Sutra Navigation: Gyatadharmakatha ( धर्मकथांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1004739 | ||
Scripture Name( English ): | Gyatadharmakatha | Translated Scripture Name : | धर्मकथांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-१ उत्क्षिप्तज्ञान |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-१ उत्क्षिप्तज्ञान |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 39 | Category : | Ang-06 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तए णं से मेहे अनगारे अन्नया कयाइ समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी–इच्छामि णं भंते! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए। अहासुहं देवानुप्पिया! मा पडिबंधं करेहि। तए णं से मेहे अनगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ। मासियं भिक्खुपडिमं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं सम्मं काएणं फासेइ पालेइ सोभेइ तीरेइ किट्टेइ, सम्मं काएणं फासेत्ता पालेत्ता सोभेत्ता तीरेत्ता किट्टेत्ता पुणरवि समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी–इच्छामि णं भंते! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे दोमासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए। अहासुहं देवानुप्पिया! मा पडिबंधं करेहि। जहा पढमाए अभिलावो तहा दोच्चाए तच्चाए चउत्थाए पंचमाए छम्मासियाए सत्तमासियाए पढमसत्तराइंदियाए दोच्चसत्तराइंदियाए तच्च सत्तराइंदियाए अहोराइयाए एगराइयाए वि। तए णं से मेहे अनगारे बारस भिक्खुपडिमाओ सम्मं काएणं फासेत्ता पालेत्ता सोभेत्ता तीरेत्ता किट्टेत्ता पुणरवि वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी–इच्छामि णं भंते! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्मं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए। अहासुहं देवानुप्पिया! मा पडिबंधं करेहि। तए णं से मेहे अनगारे पढमं मासं चउत्थं-चउत्थेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं, दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे, रत्तिं वीरासणेणं अवाउडएणं। दोच्चं मासं छट्ठं-छट्ठेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे, रत्तिं वीरासनेणं अवाउडएणं। तच्चं मासं अट्ठमं-अट्ठमेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं, दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे, रत्तिं वीरासणेणं अवाउडएणं। चउत्थं मासं दसमं-दसमेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं, दिया ठाणुक्कुडुए सुराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे, रत्तिं वीरा-सणेणं अवाउडएणं। पंचमं मासं दुवालसमं-दुवालसमेणं अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं, दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे, रत्तिं वीरासणेणं अवाउडएणं। एवं एएणं अभिलावेणं छट्ठे चोद्दसमं-चोद्दसमेणं, सत्तमे सोलसमं-सोलसमेणं, अट्ठमे अट्ठारसमं-अट्ठारसमेणं, नवमे वीसइमं-वीसइमेणं, दसमे बावीसइमं-बावीसइमेणं, एक्कारसमे चउव्वीसइमं-चउव्वीसइमेणं, बारसमे छव्वीसइमं-छव्वीसइमेणं, तेरसमे अट्ठावीसइमं-अट्ठावीस-इमेणं, चोद्दसमे तीसइमं-तीसइमेणं, पंचदसमे बत्तीसइमं-बत्तीसइमेणं, सोलसमे चउत्तीसइमं-चउत्तीसइमेणं–अनिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं, दिया ठाणुक्कुडुए सुराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे, वीरासणेण अवाउडएण य। तए णं से मेहे अनगारे गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्मं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं सम्मं काएणं फासेइ पालेइ सोभेइ तीरेइ किट्टेइ अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं सम्मं काएणं फासेत्ता पालेत्ता सोभेत्ता तीरेत्ता किट्टेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता बहूहिं छट्ठट्ठमदसम-दुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं विचित्तेहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। | ||
Sutra Meaning : | तत्पश्चात् उन मेघ अनगार ने किसी अन्य समय श्रमण भगवान महावीर की वन्दना की, नमस्कार किया। वन्दना – नमस्कार करके कहा – ‘भगवन् ! मैं आपकी अनुमति पाकर एक मास की मर्यादा वाली भिक्षुप्रतिमा को अंगीकार करके विचरने की ईच्छा करता हूँ। भगवान् ने कहा – ‘देवानुप्रिय ! तुम्हें जैसा सुख उपजे वैसा करो। प्रतिबन्ध न करो, विलम्ब न करो।’ तत्पश्चात् श्रमण भगवान महावीर द्वारा अनुमति पाए हुए अनगार एक मास की भिक्षुप्रतिमा अंगीकार करके विचरने लगे। एक मास की भिक्षुप्रतिमा को यथासूत्र – सूत्र के अनुसार, कल्प के अनुसार, मार्ग के अनुसार सम्यक् प्रकार के काय से ग्रहण किया, निरन्तर सावधान रहकर उसका पालन किया, पारणा के दिन गुरु को देकर शेष बचा भोजन करके शोभित किया, अथवा अतिचारों का निवारण करके शोधन किया, प्रतिमा का काल पूर्ण हो जाने पर भी किंचित् काल अधिक प्रतिमा में रहकर तीर्ण किया, पारण के दिन प्रतिमा सम्बन्धी कार्यों का कथन करके कीर्तन किया। इस प्रकार समीचीन रूप से काया से स्पर्श करके, पालन करके, शोभित या शोधित करके, तीर्ण करके एवं कीर्तन करके पुनः श्रमण भगवान महावीर को वन्दन – नमस्कार करके इस प्रकार कहा – ‘भगवन् ! आपकी अनुमति प्राप्त करके मैं दो मास की भिक्षुप्रतिमा अंगीकार करके विचरना चाहता हूँ।’ भगवान ने कहा – ‘देवानुप्रिय ! जैसे सुख उपजे वैसा करो। प्रतिबन्ध मत करो।’ जिस प्रकार पहली प्रतिमा में आलापक कहा है, उसी प्रकार दूसरी प्रतिमा दो मास की, तीसरी तीन मास की, चौथी चार मास की, पाँचवी पाँच मास की, छठी छह मास की, सातवीं सात मास की, सात अहोरात्र की, सात अहोरात्र की, सात अहोरात्र की और एक – एक अहोरात्र प्रतिमा की कहना चाहिए। तत्पश्चात् मेघ अनगार ने बारहों भिक्षुप्रतिमाओं का सम्यक् प्रकार से काय से स्पर्श करके, पालन करके, शोधन करके, तीर्ण करके और कीर्तन करके पुनः श्रमण भगवान महावीर को वन्दन – नमस्कार किया। वन्दन – नमस्कार करके इस प्रकार कहा – ‘भगवन् ! मैं आपकी आज्ञा प्राप्त करके गुणरत्न – संवत्सर नामक तपश्चरण अंगीकार करना चाहता हूँ।’ भगवान बोले – ‘हे देवानुप्रिय ! जैसे सुख उपजे वैसा करो। प्रतिबन्ध मत करो।’ तत्पश्चात् मेघ अनगार पहले महीने में निरन्तर चतुर्थभक्त अर्थात् एकान्तर उपवास की तपस्या के साथ विचरने लगे। दिन में उत्कट आसन से रहते और आतापना लेने की भूमि में सूर्य के सन्मुख आतापना लेते। रात्रि में प्रावरण से रहित होकर वीरासन में स्थित रहते थे। इसी प्रकार दूसरे महीने निरन्तर षष्ठभक्त तप – बेला, तीसरे महीने अष्टमभक्त तथा चौथे मास में दशमभक्त तप करते हुए विचरने लगे। दिन में उत्कट आसन से स्थित रहते, सूर्य के सामने आतापना भूमि में आतापना लेते और रात्रि में प्रावरण रहित होकर वीरासन से रहते, पाँचवे मास में द्वादशम – द्वादशम का निरन्तर तप करने लगे। दिन में उकडू आसन से स्थिर होकर, सूर्य के सन्मुख आतापनाभूमि में आतापना लेते और रात्रि में प्रावरणरहित होकर वीरासन से रहते थे। इसी प्रकार के आलापक के साथ छठे मास में छह – छह उपवास का, सातवे मास में सात – सात उपवास का, आठवें मास में आठ – आठ उपवास का, नौवें मास में नौ – नौ उपवास का, दसवें मास में दस – दस उपवास का, ग्यारहवें मास में ग्यारह – ग्यारह उपवास का, बारहवें मास में बारह – बारह उपवास का, तेरहवें मास में तेरह – तेरह उपवास का, चौदहवें मास में चौदह – चौदह उपवास का, पन्द्रहवे मास में पन्द्रह – पन्द्रह उपवास का और सोलहवे मास में सोलह – सोलह उपवास का निरन्तर तप करते हुए विचरने लगे। दिन में उकडी आसन से सूर्य के सन्मुख आतापनाभूमि में आतापना लेते थे और रात्रि में प्रावरणरहित होकर वीरासन से स्थित रहते थे। इस प्रकार मेघ अनगार ने गुणरत्न संवत्सर नामक तपःकर्म का सूत्र के अनुसार, कल्प के अनुसार तथा मार्ग के अनुसार सम्यक् प्रकार के काय द्वारा स्पर्श किया, पालन किया, शोधित या शोभित किया तथा कीर्तित किया। सूत्र के अनुसार और कल्प के अनुसार यावत् कीर्तन करके श्रमण भगवान महावीर को वन्दन किया, नमस्कार किया। वन्दन – नमस्कार करके बहुत से षष्ठभक्त, अष्टभक्त, दशमभक्त, द्वादशभक्त आदि तथा अर्धमासखमण एवं मासखमण आदि विचित्र प्रकार के तपश्चरण करके आत्मा को भावित करते हुए विचरने लगे। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tae nam se mehe anagare annaya kayai samanam bhagavam mahaviram vamdai namamsai, vamditta namamsitta evam vayasi–ichchhami nam bhamte! Tubbhehim abbhanunnae samane masiyam bhikkhupadimam uvasampajjitta nam viharittae. Ahasuham devanuppiya! Ma padibamdham karehi. Tae nam se mehe anagare samanenam bhagavaya mahavirenam abbhanunnae samane masiyam bhikkhupadimam uvasampajjitta nam viharai. Masiyam bhikkhupadimam ahasuttam ahakappam ahamaggam sammam kaenam phasei palei sobhei tirei kittei, sammam kaenam phasetta paletta sobhetta tiretta kittetta punaravi samanam bhagavam mahaviram vamdai namamsai, vamditta namamsitta evam vayasi–ichchhami nam bhamte! Tubbhehim abbhanunnae samane domasiyam bhikkhupadimam uvasampajjitta nam viharittae. Ahasuham devanuppiya! Ma padibamdham karehi. Jaha padhamae abhilavo taha dochchae tachchae chautthae pamchamae chhammasiyae sattamasiyae padhamasattaraimdiyae dochchasattaraimdiyae tachcha sattaraimdiyae ahoraiyae egaraiyae vi. Tae nam se mehe anagare barasa bhikkhupadimao sammam kaenam phasetta paletta sobhetta tiretta kittetta punaravi vamdai namamsai, vamditta namamsitta evam vayasi–ichchhami nam bhamte! Tubbhehim abbhanunnae samane gunarayanasamvachchharam tavokammam uvasampajjitta nam viharittae. Ahasuham devanuppiya! Ma padibamdham karehi. Tae nam se mehe anagare padhamam masam chauttham-chautthenam anikkhittenam tavokammenam, diya thanukkudue surabhimuhe ayavanabhumie ayavemane, rattim virasanenam avaudaenam. Dochcham masam chhattham-chhatthenam anikkhittenam tavokammenam diya thanukkudue surabhimuhe ayavanabhumie ayavemane, rattim virasanenam avaudaenam. Tachcham masam atthamam-atthamenam anikkhittenam tavokammenam, diya thanukkudue surabhimuhe ayavanabhumie ayavemane, rattim virasanenam avaudaenam. Chauttham masam dasamam-dasamenam anikkhittenam tavokammenam, diya thanukkudue surabhimuhe ayavanabhumie ayavemane, rattim vira-sanenam avaudaenam. Pamchamam masam duvalasamam-duvalasamenam anikkhittenam tavokammenam, diya thanukkudue surabhimuhe ayavanabhumie ayavemane, rattim virasanenam avaudaenam. Evam eenam abhilavenam chhatthe choddasamam-choddasamenam, sattame solasamam-solasamenam, atthame attharasamam-attharasamenam, navame visaimam-visaimenam, dasame bavisaimam-bavisaimenam, ekkarasame chauvvisaimam-chauvvisaimenam, barasame chhavvisaimam-chhavvisaimenam, terasame atthavisaimam-atthavisa-imenam, choddasame tisaimam-tisaimenam, pamchadasame battisaimam-battisaimenam, solasame chauttisaimam-chauttisaimenam–anikkhittenam tavokammenam, diya thanukkudue surabhimuhe ayavanabhumie ayavemane, virasanena avaudaena ya. Tae nam se mehe anagare gunarayanasamvachchharam tavokammam ahasuttam ahakappam ahamaggam sammam kaenam phasei palei sobhei tirei kittei ahasuttam ahakappam ahamaggam sammam kaenam phasetta paletta sobhetta tiretta kittetta samanam bhagavam mahaviram vamdai namamsai, vamditta namamsitta bahuhim chhatthatthamadasama-duvalasehim masaddhamasakhamanehim vichittehim tavokammehim appanam bhavemane viharai. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Tatpashchat una megha anagara ne kisi anya samaya shramana bhagavana mahavira ki vandana ki, namaskara kiya. Vandana – namaskara karake kaha – ‘bhagavan ! Maim apaki anumati pakara eka masa ki maryada vali bhikshupratima ko amgikara karake vicharane ki ichchha karata hum. Bhagavan ne kaha – ‘devanupriya ! Tumhem jaisa sukha upaje vaisa karo. Pratibandha na karo, vilamba na karo.’ tatpashchat shramana bhagavana mahavira dvara anumati pae hue anagara eka masa ki bhikshupratima amgikara karake vicharane lage. Eka masa ki bhikshupratima ko yathasutra – sutra ke anusara, kalpa ke anusara, marga ke anusara samyak prakara ke kaya se grahana kiya, nirantara savadhana rahakara usaka palana kiya, parana ke dina guru ko dekara shesha bacha bhojana karake shobhita kiya, athava aticharom ka nivarana karake shodhana kiya, pratima ka kala purna ho jane para bhi kimchit kala adhika pratima mem rahakara tirna kiya, parana ke dina pratima sambandhi karyom ka kathana karake kirtana kiya. Isa prakara samichina rupa se kaya se sparsha karake, palana karake, shobhita ya shodhita karake, tirna karake evam kirtana karake punah shramana bhagavana mahavira ko vandana – namaskara karake isa prakara kaha – ‘Bhagavan ! Apaki anumati prapta karake maim do masa ki bhikshupratima amgikara karake vicharana chahata hum.’ bhagavana ne kaha – ‘devanupriya ! Jaise sukha upaje vaisa karo. Pratibandha mata karo.’ jisa prakara pahali pratima mem alapaka kaha hai, usi prakara dusari pratima do masa ki, tisari tina masa ki, chauthi chara masa ki, pamchavi pamcha masa ki, chhathi chhaha masa ki, satavim sata masa ki, sata ahoratra ki, sata ahoratra ki, sata ahoratra ki aura eka – eka ahoratra pratima ki kahana chahie. Tatpashchat megha anagara ne barahom bhikshupratimaom ka samyak prakara se kaya se sparsha karake, palana karake, shodhana karake, tirna karake aura kirtana karake punah shramana bhagavana mahavira ko vandana – namaskara kiya. Vandana – namaskara karake isa prakara kaha – ‘bhagavan ! Maim apaki ajnya prapta karake gunaratna – samvatsara namaka tapashcharana amgikara karana chahata hum.’ bhagavana bole – ‘he devanupriya ! Jaise sukha upaje vaisa karo. Pratibandha mata karo.’ Tatpashchat megha anagara pahale mahine mem nirantara chaturthabhakta arthat ekantara upavasa ki tapasya ke satha vicharane lage. Dina mem utkata asana se rahate aura atapana lene ki bhumi mem surya ke sanmukha atapana lete. Ratri mem pravarana se rahita hokara virasana mem sthita rahate the. Isi prakara dusare mahine nirantara shashthabhakta tapa – bela, tisare mahine ashtamabhakta tatha chauthe masa mem dashamabhakta tapa karate hue vicharane lage. Dina mem utkata asana se sthita rahate, surya ke samane atapana bhumi mem atapana lete aura ratri mem pravarana rahita hokara virasana se rahate, pamchave masa mem dvadashama – dvadashama ka nirantara tapa karane lage. Dina mem ukadu asana se sthira hokara, surya ke sanmukha atapanabhumi mem atapana lete aura ratri mem pravaranarahita hokara virasana se rahate the. Isi prakara ke alapaka ke satha chhathe masa mem chhaha – chhaha upavasa ka, satave masa mem sata – sata upavasa ka, athavem masa mem atha – atha upavasa ka, nauvem masa mem nau – nau upavasa ka, dasavem masa mem dasa – dasa upavasa ka, gyarahavem masa mem gyaraha – gyaraha upavasa ka, barahavem masa mem baraha – baraha upavasa ka, terahavem masa mem teraha – teraha upavasa ka, chaudahavem masa mem chaudaha – chaudaha upavasa ka, pandrahave masa mem pandraha – pandraha upavasa ka aura solahave masa mem solaha – solaha upavasa ka nirantara tapa karate hue vicharane lage. Dina mem ukadi asana se surya ke sanmukha atapanabhumi mem atapana lete the aura ratri mem pravaranarahita hokara virasana se sthita rahate the. Isa prakara megha anagara ne gunaratna samvatsara namaka tapahkarma ka sutra ke anusara, kalpa ke anusara tatha marga ke anusara samyak prakara ke kaya dvara sparsha kiya, palana kiya, shodhita ya shobhita kiya tatha kirtita kiya. Sutra ke anusara aura kalpa ke anusara yavat kirtana karake shramana bhagavana mahavira ko vandana kiya, namaskara kiya. Vandana – namaskara karake bahuta se shashthabhakta, ashtabhakta, dashamabhakta, dvadashabhakta adi tatha ardhamasakhamana evam masakhamana adi vichitra prakara ke tapashcharana karake atma ko bhavita karate hue vicharane lage. |