Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006726 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-१५ ईन्द्रिय |
Translated Chapter : |
पद-१५ ईन्द्रिय |
Section : | उद्देशक-१ | Translated Section : | उद्देशक-१ |
Sutra Number : | 426 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अनगारस्स णं भंते! भाविअप्पणो मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स जे चरिमा निज्जरापोग्गला सुहुमा णं ते पोग्गला पन्नत्ता समणाउसो!? सव्वलोगं पि य णं ते ओगाहित्ता णं चिट्ठंति? हंता गोयमा! अनगारस्स णं भाविअप्पणो मारणंतियसमुग्घाएणं समोहयस्स जे चरिमा निज्जरापोग्गला सुहुमा णं ते पोग्गला पन्नत्ता समणाउसो! सव्वलोगं पि य णं ते ओगाहित्ता णं चिट्ठंति। छउमत्थे णं भंते! मनूसे तेसिं निज्जरापोग्गलाणं किं आणत्तं वा णाणत्तं वा ओमत्तं वा तुच्छत्तं वा गरुयत्तं वा लहुयत्तं वा जाणति पासति? गोयमा! नो इणट्ठे समट्ठे। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चति–छउमत्थे णं मनूसे तेसिं निज्जरापोग्गलाणं नो किंचि आणत्तं वा नाणत्तं वा ओमत्तं वा तुच्छत्तं वा गरुयत्तं वा लहुयत्तं वा जाणति पासति? गोयमा! देवे वि य णं अत्थेगइए जे णं तेसिं निज्जरापोग्गलाणं नो किंचि आणत्तं वा नाणत्तं वा ओमत्तं वा तुच्छत्तं वा गरुयत्तं वा लहुयत्तं वा जाणति पासति। से एणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चति– छउमत्थे णं मनूसे तेसिं निज्जरापोग्गलाणं नो किंचि आणत्तं वा नाणत्तं वा ओमत्तं वा तुच्छत्तं वा गरुयत्तं वा लहुयत्तं वा जाणति पासति, सुहुमा णं ते पोग्गला पन्नत्ता समणाउसो! सव्वलोगं पि य णं ते ओगाहित्ताणं चिट्ठंति। नेरइया णं भंते! ते निज्जरापोग्गले किं जाणंति पासंति आहारेंति? उदाहु न याणंति न पासंति न आहारेंति? गोयमा! नेरइया णं ते निज्जरापोग्गले न जाणंति न पासंति आहारेंति। एवं जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणिया। मनूसा णं भंते! ते निज्जरापोग्गले किं जाणंति पासंति आहारेंति? उदाहु न जाणंति न पासंति न आहारेंति? गोयमा! अत्थेगइया जाणंति पासंति आहारेंति, अत्थेगइया न जाणंति न पासंति आहारेंति। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चति–अत्थेगइया जाणंति पासंति आहारेंति? अत्थेगइया न याणंति न पासंति आहारेंति? गोयमा! मनूसा दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–सण्णिभूया य असण्णिभूया य। तत्थ णं जेते असण्णिभूया ते णं न जाणंति न पासंति आहारेंति। तत्थ णं जेते सण्णिभूया ते दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–उवउत्ता य अणुवउत्ता य। तत्थ णं जेते अणुवउत्ता ते णं न याणंति न पासंति आहारेंति। तत्थ णं जेते उवउत्ता ते णं जाणति पासंति आहारेंति। से एएणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चति–अत्थेगइया जाणंति पासंति आहारेंति, अत्थेगइया न जाणंति न पासंति आहारेंति। वाणमंतरजोइसिया जहा नेरइया। वेमानिया णं भंते! ते निज्जरापोग्गले किं जाणंति पासंति आहारेंति? गोयमा! जहा मनूसा नवरं–वेमानिया दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–माइमिच्छद्दिट्ठि-उववन्नगा य अमाइ सम्मद्दिट्ठि-उववन्नगा य। तत्थ णं जेते माइमिच्छद्दिट्ठिउववन्नगा ते णं न याणंति न पासंति आहारेंति। तत्थ णं जेते अमाइसम्मद्दिट्ठिउववन्नगा ते दुविहा पन्नत्ता, तं जहा– अनंतरोववन्नगा य परंपरोववन्नगा य। तत्थ णं जेते अनंतरोववन्नगा ते णं न याणंति न पासंति आहारेंति। तत्थ णं जेते परंपरोववन्नगा ते दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य। तत्थ णं जेते अपज्जत्तगा ते णं न याणंति न पासंति आहारेंति। तत्थ णं जेते पज्जत्तगा ते दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–उवउत्ता य अनुवउत्ता य। तत्थ णं जेते अनुवउत्ता ते णं न याणंति न पासंति आहारेंति। तत्थ णं जेते उवउत्ता ते णं जाणंति पासंति आहारेंति। से एणट्ठेणं गोयमा! एवं वुच्चति– अत्थेगइया जाणंति पासंति आहारेंति, अत्थेगइया न जाणंति न पासंति आहारेंति। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! मारणान्तिक समुद्घात से समवहत भावितात्मा अनगार के जो चरम निर्जरा – पुद्गल हैं, क्या वे पुद्गल सूक्ष्म हैं ? क्या वे सर्वलोक को अवगाहन करके रहते हैं ? हाँ, गौतम ! ऐसा ही है। भगवन् ! क्या छद्मस्थ मनुष्य उन निर्जरा – पुद्गलों के अन्यत्व, नानात्व, हीनत्व, तुच्छत्व, गुरुत्व या लघुत्व को जानता – देखता है ? गौतम ! यह अर्थ शक्य नहीं है। भगवन् ! किस हेतु से ऐसा कहते हैं ? कोई देव भी उन निर्जरापुद्गलों के अन्यत्व यावत् लघुत्व को किंचित् भी नहीं जानता – देखता। हे गौतम ! इस हेतु से ऐसा कहा जाता है कि छद्मस्थ मनुष्य यावत् नहीं जान – देख पाता, (क्योंकि) हे आयुष्मन् श्रमण ! वे पुद्गल सूक्ष्म हैं। वे सम्पूर्ण लोक को अवगाहन करके रहते हैं। भगवन् ! क्या नारक उन निर्जरापुद्गलों को जानते – देखते हुए (उनका) आहार करते हैं अथवा नहीं जानते – देखते और नहीं आहार करते ? गौतम ! नैरयिक उन निर्जरापुद्गलों को जानते नहीं, देखते नहीं किन्तु आहार करते हैं। इसी प्रकार असुरकुमारों से पंचेन्द्रियतिर्यंचों तक कहना। भगवन् ! क्या मनुष्य उन निर्जरापुद्गलों को जानते – देखते हैं और आहरण करते हैं ? अथवा नहीं जानते, नहीं देखते और नहीं आहरण करते हैं ? गौतम ! कोई – कोई मनुष्य जानते – देखते हैं और आहरण करते हैं और कोई – कोई मनुष्य नहीं जानते, नहीं देखते और आहरण करते हैं। क्योंकि – मनुष्य दो प्रकार के हैं, यथा – संज्ञीभूत और असंज्ञीभूत जो असंज्ञीभूत हैं, वे नहीं जानते, नहीं देखते, आहार करते हैं। संज्ञीभूत दो प्रकार के हैं – उपयोग से युक्त और उपयोग से रहित। जो उपयोगरहित हैं, वे नहीं जानते, नहीं देखते, आहार करते हैं। जो उपयोगयुक्त हैं, वे जानते हैं, देखते हैं और आहार करते हैं। वाण – व्यन्तर और ज्योतिष्क देवों से सम्बन्धित वक्तव्यता नैरयिकों के समान जानना। भगवन् ! क्या वैमानिक देव उन निर्जरापुद्गलों को जानते हैं, देखते हैं, आहार करते हैं ? गौतम ! मनुष्यों के समान वैमानिकों की वक्तव्यता समझना। विशेष यह कि वैमानिक दो प्रकार के हैं – मायी – मिथ्यादृष्टि – उपपन्नक और अमायी – सम्यग्दृष्टि – उपपन्नक। जो मायी – मिथ्यादृष्टि – उपपन्नक होते हैं, वे नहीं जानते, नहीं देखते, (किन्तु) आहार करते हैं। जो अमायी – सम्यग्दृष्टि – उपपन्नक हैं, वे दो प्रकार के हैं, अनन्तरोपपन्नक और परम्परोपपन्नक। जो अनन्तरोपपन्नक हैं, वे नहीं जानते, नहीं देखते, आहार करते हैं। जो परम्परोपपन्नक हैं, वे दो प्रकार के हैं, पर्याप्तक और अपर्याप्तक। जो अपर्याप्तक हैं, वे नहीं जानते, नहीं देखते, आहार करते हैं। जो पर्याप्तक हैं, वे दो प्रकार के हैं – उपयोगयुक्त और उपयोगरहित। जो उपयोगरहित हैं, वे नहीं जानते, नहीं देखते, (किन्तु) आहार करते हैं। जो उपयोगयुक्त हैं, वे जानते हैं, देखते हैं और आहार करते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] anagarassa nam bhamte! Bhaviappano maranamtiyasamugghaenam samohayassa je charima nijjarapoggala suhuma nam te poggala pannatta samanauso!? Savvalogam pi ya nam te ogahitta nam chitthamti? Hamta goyama! Anagarassa nam bhaviappano maranamtiyasamugghaenam samohayassa je charima nijjarapoggala suhuma nam te poggala pannatta samanauso! Savvalogam pi ya nam te ogahitta nam chitthamti. Chhaumatthe nam bhamte! Manuse tesim nijjarapoggalanam kim anattam va nanattam va omattam va tuchchhattam va garuyattam va lahuyattam va janati pasati? Goyama! No inatthe samatthe. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchati–chhaumatthe nam manuse tesim nijjarapoggalanam no kimchi anattam va nanattam va omattam va tuchchhattam va garuyattam va lahuyattam va janati pasati? Goyama! Deve vi ya nam atthegaie je nam tesim nijjarapoggalanam no kimchi anattam va nanattam va omattam va tuchchhattam va garuyattam va lahuyattam va janati pasati. Se enatthenam goyama! Evam vuchchati– chhaumatthe nam manuse tesim nijjarapoggalanam no kimchi anattam va nanattam va omattam va tuchchhattam va garuyattam va lahuyattam va janati pasati, suhuma nam te poggala pannatta samanauso! Savvalogam pi ya nam te ogahittanam chitthamti. Neraiya nam bhamte! Te nijjarapoggale kim janamti pasamti aharemti? Udahu na yanamti na pasamti na aharemti? Goyama! Neraiya nam te nijjarapoggale na janamti na pasamti aharemti. Evam java pamchemdiyatirikkhajoniya. Manusa nam bhamte! Te nijjarapoggale kim janamti pasamti aharemti? Udahu na janamti na pasamti na aharemti? Goyama! Atthegaiya janamti pasamti aharemti, atthegaiya na janamti na pasamti aharemti. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchati–atthegaiya janamti pasamti aharemti? Atthegaiya na yanamti na pasamti aharemti? Goyama! Manusa duviha pannatta, tam jaha–sannibhuya ya asannibhuya ya. Tattha nam jete asannibhuya te nam na janamti na pasamti aharemti. Tattha nam jete sannibhuya te duviha pannatta, tam jaha–uvautta ya anuvautta ya. Tattha nam jete anuvautta te nam na yanamti na pasamti aharemti. Tattha nam jete uvautta te nam janati pasamti aharemti. Se eenatthenam goyama! Evam vuchchati–atthegaiya janamti pasamti aharemti, atthegaiya na janamti na pasamti aharemti. Vanamamtarajoisiya jaha neraiya. Vemaniya nam bhamte! Te nijjarapoggale kim janamti pasamti aharemti? Goyama! Jaha manusa navaram–vemaniya duviha pannatta, tam jaha–maimichchhadditthi-uvavannaga ya amai sammadditthi-uvavannaga ya. Tattha nam jete maimichchhadditthiuvavannaga te nam na yanamti na pasamti aharemti. Tattha nam jete amaisammadditthiuvavannaga te duviha pannatta, tam jaha– anamtarovavannaga ya paramparovavannaga ya. Tattha nam jete anamtarovavannaga te nam na yanamti na pasamti aharemti. Tattha nam jete paramparovavannaga te duviha pannatta, tam jaha–pajjattaga ya apajjattaga ya. Tattha nam jete apajjattaga te nam na yanamti na pasamti aharemti. Tattha nam jete pajjattaga te duviha pannatta, tam jaha–uvautta ya anuvautta ya. Tattha nam jete anuvautta te nam na yanamti na pasamti aharemti. Tattha nam jete uvautta te nam janamti pasamti aharemti. Se enatthenam goyama! Evam vuchchati– atthegaiya janamti pasamti aharemti, atthegaiya na janamti na pasamti aharemti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Maranantika samudghata se samavahata bhavitatma anagara ke jo charama nirjara – pudgala haim, kya ve pudgala sukshma haim\? Kya ve sarvaloka ko avagahana karake rahate haim\? Ham, gautama ! Aisa hi hai. Bhagavan ! Kya chhadmastha manushya una nirjara – pudgalom ke anyatva, nanatva, hinatva, tuchchhatva, gurutva ya laghutva ko janata – dekhata hai\? Gautama ! Yaha artha shakya nahim hai. Bhagavan ! Kisa hetu se aisa kahate haim\? Koi deva bhi una nirjarapudgalom ke anyatva yavat laghutva ko kimchit bhi nahim janata – dekhata. He gautama ! Isa hetu se aisa kaha jata hai ki chhadmastha manushya yavat nahim jana – dekha pata, (kyomki) he ayushman shramana ! Ve pudgala sukshma haim. Ve sampurna loka ko avagahana karake rahate haim. Bhagavan ! Kya naraka una nirjarapudgalom ko janate – dekhate hue (unaka) ahara karate haim athava nahim janate – dekhate aura nahim ahara karate\? Gautama ! Nairayika una nirjarapudgalom ko janate nahim, dekhate nahim kintu ahara karate haim. Isi prakara asurakumarom se pamchendriyatiryamchom taka kahana. Bhagavan ! Kya manushya una nirjarapudgalom ko janate – dekhate haim aura aharana karate haim\? Athava nahim janate, nahim dekhate aura nahim aharana karate haim\? Gautama ! Koi – koi manushya janate – dekhate haim aura aharana karate haim aura koi – koi manushya nahim janate, nahim dekhate aura aharana karate haim. Kyomki – manushya do prakara ke haim, yatha – samjnyibhuta aura asamjnyibhuta jo asamjnyibhuta haim, ve nahim janate, nahim dekhate, ahara karate haim. Samjnyibhuta do prakara ke haim – upayoga se yukta aura upayoga se rahita. Jo upayogarahita haim, ve nahim janate, nahim dekhate, ahara karate haim. Jo upayogayukta haim, ve janate haim, dekhate haim aura ahara karate haim. Vana – vyantara aura jyotishka devom se sambandhita vaktavyata nairayikom ke samana janana. Bhagavan ! Kya vaimanika deva una nirjarapudgalom ko janate haim, dekhate haim, ahara karate haim\? Gautama ! Manushyom ke samana vaimanikom ki vaktavyata samajhana. Vishesha yaha ki vaimanika do prakara ke haim – mayi – mithyadrishti – upapannaka aura amayi – samyagdrishti – upapannaka. Jo mayi – mithyadrishti – upapannaka hote haim, ve nahim janate, nahim dekhate, (kintu) ahara karate haim. Jo amayi – samyagdrishti – upapannaka haim, ve do prakara ke haim, anantaropapannaka aura paramparopapannaka. Jo anantaropapannaka haim, ve nahim janate, nahim dekhate, ahara karate haim. Jo paramparopapannaka haim, ve do prakara ke haim, paryaptaka aura aparyaptaka. Jo aparyaptaka haim, ve nahim janate, nahim dekhate, ahara karate haim. Jo paryaptaka haim, ve do prakara ke haim – upayogayukta aura upayogarahita. Jo upayogarahita haim, ve nahim janate, nahim dekhate, (kintu) ahara karate haim. Jo upayogayukta haim, ve janate haim, dekhate haim aura ahara karate haim. |