Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1007844 | ||
Scripture Name( English ): | Jambudwippragnapati | Translated Scripture Name : | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Translated Chapter : |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 244 | Category : | Upang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तए णं से सक्के देविंदे देवराया पंच सक्के विउव्वइ, विउव्वित्ता एगे सक्के भयवं तित्थयरं करयलपुडेणं गिण्हइ, एगे सक्के पिट्ठओ आयवत्तं धरेइ, दुवे सक्का उभओ पासिं चामरुक्खेवं करेंति, एगे सक्के वज्जपाणी पुरओ पकड्ढइ। तए णं से सक्के देविंदे देवराया चउरासीईए सामानियसाहस्सीहिं जाव अन्नेहि य बहूहिं भवनवइ वाणमंतर जोइस वेमानिएहिं देवेहिं देवीहि य सद्धिं संपरिवुडे सव्विड्ढीए जाव दुंदुहिनिग्घोसनाइयरवेणं ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए जइणाए सीहाए सिग्घाए उद्धुयाए दिव्वाए देवगईए वीईवयमाणे-वीईवयमाणे जेणेव भगवओ तित्थयरस्स जम्मनणयरे जेणेव भगवओ तित्थयरस्स जम्मनभवने जेणेव तित्थयरमाया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भगवं तित्थयरं माऊए पासे ठवेइ, ठवेत्ता तित्थयर-पडिरूवगं पडिसाहरइ, पडिसाहरित्ता ओसोवणिं पडिसाहरइ, पडिसाहरित्ता एगं महं खोमजुयलं कुंडलजुयलं च भगवओ तित्थयरस्स उस्सीसगमूले ठवेइ, ठवेत्ता एगं महं सिरिदामगंडं तवणिज्जलंबूसगं सुवण्णपयरगमंडियं नानामणिरयणविविहहारद्धहारउवसो-हियसमुदयं भगवओ तित्थयरस्स उल्लोयंसि निक्खिवइ, तण्णं भगवं तित्थयरे अनिमिसाए दिट्ठीए देहमाणे-देहमाणे सुहंसुहेणं अभिरममाणे-अभिरममाणे चिट्ठइ। तए णं से सक्के देविंदे देवराया वेसमणं देवं सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी–खिप्पामेव भो देवानुप्पिया! बत्तीसं हिरण्णकोडीओ बत्तीसं सुवण्णकोडीओ बत्तीसं नंदाइं बत्तीसं भद्दाइं सुभगे सोभग्ग रूव जोव्वण गुण लावण्णे य भगवओ तित्थयरस्स जम्मनभवनंसि साहराहि, साहरित्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहि। तए णं से वेसमणे देवे सक्केणं जाव विनएणं वयणं पडिसुनेइ, पडिसुणेत्ता जंभए देवे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी–खिप्पामेव भो देवानुप्पिया! बत्तीसं हिरण्णकोडीओ जाव भगवओ तित्थयरस्स जम्मभवनंसि साहरह, साहरित्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह। तए णं ते जंभगा देवा वेसमणेणं देवेणं एवं वुत्ता समाणा हट्ठतुट्ठचित्तमानंदिया जाव खिप्पामेव बत्तीसं हिरण्णकोडीओ जाव सोभग्ग रूव जोव्वण गुण लावण्णे य भगवओ तित्थगरस्स जम्मन-भवनंसि साहरंति, साहरित्ता जेणेव वेसमणे देवे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति। तए णं से वेसमणे देवे जेणेव सक्के देविंदे देवराया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तमाणत्तियं पच्चप्पिणइ। तए णं से सक्के देविंदे देवराया आभिओगे देवे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी–खिप्पामेव भो देवानुप्पिया! भगवओ तित्थयरस्स जम्मननयरंसि सिंघाडग तिग चउक्क चच्चर चउम्मुह महापह पहेसु महया-महया सद्देणं उग्घोसेमाणा-उग्घोसेमाणा एवं वदह–हंदि! सुणंतु भवंतो बहवे भवनवइ वाणमंतर जोइस वेमानिया देवा! य देवीओ! य जे णं देवानुप्पिया! तित्थ यरस्स तित्थयरमाऊए वा असुभं मणं पधारेइ, तस्स णं अज्जगमंजरिका इव सतहा मुद्धाणं फुट्टउत्ति फुट्टिहीति? कट्टु घोसणं घोसेह, घोसेत्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह। तए णं ते आभिओगा देवा जाव एवं देवोत्ति आणाए विनएणं वयणं पडिसुणंति, पडिसुणित्ता सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो अंतियाओ पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता खिप्पामेव भगवओ तित्थगरस्स जम्मनणगरंसि सिंघाडग तिग चउक्क चच्चर चउम्मुह महापह पहेसु महया-महया सद्देणं उग्घोसेमाणा-उग्घोसेमाणा एवं वयासी–हंदि सुणंतु भवंतो बहवे भवनवइ वाणमंतर जोइस वेमानिया देवा! य देवीओ! य जे णं देवानुप्पिया! तित्थयरस्स तित्थयरमाऊए वा असुभं मणं पधारेइ, तस्स णं अज्जगमंजरिका इव सतहा मुद्धाणं फुट्टिहीतिकट्टु घोसणं घोसेंति, घोसेत्ता एयमाणत्तियं पच्च-प्पिणंति। तए णं ते बहवे भवनवइ वाणमंतर जोइस वेमानिया देवा भगवओ तित्थगरस्स जम्मनमहिमं करेंति, करेत्ता जेणेव नंदिस्सरे दीवे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता अट्ठाहियाओ महामहिमाओ करेंति, करेत्ता जामेव दिसिं पाउब्भूया तामेव दिसिं पडिगया। | ||
Sutra Meaning : | तत्पश्चात् देवेन्द्र देवराज शक्र पाँच शक्रों की विकुर्वणा करता है। यावत् एक शक्र वज्र हाथ में लिये आगे खड़ा होता है। फिर शक्र अपने ८४००० सामानिक देवों, भवनपति यावत् वैमानिक देवों, देवियों से परिवृत, सब प्रकार की ऋद्धि से युक्त, वाद्य – ध्वनि के बीच उत्कृष्ट त्वरित दिव्य गति द्वारा, जहाँ भगवान् तीर्थंकर का जन्म – भवन था वहाँ आता है। तीर्थंकर को उनकी माता की बगल में स्थापित करता है। तीर्थंकर के प्रतिकरूप को, प्रतिसंहृत करता है। भगवान् तीर्थंकर की माता की अवस्वापिनी निद्रा को, जिसमें वह सोई होती है, प्रतिसंहृत कर लेता है। भगवान् तीर्थंकर के उच्छीर्षक मूल में – दो बड़े वस्त्र तथा दो कुण्डल रखता है। तपनीय – स्वर्ण – निर्मित झुम्बनक, सोने के पातों से परिमण्डित, नाना प्रकार की मणियों तथा रत्नों से बने तरह – तरह के हारों, अर्धहारों से उपशोभित श्रीमदागण्ड भगवान् के ऊपर तनी चाँदनी में लटकाता है, जिसे भगवान् तीर्थंकर निर्निमेष दृष्टि से – उसे देखते हुए सुखपूर्वक अभिरमण करते हैं। तदनन्तर देवेन्द्र देवराज शक्र वैश्रमण देव को बुलाकर कहता है – शीघ्र ही ३२ – ३२ करोड़ रौप्य – मुद्राएं, स्वर्ण – मुद्राएं, वर्तुलाकार लोहासन, भद्रासन भगवान् तीर्थंकर के जन्म – भवन में लाओ। वैश्रमण देव शक्र के आदेश को विनयपूर्वक स्वीकार करता है। जृम्भक देवों को बुलाता है। बुलाकर शक्र की आज्ञा से सूचित करता है। वे शीघ्र ही बत्तीस करोड़ रौप्य – मुद्राएं आदि तीर्थंकर के जन्म – भवन में आते हैं। वैश्रमण देव को सूचित करते हैं। तब वैश्रमण देव देवेन्द्र देवराज शक्र को अवगत कराता है। तत्पश्चात् देवेन्द्र, देवराज शक्र अपने आभियोगिक देवों को बुलाकर कहता है – देवानुप्रियों ! शीघ्र ही तीर्थंकर के जन्म – नगर के तिकोने स्थानों, तिराहों, चौराहों एवं विशाल मार्गों में जोर – जोर से उद्घोषित करते हुए कहो – ‘बहुत से भवनपति, वानव्यन्तर, ज्योतिष्क तथा वैमानिक देव – देवियों ! आप सूनें – आप में से जो कोई तीर्थंकर या उनकी माता के प्रति अपने मन में अशुभ भाव लायेगा – आर्यक मंजरी की ज्यों उसके मस्तक के सौ टुकड़े हो जायेंगे।’ वे आभियोगिक देव देवेन्द्र देवराज शक्र का आदेश स्वीकार करते हैं। वहाँ से प्रतिनिष्क्रान्त होते हैं – वे शीघ्र ही तीर्थंकर के जन्म – नगर में आते हैं। वहाँ पूर्वोक्त घोषणा करते हैं। ऐसी घोषणा कर वे आभियोगिक देव देवराज शक्र को, उनके आदेश का पालन किया जा चूका है, ऐसा अवगत कराते हैं। तदनन्तर बहुत से भवनपति, वानव्यन्तर, ज्योतिष्क तथा वैमानिक देव भगवान् तीर्थंकर का जन्मोत्सव मनाते हैं। तत्पश्चात् नन्दीश्वर द्वीप आकर अष्टदिवसीय विराट् जन्म – महोत्सव आयोजित करते हैं। वैसा करके जिस दिशा से आये थे, उसी दिशा में चले जाते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tae nam se sakke devimde devaraya pamcha sakke viuvvai, viuvvitta ege sakke bhayavam titthayaram karayalapudenam ginhai, ege sakke pitthao ayavattam dharei, duve sakka ubhao pasim chamarukkhevam karemti, ege sakke vajjapani purao pakaddhai. Tae nam se sakke devimde devaraya chaurasiie samaniyasahassihim java annehi ya bahuhim bhavanavai vanamamtara joisa vemaniehim devehim devihi ya saddhim samparivude savviddhie java dumduhinigghosanaiyaravenam tae ukkitthae turiyae chavalae jainae sihae sigghae uddhuyae divvae devagaie viivayamane-viivayamane jeneva bhagavao titthayarassa jammananayare jeneva bhagavao titthayarassa jammanabhavane jeneva titthayaramaya teneva uvagachchhai, uvagachchhitta bhagavam titthayaram maue pase thavei, thavetta titthayara-padiruvagam padisaharai, padisaharitta osovanim padisaharai, padisaharitta egam maham khomajuyalam kumdalajuyalam cha bhagavao titthayarassa ussisagamule thavei, thavetta egam maham siridamagamdam tavanijjalambusagam suvannapayaragamamdiyam nanamanirayanavivihaharaddhaharauvaso-hiyasamudayam bhagavao titthayarassa ulloyamsi nikkhivai, tannam bhagavam titthayare animisae ditthie dehamane-dehamane suhamsuhenam abhiramamane-abhiramamane chitthai. Tae nam se sakke devimde devaraya vesamanam devam saddavei, saddavetta evam vayasi–khippameva bho devanuppiya! Battisam hirannakodio battisam suvannakodio battisam namdaim battisam bhaddaim subhage sobhagga ruva jovvana guna lavanne ya bhagavao titthayarassa jammanabhavanamsi saharahi, saharitta eyamanattiyam pachchappinahi. Tae nam se vesamane deve sakkenam java vinaenam vayanam padisunei, padisunetta jambhae deve saddavei, saddavetta evam vayasi–khippameva bho devanuppiya! Battisam hirannakodio java bhagavao titthayarassa jammabhavanamsi saharaha, saharitta eyamanattiyam pachchappinaha. Tae nam te jambhaga deva vesamanenam devenam evam vutta samana hatthatutthachittamanamdiya java khippameva battisam hirannakodio java sobhagga ruva jovvana guna lavanne ya bhagavao titthagarassa jammana-bhavanamsi saharamti, saharitta jeneva vesamane deve teneva uvagachchhamti, uvagachchhitta tamanattiyam pachchappinamti. Tae nam se vesamane deve jeneva sakke devimde devaraya teneva uvagachchhai, uvagachchhitta tamanattiyam pachchappinai. Tae nam se sakke devimde devaraya abhioge deve saddavei, saddavetta evam vayasi–khippameva bho devanuppiya! Bhagavao titthayarassa jammananayaramsi simghadaga tiga chaukka chachchara chaummuha mahapaha pahesu mahaya-mahaya saddenam ugghosemana-ugghosemana evam vadaha–hamdi! Sunamtu bhavamto bahave bhavanavai vanamamtara joisa vemaniya deva! Ya devio! Ya je nam devanuppiya! Tittha yarassa titthayaramaue va asubham manam padharei, tassa nam ajjagamamjarika iva sataha muddhanam phuttautti phuttihiti? Kattu ghosanam ghoseha, ghosetta eyamanattiyam pachchappinaha. Tae nam te abhioga deva java evam devotti anae vinaenam vayanam padisunamti, padisunitta sakkassa devimdassa devaranno amtiyao padinikkhamamti, padinikkhamitta khippameva bhagavao titthagarassa jammananagaramsi simghadaga tiga chaukka chachchara chaummuha mahapaha pahesu mahaya-mahaya saddenam ugghosemana-ugghosemana evam vayasi–hamdi sunamtu bhavamto bahave bhavanavai vanamamtara joisa vemaniya deva! Ya devio! Ya je nam devanuppiya! Titthayarassa titthayaramaue va asubham manam padharei, tassa nam ajjagamamjarika iva sataha muddhanam phuttihitikattu ghosanam ghosemti, ghosetta eyamanattiyam pachcha-ppinamti. Tae nam te bahave bhavanavai vanamamtara joisa vemaniya deva bhagavao titthagarassa jammanamahimam karemti, karetta jeneva namdissare dive teneva uvagachchhamti, uvagachchhitta atthahiyao mahamahimao karemti, karetta jameva disim paubbhuya tameva disim padigaya. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Tatpashchat devendra devaraja shakra pamcha shakrom ki vikurvana karata hai. Yavat eka shakra vajra hatha mem liye age khara hota hai. Phira shakra apane 84000 samanika devom, bhavanapati yavat vaimanika devom, deviyom se parivrita, saba prakara ki riddhi se yukta, vadya – dhvani ke bicha utkrishta tvarita divya gati dvara, jaham bhagavan tirthamkara ka janma – bhavana tha vaham ata hai. Tirthamkara ko unaki mata ki bagala mem sthapita karata hai. Tirthamkara ke pratikarupa ko, pratisamhrita karata hai. Bhagavan tirthamkara ki mata ki avasvapini nidra ko, jisamem vaha soi hoti hai, pratisamhrita kara leta hai. Bhagavan tirthamkara ke uchchhirshaka mula mem – do bare vastra tatha do kundala rakhata hai. Tapaniya – svarna – nirmita jhumbanaka, sone ke patom se parimandita, nana prakara ki maniyom tatha ratnom se bane taraha – taraha ke harom, ardhaharom se upashobhita shrimadaganda bhagavan ke upara tani chamdani mem latakata hai, jise bhagavan tirthamkara nirnimesha drishti se – use dekhate hue sukhapurvaka abhiramana karate haim. Tadanantara devendra devaraja shakra vaishramana deva ko bulakara kahata hai – shighra hi 32 – 32 karora raupya – mudraem, svarna – mudraem, vartulakara lohasana, bhadrasana bhagavan tirthamkara ke janma – bhavana mem lao. Vaishramana deva shakra ke adesha ko vinayapurvaka svikara karata hai. Jrimbhaka devom ko bulata hai. Bulakara shakra ki ajnya se suchita karata hai. Ve shighra hi battisa karora raupya – mudraem adi tirthamkara ke janma – bhavana mem ate haim. Vaishramana deva ko suchita karate haim. Taba vaishramana deva devendra devaraja shakra ko avagata karata hai. Tatpashchat devendra, devaraja shakra apane abhiyogika devom ko bulakara kahata hai – devanupriyom ! Shighra hi tirthamkara ke janma – nagara ke tikone sthanom, tirahom, chaurahom evam vishala margom mem jora – jora se udghoshita karate hue kaho – ‘bahuta se bhavanapati, vanavyantara, jyotishka tatha vaimanika deva – deviyom ! Apa sunem – apa mem se jo koi tirthamkara ya unaki mata ke prati apane mana mem ashubha bhava layega – aryaka mamjari ki jyom usake mastaka ke sau tukare ho jayemge.’ Ve abhiyogika deva devendra devaraja shakra ka adesha svikara karate haim. Vaham se pratinishkranta hote haim – ve shighra hi tirthamkara ke janma – nagara mem ate haim. Vaham purvokta ghoshana karate haim. Aisi ghoshana kara ve abhiyogika deva devaraja shakra ko, unake adesha ka palana kiya ja chuka hai, aisa avagata karate haim. Tadanantara bahuta se bhavanapati, vanavyantara, jyotishka tatha vaimanika deva bhagavan tirthamkara ka janmotsava manate haim. Tatpashchat nandishvara dvipa akara ashtadivasiya virat janma – mahotsava ayojita karate haim. Vaisa karake jisa disha se aye the, usi disha mem chale jate haim. |