Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )

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Sr No : 1006821
Scripture Name( English ): Pragnapana Translated Scripture Name : प्रज्ञापना उपांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

पद-२१ अवगाहना संस्थान

Translated Chapter :

पद-२१ अवगाहना संस्थान

Section : Translated Section :
Sutra Number : 521 Category : Upang-04
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] जीवस्स णं भंते! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता? गोयमा! सरीरपमाणमेत्ता विक्खंभबाहल्लेणं; आयामेणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागो, उक्कोसेणं लोगंताओ लोगंतो। एगिंदियस्स णं भंते! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता? गोयमा! एवं चेव जाव पुढवि-आउ-तेउ-वाउ-वणप्फइकाइयस्स। बेइंदियस्स णं भंते! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता? गोयमा! सरीरपमाणमेत्ता विक्खंभ-बाहल्लेणं; आयामेणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं तिरियलोगाओ लोगंते। एवं जाव चउरिंदियस्स। नेरइयस्स णं भंते! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता? गोयमा! सरीरपमाणमेत्ता विक्खंभ-बाहल्लेणं; आयामेणं जहन्नेणं सातिरेगं जोयणसहस्सं, उक्कोसेणं अहे जाव अहेसत्तमा पुढवी, तिरियं जाव सयंभूरमणे समुद्दे, उड्ढं जाव पंडगवणे पुक्खरिणीओ। पंचेंदियतिरिक्खजोणियस्स णं भंते! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता? गोयमा! जहा बेइंदियसरीरस्स। मनूसस्स णं भंते! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता? गोयमा! समयखेत्ताओ लोगंते। असुरकुमारस्स णं भंते! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता? गोयमा! सरीरपमाणमेत्ता विक्खंभ-बाहल्लेणं; आयामेणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं अहे जाव तच्चाए पुढवीए हेट्ठिल्ले चरिमंते, तिरियं जाव सयंभुरमणसमुद्दस्स बाहिरिल्ले वेइयंते, उड्ढं जाव इसीपब्भारा पुढवी। एवं जाव थणियकुमारतेयगस-रीरस्स। वाणमंतर-जोइसिया सोहम्मीसाणगा य एवं चेव। सणंकुमारदेवस्स णं भंते! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता? गोयमा! सरीरपमाणमेत्ता विक्खंभ-बाहल्लेणं, आयामेणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं अहे जाव महापातालाणं दोच्चे तिभागे, तिरियं जाव सयंभुरमणसमुद्दे, उड्ढं जाव अच्चुओ कप्पो। एवं जाव सहस्सारदेवस्स। आणयदेवस्स णं भंते! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता? गोयमा! सरीरपमाणमेत्ता विक्खंभ-बाहल्लेणं; आयामेणं जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं अहे जाव अहेलोइयगामा तिरियं जाव मनूसखेत्ते, उड्ढं जाव अच्चुओ कप्पो। एवं जाव आरणदेवस्स। अच्चुयदेवस्स वि एवं चेव, नवरं–उड्ढं जाव सगाइं विमानाइं। गेवेज्जगदेवस्स णं भंते! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरो-गाहणा पन्नत्ता? गोयमा! सरीरपमाणमेत्ता विक्खंभबाहल्लेणं; आयामेणं जहन्नेणं विज्जाहरसेढीओ, उक्कोसेणं जाव अहेलोइयगामा, तिरियं जाव मनूसखेत्ते, उड्ढं जाव सगाइं विमानाइं। अनुत्तरोव-वाइयस्स वि एवं चेव। कम्मगसरीरे णं भंते! कतिविहे पन्नत्ते? गोयमा! पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा–एगिंदियकम्मगसरीरे जाव पंचेंदियकम्मगसरीरे। एवं जहेव तेयगसरीरस्स भेदो संठाणं ओगाहणा य भणिया तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव अनुत्तरोववाइय त्ति।
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! मारणान्तिकसमुद्‌घात से समवहत जीव के तैजसशरीर की अवगाहना कितनी होती है ? गौतम! विष्कम्भ और बाहल्य, अनुसार शरीरप्रमाणमात्र ही होती है। लम्बाई की अपेक्षा जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग, उत्कृष्ट लोकान्त से लोकान्त तक हैं। मारणान्तिकसमुद्‌घात से समवहत एकेन्द्रिय के तैजसशरीर की अवगाहना ? गौतम ! इसी प्रकार पृथ्वी से वनस्पतिकायिक तक पूर्ववत्‌ समझना। मारणान्तिकसमुद्‌घात से समवहत द्वीन्द्रिय के तैजसशरीर की ? गौतम ! विष्कम्भ एवं बाहल्य से शरीरप्रमाणमात्र होती है। तथा लम्बाई से जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट तिर्यक्‌ लोक से लोकान्त तक अवगाहना समझना। इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय तक समझ लेना। मारणान्तिकसमुद्‌घात से समवहत नारक के तैजसशरीर की अवगाहना ? गौतम ! विष्कम्भ और बाहल्य से शरीरप्रमाणमात्र तथा आयाम से जघन्य सातिरेक एक हजार योजन, उत्कृष्ट नीचे की ओर अधःसप्तमनरकपृथ्वी तक, तिरछी यावत्‌ स्वयम्भूरमणसमुद्र तक और ऊपर पण्डकवन में स्थित पुष्करिणी तक है। मारणान्तिकसमुद्‌घात से समवहत पंचेन्द्रियतिर्यंच के तैजसशरीर की अवगाहना ? गौतम ! द्वीन्द्रिय के समान समझना। मारणान्तिकसमुद्‌घात से समवहत मनुष्य के तैजसशरीर की अवगाहना ? गौतम ! समयक्षेत्र से लोकान्त तक होती है। भगवन्‌ ! मारणान्तिकसमुद्‌घात से समवहत असुरकुमार के तैजसशरीर की अवगाहना कितनी है ? गौतम! विष्कम्भ और बाहल्य से शरीरप्रमाणमात्र तथा आयाम से जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग की और उत्कृष्ट नीचे की ओर तीसरी पृथ्वी के अधस्तनचरमान्त तक, तिरछी स्वयम्भूरमणसमुद्र की बाहरी वेदिका तक एवं ऊपर ईषत्‌प्राग्भारपृथ्वी तक। इसी प्रकार स्तनितकुमार तक समझना। वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क एवं सौधर्म ईशान तक भी इसी प्रकार समझना। मारणान्तिकसमुद्‌घात से समवहत सनत्कुमार – देव तैजसशरीर की अवगाहना ? गौतम ! विष्कम्भ एवं बाहल्य से शरीर – प्रमाणमात्र और आयाम से जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग तथा उत्कृष्ट नीचे महापाताल (कलश) के द्वितीय त्रिभाग तक, तिरछी स्वयम्भूरमणसमुद्र तक और ऊपर अच्युतकल्प तक होती है। इसी प्रकार सहस्रारकल्प के देवों तक समझना। मारणान्तिकसमुद्‌घात से समवहत आनतदेव के तैजस – शरीर की अवगाहना ? गौतम ! विष्कम्भ और बाहल्य से शरीर प्रमाण और आयाम से जघन्य अंगुल के असंख्या – तवें भाग, उत्कृष्ट – नीचे की ओर अधोलौकिकग्राम तक, तिरछी मनुष्यक्षेत्र तक और ऊपर अच्युतकल्प तक होती है। इसी प्रकार प्राणत और आरण तक समझना। अच्युतदेव की भी इन्हीं के समान हैं। विशेष इतना है कि ऊपर अपने – अपने विमानों तक होती है। भगवन्‌ ! मारणान्तिक समुद्‌घात से समवहत ग्रैवेयकदेव के तैजसशरीर की अवगाहना ? गौतम ! विष्कम्भ और बाहल्य की अपेक्षा से शरीरप्रमाणमात्र तथा आयाम से जघन्य विद्याधरश्रेणियों तक और उत्कृष्ट नीचे की ओर अधोलौकिकग्राम तक, तिरछी मनुष्यक्षेत्र तक और ऊपर अपने विमानों तक होती है। अनुत्तरौपपातिकदेव भी इसी प्रकार समझना। भगवन्‌ ! कार्मणशरीर कितने प्रकार का है ? गौतम ! पाँच प्रकार का – एकेन्द्रिय यावत्‌ पंचेन्द्रिय – कार्मण – शरीर। तैजस – शरीर के भेद, संस्थान और अवगाहना के समान सम्पूर्ण कथन अनुत्तरौपपातिक तक करना।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] jivassa nam bhamte! Maranamtiyasamugghaenam samohayassa teyasarirassa kemahaliya sarirogahana pannatta? Goyama! Sarirapamanametta vikkhambhabahallenam; ayamenam jahannenam amgulassa asamkhejjaibhago, ukkosenam logamtao logamto. Egimdiyassa nam bhamte! Maranamtiyasamugghaenam samohayassa teyasarirassa kemahaliya sarirogahana pannatta? Goyama! Evam cheva java pudhavi-au-teu-vau-vanapphaikaiyassa. Beimdiyassa nam bhamte! Maranamtiyasamugghaenam samohayassa teyasarirassa kemahaliya sarirogahana pannatta? Goyama! Sarirapamanametta vikkhambha-bahallenam; ayamenam jahannenam amgulassa asamkhejjaibhagam, ukkosenam tiriyalogao logamte. Evam java chaurimdiyassa. Neraiyassa nam bhamte! Maranamtiyasamugghaenam samohayassa teyasarirassa kemahaliya sarirogahana pannatta? Goyama! Sarirapamanametta vikkhambha-bahallenam; ayamenam jahannenam satiregam joyanasahassam, ukkosenam ahe java ahesattama pudhavi, tiriyam java sayambhuramane samudde, uddham java pamdagavane pukkharinio. Pamchemdiyatirikkhajoniyassa nam bhamte! Maranamtiyasamugghaenam samohayassa teyasarirassa kemahaliya sarirogahana pannatta? Goyama! Jaha beimdiyasarirassa. Manusassa nam bhamte! Maranamtiyasamugghaenam samohayassa teyasarirassa kemahaliya sarirogahana pannatta? Goyama! Samayakhettao logamte. Asurakumarassa nam bhamte! Maranamtiyasamugghaenam samohayassa teyasarirassa kemahaliya sarirogahana pannatta? Goyama! Sarirapamanametta vikkhambha-bahallenam; ayamenam jahannenam amgulassa asamkhejjaibhagam, ukkosenam ahe java tachchae pudhavie hetthille charimamte, tiriyam java sayambhuramanasamuddassa bahirille veiyamte, uddham java isipabbhara pudhavi. Evam java thaniyakumarateyagasa-rirassa. Vanamamtara-joisiya sohammisanaga ya evam cheva. Sanamkumaradevassa nam bhamte! Maranamtiyasamugghaenam samohayassa teyasarirassa kemahaliya sarirogahana pannatta? Goyama! Sarirapamanametta vikkhambha-bahallenam, ayamenam jahannenam amgulassa asamkhejjaibhagam, ukkosenam ahe java mahapatalanam dochche tibhage, tiriyam java sayambhuramanasamudde, uddham java achchuo kappo. Evam java sahassaradevassa. Anayadevassa nam bhamte! Maranamtiyasamugghaenam samohayassa teyasarirassa kemahaliya sarirogahana pannatta? Goyama! Sarirapamanametta vikkhambha-bahallenam; ayamenam jahannenam amgulassa asamkhejjaibhagam, ukkosenam ahe java aheloiyagama tiriyam java manusakhette, uddham java achchuo kappo. Evam java aranadevassa. Achchuyadevassa vi evam cheva, navaram–uddham java sagaim vimanaim. Gevejjagadevassa nam bhamte! Maranamtiyasamugghaenam samohayassa teyasarirassa kemahaliya sariro-gahana pannatta? Goyama! Sarirapamanametta vikkhambhabahallenam; ayamenam jahannenam vijjaharasedhio, ukkosenam java aheloiyagama, tiriyam java manusakhette, uddham java sagaim vimanaim. Anuttarova-vaiyassa vi evam cheva. Kammagasarire nam bhamte! Kativihe pannatte? Goyama! Pamchavihe pannatte, tam jaha–egimdiyakammagasarire java pamchemdiyakammagasarire. Evam jaheva teyagasarirassa bhedo samthanam ogahana ya bhaniya taheva niravasesam bhaniyavvam java anuttarovavaiya tti.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Maranantikasamudghata se samavahata jiva ke taijasasharira ki avagahana kitani hoti hai\? Gautama! Vishkambha aura bahalya, anusara sharirapramanamatra hi hoti hai. Lambai ki apeksha jaghanya amgula ke asamkhyatavem bhaga, utkrishta lokanta se lokanta taka haim. Maranantikasamudghata se samavahata ekendriya ke taijasasharira ki avagahana\? Gautama ! Isi prakara prithvi se vanaspatikayika taka purvavat samajhana. Maranantikasamudghata se samavahata dvindriya ke taijasasharira ki\? Gautama ! Vishkambha evam bahalya se sharirapramanamatra hoti hai. Tatha lambai se jaghanya amgula ke asamkhyatavem bhaga aura utkrishta tiryak loka se lokanta taka avagahana samajhana. Isi prakara chaturindriya taka samajha lena. Maranantikasamudghata se samavahata naraka ke taijasasharira ki avagahana\? Gautama ! Vishkambha aura bahalya se sharirapramanamatra tatha ayama se jaghanya satireka eka hajara yojana, utkrishta niche ki ora adhahsaptamanarakaprithvi taka, tirachhi yavat svayambhuramanasamudra taka aura upara pandakavana mem sthita pushkarini taka hai. Maranantikasamudghata se samavahata pamchendriyatiryamcha ke taijasasharira ki avagahana\? Gautama ! Dvindriya ke samana samajhana. Maranantikasamudghata se samavahata manushya ke taijasasharira ki avagahana\? Gautama ! Samayakshetra se lokanta taka hoti hai. Bhagavan ! Maranantikasamudghata se samavahata asurakumara ke taijasasharira ki avagahana kitani hai\? Gautama! Vishkambha aura bahalya se sharirapramanamatra tatha ayama se jaghanya amgula ke asamkhyatavem bhaga ki aura utkrishta niche ki ora tisari prithvi ke adhastanacharamanta taka, tirachhi svayambhuramanasamudra ki bahari vedika taka evam upara ishatpragbharaprithvi taka. Isi prakara stanitakumara taka samajhana. Vanavyantara, jyotishka evam saudharma ishana taka bhi isi prakara samajhana. Maranantikasamudghata se samavahata sanatkumara – deva taijasasharira ki avagahana\? Gautama ! Vishkambha evam bahalya se sharira – pramanamatra aura ayama se jaghanya amgula ke asamkhyatavem bhaga tatha utkrishta niche mahapatala (kalasha) ke dvitiya tribhaga taka, tirachhi svayambhuramanasamudra taka aura upara achyutakalpa taka hoti hai. Isi prakara sahasrarakalpa ke devom taka samajhana. Maranantikasamudghata se samavahata anatadeva ke taijasa – sharira ki avagahana\? Gautama ! Vishkambha aura bahalya se sharira pramana aura ayama se jaghanya amgula ke asamkhya – tavem bhaga, utkrishta – niche ki ora adholaukikagrama taka, tirachhi manushyakshetra taka aura upara achyutakalpa taka hoti hai. Isi prakara pranata aura arana taka samajhana. Achyutadeva ki bhi inhim ke samana haim. Vishesha itana hai ki upara apane – apane vimanom taka hoti hai. Bhagavan ! Maranantika samudghata se samavahata graiveyakadeva ke taijasasharira ki avagahana\? Gautama ! Vishkambha aura bahalya ki apeksha se sharirapramanamatra tatha ayama se jaghanya vidyadharashreniyom taka aura utkrishta niche ki ora adholaukikagrama taka, tirachhi manushyakshetra taka aura upara apane vimanom taka hoti hai. Anuttaraupapatikadeva bhi isi prakara samajhana. Bhagavan ! Karmanasharira kitane prakara ka hai\? Gautama ! Pamcha prakara ka – ekendriya yavat pamchendriya – karmana – sharira. Taijasa – sharira ke bheda, samsthana aura avagahana ke samana sampurna kathana anuttaraupapatika taka karana.