Sutra Navigation: Sutrakrutang ( सूत्रकृतांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1001651 | ||
Scripture Name( English ): | Sutrakrutang | Translated Scripture Name : | सूत्रकृतांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-२ अध्ययन-२ क्रियास्थान |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-२ अध्ययन-२ क्रियास्थान |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 651 | Category : | Ang-02 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अहावरे तच्चे दंडसमादाणे हिंसादंडवत्तिए त्ति आहिज्जइ– से जहानामए केइ पुरिसे ममं वा ममियं वा अन्नं वा अण्णियं वा ‘हिंसिंसु वा, हिंसंति वा, हिंसिस्संति’ वा, तं दंडं तसथा-वरेहिं पाणेहिं सयमेव णिसिरइ, अन्नेन वि निसिरावेइ, अन्नं पि णिसिरंतं समणुजाणइ–हिंसादंडे। एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावज्जं ति आहिज्जइ। तच्चे दंडसमादाणे हिंसादंडवत्तिए त्ति आहिए। | ||
Sutra Meaning : | इसके पश्चात् तीसरा क्रियास्थान हिंसादण्डप्रत्ययिक कहलाता है। जैसे कि – कोई पुरुष त्रस और स्थावर प्राणियों को इसलिए स्वयं दण्ड देता है कि इस जीव ने मुझे या मेरे सम्बन्धी को तथा दूसरे को या दूसरे के सम्बन्धी को मारा था, मार रहा है या मारेगा अथवा वह दूसरे से त्रस और स्थावर प्राणी को वह दण्ड दिलाता है, या त्रस और स्थावर प्राणी को दण्ड देते हुए दूसरे पुरुष का अनुमोदन करता है। ऐसा व्यक्ति प्राणियों को हिंसारूप दण्ड देता है। उस व्यक्ति को हिंसाप्रत्ययिक सावद्यकर्म का बन्ध होता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] ahavare tachche damdasamadane himsadamdavattie tti ahijjai– Se jahanamae kei purise mamam va mamiyam va annam va anniyam va ‘himsimsu va, himsamti va, himsissamti’ va, tam damdam tasatha-varehim panehim sayameva nisirai, annena vi nisiravei, annam pi nisiramtam samanujanai–himsadamde. Evam khalu tassa tappattiyam savajjam ti ahijjai. Tachche damdasamadane himsadamdavattie tti ahie. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Isake pashchat tisara kriyasthana himsadandapratyayika kahalata hai. Jaise ki – koi purusha trasa aura sthavara praniyom ko isalie svayam danda deta hai ki isa jiva ne mujhe ya mere sambandhi ko tatha dusare ko ya dusare ke sambandhi ko mara tha, mara raha hai ya marega athava vaha dusare se trasa aura sthavara prani ko vaha danda dilata hai, ya trasa aura sthavara prani ko danda dete hue dusare purusha ka anumodana karata hai. Aisa vyakti praniyom ko himsarupa danda deta hai. Usa vyakti ko himsapratyayika savadyakarma ka bandha hota hai. |