Sutra Navigation: Gyatadharmakatha ( धर्मकथांग सूत्र )

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Sr No : 1004873
Scripture Name( English ): Gyatadharmakatha Translated Scripture Name : धर्मकथांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

श्रुतस्कंध-१

अध्ययन-१६ अवरकंका

Translated Chapter :

श्रुतस्कंध-१

अध्ययन-१६ अवरकंका

Section : Translated Section :
Sutra Number : 173 Category : Ang-06
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] तए णं से पंडू राया तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं बहूणं रायसहस्साणं करयल-परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं वयासी–एवं खलु देवानुप्पिया! हत्थिणाउरे नयरे पंचण्हं पंडवाणं दोवईए य देवीए कल्लाणकारे भविस्सइ। तं तुब्भे णं देवानुप्पिया! ममं अनुगिण्हमाणा अकालपरिहीणं चेव समोसरह। तए णं ते वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा पत्तेयं-पत्तेयं ण्हाया सन्नद्ध-बद्ध-वम्मिय-कवया हत्थिखंधवरगया जाव जेणेव हत्थिणाउरे नयरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए। तए णं से पंडू राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी–गच्छह णं तुब्भे देवानुप्पिया! हत्थिणाउरे नयरे पंचण्हं पंडवाण पंच पासायवडिंसए कारेह–अब्भुग्गयमूसिय जाव पडिरूवं। तए णं ते कोडुंबियपुरिसा पडिसुणेंति जाव कारवेंति। तए णं से पंडू राया पंचहिं पंडवेहिं दोवईए देवीए सद्धिं हय-गय-रह-पवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेनाए सद्धिं संपरिवुडे महयाभडचडगर-रह-पहकर-विंदपरिक्खित्ते कंपिल्लपुराओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव हत्थिणाउरे तेणेव उवागए। तए णं से पंडू राया तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं आगमनं जाणित्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी–गच्छह णं तुब्भे देवानुप्पिया! हत्थिणाउरस्स नयरस्स बहिया वासुदेव-पामोक्खाणं बहूणं रायसहस्साणं आवासे–अनेगखंभसयसन्निविट्ठे कारेह, कारेत्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह। तेवि तहेव पच्चप्पिणंति। तए णं ते वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा जेणेव हत्थिणाउरे तेणेव उवागए। तए णं से पंडू राया ते वासुदेवपामोक्खं बहवे रायसहस्से उवागए जाणित्ता हट्ठतुट्ठे ण्हाए कयवलिकम्मे जहा दुवए जाव जहारिहं आवासे दलयइ। तए णं ते वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा जेणेव सया-सया आवासा तेणेव उवागच्छंति तहेव जाव विहरंति। तए णं से पंडू राया हत्थिणाउरं नयरं अनुपविसइ, अनुपविसित्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी–तुब्भे णं देवानुप्पिया! विपुलं असन-पान-खाइम-साइमं आवासेसु उवणेह। तेवि तहेव उवणेति। तए णं ते वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा ण्हाया कयवलिकम्मा कय-कोउय-मंगल-पायच्छित्ता तं विपुलं असन-पान-खाइम-साइमं आसाएमाणा तहेव जाव विहरंति। तए णं से पंडू राया ते पंच पंडवे दोवइं च देविं पट्टयं दुरुहावेइ, दुरुहावेत्ता सेयापीएहिं कलसेहिं ण्हावेइ, ण्हावेत्ता कल्लाणकारं करेइ, करेत्ता ते वासुदेवपामोक्खे बहवे रायसहस्से विपुलेणं असन-पान-खाइम-साइमेणं पुप्फ-वत्थ-गंध-मल्ला लंकारेण य सक्कारेइ सम्मानेइ, सक्कारेत्ता सम्मानेत्ता पडिविसज्जेइ। तए णं ताइं वासुदेवपामोक्खाइं बहूइं रायसहस्साइं पंडूएणं रन्ना विसज्जिया समाणा जेणेव साइं-साइं रज्जाइं जेणेव साइं-साइं नगराइं तेणेव० पडिगयाइं।
Sutra Meaning : तत्पश्चात्‌ पाण्डु राजा ने उन वासुदेव प्रभृति अनेक सहस्त्र राजाओं से हाथ जोड़कर यावत्‌ इस प्रकार कहा – ‘देवानुप्रियो ! हस्तिनापुर नगर में पाँच पाण्डवों और द्रौपदी का कल्याणकरण महोत्सव होगा। अत एव देवानुप्रियो ! तुम सब मुझ पर अनुग्रह करके यथासमय विलम्ब किए बिना पधारना। तत्पश्चात्‌ वे वासुदेव आदि नृपतिगण अलग – अलग यावत्‌ हस्तिनापुर की ओर गमन करने के लिए उद्यत हुए। तत्पश्चात्‌ पाण्डु राजा ने कौटुम्बिक पुरुषों को बुलाकर इस प्रकार आदेश दिया – ‘देवानुप्रियो ! तुम जाओ और हस्तिनापुर में पाँच पाण्डवों के लिए पाँच उत्तम प्रासाद बनवाओ, वे प्रासाद खूब ऊंचे हों और सात भूमी के हों इत्यादि पूर्ववत्‌ यावत्‌ वे अत्यन्त मनोहर हों। तब कौटुम्बिक पुरुषों ने यह आदेश अंगीकार किया, यावत्‌ उसी प्रकार के प्रासाद बनवाए। तब पाण्डु राजा पाँचों पाण्डवों और द्रौपदी देवी के साथ अश्वसेना, गजसेना आदि से परिवृत्त होकर काम्पिल्यपुर नगर से नीकलकर जहाँ हस्तिनापुर था, वहाँ आ पहुँचा। तत्पश्चात्‌ पाण्डु राजा ने उन वासुदेव आदि राजाओं का आगमन जानकर कौटुम्बिक पुरुषों को बुलाया और उनसे कहा – ‘देवानुप्रियो ! तुम जाओ और हस्तिनापुर नगर के बाहर वासुदेव आदि बहुत हजार राजाओं के लिए आवास तैयार कराओ जो अनेक सैकड़ों स्तम्भों आदि से युक्त हो इत्यादि पूर्ववत्‌।’ कौटुम्बिक पुरुष उसी प्रकार आज्ञा का पालन करके यावत्‌ आज्ञा वापिस करते हैं। तत्पश्चात्‌ वे वासुदेव वगैरह हजारों राजा हस्तिनापुर नगर में आए। तब पाण्डु राजा उन वासुदेव आदि राजाओं का आगमन जानकर हर्षित और संतुष्ट हुआ। उसने स्नान किया, बलिकर्म किया और द्रुपद राजा के समान उनके सामने जाकर सत्कार किया, यावत्‌ उन्हें यथायोग्य आवास प्रदान किए। तब वे वासुदेव आदि हजारों राजा जहाँ अपने – अपने आवास थे, वहाँ गए और उसी प्रकार यावत्‌ विचरने लगे। तत्पश्चात्‌ पाण्डु राजा ने हस्तिनापुर नगर में प्रवेश किया। कौटुम्बिक पुरुषों को बुलाया और कहा – ‘हे देवानुप्रियो ! तुम विपुल अशन, पान, खादिम और स्वादिम तैयार करवाओ।’ उन कौटुम्बिक पुरुषों ने उसी प्रकार किया यावत्‌ वे भोजन तैयार करवा कर ले गए। तब उन वासुदेव आदि बहुत – से राजाओं न स्नान एवं बलिकार्य करके उस विपुल अशन, पान, खादिम और स्वादिम का आहार किया और उसी प्रकार विचरने लगे। तत्पश्चात्‌ पाण्डु राजा ने पाँच पाण्डवों को तथा द्रौपदी को पाट पर बिठाया। श्वेत और पीत कलशों से उनका अभिषेक किया। फिर कल्याणकर उत्सव किया। उत्सव करके उन वासुदेव आदि बहुत हजार राजाओं का विपुल अशन, पान, खादिम और स्वादिम से तथा पुष्पों और वस्त्रों से सत्कार किया, सम्मान किया। यावत्‌ उन्हें बिदा किया। तब वे वासुदेव वगैरह बहुत से राजा यावत्‌ अपने – अपने राज्यों एवं नगरों को लौट गए।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] tae nam se pamdu raya tesim vasudevapamokkhanam bahunam rayasahassanam karayala-pariggahiyam dasanaham sirasavattam matthae amjalim kattu evam vayasi–evam khalu devanuppiya! Hatthinaure nayare pamchanham pamdavanam dovaie ya devie kallanakare bhavissai. Tam tubbhe nam devanuppiya! Mamam anuginhamana akalaparihinam cheva samosaraha. Tae nam te vasudevapamokkha bahave rayasahassa patteyam-patteyam nhaya sannaddha-baddha-vammiya-kavaya hatthikhamdhavaragaya java jeneva hatthinaure nayare teneva paharettha gamanae. Tae nam se pamdu raya kodumbiyapurise saddavei, saddavetta evam vayasi–gachchhaha nam tubbhe devanuppiya! Hatthinaure nayare pamchanham pamdavana pamcha pasayavadimsae kareha–abbhuggayamusiya java padiruvam. Tae nam te kodumbiyapurisa padisunemti java karavemti. Tae nam se pamdu raya pamchahim pamdavehim dovaie devie saddhim haya-gaya-raha-pavarajohakaliyae chauramginie senae saddhim samparivude mahayabhadachadagara-raha-pahakara-vimdaparikkhitte kampillapurao padinikkhamai, padinikkhamitta jeneva hatthinaure teneva uvagae. Tae nam se pamdu raya tesim vasudevapamokkhanam agamanam janitta kodumbiyapurise saddavei, saddavetta evam vayasi–gachchhaha nam tubbhe devanuppiya! Hatthinaurassa nayarassa bahiya vasudeva-pamokkhanam bahunam rayasahassanam avase–anegakhambhasayasannivitthe kareha, karetta eyamanattiyam pachchappinaha. Tevi taheva pachchappinamti. Tae nam te vasudevapamokkha bahave rayasahassa jeneva hatthinaure teneva uvagae. Tae nam se pamdu raya te vasudevapamokkham bahave rayasahasse uvagae janitta hatthatutthe nhae kayavalikamme jaha duvae java jahariham avase dalayai. Tae nam te vasudevapamokkha bahave rayasahassa jeneva saya-saya avasa teneva uvagachchhamti taheva java viharamti. Tae nam se pamdu raya hatthinauram nayaram anupavisai, anupavisitta kodumbiyapurise saddavei, saddavetta evam vayasi–tubbhe nam devanuppiya! Vipulam asana-pana-khaima-saimam avasesu uvaneha. Tevi taheva uvaneti. Tae nam te vasudevapamokkha bahave rayasahassa nhaya kayavalikamma kaya-kouya-mamgala-payachchhitta tam vipulam asana-pana-khaima-saimam asaemana taheva java viharamti. Tae nam se pamdu raya te pamcha pamdave dovaim cha devim pattayam duruhavei, duruhavetta seyapiehim kalasehim nhavei, nhavetta kallanakaram karei, karetta te vasudevapamokkhe bahave rayasahasse vipulenam asana-pana-khaima-saimenam puppha-vattha-gamdha-malla lamkarena ya sakkarei sammanei, sakkaretta sammanetta padivisajjei. Tae nam taim vasudevapamokkhaim bahuim rayasahassaim pamduenam ranna visajjiya samana jeneva saim-saim rajjaim jeneva saim-saim nagaraim teneva0 padigayaim.
Sutra Meaning Transliteration : Tatpashchat pandu raja ne una vasudeva prabhriti aneka sahastra rajaom se hatha jorakara yavat isa prakara kaha – ‘devanupriyo ! Hastinapura nagara mem pamcha pandavom aura draupadi ka kalyanakarana mahotsava hoga. Ata eva devanupriyo ! Tuma saba mujha para anugraha karake yathasamaya vilamba kie bina padharana. Tatpashchat ve vasudeva adi nripatigana alaga – alaga yavat hastinapura ki ora gamana karane ke lie udyata hue. Tatpashchat pandu raja ne kautumbika purushom ko bulakara isa prakara adesha diya – ‘devanupriyo ! Tuma jao aura hastinapura mem pamcha pandavom ke lie pamcha uttama prasada banavao, ve prasada khuba umche hom aura sata bhumi ke hom ityadi purvavat yavat ve atyanta manohara hom. Taba kautumbika purushom ne yaha adesha amgikara kiya, yavat usi prakara ke prasada banavae. Taba pandu raja pamchom pandavom aura draupadi devi ke satha ashvasena, gajasena adi se parivritta hokara kampilyapura nagara se nikalakara jaham hastinapura tha, vaham a pahumcha. Tatpashchat pandu raja ne una vasudeva adi rajaom ka agamana janakara kautumbika purushom ko bulaya aura unase kaha – ‘devanupriyo ! Tuma jao aura hastinapura nagara ke bahara vasudeva adi bahuta hajara rajaom ke lie avasa taiyara karao jo aneka saikarom stambhom adi se yukta ho ityadi purvavat.’ kautumbika purusha usi prakara ajnya ka palana karake yavat ajnya vapisa karate haim. Tatpashchat ve vasudeva vagairaha hajarom raja hastinapura nagara mem ae. Taba pandu raja una vasudeva adi rajaom ka agamana janakara harshita aura samtushta hua. Usane snana kiya, balikarma kiya aura drupada raja ke samana unake samane jakara satkara kiya, yavat unhem yathayogya avasa pradana kie. Taba ve vasudeva adi hajarom raja jaham apane – apane avasa the, vaham gae aura usi prakara yavat vicharane lage. Tatpashchat pandu raja ne hastinapura nagara mem pravesha kiya. Kautumbika purushom ko bulaya aura kaha – ‘he devanupriyo ! Tuma vipula ashana, pana, khadima aura svadima taiyara karavao.’ una kautumbika purushom ne usi prakara kiya yavat ve bhojana taiyara karava kara le gae. Taba una vasudeva adi bahuta – se rajaom na snana evam balikarya karake usa vipula ashana, pana, khadima aura svadima ka ahara kiya aura usi prakara vicharane lage. Tatpashchat pandu raja ne pamcha pandavom ko tatha draupadi ko pata para bithaya. Shveta aura pita kalashom se unaka abhisheka kiya. Phira kalyanakara utsava kiya. Utsava karake una vasudeva adi bahuta hajara rajaom ka vipula ashana, pana, khadima aura svadima se tatha pushpom aura vastrom se satkara kiya, sammana kiya. Yavat unhem bida kiya. Taba ve vasudeva vagairaha bahuta se raja yavat apane – apane rajyom evam nagarom ko lauta gae.