Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011408 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
17. स्याद्वाद अधिकार - (सर्वधर्म-समभाव) |
Translated Chapter : |
17. स्याद्वाद अधिकार - (सर्वधर्म-समभाव) |
Section : | 2. स्याद्वाद-न्याय | Translated Section : | 2. स्याद्वाद-न्याय |
Sutra Number : | 405 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | श्लोकवार्तिक । २.१.६ श्लो. ५३-५४; तुलना: स्याद्वाद मंजरी। २३ | ||
Mool Sutra : | वाक्येऽवधारणं तावदनिष्टार्थनिवृत्तये। कर्त्तव्यमन्यथाऽनुक्तसमत्वात्तस्य कुत्रचित् ।। सर्वथा तत्प्रयोगेऽपि सत्वादिप्राप्तिर्विच्छेदे। स्यात्कारः संप्रयुज्येतानेकान्तद्योतकत्वतः ।। | ||
Sutra Meaning : | अनिष्टार्थ की निवृत्ति के लिए वाक्य में एवकार का प्रयोग अवश्य करना चाहिए, अन्यथा कहीं कहीं कहा हुआ भी वह वाक्य न कहे हुए के समान हो जाता है। परन्तु यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि यदि उसके प्रयोग से सत्वादि किसी भी धर्म का सर्वथा विच्छेद होता हो तो उसके साथ-साथ स्यात्कार का भी प्रयोग अवश्य करना चाहिए, क्योंकि यह अनेकान्त का द्योतक है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Vakyevadharanam tavadanishtarthanivrittaye. Karttavyamanyathanuktasamatvattasya kutrachit\.. Sarvatha tatprayogepi satvadipraptirvichchhede. Syatkarah samprayujyetanekantadyotakatvatah\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Anishtartha ki nivritti ke lie vakya mem evakara ka prayoga avashya karana chahie, anyatha kahim kahim kaha hua bhi vaha vakya na kahe hue ke samana ho jata hai. Parantu yaha bhi dhyana mem rakhana chahie ki yadi usake prayoga se satvadi kisi bhi dharma ka sarvatha vichchheda hota ho to usake satha-satha syatkara ka bhi prayoga avashya karana chahie, kyomki yaha anekanta ka dyotaka hai. |