Sutra Navigation: Samavayang ( समवयांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003105 | ||
Scripture Name( English ): | Samavayang | Translated Scripture Name : | समवयांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
समवाय-५ |
Translated Chapter : |
समवाय-५ |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 5 | Category : | Ang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] पंच किरिया पन्नत्ता, तं जहा–काइया अहिगरणिया पाउसिआ पारियावणिआ पाणाइवायकिरिया। पंच महव्वया पन्नत्ता, तं जहा–सव्वाओ पाणाइवायाओ वेरमणं, सव्वाओ मुसावायाओ वेरमणं, सव्वाओ अदिन्नादाणाओ वेरमणं, सव्वाओ मेहुणाओ वेरमणं, सव्वाओ परिग्गहाओ वेरमणं। पंच कामगुणा पन्नत्ता, तं जहा–सद्दा रूवा रसा गंधा फासा। पंच आसवदारा पन्नत्ता, तं जहा–मिच्छत्तं अविरई पमाया कसाया जोगा। पंच संवरदारा पन्नत्ता, तं जहा–सम्मत्तं विरई अप्पमाया अकसाया अजोगा। पंच निज्जरट्ठाणा पन्नत्ता, तं जहा–पाणाइवायाओ वेरमणं, मुसावायाओ वेरमणं, अदिन्नादाणाओ वेरमणं, मेहुणाओ वेरमणं, परिग्गहाओ वेरमणं। पंच समिईओ पन्नत्ताओ, तं जहा– इरियासमिई भासासमिई एसणासमिई आयाण-भंड-मत्त-निक्खेवणासमिई उच्चार-पासवण-खेल-सिंधाण-जल्ल-पारिट्ठावणियासमिई। पंच अत्थिकाया पन्नत्ता, तं जहा–धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए जीवत्थिकाए पोग्गलत्थिकाए। रोहिणीनक्खत्ते पंचतारे पन्नत्ते। पुणव्वसुनक्खत्ते पंचतारे पन्नत्ते। हत्थनक्खत्ते पंचतारे पन्नत्ते। विसाहानक्खत्ते पंचतारे पन्नत्ते। धणिट्ठानक्खत्ते पंचतारे पन्नत्ते। इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं पंच पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। तच्चाए णं पुढवीए अत्थेगइया नेरइयाणं पंच सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेगइयाणं पंच पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। सोहम्मीसानेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं पंच पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। सणंकुमार-माहिंदेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं पंच सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। जे देवा वायं सुवायं वातावत्तं वातप्पभं वातकंतं वातवण्णं वातलेसं वातज्झयं वातसिंगं वातसिट्ठं वातकूडं वाउत्तर-वडेंसगं सूरं सुसूरं सूरावत्तं सूरप्पभं सूरकंतं सूरवण्णं सूरलेसं सूरज्झयं सूरसिंगं सूरसिट्ठं सूरकूडं सूरुत्तरवडेंसगं विमानं देवत्ताए उववन्ना, तेसिं णं देवाणं उक्कोसेणं पंच सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। ते णं देवा पंचण्हं अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा। तेसि णं देवाणं पंचहिं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जइ। संतेगइया भवसिद्धिया जीवा, जे पंचहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परि-निव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति। | ||
Sutra Meaning : | क्रियाएं पाँच कही गई हैं। जैसे – कायिकी क्रिया, आधिकरणिकी क्रिया, प्राद्वेषीकि क्रिया, पारितापनिकी क्रिया, प्राणातिपात क्रिया। पाँच महाव्रत कहे गए हैं। जैसे – सर्व प्राणातिपात से विरमण, सर्वमृषावाद से विरमण, सर्व अदत्तादन से विरमण, सर्व मैथुन से विरमण, सर्व परिग्रह से विरमण। इन्द्रियों के विषयभूत कामगुण पाँच कहे गए हैं। जैसे – श्रोत्रेन्द्रिय का विषय शब्द, चक्षुरिन्द्रिय का विषय रूप, रसनेन्द्रिय का विषय रस, घ्राणेन्द्रिय का विषय गन्ध और स्पर्शनेन्द्रिय का विषय स्पर्श। कर्मबंध के कारणों को आस्रवद्वार कहते हैं। वे पाँच हैं। जैसे – मिथ्यात्व, अविरति, प्रमाद, कषाय और योग। कर्मों का आस्रव रोकने के उपायों को संवरद्वार कहते हैं। वे भी पाँच कहे गए हैं – सम्यक्त्व, विरति, अप्रमत्तता, अकषायता और अयोगता या योगों की प्रवृत्ति का निरोध। संचित कर्मों की निर्जरा के स्थान, कारण या उपाय पाँच कहे गए हैं। जैसे – प्राणा – तिपात – विरमण, मृषावाद – विरमण, अदत्तादान – विरमण, मैथुन – विरमण, परिग्रह – विरमण। संयम की साधक प्रवृत्ति या यतनापूर्वक की जाने वाली प्रवृत्ति को समिति कहते हैं। वे पाँच कही गई हैं – गमनागमन में सावधानी रखना ईर्यासमिति है। वचन – बोलने में सावधानी रखकर हित मित प्रिय वचन बोलना भाषा समिति है। गोचरी में सावधानी रखना और निर्दोष, अनुद्दिष्ट भिक्षा ग्रहण करना एषणासमिति है। संयम के साधक वस्त्र, पात्र, शास्त्र आदि के ग्रहण करने और रखने में सावधानी रखना आदानभांड – मात्र निक्षेपणा समिति है। उच्चार (मल) प्रस्रवण (मूत्र) श्लेष्म (कफ) सिंघाण (नासिकामल) और जल्ल (शरीर का मैल) परित्याग करने में सावधानी रखना पाँचवी प्रतिष्ठापना समिति है। पाँच अस्तिकाय द्रव्य कहे गए हैं। जैसे – धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, जीवास्तिकाय और पुद्गलास्तिकाय। रोहिणी नक्षत्र पाँच तारा वाला कहा गया है। पुनर्वसु नक्षत्र पाँच तारा वाला कहा गया है। हस्त नक्षत्र पाँच तारा वाला कहा गया है। विशाखा नक्षत्र पाँच तारा वाला कहा गया है। धनिष्ठा नक्षत्र पाँच तारा वाला कहा गया है इस रत्नप्रभा पृथ्वी में कितनेक नारकों की स्थिति पाँच पल्योपम कही गई है। तीसरी वालुकाप्रभा पृथ्वी में कितनेक नारकों की स्थिति पाँच सागरोपम कही गई है। सौधर्म – ईशान कल्पों में कितनेक देवों की स्थिति पाँच पल्योपम कही गई है। सनत्कुमार – माहेन्द्र कल्पों में कितनेक देवों की स्थिति पाँच सागरोपम कही गई है। जो देव वात, सुवात, वातावर्त, वातप्रभ, वातकान्त, वातवर्ण, वातलेश्य, वातध्वज, वातशृंग, वातसृष्ट, वातकूट, वातोत्तरावतंसक, सूर, सूसूर, सूरावर्त्त, सूरप्रभ, सूरकान्त, सूरवर्ण, सूरलेश्य, सूरध्वज, सूरशृंग, सूरसृष्ट, सूरकूट और सूरोत्तरावतंसक नाम के विशिष्ट विमानों में देवरूप से उत्पन्न होते हैं, उन देवों की उत्कृष्ट स्थिति पाँच सागरोपम कही गई है। वे देव पाँच अर्धमासों (ढ़ाई मास) में उच्छ्वास – निःश्वास लेते हैं। उन देवों को पाँच हजार वर्ष में आहार की ईच्छा उत्पन्न होती है। कितनेक भव्यसिद्धिक ऐसे जीव हैं जो पाँच भव ग्रहण करके सिद्ध होंगे, बुद्ध होंगे, कर्मों से मुक्त होंगे, परम निर्वाण को प्राप्त होंगे और सर्व दुःखों का अन्त करेंगे। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] pamcha kiriya pannatta, tam jaha–kaiya ahigaraniya pausia pariyavania panaivayakiriya. Pamcha mahavvaya pannatta, tam jaha–savvao panaivayao veramanam, savvao musavayao veramanam, savvao adinnadanao veramanam, savvao mehunao veramanam, savvao pariggahao veramanam. Pamcha kamaguna pannatta, tam jaha–sadda ruva rasa gamdha phasa. Pamcha asavadara pannatta, tam jaha–michchhattam avirai pamaya kasaya joga. Pamcha samvaradara pannatta, tam jaha–sammattam virai appamaya akasaya ajoga. Pamcha nijjaratthana pannatta, tam jaha–panaivayao veramanam, musavayao veramanam, adinnadanao veramanam, mehunao veramanam, pariggahao veramanam. Pamcha samiio pannattao, tam jaha– iriyasamii bhasasamii esanasamii ayana-bhamda-matta-nikkhevanasamii uchchara-pasavana-khela-simdhana-jalla-paritthavaniyasamii. Pamcha atthikaya pannatta, tam jaha–dhammatthikae adhammatthikae agasatthikae jivatthikae poggalatthikae. Rohininakkhatte pamchatare pannatte. Punavvasunakkhatte pamchatare pannatte. Hatthanakkhatte pamchatare pannatte. Visahanakkhatte pamchatare pannatte. Dhanitthanakkhatte pamchatare pannatte. Imise nam rayanappabhae pudhavie atthegaiyanam neraiyanam pamcha paliovamaim thii pannatta. Tachchae nam pudhavie atthegaiya neraiyanam pamcha sagarovamaim thii pannatta. Asurakumaranam devanam atthegaiyanam pamcha paliovamaim thii pannatta. Sohammisanesu kappesu atthegaiyanam devanam pamcha paliovamaim thii pannatta. Sanamkumara-mahimdesu kappesu atthegaiyanam devanam pamcha sagarovamaim thii pannatta. Je deva vayam suvayam vatavattam vatappabham vatakamtam vatavannam vatalesam vatajjhayam vatasimgam vatasittham vatakudam vauttara-vademsagam suram susuram suravattam surappabham surakamtam suravannam suralesam surajjhayam surasimgam surasittham surakudam suruttaravademsagam vimanam devattae uvavanna, tesim nam devanam ukkosenam pamcha sagarovamaim thii pannatta. Te nam deva pamchanham addhamasanam anamamti va panamamti va usasamti va nisasamti va. Tesi nam devanam pamchahim vasasahassehim aharatthe samuppajjai. Samtegaiya bhavasiddhiya jiva, je pamchahim bhavaggahanehim sijjhissamti bujjhissamti muchchissamti pari-nivvaissamti savvadukkhanamamtam karissamti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Kriyaem pamcha kahi gai haim. Jaise – kayiki kriya, adhikaraniki kriya, pradveshiki kriya, paritapaniki kriya, pranatipata kriya. Pamcha mahavrata kahe gae haim. Jaise – sarva pranatipata se viramana, sarvamrishavada se viramana, sarva adattadana se viramana, sarva maithuna se viramana, sarva parigraha se viramana. Indriyom ke vishayabhuta kamaguna pamcha kahe gae haim. Jaise – shrotrendriya ka vishaya shabda, chakshurindriya ka vishaya rupa, rasanendriya ka vishaya rasa, ghranendriya ka vishaya gandha aura sparshanendriya ka vishaya sparsha. Karmabamdha ke karanom ko asravadvara kahate haim. Ve pamcha haim. Jaise – mithyatva, avirati, pramada, kashaya aura yoga. Karmom ka asrava rokane ke upayom ko samvaradvara kahate haim. Ve bhi pamcha kahe gae haim – samyaktva, virati, apramattata, akashayata aura ayogata ya yogom ki pravritti ka nirodha. Samchita karmom ki nirjara ke sthana, karana ya upaya pamcha kahe gae haim. Jaise – prana – tipata – viramana, mrishavada – viramana, adattadana – viramana, maithuna – viramana, parigraha – viramana. Samyama ki sadhaka pravritti ya yatanapurvaka ki jane vali pravritti ko samiti kahate haim. Ve pamcha kahi gai haim – gamanagamana mem savadhani rakhana iryasamiti hai. Vachana – bolane mem savadhani rakhakara hita mita priya vachana bolana bhasha samiti hai. Gochari mem savadhani rakhana aura nirdosha, anuddishta bhiksha grahana karana eshanasamiti hai. Samyama ke sadhaka vastra, patra, shastra adi ke grahana karane aura rakhane mem savadhani rakhana adanabhamda – matra nikshepana samiti hai. Uchchara (mala) prasravana (mutra) shleshma (kapha) simghana (nasikamala) aura jalla (sharira ka maila) parityaga karane mem savadhani rakhana pamchavi pratishthapana samiti hai. Pamcha astikaya dravya kahe gae haim. Jaise – dharmastikaya, adharmastikaya, akashastikaya, jivastikaya aura pudgalastikaya. Rohini nakshatra pamcha tara vala kaha gaya hai. Punarvasu nakshatra pamcha tara vala kaha gaya hai. Hasta nakshatra pamcha tara vala kaha gaya hai. Vishakha nakshatra pamcha tara vala kaha gaya hai. Dhanishtha nakshatra pamcha tara vala kaha gaya hai Isa ratnaprabha prithvi mem kitaneka narakom ki sthiti pamcha palyopama kahi gai hai. Tisari valukaprabha prithvi mem kitaneka narakom ki sthiti pamcha sagaropama kahi gai hai. Saudharma – ishana kalpom mem kitaneka devom ki sthiti pamcha palyopama kahi gai hai. Sanatkumara – mahendra kalpom mem kitaneka devom ki sthiti pamcha sagaropama kahi gai hai. Jo deva vata, suvata, vatavarta, vataprabha, vatakanta, vatavarna, vataleshya, vatadhvaja, vatashrimga, vatasrishta, vatakuta, vatottaravatamsaka, sura, susura, suravartta, suraprabha, surakanta, suravarna, suraleshya, suradhvaja, surashrimga, surasrishta, surakuta aura surottaravatamsaka nama ke vishishta vimanom mem devarupa se utpanna hote haim, una devom ki utkrishta sthiti pamcha sagaropama kahi gai hai. Ve deva pamcha ardhamasom (rhai masa) mem uchchhvasa – nihshvasa lete haim. Una devom ko pamcha hajara varsha mem ahara ki ichchha utpanna hoti hai. Kitaneka bhavyasiddhika aise jiva haim jo pamcha bhava grahana karake siddha homge, buddha homge, karmom se mukta homge, parama nirvana ko prapta homge aura sarva duhkhom ka anta karemge. |