Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1004503 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-३१ युग्मं, नरक, उपपात आदि |
Translated Chapter : |
शतक-३१ युग्मं, नरक, उपपात आदि |
Section : | उद्देशक-१ | Translated Section : | उद्देशक-१ |
Sutra Number : | 1003 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] रायगिहे जाव एवं वयासी–कति णं भंते! खुड्डा जुम्मा पन्नत्ता? गोयमा! चत्तारि खुड्डा जुम्मा पन्नत्ता, तं जहा–कडजुम्मे, तेयोए, दावरजुम्मे, कलियोगे। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–चत्तारि खुड्डा जुम्मा पन्नत्ता, तं जहा–कडजुम्मे जाव कलियोगे? गोयमा! जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपज्जवसिए सेत्तं खुड्डागकड-जुम्मे। जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपज्जवसिए सेत्तं खुड्डागतेयोगे। जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे दुपज्जवसिए सेत्तं खुड्डगदावरजुम्मे। जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे एगपज्जवसिए सेत्तं खुड्डगाकलियोगे से तेणट्ठेणं जाव कलियोगे। खुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते! कओ उववज्जंति– किं नेरइएहिंतो उववज्जंति? तिरिक्ख-जोणिएहिंतो–पुच्छा। गोयमा! नो नेरइएहिंतो उववज्जंति। एवं नेरइयाणं उववाओ जहा वक्कंतीए तहा भाणियव्वो। ते णं भंते! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जंति? गोयमा! चत्तारि वा अट्ठ वा बारस वा सोलस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जंति। ते णं भंते! जीवा कहं उववज्जंति? गोयमा! से जहानामए पवए पवमाणे अज्झवसाणनिव्वत्तिएणं करणोवाएणं, एवं जहा पंचविंसतिमे सए अट्ठमुद्देसए नेरइयाणं वत्तव्वया तहेव इह वि भाणियव्वा जाव आयप्पओगेणं उववज्जंति नो परप्पयोगेणं उववज्जंति। रयणप्पभापुढविखुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते! कओ उववज्जंति? एवं जहा ओहियनेरइयाणं वत्तव्वया सच्चेव रयणप्पभाए वि भाणियव्वा जाव नो परप्पयोगेणं उववज्जंति। एवं सक्करप्पभाए वि, एवं जाव अहेसत्तमाए। एवं उववाओ जहा वक्कंतीए। अस्सण्णी खलु पढमं दोच्चं व सरीसवा तइय पक्खी।सीहा जंति चउत्थिं, उएगा पुण पंचमिं पुढविं । छट्ठिं च इत्थियाओ, मच्छा मणुमा य सत्तमिं पुढविं । एसो परमुववाओ, बोधव्वो नरयपुढवीणं ॥ सेसं तहेव। खुड्डगतेयोगनेरइया णं भंते! कओ उववज्जंति–किं नेरइएहिंतो? उववाओ जहा वक्कंतीए। ते णं भंते! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जंति? गोयमा! तिन्नि वा सत्त वा एक्कारस वा पन्नरस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जंति। सेसं जहा कडजुम्मस्स। एवं जाव अहेसत्तमाए। खुड्डागदावरजुम्मनेरइया णं भंते! कओ उववज्जंति? एवं जहेव खुड्डागकडजुम्मे, नवरं–परिमाणं दो वा छ वा दस वा चोद्दस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा, सेसं तं चेव जाव अहेसत्तमाए। खुड्डागकलिओगनेरइया णं भंते! कओ उववज्जंति? एवं जहेव खुड्डागकडजुम्मे, नवरं–परिमाणं एक्को वा पंच वा नव वा तेरस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जंति, सेसं तं चेव। एवं जाव अहेसत्तमाए। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति जाव विहरइ। | ||
Sutra Meaning : | राजगृह नगर में गौतमस्वामी ने यावत् इस प्रकार पूछा – भगवन् ! क्षुद्रयुग्म कितने कहे हैं ? गौतम ! चार। यथा – कृतयुग्म, त्र्योज, द्वापरयुग्म और कल्योज। भगवन् ! यह क्यों कहा जाता है कि क्षुद्रयुग्म चार हैं ? गौतम ! जिस राशि में से चार – चार का अपहार करते हुए अन्त में चार रहें, उसे क्षुद्रकृतयुग्म कहते हैं। जिस राशि में चार – चार का अपहार करते हुए अन्त में तीन शेष रहें, उसे क्षुद्रत्र्योज कहते हैं। जिस राशि में से चार – चार का अपहार करते हुए अन्त में दो शेष रहें, उसे क्षुद्रद्वापरयुग्म कहते हैं और जिस राशि में से चार – चार का अपहार करते हुए अन्त में एक ही शेष रहे, उसे क्षुद्रकल्योज कहते हैं। इस कारण से हे गौतम ! यावत् कल्योज कहा है। भगवन् ! क्षुद्रकृतयुग्म – राशिपरिमाण नैरयिक कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? क्या वे नैरयिकों से आकर उत्पन्न होते हैं ? अथवा तिर्यञ्चयोनिकों से ? गौतम ! वे नैरयिकों से आकर उत्पन्न नहीं होते। इत्यादि व्युत्क्रान्ति – पद के नैरयिकों के उपपात के अनुसार कहना। भगवन् ! वे जीव एक समय में कितने उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! वे चार, आठ, बारह, सोलह, संख्यात या असंख्यात उत्पन्न होते हैं। भगवन् ! वे जीव किस प्रकार उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! जिस प्रकार कोई कूदने वाला, कूदता – कूदता यावत् अध्यवसायरूप कारण से आगामी भव को प्राप्त करते हैं, इत्यादि पच्चीसवें शतक के आठवें उद्देशक में उक्त नैरयिक – सम्बन्धी वक्तव्यता के समान यहाँ भी कहना चाहिए कि यावत् वे आत्मप्रयोग से उत्पन्न होते हैं, परप्रयोग से उत्पन्न नहीं होते हैं। भगवन् ! क्षुद्रकृतयुग्म – राशिप्रमाण रत्नप्रभापृथ्वी के नैरयिक कहाँ उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! औघिक नैरयिकों समान रत्नप्रभापृथ्वी के नैरयिकों के लिए भी कि वे परप्रयोग से उत्पन्न नहीं होते, तक कहना। इसी प्रकार शर्कराप्रभा से लेकर अधःसप्तमपृथ्वी तक जानना चाहिए। व्युत्क्रान्तिपद के अनुसार यहाँ भी उपपात जानना चाहिए। असंज्ञी जीव प्रथम नरक तक, सरीसृप द्वीतिय नरक तक और पक्षी तृतीय नरक तक उत्पन्न होते हैं, इत्यादि उपपात जानना। शेष पूर्ववत्। भगवन् ! क्षुद्रत्र्योज – राशिप्रमाण नैरयिक कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? इनका उपपात भी व्युत्क्रान्तिपद अनुसार जानना। भगवन् ! वे जीव एक समय में कितने उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! वे एक समय में तीन, सात, ग्यारह, पन्द्रह, संख्यात या असंख्यात उत्पन्न होते हैं। शेष सभी कृतयुग्म नैरयिक समान जानना। इसी प्रकार अधःसप्तमपृथ्वी तक समझना। भगवन् ! क्षुद्रद्वापरयुग्म – राशिप्रमाण नैरयिक कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! क्षुद्रकृतयुग्मराशि के अनुसार जानना। किन्तु ये परिमाण में – दो, छह, दस, चौदह, संख्यात या असंख्यात उत्पन्न होते हैं। शेष पूर्ववत् अधःसप्तमपृथ्वी पर्यन्त जानना। भगवन् ! क्षुद्रकल्योज – राशिप्रमाण नैरयिक कहाँ से आकर उत्पन्न होते हैं ? गौतम ! क्षुद्रकृतयुग्मराशि के अनुसार जानना। किन्तु ये परिमाण में – एक, पाँच, नौ, तेरह, संख्यात या असंख्यात उत्पन्न होते हैं। शेष पूर्ववत्। इसी प्रकार अधःसप्तमपृथ्वी पर्यन्त जानना। ‘हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है। भगवन् ! यह इसी प्रकार है।’ यों कहकर गौतमस्वामी यावत् विचरते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] rayagihe java evam vayasi–kati nam bhamte! Khudda jumma pannatta? Goyama! Chattari khudda jumma pannatta, tam jaha–kadajumme, teyoe, davarajumme, kaliyoge. Se kenatthenam bhamte! Evam vuchchai–chattari khudda jumma pannatta, tam jaha–kadajumme java kaliyoge? Goyama! Je nam rasi chaukkaenam avaharenam avahiramane chaupajjavasie settam khuddagakada-jumme. Je nam rasi chaukkaenam avaharenam avahiramane tipajjavasie settam khuddagateyoge. Je nam rasi chaukkaenam avaharenam avahiramane dupajjavasie settam khuddagadavarajumme. Je nam rasi chaukkaenam avaharenam avahiramane egapajjavasie settam khuddagakaliyoge se tenatthenam java kaliyoge. Khuddagakadajummaneraiya nam bhamte! Kao uvavajjamti– kim neraiehimto uvavajjamti? Tirikkha-joniehimto–puchchha. Goyama! No neraiehimto uvavajjamti. Evam neraiyanam uvavao jaha vakkamtie taha bhaniyavvo. Te nam bhamte! Jiva egasamaenam kevaiya uvavajjamti? Goyama! Chattari va attha va barasa va solasa va samkhejja va asamkhejja va uvavajjamti. Te nam bhamte! Jiva kaham uvavajjamti? Goyama! Se jahanamae pavae pavamane ajjhavasananivvattienam karanovaenam, evam jaha pamchavimsatime sae atthamuddesae neraiyanam vattavvaya taheva iha vi bhaniyavva java ayappaogenam uvavajjamti no parappayogenam uvavajjamti. Rayanappabhapudhavikhuddagakadajummaneraiya nam bhamte! Kao uvavajjamti? Evam jaha ohiyaneraiyanam vattavvaya sachcheva rayanappabhae vi bhaniyavva java no parappayogenam uvavajjamti. Evam sakkarappabhae vi, evam java ahesattamae. Evam uvavao jaha vakkamtie. Assanni khalu padhamam dochcham va sarisava taiya pakkhI.Siha jamti chautthim, uega puna pamchamim pudhavim. Chhatthim cha itthiyao, machchha manuma ya sattamim pudhavim. Eso paramuvavao, bodhavvo narayapudhavinam. Sesam taheva. Khuddagateyoganeraiya nam bhamte! Kao uvavajjamti–kim neraiehimto? Uvavao jaha vakkamtie. Te nam bhamte! Jiva egasamaenam kevaiya uvavajjamti? Goyama! Tinni va satta va ekkarasa va pannarasa va samkhejja va asamkhejja va uvavajjamti. Sesam jaha kadajummassa. Evam java ahesattamae. Khuddagadavarajummaneraiya nam bhamte! Kao uvavajjamti? Evam jaheva khuddagakadajumme, navaram–parimanam do va chha va dasa va choddasa va samkhejja va asamkhejja va, sesam tam cheva java ahesattamae. Khuddagakalioganeraiya nam bhamte! Kao uvavajjamti? Evam jaheva khuddagakadajumme, navaram–parimanam ekko va pamcha va nava va terasa va samkhejja va asamkhejja va uvavajjamti, sesam tam cheva. Evam java ahesattamae. Sevam bhamte! Sevam bhamte! Tti java viharai. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Rajagriha nagara mem gautamasvami ne yavat isa prakara puchha – bhagavan ! Kshudrayugma kitane kahe haim\? Gautama ! Chara. Yatha – kritayugma, tryoja, dvaparayugma aura kalyoja. Bhagavan ! Yaha kyom kaha jata hai ki kshudrayugma chara haim\? Gautama ! Jisa rashi mem se chara – chara ka apahara karate hue anta mem chara rahem, use kshudrakritayugma kahate haim. Jisa rashi mem chara – chara ka apahara karate hue anta mem tina shesha rahem, use kshudratryoja kahate haim. Jisa rashi mem se chara – chara ka apahara karate hue anta mem do shesha rahem, use kshudradvaparayugma kahate haim aura jisa rashi mem se chara – chara ka apahara karate hue anta mem eka hi shesha rahe, use kshudrakalyoja kahate haim. Isa karana se he gautama ! Yavat kalyoja kaha hai. Bhagavan ! Kshudrakritayugma – rashiparimana nairayika kaham se akara utpanna hote haim\? Kya ve nairayikom se akara utpanna hote haim\? Athava tiryanchayonikom se\? Gautama ! Ve nairayikom se akara utpanna nahim hote. Ityadi vyutkranti – pada ke nairayikom ke upapata ke anusara kahana. Bhagavan ! Ve jiva eka samaya mem kitane utpanna hote haim\? Gautama ! Ve chara, atha, baraha, solaha, samkhyata ya asamkhyata utpanna hote haim. Bhagavan ! Ve jiva kisa prakara utpanna hote haim\? Gautama ! Jisa prakara koi kudane vala, kudata – kudata yavat adhyavasayarupa karana se agami bhava ko prapta karate haim, ityadi pachchisavem shataka ke athavem uddeshaka mem ukta nairayika – sambandhi vaktavyata ke samana yaham bhi kahana chahie ki yavat ve atmaprayoga se utpanna hote haim, paraprayoga se utpanna nahim hote haim. Bhagavan ! Kshudrakritayugma – rashipramana ratnaprabhaprithvi ke nairayika kaham utpanna hote haim\? Gautama ! Aughika nairayikom samana ratnaprabhaprithvi ke nairayikom ke lie bhi ki ve paraprayoga se utpanna nahim hote, taka kahana. Isi prakara sharkaraprabha se lekara adhahsaptamaprithvi taka janana chahie. Vyutkrantipada ke anusara yaham bhi upapata janana chahie. Asamjnyi jiva prathama naraka taka, sarisripa dvitiya naraka taka aura pakshi tritiya naraka taka utpanna hote haim, ityadi upapata janana. Shesha purvavat. Bhagavan ! Kshudratryoja – rashipramana nairayika kaham se akara utpanna hote haim\? Inaka upapata bhi vyutkrantipada anusara janana. Bhagavan ! Ve jiva eka samaya mem kitane utpanna hote haim\? Gautama ! Ve eka samaya mem tina, sata, gyaraha, pandraha, samkhyata ya asamkhyata utpanna hote haim. Shesha sabhi kritayugma nairayika samana janana. Isi prakara adhahsaptamaprithvi taka samajhana. Bhagavan ! Kshudradvaparayugma – rashipramana nairayika kaham se akara utpanna hote haim\? Gautama ! Kshudrakritayugmarashi ke anusara janana. Kintu ye parimana mem – do, chhaha, dasa, chaudaha, samkhyata ya asamkhyata utpanna hote haim. Shesha purvavat adhahsaptamaprithvi paryanta janana. Bhagavan ! Kshudrakalyoja – rashipramana nairayika kaham se akara utpanna hote haim\? Gautama ! Kshudrakritayugmarashi ke anusara janana. Kintu ye parimana mem – eka, pamcha, nau, teraha, samkhyata ya asamkhyata utpanna hote haim. Shesha purvavat. Isi prakara adhahsaptamaprithvi paryanta janana. ‘he bhagavan ! Yaha isi prakara hai. Bhagavan ! Yaha isi prakara hai.’ yom kahakara gautamasvami yavat vicharate haim. |