Sutra Navigation: Mahanishith ( महानिशीय श्रुतस्कंध सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1016928 | ||
Scripture Name( English ): | Mahanishith | Translated Scripture Name : | महानिशीय श्रुतस्कंध सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अध्ययन-२ कर्मविपाक प्रतिपादन |
Translated Chapter : |
अध्ययन-२ कर्मविपाक प्रतिपादन |
Section : | उद्देशक-१ | Translated Section : | उद्देशक-१ |
Sutra Number : | 228 | Category : | Chheda-06 |
Gatha or Sutra : | Gatha | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [गाथा] असण्णी दुविहे नेए वियलिंदी एगिंदिए। वियले किमि-कुंथु-मच्छादी, पुढवादी-एगिंदिए॥ | ||
Sutra Meaning : | असंज्ञी जीव दो तरह के जानना, विकलेन्द्री यानि एक, दो, तीन, चार इतनी इन्द्रियवाले और एकेन्द्रिय, कृमि, कुंथु, माली उस क्रम से दो, तीन, चार इन्द्रियवाले विकलेन्द्रिय जीव और पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, वनस्पति वो स्थावर एकेन्द्रिय असंज्ञी जीव हैं। पशु, पंछी, नारकी, मानव, देव वो सभी संज्ञी हैं। और वो मर्यादा में – सर्वजीव में भव्यता और अभव्यता होती है। नारकी में विकलेन्द्रि और एकेन्द्रियपन नहीं होता। सूत्र – २२८, २२९ | ||
Mool Sutra Transliteration : | [gatha] asanni duvihe nee viyalimdi egimdie. Viyale kimi-kumthu-machchhadi, pudhavadi-egimdie. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Asamjnyi jiva do taraha ke janana, vikalendri yani eka, do, tina, chara itani indriyavale aura ekendriya, krimi, kumthu, mali usa krama se do, tina, chara indriyavale vikalendriya jiva aura prithvi, jala, agni, vayu, vanaspati vo sthavara ekendriya asamjnyi jiva haim. Pashu, pamchhi, naraki, manava, deva vo sabhi samjnyi haim. Aura vo maryada mem – sarvajiva mem bhavyata aura abhavyata hoti hai. Naraki mem vikalendri aura ekendriyapana nahim hota. Sutra – 228, 229 |