Sutra Navigation: Sutrakrutang ( सूत्रकृतांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1001666 | ||
Scripture Name( English ): | Sutrakrutang | Translated Scripture Name : | सूत्रकृतांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-२ अध्ययन-२ क्रियास्थान |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-२ अध्ययन-२ क्रियास्थान |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 666 | Category : | Ang-02 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अहावरे तच्चस्स ठाणस्स मीसगस्स विभंगे एवमाहिज्जइ–जे इमे भवंति आरण्णिया आवसहिया गामंतिया कण्हुई-रहस्सिया नो बहुसंजया, नो बहुपडिविरया सव्वपाणभूयजीवसत्तेहिं, ते अप्पणा सच्चामोसाइं एवं विउंजंति–अहं न हंतव्वो अन्ने हंतव्वा, अहं न अज्जावेयव्वो अन्ने अज्जावेयव्वा, अहं न परिघेतव्वो अन्ने परिघेतव्वा, अहं न परितावेयव्वो अन्ने परितावेयव्वा अहं न उद्दवेयव्वो अन्ने उद्दवेयव्वा। एवामेव ते इत्थिकामेहिं मुच्छिया गिद्धा गढिया अज्झोववण्णा जाव वासाइं चउपंचमाइं छद्दसमाइं अप्पयरो वा भुज्जयरो वा भुंजित्तु भोगभोगाइं कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु आसुरिएसु किब्बिसिएसु ठाणेसु उवव-त्तारो भवंति। तओ विप्पमुच्चमाणा भुज्जो एलमूयत्ताए तमूयत्ताए पच्चायंति। एस ठाणे अणारिए अकेवले अप्पडिपुण्णे अनेयाउए असंसुद्धे असल्लगत्तणे असिद्धिमग्गे अमुत्ति-मग्गे अनिव्वाण-मग्गे अणिज्जाणमग्गे असव्वदुक्खप्पहीणमग्गे एगंतमिच्छे असाहू। एस खलु तच्चस्स ठाणस्स मीसगस्स विभंगे एवमाहिए। | ||
Sutra Meaning : | इसके पश्चात् तीसरे स्थान मिश्रपक्ष का विकल्प इस प्रकार है – जो ये आरण्यक है, यह जो ग्राम के निकट झौंपड़ी या कुटिया बनाकर रहते हैं, अथवा किसी गुप्त क्रिया का अनुष्ठान करते हैं, या एकान्त में रहते हैं, यावत् फिर वहाँ से देह छोड़कर इस लोक में बकरे की तरह मूक के रूप में या जन्मान्ध के रूप में आते हैं। यह स्थान अनार्य है, केवलज्ञान – प्राप्ति से रहित है, यहाँ तक कि यह समस्त दुःखों से मुक्त कराने वाला मार्ग नहीं है। यह स्थान एकान्त मिथ्या और बुरा है। इस प्रकार यह तीसरे मिश्रस्थान का विचार (विभंग) कहा गया है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] ahavare tachchassa thanassa misagassa vibhamge evamahijjai–je ime bhavamti aranniya avasahiya gamamtiya kanhui-rahassiya no bahusamjaya, no bahupadiviraya savvapanabhuyajivasattehim, te appana sachchamosaim evam viumjamti–aham na hamtavvo anne hamtavva, aham na ajjaveyavvo anne ajjaveyavva, aham na parighetavvo anne parighetavva, aham na paritaveyavvo anne paritaveyavva aham na uddaveyavvo anne uddaveyavva. Evameva te itthikamehim muchchhiya giddha gadhiya ajjhovavanna java vasaim chaupamchamaim chhaddasamaim appayaro va bhujjayaro va bhumjittu bhogabhogaim kalamase kalam kichcha annayaresu asuriesu kibbisiesu thanesu uvava-ttaro bhavamti. Tao vippamuchchamana bhujjo elamuyattae tamuyattae pachchayamti. Esa thane anarie akevale appadipunne aneyaue asamsuddhe asallagattane asiddhimagge amutti-magge anivvana-magge anijjanamagge asavvadukkhappahinamagge egamtamichchhe asahu. Esa khalu tachchassa thanassa misagassa vibhamge evamahie. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Isake pashchat tisare sthana mishrapaksha ka vikalpa isa prakara hai – jo ye aranyaka hai, yaha jo grama ke nikata jhaumpari ya kutiya banakara rahate haim, athava kisi gupta kriya ka anushthana karate haim, ya ekanta mem rahate haim, yavat phira vaham se deha chhorakara isa loka mem bakare ki taraha muka ke rupa mem ya janmandha ke rupa mem ate haim. Yaha sthana anarya hai, kevalajnyana – prapti se rahita hai, yaham taka ki yaha samasta duhkhom se mukta karane vala marga nahim hai. Yaha sthana ekanta mithya aura bura hai. Isa prakara yaha tisare mishrasthana ka vichara (vibhamga) kaha gaya hai. |