Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )

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Sr No : 1006848
Scripture Name( English ): Pragnapana Translated Scripture Name : प्रज्ञापना उपांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

पद-२६ कर्म वेद

Translated Chapter :

पद-२६ कर्म वेद

Section : Translated Section :
Sutra Number : 548 Category : Upang-04
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] कति णं भंते! कम्मपगडीओ पन्नत्ताओ? गोयमा! अट्ठ कम्मपगडीओ पन्नत्ताओ, तं जहा–नाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं। एवं नेरइयाणं जाव वेमानियाणं। जीवे णं भंते! नाणावरणिज्जं कम्मं वेदेमाणे कति कम्मपगडीओ बंधति? गोयमा! सत्तविह-बंधए वा अट्ठविहबंधए वा छव्विहबंधए वा एगविहबंधए वा। नेरइए णं भंते! नाणावरणिज्जं कम्मं वेदेमाणे कति कम्मपगडीओ बंधति? गोयमा! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा। एवं जाव वेमाणिए। मनूसे जहा जीवे। जीवा णं भंते! नाणावरणिज्जं कम्मं वेदेमाणा कति कम्मपगडीओ बंधंति? गोयमा! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधए य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधगा य ३ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगे य ४ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य ५ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधए य एगविहबंधए य ६ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठवि-हबंधगा य छव्विहबंधए य एगविहबंधगा य ७ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधगा य एगविहबंधए य ८ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधगा य एगविहबंधगा य ९, एवं एते नव भंगा। अवसेसाणं एगिंदियमनूसवज्जाणं तियभंगो जाव वेमानियाणं। एगिंदिया णं सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य। मनूसाणं पुच्छा। गोयमा! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगे य २ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य ३ अहवा सत्तविहबंधगा य छव्विहबंधए य, एवं छव्विहबंधएण वि समं दो भंगा ५ एगविहबंधएण वि समं दो भंगा ७ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधए य छव्विहबंधए य चउभंगो ११ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधए य चउभंगो १५ अहवा सत्तविहबंधगा य छव्विहबंधगे य एगविहबंधए य चउभंगो १९ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठ-विहबंधए य छव्विहबंधए य एगविहबंधए य भंगा अट्ठ २७, एवं एत्ते सत्तावीसं भंगा। एवं जहा नाणावरणिज्जं तहा दरिसणावरणिज्जं पि अंतराइयं पि। जीवे णं भंते! वेयणिज्जं कम्मं वेदेमाणे कति कम्मपगडीओ बंधति? गोयमा! सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा छव्विहबंधए वा एगविहबंधए वा अबंधए वा। एवं मनूसे वि। अवसेसा नारगादीया सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य। एवं जाव वेमाणिए। जीवा णं भंते! वेदणिज्जं कम्मं वेदेमाणा कति कम्मपगडीओ बंधंति? गोयमा! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य १ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधगे य २ अहवा सत्त-विहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधगा य ३ अबंधगेण वि समं दो भंगा भाणियव्वा ५ अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधए य अबंधए य चउभंगो ९, एवं एते णव भंगा। एगिंदियाणं अभंगयं। नारगादीणं तियभंगो जाव वेमानियाणं, नवरं– मनूसाणं पुच्छा। गोयमा! सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य १ अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधए य अट्ठविहबंधए य अबंधए य, एवं एते सत्तावीसं भंगा भाणियव्वा जहा किरियासु पाणाइवायविरतस्स। एवं जहा वेदणिज्जं तहा आउयं नामं गोयं च भाणियव्वं। मोहणिज्जं वेदेमाणे जहा बंधे नाणावरणिज्जं तहा भाणियव्वं।
Sutra Meaning : भगवन्‌ ! कर्मप्रकृतियाँ कितनी हैं ? गौतम ! आठ, ज्ञानावरणीय यावत्‌ अन्तराय। इसी प्रकार नैरयिकों से वैमानिकों तक हैं। भगवन्‌ ! (एक) जीव ज्ञानावरणीयकर्म का वेदन करता हुआ कितनी कर्मप्रकृतियों का बन्ध करता है ? गौतम ! सात, आठ, छह या एक कर्मप्रकृति का। (एक) नैरयिक जीव ज्ञानावरणीयकर्म को वेदता हुआ गौतम ! सात या आठ कर्मप्रकृतियों का बन्ध करता है। इसी प्रकार वैमानिक पर्यन्त जानना। परन्तु मनुष्य का कथन सामान्य जीव के समान है। (बहुत) जीव ज्ञानावरणीयकर्म का वेदन करते हुए कितनी कर्मप्रकृतियाँ बाँधते हैं ? गौतम ! सभी जीव सात या आठ कर्मप्रकृतियों के, अथवा बहुत जीव सात या आठ के और एक छह का बंधक होता है, अथवा बहुत जीव सात, आठ और छह के, अथवा बहुत जीव सात के और आठ के तथा कोई एक प्रकृति का, अथवा बहुत जीव सात, आठ और एक के, या बहुत जीव सात के तथा आठ के, एक जीव छह का और एक जीव एक का, अथवा बहुत जीव सात के या आठ के, एक जीव छह का और बहुत जीव एक के, अथवा बहुत जीव सात के, आठ के, छह के तथा एक के, अथवा बहुत जीव आठ के, सात के, छह के और एक के बंधक होते हैं। ये कुल नौ भंग हुए। एकेन्द्रिय जीवों और मनुष्यों को छोड़कर शेष जीवों यावत्‌ वैमानिकों के तीन भंग कहना। (बहुत – से एकेन्द्रिय) जीव सात के और आठ के बन्धक होते हैं। मनुष्यों ? गौतम ! (१) सभी मनुष्य सात कर्मप्रकृतियों के बन्धक होते हैं, (२) बहुत – से सात और एक आठ कर्मप्रकृति बाँधता है, (३) बहुत – से मनुष्य सात के और एक छह का बन्धक है, इसी प्रकार छह के बन्धक के साथ भी दो भंग, (६ – ७) एक के बन्धक के साथ भी दो भंग, (८ – ११) बहुत – से सात के बन्धक, एक आठ का और एक छह का बन्धक, यों चार भंग, (१२ – १५) बहुत – से सात के बन्धक, एक आठ का और एक मनुष्य एक प्रकृति का बन्धक, यों चार भंग, (१६ – १९) बहुत – से सात के बन्धक तथा एक छह का और एक, एक का बन्धक, इसके भी चार भंग, (२० – २७) बहुत – से सात के बंधक, एक आठ का, एक छह का और एक, एक का बन्धक होता है, यों इसके आठ भंग हैं। कुल मिलाकर ये सत्ताईस भंग हैं। ज्ञानावरणीय – कर्म के समान दर्शनावरणीयकर्म एवं अन्तराय का कथन भी करना। भगवन्‌ ! (एक) जीव वेदनीयकर्म का वेदन करता हुआ कितनी कर्मप्रकृतियों का बन्ध करता है ? गौतम! वह सात, आठ, छह या एक का बन्धक होता है, अथवा अबंधक होता है। इसी प्रकार मनुष्य में भी समझना। शेष नारक आदि वैमानिक पर्यन्त सात या आठ के बन्धक हैं। (बहुत) जीव वेदनीयकर्म का वेदन करते हुए कितनी कर्मप्रकृतियाँ बाँधते हैं ? गौतम ! १. सभी जीव सात के, आठ के और एक के बन्धक होत हैं, २. बहुत जीव सात, आठ या एक के बन्धक होते हैं और एक छह का बन्धक होता है। ३. बहुत जीव सात, आठ, एक तथा छह के बन्धक होते हैं, ४ – ५. अबन्धक के साथ भी दो भंग, ६ – ९. बहुत जीव सात के, आठ के, एक के बंधक होते हैं तथा कोई एक छह का तथा कोई एक अबन्धक भी होता है, यों चार भंग होते हैं। कुल नौ भंग हुए। एकेन्द्रिय जीवों को अभंगक जानना। नारक आदि वैमानिकों तक के तीन – तीन भंग कहना। मनुष्यों के विषय में वेदनीयकर्म के वेदन के साथ, गौतम ! १ – बहुत – से सात के अथवा एक के बन्धक होते हैं। २ – बहुत – से मनुष्य सात के और एक के बन्धक तथा कोई एक छह का, एक आठ का बन्धक है या फिर अबन्धक होता है। इस प्रकार ये कुल मिलाकर सत्ताईस भंग – प्राणातिपातविरत की क्रियाओं के समान कहना। वेदनीयकर्म के वेदन के समान आयुष्य, नाम और गोत्र कर्म में भी कहना। ज्ञानावरणीय समान मोहनीयकर्म के वेदन के साथ बन्ध को कहना।
Mool Sutra Transliteration : [sutra] kati nam bhamte! Kammapagadio pannattao? Goyama! Attha kammapagadio pannattao, tam jaha–nanavaranijjam java amtaraiyam. Evam neraiyanam java vemaniyanam. Jive nam bhamte! Nanavaranijjam kammam vedemane kati kammapagadio bamdhati? Goyama! Sattaviha-bamdhae va atthavihabamdhae va chhavvihabamdhae va egavihabamdhae va. Neraie nam bhamte! Nanavaranijjam kammam vedemane kati kammapagadio bamdhati? Goyama! Sattavihabamdhae va atthavihabamdhae va. Evam java vemanie. Manuse jaha jive. Jiva nam bhamte! Nanavaranijjam kammam vedemana kati kammapagadio bamdhamti? Goyama! Savve vi tava hojja sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya 1 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya chhavvihabamdhae ya 2 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya chhavvihabamdhaga ya 3 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya egavihabamdhage ya 4 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya egavihabamdhaga ya 5 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya chhavvihabamdhae ya egavihabamdhae ya 6 ahava sattavihabamdhaga ya atthavi-habamdhaga ya chhavvihabamdhae ya egavihabamdhaga ya 7 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya chhavvihabamdhaga ya egavihabamdhae ya 8 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya chhavvihabamdhaga ya egavihabamdhaga ya 9, evam ete nava bhamga. Avasesanam egimdiyamanusavajjanam tiyabhamgo java vemaniyanam. Egimdiya nam sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya. Manusanam puchchha. Goyama! Savve vi tava hojja sattavihabamdhaga 1 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhage ya 2 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya 3 ahava sattavihabamdhaga ya chhavvihabamdhae ya, evam chhavvihabamdhaena vi samam do bhamga 5 egavihabamdhaena vi samam do bhamga 7 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhae ya chhavvihabamdhae ya chaubhamgo 11 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhae ya chaubhamgo 15 ahava sattavihabamdhaga ya chhavvihabamdhage ya egavihabamdhae ya chaubhamgo 19 ahava sattavihabamdhaga ya attha-vihabamdhae ya chhavvihabamdhae ya egavihabamdhae ya bhamga attha 27, evam ette sattavisam bhamga. Evam jaha nanavaranijjam taha darisanavaranijjam pi amtaraiyam pi. Jive nam bhamte! Veyanijjam kammam vedemane kati kammapagadio bamdhati? Goyama! Sattavihabamdhae va atthavihabamdhae va chhavvihabamdhae va egavihabamdhae va abamdhae va. Evam manuse vi. Avasesa naragadiya sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya. Evam java vemanie. Jiva nam bhamte! Vedanijjam kammam vedemana kati kammapagadio bamdhamti? Goyama! Savve vi tava hojja sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya egavihabamdhaga ya 1 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya egavihabamdhaga ya chhavvihabamdhage ya 2 ahava satta-vihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya egavihabamdhaga ya chhavvihabamdhaga ya 3 abamdhagena vi samam do bhamga bhaniyavva 5 ahava sattavihabamdhaga ya atthavihabamdhaga ya egavihabamdhaga ya chhavvihabamdhae ya abamdhae ya chaubhamgo 9, evam ete nava bhamga. Egimdiyanam abhamgayam. Naragadinam tiyabhamgo java vemaniyanam, navaram– Manusanam puchchha. Goyama! Savve vi tava hojja sattavihabamdhaga ya egavihabamdhaga ya 1 ahava sattavihabamdhaga ya egavihabamdhaga ya chhavvihabamdhae ya atthavihabamdhae ya abamdhae ya, evam ete sattavisam bhamga bhaniyavva jaha kiriyasu panaivayaviratassa. Evam jaha vedanijjam taha auyam namam goyam cha bhaniyavvam. Mohanijjam vedemane jaha bamdhe nanavaranijjam taha bhaniyavvam.
Sutra Meaning Transliteration : Bhagavan ! Karmaprakritiyam kitani haim\? Gautama ! Atha, jnyanavaraniya yavat antaraya. Isi prakara nairayikom se vaimanikom taka haim. Bhagavan ! (eka) jiva jnyanavaraniyakarma ka vedana karata hua kitani karmaprakritiyom ka bandha karata hai\? Gautama ! Sata, atha, chhaha ya eka karmaprakriti ka. (eka) nairayika jiva jnyanavaraniyakarma ko vedata hua gautama ! Sata ya atha karmaprakritiyom ka bandha karata hai. Isi prakara vaimanika paryanta janana. Parantu manushya ka kathana samanya jiva ke samana hai. (bahuta) jiva jnyanavaraniyakarma ka vedana karate hue kitani karmaprakritiyam bamdhate haim\? Gautama ! Sabhi jiva sata ya atha karmaprakritiyom ke, athava bahuta jiva sata ya atha ke aura eka chhaha ka bamdhaka hota hai, athava bahuta jiva sata, atha aura chhaha ke, athava bahuta jiva sata ke aura atha ke tatha koi eka prakriti ka, athava bahuta jiva sata, atha aura eka ke, ya bahuta jiva sata ke tatha atha ke, eka jiva chhaha ka aura eka jiva eka ka, athava bahuta jiva sata ke ya atha ke, eka jiva chhaha ka aura bahuta jiva eka ke, athava bahuta jiva sata ke, atha ke, chhaha ke tatha eka ke, athava bahuta jiva atha ke, sata ke, chhaha ke aura eka ke bamdhaka hote haim. Ye kula nau bhamga hue. Ekendriya jivom aura manushyom ko chhorakara shesha jivom yavat vaimanikom ke tina bhamga kahana. (bahuta – se ekendriya) jiva sata ke aura atha ke bandhaka hote haim. Manushyom\? Gautama ! (1) sabhi manushya sata karmaprakritiyom ke bandhaka hote haim, (2) bahuta – se sata aura eka atha karmaprakriti bamdhata hai, (3) bahuta – se manushya sata ke aura eka chhaha ka bandhaka hai, isi prakara chhaha ke bandhaka ke satha bhi do bhamga, (6 – 7) eka ke bandhaka ke satha bhi do bhamga, (8 – 11) bahuta – se sata ke bandhaka, eka atha ka aura eka chhaha ka bandhaka, yom chara bhamga, (12 – 15) bahuta – se sata ke bandhaka, eka atha ka aura eka manushya eka prakriti ka bandhaka, yom chara bhamga, (16 – 19) bahuta – se sata ke bandhaka tatha eka chhaha ka aura eka, eka ka bandhaka, isake bhi chara bhamga, (20 – 27) bahuta – se sata ke bamdhaka, eka atha ka, eka chhaha ka aura eka, eka ka bandhaka hota hai, yom isake atha bhamga haim. Kula milakara ye sattaisa bhamga haim. Jnyanavaraniya – karma ke samana darshanavaraniyakarma evam antaraya ka kathana bhi karana. Bhagavan ! (eka) jiva vedaniyakarma ka vedana karata hua kitani karmaprakritiyom ka bandha karata hai\? Gautama! Vaha sata, atha, chhaha ya eka ka bandhaka hota hai, athava abamdhaka hota hai. Isi prakara manushya mem bhi samajhana. Shesha naraka adi vaimanika paryanta sata ya atha ke bandhaka haim. (bahuta) jiva vedaniyakarma ka vedana karate hue kitani karmaprakritiyam bamdhate haim\? Gautama ! 1. Sabhi jiva sata ke, atha ke aura eka ke bandhaka hota haim, 2. Bahuta jiva sata, atha ya eka ke bandhaka hote haim aura eka chhaha ka bandhaka hota hai. 3. Bahuta jiva sata, atha, eka tatha chhaha ke bandhaka hote haim, 4 – 5. Abandhaka ke satha bhi do bhamga, 6 – 9. Bahuta jiva sata ke, atha ke, eka ke bamdhaka hote haim tatha koi eka chhaha ka tatha koi eka abandhaka bhi hota hai, yom chara bhamga hote haim. Kula nau bhamga hue. Ekendriya jivom ko abhamgaka janana. Naraka adi vaimanikom taka ke tina – tina bhamga kahana. Manushyom ke vishaya mem vedaniyakarma ke vedana ke satha, gautama ! 1 – bahuta – se sata ke athava eka ke bandhaka hote haim. 2 – bahuta – se manushya sata ke aura eka ke bandhaka tatha koi eka chhaha ka, eka atha ka bandhaka hai ya phira abandhaka hota hai. Isa prakara ye kula milakara sattaisa bhamga – pranatipatavirata ki kriyaom ke samana kahana. Vedaniyakarma ke vedana ke samana ayushya, nama aura gotra karma mem bhi kahana. Jnyanavaraniya samana mohaniyakarma ke vedana ke satha bandha ko kahana.