर वैमानिकों तक इसी प्रकार कहना। जिस जीव के कायिकी – आयोजिताक्रिया होती है, उसके आधिकरणिकी – आयोजितक्रिया और जिसके आधिकरणिकी – आयोजिताक्रिया होती है, उसके कायिकी – आयोजिताक्रिया होती है? पूर्ववत्‌ इस तथा अन्य अभिलाप के साथ जिस जीव में, जिस समय में, जिस देश में और जिस प्रदेश में – ये चारों दण्डक यावत्‌ वैमानिकों तक कहना। भगवन्‌ ! जिस समय जीव कायिकी, आधिकरणिकी और प्राद्वेषिकी क्रिया से स्पृष्ट होता है, उस समय पारितापनिकी अथवा प्राणातिपातिकी क्रिया से स्पृष्ट होता है। गौतम ! कोई जीव, एक जीव की अपेक्षा पारितापनिकीक्रिया और प्राणातिपातक्रिया से स्पृष्ट होता है, कोई जीव, एक जीव की अपेक्षा पारितापनिकीक्रिया से स्पृष्ट होता है, किन्तु प्राणातिपातक्रिया से नहीं, कोई जीव, एक जीव की अपेक्षा पारिताप – निकीक्रिया और प्राणातिपातक्रिया से (भी) अस्पृष्ट होता है तथा कोई जीव, एक जीव की अपेक्षा से जिस समय कायिकी, आधिकरणिकी और प्राद्वेशिकी क्रिया से अस्पृष्ट होता है, उस समय पारितापनिकीक्रिया और प्राणाति – पातक्रिया से भी अस्पृष्ट होता है।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] kati nam bhamte! Kiriyao pannattao? Goyama! Pamcha kiriyao pannattao, tam jaha–kaiya java panaivayakiriya. Neraiyanam bhamte! Kati kiriyao pannattao? Goyama! Pamcha kiriyao pannattao, tam jaha–kaiya java panaivayakiriya. Evam java vemaniyanam. Jassa nam bhamte! Jivassa kaiya kiriya kajjai tassa ahigaraniya kiriya kajjati? Jassa ahigaraniya kiriya kajjati tassa kaiya kiriya kajjati? Goyama! Jassa nam jivassa kaiya kiriya kajjati tassa ahigarani niyama kajjati, jassa ahigarani kiriya kajjati tassa vi kaiya kiriya niyama kajjati. Jassa nam bhamte! Jivassa kaiya kiriya kajjati tassa paosiya kiriya kajjati? Jassa paosiya kiriya kajjati tassa kaiya kiriya kajjati? Goyama! Evam cheva. Jassa nam bhamte! Jivassa kaiya kiriya kajjai tassa pariyavaniya kiriya kajjai? Jassa pariyavaniya kiriya kajjai tassa kaiya kiriya kajjati? Goyama! Jassa nam jivassa kaiya kiriya kajjai tassa pariyavaniya kiriya siya kajjati siya no kajjati, jassa puna pariyavaniya kiriya kajjati tassa kaiya niyama kajjati. Evam panaivayakiriya vi. Evam adillao paropparam niyama tinni kajjamti. Jassa adillao tinni kajjamti tassa uvarillao donni siya kajjamti siya no kajjamti. Jassa uvarillao donni kajjamti tassa aillao tinni niyama kajjamti. Jassa nam bhamte! Jivassa pariyavaniya kiriya kajjai tassa panaivayakiriya kajjati? Jassa panaivayakiriya kajjati tassa pariyavaniya kiriya kajjati? Goyama! Jassa nam jivassa pariyavaniya kajjati tassa panaivayakiriya siya kajjati siya no kajjati, jassa puna panaivayakiriya kajjati tassa pariyavaniya kiriya niyama kajjati. Jassa nam bhamte! Neraiyassa kaiya kiriya kajjati tassa ahigaraniya kiriya kajjati? Goyama! Jaheva jivassa taheva neraiyassa vi. Evam niramtaram java vemaniyassa. Jam samayam nam bhamte! Jivassa kaiya kiriya kajjati tam samayam ahigaraniya kiriya kajjati? Jam samayam ahigaraniya kiriya kajjati tam samayam kaiya kiriya kajjati? Evam jaheva aillao damdao bhanio taheva bhaniyavvo java vemaniyassa. Jam desam nam bhamte! Jivassa kaiya kiriya kajjati tam desam nam ahigaraniya kiriya kajjati? Taheva java vemaniyassa. Jam paesam nam bhamte! Jivassa kaiya kiriya kajjati tam paesam ahigaraniya kiriya kajjati? Evam taheva java vemaniyassa. Evam ete–jassa, jam samayam, jam desam, jam paesam nam–chattari damdaga homti. Kati nam bhamte! Aojitao kiriyao pannattao? Goyama! Pamcha aojitao kiriyao pannattao, tam jaha–kaiya java panaivayakiriya. Evam neraiyanam java vemaniyanam. Jassa nam bhamte! Jivassa kaiya aojiya kiriya atthi tassa ahikaraniya aojiya kiriya atthi? Jassa ahigaraniya aojiya kiriya atthi tassa kaiya aojiya kiriya atthi? Evam etenam abhilavenam te cheva chattari damdaga bhaniyavva–jassa, jam samayam, jam desam, jam padesam java vemaniyanam. Jive nam bhamte! Jam samayam kaiyae ahigaraniyae paosiyae kiriyae putthe tam samayam pariyavaniyae kiriyae putthe? Panaivayakiriyae putthe? Goyama! Atthegaie jive egaiyao jivao jam samayam kaiyae ahigaraniyae paosiyae kiriyae putthe tam samayam pariyavaniyae kiriyae putthe panaivaya kiriyae putthe. Atthegaie jive egaio jivao jam samayam kaiyae ahigaraniyae paosiyae kiriyae putthe tam samayam pariyavaniyae kiriyae putthe panaivaya-kiriyae aputthe, atthegaie jive egaiyao jivao jam samayam kaiyae ahigaraniyae paosiyae kiriyae putthe tam samayam pariyavaniyae kiriyae aputthe panaivayakiriyae aputthe. Atthegaie jive egaiyao jivao jam samayam kaiyae ahigaraniyae paosiyae kiriyae aputthe tam samayam pariyavaniyae kiriyae aputthe panaivayakiriyae aputthe.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Kriyaem kitani haim\? Gautama ! Pamcha haim. Kayiki yavat pranatipatakriya. Bhagavan ! Narakom ke kitani kriyaem haim\? Gautama ! Pamcha, purvavat ! Isi prakara vaimanikom mem bhi janana. Jisa jiva ke kayakikriya hoti hai, usako adhikaranikikriya tatha jisa jiva ke adhikaranikikriya hoti hai, usake kayikikriya hoti hai\? Gautama ! Ve donom hoti haim. Jisa jiva ke kayikikriya hoti hai usake pradveshikikriya aura jisake pradveshi – kikriya hoti hai, usake kayikikriya hoti hai\? Gautama ! Donom hoti haim. Jisa jiva ke kayikikriya hoti hai, usake paritapaniki tatha jisake paritapaniki kriya hoti hai, usake kayikikriya hoti hai\? Gautama ! Jisa jiva ke kayikikriya hoti hai, usake paritapanikikriya kadachit hoti hai, kadachit nahim, kintu jisake pari – tapanikikriya hoti hai, usake kayikikriya niyama se hoti hai. Isi prakara pranatipatakriya bhi janana. Isa prakara prarambha ki tina kriyaom ka paraspara sahabhava niyama se hai. Jisake prarambha ki tina kriyaem hoti haim, usake age ki do kriyaem kadachit hoti haim, kadachit nahim; jisake age ki do kriyaem hoti haim, usake prarambha ki tina kriyaem niyama se hoti haim. Jisake paritapanikikriya hoti hai, usake pranatipatakriya tatha jisake pranati – patakriya hoti hai, usake paritapanikikriya hoti hai\? Gautama ! Jisako paritapanikikriya hoti hai, usako pranatipatakriya kadachit hoti hai, kadachit nahim, kintu jisa jiva ke pranatipatakriya hoti hai, usake parita – panikikriya niyama se hoti hai. Jisa nairayika ke kayikikriya hoti hai usake adhikaranikikriya hoti hai\? Gautama ! Samanya jiva ke samana samajha lena. Isi prakara vaimanika taka kahana. Bhagavan ! Jisa samaya jiva ke kayikikriya hoti hai, kya usa samaya adhikaranikikriya tatha jisa samaya adhikaranikikriya hoti hai, usa samaya kayikikriya hoti hai\? Kriyaom ke paraspara sahabhava ke samana yaham bhi vaimanika taka kahana. Jisa desha mem jiva ke kayikikriya hoti hai, usa desha mem adhikaranikikriya hoti hai\? Purvavat vaimanika taka kahana. Jisa pradesha mem jiva ke kayikikriya hoti hai, usa pradesha mem adhikaranikikriya hoti hai\? Purvavat janana. Isa prakara jisa jiva ke, jisa samaya mem, jisa desha mem aura jisa pradesha mem ye chara dandaka haim. Bhagavan ! Ayojita kriyaem kitani haim\? Gautama ! Pamcha – kayiki yavat pranatipata kriya. Nairayikom se lekara vaimanikom taka isi prakara kahana. Jisa jiva ke kayiki – ayojitakriya hoti hai, usake adhikaraniki – ayojitakriya aura jisake adhikaraniki – ayojitakriya hoti hai, usake kayiki – ayojitakriya hoti hai? Purvavat isa tatha anya abhilapa ke satha jisa jiva mem, jisa samaya mem, jisa desha mem aura jisa pradesha mem – ye charom dandaka yavat vaimanikom taka kahana. Bhagavan ! Jisa samaya jiva kayiki, adhikaraniki aura pradveshiki kriya se sprishta hota hai, usa samaya paritapaniki athava pranatipatiki kriya se sprishta hota hai. Gautama ! Koi jiva, eka jiva ki apeksha paritapanikikriya aura pranatipatakriya se sprishta hota hai, koi jiva, eka jiva ki apeksha paritapanikikriya se sprishta hota hai, kintu pranatipatakriya se nahim, koi jiva, eka jiva ki apeksha paritapa – nikikriya aura pranatipatakriya se (bhi) asprishta hota hai tatha koi jiva, eka jiva ki apeksha se jisa samaya kayiki, adhikaraniki aura pradveshiki kriya se asprishta hota hai, usa samaya paritapanikikriya aura pranati – patakriya se bhi asprishta hota hai.