Sutra Navigation: Samavayang ( समवयांग सूत्र )

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Sr No : 1003346
Scripture Name( English ): Samavayang Translated Scripture Name : समवयांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

समवाय प्रकीर्णक

Translated Chapter :

समवाय प्रकीर्णक

Section : Translated Section :
Sutra Number : 246 Category : Ang-04
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] कति णं भंते! सरीरा पन्नत्ता? गोयमा! पंच सरीरा पन्नत्ता, तं जहा–ओरालिए वेउव्विए आहारए तेयए कम्मए। ओरालियसरीरे णं भंते! कइविहे पन्नत्ते? गोयमा! पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा– एगिंदियओरालियसरीरे जाव गब्भवक्कंतियमनुस्स-पंचिंदियओरालियसरीरे य। ओरालियसरीरस्स णं भंते! केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं उक्कोसेणं साइरेगं जोयणसहस्सं। एवं जहा ओगाहणासंठाणे ओरालियपमाणं तहा निरवसेसं। एवं जाव मणुस्सेत्ति उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाइं। कइविहे णं भंते! वेउव्वियसरीरे पन्नत्ते? गोयमा! दुविहे पन्नत्ते–एगिंदियवेउव्वियसरीरे य पंचिंदियवेउव्वियसरीरे य। एवं जाव ईसाणकप्पपज्जंतं सणंकुमारे आढत्तं जाव अनुत्तरा भवधारणिज्जा तेसिं रयणी-रयणी परिहायइ। आहारयसरीरे णं भंते! कइविहे पन्नत्ते? गोयमा! एगाकारे पन्नत्ते। जइ एगाकारे पन्नत्ते, किं मनुस्सआहारयसरीरे? अमनुस्सआहारयसरीरे? गोयमा! मनुस्सआहारगसरीरे, णो अमनुस्सआहारगसरीरे। जइ मनुस्स आहारगसरीरे, किं गब्भवक्कंतियमनुस्सआहारगसरीरे? संमुच्छिममनुस्स-आहारगसरीरे? गोयमा! गब्भवक्कंतियमनुस्सआहारयसरीरे नो संमुच्छिममनुस्सआहारयसरीरे। जइ गब्भवक्कंतियमनुस्सआहारयसरीरे, किं कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्स आहारय सरीरे? अकम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्सआहारयसरीरे? गोयमा! कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्सआहारयसरीरे, नो अकम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय मनुस्सआहारयसरीरे। जइ कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्सआहारयसरीरे, किं संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्सआहारयसरीरे? असंखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्सआहा- रयसरीरे? गोयमा! संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्सआहारयसरीरे, नो असंखेज्ज-वासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्सआहारयसरीरे। जइ संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्सआहारयसरीरे, किं पज्जत्तय- संखे-ज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्सआहारयसरीरे? अपज्जत्तय-संखेज्जवासाउयकम्म- भूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्सआहारसरीरे? गोयमा! पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्सआहारयसरीरे, नो अपज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्सआहारयसरीरे। जइ पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्सआहारयसरीरे, किं सम्म-द्दिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्मभू-मग-गब्भवक्कंतियमनुस्स-आहारयसरीरे? मिच्छदिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्सआहारयसरीरे? सम्मामिच्छदिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्सआहारयसरीरे? गोयमा! सम्मद्दिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्सआहारय- सरीरे, नो मिच्छद्दिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्ज-वासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्सआहारयसरीरे, नो सम्मामिच्छदिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियम-णुस्सआहारयसरीरे। जइ समद्दिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्सआहारयसरीरे, किं संजय-सम्मदिट्ठिपज्जत्तय-संखेज्जवासाउयकम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्स आहारय सरीरे? असंजय-सम्मद्दिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्स आहारय सरीरे? संजयासंजय-सम्मद्दिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्स आहारय सरीरे? गोयमा! संजय-सम्मद्दिट्ठि-पज्जत्तग-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मनुस्स आहारयसरीरे, नो असंजय-सम्मद्दिट्ठिपज्जत्तयसंखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय मनुस्स आहारयसरीरे, नो संजयासंजय-सम्मद्दिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भ-वक्कंतिय मनुस्सआहारयसरीरे। जइ संजय-सम्मदिट्ठि-पज्जत्तयसंखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मनुस्स आहा- रयसरीरे, किं पमत्तसंजय-सम्मद्दिट्ठि-पज्जत्तयसंखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय मनुस्स आहारयसरीरे? अपमत्तसंजय-सम्मद्दिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्म-भूमग-गब्भवक्कंतिय मनुस्सआहारयसरीरे? गोयमा! पमत्तसंजय-सम्मद्दिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय मनुस्स आहारयसरीरे, नो अपमत्तसंजय-सम्मद्दिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भ-वक्कंतियमनुस्सआहारयसरीरे। जइ पमत्तसंजय-सम्मद्दिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतिय-मनुस्स आहारयसरीरे, किं इड्ढिपत्त-पमत्तसंजय-सम्मद्दिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भ-वक्कंतियमनुस्सआहारयसरीरे? अणिड्ढिपत्त-पमत्त-संजय-सम्मद्दिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्सआहारयसरीरे? गोयमा! इड्ढिपत्त-पमत्तसंजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्मभूमग-गब्भवक्कं- तियमनुस्सआहारयसरीरे, नो अणिड्ढिपत्त-पमत्तसंजयसम्मद्दिट्ठि-पज्जत्तय-संखेज्जवासाउय-कम्म-भूमग-गब्भवक्कंतियमनुस्सआहारयसरीरे। आहारयसरीरे णं भंते! किं संठिए पन्नत्ते? गोयमा! समचउरंससंठाणसंठिए पन्नत्ते। आहारयसरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता? गोयमा! जहन्नेणं देसूणा रयणी उक्कोसेणं पडिपुण्णा रयणी। तेयासरीरे णं भंते! कतिविहे पन्नत्ते? गोयमा! पंचविहे पन्नत्ते– एगिंदियतेयासरीरे य बेंदियतेयासरीरे य तेंदियतेयासरीरे य चउरिंदियतेयासरीरे य पंचेंदियतेयासरीरे य। एवं जाव– गेवेज्जस्स णं भंते! देवस्स मारणंतियसमुग्घातेणं समोहयस्स तेयासरीरस्स केमहालिया सरीरोगाहणा पन्नत्ता? गोयमा! सरीरप्पमाणमेत्ती विक्खंभबाहल्लेणं; आयामेणं जहन्नेणं अहे जाव विज्जाहर-सेढीओ, उक्कोसेणं अहे जाव अहोलो-इया गामा, तिरियं जाव मनुस्सखेत्तं, उड्ढं जाव सयाइं विमाणाइं। एवं अनुत्तरोववाइया वि। एवं कम्मयसरीरं पि भाणियव्वं।
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! शरीर कितने कहे गए हैं ? गौतम ! शरीर पाँच कहे गए हैं – औदारिक शरीर, वैक्रिय शरीर, आहारक शरीर, तैजस शरीर और कार्मण शरीर। भगवन्‌ ! औदारिक शरीर कितने प्रकार के कहे गए हैं ? गौतम ! पाँच प्रकार के कहे गए हैं। जैसे – एकेन्द्रिय औदारिक शरीर, यावत्‌ गर्भजमनुष्य पंचेन्द्रिय औदारिकशरीर तक जानना चाहिए। भगवन्‌ ! औदारिक शरीर वाले जीव की उत्कृष्ट शरीर – अवगाहना कितनी कही गई है ? गौतम ! (पृथ्वीकायिक आदि की अपेक्षा) जघन्य शरीर – अवगाहना अंगुल के असंख्यातवे भाग प्रमाण और उत्कृष्ट शरीर – अवगाहना (बादर वनस्पतिकायिक की अपेक्षा) कुछ अधिक एक हजार योजन कही गई है। इस प्रकार जैसे अवगाहना संस्थान नामक प्रज्ञापना – पद में औदारिकशरीर की अवगाहना का प्रमाण कहा गया है, वैसा ही यहाँ सम्पूर्ण रूप से कहना चाहिए। इस प्रकार यावत्‌ मनुष्य की उत्कृष्ट शरीर – अवगाहना तीन गव्यूति कही गई है। भगवन्‌ ! वैक्रियशरीर कितने प्रकार का कहा गया है ? गौतम ! वैक्रियशरीर दो प्रकार का कहा गया है – एकेन्द्रिय वैक्रियिक शरीर और पंचेन्द्रिय वैक्रियिक शरीर। इस प्रकार यावत्‌ सनत्कुमार – कल्प से लेकर अनुत्तर विमानों तक के देवों का वैक्रियिक भवधारणीय शरीर कहना। वह क्रमशः एक – एक रत्नि कम होता है। भगवन्‌ ! आहारकशरीर कितने प्रकार का होता है ? गौतम ! आहारक शरीर एक ही प्रकार का कहा गया है। भगवन्‌ ! यदि एक ही प्रकार का कहा गया है तो क्या वह मनुष्य आहारकशरीर है अथवा अमनुष्य – आहारक शरीर है ? गौतम ! मनुष्य – आहारकशरीर है, अमनुष्य – आहारक शरीर नहीं है। भगवन्‌ ! यदि वह मनुष्य – आहारक शरीर है तो क्या वह गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारक शरीर है, अथवा सम्मूर्च्छिम मनुष्य – आहारक शरीर है ? गौतम ! वह गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारक शरीर है। भगवन्‌ ! यदि वह गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारक शरीर है, तो क्या वह कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारकशरीर है, अथवा अकर्मभूमिज – गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारक शरीर है ? गौतम ! कर्मभूमिज गर्भोप – क्रान्तिक मनुष्य – आहारकशरीर है, अकर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारकशरीर नहीं है। भगवन्‌ ! यदि कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारकशरीर हैं, तो क्या वह संख्यातवर्षायुष्क कर्म – भूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारकशरीर हैं, अथवा असंख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारक शरीर हैं ? गौतम ! संख्यात वर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारक शरीर हैं, असंख्यात – वर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारकशरीर नहीं है। भगवन्‌ ! यदि संख्यात – वर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य आहारकशरीर हैं, तो क्या वह पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारकशरीर हैं, अथवा अपर्याप्तक संख्यात – वर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारकशरीर हैं ? गौतम ! पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारकशरीर हैं, अपर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारक शरीर नहीं हैं। भगवन्‌ ! यदि वह पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य आहारक शरीर हैं, तो क्या वह सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यात – वर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारकशरीर हैं, अथवा मिथ्यादृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य आहारकशरीर हैं, अथवा सम्यग्‌मिथ्या – दृष्टि पर्याप्तक संख्यात वर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारकशरीर हैं ? गौतम ! वह सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारक शरीर हैं, न मिथ्यादृष्टि पर्याप्तक संख्यात – वर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारकशरीर हैं और न सम्यग्‌मिथ्यादृष्टि पर्याप्तक संख्यात – वर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारक शरीर हैं। भगवन्‌ ! यदि वह सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य आहारकशरीर हैं, तो क्या वह संयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यात वर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारकशरीर हैं, अथवा असंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारकशरीर हैं, अथवा संयतासंयत पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारकशरीर हैं ? गौतम ! वह संयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य आहारकशरीर हैं, न असंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारकशरीर हैं और न संयतासंयत पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारक शरीर हैं। भगवन्‌ ! यदि वह संयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारकशरीर हैं, तो क्या प्रमत्तसंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यात वर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारकशरीर है, अथवा अप्रमत्तसंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारकशरीर हैं ? गौतम ! वह प्रमत्तसंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारकशरीर हैं, अप्रमत्तसंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य आहारकशरीर नहीं है। भगवन्‌ ! यदि वह प्रमत्तसंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारकशरीर हैं, तो क्या वह ऋद्धिप्राप्त प्रमत्तसंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोप – क्रान्तिक मनुष्य – आहारक शरीर हैं, अथवा अनृद्धिप्राप्त प्रमत्तसंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्म – भूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारकशरीर हैं ? गौतम ! यह ऋद्धिप्राप्त प्रमत्तसंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यात वर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारक शरीर हैं, अनृद्धिप्राप्त प्रमत्तसंयत सम्यग्दृष्टि पर्याप्तक संख्यातवर्षायुष्क कर्मभूमिज गर्भोपक्रान्तिक मनुष्य – आहारक शरीर नहीं है। यह आहारकशरीर समचतुरस्रसंस्थान वाला होता है। भगवन्‌ ! आहारकशरीर की कितनी बड़ी शरीर – अवगाहना कही गई है ? गौतम ! जघन्य अवगाहना कुछ कम एक रत्नि (हाथ) और उत्कृष्ट अवगाहना परिपूर्ण एक रत्नि (हाथ) कही गई है। भगवन्‌ ! तैजसशरीर कितने प्रकार का कहा गया है ? गौतम ! पाँच प्रकार का कहा गया है – एकेन्द्रियतैजस शरीर, द्वीन्द्रियतैजसशरीर, त्रीन्द्रियतैजसशरीर, चतुरिन्द्रियतैजसशरीर और पंचेन्द्रियतैजसशरीर। इस प्रकार आरण – अच्युत कल्प तक जानना चाहिए। भगवन्‌ ! मारणान्तिक समुद्‌घात को प्राप्त हुए ग्रैवेयक देव की शरीर – अवगाहना कितनी बड़ी कही गई है? गौतम ! विष्कम्भ – बाहल्य की अपेक्षा शरीर – प्रमाणपात्र कही गई है और आयाम (लम्बाई) की अपेक्षा नीचे जघन्य यावत्‌ विद्याधर – श्रेणी तक उत्कृष्ट यावत्‌ अधोलोक के ग्रामों तक, तथा ऊपर अपने विमानों तक और तिरछी मनुष्य क्षेत्र तक कही गई है। इसी प्रकार अनुत्तरोपपातिक देवों की जानना चाहिए। इसी प्रकार कार्मण शरीर का भी वर्णन कहना चाहिए।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] kati nam bhamte! Sarira pannatta? Goyama! Pamcha sarira pannatta, tam jaha–oralie veuvvie aharae teyae kammae. Oraliyasarire nam bhamte! Kaivihe pannatte? Goyama! Pamchavihe pannatte, tam jaha– egimdiyaoraliyasarire java gabbhavakkamtiyamanussa-pamchimdiyaoraliyasarire ya. Oraliyasarirassa nam bhamte! Kemahaliya sarirogahana pannatta? Goyama! Jahannenam amgulassa asamkhejjatibhagam ukkosenam sairegam joyanasahassam. Evam jaha ogahanasamthane oraliyapamanam taha niravasesam. Evam java manussetti ukkosenam tinni gauyaim. Kaivihe nam bhamte! Veuvviyasarire pannatte? Goyama! Duvihe pannatte–egimdiyaveuvviyasarire ya pamchimdiyaveuvviyasarire ya. Evam java isanakappapajjamtam sanamkumare adhattam java anuttara bhavadharanijja tesim rayani-rayani parihayai. Aharayasarire nam bhamte! Kaivihe pannatte? Goyama! Egakare pannatte. Jai egakare pannatte, kim manussaaharayasarire? Amanussaaharayasarire? Goyama! Manussaaharagasarire, no amanussaaharagasarire. Jai manussa aharagasarire, kim gabbhavakkamtiyamanussaaharagasarire? Sammuchchhimamanussa-aharagasarire? Goyama! Gabbhavakkamtiyamanussaaharayasarire no sammuchchhimamanussaaharayasarire. Jai gabbhavakkamtiyamanussaaharayasarire, kim kammabhumaga-gabbhavakkamtiyamanussa aharaya sarire? Akammabhumaga-gabbhavakkamtiyamanussaaharayasarire? Goyama! Kammabhumaga-gabbhavakkamtiyamanussaaharayasarire, no akammabhumaga-gabbhavakkamtiya manussaaharayasarire. Jai kammabhumaga-gabbhavakkamtiyamanussaaharayasarire, kim samkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiyamanussaaharayasarire? Asamkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiyamanussaaha- rayasarire? Goyama! Samkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiyamanussaaharayasarire, no asamkhejja-vasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiyamanussaaharayasarire. Jai samkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiyamanussaaharayasarire, kim pajjattaya- samkhe-jjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiyamanussaaharayasarire? Apajjattaya-samkhejjavasauyakamma- bhumaga-gabbhavakkamtiyamanussaaharasarire? Goyama! Pajjattaya-samkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiyamanussaaharayasarire, no apajjattaya-samkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiyamanussaaharayasarire. Jai pajjattaya-samkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiyamanussaaharayasarire, kim samma-dditthi-pajjattaya-samkhejjavasauya-kammabhu-maga-gabbhavakkamtiyamanussa-aharayasarire? Michchhaditthi-pajjattaya-samkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiyamanussaaharayasarire? Sammamichchhaditthi-pajjattaya-samkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiyamanussaaharayasarire? Goyama! Sammadditthi-pajjattaya-samkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiyamanussaaharaya- sarire, no michchhadditthi-pajjattaya-samkhejja-vasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiyamanussaaharayasarire, no sammamichchhaditthi-pajjattaya-samkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiyama-nussaaharayasarire. Jai samadditthi-pajjattaya-samkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiyamanussaaharayasarire, kim samjaya-sammaditthipajjattaya-samkhejjavasauyakammabhumaga-gabbhavakkamtiyamanussa aharaya sarire? Asamjaya-sammadditthi-pajjattaya-samkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiyamanussa aharaya sarire? Samjayasamjaya-sammadditthi-pajjattaya-samkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiyamanussa aharaya sarire? Goyama! Samjaya-sammadditthi-pajjattaga-samkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiya-manussa aharayasarire, no asamjaya-sammadditthipajjattayasamkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiya manussa aharayasarire, no samjayasamjaya-sammadditthi-pajjattaya-samkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbha-vakkamtiya manussaaharayasarire. Jai samjaya-sammaditthi-pajjattayasamkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiya-manussa aha- rayasarire, kim pamattasamjaya-sammadditthi-pajjattayasamkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiya manussa aharayasarire? Apamattasamjaya-sammadditthi-pajjattaya-samkhejjavasauya-kamma-bhumaga-gabbhavakkamtiya manussaaharayasarire? Goyama! Pamattasamjaya-sammadditthi-pajjattaya-samkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiya manussa aharayasarire, no apamattasamjaya-sammadditthi-pajjattaya-samkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbha-vakkamtiyamanussaaharayasarire. Jai pamattasamjaya-sammadditthi-pajjattaya-samkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiya-manussa aharayasarire, kim iddhipatta-pamattasamjaya-sammadditthi-pajjattaya-samkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbha-vakkamtiyamanussaaharayasarire? Aniddhipatta-pamatta-samjaya-sammadditthi-pajjattaya-samkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkamtiyamanussaaharayasarire? Goyama! Iddhipatta-pamattasamjayasammadditthipajjattaya-samkhejjavasauya-kammabhumaga-gabbhavakkam- tiyamanussaaharayasarire, no aniddhipatta-pamattasamjayasammadditthi-pajjattaya-samkhejjavasauya-kamma-bhumaga-gabbhavakkamtiyamanussaaharayasarire. Aharayasarire nam bhamte! Kim samthie pannatte? Goyama! Samachauramsasamthanasamthie pannatte. Aharayasarirassa kemahaliya sarirogahana pannatta? Goyama! Jahannenam desuna rayani ukkosenam padipunna rayani. Teyasarire nam bhamte! Kativihe pannatte? Goyama! Pamchavihe pannatte– egimdiyateyasarire ya bemdiyateyasarire ya temdiyateyasarire ya chaurimdiyateyasarire ya pamchemdiyateyasarire ya. Evam java– gevejjassa nam bhamte! Devassa maranamtiyasamugghatenam samohayassa teyasarirassa kemahaliya sarirogahana pannatta? Goyama! Sarirappamanametti vikkhambhabahallenam; ayamenam jahannenam ahe java vijjahara-sedhio, ukkosenam ahe java aholo-iya gama, tiriyam java manussakhettam, uddham java sayaim vimanaim. Evam anuttarovavaiya vi. Evam kammayasariram pi bhaniyavvam.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Sharira kitane kahe gae haim\? Gautama ! Sharira pamcha kahe gae haim – audarika sharira, vaikriya sharira, aharaka sharira, taijasa sharira aura karmana sharira. Bhagavan ! Audarika sharira kitane prakara ke kahe gae haim\? Gautama ! Pamcha prakara ke kahe gae haim. Jaise – ekendriya audarika sharira, yavat garbhajamanushya pamchendriya audarikasharira taka janana chahie. Bhagavan ! Audarika sharira vale jiva ki utkrishta sharira – avagahana kitani kahi gai hai\? Gautama ! (prithvikayika adi ki apeksha) jaghanya sharira – avagahana amgula ke asamkhyatave bhaga pramana aura utkrishta sharira – avagahana (badara vanaspatikayika ki apeksha) kuchha adhika eka hajara yojana kahi gai hai. Isa prakara jaise avagahana samsthana namaka prajnyapana – pada mem audarikasharira ki avagahana ka pramana kaha gaya hai, vaisa hi yaham sampurna rupa se kahana chahie. Isa prakara yavat manushya ki utkrishta sharira – avagahana tina gavyuti kahi gai hai. Bhagavan ! Vaikriyasharira kitane prakara ka kaha gaya hai\? Gautama ! Vaikriyasharira do prakara ka kaha gaya hai – ekendriya vaikriyika sharira aura pamchendriya vaikriyika sharira. Isa prakara yavat sanatkumara – kalpa se lekara anuttara vimanom taka ke devom ka vaikriyika bhavadharaniya sharira kahana. Vaha kramashah eka – eka ratni kama hota hai. Bhagavan ! Aharakasharira kitane prakara ka hota hai\? Gautama ! Aharaka sharira eka hi prakara ka kaha gaya hai. Bhagavan ! Yadi eka hi prakara ka kaha gaya hai to kya vaha manushya aharakasharira hai athava amanushya – aharaka sharira hai\? Gautama ! Manushya – aharakasharira hai, amanushya – aharaka sharira nahim hai. Bhagavan ! Yadi vaha manushya – aharaka sharira hai to kya vaha garbhopakrantika manushya – aharaka sharira hai, athava sammurchchhima manushya – aharaka sharira hai\? Gautama ! Vaha garbhopakrantika manushya – aharaka sharira hai. Bhagavan ! Yadi vaha garbhopakrantika manushya – aharaka sharira hai, to kya vaha karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharakasharira hai, athava akarmabhumija – garbhopakrantika manushya – aharaka sharira hai\? Gautama ! Karmabhumija garbhopa – krantika manushya – aharakasharira hai, akarmabhumija garbhopakrantika manushya – aharakasharira nahim hai. Bhagavan ! Yadi karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharakasharira haim, to kya vaha samkhyatavarshayushka karma – bhumija garbhopakrantika manushya – aharakasharira haim, athava asamkhyatavarshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharaka sharira haim\? Gautama ! Samkhyata varshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharaka sharira haim, asamkhyata – varshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharakasharira nahim hai. Bhagavan ! Yadi samkhyata – varshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya aharakasharira haim, to kya vaha paryaptaka samkhyatavarshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharakasharira haim, athava aparyaptaka samkhyata – varshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharakasharira haim\? Gautama ! Paryaptaka samkhyatavarshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharakasharira haim, aparyaptaka samkhyatavarshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharaka sharira nahim haim. Bhagavan ! Yadi vaha paryaptaka samkhyatavarshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya aharaka sharira haim, to kya vaha samyagdrishti paryaptaka samkhyata – varshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharakasharira haim, athava mithyadrishti paryaptaka samkhyatavarshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya aharakasharira haim, athava samyagmithya – drishti paryaptaka samkhyata varshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharakasharira haim\? Gautama ! Vaha samyagdrishti paryaptaka samkhyatavarshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharaka sharira haim, na mithyadrishti paryaptaka samkhyata – varshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharakasharira haim aura na samyagmithyadrishti paryaptaka samkhyata – varshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharaka sharira haim. Bhagavan ! Yadi vaha samyagdrishti paryaptaka samkhyatavarshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya aharakasharira haim, to kya vaha samyata samyagdrishti paryaptaka samkhyata varshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharakasharira haim, athava asamyata samyagdrishti paryaptaka samkhyatavarshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharakasharira haim, athava samyatasamyata paryaptaka samkhyatavarshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharakasharira haim\? Gautama ! Vaha samyata samyagdrishti paryaptaka samkhyatavarshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya aharakasharira haim, na asamyata samyagdrishti paryaptaka samkhyatavarshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharakasharira haim aura na samyatasamyata paryaptaka samkhyatavarshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharaka sharira haim. Bhagavan ! Yadi vaha samyata samyagdrishti paryaptaka samkhyatavarshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharakasharira haim, to kya pramattasamyata samyagdrishti paryaptaka samkhyata varshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharakasharira hai, athava apramattasamyata samyagdrishti paryaptaka samkhyatavarshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharakasharira haim\? Gautama ! Vaha pramattasamyata samyagdrishti paryaptaka samkhyatavarshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharakasharira haim, apramattasamyata samyagdrishti paryaptaka samkhyatavarshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya aharakasharira nahim hai. Bhagavan ! Yadi vaha pramattasamyata samyagdrishti paryaptaka samkhyatavarshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharakasharira haim, to kya vaha riddhiprapta pramattasamyata samyagdrishti paryaptaka samkhyatavarshayushka karmabhumija garbhopa – krantika manushya – aharaka sharira haim, athava anriddhiprapta pramattasamyata samyagdrishti paryaptaka samkhyatavarshayushka karma – bhumija garbhopakrantika manushya – aharakasharira haim\? Gautama ! Yaha riddhiprapta pramattasamyata samyagdrishti paryaptaka samkhyata varshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharaka sharira haim, anriddhiprapta pramattasamyata samyagdrishti paryaptaka samkhyatavarshayushka karmabhumija garbhopakrantika manushya – aharaka sharira nahim hai. Yaha aharakasharira samachaturasrasamsthana vala hota hai. Bhagavan ! Aharakasharira ki kitani bari sharira – avagahana kahi gai hai\? Gautama ! Jaghanya avagahana kuchha kama eka ratni (hatha) aura utkrishta avagahana paripurna eka ratni (hatha) kahi gai hai. Bhagavan ! Taijasasharira kitane prakara ka kaha gaya hai\? Gautama ! Pamcha prakara ka kaha gaya hai – ekendriyataijasa sharira, dvindriyataijasasharira, trindriyataijasasharira, chaturindriyataijasasharira aura pamchendriyataijasasharira. Isa prakara arana – achyuta kalpa taka janana chahie. Bhagavan ! Maranantika samudghata ko prapta hue graiveyaka deva ki sharira – avagahana kitani bari kahi gai hai? Gautama ! Vishkambha – bahalya ki apeksha sharira – pramanapatra kahi gai hai aura ayama (lambai) ki apeksha niche jaghanya yavat vidyadhara – shreni taka utkrishta yavat adholoka ke gramom taka, tatha upara apane vimanom taka aura tirachhi manushya kshetra taka kahi gai hai. Isi prakara anuttaropapatika devom ki janana chahie. Isi prakara karmana sharira ka bhi varnana kahana chahie.