Sutra Navigation: Jambudwippragnapati ( जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र )

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Sr No : 1007656
Scripture Name( English ): Jambudwippragnapati Translated Scripture Name : जंबुद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

वक्षस्कार ३ भरतचक्री

Translated Chapter :

वक्षस्कार ३ भरतचक्री

Section : Translated Section :
Sutra Number : 56 Category : Upang-07
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] तए णं तस्स भरहस्स रन्नो अन्नया कयाइ आउहघरसालाए दिव्वे चक्करयणे समुप्पज्जित्था। तए णं से आउहघरिए भरहस्स रन्नो आउहघरसालाए दिव्वं चक्करयणं समुप्पन्नं पासाइ, पासित्ता हट्ठतुट्ठ चित्तमानंदिए नंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए जेणामेव से दिव्वे चक्करयणे तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता करयल परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं० कट्टु चक्करयणस्स पणामं करेइ, करेत्ता आउहघरसालाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणामेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणामेव भरहे राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु जएणं विजएणं बद्धावेइ, बद्धावेत्ता एवं वयासी– एवं खलु देवानुप्पियाणं आउहघरसालाए दिव्वे चक्करयणे समुप्पन्ने, तं एयण्णं देवानुप्पियाणं पियट्ठयाए पियं निवेदेमो, पियं भे भवउ। तते णं से भरहे राया तस्स आउहघरियस्स अंतिए एयमट्ठं सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठचित्तमानंदिए नंदिए पीइमणे परमसोमनस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए वियसियवरकमलनयनवयणे पयलिय-वरकडगतुडियकेऊर मउड कुंडल हारविरायंतरइयवच्छे पालंबपलंबमाणघोलंतभूसणधरे ससंभमं तुरियं चवलं नरिंदे सीहासनाओ अब्भुट्ठेइ, अब्भुट्ठेत्ता पायपीढाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता पाउ-याओ ओमुयइ, ओमुइत्ता एगसाडियं उत्तरासंगं करेइ, करेत्ता अंजलिमउलियग्गहत्थे चक्करयणा-भिमुहे सत्तट्ठपयाइं अनुगच्छइ, अनुगच्छित्ता वामं जाणुं अंचेइ, अंचेत्ता दाहिणं जाणुं धरणितलंसि निहट्टु करयल परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु चक्करयणस्स पणामं करेइ, करेत्ता तस्स आउहघरियस्स अहामालियं मउडवज्जं ओमोयं दलयइ, दलइत्ता विउलं जीवियारिहं पीइदानं दलयइ, दलइत्ता सक्कारेइ सम्मानेइ, सक्कारेत्ता सम्मानेत्ता पडिविसज्जेइ, पडिविसज्जेत्ता सीहासनवरगए पुरत्थाभिमुहे सन्निसन्ने। तए णं से भरहे राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी– खिप्पामेव भो देवानुप्पिया! विनीयं रायहाणिं सब्भिंतरबाहिरियं आसिय संमज्जिय सित्त सुइग संमट्ठ रत्थंतरवीहियं मंचाइमंचकलियं नानाविहरागवसणऊसियझयपडागाइपडागमंडियं लाउल्लोइयमहियं गोसीस-सरसरत्तदद्दरदिन्नपंचंगुलितलं उवचियवंदनकलसं वंदनघड सुकय तोरणपडिदुवारदेसभायं आसत्तो-सत्तविउलवट्टवग्घारियमल्लदामकलावं पंचवण्णसरससुरभिमुक्कपुप्फपुंजोवयारकलियं कालागुरु-पवरकुंदुरुक्क तुरक्कधूवमघमघेंत गंधुद्धुयाभिरामं सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूयं करेह कारवेह, करेत्ता कारवेत्ता य एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह। तए णं से कोडुंबियपुरिसा भरहेणं रन्ना एवं वुत्ता समाणा हट्ठतुट्ठचित्तमानंदिया नंदिया पीइ-मणा परमसोमनस्सिया हरिसवसविसप्पमाणहियया करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं सामित्ति आणाए विनएणं वयणं पडिसुनेंति, पडिसुणेत्ता भरहस्स रन्नो अंतियाओ पडि-निक्खमंति पडिनिक्खमित्ता विनीयं रायहाणिं जाव करेत्ता कारवेत्ता य तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति। तए णं से भरहे राया जेणेव मज्जनघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मज्जनघरं अनु-पविसइ, अनुपविसित्ता समुत्तजालाकुलाभिरामे विचित्तमणिरयणकुट्टिमतले रमणिज्जे ण्हाणमंड- वंसि नानामणिरयण भत्तिचित्तंसि ण्हाणपीढंसि सुहनिसन्ने सुहोदएहिं गंधोदएहिं पुप्फोदएहिं सुद्धो-दएहि य पुण्णे कल्लाणगपवरमज्जणविहीए मज्जिए तत्थ कोउयसएहिं बहुविहेहिं कल्लाण-गपवरमज्जणावसाणे पम्हलसुकुमालगंधकासाइयलूहियंगे सरससुरहिगोसीसचंदनानुलित्तगते अहय सुमहग्घदूसरयणसुसंवुए सुइमाला वण्णग विलेवने आविद्धमणिसुवण्णे कप्पियहारद्धहार तिसरय पालंबपलंबमाण कडिसुत्तसुकयसोहे पिणद्धगेविज्जगअंगुलिज्जग ललितंगयललियकयाभरणे नानामणिकडगतुडियथंभियभुए अहियरूव सस्सिरीए कुंडलउज्जोइयाणणे मउडदित्तसिरए हारो त्थयसुकयरइयवच्छे पालंबपलंबमाणसुकयपडउत्तरिज्जे मुद्दियापिंगलंगुलीए नानामणिकनग विमल महरिह निउणोविय मिसिमिसेंत विरइयसुसिलिट्ठविसिट्ठलट्ठसंठियपसत्थआविद्धवीरवलए, ... ...किं बहुना? कप्परुक्खए चेव अलंकियविभूसिए नरिंदे सकोरंट मल्ल दामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं चउचामरवालवीइअंगे मंगलजयसद्दकयालोए अनेगगननायग दंडनायग राईसर तलवर माडंबिय कोडुंबिय मंति महामंति गणग दोवारिय अमच्च चेड पीढमद्द नगर निगम सेट्ठि सेनावइ सत्थवाह दूय संधिवालसद्धिं संपरिवुडे धवल महामेहनिग्गए इव गहगण दिप्पंत रिक्खतारागणाण मज्झे ससिव्व पियदंसणे नरवई धूवपुप्फगंधमल्लहत्थगए मज्जनघराओ पडि-निक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव आउहघरसाला जेणेव चक्करयणे तेणामेव पहारेत्थ गमणाए। तए णं तस्स भरहस्स रन्नो बहवे ईसर तलवर माडंबिय कोडुंबिय इब्भ सेट्ठि सेनावइ सत्थवाह पभितओ– अप्पेगइया पउमहत्थगया अप्पेगइया उप्पलहत्थगया अप्पेगइया कुमुयहत्थगया अप्पे-गइया नलिनहत्थगया अप्पेगइया सोगंधियहत्थगया अप्पेगइया पुंडरीयहत्थगया अप्पेगइया महा-पुंडरीयहत्थगया अप्पेगइया सयपत्तहत्थगया अप्पेगइया सहस्सपत्तहत्थगया भरहं रायाणं पिट्ठओ-पिट्ठओ अनुगच्छंति। तए णं तस्स भरहस्स रन्नो बहूओ–
Sutra Meaning : एक दिन राजा भरत की आयुधशाला में दिव्य चक्ररत्न उत्पन्न हुआ। आयुधशाला के अधिकारी ने देखा। वह हर्षित एवं परितुष्ट हुआ, चित्त में आनन्द तथा प्रसन्नता का अनुभव करता हुआ अत्यन्त सौम्य मानसिक भाव और हर्षातिरेक से विकसित हृदय हो उठा। दिव्य चक्र – रत्न को तीन बार आदक्षिण – प्रदक्षिणा की, हाथ जोड़ते हुए चक्ररत्न को प्रणाम कर आयुधशाला से निकला, बाहरी उपस्थानशाला में आ कर उसने हाथ जोड़ते हुए राजा को ‘आपकी जय हो, आपकी विजय हो’ – शब्दों द्वारा वर्धापित किया और कहा आपकी आयुधशाला में दिव्य चक्ररत्न उत्पन्न हुआ है, आपकी प्रियतार्थ यह प्रिय संवाद निवेदित करता हूँ। तब राजा भरत आयुधशाला के अधिकारी से यह सुनकर हर्षित हुआ यावत्‌ हर्षातिरेक से उसका हृदय खिल उठा। उसके श्रेष्ठ कमल जैसे नेत्र एवं मुख विकसित हो गये। हाथों में पहने हुए उत्तम कटक, त्रुटित, केयूर, मस्तक पर धारण किया हुआ मुकुट, कानों के कुंडल चंचल हो उठे, हिल उठे, हर्षातिरेकवश हिलते हुए हार से उनका वक्षःस्थल अत्यन्त शोभित प्रतीत होने लगा। उसके गले में लटकती हुई लम्बी पुष्पमालाएं चंचल हो उठीं। राजा उत्कण्ठित होता हुआ बड़ी त्वरा से, शीघ्रता से सिंहासन से उठा, नीचे उतरकर पादुकाएं उतारीं, एक वस्त्र का उत्तरासंग किया, हाथों को अंजलिबद्ध किये हुए चक्ररत्न के सम्मुख सात – आठ कदम चला, बायें घुटने को ऊंचा किया, दायें घुटने को भूमि पर टिकाया, हाथ जोड़ते हुए, उन्हें मस्तक के चारों ओर घुमाते हुए अंजलि बाँध चक्ररत्न को प्रणाम किया। आयुधशाला के अधिपति को अपने मुकुट के अतिरिक्त सारे आभूषण दान में दे दिए। उसे जीविकोपयोगी विपुल प्रीतिदान किया – सत्कार किया, सम्मान किया। फिर पूर्वाभिमुख हो सिंहासन पर बैठा। तत्पश्चात्‌ राजा भरत ने कौटुम्बिक पुरुषों को बुलाकर कहा राजधानी विनीता नगरी की भीतर और बाहर से सफाई कराओ, उसे सम्मार्जित कराओ, सुगंधित जल से उसे आसिक्त कराओ, नगरी की सड़कों और गलियों को स्वच्छ कराओ, वहाँ मंच, अतिमंच, निर्मित कराकर उसे सज्जित कराओ, विविध रंगी वस्त्रों से निर्मित ध्वजाओं, पताकाओं, अतिपताकाओं, सुशोभित कराओ, भूमि पर गोबर का लेप कराओ, गोशीर्ष एवं सरस चन्दन से सुरभित करो, प्रत्येक द्वारभाग को चंदनकलशों और तोरणों से सजाओ यावत्‌ सुगंधित धुएं की प्रचुरता से वहाँ गोल – गोल धूममय छल्ले से बनते दिखाई दें। ऐसा कर आज्ञा पालने की सूचना करो। राजा भरत द्वारा यों कहे जाने पर व्यवस्थाधिकारी बहुत हर्षित एवं प्रसन्न हुए। उन्होंने विनीता राजधानी को राजा के आदेश के अनुरूप सजाया, सजवाया और आज्ञापालन की सूचना दी। तत्पश्चात्‌ राजा भरत स्नानघर में प्रविष्ट हुआ। वह स्नानघर मुक्ताजालयुक्त – मोतियों की अनेकानेक लड़ियों से सजे हुए झरोखों के कारण बड़ा सुन्दर था। उसका प्रांगण विभिन्न मणियों तथा रत्नों से खचित था। उसमें रमणीय स्नान – मंड़प था। स्नान – मंड़प में अनेक प्रकार से चित्रात्मक रूप में जड़ी गई मणियों एवं रत्नों से सुशोभित स्नान – पीठ था। राजा सुखपूर्वक उस पर बैठा। राजा ने शुभोदक, गन्धोदक, पुष्पोदक एवं शुद्ध जल द्वारा परिपूर्ण, कल्याणकारी, उत्तम स्नानविधि से स्नान किया। स्नान के अनन्तर राजा ने नजर आदि निवारण हेतु रक्षाबन्धन आदि के सैकड़ों विधि – विधान किये। रोएंदार, सुकोमल काषायित, बिभीतक, आमलक आदि कसैली वनौषधियों से रंगे हुए वस्त्र से शरीर पोंछा। सरस, सुगन्धित गोशीर्ष चन्दन का देह पर लेप किया। अहत, बहुमूल्य दूष्यरत्न पहने। पवित्र माला धारण की। केसर आदि का विलेपन किया। मणियों से जड़े सोने के आभूषण पहने। पवित्र माला धारण की। केसर आदि का विलेपन किया। मणियों से जड़े सोने के आभूषण पहने हार, अर्धहार, तीन लड़ों के हार और लम्बे, लटकते कटिसूत्र – से अपने को सुशोभित किया। गले के आभरण धारण किये। अंगुलियों में अंगुठियाँ पहनी। नाना मणिमय कंकणों तथा त्रुटितों द्वारा भुजाओं को स्तम्भित किया। यों राजा की शोभा और अधिक बढ़ गई। कुंड़लों से मुख उद्योतित था। मुकुट से मस्तक दीप्त था। हारों से ढ़का हुआ उसका वक्षःस्थल सुन्दर प्रतीत हो रहा था। राजा ने एक लम्बे, लटकते हुए वस्त्र को उत्तरीय रूप में धारण किया। मुद्रिकाओं के कारण राजा की अंगुलियाँ पीली लग रही थीं। सुयोग्य शिल्पियों द्वारा नानाविध, मणि, स्वर्ण, रत्न – इनके योग से सुरचित विमल, महार्ह, सुश्लिष्ट, उत्कृष्ट, प्रशस्त, वीरवलय – धारण किया। इस प्रकार अलंकृत, विभूषित, राजा कल्पवृक्ष ज्यों लगता था। अपने ऊपर लगाये गये कोरंट पुष्पों की मालाओं से युक्त छत्र, दोनों ओर डुलाये जाते चार चँवर, देखते ही लोगों द्वारा किये गये मंगलमय जय शब्द के साथ राजा स्नान – गृह से बाहर निकला। अनेक गणनायक यावत्‌ संधिपाल, इन सबसे घिरा हुआ राजा धवल महामेघ, चन्द्र के सदृश देखने में बड़ा प्रिय लगता था। वह हाथ में धूप, पुष्प, गन्ध, माला – लिए हुए स्नानघर से निकला, जहाँ आयुधशाला थी, जहाँ चक्ररत्न था, वहाँ के लिए चला। राजा भरत के पीछे – पीछे बहुत से ऐश्वर्यशाली विशिष्ट जन चल रहे थे। उनमें से किन्हीं – किन्हीं के हाथों में पद्म, यावत्‌ शतसहस्रपत्र कमल थे। बहुत सी दासियाँ भी साथ थीं।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] tae nam tassa bharahassa ranno annaya kayai auhagharasalae divve chakkarayane samuppajjittha. Tae nam se auhagharie bharahassa ranno auhagharasalae divvam chakkarayanam samuppannam pasai, pasitta hatthatuttha chittamanamdie namdie piimane paramasomanassie harisavasavisappamanahiyae jenameva se divve chakkarayane tenameva uvagachchhai, uvagachchhitta tikkhutto ayahina-payahinam karei, karetta karayala pariggahiyam sirasavattam matthae amjalim0 kattu chakkarayanassa panamam karei, karetta auhagharasalao padinikkhamai, padinikkhamitta jenameva bahiriya uvatthanasala jenameva bharahe raya teneva uvagachchhai, uvagachchhitta karayala pariggahiyam sirasavattam matthae amjalim kattu jaenam vijaenam baddhavei, baddhavetta evam vayasi– Evam khalu devanuppiyanam auhagharasalae divve chakkarayane samuppanne, tam eyannam devanuppiyanam piyatthayae piyam nivedemo, piyam bhe bhavau. Tate nam se bharahe raya tassa auhaghariyassa amtie eyamattham sochcha nisamma hatthatutthachittamanamdie namdie piimane paramasomanassie harisavasavisappamanahiyae viyasiyavarakamalanayanavayane payaliya-varakadagatudiyakeura mauda kumdala haravirayamtaraiyavachchhe palambapalambamanagholamtabhusanadhare sasambhamam turiyam chavalam narimde sihasanao abbhutthei, abbhutthetta payapidhao pachchoruhai, pachchoruhitta pau-yao omuyai, omuitta egasadiyam uttarasamgam karei, karetta amjalimauliyaggahatthe chakkarayana-bhimuhe sattatthapayaim anugachchhai, anugachchhitta vamam janum amchei, amchetta dahinam janum dharanitalamsi nihattu karayala pariggahiyam sirasavattam matthae amjalim kattu chakkarayanassa panamam karei, karetta tassa auhaghariyassa ahamaliyam maudavajjam omoyam dalayai, dalaitta viulam jiviyariham piidanam dalayai, dalaitta sakkarei sammanei, sakkaretta sammanetta padivisajjei, padivisajjetta sihasanavaragae puratthabhimuhe sannisanne. Tae nam se bharahe raya kodumbiyapurise saddavei, saddavetta evam vayasi– khippameva bho devanuppiya! Viniyam rayahanim sabbhimtarabahiriyam asiya sammajjiya sitta suiga sammattha ratthamtaravihiyam mamchaimamchakaliyam nanaviharagavasanausiyajhayapadagaipadagamamdiyam laulloiyamahiyam gosisa-sarasarattadaddaradinnapamchamgulitalam uvachiyavamdanakalasam vamdanaghada sukaya toranapadiduvaradesabhayam asatto-sattaviulavattavagghariyamalladamakalavam pamchavannasarasasurabhimukkapupphapumjovayarakaliyam kalaguru-pavarakumdurukka turakkadhuvamaghamaghemta gamdhuddhuyabhiramam sugamdhavaragamdhiyam gamdhavattibhuyam kareha karaveha, karetta karavetta ya eyamanattiyam pachchappinaha. Tae nam se kodumbiyapurisa bharahenam ranna evam vutta samana hatthatutthachittamanamdiya namdiya pii-mana paramasomanassiya harisavasavisappamanahiyaya karayalapariggahiyam sirasavattam matthae amjalim kattu evam samitti anae vinaenam vayanam padisunemti, padisunetta bharahassa ranno amtiyao padi-nikkhamamti padinikkhamitta viniyam rayahanim java karetta karavetta ya tamanattiyam pachchappinamti. Tae nam se bharahe raya jeneva majjanaghare teneva uvagachchhai, uvagachchhitta majjanagharam anu-pavisai, anupavisitta samuttajalakulabhirame vichittamanirayanakuttimatale ramanijje nhanamamda- vamsi nanamanirayana bhattichittamsi nhanapidhamsi suhanisanne suhodaehim gamdhodaehim pupphodaehim suddho-daehi ya punne kallanagapavaramajjanavihie majjie tattha kouyasaehim bahuvihehim kallana-gapavaramajjanavasane pamhalasukumalagamdhakasaiyaluhiyamge sarasasurahigosisachamdananulittagate ahaya sumahagghadusarayanasusamvue suimala vannaga vilevane aviddhamanisuvanne kappiyaharaddhahara tisaraya palambapalambamana kadisuttasukayasohe pinaddhagevijjagaamgulijjaga lalitamgayalaliyakayabharane nanamanikadagatudiyathambhiyabhue ahiyaruva sassirie kumdalaujjoiyanane maudadittasirae haro tthayasukayaraiyavachchhe palambapalambamanasukayapadauttarijje muddiyapimgalamgulie nanamanikanaga vimala mahariha niunoviya misimisemta viraiyasusilitthavisitthalatthasamthiyapasatthaaviddhaviravalae,.. ..Kim bahuna? Kapparukkhae cheva alamkiyavibhusie narimde sakoramta malla damenam chhattenam dharijjamanenam chauchamaravalaviiamge mamgalajayasaddakayaloe anegagananayaga damdanayaga raisara talavara madambiya kodumbiya mamti mahamamti ganaga dovariya amachcha cheda pidhamadda nagara nigama setthi senavai satthavaha duya samdhivalasaddhim samparivude dhavala mahamehaniggae iva gahagana dippamta rikkhataraganana majjhe sasivva piyadamsane naravai dhuvapupphagamdhamallahatthagae majjanagharao padi-nikkhamai, padinikkhamitta jeneva auhagharasala jeneva chakkarayane tenameva paharettha gamanae. Tae nam tassa bharahassa ranno bahave isara talavara madambiya kodumbiya ibbha setthi senavai satthavaha pabhitao– appegaiya paumahatthagaya appegaiya uppalahatthagaya appegaiya kumuyahatthagaya appe-gaiya nalinahatthagaya appegaiya sogamdhiyahatthagaya appegaiya pumdariyahatthagaya appegaiya maha-pumdariyahatthagaya appegaiya sayapattahatthagaya appegaiya sahassapattahatthagaya bharaham rayanam pitthao-pitthao anugachchhamti. Tae nam tassa bharahassa ranno bahuo–
Sutra Meaning Transliteration : Eka dina raja bharata ki ayudhashala mem divya chakraratna utpanna hua. Ayudhashala ke adhikari ne dekha. Vaha harshita evam paritushta hua, chitta mem ananda tatha prasannata ka anubhava karata hua atyanta saumya manasika bhava aura harshatireka se vikasita hridaya ho utha. Divya chakra – ratna ko tina bara adakshina – pradakshina ki, hatha jorate hue chakraratna ko pranama kara ayudhashala se nikala, bahari upasthanashala mem a kara usane hatha jorate hue raja ko ‘apaki jaya ho, apaki vijaya ho’ – shabdom dvara vardhapita kiya aura kaha apaki ayudhashala mem divya chakraratna utpanna hua hai, apaki priyatartha yaha priya samvada nivedita karata hum. Taba raja bharata ayudhashala ke adhikari se yaha sunakara harshita hua yavat harshatireka se usaka hridaya khila utha. Usake shreshtha kamala jaise netra evam mukha vikasita ho gaye. Hathom mem pahane hue uttama kataka, trutita, keyura, mastaka para dharana kiya hua mukuta, kanom ke kumdala chamchala ho uthe, hila uthe, harshatirekavasha hilate hue hara se unaka vakshahsthala atyanta shobhita pratita hone laga. Usake gale mem latakati hui lambi pushpamalaem chamchala ho uthim. Raja utkanthita hota hua bari tvara se, shighrata se simhasana se utha, niche utarakara padukaem utarim, eka vastra ka uttarasamga kiya, hathom ko amjalibaddha kiye hue chakraratna ke sammukha sata – atha kadama chala, bayem ghutane ko umcha kiya, dayem ghutane ko bhumi para tikaya, hatha jorate hue, unhem mastaka ke charom ora ghumate hue amjali bamdha chakraratna ko pranama kiya. Ayudhashala ke adhipati ko apane mukuta ke atirikta sare abhushana dana mem de die. Use jivikopayogi vipula pritidana kiya – satkara kiya, sammana kiya. Phira purvabhimukha ho simhasana para baitha. Tatpashchat raja bharata ne kautumbika purushom ko bulakara kaha rajadhani vinita nagari ki bhitara aura bahara se saphai karao, use sammarjita karao, sugamdhita jala se use asikta karao, nagari ki sarakom aura galiyom ko svachchha karao, vaham mamcha, atimamcha, nirmita karakara use sajjita karao, vividha ramgi vastrom se nirmita dhvajaom, patakaom, atipatakaom, sushobhita karao, bhumi para gobara ka lepa karao, goshirsha evam sarasa chandana se surabhita karo, pratyeka dvarabhaga ko chamdanakalashom aura toranom se sajao yavat sugamdhita dhuem ki prachurata se vaham gola – gola dhumamaya chhalle se banate dikhai dem. Aisa kara ajnya palane ki suchana karo. Raja bharata dvara yom kahe jane para vyavasthadhikari bahuta harshita evam prasanna hue. Unhomne vinita rajadhani ko raja ke adesha ke anurupa sajaya, sajavaya aura ajnyapalana ki suchana di. Tatpashchat raja bharata snanaghara mem pravishta hua. Vaha snanaghara muktajalayukta – motiyom ki anekaneka lariyom se saje hue jharokhom ke karana bara sundara tha. Usaka pramgana vibhinna maniyom tatha ratnom se khachita tha. Usamem ramaniya snana – mamrapa tha. Snana – mamrapa mem aneka prakara se chitratmaka rupa mem jari gai maniyom evam ratnom se sushobhita snana – pitha tha. Raja sukhapurvaka usa para baitha. Raja ne shubhodaka, gandhodaka, pushpodaka evam shuddha jala dvara paripurna, kalyanakari, uttama snanavidhi se snana kiya. Snana ke anantara raja ne najara adi nivarana hetu rakshabandhana adi ke saikarom vidhi – vidhana kiye. Roemdara, sukomala kashayita, bibhitaka, amalaka adi kasaili vanaushadhiyom se ramge hue vastra se sharira pomchha. Sarasa, sugandhita goshirsha chandana ka deha para lepa kiya. Ahata, bahumulya dushyaratna pahane. Pavitra mala dharana ki. Kesara adi ka vilepana kiya. Maniyom se jare sone ke abhushana pahane. Pavitra mala dharana ki. Kesara adi ka vilepana kiya. Maniyom se jare sone ke abhushana pahane hara, ardhahara, tina larom ke hara aura lambe, latakate katisutra – se apane ko sushobhita kiya. Gale ke abharana dharana kiye. Amguliyom mem amguthiyam pahani. Nana manimaya kamkanom tatha trutitom dvara bhujaom ko stambhita kiya. Yom raja ki shobha aura adhika barha gai. Kumralom se mukha udyotita tha. Mukuta se mastaka dipta tha. Harom se rhaka hua usaka vakshahsthala sundara pratita ho raha tha. Raja ne eka lambe, latakate hue vastra ko uttariya rupa mem dharana kiya. Mudrikaom ke karana raja ki amguliyam pili laga rahi thim. Suyogya shilpiyom dvara nanavidha, mani, svarna, ratna – inake yoga se surachita vimala, maharha, sushlishta, utkrishta, prashasta, viravalaya – dharana kiya. Isa prakara alamkrita, vibhushita, raja kalpavriksha jyom lagata tha. Apane upara lagaye gaye koramta pushpom ki malaom se yukta chhatra, donom ora dulaye jate chara chamvara, dekhate hi logom dvara kiye gaye mamgalamaya jaya shabda ke satha raja snana – griha se bahara nikala. Aneka gananayaka yavat samdhipala, ina sabase ghira hua raja dhavala mahamegha, chandra ke sadrisha dekhane mem bara priya lagata tha. Vaha hatha mem dhupa, pushpa, gandha, mala – lie hue snanaghara se nikala, jaham ayudhashala thi, jaham chakraratna tha, vaham ke lie chala. Raja bharata ke pichhe – pichhe bahuta se aishvaryashali vishishta jana chala rahe the. Unamem se kinhim – kinhim ke hathom mem padma, yavat shatasahasrapatra kamala the. Bahuta si dasiyam bhi satha thim.