जो घर इस्तमाल में न लिया जा रहा हो, अनेक स्वामी में से किसी एक स्वामी ने खुद के आधीन न किया हो, किसी व्यक्ति के द्वारा परिगृहीत न हो या किसी यक्ष – देव आदि ने वहाँ निवास किया हो उस घर का पहला जो मालिक हो उसकी आज्ञा लेकर वहाँ (साधु – साध्वी) रह सकते हैं, (उससे विपरीत) यदि वो घर काम में लिया जाता हो, एक स्वामी हो, अन्य से परिगृहीत हो तो भिक्षुभाव से आए हुए दूसरे साधु को दूसरी बार आज्ञा लेनी चाहिए। क्योंकि अवग्रह गीले हाथ की रेखा सूख जाए तब तक है।
सूत्र – १०६, १०७
Jo ghara istamala mem na liya ja raha ho, aneka svami mem se kisi eka svami ne khuda ke adhina na kiya ho, kisi vyakti ke dvara parigrihita na ho ya kisi yaksha – deva adi ne vaham nivasa kiya ho usa ghara ka pahala jo malika ho usaki ajnya lekara vaham (sadhu – sadhvi) raha sakate haim, (usase viparita) yadi vo ghara kama mem liya jata ho, eka svami ho, anya se parigrihita ho to bhikshubhava se ae hue dusare sadhu ko dusari bara ajnya leni chahie. Kyomki avagraha gile hatha ki rekha sukha jae taba taka hai.
Sutra – 106, 107