Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006765 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-१७ लेश्या |
Translated Chapter : |
पद-१७ लेश्या |
Section : | उद्देशक-४ | Translated Section : | उद्देशक-४ |
Sutra Number : | 465 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कण्हलेस्सा णं भंते! केरिसिया आसाएणं पन्नत्ता? गोयमा! से जहानामए–निंबे इ वा निंबसारे इ वा निंबछल्ली इ वा निंबफाणिए इ वा कुडए इ वा कुडगफले इ वा कुडगछल्ली इ वा कुडगफाणिए इ वा कडुगतुंबी इ वा कडुगतुंबीफले इ वा खारतउसी इ वा खारतउसीफले इ वा देवदाली इ वा देवदालि पुप्फे इ वा मियवालुंकी इ वा मियवालुंकीफले इ वा घोसाडिए इ वा घोसाडइफले इ वा कण्हकंदए इ वा वज्जकंदए इ वा, भवेतारूवा? गोयमा! नो इणट्ठे समट्ठे, कण्हलेस्सा णं एत्तो अनिट्ठतरिया चेव अकंततरिया चेव अप्पियतरिया चेव अमणुन्नतरिया चेव अमणामतरिया चेव आसाएणं पन्नत्ता। नीललेस्साए पुच्छा। गोयमा! से जहानामए– भंगी ति वा भंगीरए इ वा पाढा इ वा चविया इ वा चित्तामूलए इ वा पिप्पलीमूलए इ वा पिप्पली इ वा पिप्पलिचुण्णे इ वा मिरिए इ वा मिरियचुण्णे इ वा सिंगबेरे इ वा सिंगबेरचुण्णे इ वा, भवेतारूवा? गोयमा! नो इणट्ठे समट्ठे, नीललेस्सा णं एत्तो अनिट्ठतरिया चेव अकंततरिया चेव अप्पियतरिया चेव अमणुन्नतरिया चेव अमणामतरिया चेव आसाएणं पन्नत्ता। काउलेस्साए पुच्छा। गोयमा! से जहानामए–अंबाण वा अंबाडगाण वा माउलुंगाण वा बिल्लाण वा कविट्ठाण वा भव्वाण वा फणसाण वा दालिमाण वा पारेवताण वा अक्खोडयाण वा चाराण वा बोराण वा तेंदुयाण वा अपिक्काणं अपरियागाणं वण्णेणं अणुववेताणं गंधेणं अनुववेताणं फासेणं अनुववेताणं, भवेतारूवा? गोयमा! नो इणट्ठे समट्ठे, एत्तो अनिट्ठतरिया चेव अकंततरिया चेव अप्पियतरिया चेव अमणुन्नतरिया चेव अमणामतरिया चेव काउलेस्सा आसाएणं पन्नत्ता। तेउलेस्सा णं पुच्छा। गोयमा! से जहानामए– अंबाण वा जाव तेंदुयाण वा पिक्काणं परियावन्नाणं वण्णेणं उववेताणं पसत्थेणं गंधेणं उववेताणं पसत्थेणं फासेणं उववेताणं पसत्थेणं, भवेतारूवा? गोयमा! नो इणट्ठे समट्ठे एत्तो इट्ठतरिया चेव कंततरिया चेव पियतरिया चेव मणुन्नतरिया चेव मणामतरिया चेव तेउलेस्सा आसाएणं पन्नत्ता। पम्हलेस्साए पुच्छा। गोयमा! से जहानामए–चंदप्पभा इ वा मणिसिलागा इ वा वरसीधू इ वा वरवारुणी इ वा पत्तासवे इ वा पुप्फासवे इ वा फलासवे इ वा चोयासवे इ वा आसवे इ वा मधू इ वा मेरए इ वा कावियासणे इ वा खज्जूरसारए इ वा मुद्दियासारए इ वा सुपिक्कखोयरसे इ वा अट्ठपिट्ठनिट्ठिया इ वा जंबूफलकालिया इ वा वरपसण्णा इ वा आसला मासला पेसला ईसिं ओट्ठावलंबिणी ईसिं वोच्छेयकडुई ईसिं तंबच्छिकरणी उक्कोसमदपत्ता वण्णेणं उववेया पसत्थेणं गंधेणं उववेया पसत्थेणं फासेणं उववेया पसत्थेणं आसायणिज्जा वीसायणिज्जा पीणणिज्जा विंहणिज्जा दीवणिज्जा दप्पणिज्जा मयणिज्जा सव्विंदियगायपल्हायणिज्जा, भवेतारूवा? गोयमा! नो इणट्ठे समट्ठे, पम्हलेस्सा णं एत्तो इट्ठतरिया चेव कंततरिया चेव पियतरिया चेव मणुन्न-तरिया चेव मणामतरिया चेव आसाएणं पन्नत्ता। सुक्कलेस्सा णं भंते! केरिसिया आसाएणं पन्नत्ता? गोयमा! से जहानामए–गुले इ वा खंडे इ वा सक्करा इ वा मच्छंडिया इ वा पप्पडमोदए इ वा भिसकंदे इ वा पुप्फुत्तरा इ वा पउमुत्तरा इ वा आदंसिया इ वा सिद्धत्थिया इ वा आगासफलिओवमा इ वा अणोवमा इ वा, भवेतारूवा? गोयमा! नो इणट्ठे समट्ठे, सुक्कलेस्सा णं एत्तो इट्ठतरिया चेव कंततरिया चेव पियतरिया चेव मणुन्नतरिया चेव मणामतरिया चेव आसाएणं पन्नत्ता। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! कृष्णलेश्या आस्वाद (रस) से कैसी कही है ? गौतम ! जैसे कोई नीम, नीमसार, नीमछाल, नीमक्वाथ हो, अथवा कटुज, कटुजफल, कटुजछाल, कटुज का क्वाथ हो, अथवा कड़वी तुम्बी, कटुक तुम्बीफल, कड़वी ककड़ी, कड़वी ककड़ी का फल, देवदाली, देवदाली पुष्प, मृगवालुंकी, मृगवालुंकी का फल, कड़वी घोषातिकी, कड़वी घोषातिकी फल, कृष्णकन्द अथवा वज्रकन्द हो; भगवन् ! क्या कृष्णलेश्या रस से इसी रूप की होती है ? कृष्णलेश्या स्वाद में इन से भी अनिष्टतर, अधिक अकान्त, अप्रिय, अमनोज्ञ और अतिशय अमनाम है। भगवन् ! नीललेश्या आस्वाद में कैसी है ? गौतम ! जैसे कोई भृंगी, भृंगी कण, पाठा, चविता, चित्रमूलक, पिप्पली – मूल, पीपल, पीपलचूर्ण, शृंगबेर, शृंगबेर चूर्ण हो; नीललेश्या रस में इससे भी अनिष्टतर, अधिक अकान्त, अधिक अप्रिय, अधिक अमनोज्ञ और अत्यधिक अमनाम है। भगवन् ! कापोतलेश्या आस्वाद में कैसी है ? गौतम ! जैसे कोई आम्रों, आम्राटकफलों, बिजौरों, बिल्वफलों, कवीठों, भट्ठों, पनसों, दाड़िमों, पारावत, अखरोटों, बड़े बेरों, तिन्दुकोफलों, जो कि अपक्व हों, वर्ण, गन्ध और स्पर्श से रहित हों; कापोतलेश्या स्वाद में इनसे भी अनिष्टतर यावत् अत्यधिक अमनाम कही है। भगवन् ! तेजोलेश्या आस्वाद में कैसी है ? गौतम ! जैसे किन्हीं आम्रों के यावत् तिन्दुकों के फल जो कि परिपक्व हों, परिपक्व अवस्था के प्रशस्त वर्ण से, गन्ध से और स्पर्श से युक्त हों, तेजोलेश्या स्वाद में इनसे भी इष्टतर यावत् अधिक मनाम होती है। भगवन् ! पद्मलेश्या का आस्वाद कैसा है ? गौतम ! जैसे कोई चन्द्रप्रभा मदिरा, मणिशलाका मद्य, श्रेष्ठ सीधु, उत्तम वारुणी, आसव, पुष्पों का आसव, फलों का आसव, चोय से बना आसव, मधु, मैरेयक, खजूर का सार, द्राक्षा सार, सुपक्व इक्षुरस, अष्टविध पिष्टों द्वारा तैयार की हुई वस्तु, जामुन के फल की तरह स्वादिष्ट वस्तु, उत्तम प्रसन्ना मदिरा, जो अत्यन्त स्वादिष्ट, प्रचुररसयुक्त, रमणीय, झटपट ओठों से लगा ली जाए जो पीने के पश्चात् कुछ तीखी – सी हो, जो आँखों को ताम्रवर्ण की बना दे तथा विस्वादन उत्कृष्ट मादक हो, जो प्रशस्त वर्ण, गन्ध और स्पर्श से युक्त हो, जो आस्वादन योग्य हो, जो प्रीणनीय हो, बृंहणीय हो, उद्दीपन करने वाली, दर्पजनक, मदजनक तथा सभी इन्द्रियों और शरीर को आह्लादजनक हो, पद्मलेश्या स्वाद में इससे भी इष्टतर यावत् अत्यधिक मनाम है। भगवन् ! शुक्ललेश्या स्वाद में कैसी है ? गौतम ! जैसे गुड़, खांड़, शक्कर, मिश्री, मत्स्यण्डी, पर्पटमोदक, भिसकन्द, पुष्पोत्तरमिष्ठान्न, पद्मोत्तरामिठाई, आदंशिका, सिद्धार्थिका, आकाशस्फटिकोपमा अथवा अनुपमा नामक मिष्टान्न हो; शुक्ललेश्या आस्वाद में इनसे भी इष्टतर, अधिक कान्त, प्रिय एवं अत्यधिक मनोज्ञ है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kanhalessa nam bhamte! Kerisiya asaenam pannatta? Goyama! Se jahanamae–nimbe i va nimbasare i va nimbachhalli i va nimbaphanie i va kudae i va kudagaphale i va kudagachhalli i va kudagaphanie i va kadugatumbi i va kadugatumbiphale i va kharatausi i va kharatausiphale i va devadali i va devadali pupphe i va miyavalumki i va miyavalumkiphale i va ghosadie i va ghosadaiphale i va kanhakamdae i va vajjakamdae i va, bhavetaruva? Goyama! No inatthe samatthe, kanhalessa nam etto anitthatariya cheva akamtatariya cheva appiyatariya cheva amanunnatariya cheva amanamatariya cheva asaenam pannatta. Nilalessae puchchha. Goyama! Se jahanamae– bhamgi ti va bhamgirae i va padha i va chaviya i va chittamulae i va pippalimulae i va pippali i va pippalichunne i va mirie i va miriyachunne i va simgabere i va simgaberachunne i va, bhavetaruva? Goyama! No inatthe samatthe, nilalessa nam etto anitthatariya cheva akamtatariya cheva appiyatariya cheva amanunnatariya cheva amanamatariya cheva asaenam pannatta. Kaulessae puchchha. Goyama! Se jahanamae–ambana va ambadagana va maulumgana va billana va kavitthana va bhavvana va phanasana va dalimana va parevatana va akkhodayana va charana va borana va temduyana va apikkanam apariyaganam vannenam anuvavetanam gamdhenam anuvavetanam phasenam anuvavetanam, bhavetaruva? Goyama! No inatthe samatthe, etto anitthatariya cheva akamtatariya cheva appiyatariya cheva amanunnatariya cheva amanamatariya cheva kaulessa asaenam pannatta. Teulessa nam puchchha. Goyama! Se jahanamae– ambana va java temduyana va pikkanam pariyavannanam vannenam uvavetanam pasatthenam gamdhenam uvavetanam pasatthenam phasenam uvavetanam pasatthenam, bhavetaruva? Goyama! No inatthe samatthe etto itthatariya cheva kamtatariya cheva piyatariya cheva manunnatariya cheva manamatariya cheva teulessa asaenam pannatta. Pamhalessae puchchha. Goyama! Se jahanamae–chamdappabha i va manisilaga i va varasidhu i va varavaruni i va pattasave i va pupphasave i va phalasave i va choyasave i va asave i va madhu i va merae i va kaviyasane i va khajjurasarae i va muddiyasarae i va supikkakhoyarase i va atthapitthanitthiya i va jambuphalakaliya i va varapasanna i va asala masala pesala isim otthavalambini isim vochchheyakadui isim tambachchhikarani ukkosamadapatta vannenam uvaveya pasatthenam gamdhenam uvaveya pasatthenam phasenam uvaveya pasatthenam asayanijja visayanijja pinanijja vimhanijja divanijja dappanijja mayanijja savvimdiyagayapalhayanijja, bhavetaruva? Goyama! No inatthe samatthe, pamhalessa nam etto itthatariya cheva kamtatariya cheva piyatariya cheva manunna-tariya cheva manamatariya cheva asaenam pannatta. Sukkalessa nam bhamte! Kerisiya asaenam pannatta? Goyama! Se jahanamae–gule i va khamde i va sakkara i va machchhamdiya i va pappadamodae i va bhisakamde i va pupphuttara i va paumuttara i va adamsiya i va siddhatthiya i va agasaphaliovama i va anovama i va, bhavetaruva? Goyama! No inatthe samatthe, sukkalessa nam etto itthatariya cheva kamtatariya cheva piyatariya cheva manunnatariya cheva manamatariya cheva asaenam pannatta. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Krishnaleshya asvada (rasa) se kaisi kahi hai\? Gautama ! Jaise koi nima, nimasara, nimachhala, nimakvatha ho, athava katuja, katujaphala, katujachhala, katuja ka kvatha ho, athava karavi tumbi, katuka tumbiphala, karavi kakari, karavi kakari ka phala, devadali, devadali pushpa, mrigavalumki, mrigavalumki ka phala, karavi ghoshatiki, karavi ghoshatiki phala, krishnakanda athava vajrakanda ho; bhagavan ! Kya krishnaleshya rasa se isi rupa ki hoti hai\? Krishnaleshya svada mem ina se bhi anishtatara, adhika akanta, apriya, amanojnya aura atishaya amanama hai. Bhagavan ! Nilaleshya asvada mem kaisi hai\? Gautama ! Jaise koi bhrimgi, bhrimgi kana, patha, chavita, chitramulaka, pippali – mula, pipala, pipalachurna, shrimgabera, shrimgabera churna ho; nilaleshya rasa mem isase bhi anishtatara, adhika akanta, adhika apriya, adhika amanojnya aura atyadhika amanama hai. Bhagavan ! Kapotaleshya asvada mem kaisi hai\? Gautama ! Jaise koi amrom, amratakaphalom, bijaurom, bilvaphalom, kavithom, bhatthom, panasom, darimom, paravata, akharotom, bare berom, tindukophalom, jo ki apakva hom, varna, gandha aura sparsha se rahita hom; kapotaleshya svada mem inase bhi anishtatara yavat atyadhika amanama kahi hai. Bhagavan ! Tejoleshya asvada mem kaisi hai\? Gautama ! Jaise kinhim amrom ke yavat tindukom ke phala jo ki paripakva hom, paripakva avastha ke prashasta varna se, gandha se aura sparsha se yukta hom, tejoleshya svada mem inase bhi ishtatara yavat adhika manama hoti hai. Bhagavan ! Padmaleshya ka asvada kaisa hai\? Gautama ! Jaise koi chandraprabha madira, manishalaka madya, shreshtha sidhu, uttama varuni, asava, pushpom ka asava, phalom ka asava, choya se bana asava, madhu, maireyaka, khajura ka sara, draksha sara, supakva ikshurasa, ashtavidha pishtom dvara taiyara ki hui vastu, jamuna ke phala ki taraha svadishta vastu, uttama prasanna madira, jo atyanta svadishta, prachurarasayukta, ramaniya, jhatapata othom se laga li jae jo pine ke pashchat kuchha tikhi – si ho, jo amkhom ko tamravarna ki bana de tatha visvadana utkrishta madaka ho, jo prashasta varna, gandha aura sparsha se yukta ho, jo asvadana yogya ho, jo prinaniya ho, brimhaniya ho, uddipana karane vali, darpajanaka, madajanaka tatha sabhi indriyom aura sharira ko ahladajanaka ho, padmaleshya svada mem isase bhi ishtatara yavat atyadhika manama hai. Bhagavan ! Shuklaleshya svada mem kaisi hai\? Gautama ! Jaise gura, khamra, shakkara, mishri, matsyandi, parpatamodaka, bhisakanda, pushpottaramishthanna, padmottaramithai, adamshika, siddharthika, akashasphatikopama athava anupama namaka mishtanna ho; shuklaleshya asvada mem inase bhi ishtatara, adhika kanta, priya evam atyadhika manojnya hai. |