Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1006846 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-२४ कर्मबंध |
Translated Chapter : |
पद-२४ कर्मबंध |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 546 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कति णं भंते! कम्मपगडीओ पन्नत्ताओ? गोयमा! अट्ठ कम्मपगडीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–नाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं। एवं नेरइयाणं जाव वेमानियाणं। जीवे णं भंते! नाणावरणिज्जं कम्मं बंधमाणे कति कम्मपगडीओ बंधति? गोयमा! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा छव्विहबंधए वा। नेरइए णं भंते! नाणावरणिज्जं कम्मं बंधमाणे कति कम्मपगडीओ बंधति? गोयमा! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा। एवं जाव वेमाणिए, नवरं–मनूसे जहा जीवे। जीवा णं भंते! नाणावरणिज्जं कम्मं बंधमाणा कति कम्मपगडीओ बंधंति? गोयमा! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधगे य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबं-धगा य छव्विहबंधगा य ३। नेरइया णं भंते! नाणावरणिज्जं कम्मं बंधमाणा कति कम्मपगडीओ बंधंति? गोयमा! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य ३, तिन्नि भंगा। एवं जाव थणियकुमारा। पुढविक्काइयाणं पुच्छा। गोयमा! सत्तविहबंधगा वि अट्ठविहबंधगा वि। एवं जाव वणस्सतिकाइया। वियलाणं पंचेंदियतिरिक्खजोणियाण य तियभंगो–सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधए य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य ३। मनूसा णं भंते! नाणावरणिज्जस्स पुच्छा। गोयमा! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधए य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य ३ अहवा सत्तविहबंधगा य छव्विहबंधए य ४ अहवा सत्तविहबंधगा य छव्विहबंधगा य ५ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधए य छव्विहबंधए य ६ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य छव्विहबंधगा य ७ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधए य ८ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्वि-हबंधगा य ९, एवं एते णव भंगा। सेसा वाणमंतराइया जाव वेमानिया जहा नेरइया सत्तविहादिबंधगा भणिया तहा भाणियव्वा। एवं जहा नाणावरणं बंधमाणा जाहिं भणिया दंसणावरणं पि बंधमाणा ताहिं जीवादीया एगत्त-पोहत्तेहिं भाणियव्वा वेयणिज्जं बंधमाणे जीवे कति कम्मपगडीओ बंधति? गोयमा! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा छव्विहबंधए वा एगविहबंधए वा। एवं मनूसे वि। सेसा णारगादीया सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य जाव वेमाणिए। जीवा णं भंते! वेयणिज्जं कम्मं बंधमाणा कति कम्मपगडीओ बंधंति? गोयमा! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधगे य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधगा य ३। अवसेसा णारगादीया जाव वेमानिया जाओ नाणावरणं बंधमाणा बंधंति ताहिं भाणियव्वा, नवरं– मनूसा णं भंते! वेदणिज्जं कम्मं बंधमाणा कति कम्मपगडीओ बंधंति? गोयमा! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य १ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधए य २ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य ३ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधगे य ४ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधगा य ५ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधए य छव्विहबंधए य ६ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविह-बंधगा य अट्ठविहबंधए य छव्विहबंधगा य ७ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधए य ८ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधगा य ९, एवं नव भंगा। मोहणिज्जं बंधमाणे जीवे कति कम्मपगडीओ बंधइ? गोयमा! जीवेगिंदियवज्जो तियभंगो। जीवेगिंदिया सत्तविहबंधगा वि अट्ठविहबंधगा वि। जीवे णं भंते! आउयं कम्मं बंधमाणे कति कम्मपगडीओ बंधइ? गोयमा! नियमा अट्ठ। एवं नेरइए जाव वेमाणिए। एवं पुहत्तेण वि। नाम-गोय-अंतरायं बंधमाणे जीवे कति कम्मपगडीओ बंधति? गोयमा! जाओ नाणावरणिज्जं बंधमाणे बंधइ ताहिं भाणियव्वो। एवं नेरइए वि जाव वेमाणिए। एवं पुहत्तेण वि भाणियव्वं। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! कर्म – प्रकृतियाँ कितनी हैं ? गौतम ! आठ – ज्ञानावरणीय यावत् अन्तराय। इसी प्रकार नैरयिकों से वैमानिकों तक कहना। भगवन् ! (एक) जीव ज्ञानावरणीयकर्म को बाँधता हुआ कितनी कर्म – प्रकृतियों बाँधता है ? गौतम ! सात, आठ या छह। भगवन् ! (एक) नैरयिक जीव ज्ञानावरणीयकर्म को बाँधता हुआ कितनी कर्मप्रकृतियाँ बाँधता है ? गौतम ! सात या आठ। इसी प्रकार यावत् वैमानिक पर्यन्त कहना। विशेष यह कि मनुष्य – सम्बन्धी कथन समुच्चय – जीव के समान जानना। (बहुत) जीव ज्ञानावरणीयकर्म को बाँधते हुए कितनी कर्मप्रकृतियों को बाँधते हैं ? गौतम ! सभी जीव सात या आठ कर्मप्रकृतियों के बन्धक होते हैं; अथवा बहुत से जीव सात या आठ कर्म – प्रकृतियों के और कोई एक जीव छह का बन्धक होता है; अथवा बहुत से जीव सात, आठ या छह कर्म – प्रकृतियों के बन्धक होते हैं। (बहुत से) नैरयिक ज्ञानावरणीयकर्म को बाँधते हुए कितनी कर्म – प्रकृतियाँ बाँधते हैं ? गौतम ! सभी नैरयिक सात कर्म – प्रकृतियों के बन्धक होते हैं, अथवा बहुत से नैरयिक सात कर्म – प्रकृतियों के बन्धक और एक नैरयिक आठ कर्म – प्रकृतियों का बन्धक होता है, अथवा बहुत से नैरयिक सात या आठ कर्म – प्रकृतियों के बन्धक होते हैं। इसी प्रकार यावत् स्तनितकुमारों तक जानना। भगवन् ! (बहुत) पृथ्वीकायिक जीव ज्ञानावरणीयकर्म को बाँधते हुए कितनी कर्मप्रकृतियों को बाँधते हैं ? गौतम ! सात अथवा आठ कर्मप्रकृतियों को। इसी प्रकार यावत् (बहुत) वनस्पतिकायिक जीवों के सम्बन्धमें कहना। विकलेन्द्रियों और तिर्यंच – पंचेन्द्रियजीवों के तीन भंग होते हैं – सभी सात कर्मप्रकृतियों के बन्धक होते हैं, अथवा बहुत – से सात कर्मप्रकृतियों के और कोई एक आठ कर्मप्रकृतियों का बन्धक होता है, अथवा बहुत – से सात के तथा बहुत – से आठ कर्मप्रकृतियों के बन्धक होते हैं। (बहुत – से) मनुष्य ज्ञानावरणीयकर्म को बाँधते हुए कितनी कर्म – प्रकृतियों को बाँधते हैं ? गौतम ! सभी मनुष्य सात कर्मप्रकृतियों के बन्धक होते हैं, अथवा बहुत – से मनुष्य सात के बन्धक और कोई एक आठ का बन्धक होता है, अथवा बहुत – से सात के तथा आठ के बन्धक होते हैं, अथवा बहुत – से सात के और कोई एक छह का बन्धक होता है, अथवा बहुत – से मनुष्य सात के और बहुत – से छह के बन्धक होते हैं, अथवा बहुत – से सात के तथा एक आठ का एवं कोई एक छह का बन्धक होता है, अथवा बहुत – से सात के, कोई एक आठ का और बहुत – से छह के बन्धक होते हैं, अथवा बहुत – से सात के, बहुत – से आठ के और एक छह का बन्धक होता है, अथवा बहुत – से सात के, बहुत – से आठ के और बहुत – से छह के बन्धक होते हैं। इस प्रकार नौ भंग हैं। शेष वाणव्यन्तरादि यावत् वैमानिक – पर्यन्त नैरयिक सात आदि कर्म – प्रकृतियों के बन्ध समान कहना। ज्ञानावरणीयकर्म के समान दर्शनावरणीयकर्म के बन्ध का कथन करना। भगवन् ! वेदनीयकर्म को बाँधता हुआ एक जीव कितनी कर्मप्रकृतियाँ बाँधता है ? गौतम ! सात का, आठ का, छह का अथवा एक प्रकृति का। मनुष्य में भी ऐसा ही कहना। शेष नारक आदि सप्तविध और अष्टविध बन्धक होते हैं, वैमानिक तक इसी प्रकार कहना। भगवन् ! बहुत जीव वेदनीयकर्म को बाँधते हुए कितनी कर्म – प्रकृतियाँ बाँधते हैं ? गौतम ! सभी जीव सप्तविधबन्धक, अष्टविधबन्धक, एकप्रकृतिबन्धक और एक जीव छह – प्रकृतिबन्धक होता है, अथवा बहुत सप्तविधबन्धक, अष्टविधबन्धक, एकविधबन्धक या छहविधबन्धक होते हैं। शेष नारकादि से वैमानिक पर्यन्त ज्ञानावरणीय को बाँधते हुए जितनी प्रकृतियों को बाँधते हैं, उतनी का बन्ध यहाँ भी कहना। विशेष यह कि मनुष्य वेदनीयकर्म को बाँधते हुए – गौतम ! सभी मनुष्य सप्तविधबन्धक और एकविध – बन्धक होते हैं १, बहुत सप्तविधबन्धक, बहुत एकविधबन्धक और एक अष्टविधबन्धक होता है। २, बहुत सप्त – विधबन्धक, बहुत एकविधबन्धक और बहुत अष्टविधबन्धक होते हैं। ३, बहुत सप्तविधबन्धक, बहुत एकविध – बन्धक और एक षट्विधबन्धक होता है। ४, बहुत सप्तविधबन्धक, बहुत एकविधबन्धक, बहुत षड्विधबन्धक होते हैं। ५, बहुत सप्तविधबन्धक, बहुत एकविधबन्धक, एक अष्टविधबन्धक और एक षड्विधबन्धक होता है। ६, बहुत सप्तविधबन्धक, बहुत एकविधबन्धक, एक अष्टविधबन्धक और बहुत षड्विधबन्धक होते हैं। ७, बहुत सप्तविधबन्धक, बहुत एकविधबन्धक, बहुत अष्टविधबन्धक और एक षड्विधबन्धक होता है। ८, बहुत सप्तविध बन्धक, बहुत एकविधबन्धक, बहुत अष्टविधबन्धक और बहुत षट्विधबन्धक होते हैं। ९, इस प्रकार नौ भंग हैं। भगवन् ! मोहनीय कर्म बाँधता जीव कितनी कर्मप्रकृतियों को बाँधता है ? गौतम ! सामान्य जीव और एकेन्द्रिय को छोड़कर तीन भंग कहना। जीव और एकेन्द्रिय सप्तविधबन्धक और अष्टविधबन्धक भी होते हैं। आयुकर्म को बाँधता जीव कितनी कर्मप्रकृतियों को बाँधता है ? गौतम ! नियम से आठ प्रकृतियाँ बाँधता है। नैरयिकों से लेकर वैमानिक पर्यन्त इसी प्रकार कहना। इसी प्रकार बहुतों के विषय में भी कहना। नाम, गोत्र और अन्तराय कर्म को बाँधता जीव ज्ञानावरणीय के समान ही कहना। इसी प्रकार नारक से लेकर वैमानिक तक एक और बहुवचन में कहना। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kati nam bhamte! Kammapagadio pannattao? Goyama! Attha kammapagadio pannattao, tam jaha–nanavaranijjam java amtaraiyam. Evam neraiyanam java vemaniyanam. Jive nam bhamte! Nanavaranijjam kammam bamdhamane kati kammapagadio bamdhati? Goyama! Sattavihabamdhae va atthavihabamdhae va chhavvihabamdhae va. Neraie nam bhamte! Nanavaranijjam kammam bamdhamane kati kammapagadio bamdhati? Goyama! Sattavihabamdhae va atthavihabamdhae va. Evam java vemanie, navaram–manuse jaha jive. Jiva nam bhamte! Nanavaranijjam kammam bamdhamana kati kammapagadio bamdhamti? Goyama! Savve vi tava hojja sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya 1 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya chhavvihabamdhage ya 2 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabam-dhaga ya chhavvihabamdhaga ya 3. Neraiya nam bhamte! Nanavaranijjam kammam bamdhamana kati kammapagadio bamdhamti? Goyama! Savve vi tava hojja sattavihabamdhaga 1 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhage ya 2 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya 3, tinni bhamga. Evam java thaniyakumara. Pudhavikkaiyanam puchchha. Goyama! Sattavihabamdhaga vi atthavihabamdhaga vi. Evam java vanassatikaiya. Viyalanam pamchemdiyatirikkhajoniyana ya tiyabhamgo–savve vi tava hojja sattavihabamdhaga 1 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhae ya 2 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya 3. Manusa nam bhamte! Nanavaranijjassa puchchha. Goyama! Savve vi tava hojja sattavihabamdhaga 1 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhae ya 2 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya 3 ahava sattavihabamdhaga ya chhavvihabamdhae ya 4 ahava sattavihabamdhaga ya chhavvihabamdhaga ya 5 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhae ya chhavvihabamdhae ya 6 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhage ya chhavvihabamdhaga ya 7 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya chhavvihabamdhae ya 8 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya chhavvi-habamdhaga ya 9, evam ete nava bhamga. Sesa vanamamtaraiya java vemaniya jaha neraiya sattavihadibamdhaga bhaniya taha bhaniyavva. Evam jaha nanavaranam bamdhamana jahim bhaniya damsanavaranam pi bamdhamana tahim jivadiya egatta-pohattehim bhaniyavva Veyanijjam bamdhamane jive kati kammapagadio bamdhati? Goyama! Sattavihabamdhae va atthavihabamdhae va chhavvihabamdhae va egavihabamdhae va. Evam manuse vi. Sesa naragadiya sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya java vemanie. Jiva nam bhamte! Veyanijjam kammam bamdhamana kati kammapagadio bamdhamti? Goyama! Savve vi tava hojja sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya egavihabamdhaga ya 1 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya egavihabamdhaga ya chhavvihabamdhage ya 2 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya egavihabamdhaga ya chhavvihabamdhaga ya 3. Avasesa naragadiya java vemaniya jao nanavaranam bamdhamana bamdhamti tahim bhaniyavva, navaram– Manusa nam bhamte! Vedanijjam kammam bamdhamana kati kammapagadio bamdhamti? Goyama! Savve vi tava hojja sattavihabamdhaga ya egavihabamdhaga ya 1 ahava sattavihabamdhaga ya egavihabamdhaga ya atthavihabamdhae ya 2 ahava sattavihabamdhaga ya egavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya 3 ahava sattavihabamdhaga ya egavihabamdhaga ya chhavvihabamdhage ya 4 ahava sattavihabamdhaga ya egavihabamdhaga ya chhavvihabamdhaga ya 5 ahava sattavihabamdhaga ya egavihabamdhaga ya atthavihabamdhae ya chhavvihabamdhae ya 6 ahava sattavihabamdhaga ya egaviha-bamdhaga ya atthavihabamdhae ya chhavvihabamdhaga ya 7 ahava sattavihabamdhaga ya egavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya chhavvihabamdhae ya 8 ahava sattavihabamdhaga ya egavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya chhavvihabamdhaga ya 9, evam nava bhamga. Mohanijjam bamdhamane jive kati kammapagadio bamdhai? Goyama! Jivegimdiyavajjo tiyabhamgo. Jivegimdiya sattavihabamdhaga vi atthavihabamdhaga vi. Jive nam bhamte! Auyam kammam bamdhamane kati kammapagadio bamdhai? Goyama! Niyama attha. Evam neraie java vemanie. Evam puhattena vi. Nama-goya-amtarayam bamdhamane jive kati kammapagadio bamdhati? Goyama! Jao nanavaranijjam bamdhamane bamdhai tahim bhaniyavvo. Evam neraie vi java vemanie. Evam puhattena vi bhaniyavvam. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Karma – prakritiyam kitani haim\? Gautama ! Atha – jnyanavaraniya yavat antaraya. Isi prakara nairayikom se vaimanikom taka kahana. Bhagavan ! (eka) jiva jnyanavaraniyakarma ko bamdhata hua kitani karma – prakritiyom bamdhata hai\? Gautama ! Sata, atha ya chhaha. Bhagavan ! (eka) nairayika jiva jnyanavaraniyakarma ko bamdhata hua kitani karmaprakritiyam bamdhata hai\? Gautama ! Sata ya atha. Isi prakara yavat vaimanika paryanta kahana. Vishesha yaha ki manushya – sambandhi kathana samuchchaya – jiva ke samana janana. (bahuta) jiva jnyanavaraniyakarma ko bamdhate hue kitani karmaprakritiyom ko bamdhate haim\? Gautama ! Sabhi jiva sata ya atha karmaprakritiyom ke bandhaka hote haim; athava bahuta se jiva sata ya atha karma – prakritiyom ke aura koi eka jiva chhaha ka bandhaka hota hai; athava bahuta se jiva sata, atha ya chhaha karma – prakritiyom ke bandhaka hote haim. (bahuta se) nairayika jnyanavaraniyakarma ko bamdhate hue kitani karma – prakritiyam bamdhate haim\? Gautama ! Sabhi nairayika sata karma – prakritiyom ke bandhaka hote haim, athava bahuta se nairayika sata karma – prakritiyom ke bandhaka aura eka nairayika atha karma – prakritiyom ka bandhaka hota hai, athava bahuta se nairayika sata ya atha karma – prakritiyom ke bandhaka hote haim. Isi prakara yavat stanitakumarom taka janana. Bhagavan ! (bahuta) prithvikayika jiva jnyanavaraniyakarma ko bamdhate hue kitani karmaprakritiyom ko bamdhate haim\? Gautama ! Sata athava atha karmaprakritiyom ko. Isi prakara yavat (bahuta) vanaspatikayika jivom ke sambandhamem kahana. Vikalendriyom aura tiryamcha – pamchendriyajivom ke tina bhamga hote haim – sabhi sata karmaprakritiyom ke bandhaka hote haim, athava bahuta – se sata karmaprakritiyom ke aura koi eka atha karmaprakritiyom ka bandhaka hota hai, athava bahuta – se sata ke tatha bahuta – se atha karmaprakritiyom ke bandhaka hote haim. (bahuta – se) manushya jnyanavaraniyakarma ko bamdhate hue kitani karma – prakritiyom ko bamdhate haim\? Gautama ! Sabhi manushya sata karmaprakritiyom ke bandhaka hote haim, athava bahuta – se manushya sata ke bandhaka aura koi eka atha ka bandhaka hota hai, athava bahuta – se sata ke tatha atha ke bandhaka hote haim, athava bahuta – se sata ke aura koi eka chhaha ka bandhaka hota hai, athava bahuta – se manushya sata ke aura bahuta – se chhaha ke bandhaka hote haim, athava bahuta – se sata ke tatha eka atha ka evam koi eka chhaha ka bandhaka hota hai, athava bahuta – se sata ke, koi eka atha ka aura bahuta – se chhaha ke bandhaka hote haim, athava bahuta – se sata ke, bahuta – se atha ke aura eka chhaha ka bandhaka hota hai, athava bahuta – se sata ke, bahuta – se atha ke aura bahuta – se chhaha ke bandhaka hote haim. Isa prakara nau bhamga haim. Shesha vanavyantaradi yavat vaimanika – paryanta nairayika sata adi karma – prakritiyom ke bandha samana kahana. Jnyanavaraniyakarma ke samana darshanavaraniyakarma ke bandha ka kathana karana. Bhagavan ! Vedaniyakarma ko bamdhata hua eka jiva kitani karmaprakritiyam bamdhata hai\? Gautama ! Sata ka, atha ka, chhaha ka athava eka prakriti ka. Manushya mem bhi aisa hi kahana. Shesha naraka adi saptavidha aura ashtavidha bandhaka hote haim, vaimanika taka isi prakara kahana. Bhagavan ! Bahuta jiva vedaniyakarma ko bamdhate hue kitani karma – prakritiyam bamdhate haim\? Gautama ! Sabhi jiva saptavidhabandhaka, ashtavidhabandhaka, ekaprakritibandhaka aura eka jiva chhaha – prakritibandhaka hota hai, athava bahuta saptavidhabandhaka, ashtavidhabandhaka, ekavidhabandhaka ya chhahavidhabandhaka hote haim. Shesha narakadi se vaimanika paryanta jnyanavaraniya ko bamdhate hue jitani prakritiyom ko bamdhate haim, utani ka bandha yaham bhi kahana. Vishesha yaha ki manushya vedaniyakarma ko bamdhate hue – gautama ! Sabhi manushya saptavidhabandhaka aura ekavidha – bandhaka hote haim 1, bahuta saptavidhabandhaka, bahuta ekavidhabandhaka aura eka ashtavidhabandhaka hota hai. 2, bahuta sapta – vidhabandhaka, bahuta ekavidhabandhaka aura bahuta ashtavidhabandhaka hote haim. 3, bahuta saptavidhabandhaka, bahuta ekavidha – bandhaka aura eka shatvidhabandhaka hota hai. 4, bahuta saptavidhabandhaka, bahuta ekavidhabandhaka, bahuta shadvidhabandhaka hote haim. 5, bahuta saptavidhabandhaka, bahuta ekavidhabandhaka, eka ashtavidhabandhaka aura eka shadvidhabandhaka hota hai. 6, bahuta saptavidhabandhaka, bahuta ekavidhabandhaka, eka ashtavidhabandhaka aura bahuta shadvidhabandhaka hote haim. 7, bahuta saptavidhabandhaka, bahuta ekavidhabandhaka, bahuta ashtavidhabandhaka aura eka shadvidhabandhaka hota hai. 8, bahuta saptavidha bandhaka, bahuta ekavidhabandhaka, bahuta ashtavidhabandhaka aura bahuta shatvidhabandhaka hote haim. 9, isa prakara nau bhamga haim. Bhagavan ! Mohaniya karma bamdhata jiva kitani karmaprakritiyom ko bamdhata hai\? Gautama ! Samanya jiva aura ekendriya ko chhorakara tina bhamga kahana. Jiva aura ekendriya saptavidhabandhaka aura ashtavidhabandhaka bhi hote haim. Ayukarma ko bamdhata jiva kitani karmaprakritiyom ko bamdhata hai\? Gautama ! Niyama se atha prakritiyam bamdhata hai. Nairayikom se lekara vaimanika paryanta isi prakara kahana. Isi prakara bahutom ke vishaya mem bhi kahana. Nama, gotra aura antaraya karma ko bamdhata jiva jnyanavaraniya ke samana hi kahana. Isi prakara naraka se lekara vaimanika taka eka aura bahuvachana mem kahana. |