Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006768 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-१७ लेश्या |
Translated Chapter : |
पद-१७ लेश्या |
Section : | उद्देशक-४ | Translated Section : | उद्देशक-४ |
Sutra Number : | 468 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] केवतिया णं भंते! कण्हलेस्साठाणा पन्नत्ता? गोयमा! असंखेज्जा कण्हलेस्साठाणा पन्नत्ता। एवं जाव सुक्कलेस्साए। एतेसि णं भंते! कण्हलेस्साठाणाणं जाव सुक्कलेस्साठाणाण य जहन्नगाणं दव्वट्ठयाए पएसट्ठयाए दव्वट्ठपएसट्ठयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा जहन्नगा काउलेस्साठाणा दव्वट्ठयाए, जहन्नगा नीललेस्साठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, जहन्नगा कण्हलेस्साठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, जहन्नगा तेउलेस्साठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, जहन्नगा पम्हलेस्साठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, जहन्नगा सुक्क-लेस्साठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा; पदेसट्ठयाए– सव्वत्थोवा जहन्नगा काउलेस्साठाणा पएस-ट्ठयाए, जहन्नगा नीललेस्सट्ठाणा पएसट्ठयाए असंखेज्जगुणा, जहन्नगा कण्हलेस्साठाणा पएसट्ठयाए असंखेज्जगुणा, जहन्नगा तेउलेस्सट्ठाणा पदेसट्ठयाए असंखेज्जगुणा, जहन्नगा पम्हलेस्सट्ठाणा पएस-ट्ठयाए असंखेज्जगुणा, जहन्नगा सुक्कलेस्साठाणा पदेसट्ठयाए असंखेज्जगुणा; दव्वट्ठ-पदेसट्ठयाए–सव्वत्थोवा जहन्नगा काउलेस्सट्ठाणा दव्वट्ठयाए, जहन्नगा नीललेस्सट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, एवं कण्हलेस्सट्ठाणा तेउलेस्सट्ठाणा पम्हलेस्सट्ठाणा, जहन्नगा सुक्कलेस्सट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखे-ज्जगुणा, जहन्नएहिंतो सुक्कलेस्सट्ठाणेहिंतो दव्वट्ठयाए जहन्नगा काउलेस्सट्ठाणा पदेसट्ठयाए अनंत-गुणा, जहन्नगा नीललेस्सट्ठाणा पएसट्ठयाए असंखेज्जगुणा। एवं जाव सुक्कलेस्सट्ठाणा। एतेसि णं भंते! कण्हलेस्सट्ठाणाणं जाव सुक्कलेस्सट्ठाणाण य उक्कोसगाणं दव्वट्ठयाए पएसट्ठयाए दव्वट्ठपएसट्ठयाए कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा उक्कोसगा काउलेस्सट्ठाणा दव्वट्ठयाए उक्कोसगा नीललेस्सट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा। एवं जहेव जहन्नगा तहेव उक्कोसगा वि, नवरं–उक्कोस त्ति अभिलावो। एतेसि णं भंते! कण्हलेस्सट्ठाणाणं जाव सुक्कलेस्सट्ठाणाण य जहन्नुक्कोसगाणं दव्वट्ठयाए पएसट्ठयाए दव्वट्ठपएसट्ठयाए कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा जहन्नगा काउलेस्सट्ठाणा दव्वट्ठयाए, जहन्नया नीललेस्सट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, एवं कण्हलेस्सट्ठाणा तेउलेस्सट्ठाणा पम्हलेस्सट्ठाणा, जहन्नगा सुक्कलेसट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, जहन्नएहिंतो सुक्कलेस्सट्ठाणेहिंतो दव्वट्ठयाए उक्कोसा काउलेस्सट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, उक्कोसा नीललेसट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, एवं कण्हलेस्सट्ठाणा तेउलेसट्ठाणा, पम्हलेसट्ठाणा, उक्कोसा सुक्कलेस्सट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा; पदेसट्ठयाए–सव्वत्थोवा जहन्नगा काउलेस्सट्ठाणा पएसट्ठयाए, जहन्नगा नीललेस्सट्ठाणा पएसट्ठयाए असंखे- ज्जगुणा, एवं जहेव दव्वट्ठयाए तहेव पएसट्ठयाए वि भाणियव्वं, नवरं–पएसट्ठयाए त्ति अभिलाव-विसेसो; दव्वट्ठपएसट्ठयाए–सव्वत्थोवा जहन्नगा काउलेस्सट्ठाणा दव्वट्ठयाए, जहन्नगा नीललेसट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, एवं कण्हलेसट्ठाणा तेउलेसट्ठाणा पम्हलेसट्ठाणा, जहन्नया सुक्कलेस-ट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, जहन्नएहिंतो सुक्कलेसट्ठाणेहिंतो दव्वट्ठयाए उक्कोसा काउलेस-ट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, उक्कोसा नीललेसट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, एवं कण्हलेसट्ठाणा तेउलेसट्ठाणा पम्हलेसट्ठाणा, उक्कोसगा सुक्कलेसट्ठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, उक्कोसएहिंतो सुक्कलेसट्ठाणेहिंतो दव्वट्ठयाए जहन्नगा काउलेसट्ठाणा पदेसट्ठयाए अनंतगुणा, जहन्नगा नीललेसट्ठाणा पएसट्ठयाए असंखेज्जगुणा, एवं कण्हलेसट्ठाणा तेउलेसट्ठाणा पम्हलेसट्ठाणा, जहन्नगा सुक्कलेसट्ठाणा असंखेज्जगुणा, जहन्नएहिंतो सुक्कलेसट्ठाणेहिंतो पदेसट्ठयाए उक्कोसा काउलेसट्ठाणा पदेसट्ठयाए असंखेज्जगुणा, उक्कोसया नीललेसट्ठाणा पदेसट्ठयाए असंखेज्जगुणा, एवं कण्हलेसट्ठाणा तेउलेसट्ठाणा पम्हलेसट्ठाणा, उक्कोसया सुक्कलेसट्ठाणा पएसट्ठयाए असंखेज्जगुणा। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! कृष्णलेश्या के स्थान कितने हैं ? गौतम ! असंख्यात, इसी प्रकार शुक्ललेश्या तक कहना। भगवन् इन कृष्णलेश्या यावत् शुक्ललेश्या के जघन्य स्थानों में से द्रव्य से, प्रदेशों से और द्रव्य तथा प्रदेशों से कौन, किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक है ? गौतम ! द्रव्य से, सबसे थोड़े जघन्य कापोतलेश्यास्थान हैं, उनसे नीललेश्या के असंख्यातगुणे हैं, उनसे कृष्णलेश्या के असंख्यातगुणे हैं, उनसे तेजोलेश्या के असंख्यातगुणे हैं, उनसे पद्मलेश्या के असंख्यातगुणे हैं, उनसे शुक्ललेश्या के असंख्यातगुणे हैं। प्रदेशों से इसी प्रकार अल्पबहुत्व जानना। द्रव्य और प्रदेशों से – सबसे कम कापोतलेश्या के जघन्य स्थान द्रव्य से हैं, उनसे नीललेश्या के असंख्यात गुणे हैं, उनसे जघन्य कृष्णलेश्यास्थान, तेजो यावत् शुक्ललेश्यास्थान द्रव्य से (क्रमशः) असंख्यातगुणे हैं। द्रव्य से शुक्ललेश्या के जघन्य स्थानों से, कापोतलेश्या के जघन्य स्थान प्रदेशों से अनन्तगुणे हैं, उनसे नीललेश्या के जघन्य स्थान प्रदेशों की अपेक्षा से असंख्यातगुणे हैं, इसी प्रकार कृष्ण, तेजो, पद्म एवं शुक्ललेश्या के जघन्य स्थान प्रदेशों से उत्तरोत्तर असंख्यातगुणे हैं। इसी प्रकार इनके उत्कृष्ट स्थान का अल्पबहुत्व कहना। इस कृष्णलेश्या यावत् शुक्ललेश्या के जघन्य और उत्कृष्ट स्थानों में सबसे थोड़े द्रव्य की अपेक्षा से कापोत लेश्या के जघन्य स्थान हैं, उनसे नीललेश्या के जघन्य स्थान से असंख्यातगुणे हैं, इसी प्रकार कृष्णलेश्या तेजो यावत् शुक्ललेश्या के जघन्य स्थान द्रव्य से (उत्तरोत्तर) असंख्यातगुणे हैं। द्रव्य की अपेक्षा से जघन्य शुक्ललेश्या – स्थानों से उत्कृष्ट कापोतलेश्यास्थान असंख्यातगुणे हैं, उनसे नीललेश्या के उत्कृष्ट स्थान से असंख्यातगुणे हैं, इसी प्रकार कृष्ण, तेजो यावत् शुक्ललेश्या के उत्कृष्ट स्थान (उत्तरोत्तर) द्रव्य से असंख्यातगुणे हैं। प्रदेशों से जो अल्प – बहुत्व है वह द्रव्य के समान ही जानना। द्रव्य और प्रदेशों की अपेक्षा से सबसे थोड़े कापोतलेश्या के जघन्य स्थान द्रव्य की अपेक्षा से हैं, उनसे नीललेश्या के जघन्य स्थान द्रव्य की अपेक्षा से असंख्यातगुणे हैं, इसी प्रकार कृष्ण, तेजो यावत् शुक्ललेश्या के जघन्य स्थान द्रव्य से (उत्तरोत्तर) असंख्यातगुणे हैं। द्रव्य की अपेक्षा से जघन्य शुक्ल – लेश्यास्थानों से उत्कृष्ट कापोतलेश्यास्थान असंख्यातगुणे हैं, इसी प्रकार नील, कृष्ण, तेजो यावत् शुक्ललेश्या के उत्कृष्ट स्थान द्रव्य से (उत्तरोत्तर) असंख्यातगुणे हैं। द्रव्य की अपेक्षा से उत्कृष्ट शुक्ललेश्यास्थानों से जघन्य कापोतलेश्यास्थान प्रदेशों से अनन्तगुणे हैं, उनसे जघन्य नीललेश्या प्रदेशों की अपेक्षा से असंख्यातगुणे हैं, इसी प्रकार कृष्ण, तेजो यावत् शुक्ललेश्या के जघन्यस्थान प्रदेशों की अपेक्षा से (उत्तरोत्तर) असंख्यातगुणे हैं। प्रदेश की अपेक्षा से जघन्य शुक्ललेश्यास्थानों से, उत्कृष्ट कापोतलेश्यास्थान प्रदेशों से असंख्यातगुणे हैं, इसी प्रकार नील, कृष्ण, तेजो यावत् शुक्ललेश्या के उत्कृष्टस्थान प्रदेशों की अपेक्षा से (उत्तरोत्तर) असंख्यातगुणे हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kevatiya nam bhamte! Kanhalessathana pannatta? Goyama! Asamkhejja kanhalessathana pannatta. Evam java sukkalessae. Etesi nam bhamte! Kanhalessathananam java sukkalessathanana ya jahannaganam davvatthayae paesatthayae davvatthapaesatthayae kayare kayarehimto appa va bahuya va tulla va visesahiya va? Goyama! Savvatthova jahannaga kaulessathana davvatthayae, jahannaga nilalessathana davvatthayae asamkhejjaguna, jahannaga kanhalessathana davvatthayae asamkhejjaguna, jahannaga teulessathana davvatthayae asamkhejjaguna, jahannaga pamhalessathana davvatthayae asamkhejjaguna, jahannaga sukka-lessathana davvatthayae asamkhejjaguna; padesatthayae– savvatthova jahannaga kaulessathana paesa-tthayae, jahannaga nilalessatthana paesatthayae asamkhejjaguna, jahannaga kanhalessathana paesatthayae asamkhejjaguna, jahannaga teulessatthana padesatthayae asamkhejjaguna, jahannaga pamhalessatthana paesa-tthayae asamkhejjaguna, jahannaga sukkalessathana padesatthayae asamkhejjaguna; davvattha-padesatthayae–savvatthova jahannaga kaulessatthana davvatthayae, jahannaga nilalessatthana davvatthayae asamkhejjaguna, evam kanhalessatthana teulessatthana pamhalessatthana, jahannaga sukkalessatthana davvatthayae asamkhe-jjaguna, jahannaehimto sukkalessatthanehimto davvatthayae jahannaga kaulessatthana padesatthayae anamta-guna, jahannaga nilalessatthana paesatthayae asamkhejjaguna. Evam java sukkalessatthana. Etesi nam bhamte! Kanhalessatthananam java sukkalessatthanana ya ukkosaganam davvatthayae paesatthayae davvatthapaesatthayae katare katarehimto appa va bahuya va tulla va visesahiya va? Goyama! Savvatthova ukkosaga kaulessatthana davvatthayae ukkosaga nilalessatthana davvatthayae asamkhejjaguna. Evam jaheva jahannaga taheva ukkosaga vi, navaram–ukkosa tti abhilavo. Etesi nam bhamte! Kanhalessatthananam java sukkalessatthanana ya jahannukkosaganam davvatthayae paesatthayae davvatthapaesatthayae katare katarehimto appa va bahuya va tulla va visesahiya va? Goyama! Savvatthova jahannaga kaulessatthana davvatthayae, jahannaya nilalessatthana davvatthayae asamkhejjaguna, evam kanhalessatthana teulessatthana pamhalessatthana, jahannaga sukkalesatthana davvatthayae asamkhejjaguna, jahannaehimto sukkalessatthanehimto davvatthayae ukkosa kaulessatthana davvatthayae asamkhejjaguna, ukkosa nilalesatthana davvatthayae asamkhejjaguna, evam kanhalessatthana teulesatthana, pamhalesatthana, ukkosa sukkalessatthana davvatthayae asamkhejjaguna; padesatthayae–savvatthova jahannaga kaulessatthana paesatthayae, jahannaga nilalessatthana paesatthayae asamkhe- jjaguna, evam jaheva davvatthayae taheva paesatthayae vi bhaniyavvam, navaram–paesatthayae tti abhilava-viseso; davvatthapaesatthayae–savvatthova jahannaga kaulessatthana davvatthayae, jahannaga nilalesatthana davvatthayae asamkhejjaguna, evam kanhalesatthana teulesatthana pamhalesatthana, jahannaya sukkalesa-tthana davvatthayae asamkhejjaguna, jahannaehimto sukkalesatthanehimto davvatthayae ukkosa kaulesa-tthana davvatthayae asamkhejjaguna, ukkosa nilalesatthana davvatthayae asamkhejjaguna, evam kanhalesatthana teulesatthana pamhalesatthana, ukkosaga sukkalesatthana davvatthayae asamkhejjaguna, ukkosaehimto sukkalesatthanehimto davvatthayae jahannaga kaulesatthana padesatthayae anamtaguna, jahannaga nilalesatthana paesatthayae asamkhejjaguna, evam kanhalesatthana teulesatthana pamhalesatthana, jahannaga sukkalesatthana asamkhejjaguna, jahannaehimto sukkalesatthanehimto padesatthayae ukkosa kaulesatthana padesatthayae asamkhejjaguna, ukkosaya nilalesatthana padesatthayae asamkhejjaguna, evam kanhalesatthana teulesatthana pamhalesatthana, ukkosaya sukkalesatthana paesatthayae asamkhejjaguna. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Krishnaleshya ke sthana kitane haim\? Gautama ! Asamkhyata, isi prakara shuklaleshya taka kahana. Bhagavan ina krishnaleshya yavat shuklaleshya ke jaghanya sthanom mem se dravya se, pradeshom se aura dravya tatha pradeshom se kauna, kisase alpa, bahuta, tulya athava visheshadhika hai\? Gautama ! Dravya se, sabase thore jaghanya kapotaleshyasthana haim, unase nilaleshya ke asamkhyatagune haim, unase krishnaleshya ke asamkhyatagune haim, unase tejoleshya ke asamkhyatagune haim, unase padmaleshya ke asamkhyatagune haim, unase shuklaleshya ke asamkhyatagune haim. Pradeshom se isi prakara alpabahutva janana. Dravya aura pradeshom se – sabase kama kapotaleshya ke jaghanya sthana dravya se haim, unase nilaleshya ke asamkhyata gune haim, unase jaghanya krishnaleshyasthana, tejo yavat shuklaleshyasthana dravya se (kramashah) asamkhyatagune haim. Dravya se shuklaleshya ke jaghanya sthanom se, kapotaleshya ke jaghanya sthana pradeshom se anantagune haim, unase nilaleshya ke jaghanya sthana pradeshom ki apeksha se asamkhyatagune haim, isi prakara krishna, tejo, padma evam shuklaleshya ke jaghanya sthana pradeshom se uttarottara asamkhyatagune haim. Isi prakara inake utkrishta sthana ka alpabahutva kahana. Isa krishnaleshya yavat shuklaleshya ke jaghanya aura utkrishta sthanom mem sabase thore dravya ki apeksha se kapota leshya ke jaghanya sthana haim, unase nilaleshya ke jaghanya sthana se asamkhyatagune haim, isi prakara krishnaleshya tejo yavat shuklaleshya ke jaghanya sthana dravya se (uttarottara) asamkhyatagune haim. Dravya ki apeksha se jaghanya shuklaleshya – sthanom se utkrishta kapotaleshyasthana asamkhyatagune haim, unase nilaleshya ke utkrishta sthana se asamkhyatagune haim, isi prakara krishna, tejo yavat shuklaleshya ke utkrishta sthana (uttarottara) dravya se asamkhyatagune haim. Pradeshom se jo alpa – bahutva hai vaha dravya ke samana hi janana. Dravya aura pradeshom ki apeksha se sabase thore kapotaleshya ke jaghanya sthana dravya ki apeksha se haim, unase nilaleshya ke jaghanya sthana dravya ki apeksha se asamkhyatagune haim, isi prakara krishna, tejo yavat shuklaleshya ke jaghanya sthana dravya se (uttarottara) asamkhyatagune haim. Dravya ki apeksha se jaghanya shukla – leshyasthanom se utkrishta kapotaleshyasthana asamkhyatagune haim, isi prakara nila, krishna, tejo yavat shuklaleshya ke utkrishta sthana dravya se (uttarottara) asamkhyatagune haim. Dravya ki apeksha se utkrishta shuklaleshyasthanom se jaghanya kapotaleshyasthana pradeshom se anantagune haim, unase jaghanya nilaleshya pradeshom ki apeksha se asamkhyatagune haim, isi prakara krishna, tejo yavat shuklaleshya ke jaghanyasthana pradeshom ki apeksha se (uttarottara) asamkhyatagune haim. Pradesha ki apeksha se jaghanya shuklaleshyasthanom se, utkrishta kapotaleshyasthana pradeshom se asamkhyatagune haim, isi prakara nila, krishna, tejo yavat shuklaleshya ke utkrishtasthana pradeshom ki apeksha se (uttarottara) asamkhyatagune haim. |