Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1006647 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-६ व्युत्क्रान्ति |
Translated Chapter : |
पद-६ व्युत्क्रान्ति |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 347 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] पुढविकाइया णं भंते! अनंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छंति? कहिं उववज्जंति? किं नेरइएसु जाव देवेसु? गोयमा! नो नेरइएसु उववज्जंति तिरिक्खजोणियमनुस्सेसु उववज्जंति, नो देवेसु। एवं जहा एतेसिं चेव उववाओ तहा उव्वट्टणा वि देववज्जा भाणितव्वा। एवं आउ-वणस्सइ-बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिंदिया वि। एवं तेऊ वाऊ वि नवरं–मनुस्सवज्जेसु उववज्जंति। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीव अनन्तर उद्वर्त्तन करके कहाँ उत्पन्न होते हैं ? गौतम (वे) तिर्यंचयोनिकों और मनुष्यों में ही उत्पन्न होते हैं। इनके उपपात के समान इनकी उद्वर्त्तना भी कहनी चाहिए। इसी प्रकार अप्कायिक, वनस्पतिकायिक, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रियों (की भी उद्वर्त्तना कहना।) इसी प्रकार तेजस्कायिक और वायुकायिक को भी कहना। विशेष यह कि मनुष्य में निषेध करना। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] pudhavikaiya nam bhamte! Anamtaram uvvattitta kahim gachchhamti? Kahim uvavajjamti? Kim neraiesu java devesu? Goyama! No neraiesu uvavajjamti tirikkhajoniyamanussesu uvavajjamti, no devesu. Evam jaha etesim cheva uvavao taha uvvattana vi devavajja bhanitavva. Evam au-vanassai-beimdiya-teimdiya-chaurimdiya vi. Evam teu vau vi navaram–manussavajjesu uvavajjamti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Prithvikayika jiva anantara udvarttana karake kaham utpanna hote haim\? Gautama (ve) tiryamchayonikom aura manushyom mem hi utpanna hote haim. Inake upapata ke samana inaki udvarttana bhi kahani chahie. Isi prakara apkayika, vanaspatikayika, dvindriya, trindriya aura chaturindriyom (ki bhi udvarttana kahana.) isi prakara tejaskayika aura vayukayika ko bhi kahana. Vishesha yaha ki manushya mem nishedha karana. |