Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1007840 | ||
Scripture Name( English ): | Jambudwippragnapati | Translated Scripture Name : | जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Translated Chapter : |
वक्षस्कार ५ जिन जन्माभिषेक |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 240 | Category : | Upang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तए णं से अच्चुए देविंदे देवराया दसहिं सामानियसाहस्सीहिं, तायत्तीसाए तावत्तीसएहिं चउहिं लोगपालेहिं तिहिं परिसाहिं सत्तहिं अनिएहिं, सत्तहिं अनियाहिवईहिं, चत्तालीसाए आयरक्खदेव-साहस्सीहिं सद्धिं संपरिवुडे तेहिं साभाविएहिं वेउव्विएहि य वरकमलपइट्ठाणेहिं सुरभिवरवारि-पडिपुण्णेहिं चंदनकयचच्चाएहिं आविद्धकंठेगुणेहिं पउमुप्पलपिहाणेहिं करयलसूमालपरिग्गहिएहिं अट्ठसहस्सेणं सोवण्णियाणं कलसाणं जाव अट्ठसहस्सेणं भोमेज्जाणं जाव सव्वोदएहिं सव्वमट्टि-याहिं सव्वतुवरेहिं जाव सव्वोसहिसिद्धत्थएहिं सव्विड्ढीए जाव दुंदुहिनिग्घोसनाइयरवेणं महया-महया तित्थयराभिसेएणं अभिसिंचइ। तए णं सामिस्स महया-महया अभिसेयंसि वट्टमाणंसि इंदाइया देवा छत्तचामरकलस-धूवकडुच्छुयपुप्फगंध जाव हत्थगया हट्ठतुट्ठचित्तमानंदिया जाव वज्जसूलपाणी पुरओ चिट्ठंति पंजलिउडा, एवं विजयानुसारेण जाव अप्पेगइया देवा आसियसंमज्जिओवलित्तं सित्तसुइसम्मट्ठ-रत्थंतरावणवीहियं करेंति जाव गंधवट्टिभूयं, अप्पेगइया हिरण्णवासं वासंति, एवं सुवण्ण रयण वइर आभरण पत्त पुप्फ फल बीय मल्ल गंध वण्ण जाव चुण्णवासं वासंति, अप्पेगइया हिरण्णविहिं भाएंति, एवं जाव चुण्णविहिं भाएंति, अप्पेगइया चउव्विहं वज्जं वाएंति, तं जहा– ततं विततं घनं झुसिरं, अप्पेगइया चउव्विहं गेयं गायंति, तं जहा– उक्खित्तं पयत्तं मंदं रोइंदगं, अप्पेगइया चउव्विहं नट्टं नच्चंति, तं जहा–अंचियं दुयं आरभडं भसोलं, अप्पेगइया चउव्विहं अभिणयं अभिनेंति, तं जहा– दिट्ठंतियं पाडियंतियं सामन्नओविणिवाइयं लोगमज्झावसानियं, अप्पेगइया बत्तीसइविहं दिव्वं नट्टविहिं उवदंसेंति, अप्पेगइया उप्पयनिवयं निवयउप्पयं संकुचियपसारियं जाव भंतसंभंतं नामं दिव्वं नट्टविहिं उवदंसेंति, अप्पेगइया पीनेंति, एवं बुक्कारेंति तंडवेंति लासेंति अप्फोडेंति वग्गंति सीहनायं नदंति, अप्पेगइया सव्वाइं करेंति, अप्पेगइया हयहेसियं, एवं हत्थिगुलगुलाइयं रहघण-घणाइयं, अप्पेगइया तिन्निवि, अप्पेगइया उच्छोलेंति, अप्पेगइया पच्छोलेंति, अप्पेगइया तिवइं छिंदंति, अप्पेगइया तिन्निवि, अप्पेगइया पायदद्दरयं करेंति, अप्पेगइया भूमिचवेडं दलयंति, अप्पे-गइया महया-महया सद्देणं रावेंति, एवं संजोगा विभासियव्वा, अप्पेगइया हक्कारेंति, एवं पुक्कारेंति थक्कारेंति ओवयंति उप्पयंति परिवयंति, जलंति तवंति पतवंति गज्जंति विज्जुयायंति वासंति, अप्पेगइया देवुक्कलियं करेंति, एवं देवकहकहगं करेंति, अप्पेगइया दुहदुहगं करेंति, अप्पेगइया विकियभूयाइं रूवाइं विउव्वित्ता पणच्चंति, एवमाइ विभासेज्जा जहा विजयस्स जाव सव्वओ समंता आधावेंति परिधावेंति। | ||
Sutra Meaning : | देवेन्द्र अच्युत अपने १०००० सामानिक देवों, ३३ त्रायस्त्रिंश देवों, चार लोकपालों, तीन परिषदों, सात सेनाओं, सात सेनापति – देवों तथा ४०००० अंगरक्षक देवों से परिवृत्त होता हुआ स्वाभाविक एवं विकुर्वित उत्तम कमलों पर रखे हुए, सुगन्धित, उत्तम जल से परिपूर्ण, चन्दन से चर्चित गलवे में मोली बाँधे हुए, कमलों एवं उत्पलों से ढँके हुए, सुकोमल हथेलियों पर उठाये हुए १००८ सोने के कलशों यावत् १००८ मिट्टी के कलशों के सब प्रकार के जलों, मृत्तिकाओं, कसैले पदार्थों, औषधियों एवं सफेद सरसों द्वारा सब प्रकार की ऋद्धि – वैभव के साथ तुमुल वाद्यध्वनिपूर्वक भगवान् तीर्थंकर का अभिषेक करता है। अच्युतेन्द्र द्वारा अभिषेक किये जाते समय अत्यन्त हर्षित एवं परितुष्ट अन्य इन्द्र आदि देव छात्र, चँवर, धूपपान, पुष्प, सुगन्धित पदार्थ, वज्र, त्रिशूल हाथ में लिये, अंजलि बाँधे खड़े रहते हैं। कतिपय देव पण्डकवन के मार्गों में, जल का छिड़काव करते हैं, सम्मार्जन करते हैं – उपलिप्त करते हैं। यों उसे शुचि एवं स्वच्छ बनाते हैं, सुगन्धित धूममय बनाते हैं। कईं एक वहाँ चाँदी बरसाते हैं। कईं स्वर्ण, रत्न, हीरे, गहने, पत्ते, फूल, फल, बीज, मालाएं, गन्ध, वर्ण तथा चूर्ण – बरसाते हैं। कईं एक मांगलिक प्रतीक के रूप में अन्य देवों को रजत भेंट करते हैं, यावत् चूर्ण भेंट करते हैं। कईं एक तत्, वितत, घन तथा कईं एक शुषिर – आदि चार प्रकार के वाद्य बजाते हैं। कईं एक उत्क्षिप्त, पादात्त, मंदाय, आदि के प्रयोग द्वारा धीरे – धीरे गाये जाते तथा रोचितावसान – पर्यन्त समुचितनिर्वाहयुक्त गेय – गाते हैं। कईं एक अञ्चित, द्रुत, आरभट तथा भसोल नामक चार प्रकार का नृत्य करते हैं। कईं दार्ष्टान्तिक, प्राति – श्रुतिक, सामान्यतोविनिपातिक एवं लोकमध्यावसानिक – चार प्रकार का अभिनय करते हैं। कईं बत्तीस प्रकार की नाट्य – विधि उपदर्शित करते हैं। कईं उत्पात – निपात, निपातोत्पात, संकुचित – प्रसारित तथा भ्रान्त – संभ्रान्त, वैसी अभिनयशून्य गात्रविक्षेपमात्र – नाट्यविधि उपदर्शित करते हैं। कईं ताण्डव, कईं लास्य नृत्य करते हैं। कईं एक अपने को पीन बनाते हैं, प्रदर्शित करते हैं, कईं एक बूत्कार करते हैं – आहनन करते हैं, कईं एक वल्गन करते हैं, कईं सिंहनाद करते हैं, कईं घोड़ों की ज्यों हिनहिनाते हैं, कईं हाथियों की ज्यों गुलगुलाते हैं, कईं रथों की ज्यों घनघनाते हैं, कईं एक आगे से मुख पर चपत लगाते हैं, कईं एक पीछे से मुख पर चपत लगाते हैं, कईं एक अखाड़े में पहलवान की ज्यों पैंतरे बदलते हैं, कईं एक पैर से भूमि का आस्फोटन करते हैं, कईं हाथ से भूमि का आहनन करते हैं, कईं जोर – जोर से आवाज लगाते हैं। कईं हुंकार करते हैं। कईं पूत्कार करते हैं। कईं थक्कार करते हैं, कईं अवपतित होते हैं, कईं उत्पतित होते हैं, कईं परिपतित होते हैं, कईं ज्वलित होते हैं, कईं तप्त होते हैं, कईं प्रतप्त होते हैं, कईं गर्जन करते हैं। कईं बिजली की ज्यों चमकते हैं। कईं वर्षा के रूप में परिणत होते हैं। कईं वातूल की ज्यों चक्कर लगाते हैं। कईं अत्यन्त प्रमोदपूर्वक कहकहाहट करते हैं। कईं लटकते होठ, मुँह बाये, आँखें फाड़े – बेतहाशा नाचते हैं। कईं चारों ओर दौड़ लगाते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tae nam se achchue devimde devaraya dasahim samaniyasahassihim, tayattisae tavattisaehim chauhim logapalehim tihim parisahim sattahim aniehim, sattahim aniyahivaihim, chattalisae ayarakkhadeva-sahassihim saddhim samparivude tehim sabhaviehim veuvviehi ya varakamalapaitthanehim surabhivaravari-padipunnehim chamdanakayachachchaehim aviddhakamthegunehim paumuppalapihanehim karayalasumalapariggahiehim atthasahassenam sovanniyanam kalasanam java atthasahassenam bhomejjanam java savvodaehim savvamatti-yahim savvatuvarehim java savvosahisiddhatthaehim savviddhie java dumduhinigghosanaiyaravenam mahaya-mahaya titthayarabhiseenam abhisimchai. Tae nam samissa mahaya-mahaya abhiseyamsi vattamanamsi imdaiya deva chhattachamarakalasa-dhuvakaduchchhuyapupphagamdha java hatthagaya hatthatutthachittamanamdiya java vajjasulapani purao chitthamti pamjaliuda, evam vijayanusarena java appegaiya deva asiyasammajjiovalittam sittasuisammattha-ratthamtaravanavihiyam karemti java gamdhavattibhuyam, appegaiya hirannavasam vasamti, evam suvanna rayana vaira abharana patta puppha phala biya malla gamdha vanna java chunnavasam vasamti, appegaiya hirannavihim bhaemti, evam java chunnavihim bhaemti, appegaiya chauvviham vajjam vaemti, tam jaha– tatam vitatam ghanam jhusiram, appegaiya chauvviham geyam gayamti, tam jaha– ukkhittam payattam mamdam roimdagam, appegaiya chauvviham nattam nachchamti, tam jaha–amchiyam duyam arabhadam bhasolam, appegaiya chauvviham abhinayam abhinemti, tam jaha– Ditthamtiyam padiyamtiyam samannaovinivaiyam logamajjhavasaniyam, appegaiya battisaiviham divvam nattavihim uvadamsemti, appegaiya uppayanivayam nivayauppayam samkuchiyapasariyam java bhamtasambhamtam namam divvam nattavihim uvadamsemti, appegaiya pinemti, evam bukkaremti tamdavemti lasemti apphodemti vaggamti sihanayam nadamti, appegaiya savvaim karemti, appegaiya hayahesiyam, evam hatthigulagulaiyam rahaghana-ghanaiyam, appegaiya tinnivi, appegaiya uchchholemti, appegaiya pachchholemti, appegaiya tivaim chhimdamti, appegaiya tinnivi, appegaiya payadaddarayam karemti, appegaiya bhumichavedam dalayamti, appe-gaiya mahaya-mahaya saddenam ravemti, evam samjoga vibhasiyavva, appegaiya hakkaremti, evam pukkaremti thakkaremti ovayamti uppayamti parivayamti, jalamti tavamti patavamti gajjamti vijjuyayamti vasamti, appegaiya devukkaliyam karemti, evam devakahakahagam karemti, appegaiya duhaduhagam karemti, appegaiya vikiyabhuyaim ruvaim viuvvitta panachchamti, evamai vibhasejja jaha vijayassa java savvao samamta adhavemti paridhavemti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Devendra achyuta apane 10000 samanika devom, 33 trayastrimsha devom, chara lokapalom, tina parishadom, sata senaom, sata senapati – devom tatha 40000 amgarakshaka devom se parivritta hota hua svabhavika evam vikurvita uttama kamalom para rakhe hue, sugandhita, uttama jala se paripurna, chandana se charchita galave mem moli bamdhe hue, kamalom evam utpalom se dhamke hue, sukomala hatheliyom para uthaye hue 1008 sone ke kalashom yavat 1008 mitti ke kalashom ke saba prakara ke jalom, mrittikaom, kasaile padarthom, aushadhiyom evam sapheda sarasom dvara saba prakara ki riddhi – vaibhava ke satha tumula vadyadhvanipurvaka bhagavan tirthamkara ka abhisheka karata hai. Achyutendra dvara abhisheka kiye jate samaya atyanta harshita evam paritushta anya indra adi deva chhatra, chamvara, dhupapana, pushpa, sugandhita padartha, vajra, trishula hatha mem liye, amjali bamdhe khare rahate haim. Katipaya deva pandakavana ke margom mem, jala ka chhirakava karate haim, sammarjana karate haim – upalipta karate haim. Yom use shuchi evam svachchha banate haim, sugandhita dhumamaya banate haim. Kaim eka vaham chamdi barasate haim. Kaim svarna, ratna, hire, gahane, patte, phula, phala, bija, malaem, gandha, varna tatha churna – barasate haim. Kaim eka mamgalika pratika ke rupa mem anya devom ko rajata bhemta karate haim, yavat churna bhemta karate haim. Kaim eka tat, vitata, ghana tatha kaim eka shushira – adi chara prakara ke vadya bajate haim. Kaim eka utkshipta, padatta, mamdaya, adi ke prayoga dvara dhire – dhire gaye jate tatha rochitavasana – paryanta samuchitanirvahayukta geya – gate haim. Kaim eka anchita, druta, arabhata tatha bhasola namaka chara prakara ka nritya karate haim. Kaim darshtantika, prati – shrutika, samanyatovinipatika evam lokamadhyavasanika – chara prakara ka abhinaya karate haim. Kaim battisa prakara ki natya – vidhi upadarshita karate haim. Kaim utpata – nipata, nipatotpata, samkuchita – prasarita tatha bhranta – sambhranta, vaisi abhinayashunya gatravikshepamatra – natyavidhi upadarshita karate haim. Kaim tandava, kaim lasya nritya karate haim. Kaim eka apane ko pina banate haim, pradarshita karate haim, kaim eka butkara karate haim – ahanana karate haim, kaim eka valgana karate haim, kaim simhanada karate haim, kaim ghorom ki jyom hinahinate haim, kaim hathiyom ki jyom gulagulate haim, kaim rathom ki jyom ghanaghanate haim, kaim eka age se mukha para chapata lagate haim, kaim eka pichhe se mukha para chapata lagate haim, kaim eka akhare mem pahalavana ki jyom paimtare badalate haim, kaim eka paira se bhumi ka asphotana karate haim, kaim hatha se bhumi ka ahanana karate haim, kaim jora – jora se avaja lagate haim. Kaim humkara karate haim. Kaim putkara karate haim. Kaim thakkara karate haim, kaim avapatita hote haim, kaim utpatita hote haim, kaim paripatita hote haim, kaim jvalita hote haim, kaim tapta hote haim, kaim pratapta hote haim, kaim garjana karate haim. Kaim bijali ki jyom chamakate haim. Kaim varsha ke rupa mem parinata hote haim. Kaim vatula ki jyom chakkara lagate haim. Kaim atyanta pramodapurvaka kahakahahata karate haim. Kaim latakate hotha, mumha baye, amkhem phare – betahasha nachate haim. Kaim charom ora daura lagate haim. |