Sutra Navigation: Samavayang ( समवयांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003102 | ||
Scripture Name( English ): | Samavayang | Translated Scripture Name : | समवयांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
समवाय-२ |
Translated Chapter : |
समवाय-२ |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 2 | Category : | Ang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] दो दंडा पन्नत्ता, तं जहा–अट्ठादंडे चेव, अणट्ठादंडे चेव। दुवे रासी पन्नत्ता, तं जहा–जीवरासी चेव, अजीवरासी चेव। दुविहे बंधने पन्नत्ते, तं जहा–रागबंधने चेव, दोसबंधने चेव। पुव्वाफग्गुणीनक्खत्ते दुतारे पन्नत्ते। उत्तराफग्गुणीनक्खत्ते दुतारे पन्नत्ते। पुव्वाभद्दवयानक्खत्ते दुतारे पन्नत्ते। उत्तराभद्दवयानक्खत्ते दुतारे पन्नत्ते। इमीसे णं रयणप्पहाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं दो पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। दुच्चाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं दो सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं दो पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। असुरिंदवज्जियाणं भोमिज्जाणं देवाणं उक्कोसेणं देसूणाइं दो पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। असंखेज्जवासाउयसन्निपंचेंदियतिरिक्खजोणिआणं अत्थेगइयाणं दो पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। असंखेज्जवासाउयगब्भवक्कंतियसन्निमणुस्साणं अत्थेगइयाणं दो पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। सोहम्मे कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं दो पलिओवमां ठिई पन्नत्ता। ईसाणे कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं दो पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। सोहम्मे कप्पे देवाणं उक्कोसेणं दो सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। ईसाणे कप्पे देवाणं उक्कोसेणं साहियाइं दो सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। सणंकुमारे कप्पे देवाणं जहन्नेणं दो सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। माहिंदे कप्पे देवाणं जहन्नेणं साहियाइं दो सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं दो सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। ते णं देवा दोण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा। तेसि णं देवाणं दोहिं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुपज्जइ। अत्थेगइया भवसिद्धिया जीवा, जे दोहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परि-निव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति। | ||
Sutra Meaning : | दो दण्ड हैं, अर्थदण्ड और अनर्थदण्ड। दो राशि हैं, जीवराशि और अजीवराशि। दो प्रकार के बंधन हैं, रागबंधन और द्वेषबंधन। पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र दो तारा वाला कहा गया है। उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र दो तारा वाला कहा गया है। पूर्वा – भाद्रपदा नक्षत्र दो तारा वाला कहा गया है और उत्तराभाद्रपदा नक्षत्र दो तारा वाला कहा गया है। इस रत्नप्रभा पृथ्वी में कितनेक नारकों की स्थिति दो पल्योपम कही गई है। दूसरी शर्कराप्रभा पृथ्वी में कितनेक नारकों की स्थिति दो पल्योपम कही गई है। इसी दूसरी पृथ्वी में कितनेक नारकियों की स्थिति दो सागरोपम कही गई है। कितनेक असुरकुमार देवों की स्थिति दो पल्योपम कही गई है। असुरकुमारेन्द्रों को छोड़कर शेष भवन – वासी देवों की उत्कृष्ट स्थिति कुछ कम दो पल्योपम कही गई है। असंख्यात वर्षायुष्क संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक कितने ही जीवों की स्थिति दो पल्योपम कही गई है। असंख्यात वर्षायुष्क गर्भोपक्रान्तिक पंचेन्द्रिय संज्ञी कितनेक मनुष्यों की स्थिति दो पल्योपम कही गई है। सौधर्म कल्प में कितनेक देवों की स्थिति दो पल्योपम कही गई है। ईशान कल्प में कितनेक देवों की स्थिति दो पल्योपम कही गई है। सौधर्म कल्प में कितनेक देवों की उत्कृष्ट स्थिति दो सागरोपम कही गई है। ईशान कल्प में देवो की उत्कृष्ट स्थिति कुछ अधिक दो सागरोपम कही गई है। सनत्कुमार कल्प में देवों की जघन्य स्थिति दो सागरोपम कही गई है। माहेन्द्रकल्प में देवों की जघन्य स्थिति कुछ अधिक दो सागरोपम कही गई है। जो देव शुभ, शुभकान्त, शुभवर्ण, शुभगन्ध, शुभलेश्य, शुभ स्पर्श वाले सौधर्मावतंसक विशिष्ट विमानों में देव रूप से उत्पन्न होते हैं, उन देवों की उत्कृष्ट स्थिति दो सागरोपम कही गई है। वे देव दो अर्धमासों में (एक मास में) आनप्राण या उच्छ्वास – निःश्वास लेते हैं। उन देवों के दो हजार वर्ष में आहार की ईच्छा उत्पन्न होती है। कितनेक भव्यसिद्धिक जीव ऐसे हैं जो दो भव ग्रहण करके सिद्ध होंगे, बुद्ध होंगे, कर्मों से मुक्त होंगे, परम निर्वाण को प्राप्त होंगे और सर्व दुःखों का अन्त करेंगे। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] do damda pannatta, tam jaha–atthadamde cheva, anatthadamde cheva. Duve rasi pannatta, tam jaha–jivarasi cheva, ajivarasi cheva. Duvihe bamdhane pannatte, tam jaha–ragabamdhane cheva, dosabamdhane cheva. Puvvaphagguninakkhatte dutare pannatte. Uttaraphagguninakkhatte dutare pannatte. Puvvabhaddavayanakkhatte dutare pannatte. Uttarabhaddavayanakkhatte dutare pannatte. Imise nam rayanappahae pudhavie atthegaiyanam neraiyanam do paliovamaim thii pannatta. Duchchae pudhavie atthegaiyanam neraiyanam do sagarovamaim thii pannatta. Asurakumaranam devanam atthegaiyanam do paliovamaim thii pannatta. Asurimdavajjiyanam bhomijjanam devanam ukkosenam desunaim do paliovamaim thii pannatta. Asamkhejjavasauyasannipamchemdiyatirikkhajonianam atthegaiyanam do paliovamaim thii pannatta. Asamkhejjavasauyagabbhavakkamtiyasannimanussanam atthegaiyanam do paliovamaim thii pannatta. Sohamme kappe atthegaiyanam devanam do paliovamam thii pannatta. Isane kappe atthegaiyanam devanam do paliovamaim thii pannatta. Sohamme kappe devanam ukkosenam do sagarovamaim thii pannatta. Isane kappe devanam ukkosenam sahiyaim do sagarovamaim thii pannatta. Sanamkumare kappe devanam jahannenam do sagarovamaim thii pannatta. Mahimde kappe devanam jahannenam sahiyaim do sagarovamaim thii pannatta. Tesi nam devanam ukkosenam do sagarovamaim thii pannatta. Te nam deva donham addhamasanam anamamti va panamamti va usasamti va nisasamti va. Tesi nam devanam dohim vasasahassehim aharatthe samupajjai. Atthegaiya bhavasiddhiya jiva, je dohim bhavaggahanehim sijjhissamti bujjhissamti muchchissamti pari-nivvaissamti savvadukkhanamamtam karissamti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Do danda haim, arthadanda aura anarthadanda. Do rashi haim, jivarashi aura ajivarashi. Do prakara ke bamdhana haim, ragabamdhana aura dveshabamdhana. Purvaphalguni nakshatra do tara vala kaha gaya hai. Uttaraphalguni nakshatra do tara vala kaha gaya hai. Purva – bhadrapada nakshatra do tara vala kaha gaya hai aura uttarabhadrapada nakshatra do tara vala kaha gaya hai. Isa ratnaprabha prithvi mem kitaneka narakom ki sthiti do palyopama kahi gai hai. Dusari sharkaraprabha prithvi mem kitaneka narakom ki sthiti do palyopama kahi gai hai. Isi dusari prithvi mem kitaneka narakiyom ki sthiti do sagaropama kahi gai hai. Kitaneka asurakumara devom ki sthiti do palyopama kahi gai hai. Asurakumarendrom ko chhorakara shesha bhavana – vasi devom ki utkrishta sthiti kuchha kama do palyopama kahi gai hai. Asamkhyata varshayushka samjnyi pamchendriya tiryagyonika kitane hi jivom ki sthiti do palyopama kahi gai hai. Asamkhyata varshayushka garbhopakrantika pamchendriya samjnyi kitaneka manushyom ki sthiti do palyopama kahi gai hai. Saudharma kalpa mem kitaneka devom ki sthiti do palyopama kahi gai hai. Ishana kalpa mem kitaneka devom ki sthiti do palyopama kahi gai hai. Saudharma kalpa mem kitaneka devom ki utkrishta sthiti do sagaropama kahi gai hai. Ishana kalpa mem devo ki utkrishta sthiti kuchha adhika do sagaropama kahi gai hai. Sanatkumara kalpa mem devom ki jaghanya sthiti do sagaropama kahi gai hai. Mahendrakalpa mem devom ki jaghanya sthiti kuchha adhika do sagaropama kahi gai hai. Jo deva shubha, shubhakanta, shubhavarna, shubhagandha, shubhaleshya, shubha sparsha vale saudharmavatamsaka vishishta vimanom mem deva rupa se utpanna hote haim, una devom ki utkrishta sthiti do sagaropama kahi gai hai. Ve deva do ardhamasom mem (eka masa mem) anaprana ya uchchhvasa – nihshvasa lete haim. Una devom ke do hajara varsha mem ahara ki ichchha utpanna hoti hai. Kitaneka bhavyasiddhika jiva aise haim jo do bhava grahana karake siddha homge, buddha homge, karmom se mukta homge, parama nirvana ko prapta homge aura sarva duhkhom ka anta karemge. |