Sutra Navigation: Mahanishith ( महानिशीय श्रुतस्कंध सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1017121 | ||
Scripture Name( English ): | Mahanishith | Translated Scripture Name : | महानिशीय श्रुतस्कंध सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अध्ययन-२ कर्मविपाक प्रतिपादन |
Translated Chapter : |
अध्ययन-२ कर्मविपाक प्रतिपादन |
Section : | उद्देशक-३ | Translated Section : | उद्देशक-३ |
Sutra Number : | 421 | Category : | Chheda-06 |
Gatha or Sutra : | Gatha | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [गाथा] एवं तु सम्मिलंतेहिं कम्मुक्कुरुडेहिं गोयमा। से सोट्ठब्भेअनंतेहिं जे आरंभे पवत्तए॥ | ||
Sutra Meaning : | हे गौतम ! उस तरह उत्कट कर्म अनन्त प्रमाण में इकट्ठे होते हैं। जो आरम्भ में प्रवर्तते हैं वो आत्मा उस कर्म से बँधता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [gatha] evam tu sammilamtehim kammukkurudehim goyama. Se sotthabbheanamtehim je arambhe pavattae. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | He gautama ! Usa taraha utkata karma ananta pramana mem ikatthe hote haim. Jo arambha mem pravartate haim vo atma usa karma se bamdhata hai. |